पुलिस ने नशीले पदार्थ बेचने के मामले में दो आरोपितों को किया गिरफ्तार
--900 मिलीग्राम स्मैक बरामद
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कनीना की आवाज। थाना सदर कनीना की पुलिस टीम ने नशीले पदार्थ बेचने वालों पर कार्रवाई करते हुए दो युवकों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपितों के पास से 900 मिलग्राम स्मैक बरामद की है। आरोपित राकेश और लाखन भोजावास के रहने वाले हैं। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ थाना सदर कनीना में एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस द्वारा आरोपितों से पूछताछ की जा रही है।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि थाना सदर कनीना की पुलिस टीम गश्त के दौरान पड़तल बस अड्डा पर मौजूद थी, उसी समय टीम को सूचना मिली कि भोजावास निवासी राकेश और लाखन बाइक से गांव भोजावास में स्मैक सप्लाई करते हैं और बस अड्डा भोजावास से पड़तल की तरफ स्मैक सप्लाई करने के लिए आयेंगे। अगर तुरंत नाकाबंदी की जाए तो आरोपितों को नशीले पदार्थ के साथ पकड़ा जा सकता है। सूचना के आधार पर पुलिस ने तुरंत भोजावास गांव के नजदीक नाकाबंदी कर चेकिंग शुरू कर दी, कुछ समय बाद बाइक पर दो युवक आते हुए दिखाई दिए, जिन्हें रुकवाकर नाम पता पूछने पर उन्होंने अपने नाम राकेश और लाखन उपरोक्त बतलाए। बाइक की तलाशी लेने पर बैग से बरामद माचिस की डिब्बी से 7 पुडिय़ा में स्मैक बरामद हुई, जिनका वजन करने पर 900 मिलीग्राम ग्राम स्मैक बरामद हुई। आरोपितों से बरामद स्मैक को जब्त कर लिया गया और आरोपितों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया।
फोटो कैप्शन 7: गिरफ्तार दो आरोपित।
सोमवती अमावस्या 20 को
-इस दिन करनी चाहिए पूजा एवं दान- सुरेंद्र शर्मा
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कनीना की आवाज। वैसे तो एक कहावत है- पांडवों के जीवन में कभी सोमवती अमावस्या नहीं आई लेकिन कनीना क्षेत्र में 20 फरवरी को सोमवती अमावस्या का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव के साथ पार्वती एवं पीपल वृक्ष की पूजा करती है। इस दिन वट वृक्ष एवं पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। लंबी उम्र की कामना हेतु व्रत किया जाता है जिस प्रकार एक पीपल के पेड़ के नीचे सवित्रि ने जहां अपने पति के प्राणों को बचाया था उसी प्रकार महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना को लेकर व्रत करती आ रही है। इस दिन लोग गंगा, कुरुक्षेत्र नगरी, ढोसी आदि पर स्नान करते हैं सोमवती अमावस्या का दिन विशेष महत्व रखता है।।
उधर सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि सोमवती अमावस्या वर्ष में एक या दो बारी आती है क्योंकि पीपल में सभी देवता निवास करते हैं इसलिए पीपल की पूजा की जाती है। इस दिन का इंतजार महाभारत के पांडवों ने लंबे समय तक किया था। सुरेंद्र जोशी ने बताया क्या अमावस्या सोमवार को दोपहर 12:36 तक रहेगी। यह दिन बहुत शुभ होता है। पितरों की लिए तर्पण भी करना चाहिए।
फोटो कैप्शन: सुरेंद्र शर्मा
रतिराम पूर्व सरपंच को बनाया कनीना ब्लाक कांग्रेस कार्डिनेटर
