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Thursday, December 2, 2021

 
कनीना में गुरुवार को हुई बूंदाबांदी
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 कनीना। कनीना क्षेत्र में गुरुवार शाम को बूंदाबांदी हुई जो कुछ देर चली। इस वक्त सरसों और गेहूं की फसल खेतों में खड़ी है। विगत वर्षों की तुलना में इस बार गेहूं की फसल कम उगाई है जबकि सरसों की फसल विगत वर्ष की तुलना में 900 एकड़ अधिक भूमि पर उगाई गई है। बूंदाबांदी से किसान खुश हैं क्योंकि इस समय गेहूं और सरसों की फसल खेतों में खड़ी है। सरसों के फूल आने लग गए हैं वहीं गेहूं की फसल भी खेतों में दिखाई पड़ रही है। एक ओर जहां ठंड बढ़ी है वहीं बूंदाबांदी भी फसलों को लाभ पहुंचाएगी। कृषि विस्तार अधिकारी डॉ देवराज ने बताया कि बूंदाबांदी सरसों और गेहूं की फसल के लिए बहुत लाभप्रद साबित होगी।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी-
 पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी डा देवराज ने बताया कि बूंदाबांदी से सरसों एवं गेहूं की जड़ों से अवांछनीय लवण हट जाएंगे, पत्तों की सफाई होने से प्रकाश संश£ेषण क्रिया तेज हो जाएगी वहीं पानी की बचत होगी। सरसों की फसल में 40 से 60 दिन बात पानी देना पड़ता है। इस समय सरसों को 40 दिन बीत गये हैं। ऐसे में पानी की पूर्ति हो गई है। उन्होंने बताया कि इससे ठंड बढ़ेगी जिससे फसल को लाभ होगा। सरसों को दस डिग्री से 15 डिग्री ताप की जरूरत होती है।





एक सप्ताह में बाजरे के भाव में 90 रुपये की आई कमी
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 कनीना। यद्यपि सरकार ने किसानों के खाते में 600 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से 10 क्विंटल तक बाजरे की भावांतर भरपाई उनके खातों में डाल दी है और खुली मंडियों में एक सप्ताह पहले बाजरे का भाव 1760 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा था किंतु विगत करीब एक सप्ताह में भावों में 90 रुपये की गिरावट आई हैं।
 विस्तृत जानकारी देते हुए कनीना व्यापार मंडल प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष रविंद्र बंसल ने बताया कि 8 दिनों में 90 रुपये बाजरे के भाव  गिरे हैं। जो बाजरा आठ दिन पहले 1769 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिक रहा था अब उसके भाव में गिरावट आ रही और गुरुवार को बाजरा 1690 रुपये प्रति क्विंटल बिका।  उन्होंने बताया कि मुर्गी फार्म केंद्रों पर बाजरे की मांग घट जाने के कारण भाव में गिरावट आ रही है।
 इस बार सरकार द्वारा सरकारी तौर पर नहीं खरीदी जाने के बाद यह समस्या उत्पन्न हो गई है। किसानों के पास पर्याप्त बाजरा इस समय देखने को मिल रहा है ।





गौशाला में दिया दान और कर्मचारियों को वितरित किये गर्म वस्त्र
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 कनीना। कनीना उप-मंडल के गांव अगियार में श्योनारायण प्रधान ग्राम समाज सेवक अगियार ने अगियार गौशाला में न केवल सभी गौशाला कर्मचारियों को गर्म वस्त्र वितरित किया अपितु गायों के लिए भी दान पुण्य किया।
 श्योनारायण प्रधान ने बताया कि उन्होंने गौशाला के सभी कर्मचारियों को एक ही -एक लोई तथा एक एक स्वेटर दिया है वहीं गायों के लिए 10 कट्टे बिनौला एवं खल तथा 15 कट्टे गुड़ देकर गायों की सेवा की है। इस अवसर पर धर्मपाल डिप्टी रेंजर रिटायर्ड ग्राम रातांकला, हेमंत यादव अटेली, गौशाला प्रबंधक कमेटी के प्रधान कैलाश चंद, सचिव नरेंद्र सिंह, बाबूलाल रोहिल्ला कोषाध्यक्ष आदि उपस्थित थे।
 फोटो कैप्शन 3. गौशाला में दान पुण्य करते हैं प्रधान श्योनारायण।


