130 कोरोना रोधी वैक्सीन लगाई जबकि 50 सैंपल लिए
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कनीना। कनीना के उप नागरिक अस्पताल में शनिवार को 130 कोरोना रोधी वैक्सीन दी गई जबकि 50 सैंपल कोरोना की जांच के लिए गए।
विस्तृत जानकारी देते हुए एसएमओ डॉधर्मेंद्र यादव तथा कंप्यूटर आपरेटर पवन कुमार ने बताया कि को-वैक्सीन की 130 डोज विभिन्न आयु के लोगों को प्रथम और द्वितीय डोज के रूप में दी गई हैं।
उधर डा जितेंद्र मोरवाल ने बताया कि प्रतिदिन कोरोना के लिए सैंपल लिए जा रहे। इसी कड़ी में शनिवार को 50 सैंपल कोरोना जांच के लिए, लिये गए हैं।
बारिश की कमी से किसान गया हार, नील गायों से पड़ रही मार
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कनीना। कम बारिश के बाद भी खेतों में बाजरा, ग्वार एवं कपास की फसल खड़ी है। किसानों की नींद नील गायों ने हराम कर दी है। विगत वर्ष की बजाय इस वर्ष बाजरे की अधिक बीजाई हुई है।
यद्यपि क्षेत्र में कम बारिश हुई है किंतु बाजरे की खेतों में फसल खड़ी है वहीं किसानों के सामने नील गायों की परेशानी बढ़ गई है। नील गाय एक झुंड में चलती हैं और पूरी फसल को तहस नहस कर देते हैं। किसान रातभर जागकर खेतों की रखवाली करता आ रहा है। किसान अजीत कुमार कनीना ने बताया कि उनके अमरूद एवं बेरी के पौधों पर लगे सभी पत्तों एवं फलों को नील गायों एवं आवारा जंतुओं ने तबाह कर दिया है।
किसान नील गायों से सुरक्षा के लिए बंदूकधारी फेरीवाले लोगों को निश्चित अन्न की मात्रा या धन देने की शर्त पर रखते हैं जो रातभर खेतों की रखवाली करते हैं किंतु ये अजीब जीव न जाने कब मौका देखकर उनकी फसल को नुकसान पहुंचा जाते हैं।
कृषि अधिकारी का कहना-
खंड कृषि कार्यालय कनीना डा मनोज यादव ने बताया कि इस वर्ष करीब 11 हजार हेक्टेयर पर बाजरे की बीजाई हुई है। हरियाली देखकर नीलगाय फसल को नष्ट कर देते हैं। नील गायों से बचाने के लिए क्लोरोपाइरिफास की दवा को रूई में भरकर खेत के चारों ओर लगा देने से बदबू से ये नील गाय खेत में नहीं घुसेंगे।
सुसज्जित लैब हो ग्रामीण क्षेत्रों में -धर्मपाल
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कनीना। ग्रामीण क्षेत्रों में मिडिल एवं उच्च विद्यालयों को सुसज्जित लैबयुक्त करने की मांग बढ़ रही है। विज्ञान के युग में विज्ञान शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान की प्रयोगशालाओं पर बल देना जरूरी बताया जा रहा है। अभी तक मिडिल स्कूलों में विज्ञान लैब पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है।
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश सचिव धर्मपाल शर्मा ने बताया कि सरकार विज्ञान शिक्षा को बढ़ावा दे रही है किंतु कई राजकीय वरिष्ठ, राजकीय उच्च एवं माध्यमिक स्कूलों में विज्ञान तक के पद समाप्त कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि कनीना के सिहोर, भडफ़, कोटिया, कनीना मंडी आदि स्कूलों से विज्ञान का पद भी स्वीकृत नहीं है जिसके चलते विज्ञान शिक्षण बेहतर ढंग से नहीं चल पा रहा है। यही नहीं अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान की प्रयोगशाला का अभाव होने से भी परेशानी बढ़ रही है। बेरोजगार विज्ञान शिक्षकों की कोई कमी नहीं है।
