महामारी ने किये हजारों युवा ओवर ऐज
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कनीना। यूं तो पूरे ही जगत में कोरोना महामारी ने भारी तबाही का मंजर दिखाया है किंतु सबसे अधिक को प्रभाव शिक्षा पर पड़ रहा है। जब जब महामारी आती है तब तब स्कूल, कालेज एवं शिक्षण संस्थान सभी लंबे समय तक बंद रहे हैं और अब भी बंद चल रहे हैं। यदि यूं ही कोरोना की मार चलती रही तो बहुत से युवा न केवल बेरोजगार हो जाएंगे अपितु ओवर ऐज होकर जीवन भर पछतावें के अलावा उनके पास कुछ भी शेष नहीं रहेगा। जहां विभिन्न शहरों में हजारों लाखों विद्यार्थी उच्च शिक्षा के कामना लेकर कोचिंग लेते आ रहे हैं किंतु हर वर्ष उनकी कोचिंग में खलल पड़ जाती है जिसके चलते बेचारे मायूस होकर रह जाते हैं, परीक्षाओं में असफलता आड़े आती है परंतु सबसे अधिक नुकसान उन बेरोजगारों को हो रहा है जो ओवर ऐज होते जा रहे हैं। नौकरी पाने की एक उम्र होती है उसे क्रास करते जा रहे हैं। बहुत से युवा है जो अब 3 वर्षों में ओवरेज होने के कारण परीक्षा ही नहीं दे पाएंगे। सरकार को चाहिए कि 3 वर्षों से जो कोरोना प्रभाव चल रहा है ऐसे में जो व्यक्ति ओवरेज हो गए उनको मौका दें ताकि वे किसी परीक्षा में बैठकर नौकरी प्राप्त कर सकें।
युवा दिनेश, गोविंद, महेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि वे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बार-बार प्रयास करते हैं किंतु परीक्षाएं कोरोना के कारण टल जाती है जिसके चलते सदा सदा के लिए बेरोजगार रहने के कगार पर पहुंच गए हैं। ओवरेज का डर सता रहा है, बहुत से युवा तो ओवरेज हो चुके हैं। अंतिम प्रयास उनका बाकी था वह भी कोरोना ने लील लिया है। अब उनके पास कोई अवसर तक नहीं बचा है और अब तो वे कोरोना तेरा नाश हो कहकर चुप हो जाते हैं। दुर्भाग्य है कि कोरोना महामारी ने कितने ही लोग बेरोजगार कर दिए, कितनों की जान चली गई कितने ही दुख झेलकर चले जाएंगे। शायद सदियों तक कोरोना प्रभाव याद दिलाता रहेगा। युवा वर्ग विशेषकर उच्च शिक्षा पाने के लिए लालायित बहुत दुखी है क्योंकि घर पर पढ़ाई नहीं हो सकती, विभिन्न संस्थानों में ऑनलाइन शिक्षण जारी है जो अधिक प्रभावी नहीं हो रहा है जिसके चलते आफलाइन विधि से शिक्षा पाने में परेशानी बाधक बनी है। कितने ही विद्यार्थी सुनहरे सपने लेकर जाते हें और फीस भर देते हैं, उनकी फीस भी वापस नहीं आती। वैसे भी सरकार ने विगत वर्ष बगैर परीक्षा के ही विद्यार्थी पास कर दिये थे। वह भी दर्द बहुत से विद्यार्थियों को सता रहा है और जीवन भर उन्हें सताता रहेगा।
फिर शुरू होगा पोलियो खुराक पिलाने का सिलसिला
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कनीना। सरकार के आदेश अनुसार 27 फरवरी से फिर से पोलियो की खुराक पिलाने का सिलसिला शुरू होगा। जहां पोलियो विगत वर्षों में खुराक पिलाई गई थी और पोलियो को रोका गया था वहीं अब एक बार फिर से पोलियो की खुराक पिलाकर पोलियो को रोकने के लिए फिर से पिलाई जाएगी। विस्तृत जानकारी देते हुए सुनील कुमार एमपीएचडब्ल्यूने बताया कि इस संबंध में पत्र भी जारी हो चुका है।
भूरी देवी के निधन पर जताया राव बहादुर सिंह ने किया शोक
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कनीना। शहीदों के सम्मान को कभी भुलाया नहीं जा सकता तथा जो लोग या कोम शहीदों को भूल जाती है वह कभी तरक्की नहीं कर सकती तथा नष्ट हो जाया करती हैं। ये विचार कांग्रेसी नेता,पूर्व विधायक एवं शिक्षाविद राव बहादुर सिंह ने स्वतंत्रता सेनानी राव कन्हीराम की धर्मपत्नी भूरी देवी के निधन पर गांव कोटिया में शोक जताने के उपरांत व्यक्त किये।