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कनीना की आवाज। कांग्रेस पार्टी की तरफ से प्रदेश में लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए ब्लॉक स्तर पर कार्डिनेटरों की नियुक्ति की गई है। जिसमें कनीना ब्लॉक कार्डिनेटर के रूप में नांगल चौधरी के मोसमपुर निवासी पूर्व सरपंच रतिराम को चुना गया है। जो क्षेत्र में सक्रिय होकर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ लोगों को पार्टी से जोडऩे का कार्य करेंगे। पूर्व सरपंच रतिराम ने भी कनीना ब्लॉक का कार्डिनेटर नियुक्त किए जाने पर पार्टी के उच्च पदाधिकारियों दीपेंद्र हुड्डा एवं राव दान सिंह का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी की तरफ से उन्हें जो जिम्मेवारी सौंपी गई है उसे वे पूरी ईमानदारी के साथ निभाएंगे। वही प्रदेश कॉर्डिनेटर सज्जन सिंह बोहरा,आरआरसीएम ग्रुप के चेयरमैन रोशनलाल यादव, किसान सेल के राष्ट्रीय सचिव श्रीभगवान गोतम, सुमेर सिंह चेयरमैन ने पूर्व सरंपच रतिराम को कनीना ब्लॉक का कार्डिनेटर नियुक्त किए जाने पर बधाई दी।
फोटो कैप्शन: पूर्व सरपंच रतिराम
किसान केंचुआ खाद से पैदा करने लगे खेती
-30 हजार किसानों में से महज 12 किसान जुटे हैं जलवायु सखी योजना में
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कनीना की आवाज। किसानों का परंपरागत खाद एवं उर्वरकों से मन ऊबने लगा है। पर्यावरण को बचाने के लिए तथा स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए वर्मी कंपोस्टिंग (केंचुआ खाद) की ओर रुझान बढऩे लगा है। कनीना खंड कृषि अधिकारी कार्यालय के तहत 50 गांवों में करीब 30 हजार किसान हैं तथा वर्तमान में 29 हजार हेक्टेयर पर फसल उगा रहे हैं किंतु महज एक दर्जन किसान ही वर्मी कंपोस्ट खाद से सब्जी एवं फसल उगा रहे हैैं।
लगातार खेतों में विभिन्न प्रकार के उर्वरक एवं रासायनिक पदार्थ डालकर सब्जी एवं अन्न पर्यावरण एवं सेहत बिगाड़ रहा है। जागरूक किसान वर्मी कंपोस्ट की ओर बढऩे लगे हैं।
कनीना खंड के यूं तो कई किसान केंचुआ खाद तैयार करने लगे हैं जिनमें गांव करीरा के महाबीर सिंह, ढ़ाणा के अजीत कुमार, कनीना के राजेंद्र सिंह व सूबे सिंह, मोड़ी के गजराज सिंह तथा भोजावास की गौशाला एवं कई अन्य किसान वर्मी कंपोस्ट की ओर बढे थे किंतु अब रुझान कम हो गया। लगातार कीटनाशक एवं उर्वरकों के प्रयोग से कैंसर जैसी बीमारी घर करने लगी है। इनके दुष्प्रभावों से बचने के लिए केंचुआ खाद प्रयोग करने लगे हैं।
जलवायु सखी के तहत दस किसान-
किसानों का रुझान वर्मी कंपोस्ट से खेती की ओर बढ़ाने के लिए एनजीओ जलवायु सखी ऐंड पावर्टी ने दस महिला किसानों को कांता मोड़ी, रेखा मोड़ी, निशा मोड़ी, सुनील देवी, दीपिका, सविता भोजावास, स्नेहलता, रविना, शर्मिला एवं उषा गोमला को प्रोत्साहित कर वर्मी कंपोस्ट तैयार कर कृषि करने के लिए जागरूक किया है। दूसरे चरण में 30 अन्य किसानों को शामिल किया गया है।
कौन हैं शामिल प्रोजेक्ट में-
इस प्रोजेक्ट में सुभम प्रजापति प्रोजेक्ट मैनेजर, पवित्रा एवं दीपक क्लस्टर कोर्डिनेटर हैं जो किसानों को विभिन्न प्रकार से केंचुआ पालने व उनका खाद प्रयोग करने पर बल दे रहे हैं।
पवित्रा क्लस्टर कार्डिनेटर ने बताया कि प्रथम चरण के दस किसानों को वर्मी कंपोस्टिंग, अजोला घास, 50-50 पौधे ग्राफ्टिड फ्रूट प्लांट, ड्रिप सिंचाई संयत्र प्रदान किये हैं तथा जलवायु परिवर्तन विषय को लेकर काम किया जा रहा है। अभी और किसानों को जोड़ा जाएगा।
मनोज कुमार सुंदराह ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट से वे सब्जी उगा रहे हैं जिनके बेहतर भाव आर्गेनिक सब्जी के रूप में मिलते हैं किंतु पैदावार कम होती है। इससे सेहत को लाभ होता है। हर किसान को अपनाना चाहिए।
