कनीना में हुई 6 एमएम बारिश
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कनीना। कनीना में रविवार शाम को बादल कुछ देर बरसे तथा 6 एमएम बारिश हुई।किसान बेसब्री से अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं। विगत कई दिनों से भीषण गर्मी पड़ रही है। फसल सूखने के कगार पर आ पहुंची थी। बारिश से कुछ राहत मिली है।
छह विभिन्न लोगों के विरुद्ध मार पिटाई का मामला दर्ज
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कनीना। कनीना उपमंडल के गांव चेलावास में एक व्यक्ति के बयान पर गांव के 6 विभिन्न लोगों के विरुद्ध मार पीट का मामला दर्ज किया है। चेलावास निवासी अतर सिंह ने बयान में कहा गया है कि वह घर निर्माण कर रहा था तभी 6 विभिन्न व्यक्ति गाड़ी में सवार होकर मेरे मकान पर आ गए। सभी को देखकर खेतों में काम कर रहा शिकायतकर्ता का भतीजा नरेंद्र भी वहांआ गया।तभी उन लोगों में से एक ने नरेंद्र के बाजू पर कुल्हाड़ी जड़ दी, मौजूद लेबर वह दीपक आदि ने उन्हें छुड़ाया। नरेंद्र को कनीना अस्पताल में भर्ती करवाया जहां से उन्हें महेंद्रगढ़ रेफर कर दिया गया है।
शिकायतकर्ता ने कहा है कि कुछ लोग गाड़ी में सवार होकर शाम को उनके घर आ धमके।
कमरे में बैठे अतर सिंह को लाठी-डंडों से पीटा उन्हें भी कनीना अस्पताल भर्ती कराया। तत्पश्चात उन्हें नारनौल भेज दिया रेफर कर दिया गया। शिकायतकर्ता ने कहा है कि 6 जुलाई को उनकी कोर्ट में एक तारीख थी और घटना भी 6 जुलाई की ही है। प्लाट को लेकर मामला चल रहा है और ये लोगों से मारने की धमकी दे रहे हैं। उनके बयान पर छह विभिन्न लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस जांच में जुटी हुई है।
गाहड़ा के शिव मंदिर में लगा भंडारा श्रद्धालुओं ने ग्रहण किया प्रसाद
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कनीना। उप मण्डल के गांव गाहड़ा में बने शिव मंदिर में रविवार को हवन यज्ञ करने के बाद भंडारा आयोजित किया गया। शिव मंदिर कमेटी के संरक्षक पंडित सुरेश चंद शर्मा ने बताया कि मंदिर में हर वर्ष हवन यज्ञ करके भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें कमेटी के सदस्यों के साथ गांव के सभी लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। सुबह सवेरे पंडितों के द्वारा मंदिर में हवन यज्ञ करके शंकर भगवान की मूर्ति का पूजन करके प्रसाद वितरण का कार्य शुरू किया गया था। जिसमें गांव ही नहीं अपितु आसपास क्षेत्र के लोगों ने भी प्रसाद ग्रहण किया। आचार्य पंडित सत्येंद्र शास्त्री ने बताया कि समय-समय पर हवन यज्ञ का आयोजन करते रहना चाहिए जिससे वायुमंडल शुद्ध होता है। बरसात के समय सभी को पौधारोपण करके उसके जिम्मेवारी भी लेनी चाहिए। इस दौरान कृष्ण ज्ञानी पंच, धर्मवीर बोहरा, बलवान, देशराज, बंटी ठेकेदार, इंद्रवेश, सतीश, मनेंद्र, सुनील, सुधीर सहित अन्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 6: गाहड़ा में प्रसाद ग्रहण करते भक्तजन।
नगर पालिका के सफाई कर्मचारी नालों के पास खड़े झाड़ जनखड़ की सफाई में लगे
