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Saturday, March 19, 2022

 
12 से 18 वर्ष के बच्चों को कोरोना रोधी टीकें लगाये
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कनीना। कनीना 19 मार्च कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सेहलग द्वारा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खेड़ी तलवाना में 12 साल से 18 साल के बच्चों का टीकाकरण किया गया इस अवसर पर स्वास्थ्य निरीक्षक राजेंद्र सिंह खेड़ी की केंद्र प्रभारी संतरा देवी नर्स आशा कुमारी नर्स वरिष्ठ प्रवक्ता नरेश कौशिक राकेश कुमार कोच प्रवीन शास्त्री सत्यवीर सिंह संजय मेहरा सुरेंद्र सिंह आदि उपस्थित थे स्वास्थ्य निरीक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया कि इस बार नई वैक्सीन में बेहतर ढंग की सुईं का इस्तेमाल किया गया है जिसमें सिरिंज प्रयोग के बाद उसकी सुई स्वत ही नष्ट हो जाती है उन्होंने बताया कि आज 80 विद्यार्थियों का टीकाकरण किया गया है इनमें कक्षा 9 से 12वीं तक के विद्यार्थियों का टीकाकरण किया गया है तथा 12 साल से 14 साल की आयु वर्ग के विद्यार्थियों का टीकाकरण सोमवार को किया जाएगा।
फोटो कैप्शन 06: 12 से 18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को कोरोनारोधी टीका लगाते हुए।




हमें अपने अंदर छुपी बुराइयों को दूर कर देना चाहिए
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,कनीना। हमें अपने अंदर छुपी हुई बुराइयों को होली में दहन कर देना चाहिए और आज से अपने नए जीवन की शुरुआत कर सभ्य समाज का उत्थान करने में आगे बढऩा चाहिए। ये विचार कृष्णानंद महाराज ने धनौंदा में विश्व शांति के लिए किए गए यज्ञ के उपरांत भक्त जनों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
 इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हम दूसरों में बुराइयां देखते हैं तो हमें उससे पहले अपने अंदर एक बार अवश्य ही झांक लेना चाहिए क्योंकि जब हम अपने अंदर छुपी हुई बुराइयों को दूर कर लेंगे तो दूसरे साथियों में छुपी हुई बुराइयां अपने आप दूर हो जाएंगी। इस अवसर पर डॉ फतेहचंद दायमा जगदीश, विनय पाल खेड़ी, शिव कुमार जांगड़ा, घनश्याम शास्त्री, भीम सिंह तंवर, ठाकुर कर्मवीर सिंह, नरेंद्र शर्मा, विजय हलवाई, लक्ष्मण सिंह अतर सिंह,सत्येंद्र यादव,सुरेंद्र यादव कोटिया, डॉ सुरेंद्र सिंह के अलावा अन्य जन उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 7: धनौंदा में हवन करते हुए संत।


 किसान की प्याज की फसल जलाई
-अज्ञात व्यक्ति द्वारा दवा छिड़क कर किसान की मेहनत पर फेरा पानी
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 कनीना। कनीना निवासी तथा संगम कॉलोनी के पास रहने वाले किसान हमीर की प्याज की फसल अज्ञात लोगों द्वारा जहरीली दवा डाल कर नष्ट कर दी गई। किसान ने जमीन जोतने के लिए ली थी और प्याज उगाई थी। सुबह उठकर उन्होंने देखा कि सारी फसल तबाह हो गई है। अचानक फसल खराब होने के पीछे उसने जानकारी हासिल की तो पाया कि कोई अज्ञात व्यक्ति रातों रात उनकी पूरी प्याज की फसल में ही ऐसी जहरीले दवा छिड़क गया जिससे वह नष्ट हो गई तथा खेत में बदबू आने लगी। किसान मायूस है।
उल्लेखनीय है कि आसपास कई किसानों ने कम या अधिक जगह पर प्याज उगाई है। उनकी प्याज बेहतर दर्जे की दिखाई दे रही थी इसलिए वे प्रसन्न  थे किंतु जब सुबह उठकर देखा तो उसकी सारी प्याज ही नष्ट हो गई। उनके समीपी किसान सत्यराज साहब ने बताया कि किसान हमीर ने उनको अपनी प्याज की फसल दिखाई जिसको देखकर पता चला कि प्याज में कोई अज्ञात व्यक्ति जहरीली दवा छिड़क गया है जिसके चलते धीरे-धीरे सारी प्याज जल गई है और किसान की सारी मेहनत पर पानी फिर गया है।
 फोटो कैप्शन 8: खराब हुई किसान की प्याज की फसल।



