उपमंडल अधिकारी दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम का हुआ तबादला, दी विदाई
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कनीना। उपमंडल कार्यालय दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम कनीना में नरेंद्र कुमार एसडीओ के स्थानांतरण के उपलक्ष्य तथा पराग गोयल नए आगंतुक उप मंडल अधिकारी के आगमन पर विदाई पार्टी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता रमेश कुमार शर्मा प्रधान सब यूनिट कनीना ने की। इस अवसर पर नरेंद्र कुमार एसडीओ को महावीर पहलवान द्वारा पगड़ी पहनाई तथा पराग गोयल नये आगंतुक एसडीओ को सत्यवीर द्वारा पगड़ी पहनाकर स्वागत किया।
इस अवसर पर नरेंद्र कुमार एसडीओ की कार्यप्रणाली प्रकाश डाला गया तथा उपमंडल के अधीन उपभोक्ताओं के प्रति भी उनकी कार्यशैली को बेहतर बताया। उन्होंने कहा कि जिस जगह जाएंगे वहां इसी प्रकार कार्य करते रहेंगे। महाबीर पहलवान ने कहा कि तबादला कर्मचारी के सेवा में यूं ही चलते रहते हैं। बस कर्मचारी को सदा जनहित की बातें सोचते रहना चाहिए। इसी में समाज का हित संभव है।
इस अवसर पर पवन कुमार शर्मा
एसडीओ सतनाली, विजय कुमार जेई, लखेंद्र कुमार, अमरजीत यूनिट सचिव महेंद्रगढ़, मुकेश कुमार, सभी फोरमैन, सभी कनीना यूनिट के कार्यकारिणी सदस्य तथा कर्मचारी उपस्थित थे। फोटो कैप्शन 10: एसडीओ नरेंद्र कुमार को विदाई देते कर्मी।
मयंक तंवर भाजपा किसान मोर्चा सदस्य नियुक्त
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कनीना। पाथेडा निवासी मयंक तंवर को भाजपा किसान मोर्चा हरियाणा का विशेष आमंत्रित सदस्य नियुक्त किया है। मयंक तंवर को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए जाने के बाद उनके समर्थकों ने गांव में मिठाइयां बांटकर खुशी जाहिर की। इस मौके पर ग्रामीणों व मयंक तवर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर चौहान, पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा, अटेली विधायक सीताराम यादव सहित जिला तथा प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व का आभार जताया। इस मौके पर मयंक तंवर ने कहा कि किसानों के हित का कार्य पूरी निष्ठा व श्रद्धा से करेगा और सरकार के सामने किसानों की हक की बात रखेगा।
त्योहारों की है भरमार
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कनीना। पर्व के बाद पर्व आने से बाजारों में रौनक आ गई है। बाजार में जहां राखी, बड़ा बतासा आदि की भरमार है। आगामी 30 अगस्त तक पर्व लगातार आते रहेंगे।
कनीना के ज्योतिषाार्य सुरेंद्र जोशी का कहना है कि 11 अगस्त को तीज का पर्व , 22 अगस्त को रक्षा बंधन तथा 30 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व तो 31 अगस्त को गोगा नवमी का पर्व मनाया जा रहा है। विभिन्न गांवों में छोटे मेले लग रहे हैं वहीं दंगल भी आयोजित किए गए हैं। 11 अगस्त को हरियाली तीज का पर्व मनाया जा रहा है। इस पर्व पर जमकर पतंगबाजी होती है। बाजार में जमकर घेवर आये हुये हैं जिनका लेनदेन चलता है।
22 अगस्त को भाई बहन के बीच अटूट प्रेम का पर्व रक्षा बंधन मनाया जा रहा है। इस पर्व पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं। विभिन्न प्रकार की राखियां बाजार में आ चुकी हैं। ये राखियां त्योहार से करीब एक पखवाड़े पूर्व ही डाक द्वारा भेजे जाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। बाजार में डोरा राखियां, फैंसी राखियां एवं संगीतवाली राखियां आई हुई हैं।
फोटो कैप्शन 6: बाजार में सजे घेवर।
7: बाजार में सजी राखियां।
कंटीली चौलाई ने की किसानों की नींद हराम