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कनीना। नगर पालिका कनीना के कर्मचारी बरसात से पहले नालों के आसपास खड़े झाड़ जनखड़ को उखाडऩे में लग गए हैं। नगर पालिका के प्रधान सतीश जैलदार ने बताया कि बरसात का सीजन शुरू हो गया है इस दौरान कस्बे के नारों के आस-पास बहुत अधिक भारी झाड़ जनखड़ उगा हुआ है। जिसको साफ करने में नगर पालिका के कर्मचारी लगे हुए हैं इस झाड़ जनखड़ की वजह से बरसात के समय पॉलिथीन या और भिन्न प्रकार का कचरा इक_ा हो जाता है। जिसकी वजह से पानी का सही तरीके से निकास नहीं हो पाता। इस वजह से नगर पालिका के कर्मचारी नालों के आसपास झाड़ जनखड़ उखाड़ कर नालों की सफाई करने में लगे हुए हैं।
फोटो कैप्शन 7: झाड़ जनखड़ की सफाई करते पालिका के सफाई कर्मचारी।
ग्रामीण क्षेत्रों का अमृत फल है सांगर
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कनीना। गर्मियोंमें जाटी पेड़ पर सांगर फल लगा हुआ है जो ग्रामीण किसान विभिन्न सब्जियां बनाने में प्रयोग कर रहे हैं। इसे शमी, खेजड़ी आदि नामों से जानते हैं। इसे वैज्ञानिक भाषा में प्रोसोपीस सिनेरेरिया नाम से जाना जाता है जो हरियाणा, राजस्थान के अलावा पूरे विश्व में मिलता है।
हरियाणा के किसानों का चंदन और राजस्थान में खेजड़ी नाम से राज्य पौधा भी जांटी ही है। इसके फल इंसान एवं पशु दोनों के लिए उपयोगी है। तपती जेठ की दुपहरी में तथा जब लू चलती है तो इस पौधे पर लंबी-लंबी हरे रंग की फली लगती हैं जिन्हें सांगर या सांगरी नाम से जाना जाता है। इसके फलों को काटकर सूखी भाजी बनाई जाती है वहीं सांगरी से परांठे कर रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में बुजुर्ग आज भी सांगरी से दो प्रमुख रूप से सब्जियां बनाते हैं जिनमें खाटा का साग तथा कढ़ी नाम से जाना जाता है। कुछ लोग सांगरी से आचार भी बनाते है। इसके फल में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, फाइबर, विटामिन सी के अलावा कई मुख्य एवं गौण तत्व पाए जाते हैं। वहीं इसमें लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, कोबाल्ट, तांबा, क्रोमियम सहित एक दर्जन अन्य तत्व पाए जाते हें। ये खनिज लवण शरीर के लिए अति लाभकारी होते हैं।
ये फल अब घटते जा रहे हैं किंतु बुजुर्ग आज भी इनके दीवाने हैं। ऐसे में खेतों से सांगरी तोड़कर ला रहे हैं।
फोटो कैप्शन 4: सांगर तोड़ते हुए युवक।
जिलेभर नाम कमा रहा है पिंकी यादव का मत्स्य पालन केंद्र
-जिलेभर में महज दो केंद्र स्थापित
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कनीना। कनीना की पिंकी यादव का कम जमीन तथा कम पानी में मछली पालने का केंद्र आरएसी(रिसर्कुलेटरी अक्वा कल्चर) जिले भर में नाम कमा रहा है। जिले भर में इस प्रकार का यह दूसरा केंद्र है। भारत सरकार एवं हरियाणा सरकार की मिली जुली योजना है। करीब 50लाख रुपये की लागत से प्रोजेक्ट तैयार है जिस पर सरकार सामान्य व्यक्ति को 40 फीसदी वही एससी के लिए तथा महिलाओं को 60 फीसदी अनुदान देती है।