सड़क मार्ग पुन: निर्मित किए जाने से ग्रामीण प्रसन्न
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 कनीना। कनीना उप-मंडल के गांव करीरा से कनीना तक करीब 3 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग को पुन: निर्मित करने की कार्रवाई शुरू होने से ग्रामीणों ने खुशी जाहिर की है। यह मार्ग जर्जर हो चुका था और लंबे समय से इस मार्ग को ठीक करने की मांग चल रही थी।
      गांव के बालकिशन करीरा, महावीर सिंह करीरा, निरंजन, महिपाल सिंह, ललित कुमार तथा अन्य ग्रामीणों ने बताया कि करीरा गांव में प्राचीन बणी है वहीं इस गांव में जिले का एकमात्र जवाहर नवोदय विद्यालय स्थित है किंतु यहां की सड़क मार्ग जर्जर हो जाने से बेहद परेशानी हो रही थी। बार-बार सड़क मार्ग को पुन: निर्मित किए जाने की मांग चल रही थी। आखिरकार सरकार ने सुध लेते हुए न केवल इस मार्ग को उन्हें निर्मित करना शुरू कर दिया है। यहां तक कि इस मार्ग को चौड़ा किया जा रहा है।  उन्होंने कहा कि  अब आवागमन में सुविधा होगी। उन्होंने खुशी जाहिर की कि सरकार बेहतर कार्य कर रही है जिसके परिणाम स्वरूप परेशानी मिट रही है। सड़क मार्ग पक्का हो जाने से नवोदय विद्यालय में पहुंचने वाले लोग भी प्रसन्न हैं। समय-समय पर अधिकारी इस मार्ग से होकर गुजरते हैं या पुराना मंदिर भी गांव में स्थित है जिसके दर्शन करने लोग जाते हैं।
फोटो कैप्शन 4: करीरा का पुन: निर्मित किया जा रहा सड़क मार्ग।





कांग्रेस ही लगा सकती है प्रदेश की नैया को पार- डा हिम्मत सिंह
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कनीना।  कांग्रेस आने पर ही प्रदेश में विकास संभव है तथा कांग्रेसी प्रदेश को बुलंदियों तक ले जा सकती है। भाजपा तो केवल घोटालों की सरकार बन रही है। ये विचार कांग्रेस के वरिष्ठ युवा नेता एवं प्रदेश प्रवक्ता डॉक्टर हिम्मत यादव ने ने प्रेस के नाम पर जारी विज्ञप्ति में व्यक्त किए।
 उन्होंने जारी विज्ञप्ति में कहा कि वर्तमान भाजपा व जेजेपी प्रदेश के किसानों का न तो बाजरा खरीद रही है और ना ही खाद बीज की कमी को पूरा कर रही है। अगर कर रही है तो केवल नौकरियों में धांधली कर रही है।  ग्रामीण नारकीय जीवन जीने पर मजबूर हो रहे हैं लेकिन सरकार किसी की तरफ ध्यान नहीं दे रही है। प्रदेश सरकार के 3 वर्ष बीत गए हैं 2 वर्ष बाकी है लेकिन प्रदेश सरकार ने आमजन के लिए कोई राहत भरा कार्य नहीं किया है।  उन्होंने यह भी कहा की वर्तमान सरकार इतनी डरी हुई है कि वह ग्राम पंचायतों के चुनाव भी कराने से पीछे हट रही है।


चाइल्ड आर्ट इवेंट 2021 में सफलता प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों का किया सम्मान
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कनीना। आरआरसीएम पब्लिक स्कूल कनीना के छात्रों को चाइल्ड आर्ट इवेंट 2021 की प्रतियोगिता में विद्यार्थियों के विजयी होने पर केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया एवं इस अवसर पर विद्यालय प्रबंधन द्वारा भी छात्रों को पुरस्कृत किया गया।
गौरतलब है कि इस प्रतियोगिता में वरिष्ठ वर्ग में छात्र मन को प्रथम स्थान माध्यमिक वर्ग में छात्रा प्रिया को दूसरा व मिडिल वर्ग में छात्रा समायरा को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ   है। इस अवसर पर संस्था के चेयरमैन रोशनलाल यादव ने बधाई दी है।





