सोमवार को है सोमवती अमावस्या
- स्नान ध्यान पूजा की जाती है इस दिन
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कनीना। वैसे तो कहावत है कि पांडवों के जीवन में कभी सोमवती अमावस्या नहीं आई लेकिन 30 मई को क्षेत्र में सोमवती अमावस्या का पर्व है । इस दिन पूजा का विशेष विधान होता है। भगवान शिव के साथ पार्वती, पीपल की पूजा भी की जाती है। इस दिन अर्थात सोमवती अमावस्या के दिन ही वट सावित्री व्रत का संयोग बन रहा है। ऐसे में लंबी उम्र की कामना हेतु व्रत किया जाता है। सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व किंतु इस दिन स्नान ध्यान आदि किया जाता। लोग धार्मिक स्थानों पर स्नान करने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
30 मई हिंदी पत्रकारिता दिवस
मीडिया में हिंदी का बढ़ता वर्चस्व
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कनीना। 30 मई हिंदी पत्रकारिता दिवस देश के लिए एक गौरव का दिन है। आज विश्व में हिंदी के बढ़ते वर्चस्व व सम्मान में हिंदी पत्रकारिता का विशेष योगदान है। हिंदी पत्रकारिता की एक ऐतिहासिक व स्वर्णिम यात्रा रही है जिसमें संघर्ष, कई पड़ाव व सफलताएं भी शामिल है। स्वतंत्रता संग्राम या उसके बाद के उभरते नये भारत की बात हो, तो उसमें हिंदी पत्रकारिता के भागीरथ प्रयास को नकारा नहीं जा सकता। वास्तव में हिंदी पत्रकारिता जन सरोकार की पत्रकारिता है, जिसमें माटी की खुशबू महसूस की जा सकती है। समाज का प्रत्येक वर्ग फिर चाहे वो किसान हो, मजदूर हो, शिक्षित वर्ग हो या फिर समाज के प्रति चिंतन - मनन करने वाला आम आदमी सभी हिंदी पत्रकारिता के साथ अपने को जुड़ा हुआ मानते हैं। हिंदी पत्रकारिता सही मायनों में सरकार व जनता के बीच एक सेतु का कार्य करती है। डिजिटल भारत के निर्माण में भी हिंदी पत्रकारिता का अपना एक विशेष महत्व दिखाई देता है ।
हिंदी पत्रकारिता व मूल्य बोध :
हिंदी पत्रकारिता कि जब हम बात करते हैं तो मूल्य बोध उसकी आत्मा है। भारत में हिंदी पत्रकारिता का प्रारंभ हुआ 30 मई 1826 में पहले साप्ताहिक समाचार पत्र उदंत मार्तंड जिसे पंडित जुगल किशोर ने शुरू किया के साथ हुआ। अपने पहले ही संपादकीय में उन्होंने लिखा कि उदंत मार्तंड हिंदुस्तानियों के हितों लिए है। भारतीयों के हितों की रक्षा और राष्ट्र के सर्वोन्मुखी उन्नयन के लिए समाचार पत्र और मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिस दौर में उदंत मार्तंड शुरू हुआ था वह दौर पराधीनता का दौर था। भारत की पत्रकारिता का पहला लक्ष्य था राष्ट्रीय जागरण और भारत की स्वाधीनता के यज्ञ को तीव्र करना। ऐसे महान उद्देश्य को लेकर भारत की पत्रकारिता की शुरुआत हुई। यह भारत की पत्रकारिता का सर्वप्रथम मूल्य बोध है कि मीडिया या पत्रकारिता किसी भी कारण से राष्ट्र और समाज के हित से विरक्त नहीं हो सकती। और इसीलिए पत्रकारिता के प्रति भारत का जन विश्वास हुआ। आज जब हम यह कहते हैं कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है तो ऐसे ही नहीं कह देते मीडिया ने अपनी भूमिका से यह साबित किया है कि समाज की अंतिम पंक्ति में जो सबसे दुर्बल व्यक्ति खड़ा है, उसके हितों की रक्षा के लिए कोई साथ है तो वह पत्रकारिता