काग्रेस प्रदेश सचिव को मातृशोक
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कनीना की आवाज। उन्हानी निवासी कांग्रेस प्रदेश सचिव अधिवक्ता रमेश शर्मा की 82 वर्षीय माता पिस्ता देवी पत्नी स्वर्गीय नत्थू राम शर्मा का हृदयगति रुकने से निधन हो गया। वे पिछले 5 दिन से बीमार चल रही थी। वे अपने पीछे 5 पुत्र, 4 पुत्री, 6 पोते व 6 पोती, 1 पड़ोता व 1 पड़ौती सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गई। बड़ा बेटा अहमदाबाद में बिजनेसमैन है, उससे छोटा रिटायर्ड प्रिंसिपल कमलेश शर्मा है, उनसे छोटा अधिवक्ता रमेश शर्मा है, उनसे छोटा नरेंद्र शर्मा शिक्षाविद एवं सक्रिय राजनीतिक है व सबसे छोटा बेटा जिला न्यायाधीश रूपेश शर्मा है। पिस्ता देवी का अंतिम संस्कार मां भारती आश्रम पर किया गया। इस दौरान कस्बे के विभिन्न समाजसेवियों ने उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
मार पिटाई का मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। दौंगड़ा अहीर चौकी में कंवर सिंह नामक भालखी निवासी ने उनकी गाड़ी उठाए जाने शिकायत करने जाने पर डंडों से पिटाई की जाने की शिकायत की है। जिस पर मामला दर्ज कर लिया है। कंवर सिंह ने कहा है कि मै भालखी का निवासी हूं तथा 18 नवंबर को अपने नए गोदाम से पुराने गोदाम की तरफ गाड़ी लेकर जा रहा था साथ में राजेंद्र सिंह गांव का निवासी भी था। जब राजेंद्र सिंह को गाड़ी से उतार रहा था तो दौंगड़ा अहीर की ओर से एक बोलेरो आई जिस पर नीली बत्ती लगी हुई थी। गाड़ी में बैठे व्यक्ति ने कहा- तुमने अपनी गाड़ी यहां क्यों खड़ी की है और वह व्यक्ति गाड़ी को साथ ले गया। जब शिकायत करने दौंगड़ा अहीर चौकी में गया तो वहां राजेश कुमार तथा दो अन्य कर्मचारियों ने कहा कि तुमने कर्जा ले रखा हुआ इसलिए गाड़ी को उठा ले गए। उन्होंने चौकी में डंडों से चोट मारा और ऊपर यह कहा कि तुम झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाने आए हो। तत्पश्चात इलाज के लिए नंदिनी अस्पताल महेंद्रगढ़ चला गया। अब छुट्टी मिली जिसके बाद शिकायत दर्ज करवाई है। दौंगड़ा अहीर चौकी में मामला दर्ज कर लिया है।
खत्म कर दिये है बुर्जियां एवं लाल पत्थर
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कनीना की आवाज। 1962 में चकबंदी के समय हर 5 एकड़ एवं 10 एकड़ पर स्थापित किए गए लाल पत्थर, दो गांवों की सीमा पर स्थापित बुर्जी, तीन गांवों की सीमा पर स्थापित सेहदा धीरे-धीरे किसानों ने खत्म कर दिया। अब जब पैमाइश होती है तो इनके अभाव में भारी परेशानी उठानी पड़ती है। कभी-कभी तो दो गांवों की सीमा विवाद के चलते धरती को खोदना पड़ता है और बनाई गई बुर्जी को देखना होता है।
चकबंदी के समय में पूर्व से पश्चिम दिशा में हर 5 एकड़ पर तथा उत्तर से दक्षिण पर दिशा में 10 एकड़ पर लाल पत्थर नाम से पत्थर गाड़े गए थे। गहराई तक गाड़े गये ये पत्थर आज भी वैसे के वैसे मिल सकते हैं। यह सत्य है कि किसानों ने उनको इसलिए काट दिया या तोड़ डाला क्योंकि वे हल चलाने में या ट्रैक्टर द्वारा जुताई करने में समस्या बन रहे थे परंतु जब भी पैमाइश की जाती है तीन लाल पत्थरों का ही सहारा लिया जाता है।
दो गांव की सीमा पर बुर्जी स्थापित की जाती थी और जो गहराई पर स्थापित की जाती थी। कच्चा कोयला भरकर चूना से बनाई जाती थी। ऊपर लाल पत्थर या बुर्जी बनाई जाती थी ताकि दूर से दिखाई दे कि यह दो गांव की सीमा है और उन सीमाओं पर दोनों गांव के लोग पेड़ पौधे लगाते थे। विवाह शादी के समय भी इन सीमाओं पर रस्म अदा की जाती थी। ये बुर्जी और सेहदा खसरा एवं गिरदावरी में नोट किये जाते थे।
अनाज मंडी में बाजरे एवं गेहूं का भाव एक माह में 100 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा
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कनीना की आवाज। इस वर्ष जहां बाजरे की सरकारी खरीद हुई है किंतु किसान खुली मंडियों में बाजरा बेच रहे हैं जहां एक माह पहले बाजरे के भाव 1930 रुपये प्रति क्विंटल था जो आज 23 नवंबर को 2030 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिका है वहीं गैेहूं के भाव में भी वृद्धि हो रही है तथा एक माह में एक सौ रुपये बढ़ गये हैं। वर्तमान में गेहूं 2630 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है तथा भाव और बढऩे की संभावना है। मुर्गीफार्म केंद्रों मांग अधिक होने के चलते किसानों के घरों से ही मुर्गी पालक बाजरा खरीदकर ले जा रहे हैं।