लापता युवक को ढूंढने की लगाई गुहार
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कनीना। पिछले दिनों लापता जिला के पोता गांव निवासी युवक हर्षित का पता लगाने में पुलिस द्वारा बरती जा रही सुस्ती व लापरवाही के कारण इलाका के लोगों में भारी रोष व्याप्त है। इस संबंध में प्रजा भलाई संगठन के सुप्रीमो बहुजन समाज पार्टी नेता ठाकुर अतरलाल एडवोकेट ने हरियाणा के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, पुलिस महानिदेशक व जिला पुलिस अधीक्षक नारनौल को ज्ञापन भेजकर तत्काल लापता युवक का पता लगाकर पीडि़त परिवार को राहत प्रदान करने की मांग की।
 पीडि़त परिवार व ग्रामीणों से मिलने के बाद नेता अतरलाल ने मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, पुलिस महानिदेशक व जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र प्रेषित कर उन्हें तलाशने की गुहार लगाई है।




दूसरे दिन भी पड़ा कोहरा
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 कनीना। कनीना क्षेत्र में दो दिनों से हल्की धुंध पड़ रही है तथा ठंड बढ़ गई है।
 बुधवार को धुंध पड़ी थी वहीं गुरुवार को सुबह जल्दी धुंध पड़ती रही जो दोपहर तक चली। दो दिनों से सूर्यदेव के दर्शन दुर्लभ नहीं हुये वहीं हल्की बूंदाबांदी हुई। वैसे तुम नवंबर माह में कोहरा पड़ा था किंतु इस बार कुछ देर से कोहरा पडऩे लगा है। विगत वर्ष नवंबर के दूसरे सप्ताह में धुंध शुरू हो गई थी। विज्ञान के जानकार मानते हैं कि जब धुआं या प्रदूषण बढ़ जाता है और कोहरा पड़ता है तो धूम कोहरा बनता है जो सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक है।


 इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण और आखिरी सूर्य ग्रहण 04 दिसम्बर को










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कनीना। इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण और आखिरी सूर्य ग्रहण शनिवार 04 दिसम्बर को लगने जा रहा है।
 सूर्य ग्रहण से ठीक पन्द्रह दिन पहले 19 नवम्बर कार्तिक पूर्णिमा को  को चन्द्र ग्रहण लगा था ।   पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है, चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक सीध में आ जाते है। कभी  कभी चन्द्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है,  चन्द्रमा सूर्य की कुछ या सारी रोशनी को रोक लेता है जिससे धरती पर अंधेरा फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते है सूर्य ग्रहण सदैव अमावस्या को लगता है।
      यह सूर्य ग्रहण आंशिक रूप से दिखाई देगा ,जिसे वैज्ञानिक भाषा में खण्डग्रास ग्रहण कहते हैं। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। यह सूर्य ग्रहण अमेरिका, आस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका में दिखाई देगा। परन्तु भारत में नहीं देखा जा सकता है। भारतीय समय के अनुसार 11 बजकर 05 मिनट से लेकर सांय 03 बजकर 07 मिनट तक सूर्य ग्रहण रहेगा।  कुछ समय के लिए अन्धेरा हो जायेगा। सूर्य ग्रहण अनलाइन भी देखा जा सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण के समय सूर्य संकट में होता है सूर्य ग्रहण के समय पूजा पाठ करना, खाना पीना, दैनिक कार्य करना मना है परन्तु वैज्ञानिकों के लिए यह एक खगोलीय घटना होने जा रही है और इस के दौरान सभी आवश्यक कार्य किये जा सकते हैं इसका मनुष्य पर कोई प्रभाव नहीं होता है।   सूर्य ग्रहण का कोई अध्यात्मिक महत्व है या नहीं है परन्तु दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए यह अवसर किसी उत्सव से कम नहीं है का वह समय होता है जब ब्रह्माण्ड में अनेकों विलक्षण अद्भुत घटनायें होती हैं। जिनसे वैज्ञानिकों को नये नये तथ्यों पर काम करने का मोका मिलता है।