है। इन्हीं वजहों से अखबार को आम आदमी की आवाज कहा जाता था। इसी मूल्य बोध के कारण, उसका समर्पण व्यवसाय के लिए नहीं था। अखबार का या मीडिया का समर्पण देश एवं समाज के हितों के लिए साथ ही कमजोर व्यक्तियों के कल्याण की कामना के प्रति समर्पित था। यह जो जीवन दृष्टि है पत्रकारिता की यही वास्तव में पत्रकारिता की ख्याति है। वक्त के साथ बहुत सारी चीजें बदलती है, आज हम अपने स्वार्थ के हिसाब से उनके अर्थों को भी नए तरीके से परिभाषित करते हैं, लेकिन जो आत्मा है वह कभी बदलती नहीं है। उसकी पवित्रता, उसकी जीवंतता, उसकी व्यापकता, घोर सत्य है। जैसे हम कहते हैं कुछ चीजें सर्वदा सत्य होती हैं, सूर्य पूर्व से निकलता है। यह निश्चित सत्य है, वैश्विक सत्य है, यह बदल नहीं सकता। हम आज व्यवसाय और व्यावसायिक होड़ की बात कहकर पत्रकारिता को चाहे अलग-अलग तरीके से परिभाषित करें, लेकिन पत्रकारिता का मूल्य धर्म जो है, लोक कल्याण राष्ट्रीय जागरण और ऐसे हर दुर्बल व्यक्ति के साथ खड़े होना उसके अधिकारों, हितों के लिए लडऩा, जिसका कोई सहारा नहीं है। इस मूल्य को लेकर भारत की पत्रकारिता का उदय हुआ।
पत्रकारिता व साहित्य का अभेद संबंध :
साहित्यिक व पत्रकारिता का कार्य है ठहरे हुए समाज को सांस और गति देना। जो समाज बनने वाला है, उसका स्वागत करना। समाज को सूचना देना व जागरूक करना, नयी रचनाशीलता और नयी प्रतिभाओं को सामने लाना। साहित्यिक व पत्रकारिता की यही जरूरी शर्त है। इसलिए यह एक अटल सत्य है कि साहित्य व पत्रकारिता दोनों अन्योनाश्रित है, दोनों अभेद है। जहां साहित्यकारों ने अच्छी पत्रिकाएं निकाली है वही अच्छे पत्रकार पत्रकारों ने यशस्वी साहित्यकार भी पैदा किये, यशस्वी साहित्य भी पैदा किया इस तरह दोनों का एक अभेद हमें दिखाई देता है अपने प्रारंभिक समय से और अब तक क्योंकि पत्रकारिता में साहित्य संभव नहीं था और बिना साहित्य के उत्कृष्ट पत्रकारिता संभव नहीं है। पत्रकारिता को साहित्य से शक्ति मिलती है इसके विकास में साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान होता है महर्षि नारद को हमारी परंपरा में आदि पत्रकार कहा गया हैं। उन्होने जो भी प्रयत्न किये उनका मकसद लोकमंगल ही होता था। इस आधार पर कहा जा सकता है कि पत्रकारिता अपने उद्भव के उषाकाल से ही लोकमंगल का संकल्प लेकर चली है ठीक इसी तरह साहित्य में भी लोकमंगल ही उसके केंद्र में है। हिंदी पत्रकारिता की शुरूआत होती है एक सीमित संसाधन और कमजोर आर्थिक स्थिति वाले व्यक्ति जिनके पास मीडिया हाउसेस नहीं थे लेकिन बावजूद इसके उनका संकल्प बहुत बड़ा था। आगे चलकर उस संकल्प का परिणाम भी हमें दिखाई देता है। कालांतर में राजा राममोहन राय की प्रेरणा से बंग दूत 4 भाषाओं अंग्रेजी, हिंदी, फ़ारसी और बंगला में निकलता हैं। साल 1854 में हिंदी का पहला दैनिक समाचार पत्र सुधावर्शण नाम से श्याम सुंदर सेन ने प्रकाशित किया । पत्रकारिता की उद्भव भूमि कलकत्ता (कोलकाता) बनता है । समय के साथ-साथ धीरे-धीरे इन समाचार पत्रों का प्रभाव कोलकाता से लेकर संयुक्त अवध प्रांत तक होता गया और फिर काशी और प्रयाग में अखबार निकलने प्रारंभ हो गए। 