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Monday, March 7, 2022


रंगों के त्योहार से विमुख हो रहे हैं जन
-होली का पर्व 18 मार्च को
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कनीना। रंगों के त्योहार होली पर अनेकों प्रकार के रंगों और गुलालों से होली का लुत्फ लिया जाता है वहीं होलिका दहन से पूर्व ग्रामीण अचल में अनेकों प्रकार के खेल खेले जाते रहे हैं जिन्हें होली के खेल कहा जाता है। अब तो धीरे-धीरे होली के खेल लुप्त होने लगे हैं। होली अब रंगों का प्यार भरा पर्व न होकर दुश्मनी साधने का एक तरीका बन गया है। अब करीब 80 फीसदी लोग रंगों के इस पर्व को नहीं खेलना चाहते हैं।
 एक जमाना था जब रंगों के त्योहार को प्यार और सौहार्द से मनाया जाता था और आंखों व मुंह में रंग आदि नहीं डाला जाता था किंतु अब तो या तो मुंह को काले तेल से लेपकर सरेआम मुंह काला कर दिया जाता हे या फिर मुंह में गंदे रंग भरकर दुश्मनी साधी जाती है। अब तो ग्रामीण अंचलों में भी कीचड़ में इंसान को पटककर होली खेली जाती है। यही कारण है कि होली के प्रति वो लगाव नहीं रहा है और सभ्यजन तो होली से कोसों दूर रहना चाहता है। होली से पूर्व कई दिनों तक चलने वाले होली के खेल भी अब समाप्त होते जा रहे हैं। युवा वर्ग अब होली के खेल न खेलकर दुश्मनी के खेल खेलने में अधिक रुचि लेता है।
   होली के खेल अगर इस मौके पर खेले जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिजली अभाव के कारण होली खेलने वालों को चोर समझ कर पीट दिया जाएगा। यही कारण है कि होली के खेल लुप्त प्राय हो चले हैं। एक वक्त था जब होली का डांडा गाड़ा जाता था उसी वक्त से ही होली के खेल शुरू कर दिए जाते थे। मस्तानों की टोलियां जहां होली के खेल खेलती थी वहीं डांडे के चारों ओर भारी मात्रा में ईंधन डालकर होलिका दहन के लिए तैयार करते थे। अब तो हालात यह बन गई है कि होली पर ईंधन डालने वालों की ही कमी नजर आती है।
  एक जमाना था जब होली के खेलों को चांदनी रातों में लुक्का छिपी के रूप में खेला जाता था। गलियों में रातभर भागदौड़ मची रहती थी। घरों में औरतें और बच्चे होली के खेल खेलते थे और गीत गाकर होली आगमन की सूचना देते थे। अब गांवों में होली खेलने वालों का लगभग अकाल ही पड़ गया है। रंजिश के चलते कोई भी माता पिता अपने बच्चों को घर से बाहर नहीं जाने देता। यदि युवा वर्ग होली खेलने निकलेगा तो वो दिन दूर नहीं है जब आपस में भारी मार पिटाई शुरू न कर देंगे। ऐसे में अब होली के खेल समाप्त होने को हैं। अब न तो सौहार्दपूर्ण वातावरण ही रहा है और न ही होली के खेल रहे हैं। आने वाले समय में होली का पर्व महज एक औपचारिकता बनकर रह जाएंगे।
  होली के प्रति जो लगाव था वो अब लुप्तप्राय हो रहा है। कीचड़ में पटककर होली खेलने या फिर मुंह पर कालिख पोत देने से लोगों का रुझान कम हुआ है। युवा पीढ़ी तो रंगों पर पैसा न खर्च करके तवा की कालिख को ही या फिर गंडासे के तेल को ही रंग के रूप में प्रयोग करते हैं। कीचड़ को रंग मानते हुए एक दूसरे के मुंह पर मल देते हैं जो होली के प्रति घृणा पैदा करता है।