फसलों को बिजली की तारों से बचायें
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कनीना। क्षेत्र में इस समय किसानों के द्वारा सरसों की फसल की कटाई जोर-शोर से की जा रही है। जिसकों लेकर बिजली निगम ने किसानों को अपने खेतों से गुजरने वाले बिजली के तारों से दूरी बनाकर अपनी फसलों को एकत्रित करने की सलाह दी है। निगम के जेई राम रतन ने कहा कि एलटी एवं एचटी लाईनों में स्पार्किंग होने से चिंगारी निकलने व आगजनी का खतरा बना रहता है। जिससे बचने के लिए उन्होंने किसानों को अपने कुए पर ट्रांसफार्मर के चारों तरफ करीब 10-10 फुट तक पहले ही फसल की कटाई करने व आस-पास साफ सफाई रखने की सलाह दी। ताकि ट्रांसफार्मर के पास आगजनी होने पर आग आगे न फैल सके। उन्होंने किसानों को अपने कुए पर खेल व पावंडा में पानी एकत्रित रखने की भी सलाह दी ताकि आगजनी के समय उसे उपयोग में लिया जा सके। जेई राम रतन ने बताया कि उपभोक्ता बिजली संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या के लिए 1912 नम्बर पर सम्पर्क कर सकता है। उन्होंने किसानों को फायर ब्रिगेड के नम्बर भी अपने पास रखने की सलाह दी ताकि किसी भी अनहोने के समय तुरंत प्रभाव से सूचना देकर समस्या का समाधान किया जा सके।




हेरिटेज स्कूल के विद्यार्थी निशांत ने एमबीबीएस में सफलता प्राप्त की
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कनीना। कनीना उपमंडल में स्थित हेरिटेज पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल मोहनपुर के विद्यार्थी निशांत पुत्र कैलाश शर्मा ने एमबीबीएस में सफलता प्राप्त की है। इस खुशी के अवसर पर विद्यालय प्रांगण में बच्चों तथा अध्यापक गणों में खुशी का उत्साह उमड़ा हुआ है। अध्यापक गण एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाइयां दे रहे हैं।
विद्यालय के चेयरमैन ओमप्रकाश शर्मा ने निशांत को शुभ आशीर्वाद दिया और भविष्य में सदैव प्रगति पथ पर रहने के लिए प्रेरित किया। निशांत ने अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा ओम प्रकाश शर्मा माता सुमन शर्मा पिता कैलाश शर्मा तथा अपने अध्यापक गणों को दिया है। निशांत ने इस सफलता के पीछे उनके अध्यापक गणों की मेहनत उनके दादा, माता पिता का आशीर्वाद जिन्होंने सदैव प्रगति पथ पर रहने के लिए प्रेरित किया और हर कठिन समय में उनकी सहायता की मुश्किलों को कैसे लडऩा है। इन सभी तथ्यों के बारे में प्रेरित किया जिनसे आज उन्होंने अपनी इस सफलता को हासिल किया है। अंत में विद्यालय के चेयरमैन ओमप्रकाश शर्मा ने निशांत को शुभ आशीर्वाद दिया और सभी अध्यापक गणों का धन्यवाद किया इस उपलक्ष्य पर सीईओ कैलाश शर्मा मनीष कुमार डायरेक्टर खुशीराम शर्मा प्रधानाचार्य कृष्ण सिंह पीआरओ भुवनेश तेजपाल डीपी सुदेश कुमार सुरेंद्र कुमार तथा सभी समस्त अध्यापक गण उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: प्रशांत शर्मा के एमबीबीएस में चयन होने पर खुशी मनाते शिक्षक।





बिजली के  तारों से फसल को बचाएं-गोमली
अग्रि शमन के नंबर हमेशा रखे याद
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,कनीना। बिजली विभाग कनीना ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वो अपनी कटी हुई फसलों को बिजली की तारों के नीचे एकत्रित न करें क्योंकि कई बार तेज हवाओं के चलने व तारों पर पक्षियों के बैठने से तार आपस में मिल जाते हैं जिससे चिंगारियां निकलती है। इन चिंगारियों से फसलों का  जल जाने से नुकसान होने की संभावना ज्यादा रहती है।
बिजली विभाग कनीना के 132 केवी उपकेंद्र के जेई रामरत्न गोमली ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वो खेतों में अपनी कटी हुई सरसों, गेहूं व अन्य किस्म की फसलों को वहां से गुजरने वाली तारों के नीचे एकत्रित ना करें। उन्होंने कहा कि तारों के नीचे फसलों के रखने से उनमें नुकसान होने का अंदेशा बना रहता है। कई कारणों से तारों में  चिंगारियां निकलती है। इन चिंगारियों के कटी हुई फसलों  पर गिर जाने से फसलों के जल जाने का खतरा रहता है जिससेे किसानों को नुकसान हो सकता है। इसलिए किसान अपनी कटी हुई फसलों को ऐतिहात बरतते हुए तारों से दूर रखें। ताकि फसलों को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो।
  उन्होंने कहा कि ट्रांसफार्मर के आस पास कटी हुई फसल न लगाये, अग्रि शमन के नंबर हमेशा लिखकर रखे, खेल, पाउंडा तथा बड़ी पानी की टंकी आदि खेत में पानी से भरकर रखे, पुलिस को सूचित करने तथा बिजली विभाग की सहायता के लिए अपने पास फोन नंबर तथा फोन साथ रखे।