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कनीना। क्षेत्र के किसान कांग्रेस घास से परेशान थे जो खेतों में तथा यहां वहां मिलती थी परंतु अब किसानों को परेशान करने में नंबर वन पर कंटीली चौलाई है। भारी मात्रा में यहां वहां खड़ी मिलती है। सड़क किनारे, नहरों के पाल पर, किसानों के खेतों में जमकर खड़ी हुई है।
बारिश होते ही कंटीली चौलाई लहलहाने लगी है। कांग्रेस घास को भी पीछे छोड़ दिया है तथा यह भी खरपतवार होती है। अंतर है तो बस इतना कि कांग्रेस घास जहरीली होती है जिसे कोई जानवर नहीं खाता है परंतु कंटीली चौलाई को पशु चारे के रूप में प्रयोग करते हें तथा कुछ लोग इसे चौलाई की जगह प्रयोग कर रहे हैं। शहरों में तो यह चौलाई के विकल्प के रूप में मिलती है। जब बड़ी हो जाती है तो यह कंटीली बन जाती है तथा इसका रूप चौलाई से मिलता जुलता होता है जिसके कारण इसे कंटीली चौलाई कहते हैं।
बारिश होते ही जहां कभी नहरों के किनारे, खेतों में तथा पुराने घरों के आस पास कांग्रेस घास मिलती थी वहां अब कंटीली चौलाई मिलती है। किसान अजीत कुमार कनीना, सूबे सिंह कनीना, राजेंद्र सिंह कनीना ने बताया कि दूसरे प्रदेशों विशेषकर राजस्थान, बिहार एवं यूपी से आए हुए लोग इसे काटकर ले जाते हैं और सब्जी के रूप में प्रयोग करते हैं। उनका कहना है कि गाय, भैंस भी इसे खा लेती हैं किंतु उनके खेतों में परेशानी का कारण बना हुआ है। उन्हें निराई के रूप में इसे खेतों से हटाना पड़ता है।
किसान कृष्ण कुमार, योगेश कुमार, रोहित कुमार का कहना है कि कांग्रेस घास से डरते थे अब उन्हें कंटीली चौलाई से डर लगने लगा है। अधिक मात्रा में खड़ी होने से निराई करने में दिक्कत आती है। अगर पक जाए तो पूरे खेत में कांटे बिखेर देती है। पशु भी तब तक ही खाते हैं जब तक यह पक न जाए।
कुछ भी कहा जाए परंतु सड़क के किनारे हरियाली का प्रमुख स्रोत कंटीली चौलाई बनती जा रही है। गहरे हरे की होने के कारण इसे लोग खा रहे हैं। हरी पत्तेदार सब्जी का विकल्प भी इसे मान रहे हैं।
फोटो कैप्शन 8: कंटीली चौलाई।
बाबा मोलडनाथ सत्संग मंडल ने एकादशी पर लगाई 11 मणि
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संवाद सहयोगी,कनीना। बाबा मोलडनाथ सत्संग मंडल ने सावन एकादशी के अवसर पर कनीना में स्थित श्री कृष्ण गौशाला में सवा 11 मणि लगाई। बाबा मोलडनाथ सत्संग मंडल के प्रधान होशियार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि बाबा बाबा मोलडनाथ सत्संग मंडल के सदस्य समय-समय पर गौशाला में सवामणी लगाते रहते हैं। उन्होंने कहा कि सावन के पवित्र माह में एकादशी के शुभ अवसर पर बुधवार को फिर से सवामणी लगाई गई। इस अवसर पर मंडल के प्रधान ने आमजन से भी अपील करते हुए कहा कि लोगों को अपने जन्मदिन वैवाहिक वर्षगांठ या और कोई शुभ कार्यों पर गौ माता के लिए गौशाला में सवामणी लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में गौ सेवा सबसे बड़ी सेवा है और इससे बहुत पुण्य मिलता है। इस अवसर पर गौशाला में खीर का प्रसाद बनाकर सभी श्रद्धालुओं को भी वितरित किया गया। इस दौरान मंडल प्रधान होशियार सिंह, पेटी मास्टर पंडित परमानंद, रमेश कुमार, पंडित कैलाश चंद, कृष्ण कुमार पुजारी, जयप्रकाश, सुभाष ,नरेश हवलदार, नरेश कुमार, मनोज जांगिड़, गौशाला प्रधान हुकुमचंद, पंडित कैलाश प्रधान बाबा लाल गिरी सोसाइटी, रामेश्वर दयाल चेलावास, राजेंद्र पार्षद वार्ड 12, पुजारी साईं मंदिर प्रवेश वर्मा ,पुजारी शनि मंदिर रामकिशन सहित अनेक श्रद्धालु भी मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 5: गौशाला कनीना में सवामणी लगाते मोलडऩाथ सत्संग मंडल पदाधिकारी।
बंदरों के आतंक से लोगों में भय