राव बहादुर सिंह ने कहा स्वतंत्रता सेनानी राव कन्हींराम ने देश की आजादी में बढ़-चढ़कर भाग लिया तथा अंग्रेजों को नाकों चने चबाने का जो कार्य किया था वह किसी से छुपा नहीं है तथा अंग्रेजों के चंगुल से देश को बचा कर हमें जो सुख और सुविधाएं दी है उन्हें कभी भुला नहीं सकते। उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्रता सेनानी और शहीद चाहे शरीर से हमारे बीच ना हो लेकिन आत्मा से वो सदैव हमारे साथ रहते हैं और आज भी देश पर आने वाली विपत्तियों से वो हमारी रक्षा करते हैं इसलिए हमें शहीद और स्वतंत्रता सेनानियों को हमेशा याद रखना चाहिए और उनको तथा उनके परिवार का हमेशा मान और सम्मान बरकरार रखना चाहिए। यही उनकी आत्मा को सुख और शांति देने का एक अच्छा तरीका है। राव बहादुर सिंह ने भूरी देवी के निधन पर कहा कि भूरी देवी एक बहुत महान आत्मा थी जो प्यार प्रेम और भाईचारे को कायम रखती थी तथा समाज में फैली बुराइयों को दूर करने के लिए भूरी देवी ने जो प्रयास किए है उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके निधन पर उनके परिजनों को ही नहीं बल्कि हम जैसे सभी लोगों को जो क्षति हुई है उसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता क्योंकि समाज में इस तरह के लोगों का होना समाज को नई दिशा देने का कार्य करता है। जिसे आज हमारे बीच से जाने के बाद हमें पता चलता है कि इस तरह की पुण्य आत्माओं को हम व हमारा समाज कभी भुला नहीं सकता क्योंकि इस तरह के लोग समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने में समाज को एक नया सवेरा देते हैं जिसके कारण समाज में रहने वाले लोग उसका फायदा उठा कर सुख और शांति का अनुभव करते हैं। इस अवसर पर इनके साथ सुनील राव व भूरी देवी के समूचे परिवार के अलावा क्षेत्र के अनेकों गणमान्य लोग उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 2: राव बहादुर सिंंह भूरी देवी के निधन पर शोक जताते हुए।
कोरिडोर से जहां क्षेत्र के कुछ लोगों को हो रहा है फायदा वही क्षेत्रवासियों को अपने ही खेतों में जाने के लिए नहीं मिल रहा है रास्ता
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कनीना। दौंगड़ा अहीर गांव में से गुजरने वाले प्रदेश के 152-डी ग्रीन कारिडोर रोड की वजह से ग्रामीणों की समस्याएं खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। ग्रामीणों को खेतों में जाने के लिए रास्ता नहीं मिलने के कारण परेशान है।
बृहस्पतिवार को एनएचएआई की टीम दीवार बनाने को कब्जा लेने पहुंची, ग्रामीणों ने कहा जब तक रास्ता नहीं मिलेगा तब तक दीवार नहीं बनाने देंगे। दौंगड़ा अहीर गांव से गुजर रहे 152-डी ग्रीन कारिडोर रोड कि साइड दीवार बनाने को लेकर ड्यूटी मजिस्ट्रेट नायब तहसीलदार सत्यपाल कनीना, दौंगड़ा अहीर पुलिस चौकी इंचार्ज तपेंद्र सिंह अपनी टीम के नेतृत्व में एनएचएआई के साथ 152-डी ग्रीन कारिडोर रोड पर पहुंचे। किसानों ने आपत्ति की है कि उनके खेतों में जाने के लिए जो रास्ता था उसको अधिकृत कर लिया गया है तथा अब उनके खेतों में जाने के लिए रास्ता नहीं है। इसलिए जब तक उनको उनके खेतों में जाने के लिए रास्ता नहीं दिया जाएगा वह साइड की दीवार नहीं बनाने देंगे। ग्रीन कारिडोर के साथ-साथ जो चकबंदी के समय रास्ता था जो कि खेतों में जाने के लिए था उन खेतों के लिए जाने के लिए हमें रास्ता दिया जाए इसकी वजह से हम अपने खेतों में खेती से संबंधित कार्य कर सकें।
