Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Saturday, November 12, 2022


सरपंच गोमला ने ली सफाई करवाने की शपथ
-खुद सफाई करने में जुटा
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कनीना की आवाज। गोमला के नवनिर्वाचित सरपंच मिंटु गोमला ने शपथ लेने से पहले ही गांव की गलियों व पार्कों को छह साल पूर्व की भान्ति कीचड़ व कूड़ा कर्कट रहित करने की शपथ ली है। अपनी शपथ को पूरा करने के लिए दो दिन से अपनी पंचायत के नवनिर्वाचित पंचों व युवा टीम के साथ खुद गलियों नालियों व पार्कों की सफ़ाई करने में जुटा है।
शुक्रवार से अपनी टीम के साथ लगे सरपंच मिंटु गोमला ने गांव की अधिकतर गलियों नालियों व पार्कों में सफ़ाई कर दी है। साफ़ सफ़ाई के बाद गांव की गलियों में फिऱ से 2015 से पूर्व की चमक दिखाई देने लगी है। पार्कों में खड़े हो चुके खरपतवार बेतरतीब सूखी घास व जंगली पौधे कटवा दिए जिससे दोनों पार्क साफ़ सुथरे दिखने लगे हैं। हालांकि पूर्व जैसा सौन्दर्यीकरण होना अभी बाकी है।
सरपंच मिंटु गोमला की अगुवाई में जब पूरी पंचायत कसिया कस्सी परात दंताली झाडू लेकर काम में जुटी तो पिछले पांच साल में कभी कभार घर से बाहर निकलने वाले सफाई कर्मी को भी स्वत: ही लगना पड़ा।
पिछले दो दिन से पंचायत व उसकी टीम  ने अनुसूचित बस्ती,ठाकरान मोहल्ला, जांगिड मोहल्ला व दोनों पार्कों की साफ़ सफ़ाई की।
इस अवसर पर सरपंच मिंटु गोमला के साथ पंच लालाराम, सरजीत कुमार, देवीलाल, इन्द्रजीत उफऱ् ढिल्लू, सुधीर कुमार , पंच-प्रतिनिधि संजय जांगिड, पंच-प्रतिनिधि दिनेश कुमार,  मास्टर अजीत कुमार, भगत सत्यनारायण, जयदयाल , सुन्दर सिंह , मोनु राव , टोनी सिंह , डोगरा, गौतम , सुमित कुमार , छोटेलाल सुनील कुमार , व सफ़ाई कर्मी-दंपति ने मिलकर गलियों व पार्कों की सफ़ाई करने में पूरा सहयोग किया।
फोटो कैप्शन 06: गोमला गांव में सरपंच स्वयं सफाई के काम में उतरता हुआ।