उधर विज्ञान शिक्षण को प्रयोगशाला के माध्यम से पढ़ाने की जरूरत होती है किंतु अधिकांश राजकीय माध्यमिक एवं उच्च विद्यालयों में विज्ञान प्रयोगशाला तक नहीं है। महज विज्ञान किट से काम चलाया जाता है। ऐसे में विद्यार्थी बगैर विज्ञान के उपकरणों से विज्ञान को बेहतर ढंग से नहीं सीख पा सकते हैं। उन्होंने मांग की है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित माध्यमिक एवं उच्च विद्यालयों में विज्ञान प्रयोगशालाएं जरूर स्थापित की जाए ताकि विज्ञान शिक्षण में रुचि बढ़ सके।
उन्होंने कहा कि विज्ञान शिक्षकों के पद को तकनीकी पद घोषित किया जाए। अभी तक विज्ञान की पुस्तक का नाम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी रख दिया है किंतु विज्ञान शिक्षकों के पद को तकनीकी घोषित करने की मांग को दफन किया जा रहा है। उन्हें प्रायोगिक भत्ता भी दिया जाए।
कनीना के आस पास स्कूलों में शिक्षकों की कमी--
कनीना एवं कनीना के आस पास क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों अध्यापकों की कमी के चलते विद्यार्थी परेशान हैं। विद्यार्थी तथा अभिभावक चिंतित हो चले हैं और प्रशासन से मांग की है कि शिक्षकों की पूर्ति की जाए। कुछ विद्यालयों में तो विज्ञान का पद तक स्वीकृत नहीं है। कहीं गणित का पद है तो वहां विज्ञान का पद स्वीकृत नहीं है। विज्ञान के इस युग में विज्ञान पद तक स्वीकृत नहीं हैं।
उधर दो वर्ष पूर्व कनीना एवं आस पास स्कूलों में जो पद स्वीकृत थे वे अब समाप्त कर देने से सरकारी स्कूलों में भी शिक्षकों की भारी कमी चल रही है। बार बार विद्यार्थी एवं अभिभावक उच्चाधिकारियों से शिक्षकों की कमी पूरी करने की गुहार कर रहे हैं। विगत वर्ष शिक्षकों के भारी संख्या में तबादले तो कर दिए किंतु पद स्वीकृत नहीं किए गए जिसके चलते राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक से लेकर राजकीय माध्यमिक विद्यालय तक शिक्षकों की कमी चल रही है।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सिहोर में विज्ञान का एक भी पद न होने से विद्यार्थी परेशान हैं। दो वर्ष पूर्व यहां विज्ञान का पद स्वीकृत था किंतु इस वर्ष समाप्त कर दिया है। इसी प्रकार राजकीय उच्च विद्यालय उन्हाणी में भी विज्ञान का पद स्वीकृत नहीं है जबकि विगत वर्षों एक पद होता था। राजकीय उच्च विद्यालय भडफ़ की भी यही स्थिति है। यहां भी विज्ञान शिक्षक का एक भी पद स्वीकृत नहीं है। राजकीय माध्यमिक विद्यालय कोटिया में दो वर्ष पूर्व वर्ष विज्ञान का पद स्वीकृत था किंतु इस वर्ष समाप्त कर दिया है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय करीरा में विज्ञान अध्यापक पद स्वीकृत नहीं है। राजकीय वरिष्ठ कन्या माध्यमिक कनीना मंडी में भी विज्ञान पद स्वीकृत नहीं है। कितने ही कनीना के ऐसे अन्य माध्यमिक स्कूल हैं जहां या तो गणित या फिर विज्ञान का पद स्वीकृत नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ स्कूलों में गणित के पद स्वीकृत हैं और रिक्त पड़े हैं। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौंदा में गणित का पद ही रिक्त पड़ा है।
कई समस्याओं से जूझ रहे हैं कनीना के किसान
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कनीना। क्षेत्र के किसान कई समस्याओं से जूझते आ रहे हैं। पैदावार लेने के लिए बिजली, पानी, खाद, गिरते जलस्तर, बीजों की जानकारी अभाव तथा कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कनीना क्षेत्र का किसान यूं तो सदा ही मेहनत के बलबूते पर जीवित रहा है। कठिन परिश्रम करके अपनी आजीविका कमा रहा है। उसकी मुख्य फसलें खरीफ एवं रबी की होती है। खरीफ की फसल वर्षा पर आधारित होती है। पहले ही भू-स्तर गिरता जा रहा है ऊपर से डार्क जोन घोषित होने से नलकूप खोदना आसान नहीं रहा है। वैसे भी नलकूप लगाना लाखों रुपये का खर्चा होता है। यह भी सत्य है कि प्रतिवर्ष उसके बिजली के उपकरण जलने की समस्या रहती है। जैसे तैसे उपकरण ऋण लेकर लगा भी देता है तो पानी की समस्या फिर भी आड़े आ जाती है क्योंकि बिजली कम आती है जिसके चलते पर्याप्त खेतों की सिंचाई नहीं हो पाती है।
