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Sunday, April 3, 2022

 
मोटे अन्न की खेती भूले किसान
-चना और जौ का रकबा 20 हेक्टेयर से अधिक नहीं
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 कनीना। किसान जौ एवं चने की खेती करना भूलते जा रहे हैं। गर्मियों के मौसम में जौ की रोटी, राबड़ी तथा धानी आदि बनाकर प्राकृतिक ठंडक प्राप्त करते हैं। अब न तो जौ की खेती होती और न राबड़ी एवं धानी। इसी प्रकार भूने हुये, टाट, छोल्ला, होला, चटनी, कुट्टी का जायका खत्म हो चुका है।  
  1986-87 तक कनीना क्षेत्र की करीब 33 हजार हेक्टेयर भूमि हजारों एकड़ में जौ की खेती तो हजारो हेक्टेयर पर चने की खेती की जाती थी। वैसे तो जौ न केवल पूजा आदि बल्कि हवन आदि में भी काम आता है। जब नवरात्रे चलते हैं तो जौ की विशेष मांग होती है। गेहूं-चना एवं जौ -चने की मिश्रित खेती की जाती थी। 1982 में स्ंिप्रकलर फव्वारा आया जिसके चलते चने की खेती घटती जा रही है और वर्तमान में तो चना अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
जौ---
जौ को भी मोटे अन्न में शामिल किया है जो गंगा में डालने, पूजा अर्चना,हवन आदि में काम आता है वहीं पैदावार 40 मण प्रति हेक्टेयर तथा भाव 1500 रुपये क्विंटल तक होता है।   होली के पर्व पर जहां जौ को भूनकर पूरा परिवार चखता है और तत्पश्चात ही लावणी की शुरुआत होती आ रही है। एक जमाना था जब हर घर में जौ की खेती की जाती थी जिसे पूरी गर्मी आनंद से रोटी एवं अन्य रूपों में प्रयोग किया जाता था।  जौ की रोटी खाने के लिए या फिर धानी बनवाने के लिए दूसरे क्षेत्रों से जौ खरीदकर लाते हैं।
  जौ की रोटी प्रचलन था जो सेहत के लिए अति लाभकारी मानी जाती थी। राबड़ी चाव से खाते हैं वहीं जौ का प्रयोग बीयर आदि बनाने में लेते हैं। शरीर में ठंडक के लिए राबड़ी को गर्मियों में खाते हैं किंतु अब राबड़ी की बजाय चाय पर आ पहुंचा है।
 डा देवराज कृषि विस्तार अधिकारी का कहना है कि प्रतिवर्ष 50 हेक्टेयर से अधिक जौ नहीं उगाया जाता है।
चना-
तीन दशक पूर्व कनीना क्षेत्र में चने की पैदावार सर्वाधिक होती थी जो अब 10 हेक्टेयर से कम रह गई है। किसी एक या दो क्यारी में किसान चना उगाते हैं। दालों भावों में तेजी आ रही है। विगत 2014 में महज तीस हेक्टेयर में चना उगाया था। वर्ष 2015 में 52 हेक्टेयर पर चने की बीजाई की गई थी। 2015 से 2018 तक भी चने की महज 70 से 80 हेक्टेयर बिजाई की गई थी जो अब 10 हेक्टेयर पर सीमट कर रह गया है।
 कभी विवाह शादी में अवश्य लड्डू बनाए जाते थे किंतु अब जब किसी के शादी होती है तो लड्डू के लिए चने दूर दराज से लाने पड़ते हैं। पूर्व उप जिला शिक्षा अधिकारी रामानंद यादव आज भी चना उगाते हैं। वर्तमान में कुओं द्वारा सिंचाई की जाती है जो चने के लिए प्रतिकूल है। चना बहुत कम पानी में ही पैदावार देता है।
 बुजुर्ग राम सिंह, दुलीचंद, धनपती का कहना है कि कभी इस क्षेत्र में चने की खेती की जाती थी तो चने की सब्जी, चने की रोटी, मेसी रोटी, हरे चने की चटनी, खाटा का साग, कढ़ी, परांठे व कई अन्य सब्जियों में डालकर जायका लिया जाता था। जब तक चना सूख न जाता था तब तक चने को खाते रहते थे। यद्यपि चने का भाव बेहतर है किंतु पैदावार नहीं होती है किंतु जौ अब भी पैदावार अच्छी दे सकता है किंतु भाव अच्छे नहीं है जिसके चलते मांग घटती जा रही है। अब तो जौ चने का स्थान सरसों एवं गेहूं ने ले लिया है। यदि चने की पैदावार घटती गई तो मेसी रोटी, लड्डू संकट में पड़ जाएंगे। कनीना क्षेत्र में चना अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।