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कनीना। कनीना में इन दिनों बंदरों की करतूतों से लोगों को काफी परेशानियां मिल रही है। वही सर चढ़ कर बोलता बंदरों का आतंक जहां लोगों का गलियों से निकलने नहीं देता है वही बंदरों का आतंक लोगों को छतों पर कपड़े तक नही सूखाने देता है। रात को घरों में सो रहे बच्चों एवं महिलाओं को काट लेने के कारण उनके खौफ से उनमें भय व्याप्त है।
कस्बा कनीना के नवीन कुमार, नरेश कुमार एडवोकेट, रवींद्र बंसल, राजेश कुमार, हरीश यादव के अलावा दर्जनों लोगों ने बताया कि बंदरों के आतंक के फलस्वरूप लोग घरों से बाहर निकलने से परहेज करने लगें है लेकिन बंदर लोगों के घर जाकर उनके घर में रखे सामान को तोड़ फोड़ करने से भी पीछे नही हट रहे है जिससे लोगों का जीना हराम हो रहा है। लोगों ने बताया कि अगर कही से भी मकान का कोई दरवाजा खुला रह जाता है तो बंदर उसमें ऐसे छुप जाते है कि पता भी नहीं लग पाता लेकिन जब वे आकर मकान को देखते है तो पता चलता है कि घर में रखा कीमती सामान बंदरों द्वारा नष्ट कर दिया गया है। कस्बा वासियों ने बताया कि बंदरों का खौफ लोगों की दिनचर्या को भी बाधित कर रहा है। बुजुर्गों के लिए बंदर अच्छी खासी परेशानी बने हुए है। वही कस्बा वासियों ने प्रशासन से मांगकर बंदरों को पकड़वा कर दूर छुड़वाने की गुहार लगाई है। कनीना मंडी के शिव कुमार अग्रवाल ने बार बार आरटीआई लगाकर समस्या से निजात पाने की अपील की है किंतु परिणाम शून्य रहा है। अब तक विगत 15 वर्षों में एक बार बंदरों को पकड़कर अन्यत्र छोड़ा गया है। पालिका प्रधान सतीश जेलदार जल्द ही समस्या का समाधान करने की बात कह रहे हैं।
खेतों में बरसात का पानी हुआ खड़ा
-अतरलाल ने की सिहोर में पंचायत
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कनीना। खेतों में वर्षा जल भराव के कारण कपास व बाजरा व की फसलों में हुए नुकसान का मुआवजा देने की मांग को लेकर जिला के गांव सिहोर में किसान पंचायत आयोजित की गई। पंचायत की अध्यक्षता प्रजा भलाई संगठन के सुप्रीमों एवं समाजसेवी ठाकुर अतरलाल एडवोकेट ने की। इसमें आस-पास के गांव छितरोली, झाड़ली, उच्चत, चेलावास, उन्हाणी, गाहड़ा, सिहोर, धनौन्दा, कनीना के सैकड़ों किसानों ने भाग लिया।
पंचायत में दो प्रस्ताव पास कर राज्य सरकार तथा जिला प्रशासन से वर्षा जल-भराव के कारण किसानों की बाजरा व कपास की क्षतिग्रस्त फसलों की तत्काल विशेष गिरदावरी करवाकर प्रभावित किसानों को बाजरा के लिए 20 हजार रुपये तथा कपास के लिए 40 हजार रुपए मुआवजा देने की मांग की गई। दूसरे प्रस्ताव में राज्य सरकार से फसल पंजीकरण तथा बीमा करवाने की तिथि बढ़ाकर 30 अगस्त तक करने की मांग की गई। पंचायत में सिहोर गांव के किसान नरेन्द्र पंच, लाल सिंह पंच, राजेन्द्र पंच, बीर सिंह, बिजेन्द्र सिंह, औमप्रकाश ने कहा कि वर्षा जलभराव के कारण किसानों की सैकड़ों एकड़ में खड़ी फसलें बिल्कुल खराब हो गई हैं। खेतों में अब भी दो-दो फुट पानी खड़ा है। किसानों ने भारी लागत लगा कर बाजरा व कपास की फसल उगाई थी। अब फसलें क्षतिग्रस्त होने के कारण उनको काफी नुकसान हुआ है। इसलिए राज्य सरकार व प्रशासन तत्काल गिरदावरी करवाकर किसानों को मुआवजा दे। पंचायत के बाद अतरलाल ने प्रभावित किसानों के साथ खेतों में जाकर क्षतिग्रस्त फसलों का जायजा लेने के बाद कहा कि किसानों की फसलें तबाह हो गई हैं। बृहस्पतिवार 5 अगस्त को उपमंडल अधिकारी (ना.) कनीना को ज्ञापन देकर किसानों के दुख दर्द को उनके सामने रखेंगे। इस अवसर पर नरेन्द्र, बिजेन्द्र, लाल सिंह, राजेन्द्र, औमप्रकाश, रामबीर, बीर सिंह, कैलाश सेठ, रतनलाल, अनिल, सधीर, सोनू, लालाराम, नौबत सिलारिया, संदीप, जगदीश आदि अनेक किसानों ने विचार व्यक्त किए।