 2 कोरोना मरीज ही एक्टिव
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कनीना । सिविल सर्जन डा.अशोक कुमार ने बताया कि जिला महेंद्रगढ़ में आज कोई भी नया कोरोना वायरस संक्रमित केस नहीं आया। अब जिला में कोरोना पॉजिटिव की कुल संख्या 24750 है। उन्होंने बताया कि आज 4 कोरोना संक्रमित मरीज को डिस्चार्ज किया गया है। अभी तक जिले में कुल 24584 कोरोना संक्रमित मरीज ठीक हो चुके हैं। अब तक जिला में 164 कोरोना संक्रमित मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। कोरोना के 2 केस अभी भी एक्टिव हैं। जिले में 19 मार्च तक 249663 नागरिकों की स्क्रीनिंग की गई है। इनमें से 115122 मरीजों में सामान्य बीमारी पाई गई है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के लिए अब तक जिले से 545452 सैंपल भेजे गए हैं। इनमें से 1184 सैंपल की रिपोर्ट आनी शेष है।





कीमती बन गए हैं धांसे एवं पदाड़ी
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कनीना। सरसों की फसल काटने के तुरंत बाद किसान अपने खेत के धांसों को उखाड़ रहे हैं। ईंधन का विकल्प होने के कारण मांग बढ़ गई है। वहीं पदाड़ी भी बिकती है।
  खेतों से किसान जब सरसों फसल की कटाई करते हैं तो कटाई के तुरंत बाद ही खेत से धांसों को उखाड़ लेते हैं। किसानों का कहन है कि एक जमाना था जब धांसों की मांग न के बराबर होती थी। अब महंगाई के युग में ईंधन का विकल्प धांसे बन गए हैं। किसान सरसों की कटाई के तुरंत बाद ही धांसों को उखाड़ लेते हैं।
  धांसों की मांग इस कद्र बढ़ी है कि जिन किसी के पास धांसे नहीं है वे दूसरे किसानों के खेतों से धांसे उखाड़ रहे हैं। गृहणि शकुंत, राधा, आशा ने बताया कि धांसे तेजी से जलते हैं और कहने को धांसे हैं किंतु वे ईंधन के रूप में बेहतर काम नहीं करते। मजबूरी के चलते उन्हें ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
रबी फसल बतौर दक्षिण हरियाणा में उगाई जाने वाली सरसों फसल पैदावार लेने के बाद सरसों के दानों को ढकने वाली बेकार मानी जाने वाली पदाड़ी अब बहुत उपयोगी पदार्थ बन गयी है। यह पदाड़ी अपनी चार अवस्थाओं से होकर गुजर रही है। पहली अवस्था में तो किसान इस पदाड़ी को खेतों में पटक देते थे और यहां तक कि उसे खेत में जलाकर राख कर देते थे। कोई उस पदाड़ी का ग्राहक नहीं होता था। कुछ पशु खा जाते थे या फिर कभी कभार उपले बनाने में काम में लिया जाता था। दूसरी अवस्था में इसकी कीमत आंकी जाने लगी। कुछ लोग इस पदाड़ी को मुफ्त में उठाकर घरों में काम में लेने लगे विशेषकर गरीब तबके के लोग पशुचारे के रूप में काम में लेते थे। तत्पश्चात इस पदाड़ी की थोड़ी बहुत कीमत दी जाने का दौर आया। दूर दराज से लोग अपने गन्ने से गुड़ बनाने या ईंट भ_ा मालिक इसे ईंट पकाने में काम में लेने लगे। वर्तमान युग में पदाड़ी को भारी दामों पर बेचा जाता हैं। कुछ लोग तो पदाड़ी का धंधा ही करने लग गए हैं।
  किसानों के लिए पदाड़ी तो अब कीमती पदार्थ बनता जा रहा है।  भाड़भूजे मूंगफली व पदार्थों की सिकाई करने में काम में ले रहे हैं। उधर गुड बनाने वाले कुछ लोग दूर दराज से आते हैं और पदाड़ी को खरीदकर ले जाने लगे हैं। हालात यह बन गई है कि लोग पदाड़ी के बदले फसल की कटाई का काम भी करने लगे हैं। किसानों को इसका और भी कुछ मोल मिलने के आसार हैं।
     सरसों के अलावा धांसे एवं पदाड़ी की मांग भी दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। किसान धांसों के बदले सरसों की कटाई करवाने के अलावा पदाड़ी को महंगे दामों पर बेच रहे हैं। खेत से धांसे पहले काटे जा रहे हैं और बाद में सरसों की पैदावार ले रहे हैं।
 विगत वर्षों से गुड़ बनाने वालों को रुझान पदाड़ी की ओर बढ़ गया है और ऐसे में पदाड़ी काफी आय का सौदा बनती जा रही है। सरसों के धांसों की मांग भी दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। वर्तमान में नौबत यह बन गई है कि किसान अपनी सरसों फसल की कटाई धांसों के बदले करवाने लगे हैं। पदाड़ी के बदले कभी सरसों को थ्रेसर मशीन से निकलवाने का काम करते थे किंतु अब पदाड़ी को बेचने का काम करने लगे हैं और पदाड़ी कीमती बनती जा रही है। किसान राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, अजीत कुमार, कृष्ण कुमार ने बताया कि गेहूं के मुकाबले सरसों की मांग अधिक होने के कारण किसानों का रुझान ही सरसों उगाने की ओर बढ़ता जा रहा है।
फोटो कैप्शन 1: खेत में इकट्ठे