मेडिकल कैंप का आयोजन किया गया
-70 विद्यार्थियों ने लिया भाग
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कनीना। हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद के तहत समावेशी शिक्षा के अंतर्गत सरकारी अस्पताल नारनौल में कनीना खंड में अध्ययनरत दिव्यांग बच्चों हेतु मेडिकल कैंप का आयोजन किया गया।
 विशेष शिक्षक अमृत सिंह ने बताया कि इस कैंप में कनीना खंड से 70 बच्चों ने हिस्सा लिया। बच्चों की चिकित्सीय जांच और एलिम्को द्वारा सहायक शिक्षण सामग्री के लिए बच्चों को चयनित किया गया और बच्चों के मेडिकल सर्टिफिकेट बनाई गई। इस अवसर पर एपीसी विक्रम, अमृत सिंह विशेष शिक्षक, विनोद कुमार विशेष शिक्षक, सरिता विशेष शिक्षक ने विशेष भूमिका निभाई तथा कनीना स्थित संसाधन कक्ष के ब्लॉक रिसोर्स का-ऑर्डिनेटर तथा विद्यालय प्राचार्य सतपाल कनीना ने इन विशेष शिक्षकों को द्वारा यह कैंप सफल बनाने के लिए मार्गदर्शन किया।
फोटो कैप्शन 4: मेडिकल कैप में उपस्थित अधिकारी।


ओमप्रकाश कौशिक बने बीइओ कार्यालय में पदोन्नत, बने सहायक
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कनीना। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खेड़ी तलवाना में कार्यरत ओमप्रकाश कौशिक लिपिक पदोन्नति के बाद सहायक बन गए हैं तथा उनकी पदोन्नति के बाद नियुक्ति खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय कनीना में हुई है।
 आज खंड शिक्षा अधिकारी राज सिंह यादव ने उन्हें कार्यभार ग्रहण करवाया। इस अवसर पर खेड़ी तलवाना के प्राचार्य सत्यवीर यादव वरिष्ठ प्रवक्ता विजय पाल, हसला के ब्लॉक संरक्षक नरेश कौशिक, सुरेंद्र सिंह प्रवक्ता जयपाल यादव प्रवक्ता राजकुमार यादव मिडिलहेड पड़तल,हेडमास्टर नरेश शर्मा टूमना, ईश्वर सिंह सहायक, पंकज कुमार लिपिक यशवीर सिंह लिपिक मोहनपुर,जसवंत सिंह लिपिक सेहलंग, जगदेव सिंह मिडिल हेड प्रकाश ठेकेदार सहित खंड कार्यालय  का समस्त  स्टाफ उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि ओमप्रकाश गत 17 वर्ष से राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खेड़ी तलवाना में बतौर लिपिक कार्य कर रहे थे। इससे पूर्व उन्होंने महेंद्रगढ़ खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भी बतौर लिपिक कार्य किया था।
फटो कैप्शन 5: ओमप्रकाश कौशिक को बीइओ कार्यालय में कार्यभार ग्रहण करवाते हुए।




हवाई फायर करने वालों के विरुद्ध मामला दर्ज
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 कनीना। कनीना उपमंडल के गांव सुंदरह निवासी मनोज कुमार ने 3 लोगों के विरुद्ध घर में आकर दो हवाई फायर करने, जान से मारने की धमकी देने, चल रहे केस वापस लेने की धमकी देने का मामला दर्ज किया है।
 मनोज कुमार ने दौंगड़ा अहीर पुलिस को बताया कि रविवार की सुबह तीन चार लड़के जिन पर पहले भी केस दर्ज है, घर पर आए जिनमें प्रवीन, बिंटू, जीपीएस उर्फ सोनू आए और दो हवाई फायर किये, जान से मारने की धमकी दी वहीं चल रहे केस वापस वापस लेने की भी धमकी दी है। उन्होंने उनके विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है। दौंगड़ा अहीर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।