प्राथमिक सहायता एवं गृह परिचर्या विषय पर हुआ व्याख्यान
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कनीना की आवाज।राजकीय महाविद्यालय नारनौल रेड क्रॉस के सानिध्य में और जिला रेडक्रास सोसाइटी की सहयोग से और प्राचार्य डॉ पूर्ण प्रभा की अध्यक्षता में प्राथमिक सहायता एवं गृह परिचर्या का प्रशिक्षण जिला रेडक्रास के टेक चंद यादव वरिष्ठ प्रवक्ता  प्राथमिक सहायता एवं गृह परिचर्या के द्वारा महाविद्यालय विद्यार्थियों को प्राथमिक सहायता एवं गृह परिचर्या विषय पर विस्तार  व्याख्यान दिया। जिसमें उन्होंने बताया कि कोई आपदा और दुर्घटना से ग्रस्त व्यक्ति को तुरंत प्राथमिक सहायता देकर जल्द से जल्द नजदीक  उपलब्ध संसाधनों द्वारा उसको नजदीक अस्पताल में पहुंचाकर उसके जीवन को बचाने का प्रयास करना चाहिए। दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति का प्रथम एक घंटा  सुनहरा समय होता है। इस समय के दौरान यदि उसको प्राथमिक सहायता देकर जल्द से जल्द अस्पताल में भेजने से उसके जीवन को ही नहीं बचाते  बल्कि उसको विकलांग होने से भी बचाया जा सकता है । प्राचार्य डॉ पूर्ण प्रभा ने विद्यार्थियों को बताया कि हमें इस प्रकार के आयोजन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए क्योंकि और हमें समाज, परिवार महाविद्यालय में फैलीं कुरीीतियां और बुराइयों को दूर करने में हमेशा रेडक्रास सोसायटी की तरह अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए जिससे समाज परिवार और देश का विकास किया जा सकता है। इस आयोजन के लिए प्राचार्य डॉ पूर्ण प्रभा द्वारा जिला प्रधान एवं उपायुक्त महोदय डॉ जेके अभीर तथा सचिव श्याम सुंदर शर्मा का भी धन्यवाद किया कि उन्होंने जिला महेंद्रगढ़ में रेड क्रास से सम्बंधित गतिविधियों का आयोजन करने की अलख जगाई है। रेडक्रास क्लब के नोडल अधिकारी डॉ चंद्रमोहन ने बताया कि महाविद्यालय से 27 वीं राज्य स्तरीय एंबुलेंस प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु  जींद विश्वविद्यालय में जाने वाली टीमों का सीनियर मेल एवं सीनियर फीमेल  का पूर्वाभ्यास करवाया गया इस प्रतियोगिता में  विजेता टीमों को पुरस्कृत करने के लिए महामहिम राज्यपाल महोदय पहुंचेंगे। गत वर्ष भी राजकीय महाविद्यालय नारनौल की एंबुलेंस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त  करके जिला महेंद्रगढ़ का नाम रोशन किया था किया था।  अब विजेता टीम  राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने हेतु गोवा जाएंगी।इस अवसर पर  नोडल अधिकारी ने सभी विद्यार्थियों को  समाज में फैली कुरीतियों और बुराइयों के प्रति आवाज बुलंद करने की रेड क्रॉस से सम्बंधित  शपथ भी दिलाई ।
फोटो कैप्शन 5: बैठक को संबोधित करते डा जेके आभीर जिला उपायुक्त।




विजेता खिलाडिय़ों को किया सम्मानित
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कनीना की आवाज। आरआरसीएम पब्लिक स्कूल, कनीना में आज खंड स्तरीय खेल कूद प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।
निदेशक रोशनलाल ने बताया कि प्रतियोगिताओं का आयोजन एसडी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, ककराला में किया गया। इस प्रतियोगिताओं मे विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। विद्यालय की आयु वर्ग-11 में बालक तथा बालिकाओं की रस्सा कस्सी टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया वही चेस में छात्रा लावन्या व दीक्षा ने भी प्रथम स्थान प्राप्त किया तथा कुश्ती में छात्र लक्ष्य ने 20 किग्रा मे प्रथम तथा भव्य ने 30 किग्रा में दूसरा स्थान प्राप्त किया। वही कैरम बोर्ड प्रतियोगिता में छात्रा हिमानी,वंशिका व मोनिक ने तथा छात्र ध्वज व लक्ष्य ने भी प्रथम प्राप्त किया। इन प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों का जिला स्तर पर चयन हुआ है।
फोटो कैप्शन 4: अव्वल रहे विद्यार्थियों को सम्मानित करता स्टाफ।






अटल सेवा केंद्र पर बनाए जा रहे डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट
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कनीना की आवाज। अटल सेवा एवं स्टेट बैंक ग्राहक सेवा केंद्र पर डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट बनाने का कार्य शुरू हो गया है जिसका लाभ कोई भी ले सकता है। केंद्र प्रभारी छोटूराम ने बताया कि लाइफ सर्टिफिकेट वर्ष में एक बार नवंबर महीने में देनी होती है ताकि जीवित रहने का प्रमाण साबित हो सके। यह केवल सरकारी एवं निजी संस्थान से सेवानिवृत्त पेंशनर को ही बनानी पड़ती है। लाइफ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आधार कार्ड, बैंक पासबुक, पीपीओ नंबर लाना जरूरी है। छोटूराम ने बताया कि स्टेट बैंक में जनधन खाता खुलवाना, भारत सरकार की योजना प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना जिसका प्रीमियम 20 रुपये होता है जिसमें दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा होता है, जिसके लिए आयु सीमा 18 से 70 वर्ष मानी गई है। दुर्घटनाग्रस्त विकलांगता भी शामिल है। इसके अलावा प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना शामिल है जिसका वार्षिक प्रीमियम 330 रुपये का आता है। कोई भी व्यक्ति केवल एक बचत खाता द्वारा इस योजना का लाभ ले सकता है। तत्काल अपनी नजदीकी बैंक शाखा बैंक से संपर्क करें और आयोजित कैंपों में जाए एवं फार्म भरे कर लाभ उठाएं।