किए धांसे।




मच्छरों की हुई भरमार,
-2018 से मलेरिया का कोई केस नहीं
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कनीना। कनीना क्षेत्र में ज्यों ज्यों सरसों की लावणी हो रही है तथा गर्मी बढऩे लगी है त्यों त्यों मच्छर बढ़ते जा रहे हैं। घरों में मक्खी एवं मच्छर बढऩे से परेशानी होने लगी है। पंखों एवं कूलरों को साफ करके चलने योग्य बनाया जा रहा है। यद्यपि कनीना उप नागरिक अस्पताल के तहत मलेरिया का 2018 से कोई केस नहीं आया है जिसके पीछे जागरूकता बढ़ाना एक कारण माना जाता है। कनीना के सुनील कुमार एमपीएचडब्ल्यू इस क्षेत्र में अहं भूमिका निभाते हैं। और घर घर जाकर मलेरिया, मच्छरों के बारे में जागरूक करते हैं। यही कारण है कि मलेरिया का कोई केस गत वर्षों से नहीं आया है। लोगों का कहना है कि मच्छर एवं मक्खी अभी से ही जीना हराम कर रहे हैं। भविष्य में इनकी संख्या अधिक हो जाएगी।
क्या रही है मलेरिया की स्थिति-
 मलेरिया अधिकारी कार्यभारी शीशराम ने बताया कि मलेरिया समूल नष्टकरने का टारगेट 2025 रखा हुआ है जिसको लेकर के मलेरिया से संबंधित जागरूकता उत्पन्न की जा रही है। उन्होंने बताया कि कनीना क्षेत्र में 2015 में 7 केस मलेरिया के थे, 2016 में 2 केस जबकि 2017 में एक केस मलेरिया का था। 2017 के बाद आज तक कोई भी केस मलेरिया का नहीं आ रहा है।
जागरूकता ने बचाया है मलेरिया से-
 हेल्थ इंस्पेक्टर शीशराम ने बताया कि मलेरिया को खत्म करने में सबसे बड़ी जागरूकता आई है। लोग भी जागरूक हो गए हैं वहीं जागरूक किया भी जा रहा है। जगह जगह जहां पानी जमा होता है, वहां के लोगों को तथा आम ग्रामीण सभी को घर-घर जाकर सूचित किया जा रहा है और मलेरिया से बचने की सावधानियां बताई जा रही है। वहीं मच्छरों से बचने के भी कुछ तरीके ओडोमास, मच्छरदानी तथा अन्य साधन प्रयोग लोग स्वयं अपना रहे हैं जसके चलते मलेरिया के केस नहीं आ रहे हैं। धीरे-धीरे मलेरिया समाप्त होता जा रहा है। आने वाले समय में मलेरिया खत्म हो सकता है और टारगेट पूरा हो सकता है।

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