गर्मी आते ही घड़ों की ओर रुझान बढ़ा
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 कनीना। यूं तो गर्मी आने पर फ्रिज का लोग जमकर उपयोग करते हैं किंतु बुजुर्ग एवं ग्रामीण लोगों का रुझान आज भी घड़ों की ओर है। यद्यपि घड़े बनाने में घंटों का समय लगता है किंतु इनमें पानी स्वास्थ्य अनुकूल माना जाता है। यही कारण है कि बीमारियों से और फ्रीज से छुटकारा पाने के लिए आज भी लोग घड़ों का पानी प्रयोग करते हैं।
घड़ा बनाने वाले महिपाल सिंह,दिनेश कुमार ने बताया कि आज के दिन कनीना एवं आस पास क्षेत्रों की माटी से घड़े नहीं बनाए जाते बल्कि माटी भी नांगल चौधरी, भिवानी तथा दूर दराज गांवों से खरीदकर लानी पड़ती है जिससे घड़े बनाए जाते और उन्हें सूखाकर, पकाया जाता है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में आवे(घड़े पकाने की भट्ठी) पाई जाती है। घड़े ही नहीं अपितु समय-समय पर दीपक, सुराही, छोटी मटकी तथा अनेक अन्य मिट्टी के उपकरण तैयार किए जाते हैं जिन्हें भट्ठी में पकाया जाता है। घड़ों की कीमत दिनों दिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान में एक घड़ा 100-125 रुपये का मिलता है। उधर घड़े का पानी पीने वाले राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, कृष्ण कुमार, सत्यराज
आदि ने बताया कि उनके वक्त कभी फ्रीज नहीं होते थे। महज घड़ों का ही पानी ठंडा रहता था जिसे पीकर लंबे समय तक स्वस्थ रहते थे। आज घड़ों की बजाय फ्रीज, कुल्फी, आइसक्रीम आदि पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। कोरोना महामारी के कारण फ्रीज एवं ठंडे खाने पसंद नहीं किये गये किंतु इस साल फिर से फिर से कोरोना प्रभाव घटने से लोग पहले से ही फ्रिज की ओर आकर्षित होने लगे हैं।
डॉ वेद, डा अजीत कुमार आदि ने बताया कि घड़ों का पानी स्वास्थ्य के लिए ज्यादा उचित रहता है। फ्रिज का पानी पीना नुकसानदायक है, ऐसे में उनका कहना है कि घड़ों का पानी ही पीना चाहिए और आने वाले समय में फिर से घड़ों की मांग होगी। वर्तमान में घड़े बनाने वाले त्वरित गति से घड़े बना रहे हैं। घड़ों के अतिरिक्त छोटे-छोटे घड़े, सुराही, मटकी, पौधे उगाने वाले गमले आदि भी बनाए जाते हैं।
फोटो कैप्शन 01: छोटी मटकी बनाते हुए कम्हार जाति के लोग।