भूला दिया है मोटे अन्न उपजाना
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कनीना की आवाज।  तीन दशक पूर्व कनीना क्षेत्र में पैदावार बहुत अधिक होती थी जो अब लगभग समाप्त हो चुकी हैं। किसी एक या दो क्यारी में किसान चना उगाते हैं। अब दाल के भावों में तेजी आने के पीछे भी यही कारण माना जाता है। क्षेत्र में सबसे अधिक चने की खेती होती थी जो विगत 2014 में महज तीस हेक्टेयर में चना उगाया था। वर्ष 2015 में 52 हेक्टेयर पर चने की बीजाई की गई थी। 2015 से 2018 तक भी चने की महज 70 से 80 हेक्टेयर बिजाई की जाती रही है। विगत दो वर्षों से चने की खेती दस हेक्टेयर से कम रह गई है। इस वर्ष चना 6 हेक्टेयर तो जौ 15 हेक्टेयर पर बीजाई होने की संभावना है।
  कनीना की भूमि बावनी नाम से जानी जाती है। 52 हजार हेक्टेयर पर खरीफ एवं रबी की कृषि की जाती है। कनीना क्षेत्र में चने की खेती आज के दिन महज इतनी रह गई है कि कभी कभार बुजुर्गों को चटनी के लिए हरे चने की पत्तियां चाहिए तो किसी किसान के खेत में एक या दो क्यारियां ही मिल सकती हैं। यही कारण है कि बाजार में चने के पौधे भी बिकते देखे जा सकते हैं।
  किसानों का कहना है कि दालों के भावों में निरंतर तेजी के पीछे कारण है कि किसान अपने खेतों में मोटे अन्न जिनमें चना आदि तथा दाल देने वाली फसलें नहीं उगाते हैं। एक वक्त था जब विवाह शादी में अवश्य लड्डू बनाए जाते थे किंतु अब जब किसी के शादी होती है तो लड्डू के लिए चने दूर दराज से लाने पड़ते हैं या फिर खरीदकर लाते हैं।
   किसानों का कहना है कि वे भी किसी वैज्ञानिक से कम नहीं होते हैं और नई नई फसल उगाकर लाभ व हानि का अनुभव करते हैं। अब जब खेतों में कुओं द्वारा सिंचाई की जाती है तो चने के लिए प्रतिकूल है। किसान अजीत सिंह कहते हैं कि पूर्णरूप से वर्षा के जल पर चने की कृषि आधारित है। अब किसान कम खेत में अधिक पैदावार लेने के चक्कर में होते हैं और पुराने अन्न को उगाना भूल गए हैं।
 बुजुर्ग राम सिंह, दुलीचंद, धनपती का कहना है कि कभी इस क्षेत्र में चने की खेती की जाती थी तो चने की सब्जी, चने की रोटी, मेसी रोटी, हरे चने की चटनी, खाटा का साग, कढ़ी, परांठे व कई अन्य सब्जियों में डालकर जायका लिया जाता था। जब तक चना सूख न जाता था तब तक चने को खाते रहते थे किंतु अब दर्शन दुर्लभ हो गए हैं। कृषि अधिकारी डा देवराज का कहना है कि इस क्षेत्र में चने की कृषि घटती ही जा रही है जिसके पीछे बरानी (असिंचित) क्षेत्र न होना माना जाता है। जहां सिंचाई हो जाती है वहां चना नहीं होता है। अभी भी पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी डा रामानंद यादव चने की खेती कर रहे हैं।






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