फोटो कैप्शन 3: क्षतिग्रस्त फसलों का मुआवजा देने की मांग को लेकर सिहोर गांव में पंचायत करते किसान।
11 अगस्त को होगी नवोदय प्रवेश परीक्षा
-12 केंद्रों पर बैठेंगे 2314 अभ्यर्थी
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कनीना। जिला महेंद्रगढ़ के एकमात्र जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा में कक्षा छठी में प्रवेश के लिए आयोजित की जाने वाली 11 अगस्त को प्रवेश परीक्षा में 12 विभिन्न केंद्रों पर 2314 अभ्यर्थी परीक्षा देंगे।
प्राचार्य सुरेश कुमार ने बताया कि इस परीक्षा के लिए जिला महेंद्रगढ़ जिला में 12 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं जिनमें अटेली में दो, कनीना में तीन, महेंद्रगढ़ में दो, नारनौल में दो तथा नांगल चौधरी में 3 परीक्षा केंद्र स्थापित किए गए हैं। उन्होंने बताया अटेली मंडी राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय 180, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ब्वायज में 192 राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना मंडी में 240, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ब्वायज में 240, राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 146 विद्यार्थी प्रवेश परीक्षा देंगे। वही राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय महेंद्रगढ़ में 144 राजकीय माडल संस्कृति स्कूल महेंद्रगढ़ में 198 राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नारनौल में 180 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नारनौल में 177 अभ्यर्थी परीक्षा देंगे। इसी कड़ी में नांगल चौधरी के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 204 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ब्वायज 180 तथा सरस्वती सीनियर सेकेंडरी स्कूल नांगल चौधरी में 233 अभ्यर्थी परीक्षा देंगे।
बारिश के बाद दिखे रेन बग
-तीज के पर्व के पास अक्सर मिलने से इन्हें कहते हैं तीज
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कनीना। बारिश होते ही मखमली गहरे लाल रंग के जीवों के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ गया है। इन्हें ग्रामीण लोग तीज नाम से जानते हैं। तीज के पर्व पर ये निकलने के कारण ऐसा नाम दिया गया है। ये दुर्लभ जीव बारिश में ही निकलते हैं। अब तक करीब 202 एमएम बारिश हो चुकी है तथा तीज का पर्व 11 अगस्त को मनाया जा रहा है।
क्षेत्र में बारिश होने के बाद मखमली गहरे लाल रंग के जीव जिन्हें ग्रामीण तीज नाम से जानते हैं, काफी मात्रा में निकलने लग गए हैं। ये जीव केवल बारिश के बाद और वो भी हरियाली तीज के नजदीक आने का संकेत देते हैं जिनके कारण इन्हें तीज नाम से जाना जाता है। इन जीवों को बच्चे पकड़कर खेलते देखे गए हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि ये केवल जुलाई एवं अगस्त माह की बारिश के बाद ही निकलते हैं बाकी किसी भी बारिश में नहीं दिखाई देते हैं। वास्तव में इनका नाम रेन बग या रेड वेल्वेट माइटस भी है।
क्या कहते हैं जीव शास्त्री-
क्षेत्र के वनस्पति शास्त्री रविंद्र कुमार का कहना है कि ये 'रेन बगÓ या 'रेड वेल्वेट माइट्सÓ कहलाते हैं जो नर एवं मादा अलग-अलग होते हैं। ये बारिश में निकलते हैं और दवाओं में काम आते हें। लकवा के रोग में तथा शारीरिक शक्ति बढ़ाने के काम आते हें जिन्हें दवा बनाने वाले सूखकर रख लेते हें और भारतीय वियाग्रा नाम से जानते हैं। उन्होंने बताया कि इनका नाम ट्रोंबिडियम स्पीशिज है।
क्या कहते हैं बच्चे-