पशुधन घटा दूध की मांग बढ़ी
-आश्चर्य दूध, पनीर एवं मावा की कमी नहीं
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कनीना। धीरे धीरे पशुधन कम होते जा रहे हैं जबकि गर्मी एवं सर्दी के मौसम में विवाह शादियों एवं आम उपभोक्ता की मांग बढ़ जाती है। बुजुर्ग बताते हैं कि पुराने वक्त में पशुधन ज्यादा होते थे दूध,छाछ, घी खाने को अधिक होता था परंतु अन्न कम होता था।
वर्तमान में उसके उलट हो गया। अनाज अधिक पैदावार होने लग गई किंतु पशुधन रखना ही बंद कर दिया परंतु आश्चर्य तब होता है जब बाजार में सस्ती दर पर मावा, पनीर और दूध उपलब्ध हो जाता है वो भी जितना चाहो मिल जाएगा। दूध जितना चाहिए एक फोन से मिलेगा।
यदि बाजार में तुरंत प्रभाव से कोई दूध, मावा और पनीर लेना चाहे पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सकता है। कुछ दोधिये भी दूध की सप्लाई करते हैं जिनसे मनमर्जी दूध की मात्रा मंगवाई जा सकती है। ये भी मांगे अनुसार दूध प्रदान करने के लिए तैयार हो जाते हैं।  स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़ों अनुसार दूध, पनीर और मावा आदि का लंबे समय से एक भी सैंपल नहीं भरा गया है। ऐसे में इंसान जहरीले पदार्थ खाने को मजबूर हो गया है।
पशुधन पर नजर डालें तो कनीना के पशु चिकित्सक बताते हैं कि कनीना उपमंडल के तहत 8 पशु औषधालय आते हैं और सभी के तहत 9538 गायें 32315 भैंसें,  3498 भेड़, 4945 बकरियां,992 सुअर मिलाकर कुल 51288 पशुधन बनते हैं। गौशाला की गायें भी इनमें शामिल हैं। गाय और भैंस दूध देने वाले प्रमुख प्राणी हैं। महज 30 से 40 प्रतिशत पशु दुधारू हैं। इतने पशुओं से इतना अधिक दूध प्राप्त करना कठिन हो जाता है जो सारी मांगें पूरी कर सके।
वर्तमान में बाजार में दूध का रेट 60 से 70 रुपये लीटर है जबकि कनीना क्षेत्र में अकेले 8 डेयरियां है जिनमें  फेट से दूध लिया जाता है। अधिकांश पशुपालक अपना दूध डेयरियों में बेच रहे हैं जिसके चलते दूध की कमी है। परंतु दोधिये दूध की किसी भी समय कमी नहीं होने देते।
रामू डेरी संचालक ने बताया कि उनकी डेयरी में प्रतिदिन 3.5 क्विंटल के करीब दूध आता है। गर्मियों में गायों का दूध बढ़ जाता है तो सर्दी में भैंस का दूध अधिक होता है। अगर 1 लीटर दूध से पनीर बनाए तो महज 200 ग्राम पनीर बनता है। सुनील कुमार हलवाई ने बताया कि 1 लीटर दूध को फाड़कर 200 ग्राम पनीर बनाया जा सकता है अर्थात 60 का 200 ग्राम पनीर बनता है जिस पर मेहनत अलग हैं परंतु दुकानों पर 50 रुपये का 250 ग्राम पनीर मिल रहा है। विवाह शादियों में भारी मात्रा में पनीर, दूध एवं मावा चाहिए। एक विवाह में एक सौ व्यक्तियों के लिए कम से कम 5 किलो पनीर,चाय के लिए 5 से 10 लीटर दूध, काफी के लिए 30 लीटर दूध चाहिए। ज्योतिषाचार्य सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि सैकड़ों शादियां ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में हो रही हैं। उधर मावा,पनीर एवं दूध को  को अधिक समय तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है। ऐसे में प्रति गांव में कई कई शादियों में आने वाला पनीर और दूध आखिर कहां से आ जाता है?
लोगों की माने तो कहना है कि नकली दूध, पनीर और खोवा उपलब्ध होता है। इसलिए यह सस्ता मिल जाता है जबकि दुकानदार कुछ कहने से छुपाते हैं। प्रशासन द्वारा ठोस कार्रवाई न करने से नकली चीजें बनाने वालों के हौसले बुलंद हैं।