भोरी चोखा की मांग बढ़ रही है ग्रामीण क्षेत्रों में गोरी चोखा की
-फास्ट फूड का विकल्प है बाटी चोखा
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 कनीना। कभी हरियाणा में दाल चूरमा, दही खिचड़ी, राजस्थान में दाल बाटी आदि प्रसिद्ध देसी खान-पान होता था और वर्तमान में भी प्रचलन है वहीं उत्तर प्रदेश का भोरी चोखा  आमजन की आकर्षण का कारण बन रहा है। सबसे बड़ी बात है कि यह फास्ट फूड में नहीं आता जिसके कारण फास्ट फूड खाने वाले भोरी चोखा  खाकर फास्ट फूड जैसा आनंद ले सकते हैं। भोरी चोखा उत्तर प्रदेश के बहुत से इलाकों में नाश्ते के समय, रात्रि भोजन के समय जमकर खाया जाता है।  बिहार में लोग लिट्टी चोखा/ बाटी चोखा भी कहते हैं।
उत्तर प्रदेश में तो गली-गली गांव-गांव भोरी चोखा की स्टार लगती है किंतु अब हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में भी भोरी चोखा  लोग बड़े चाव से खाने लगे हैं । परंतु भोरी चोखा बनाने वाले घंटों मेहनत करने के बाद और चोखा तैयार करते हैं।
भोरी चोखा  बनाने वाले सुरजीत ने बताया कि वो पहले उपलों के अंगारे बनाते हैं।
इस आग में भोरी तैयार की जाती है। भोरी चने के आटे की गेंदनुमा आकृति होती है जिसमें प्याज, अजवाइन, नींबू का रस, स्वाद अनुसार नमक आदि अनेक पदार्थ मिलाकर सुलगती आग में फेंका जाता है और ध्यान दिया जाता है कि ये जलने न पाएं। जब यह अच्छी प्रकार पक जाते हैं तो इनको में एक छेद करके देसी घी डाला जाता है और भोरी तैयार हो जाता है। वही चोखा तैयार करने के लिए हरी मिर्च, हरा धनिया, भुना हुआ आलू, भुना हुआ बैंगन आदि को नमक डालकर तैयार किया जाता है और भोरी के संग खाया जाता है तो बड़ा आनंद आता है।
 भोरी चोखा खाने वाले  राजेश, अमीशा, आशा यादव आदि ने बताया कि भोरी चोखा खाने का मजा ही निराला है। फास्ट फूड की जगह यह बहुत प्रसिद्ध होता जा रहा है।
दिनोंदिन अब रुझान भंवरी चोखा की ओर बढ़ रहा है वहीं चोखा बेचने वाले ने सुरजीत बताया कि वे प्रतिदिन एक हजार रुपये तक कमा लेते हैं और परिवार का गुजर-बसर अच्छी प्रकार हो जाता है। उनका कहना है कि फास्ट फूड सेहत के लिए नुकसानदायक है लेकिन भोरी चोखा खाने से सेहत को नुकसान नहीं होता अपितु कच्ची सब्जियां खाने से शरीर की पाचन क्षमता बढ़ती है।
वनस्पतिशास्त्री डा होशियार सिंह यादव का कहना है कि भोरी चोखा सेहत के लिए लाभप्रद है। जहां भूख भी शांत होती है वहीं कच्ची सब्जियां अधिक होने के कारण स्वास्थ्य बना रह सकता है। फोटो कैप्शन दो व तीन: भोरी चोखा तैयार करता सुरजीत।





विजयपाल यादव हरियाणा राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के चुने गये निदेशक
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कनीना। हरियाणा राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के निदेशक के चुनाव रविवार को रेवाड़ी से विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कार्यालय में संपन्न हुए। संपन्न चुनाव में कनीना निवासी विजयपाल चेयरमैन निदेशक महेंद्रगढ़ जिला निर्वाचित घोषित किए गए। पीठासीन अधिकारी सोमनाथ चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि बैंक की राज्यस्तरीय इकाई के निदेशक पद हेतु संपन्न चुनाव में महेंद्रगढ़ जिला से विजयपाल यादव, रेवाड़ी जिला से जसवंत सिंह प्रत्याशी थे। इस चुनाव में विजय पाल यादव विजयी रहे। वे सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक महेंद्रगढ़ के निदेशक वर्ष 2007 से चले आ रहे हैं। उनका आज कस्बा कनीना में विजय जुलूस निकाला।
 उल्लेखनीय है कि विजयपाल इससे पूर्व भी महेंद्रगढ़ जिला सहकारी कृषि विकास बैंक के चेयरमैन रह चुके हैं और फिलहाल जिला के निदेशक पद पर भी हैं। विजयपाल के निर्वाचित घोषित होने पर नांगल चौधरी की विधायक अभय सिंह यादव ने फोन पर उन्हें बधाई देते हुए उम्मीद जाहिर की कि उनके मार्गदर्शन में प्रदेश का यह अग्रणी बैंक पुन: बुलंदियों को प्राप्त कर सकेगा। इस अवसर पर नरेश यादव मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेवाड़ी, संजय यादव मुख्य कार्यकारी अधिकारी नारनौल, सुनील यादव चेयरमैन भूमि विकास बैंक जिला महेंद्रगढ़, सतीश कुमार लुखी निदेशक  रेवाड़ी, भूपेंद्र सिंह उपप्रधान नारनौल, सुनील कुमार भूमि मूल्यांकन अधिकारी, राजेंद्र सिंह निदेशक, कंवर सिंह प्रधान सहकारी बैंक महेंद्रगढ़ ने भी बधाई दी। इस मौके पर मुकेश नंबरदार, अशोक चेयरमैन, राजकुमार कनीनवाल, सूबे अभय सिंह, कृष्णप्रकाश, रतन लाल, पृथ्वी सिंह बोहरा, सवाई सिंह आदि ने घर पहुंचकर बधाई दी।
फोटो कैप्शन 5/6 तथा 7: चुनाव में विजय होने पर कनीना शहर में विजय यात्रा निकलते हुए।