जमीन का कब्जा लेने पहुंची प्रशासन की टीम का किसानों ने रोष जताते हुए विरोध किया। मौके पर मौजूद भारी पुलिस फोर्स और प्रशासनिक टीम मौजूद रही। मौके पर ही नायब तहसीलदार सतपाल ने जिला राजस्व अधिकारी पूनम बब्बर से बात की तथा किसानों ने मौके पर नायब तहसीलदार को बताया कि हमारा जो रास्ता था उसको एनएचएआई ने बंद कर दिया है। किसानों की बात सुनने के बाद ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने एनएचएआई के अधिकारियों से कहा कि पहले किसानों का रास्ता दिया जाए उसके बाद पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारी वापिस चल गये।
आपको बता दें कि हरियाणा सरकार ने साल 2018 में ग्रीन कोरिडोर नेशनल हाइवे 152-डी के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया था तथा तब से लेकर गांव दौंगड़ा अहीर के ग्रामीण अपने खेतों में जाने के लिए रास्ते के लिए जिला अधिकारियों के साथ जद्दोजहद कर रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि पिछले सप्ताह जिला राजस्व अधिकारी पूनम बब्बर से मिलने के बाद तथा आज ड्यूटी मजिस्ट्रेट से हुई बातों को देखकर उन्हें उम्मीद बंधी है कि शायद उन्हें खेतों में जाने के लिए रास्ता मिल जाए।
फोटो कैप्शन 6: दौंगड़ा अहीर में पुलिस प्रशासन किसानों के रोष को देखते हुए मौके पर हाजिर
7: किसान पुलिस प्रशासन से रास्ते की मांग करते हुए।
14 जनवरी मकर संक्रांति
दान पुण्य एवं सूर्योपासना का पर्व है मकर संक्रांति
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कनीना। मकर संक्रांति दान पुण्य और सूर्योपासना का पर्व है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी मकर संक्रांति के प्रति आस्था, पतंगबाजी, बुजुर्गों को जगाना, उनका सम्मान करना, दान दक्षिणा देना, गौशालाओं में गायों की सेवा करना, पतंगबाजी, दाल चूरमा, गुड़ खाना आदि इस परंपरा से जुड़ा हुआ है परंतु धीरे-धीरे इसके प्रति लगाव घटता जा रहा है और विभिन्न परंपराएं भी महज औपचारिकता बनकर रह गई है।
क्योंकि इस दिन पितामह भीष्म ने प्राण त्यागे थे जो वृद्धावस्था में थे। यही कारण है कि आज भी बुजुर्गों के प्रति सम्मान इस पर्व पर देखने को मिलता है। जहां ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोग बुजुर्गों को जगाने की परंपरा कायम किए हुए वही उनको मान सम्मान भी दिया जाता है। वास्तव में पितामह भीष्म के नाम पर ही बुजुर्गों का इस प्रकार सम्मान देने का सिलसिला चला था जो अब सिमट गया है। कभी बैंड बाजे और रीति रिवाज के अनुसार बुजुर्गों को जगाने की परंपरा थी वह आज महज कुछ बुजुर्गों को छोटा-मोटा दान दक्षिणा देेने तक ही सिमट गई है। जहां रात भर जागने, जल्दी से स्नान करने की परंपरा भी कम हो गई है। शकरकंदी तिल, गुड़, मूंगफली आदि अभी भी लोग खा रहे हैं।
इस पर्व को उत्तरायण पर्व नाम से जाना जाता है क्योंकि इस पर्व के बाद सूर्य उत्तर की ओर चलने लग जाता है, मकर रेखा की ओर जाने लगता और सर्दी कम होने लग जाती है। कुछ जगह जहां पतंगबाजी की जाती है वह भी अब सिमट कर रह गई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में मेल एवं उत्सव मनाए जाते थे वो 3 वर्षों से कोरोना की भेंट चढ़ते आ रहे हैं। यदि यही हालात रहे तो भविष्य में मेलों की परंपरा को लोग भूल जाएंगे। लोग सुबह सवेरे उठकर ही अब आग जलाकर मूंगफली, शकरकंदी खाते नजर आते हैं। इस पर्व से जुड़ी हुई एक पुराने समय से परंपरा चली आ रही है कि विवाहित बेटी को दान दक्षिणा दी जाती है जिसे त्योहारी नाम से जाना जाता है। एक वक्त था जब गुड़ की भेली आदि देने की परंपरा थी परंतु अब गुड़ की भेली बाजार से गायब हो चुकी है। किसी इक्का-दुक्का दुकान पर ही गुड़ की भेली मिल सकती है।