एक दर्जन गांवों से लाया जाता है प्रतिदिन गो-ग्रास
-पांच गाडिय़ां कर रही हैं सेवा
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कनीना। यूं कनीना में श्रीकृष्ण गौशाला की स्थापना 2003 में की थी तथा प्रथम प्रधान सतबीर सिंह बोहरा के नेतृत्व में अहम कदम उठाए गए थे किंतु वर्तमान में श्रीकृष्ण गौशाला में प्रतिदिन पांच विभिन्न गाडिय़ां गो ग्रास लाकर गायों की सेवा कर रही है। गौशाला कनीना में 1900 गौ वंश हैं। प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सभी लोग गायों की सेवा में जुटे हुए हैं। ये विचार श्रीकृष्ण गौशाला कनीना के प्रधान हुकुमचंद आर्य ने व्यक्त किए। उन्होंने बताया की तीन गौशाला की गाडिय़ां तो प्राइवेट गाडिय़ां करीरा, गाहड़ा, सीहोर उन्हाणी, चेलावास, बव्वा,बिसोहा,लूखी, उन्हाणी, भडफ़ एवं कनीना में प्रतिदिन जाती हैं।  डेढ़ वर्ष पूर्व एक ही गाड़ी गो ग्रास के लिए लगाई गई थी।
गौ ग्रास के लिए वर्तमान में 5 गाडिय़ां लगी हुई है जिसमें तीन गाडिय़ां पर प्रतिमाह 12,000 रुपये का तेल खर्च होता है लेकिन प्रतिदिन 35 से 40 माण(एक मण में 40 किलोग्राम) दलिया, आटा, रोटी तथा विभिन्न सामग्री लेकर आती है। यही नहीं सभी गाडिय़ां 750 मण अनाज भी प्रतिमाह इक_ा करके लाती है। लोग गायों के लिए अहं भूमिका निभा रहे हैं।
 उन्होंने बताया कि कनीना गो ग्रास गाड़ी में हेल्पर है बाकी किसी भी गाड़ी में कोई हेल्पर नहीं है। गाड़ी में एक म्यूजिक सिस्टम लगा हुआ है जिसकी आवाज सुनकर लोग अपने अपने घरों में रखी हुई रोटियां तथा अन्य गो-ग्रास गाड़ी में डाल देते हैं। गो ग्रास इक_ा करके सीधा गौशाला पहुंचाया जाता है। दो गाडिय़ों में दानपात्र रखा हुआ है जो दान इक_ा करके भी आती है।
प्रधान हुकुमचंद का कहना है कि हमारे पूर्वज गायों के लिए अलग से रोटी रखते थे जो परंपरा आज भी चली आ रही है। खाना खाने से पहले गो ग्रास रखा जाता है जो गायों की सेवा है तथा  भारतीय सभ्यता और संस्कृति को दर्शाता है। गायों को माता का दर्जा दिया है इसलिए भी गायों की सेवा के कार्य प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीका बेहतरीन माना जाता है।
      उधर कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला की गाड़ी गो-ग्रास लेने के लिए रोजाना गलियों से गुजरती है जिसमें विभिन्न लोग अन्न एवं चारा डाल देते हैं। गाड़ी गो ग्रास को गौशाला ले जाकर गायों की सेवा करती है। क्षेत्र में गायों के लिए यह एक बेहतर पहल है। इस पहल से आम व्यक्ति जागरूक हुआ है और घर से बचा हुआ खाद्य पदार्थ गायों के रख देते हैं। यह गो-ग्रास  दूध न देने वाली गायों के लिए होता है।
फोटो कैप्शन 01: गो-ग्रास की गाड़ी।

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