फुटबॉल संघ के जिला







अध्यक्ष ने ली बैठक बैठक में लोगों को दिए दिशा निर्देश
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव खेड़ी तलवाना में जिला फुटबॉल संघ महेंद्रगढ़ की एक बैठक सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता ओम् तंवर ने की जो कि महेंद्रगढ़ जिले के कार्यकारी अध्यक्ष और हरियाणा फुटबॉल एसोसिएशन के मेंबर हैं।
 जिला संघ के अध्यक्ष परीक्षित भारद्वाज ने बताया गया कि हरियाणा फुटबॉल एसोसिएशन द्वारा  सीनियर स्टेट चैंपियनशिप (लड़कों) का आयोजन गांव बादली में किया जा रहा है जो कि 10 मार्च से 13 मार्च 2022 को होनी है। इस खेल महोत्सव में पूरे प्रदेश के सभी जिलों के खिलाड़ी भाग ले रहे हैं हर जिले की एक टीम इसमें हिस्सा लेगी और दो अन्य टीमें जो कि एक हरियाणा पुलिस और एक बिजली बोर्ड की टीम भी इसमें अपना दम खम दिखाएगी। जिला फुटबॉल संघ के सचिव मनदीप सिंह खेड़ी ने बताया कि जो जिले की टीम का चयन होना है वह 9 मार्च को सुबह नौ बजे नेताजी मेमोरियल क्लब कनीना के खेल ग्राउंड में पारदर्शिता के आधार पर होगा। जिले के सभी खिलाड़ी व क्लब की टीम भी हिस्सा ले सकती है उनमें से ही जिले की टीम के खिलाडिय़ों का चयन किया जाएगा, जो खिलाड़ी अपने खेल का अच्छा प्रदर्शन करेंगे उसी खिलाड़ी का चयन किया जाएगा चयन कर्ता फुटबॉल संघ के व्यक्ति और पुराने खिलाड़ी व प्रशिक्षित कोचों के द्वारा किया जाएगा। चयन प्रक्रिया बिल्कुल पारदर्शिता के हिसाब से होगी हर खिलाड़ी अपना जिला फुटबॉल संघ में रजिस्ट्रेशन जरूर करा ले जिसने पहले से करा रखा है वह भी और जो नए खिलाड़ी हैं वह भी इस प्रक्रिगया से जरूर गुजरना होगा। सभी खिलाड़ी अपना अपना किट लेकर आए बिना पूर्ण किट के ग्राउंड में एंट्री नहीं दी जाएगी। सभी खिलाड़ी खेल को खेल की भावना से खेलें और सभ्यता का परिचय दें और अनुशासन में रहकर अपने खेल का प्रदर्शन करें। सभी खिलाड़ी अपना आधार कार्ड और दो फोटो साथ जरूर लाएं। हरियाणा फुटबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष सूरजपाल अम्मू के नेतृत्व में हरियाणा फुटबॉल को दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की  मिल रही है इन्होंने हरियाणा फुटबॉल को चार चांद लगाने का काम किया है अम्मू  के नेतृत्व में फुटबॉल हरियाणा ने बहुत  ग्रोथ किया है सभी खिलाडिय़ों की भावनाओं को समझते हुए ग्रामीण क्षेत्र से प्रतिभाओं को आगे लाने का काम किया है और जहां फुटबॉल बिल्कुल नहीं था वहां भी फुटबॉल खेल को चमकाने का काम किया है। सभी खिलाडिय़ों के  भावनाओं को समझते हुए सही फैसले लिए जाते हैं तथा नेशनल के जाने वाली टीम का चयन भी इसी चैंपियनशिप के द्वारा ही किया जाएगा और वह भी पूर्ण रूप से पारदर्शिता के साथ किया जाएगा। इस मौके पर कैप्टन ओमपाल सिंह, सूबेदार तेजपाल सिंह, एक्स चेयरमैन धूम सिंह, एमएनसी के प्रधान विजय, सतपाल साहब, कमल पार्षद, क्लब के सचिव सबेसिंह उप प्रधान देवेंद्र सिंह राजकुमार कोच साहब विक्रम कोच मोनू कोच मौजूद रहे।