कांता देवी मोड़ी की किसान ने बताया कि जलवायु परिवर्तन योजना के चलते वे खेती तथा सब्जी केंचुआ खाद से करने लगी हैं। बेशक पैदावार कम हो किंतु अन्न एवं सब्जी का स्वाद निराला होता है।
पूर्व कृषि विशेषज्ञा डा देवराज ने बताया कि सीधे ही वर्मी कंपोस्ट काम नहीं करेगा अपितु हर वर्ष 25 प्रतिशत उर्वरक एवं कीटनाशी कम प्रयोग करते हुए चार-पांच वर्ष बाद खेत में केंचुआ पैदा होगा और आर्गेनिक खेती तैयार होने लगेगी। पैदावार घटेगी जिससे घबराना नहीं चाहिए।
फोटो कैप्शन मनोज सुंदराह, कांता देवी, पवित्रा, डा देवराज।
ताप बढऩे का गेहूं की फसल पर पड़ रहा है बुरा असर
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कनीना की आवाज। क्षेत्र में ताप बढ़ जाने से गेहूं की फसल पर कुप्रभाव पड़ेगा। गेहूं की कटाई अप्रैल के प्रथम सप्ताह से शुरू होने वाले गेहूं को देखकर लगता है कि पैदावार कम होगी। अभी गेहूं की बालियां आ चुकी हैं जिनमें गेहूं का दाना मिल्किंग स्टेज पर है जिसे ठंड की जरूरत होती है।
करीब 20500 हेक्टेयर पर उगाई गई सरसों की फसल पकने के कगार पर है। फरवरी के अंतिम या मार्च के प्रथम सप्ताह में कटाई शुरू होने की संभावना है। सरसों तो जैसे तैसे पक गई है किंतु गेहूं की पैदावार लेने में काफी कठिनाइयां सामने आ रही हैं। किसानों का कहना है कि ताप 30 डिग्री से अधिक हो जाने से गेहूं की फसल इस वर्ष बेहतर वृद्धि नहीं कर पा रही है। दिन में गर्मी अधिक होना होना ही पैदावार कम कारण हो सकते हैं।
किसानों तथा कृषि अधिकारियों से इस संबंध में चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि इस वक्त गेहूं की फसल की सिंचाई की जरूरत है । गत दिनों थोड़ी सी बूंदाबांदी हुई थी किंतु अब किसानों को सिंचाई की जरूरत पड़ रही है। 10 हजार हेक्टेयर पर गेहूं की खेती की गई है।
किसान सूबे सिंह, योगेश कुमार, कृष्ण सिंह, मनोज कुमार आदि ने बताया कि प्रत्येक वर्ष फसल किसी न किसी मौसम की मार झेलकर कम पैदावार वाली बन जाती है। इस बार तेजी से ताप बढऩा नुकसानदायक है।
पूर्व कृषि विशेषज्ञ डा देवराज ने स्वीकार किया है कि मौसम की प्रतिकूलता पैदावार में बाधक बनी हुई है। गेहूं को 35 डिग्री तक ताप सहन करने की क्षमता होती है वरना गेहूं की बालियों में गेहूं नहीं पक पाएगा। उनका कहना है कि सरसों पक चुकी है जिसकी बस लावणी आनी है।
फोटो कैप्शन 6: मौसम की मार झेलती गेहूं की फसल।
चने के हरे पौधे भी दुकानों पर रहे हैं बिक
-होला,चटनी आदि बनाते हैं लोग
-कनीना क्षेत्र में किसी किसान ने भी नहीं उगाया चना
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कनीना की आवाज। किसान जौ एवं चने की खेती करना भूलते जा रहे हैं। गर्मियों के मौसम में चने के भुगड़े बनाते थे और चाव से खाते थे। अब तो चने के हरे पेड़ भी हर सब्जी की दुकान पर बिक रहे हैं।
करीब 30 वर्ष पूर्व जब कनीना क्षेत्र में हजारों एकड़ में जौ एवं चने की खेती की जाती थी। अब वो जौ कहीं दूसरे राज्यों से ही मंगवाएं जा रहे हैं। चने की पैदावार ही नहीं होने से किसानों ने इसकी खेती छोड़ दी है। अब इक्का दुक्का किसान ही अपने खेत में उगाता है।