कनीना में गाहड़ा रोड पर सत्यवीर सिंह बोहरा के मकान के पास पिंकी यादव ने आधुनिक पद्धति का फार्म स्थापित किया है। कम पानी कम जगह में अधिक उत्पादन लेने के लिए संस्थान जाना जाता है। पिंकी यादव के पति बलदीप यादव ने बताया कि उनका यह संस्थान शुरू हो चुका है। 50 हजार पंगास नामक कैटफिश नामक छोटी-छोटी मछलियां मंगवाई है जो 6 से 8 महीने में तैयार हो जाएगी। दिल्ली में गाजीपुर मार्केट इसके लिए प्रसिद्ध है। करीब एक एकड़ एरिया में उनका यह प्रोजेक्ट 50 लाख रुपये की लागत से शुरू हुआ है। उन्होंने बताया कि नवंबर माह में उनकी हार्वेस्टिंग शुरू हो जाएगी अर्थात मछलियां बिक्री के लिए तैयार हो जाएंगी। इस प्रोजेक्ट में 35 फ़ीसदी तक लाभ होता है। छोटी सी जगह में जहां पानी को बार-बार साफ करके प्रयोग में लाया जाता है। 8 टैंकों में छोटी-छोटी मछलियां पाली गई हैं। प्रत्येक टैंक में करीब एक लाख लीटर तक पानी भरा है जो एक साल तक प्रयोग किया जा सकता है।
क्या कहते हैं जिला मत्स्य अधिकारी-
उधर जिला मत्स्य अधिकारी सोमदत्त ने बताया कि इस संयंत्र पर 36 लाख रुपये लागत तथा 14 लाख रुपये छोटी मछलियां रखने के लिए रखे जाते हैं। ये मछलियां पानी में ऊंचाई तक सांस ले सकती हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली और फरीदाबाद में इनकी मार्केट चलती है। जिला में महेंद्रगढ़ में गादड़वास तथा दूसरा कनीना में ही दो फार्म स्थापित ही है। जिसमें पानी पूरे साल तक प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दस लाख रुपये तक प्रत्येक बैच में किसान कमा सकते हैं। उन्होंने बताया प्रारंभ में कैटफिश पाली जाती हैं और बाद में हाई वैल्यू फिश पाली जाती है जो दूसरा
सोपान होता है। दूसरे सोपान में कोई फिश, सिंघी फिश, देसी मंगूर, पापदा आदि मछलियां पाली जाती है जो किसान के लिए बेहतर आय देती है। इस फार्म में जहां एक बार डाला गया पानी 1 साल तक काम दे सकता है क्योंकि हाई तकनीक के जरिए इस पानी को साफ किया जाता है और फिर से मछलियों के लिए उपलब्ध हो जाता है। बहरहाल पिंकी यादव और उसके परिजन बलदीप तथा कुलदीप नंबरदार खुश है कि कम से कम उन्होंने इस प्रकार का फार्म स्थापित किया है।
फोटो कैप्शन 5: पानी को साफ करने वाला संयंत्र
6 और 7: मत्स्य उत्पादन केंद्र।
मिष्ठान भंडार का किया स्वामी धर्मदेव ने उद्घाटन
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कनीना। रविवार को महामण्लेश्वर महाराज आश्रम हरि मदिर पाटोदी के अध्यक्ष स्वामी धर्मदेव महाराज ने कनीना मे एसबीआई बैक के नजदीक महालक्ष्मी बिकानेर मिष्ठान ,प्रतिष्ठान का रिबन काट कर उद्घाटन किया तथा बिकानेर निवासी सवाई सिह भारद्वाज को बधाइयां व शुभकामनाएं दी।
उन्होंने कहा कि मिष्ठान खाने से मुंह मीठा होता है और मुंह मीठा होने से बाते भी मधुर मधुर की जाती हैं। उन्होंने विभिन्न अवसरों पर मिष्ठान खाने पर बल दिया।
इस अवसर पर रमन शास्त्री एनसीसी अधिकारी,राज धर्मकाटा से राजकुमार, रोशन सेठ पूर्व पार्षद ,उमाकान्त कौशिक, विजय शास्त्री ,प्रियंक शर्मा काफी संख्या में लोगो की उपस्थिति रही इसके बाद महाराज जी राज धर्म कांटे पर चायपान किया व राजकुमार को भी आशीर्वाद दिया।
फोटो कैप्शन 2: महामंडलेश्वर धर्मदेव मिष्ठान भंडार का शुभारंभ करते हुए।
समस्याओं से जूझ रहे हैं कनीना के किसान