इन जीवों को बच्चे पकड़कर अपनी ज्योमेट्री बाक्स में रख लेते हैं और विद्या को बढ़ाने वाले मानते हैं। बच्चों से बात करने पर उन्होंने बताया कि ये जीव छूने पर अच्छा महसूस कराते हैं। मिट्टी से निकलने वाले ये जीव देखने में अति मनमोहक होते हैं।
फोटो कैप्शन 1: बारिश के बाद खेतों में निकले रेन बग।
बारिश के बाद लहलहाई बाजरे की फसल
-गत वर्षों की बजाय हुई है अब तक बेहतर बारिश
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कनीना। क्षेत्र में अच्छी बारिश के बादफसल लहलहाने लगी है। कनीना क्षेत्र में मानसून मेहरबान है। अच्छी बारिश ने 1995 की याद फिर से ताजा कर दी है। महज जुलाई और अगस्त में 202 एमएम बारिश हो चुकी है। बेशक वर्तमान में कुछ किसानों की फसल तबाह हो गई हो किंतु भूमि भूमिगत जल स्तर तथा भावी फसल को बेहद लाभ होने की संभावना जताई जा रही है। उल्लेखनीय है कि जून माह में कनीना क्षेत्र में अल्प बारिश हुई थी जिसके चलते किसानों ने अपनी फसल अगेती रूप में उगा दी थी जिसका परिणाम सार्थक आया। फसल बड़ी हो गई है और किसान लहलहाती फसल को देखकर प्रसन्न है किंतु जब से सावन मास शुरू हुआ है चार बार बारिश हो चुकी है। जहां 18 जुलाई को करीब 80 एमएम बारिश हुई वहीं 30 जुलाई को को 81 एमएम बारिश हुई। सावन में 25 जुलाई से शुरू हुआ और 4 बार बारिश हो चुकी है। हर बार पांच से 7 एमएम बारिश हुई है। हल्की बारिश कई बार हो चुकी है तथा मंगलवार को एक बार फिर से शाम के समय बादल जमकर बरसे और 10 एमएम बारिश हुई। इस प्रकार बारिश के चलते जहां सड़के टूट गई है, सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई है वहीं खेतों में बारिश का पानी खड़ा हुआ है। किसान प्रसन्न भी है और दुखी भी है। निसंदेह भावी फसल और भूमिगत जल को लाभ होगा। कृषि वैज्ञानिक मानते हैं कि सावन मा यूं ही बरसता रहे तो भूमिगत जल में वृद्धि हो सकती है। अभी सावन में 22 अगस्त तक चलेगा तब तक बारिश होने की संभावना जताई जा रही है।
जून माह में जहां कनीना क्षेत्र के किसान मायूस हो गए थे बारिश कम हो रही थी परंतु ज्यों ही जुलाई माह आया बारिश अच्छी होने लगी और अगस्त में आते-आते बारिश बढ़ती चली गई। किसानों के वारे न्यारे कर दिए हैं। वर्तमान में चहुं और पानी ही पानी खड़ा नजर आ रहा है। कनीना कस्बे में बेशक अल्प बारिश हो किंतु सड़कों पर पानी चलने लग जाता है, ऐसे में आवागमन बारिश के पानी से होता है।
किसान राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, अजीत कुमार कृष्ण कुमार आदि ने बताया कि 1995 में जमकर बारिश हुई थी जिससे महेंद्रगढ़ जिला को छोड़कर हरियाणा के लगभग सभी जिलों में बाढ़ आ गई थी किंतु इस बार 1995 की कुछ यादें ताजा हो गई क्योंकि क्षेत्र में बारिश जमकर हो रही है। अगर यूं ही बारिश होती रही तो 1995 वाली स्थिति बन सकती है।
किसान बताते हैं कि हर वर्ष 20 से 30 फुट गहराई पर जल स्तर चला जाता है। 1995 में कुछ पुराने कुओं में बारिश का पानी चढ़ गया था तथा जल स्तर बढ़ा था तब से अब तक लगातार 30 सालों से पानी लगातार गिरता जा रहा है जिसके चलते किसान चिंतित है। ऐसे में किसान चाहते हैं कि एक बार फिर से 1995 वाली बारिश आ जाए ताकि वर्तमान में ही नहीं अपितु भावी समय के लिए किसानों की अच्छी पैदावार हो सके।
कृषि वैज्ञानिक डा देवराज, डा देवेंद्र आदि भी मानते हैं कि बारिश का पानी किसानों के लिए और फसलों के लिए बेहद लाभप्रद है। ऐसे में सभी की नजरें बारिश पर टिकी हुई है और बारिश आए दिन हो रही है। उन्होंने बतायाकि कनीना क्षेत्र में करीब 12 हजार हेक्टेयर पर बाजरा , 4500 हेक्टेयर पर कपास की फसल खड़ी है। बंपर पैदावार होने के आसार हैं।
फोटो कैप्शन 2: बारिश के बाद लहलहाती फसल को देखता किसान।
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