किसान कृष्ण, रोहित, मनोज, दिनेश, महेंद्र आदि ने बताया कि एक वक्त था जब हर घर में जौ एवं चने की खेती की जाती थी जिसे पूरी गर्मी आनंद से रोटी एवं अन्य रूपों में प्रयोग किया जाता था। अब जमाना लद गया है। जौ-चने की रोटी खाने के लिए या फिर धानी एवं भुगड़ा बनवाने के लिए दूसरे क्षेत्रों से जौ खरीदकर लाते हैं। कनीना क्षेत्र में कोई चना नहीं उगाया है। हरा चना भी राजस्थान से लेकर आते हैं।
हरे चने भी बिकने लगे---
चने की खेती न होने से चने के रहे पेड़ भी बिकने लग गए हैं। चने के पेड़ों पर लगी टाट से हरे चने निकाल कर जहां हरी सब्जियां बनाते हैं वही चटनी आदि के काम में भी लेते हैं। यही कारण है कि हरे चनों की मांग बढ़ती जा रही है और कुछ व्यक्ति विशेष तो हरे चनों से अपनी रोटी रोजी कमा रहे हैं। कुछ लोग तो गाडिय़ां भर कर चने लाते हैं और उन्हें बेचते हैं। मिली जानकारी अनुसार नांगल चौधरी तथा राजस्थान क्षेत्रों से भारी मात्रा में हरे चने लाए जा रहे हैं और यह पौधे युक्त चने बाजार में बेचे जा रहे हैं।
क्या कहते हैं खंड कृषि अधिकारी-
खंड कृषि अधिकारी कनीना का कहना है कि या तो बरानी खेती चने की होती है या फिर मीठे पानी की जरूरत होती है। नहरों के जल से तो चना पैदा किया जा सकता है। क्षेत्र का जल तेलिये होने से चने नहीं हो पा रहे हैं।
फोटो कैप्शन 05 : हरे चनों जो बिकते हैं।
दिल में अपार श्रद्धा लिए खाटू धाम की ओर बढऩे लगे हैं भक्त
-हाथों में लिए हुए हैं निशान
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कनीना की आवाज। दिल में अपार भक्ति और श्रद्धा लिए ग्रामीण क्षेत्रों से भक्त अपने हाथों में निशान लेकर खाटू श्याम धाम की ओर रवाना हो रहे हैं। पैदल, कुछ तो बिना चप्पल, जूतों के महिला और पुरुष आगे बढ़ रहे हैं । उनके दिल में खाटू श्याम के दर्शन करने की है। चाहे उनको कितनी भी दर्द तकलीफ क्यों न हो किंतु उनकी श्याम के दर्शन की इच्छा पूर्ण हो जाती है। रींगस से 17 किलोमीटर दूर खाटू गांव में श्रीकृष्ण के वरदान के चलते खाटू श्याम नाम से पूजे जाने वाले बर्बरीक के दर्शन करने भक्तजन जाते हैं।
कौन हैं बर्बरीक-
बर्बरीक भीम के पौत्र थे जिन्होंने तीन बाणों से महाभारत युद्ध करके विजय प्राप्त करने की ठानी थी। तीन बाण लेकर जब वे युद्ध मैदान में आए थे श्रीकृष्ण ने उनको पहचान लिया और उनसे उनका शीश मांग लिया। शीश देने के कारण बर्बरीक शीश के दानी कहलाए और उनके कटे शीश ने संपूर्ण युद्ध का हाल देखकर सच्चा न्याय किया था जिसके चलते श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि वह उन्हीं के नाम अर्थात श्याम नाम से कलयुग में खाटू श्याम कहलाएंगे। आज भी खाटू श्याम में भारत के बड़े मेलों में से एक मेला यहां भरता है। यही नहीं लोग हजारों की संख्या में लोग जैतपुर धाम में बर्बरीक के दर्शन के लिए भी जाते हैं। जहां 3 मार्च को ही अपार भीड़ वाला मेला लगता है। दोनों ही धाम राजस्थान के हैं। भक्तजन विभिन्न राज्यों से यहां पहुंचते हैं 3 से 4 दिन में तो कुछ 10 दिनों में अपने गांव से पैदल चलकर खाटू श्याम धाम पहुंचते हैं। उनके लिए जगह.जगह शिविर लगाए गए हैं। जहां वे कुछ जलपान ग्रहण कर आगे बढ़ जाते हैं। कनीना -नारनौल मार्ग से बहुत अधिक भक्त खाटू श्याम पहुंचते हैं यही नहीं जैतपुर धाम के लिए कनीना से अटेली मार्ग पर चलते हैं। अन्य मार्गो पर भी भक्त अपने गंतव्य स्थान की ओर रवाना होने लगे हैं।
कनीना कनीना में भी है खाटू श्याम मंदिर- कनीना में 5 वर्ष पुराना खाटू श्याम मंदिर है जहां 3 मार्च को ही भारी भीड़ जुटेगी। 26 फरवरी को यहां से जैतपुर धाम तक निशान यात्रा भी चलेगी।