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कनीना। क्षेत्र के किसान कई समस्याओं से जूझते आ रहे हैं। पैदावार लेने के लिए बिजली, पानी, खाद, गिरते जलस्तर, बीजों की जानकारी अभाव तथा कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कनीना क्षेत्र का किसान यूं तो सदा ही मेहनत के बलबूते पर जीवित रहा है। कठिन परिश्रम करके अपनी आजीविका कमा रहा है। उसकी मुख्य फसलें खरीफ एवं रबी की होती है। खरीफ की फसल वर्षा पर आधारित होती है। पहले ही भू-स्तर गिरता जा रहा है ऊपर से डार्क जोन घोषित होने से नलकूप खोदना आसान नहीं रहा है। वैसे भी नलकूप लगाना लाखों रुपये का खर्चा होता है। यह भी सत्य है कि प्रतिवर्ष उसके बिजली के उपकरण जलने की समस्या रहती है। जैसे तैसे उपकरण ऋण लेकर लगा भी देता है तो पानी की समस्या फिर भी आड़े आ जाती है क्योंकि बिजली कम आती है जिसके चलते पर्याप्त खेतों की सिंचाई नहीं हो पाती है।
इस क्षेत्र में नहरों की संख्या काफी है किंतु या तो उनमें पानी आता ही नहीं या फिर वह पानी पीने के लिए ही सप्लाई होता है। इस पानी को किसान ले नहीं सकते। खादों की कमी विगत वर्ष से अधिक चल रही है। बीज और दवाइयां भी तो अच्छे नहीं मिलते हैं। मिल भी जाते हैं तो अति महंगे होते हैं। किसान रूढि़वादी होने के कारण भी परेशान हैं क्योंकि वे नए बीजों का उपयोग करने की बजाए पूर्व में उपयोग करते आ रहे बीजों का ही उपयोग करना श्रेष्ठ समझते हैं। किसानों के सामने गिरते जलस्तर की समस्या भी तो विकराल बन रही है क्योंकि किसान प्रत्येक वर्ष डीप बोर करवाता है किंतु अगले वर्ष वह जलस्तर भी घट जाता है। ऐसे में दक्षिण हरियाणा का किसान हताश व निराश लगता है। उससे बात करने पर कृषि को घाटे का सौदा बताता है। इन हालातों में उसके लिए फसल पैदावार लेना तलवार की धार पर चलने के समान है।
बारिश की कमी से किसान गया हार, नील गायों से पड़ रही मार
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कनीना। कम बारिश के बाद भी खेतों में बाजरा, ग्वार एवं कपास की फसल खड़ी है। किसानों की नींद नील गायों ने हराम कर दी है। विगत वर्ष की बजाय इस वर्ष बाजरे की अधिक बीजाई हुई है।
यद्यपि क्षेत्र में कम बारिश हुई है किंतु बाजरे की खेतों में फसल खड़ी है वहीं किसानों के सामने नील गायों की परेशानी बढ़ गई है। नील गाय एक झुंड में चलती हैं और पूरी फसल को तहस नहस कर देते हैं। किसान रातभर जागकर खेतों की रखवाली करता आ रहा है। किसान अजीत कुमार कनीना ने बताया कि उनके अमरूद एवं बेरी के पौधों पर लगे सभी पत्तों एवं फलों को नील गायों एवं आवारा जंतुओं ने तबाह कर दिया है।
किसान नील गायों से सुरक्षा के लिए बंदूकधारी फेरीवाले लोगों को निश्चित अन्न की मात्रा या धन देने की शर्त पर रखते हैं जो रातभर खेतों की रखवाली करते हैं किंतु ये अजीब जीव न जाने कब मौका देखकर उनकी फसल को नुकसान पहुंचा जाते हैं।
कृषि अधिकारी का कहना-
खंड कृषि कार्यालय कनीना डा मनोज यादव ने बताया कि इस वर्ष करीब 11 हजार हेक्टेयर पर बाजरे की बीजाई हुई है। हरियाली देखकर नीलगाय फसल को नष्ट कर देते हैं। नील गायों से बचाने के लिए क्लोरोपाइरिफास की दवा को रूई में भरकर खेत के चारों ओर लगा देने से बदबू से ये नील गाय खेत में नहीं घुसेंगे।