गौशाला में जहां गायों की को मीठा चारा खिलाना,पूजा अर्चना, हवन आदि भी किए जाते हैं परंतु वह भी सिमट कर रह गई हैं। महज ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में दाल चूरमा बनाकर खाने का रिवाज आज भी सिर चढ़कर बोल रहा है। लगभग सभी घरों में सुबह सवेरे ही दाल चूरमा बनाया जाता है और हर घर में बड़े चाव से खाया जाता है। कुल मिलाकर परंपरागत त्योहार मकर संक्रांति अब सिमट गया है। रही सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी है। कोरोना की मार के चलते इस त्यौहार की खुशियां धूमिल कर दी हैं। यदि ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जाए तो शकरकंदी तिल, गजक, गुड़, मूंगफली आदि की भरमार देखने को मिलती है।
फोटो कैप्शन 01: बाजार में मकर संक्रांति के दृष्टिगत मूंगफली, गजक की भरमार।
दो अलग-अलग मामलों में पुलिस ने 18 बोतल देसी शराब पकड़ी
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कनीना। कनीना तथा दौंगड़ा अहीर पुलिस ने दो अलग-अलग मामलों में 18 बोतल देसी शराब पकड़ी, आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
मिली जानकारी के अनुसार पुलिस को मुखबिर के आधार पर सूचना मिली कि खैराणा गांव में पुराने खंडहरों में एक व्यक्ति शराब बेच रहा है। दौंगड़ा अहीर पुलिस ने खैराना गांव के खंडहरों के पास छापामार की तो एक व्यक्ति गत्ता पेटी उठाकर तेज कदमों से चलने लगा। पुलिस ने नाम पता किया तो कर्ण सिंह खैराना बताया। जब गत्ता पेटी चेक की तो उसमें 9 बोतल देसी शराब की मिली। दौंगड़ा अहीर पुलिस चौकी ने आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
वहीं दूसरी ओर कनीना पुलिस को सूचना मिली कि फुटबाल ग्राउंड कनीना में पेड़ के नीचे एक व्यक्ति नीले रंग का लोवर तथा टी-शर्ट पहने शराब बेच रहा है। पुलिस ने छापामारी की तो एक व्यक्ति सफेद रंग के कट्टे में दिखाई दिया। नाम पूछने पर उपदेश उर्फ कालू वार्ड पांच बताया। कट्टा चेक किया तो 9 बोतल देसी शराब बरामद की। पुलिस ने आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
लोहड़ी का पर्व मनाया
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कनीना। कनीना क्षेत्र में आज लोहड़ी का पर्व मनाया गया। विभिन्न गांवों में, पंजाबी समुदाय के लोगों तथा सामान्य जनों ने भी लोहड़ी का पर्व मनाकर खुशी मनाई।
दिनभर लोहड़ी के पर्व पर रेवड़ी, मूंगफली तथा गजक बांटकर खाई गई तथा एक दूसरे को बधाई दी गई। कृष्ण कुमार ने बताया कि यह पर्व एकता और भाईचारे की मिसाल कायम करता है।
क्षेत्र में दूसरे दिन भी
पड़ी धुंध फिर चली शीत लहर
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कनीना। कनीना क्षेत्र में गुरुवार को जहां दूसरे दिन भी सुबह धुंध पड़ी तथा दोपहर बाद शीत लहर चली। जहां पूरे ही देश में कोरोना की मार पड़ रही है वहीं क्षेत्र शीत लहर के चलते लोग घरों में दुबके नजर आए। विगत दिनों जब बारिश हुई थी तत्पश्चात फसल में आब गई है। रबी फसल के लिए ठंड बहुत लाभप्रद है किंतु लगातार धूप न होना तथा ठंड पडऩे फसलों के लिए घातक साबित हो सकती हैं। किसान सुरेंद्र कुमार, दिनेश कुमार, सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह आदि ने खुशी जताई तथा अच्छी पैदावार होने की संभावना जताई। कृषि विशेषज्ञ डा देवराज का कहना है कि रबी फसलों के लिए ठंड लाभप्रद साबित होगी। यदि ठंड नहीं पड़ेगी तो पैदावार अच्छी नहीं होगी। बहरहाल ठंड, धुंध और शीतलहर का प्रकोप जारी है।
मकर संक्रांति पर श्रीकृष्ण गौशाला में होगा हवन
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कनीना। कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला में 14 जनवरी मकर संक्रांति पर गायों के लिए हवन आयोजित होगा। विस्तृत जानकारी देते हुए राजेंद्र पार्षद ने बताया कि हर वर्ष गौशाला में हवन आयोजित होता है जहां दूर दराज से लोग आकर गायों को मीठा चारा चराते हैं।
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