इस साल जहां राजस्थान में बाजरा का भाव अधिक होने के कारण बाजरे की आवक नहीं हुई केवल हरियाणा के किसानों का बाजरा ही अनाज मंडी के तक पहुंच पाया है। कनीना मंडी के व्यापार मंडल प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष रविंद्र बंसल ने बताया कि एक माह में बाजरे के भाव कम से कम एक सौ रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा है तथा इसके और बढऩे की संभावना है। उन्होंने बताया कि सरकार ने बाजरा एमएसपी 2350 रुपये प्रति क्विंटल बाजरा खरीदा है।
अब तो किसानों को बाजरे के अच्छे भाव मिलने लगे हैं। उधर मुर्गी पालन केंद्र संचालक रमेश, दिनेश, योगेश, सुरेश आदि ने बताया कि मुर्गी पालन केंद्रों पर बाजरे की मांग है। यही कारण है कि जहां खुली मंडियों तक कम बाजरा जाता है। जबकि बाजरे पर आधारित छोटे-छोटे उद्योग ध्ंाधे चलाने वालों तक अधिक मात्रा में पहुंच रहा है।
एक दिसंबर से बदलेगा स्कूलों का समय
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में सर्दी का माहौल बढ़ गया है। जहां प्रदेश भर के स्कूलों में वर्तमान में स्कूल समय आठ बजे से दोपहर 2:30 बजे तक का चल रहा है जो एक दिसंबर से स्कूलों का समय बदलकर प्रात: 9:30 से सांय 3:30 का हो जाएगा। अध्यापक नेता सुनील कुमार ने बताया कि हर वर्ष तीन माह के लिए समय बदल जाता है जो 28 फरवरी तक चलेगा।
हरी सब्जी का विकल्प बथुआ हो रहा है प्रयोग
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कनीना की आवाज। सब्जी महंगी होने के कारण किसान वर्ग न केवल खेतों में खरपतवार के रूप में उगने वाले बाथू/बथुआ को सब्जी के रूप में प्रयोग कर रहे हैं वहीं खेतों से उखाड़कर दूसरों को भी खाने की प्रेरणा दे रहे हैं। बाथू गुणकारी औषधि के रूप में जानी जाती है।
उल्लेखनीय है कि बाथू मानव के काम तो आता है वहीं पशुओं के लिए भी उत्तम हरे चारे का काम करता है। सर्दियों में रबी फसल के साथ अपने आप उगने वाले इस हरे भरे शाक को ग्रामीण परिवेश के लोग बाथू,बथुआ या हरा नाम से पुकारते हैं जिसे आयुर्वेद में कई गुणों की खान व औषधियों में काम में लाया जाता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे चिनोपाडियम कहते हैं।
किसान दिनेश कुमार, रवि कुमार, महेश कुमार ने बताया बाथू का किसी जमाने में गरीब तबके के लोग ही प्रयोग में लाते थे जो महंगी बाजार की सब्जी खरीदने में असमर्थ थे किंतु आजकल बदलाव आ गया है और अमीर एवं रोगी जनों के लिए रामबाण दवा का काम कर रहा है विशेषकर पेट की बीमारी एवं एनिमिया के शिकार इसे ढूंढते फिरते हैं। उनका कहना है कि जब बाजार में अन्य सब्जियां महंगी हो रही है तो ऐसे में बाथू ही गुणकारी सब्जी का काम करेगा। ये किसान स्वयं भी इसे प्रयोग कर रहे हैं और दूसरों को भी इसे खाने की सलाह दे रहे हैं। वैद्य बालकिशन का कहना है कि पेट की बीमारियों एवं खून की कमी को दूर करने में सहायक है।
किसानों कुलदीप बोहरा, देशराज, आशा, शकुंतला आदि ने बताया कि वे इसे रायता, देसी सब्जी बनाने में प्रयोग कर रहे हैं वहीं आटे में मिलाकर रोटियां बना रहे हैं वहीं इससे जायकेदार पराठे भी बना रहे हैं। ये व्यंजन उनको बहुत अधिक भा रहे हैं। यही नहीं अपितु वे सरसों का साग व अन्य खेतों में पाई जाने वाली हरी सब्जियां प्रयोग में ला रहे हैं। खरपतवार के रूप में अपने आप खेतों में उगने वाला बाथू ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण शाक माना जाता है। कई रूपों में मानव के काम आता है वहीं पशुओं के लिए भी उत्तम हरे चारे का काम करता है। सर्दियों में फसल के साथ अपने आप उगने वाले इस हरे भरे शाक को ग्रामीण परिवेश के लोग बाथू,बथुआ या हरा नाम से पुकारते हैं।
बाथू आजकल किसानों के लिए आय का साधन बनता जा रहा है। इसके गुणों को देखते हुए अमीर जन इसे बाजार से खरीद कर लाते हैं और बड़े ही चाव से खाते हैं जिससे सिद्ध होता है कि बीते जमाने की गरीबों की सब्जी अब अमीरों का भोजन बनती जा रही है। बाजार में किसान इसे उखाड़कर बेच रहे हैं और आमदनी कर रहे हैं। एक ओर जहां सब्जी महंगी हो रही हैं और हरी सब्जियां तो आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। ऐसे में बथुआ किसानों के लिए ही नहीं अपितु आम जन के लिए मुफ्त की हरी सब्जी बन गयी है।