फल सब्जियों ने बदला व्रत करने वालों का हाल
-रेट लिस्ट गायब है, मनमाना पैसा रहे हैं वसूल
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कनीना। कनीना क्षेत्र में नवरात्रों पर फल एवं सब्जी रिकार्ड महंगाई पर पहुंच गई है। नवरात्रे आते ही भाव बढ़ा दिये हैं वहीं सब्जी एवं फल विक्रेता मनमर्जी भाव ले रहे हैं। किसी भी सब्जी एवं फल विक्रेता ने कोई रेट लिस्ट नहीं लगा रखी है। ऐसे में व्रत करने वाले बेहद परेशान हो गये हैं।
फल और सब्जियों पर नजर डालें तो पता चलता है कि-
 फल एवं सब्जियों के दाम दोगुने हो गये हैं। कोरोना काल में तो आलम यह था कि कोई खरीददार नहीं मिल रहा था और अब आसमान छू रही हैं।
क्या कहती व्रत करने वालीगृहणियां .....
गृहणी शकुंतला, नीलम, आशा आदि ने बताया कि सब्जियां खाना कठिन हो गया है। इसलिए दाल या कढ़ी, खाटा का साग आदि घरेलू सब्जियां बनाकर खाई जा रही है। जहां टमाटर की जगह कचरी प्रयोग कर रहे हैं वही करौंदा भी काम काम में ले रहे हैं। नींबू से भी काम चलाया जा रहा है। क्षेत्र में कढ़ी और खाटा का साग बहुत प्रचलित है। फल खरीदने वाले सूबे सिंह, इंद्रजीत, महेश कुमार, कुलदीप सिंह आदि ने बताया कि फलों के भाव आसमान छू रहे। इसलिए अधिक नहीं, बहुत कम फल खाकर कर गुजारा कर रहे हैं या फिर फल नहीं भी खरीदते। जब भी फल सब्जियां सस्ते होंगे फिर से खरीदने लग जाएंगे।
क्या कहते दुकानदार....
 दुकानदार रमेश, दिनेश, मुकेश आदि ने बताया कि उन्हें थोक में महंगे दामों पर सब्जियां मिल रही हैं। यही कारण है कि वह मजबूरन वे महंगे दामों पर सब्जियां बेच रहे हैं। उधर फल विक्रेता शिव कुमार ने बताया कि फल महंगे मिल रहे हैं। कोरोना काल में तो फल भी लोगों ने खाने बंद कर दिए थे और यहां तक की सब्जियां भी बाजार में सडऩे लग गई थी। नवरात्रे आते ही अचानक उछाल आ गया है।
क्या कहते हैं जिला बागवानी अधिकारी-
 जिला बागवानी अधिकारी डा मनदीप यादव ने बताया कि इन दिनों जहां रबी और खरीफ दोनों के बीच फसलों के बीच की अवस्था होती है। इसलिए फल सब्जियां कम हो जाती है और यह महंगे दामों पर बिकती है। अब खरीफ फसल बतौर सब्जियां आने पर फिर से दाम घट जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस हर वर्ष दस मौसम में भाव बढ़ते हैं।





जीआर  स्कूल में आयोजित हुआ अंतर विद्यालय स्केटिंग प्रतियोगिता का आयोजन
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कनीना। जीआर इंटरनेशनल स्कूल कनीना में अंतर विद्यालय स्केटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
प्राचार्य दीपक वशिष्ठ  ने बताया कि इस प्रतियोगिता में विभिन्न विद्यालयों से आए हुए 250 विद्यार्थियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में जीआर स्कूल ने प्रथम स्थान, यूरो इंटरनेशनल स्कूल द्वितीय और एचपीएस स्कूल ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य दीपक वशिष्ठ ने सभी विजेता विद्यार्थियों को मेडल देकर प्रोत्साहित किया।
फोटो कैप्शन 01: जीआर स्कूल कनीना में अंतर स्केटिंग प्रतियोगिता में विजेता खिलाड़ी साथ में स्टाफ।