फोटो कैप्शन 3: निशान ले जाते भक्त।
जीआर स्कूल में द्वितीय चरण की हुई स्कालरशिप परीक्षा
-450 विद्यार्थियों ने दी परीक्षा
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कनीना की आवाज। जीआर इंटरनेशनल स्कूल, कनीना के प्रांगण में रविवार को दूसरे चरण की स्कालरशिप परीक्षा का आयोजन किया गया। इस परीक्षा में उन बच्चों ने भाग लिया जिनका रजीस्ट्रेशन प्रथम चरण में हुआ था और पिछले रविवार को होने वाली स्कॉलरशिप परीक्षा में किसी कारणवश भाग नहीं ले पाए थे। इस परीक्षा में लगभग 430 बच्चों ने भाग लिया। इसमें कक्षा दूसरी से कक्षा ग्यारहवीं तक विद्यार्थियों ने भाग लिया। यह परीक्षा वस्तुनिष्ठ प्रश्नों पर आधारित थी। प्रश्न पत्र प्रत्येक कक्षा के अनुसार तैयार किए गए थे। प्रत्येक प्रश्न पत्र 90 अंक का था। इस परीक्षा में शत प्रतिशत अंक लाने वाले विद्यार्थी को स्कूल प्रबंधन द्वारा निशुल्क शिक्षा दी जाएगी। विद्यालय के संचालक विजयपाल यादव ने बताया कि इस परीक्षा के माध्यम से बच्चों को हम नया आयाम दे रहे है ताकि आगे चलकर वे नया कीर्तिमान हासिल कर सके।
फोटो कैप्शन 4: स्कालरशिप की परीक्षा देते जीआर स्कूल के विद्यार्थी।
दंगल में आखिरी कुश्ती रेशम बाघोत व अजय लखुवास के बीच हुई
-बराबरी पर छूटी कुश्ती
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव बाघोत कुश्ती दंगल का आयोजन किया गया जिसमें मुख्यातिथि सुरेन्द्र कुमार एसडीएम कनीना व वशिष्ठ अतिथि महन्त रोशनपुरी रहे।
आखिरी कुश्ती का हाथ एसडीएम सुरेन्द्र कुमार ने मिलवाया व इनाम सुरेन्द्र कुमार एसडीएम व महन्त रोशनपुरी ने अपने हाथों से प्रदान किया। मेला कमेटी ने 50 रुपये से लेकर 31 हजार तक की लगभग 150 कुश्ती करवाई गई जिसमें 31000 रुपये की आखिरी कुश्ती रेशम पहलवान बाघोत व अजय पहलवान लखुवास के बीच बराबरी पर रही। दूसरी कुश्ती 15 हजार रुपये की कलवा पहलवान दिल्ली व बलजीत पहलवान के बीच बराबरी पर रही जबकि तीसरी कुश्ती 15 हजार रुपये की अनिल पहलवान बाघोत व अक्षय पहलवान के बीच बराबरी पर रही। 15000 रुपये की चौथी कुश्ती सोनू पहलवान बाघोत ने जीती जबकि पाचवीं कुश्ती 11000 रुपये की हरीश बाघोत ने जीती। छटी कुश्ती 11000 रुपये की रवि पहलवान बाघोत व विनय पहलवान खानपुर के बीच बराबरी पर रही।
उधर 5100 रुपये की कुश्ती मन्नू पहलवान सोहन व अली पहलवान बहु के बीच बराबरी पर रही। 3100 रुपये की कुश्ती संदीप पहलवान बाघोत व रोहित पहलवान खानपुर के बीच हुई। इस तरह 2100 रुपये की 10 कुश्तियां व 1100 की 20 कुश्तियां व 500 व 200 की अनेक कुश्तियां हुई जिसमें मुख्य कोच जोगिन्द्र पहलवान रहे व महावीर पहलवान रेलवे कोच,कृष्ण कोच शिवदत्त पहलवान,शिवकुमार पहलवान,राजेन्द्र कोच,महावीर पहलवान फौजी कोच आदि ने कुश्तियों में अपना फैसला दिया। कमेटी के प्रधान राजेन्द्र पहलवान सरपंच ने सभी पहलवानों को इनाम की राशि दी। इस आयोजन में मुख्य रूप से बाघोत गांव की पूरी पंचायत व गण्यमान्य लोग रहे वहीं रामनिवास बंसल सरपंच तलवान, रणधीर पहलवान,सुरेश अत्रि, बलबीर थानेदार लीला जिला पार्षद, महिपाल नम्बरदार पंचायत समिति सहित स्टेज संचालन महावीर पहलवान ने किया।
फोटो कैप्शन 2: 31 हजार रुपये की कुश्ती के लिए पहलवानों के हाथ मिलवाते एसडीएम सुरेंद्र सिंह।
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