फोटो 1 व दो: बाथू खेतो में उगा हुआ।
महिला एवं बाल विकास परियोजना के तत्वावधान में महिलाओं की खंड स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता आयोजित
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कनीना की आवाज। कनीना स्थित फुटबॉल ग्राउंड में महिला एवं बाल विकास परियोजना के तत्वावधान में महिलाओं की खंड स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में एसडीएम सुरेन्द्र सिंह उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीडीपीओ सरला यादव ने की। प्रतियोगिता के दौरान मंच संचालन आंगनबाड़ी सुपरवाइजर पूजा खिच्ची ने किया। प्रतियोगिता के दौरान उपस्थित महिलाओं को संबोधित करते हुए एसडीएम सुरेन्द्र सिंह ने मानव जीवन में खेलों के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि खेलकूद मानव मन को प्रसन्न और उत्साहित बनाए रखते हैं। खेलों से नियम पालन के स्वभाव का विकास होता है और मन एकाग्र होता है। खेल में भाग लेने से खिलाडिय़ों में सहिष्णुता, धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सद्भाव और भाईचारे की भावना बढ़ती है। प्रतियोगिता के दौरान सीडीपीओ सरला यादव ने भी प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को इमानदारी के साथ अपने खेल का प्रदर्शन करने व हारने वाले खिलाडिय़ों को निराश न होकर भविष्य के लिए अच्छी तैयारी करने के लिए प्रेरित किया। आंगनबाड़ी सुपरवाइजर पूजा खिच्ची ने बताया कि महिला एवं बाल विकास परियोजना के तहत आयोजित इस प्रतियोगिता में दो ग्रुप बनाए गए थे। जिनमें एक ग्रुप में 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को शामिल किया गया व दूसरे ग्रुप में 30 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को शामिल किया गया। 30 वर्ष से ऊपर की महिलाओं की 100 मीटर दौड़ में कनीना से रामकला ने प्रथम, मुनेश ने द्वितीय व गोमला से शर्मिला ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। आलू-चम्मच दौड में कनीना से सोनू ने प्रथम, सरस्वती ने द्वितीय व कोटिया से शर्मिला ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। मटका दौड़ में खेराणा से कमलेश ने प्रथम, चेलावास से उर्मिला ने द्वितीय व निशु ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। 30 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं की प्रतियोगिता में 300 मीटर दौड में झगडोली से नीतू ने प्रथम, नांगल से सौरव ने द्वितीय व पड़तल से अंतिम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। 400 मीटर दौड़ में झगड़ोली से रवीना ने प्रथम, कोका से राजबाला ने द्वितीय व छिथरोली से प्रिया ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। साइकिल रेस में खेड़ी से प्रियंका ने प्रथम, कनीना से एकता ने द्वितीय व पड़तल से रेणु ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर जितेंद्र फौजी, आंगनबाड़ी सुपरवाईजर मनीषा यादव, सुपरवाइजर पूजा खिच्ची, कुसुम जग्गो, ज्योति, मंजू देवी, सरला देवी, रवि, सोनू, विनय ऑपरेटर आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 3 व 4: कनीना खेल के मैदान में आयोजित खेलकूद का नजारा एवं संबोधित करती सुपरवाइजर।
सीनियर वर्ग की कुश्ती के लिए सरदार पटेल एकेडमी बाघोत में 27 नवम्बर को होंगे जिले के प
हलवानों के ट्रायल
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कनीना की आवाज। बाघोत स्थित सरदार पटेल इंटरनेशनल स्पोटर्स एकेडमी में 27 नवम्बर को जिले के सीनियर लड़के व लड़कियों की फ्रीस्टाइल, ग्रीको रोमन कुश्ती प्रतियोगिता के ट्रायल लिए जाएंगे। इस विषय में जानकारी देते हुए पहलवान नरेन्द्र ने बताया कि इस प्रतियोगिता में वर्ष 2004 में जन्में खिलाड़ी भाग ले सकते है। जिसके लिए खिलाड़ी को अपना जन्म प्रमाण पत्र, दो पास्पोर्ट साइज फोटों साथ लेकर आने अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि खिलाडिय़ों का वजन सुबह 8 बजे से 9 बजे तक किया जाएगा। वजन में दो किलोग्राम तक की छूट रहेगी।
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