इस क्षेत्र में नहरों की संख्या काफी है किंतु या तो उनमें पानी आता ही नहीं या फिर वह पानी पीने के लिए ही सप्लाई होता है। इस पानी को किसान ले नहीं सकते। खादों की कमी विगत वर्ष से अधिक चल रही है। बीज और दवाइयां भी तो अच्छे नहीं मिलते हैं। मिल भी जाते हैं तो अति महंगे होते हैं। किसान रूढि़वादी होने के कारण भी परेशान हैं क्योंकि वे नए बीजों का उपयोग करने की बजाए पूर्व में उपयोग करते आ रहे बीजों का ही उपयोग करना श्रेष्ठ समझते हैं। किसानों के सामने गिरते जलस्तर की समस्या भी तो विकराल बन रही है क्योंकि किसान प्रत्येक वर्ष डीप बोर करवाता है किंतु अगले वर्ष वह जलस्तर भी घट जाता है। ऐसे में दक्षिण हरियाणा का किसान हताश व निराश लगता है। उससे बात करने पर कृषि को घाटे का सौदा बताता है। इन हालातों में उसके लिए फसल पैदावार लेना तलवार की धार पर चलने के समान है।
किसान की बेटी का प्राध्यापिका पद पर चयन
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कनीना। एक किसान परिवार में जन्मी बेटी जिसने पढ़ाई के साथ-साथ खेती के काम में पिता की मदद की और अब उसका चयन प्राध्यापिका पद पर हो गया है। मंजू कुमारी
कनीना के वार्ड चार की निवासी है तथा हरियाणा कर्मचवारी चयन आयोग द्वारा हाल हीं में जारी चयन सूचि में बतौर पीजीटी गणित उनका चयन हो गया है। जिसको लेकर उसके परिवार में खुशी का माहौल है।
ढाणा गांव में विवाहिता मंजू कुमारी के पिता सुमेर सिंह ने दिन रात मेहनत करके बच्चों को अच्छी शिक्षा दी। अपनी पुत्री को एमएससी,एमसीए,बीएड की शिक्षा दिलवाई। इससे पहले सूरज स्कूल महेन्द्रगढ, फिर त्रक्र जीआर स्कूल स्कूल कनीना में शिक्षण कार्य किया है तत्पश्चात उसके आर्मी पब्लिक स्कूल जयपुर मे अध्यापक के पद पर अपनी सेवाएं दी और साथ-साथ सरकारी नौकरी के लिए मेहनत करती रही। मंजू का भाई इंडियन आडिट विभाग में कार्यरत है। मंजू की नियुक्ति पर क्षेत्र के लोगों ने खुशी जताई है।
फोटो कैप्शन: मंजू कुमारी।
बारिश अभाव में फसल सूखने के कगार पर
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कनीना। कनीना क्षेत्र में बारिश की कमी के चलते बाजरे एवं कपास की फसल सूखने के कगार पर पहुंच गई है। महज बारिश के नाम पर बूंदाबांदी होती है। जून माह में बेहतर बारिश हुई थी जिसके बाद तो बारिश की कमी हो चली है। बारिश के लिए वृष्टि यज्ञ किए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कनीना की बावनी नाम से प्रसिद्ध भूमि पर अधिक मात्रा में बाजरे की बीजाई की गई है जबकि ग्वार की कम बीजाई की गई है। यद्यपि मौसम विभाग अधिक बारिश की बात कह रहा है किंतु कम बारिश हुई है और बार-बार फसल सूखने के कगार पर पहुंचने पर ही थोड़ी बूंदाबांदी होती है।
विगत 20 दिनों से कनीना क्षेत्र में भीषण गर्मी पड़ रही थी और बार-बार बारिश का मौसम बन रहा है किंतु बारिश न होने से फसल सूखने के कगार पर पहुंच चुकी है। किसान परेशान नजर आ रहे हैं और इंद्रदेव से बारिश करने की दुआ कर रहे थे। ग्रामीण क्षेत्रों में वृष्टि यज्ञ हो रहे हैं किंतु बारिश नहीं हो रही है।