जिला में अब कोरोना पॉजिटिव की कुल संख्या 24719
आज 7 मरीज ठीक होने के बाद डिस्चार्ज
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कनीना। सिविल सर्जन डा.अशोक कुमार ने बताया कि जिला महेंद्रगढ़ में आज 5 नए कोरोना वायरस संक्रमित केस आए हैं। अब जिला में कोरोना पॉजिटिव की कुल संख्या 24719 हो गई है। उन्होंने बताया कि आज 7 कोरोना संक्रमित मरीज को डिस्चार्ज किया गया है। अभी तक जिले में कुल 24535 कोरोना संक्रमित मरीज ठीक हो चुके हैं। अब तक जिला में 164 कोरोना संक्रमित मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। कोरोना के 20 केस अभी भी एक्टिव हैं। जिले में 7 मार्च तक 249169 नागरिकों की स्क्रीनिंग की गई है। इनमें से 114973 मरीजों में सामान्य बीमारी पाई गई है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के लिए अब तक जिले से 536780 सैंपल भेजे गए हैं। इनमें से 1236 सैंपल की रिपोर्ट आनी शेष है।



कोरोना संक्रमितों की सूची: 


1. गांधी कॉलोनी नारनौल- 1

2.  पाली-1

3. माजरा कला-1

4.  टहला-1

5. कांवी-1


संत शिरोमणि बाबा मोलड नाथ की डी जे भ

जनों की वीडियो शूटिंग पूरी.
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  कनीना । कनीना धाम के सरताज बाबा मोलड नाथ के दो नए डी जे भजनों की  वीडियो शूटिंग पूरी की गई। इन भजनों को गाया है लक्की साँवरिया और  सविता चौधरी ने ,इनका संगीत एलए म्यूजिक स्टूडियो ने दिया है। कनीना के संगीतकार  लियाकत-राज ने, इन भजनों को लिखा है बहुत ही मशहूर लेखक सुरेश मान मंदोला ने । इन भजनों में अभिनय किया है  शिव कुमार कौशिक, सोनिया शर्मा,संदीप राठी राधा राठी, यादराम यादव ,सत्य प्रकाश मास्टर  , डा होशियार सिंह, मोलड़नाथ मंदिर कमेठी के सभी सदस्य, और आदि कलाकारों ने । इन सब को अपने कैमरे में शूट करने वाले कलाकार विक्की शर्मा हैं। सभी कलाकारों ने पूरे मन और श्रद्धा के साथ इन भजनों को बनाया है।  ये भजन आप सभी भक्तों को यूट्यूब कथा देव भक्ति आराधना पर सुनने को मिलेंगे।  
उल्लेखनीय है कि लकी अली पहले भी बाबा मोलडनाथ पर आरती ऑडियो निकाल चुके हैं। बाबा मोलडनाथ मेला 14 मार्च को भरने जा रहा है।

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