राजेश नेताजी को मातृशोक
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कनीना। कोटिया में कार्यरत राजेश शास्त्री जो नेताजी के नाम से जाने जाते हैं, की माता रामरति(75)का देहांत हो गया। वे रक्तचाप से पीडि़त थी। नेताजी के पिता ज्योति प्रकाश का विगत वर्ष देहांत हो गया था।
पहले ही निधन हो चुका है राजेश अपने माता-पिता की अकेलीसेंतान है तथा जिनके सुधांशु लड़का तथा दो लड़कियां प्रियंका व मोनिका है। रामरति भरा पूरा परिवार छोड़ गई है। उनके निधन पर प्राध्यापक विजयपाल, मनोज कुमार, डॉ जसवंत सिंह, प्राचार्य अशोक पैकन आदि ने शोक जताया।
फोटो कैप्शन: रामरति।
शुभ कार्यों का संकल्प ही यज्ञ है - पुरुषार्थी
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कनीना। शुभ कार्यों का संकल्प एवं समस्त प्राणी मात्र के प्रति कल्याण की भावना ही यज्ञ है । यज्ञ भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है जिसमें आस्था और विश्वास के साथ वैज्ञानिक तथ्यों का सुंदर समन्वय है ।
उक्त विचार प्रसिद्ध भजनोपदेशक रामौतार पुरुषार्थी ने श्रीराम सेवा ट्रस्ट द्वारा गांव गुजरवास में पर्यावरण-संरक्षण एवं कोरोना जागरूकता हेतु आयोजित यज्ञ-हवन कार्यक्रम में व्यक्त किये । यज्ञ-हवन कार्यक्रम में वेदप्रकाश अग्रवाल, रघुबीर सिंह चौहान, रतनलाल स्वामी, सुनील टेलर तथा ओमप्रकाश बाल्मीकि ने सपत्नीक यज्ञमान की भूमिका निभाई । बतौर संचालक श्री पुरुषार्थी ने कहा कि जब तक ऋषि-मुनियों द्वारा यज्ञ-हवन का नियमित रूप से आयोजन होता रहा तब तक समाज व राष्ट्र पूर्णतया स्वस्थ रहे हैं लेकिन जब यज्ञ-हवन की महत्ता कम हुई तो समाज व राष्ट्र महामारी की चपेट में आ गया ।
श्रीराम सेवा ट्रस्ट-प्रधान ओमप्रकाश चौहान ने कहा कि वर्तमान में पर्यावरण-प्रदूषण एवं कोरोना महामारी जैसे ज्वलनशील मुद्दे हैं जिनसे आम आदमी को रू-ब-रू करवाना जरूरी है । यज्ञ-हवन कार्यक्रम में सर्व धर्म एवं सर्व जाति के लोगों ने को आमंत्रित कर सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना ही ट्रस्ट के उद्देश्य है ।
कार्यक्रम-संयोजक जेआरसी ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर डॉ छतर सिंह वर्मा ने कोरोना से बचाव के लिए मास्क पहनने , सोशल डिस्टनसिंग बनाए रखने तथा वैक्सीन लगवाने की सलाह दी । जेआरसी काउंसलर कमांडो नरपत चौहान ने उचित खान-पान एवं रहन-सहन के द्वारा कोरोना को मात देने की बात कही । इस अवसर पर यज्ञ-हवन में उपस्थित जन ने पर्यावरण- सुरक्षा एवं कोविड प्रोटोकॉल की पालना करने की शपथ भी ग्रहण की।
यज्ञ-हवन कार्यक्रम में पूर्व सरपंच मुंशी सिंह, लंबरदार लक्ष्मीचन्द रोहिला, रामकिशोर शर्मा, पुरुषोत्तम अग्रवाल, सुरेश यादव, मुकेश चौहान, सरदार सिंह, बृजपाल सिंह, सुमेर सिंह, राजेन्द्र सिंह, रामौतार, विमला अग्रवाल, रोशन बाई तथा बिमला तंवर सहित गांव के अन्य गणमान्य भी मौजूद रहे ।
फोटो कैप्शन 1: भजनोपदेश करते श्री पुरुषार्थी।
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Sunday, July 11, 2021
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