 3126 विद्यार्थियों ने दी चेयरमैन स्कालरशिप परीक्षा
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 कनीना। यदुवंशी शिक्षा निकेतन कनीना में रविवार को चेयरमैन स्कालरशिप प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया गया जिसमें कक्षा नर्सरी से आठवीं तक विभिन्न कक्षाओं के तहत 3126 विद्यार्थियों को विशेष रूप से भाग लिया। पूरे क्षेत्र की प्रतिभाओं ने भाग लेकर परीक्षा को सफल बनाया। अभिभावकों ने विद्यालय के प्रति आस्था जताते परीक्षा दिलवाई।
 विद्यालय प्राचार्य योगेंद्र यादव ने बताया कि सभी विद्यार्थियों ने निष्ठा के साथ की छात्रवृत्ति परीक्षा दी। छात्रवृत्ति परीक्षा में प्राप्त प्रतिशतता के आधार पर उनको फीस में छूट मिलेगी। निदेशक विजय सिंह यादव विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने पर उन्हें शुभकामनाएं दी तथा अपने उद्बोधन में कहा कि यह परीक्षा उन सभी विद्यार्थियों को लाभान्वित करेगी जो अपनी अपनी कक्षाओं में मेधावी रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह जरूरी हो गया है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में अध्यापक अभिभावक एवं विद्यालय का सामंजस्य अर्थात त्रिकोणीय सामंजस्यता की भूमिका होती है। इस प्रतियोगी दौर में अभिभावक का जागरूक होना नितांत आवश्यक है। वाइस चेयरमैन एडवोकेट करण सिंह यादव ,चेयरपर्सन संगीता यादव ने कहा कि छात्रवृत्ति परीक्षा का आयोजन एक अच्छी प्रक्रिया है जिसमें विद्यार्थी लाभान्वित होकर शिक्षा द्वारा एक सर्वोत्तम मुकाम हासिल कर सकते हैं। यदुवंशी ग्रुप के चेयरमैन राव बहादुर सिंह ने अभिभावकों के विद्यालय प्रांगण पहुंचने पर स्वागत किया। उन्होंने संदेश में कहा कि वास्तव में बच्चे ही राष्ट्र निर्माता हैं। इनकी सफलता के लिए यदुवंशी शिक्षण संस्थान समय-समय पर स्कूलों की स्थापना कर शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर नए आयाम स्थापित करता रहा है। विद्यार्थी समय-समय पर चेयरमैन स्कालरशिप, कल्पना चावला, भीमराव अंबेडकर आदि परीक्षा के माध्यम से नीट, आइआइटी,क्लैट, सिविल सर्विसेज,सीए,एनडीए आदि विभिन्न पदों पर चयनित होकर अपना नाम रोशन करते हैं। उन्होंने कहा कि वे छात्रों के लिए शिक्षा हितार्थ अभिभावकों के साथ खड़े हैं।
 फोटो कैप्शन दो: स्कालरशिप परीक्षा देते यदुवंशी शिक्षा निकेतन कनीना में विद्यार्थी।





अब रात के समय किसानों को मिला करेगी बिजली
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 कनीना। मंडल अधिकारी बिजली बोर्ड का निर्णय मनोज वशिष्ठ एवं 132 केवी सब-स्टेशन कनीना पावर हाउस में कार्यरत राम रतन जेई ने संयुक्त रूप से कहा है कि किसानों की मांग पर कनीना पावर हाउस से चलने वाले सभी कृषि फीडर रात के समय 10:01 बजे से सुबह 5:01 बजे तक चलेंगे। एक घंटा पानी की सप्लाई शाम 6:01 से 7:01 बजे दी जाएगी। उन्होंने बताया कि किसानों की फसल पककर तैयार है। हवा से चिंगारी का खतरा बना रहता है।  उन्होंने खेतों में पानी व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है ताकि आपातकाल में काटकर डाली गई फसल को सुरक्षित रखा जा सके।




हवन यज्ञ से पड़तल स्कूल में  नए सत्र की शुरुआत
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कनीना। राजकीय मिडिल स्कूल पड़तल में आज हिंदू नूतन वर्ष के शुभारंभ पर स्कूल सत्र की शुरुआत हवन यज्ञ साथ की गई। संस्था के मुखिया राजकुमार राव व उनकी पत्नी लाजवंती देवी यजमान के रूप में उपस्थित रहे। हवन पंडित प्रवीन शास्त्री ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ संपन्न करवाया।
इस अवसर पर विनय  यादव सुपरिटेंडेंट विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। इस बार विभाग द्वारा डिजिटल क्लासरूम तैयार किया गया है, जो नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा। हवन यज्ञ में अरविंद , हंसराज, राजेश कुमार ,सतेंद्र शास्त्री, राजीव पीटीआई, सतीश कुमार, ब्रह्मानंद खिच्ची, बाल कुमार, अंजू बाला,सुनील कुमार ,राजेश कुमार,हवा सिंह, बीर सिंह, सुमन देवी, सुशीला सहित एसएमसी सदस्य व बच्चे उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 05: पड़तल में हवन यज्ञ करते शिक्षक।

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