किसान अजीत कुमार, सूबे सिंह, राजेंद्र कुमार, योगेश कुमार, कृष्ण सिंह ने बताया कि बारिश के अभाव में उनकी ग्वार एवं बाजरे की फसल को नुकसान होगा। ट्यूबवेलों से खेतों की सिंचाई की जा रही है। किसानों ने बताया कि खरीफ की फसल चारे के लिए प्रमुख होती है।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी-
कनीना के कृषि विस्तार अधिकारी डा देवराज यादव का कहना है कि कनीना क्षेत्र में इस बार 11 हजार हेक्टेयर पर बाजरा, 5 हजार हेक्टेयर पर कपास की काश्त की गई है। अभी भी किसान बआजरा उगाने का इंतजार कर रहे हैं। मूंग की फसल उगाने को भी बल मिल रहा है। इस वक्त फसलों को पानी की जरूरत है।
फोटो कैप्शन 4: कनीना क्षेत्र में बाजरे की फसल।
बिजली सप्लाई की जाये बहाल
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कनीना। पिछले सप्ताह आए आंधी तूफान में बिजली के 6-7 पोल टूटने के कारण धनौन्दा, खरकड़ा बास व खेड़ी के गांव के 40-50 किसानों के ट्यूबवेल की बिजली सप्लाई बिल्कुल बंद हो गई है। परिणामस्वरूप किसान फसलों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं तथा कुओं व ढ़ाणियों में रहने वाले किसानों के लिए पेयजल का भी भारी संकट उत्पन्न हो गया है। पशु और मवेशी भी पानी के लिए तरस रहे हैं।
इस सम्बन्ध में प्रजा भलाई संगठन के सुप्रीमो समाजसेवी ठाकुर अतरलाल एडवोकेट ने उपमंडल अधिकारी नागरिक कनीना, उपमंडल अधिकारी विद्युत कनीना, कार्यकारी अभियंता विद्युत महेन्द्रगढ़ तथा जिला उपायुक्त को अलग-अलग ज्ञापन भेजकर किसानों के ट्यूबवेल की बिजली सप्लाई अविलंब चालू करने की मांग की है। इस बारे में जानकारी देते हुए अतरलाल ने बताया कि पीडि़त किसान वेदप्रकाश, तेजपाल सिंह, रोहताश, निहाल सिंह, सरजीत, शिशराम, रामसिंह, पींटू, राजेन्द्र, राजेश, राधेश्याम आदि ने उन्हें बताया कि पिछले लगभग एक सप्ताह से बिजली आपूर्ति न होने के कारण किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सभी जगह बिजली अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं परन्तु समस्या जस की तस बनी हुई है। किसानों ने चेतावनी दी है कि दो दिन के अंदर बिजली के टूटे हुए खंभों को बदलकर तत्काल विद्युत आपूर्ति चालू नहीं की गई तो किसान उपमंडल अधिकारी विद्युत कनीना और कार्यकारी अभियंता विद्युत महेन्द्रगढ़ के कार्यालयों पर धरना प्रदर्शन के लिए मजबूर होंगे।
किसान गलत रजिस्ट्रेशन करवा रहे - शर्मा
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कनीना। किसान मूंग का रजिस्ट्रेशन गलत करवा रहे हैं। उन्हें सभी कागजात लेकर खंड कृषि अधिकारी कार्यालय कनीना आकर रजिस्ट्रेशन करवाना चाहिए।ये विचार खंड कृषि अधिकारी डा गजानंद शर्मा ने व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि यह देखने में आया है कि सीएससी सेंटर वाले पैसे के लालच में किसानों का गलत रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं। पिछले साल जिस किले(जमीन) में बाजरा आन-लाइन मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर किया है सिर्फ उसी किले में मूंग का रजिस्ट्रेशन इस साल कराना है वरना न तो ही चार हजार रुपये का किसान हकदार होगा और न ही मूंग बीज के लिए परमिट मिलेगा। ऐसे में उन्होंने किसानों को कृषि विभाग कनीना में आकर, आधार कार्ड, बैंक पासबुक व सही किला नम्बर बता कर यह काम पूरा करवाने की बात कही। उन्होंने कहा कि अभी तक रजिस्ट्रेशन की अन्तिम तिथि 15 जुलाई है।
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Saturday, July 10, 2021
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