1845 में शुभ सात सितारे, शुभ शास्त्र, हिंद की प्रेरणा से बनारस से अखबार निकलता है। इस लंबे काल तक समाचार पत्र और हिंदी पत्रकारिता अपना विकास यात्रा तय करती है तो अपने साथ-साथ एक उत्कृष्ट साहित्य और यशस्वी साहित्यकारों को लेकर चलती है । 1920 में जब छायावाद युग आता है तब जबलपुर से 'शारदाÓ नामक एक पत्रिका का प्रकाशन होता है जिसमें मुकुटधर पांडे ने छायावाद शीर्षक लेख लिखे थे और जिससे छायावाद के उद्भव की बात की थी जहां से छायावाद जुडऩे की बात की थी और वो साबित करते हैं के इस समय वे द्विवेदी युगीन कवि थे उनकी रचनाओं में भी छायावादी तत्व, सांकेतिकता के तत्व दिखाई देते हैं। हमारे यहाँ अनेक ऐसे उदाहरण हैं, जिनसे यह साबित होता है कि पत्रकारिता यदि साहित्य से मिल जाए तो वैचारिक क्रांति का जन्म होता है।
इंटरनेट मीडिया में बढ़ता हिंदी का वर्चस्व :
आज के दौर में डिजिटल व सोशल मीडिया पर हिंदी के बढ़ते वर्चस्व को नकारा नहीं जा सकता। आजकल जब लगभग हर मीडिया हॉउस, संस्था, व्यक्ति, सरकार, कंपनी, साहित्यकर्मी से समाजकर्मी तक और नेता से अभिनेता को सोशल मीडिया में उसकी सक्रियता, उसको फॉलो करने वाले लोगों की संख्या के आधार पर उसकी लोकप्रियता को तय किया जाता है। ऐसे में इन सबके द्वारा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए हिंदी या स्थानीय भाषा का प्रयोग दिखाई देता है। भारत में हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं के पोर्टल्स का भविष्य भी बहुत उज्ज्वल है। हिंदी पढऩे वालों की दर प्रतिवर्ष 94 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रही है जबकि अंग्रेजी में यह दर 19 प्रतिशत के लगभग है। यही कारण है कि तेजी से नए पोर्टल्स सामने आ रहे हैं। अब पोर्टल के काम में कई बड़े खिलाड़ी आ गए हैं। इनके आने का भी कारण यही है कि आने वाला समय हिंदी पोर्टल का समय है। पोर्टल पर जो भी लिखा जाए वह सोच समझ कर लिखना चाहिए क्योंकि अखबार में तो जो छपा है वह एक ही दिन दिखता है, लेकिन पोर्टल में कई सालों के बाद भी लिखी गई खबर स्क्रीन पर आ जाती है और प्रासंगिक बन जाती है। एंड्रॉयड एप्लीकेशन ने हम सभी को इंफॉर्मेशन के हाईवे पर लाकर खड़ा कर दिया है। रेडियो को 50 लाख लोगों तक पहुंचने में 8 वर्ष का समय लगा था। जबकि डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू को 50 लाख लोगों तक पहुंचने में केवल 2 साल का समय लगा। आज हमारे देश में 80त्न रीडर मोबाइल पर उपलब्ध हैं आज देश ही नहीं पूरी दुनिया जब डिजिटल की राह पर आगे बढ़ रही है तो कहना गलत न होगा कि ऐसे परिवेश में हिंदी जैसी भाषाओं की व्यापकता और आसान हो गई है। डिजिटल वल्र्ड में तकनीक के सहारे हिंदी जैसी भाषाओं को खास प्राथमिकता दी जा रही है।
विश्व में लगभग 200 से अधिक सोशल मीडिया साइटें हैं जिनमें फेसबुक, ऑरकुट, माई स्पेस, लिंक्डइन, फ्लिकर, इंटाग्राम सबसे अधिक लोकप्रिय हैं। दुनियाभर में फेसबुक को लगभग 1 अरब 28 करोड़, इंस्टाग्राम को 15 करोड़, लिंक्डइन को 20 करोड़, माई स्पेस को 3 करोड़ और ट्विटर को 9 करोड़ लोग प्रयोग में ला रहे हैं। इन सभी लोकप्रिय सोशल मीडिया साइटों पर हिंदी भाषा ही सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली भाषा बनी हुई है। स्मार्टफोनों पर चलने वाली वाहट्सएप्प मैसेंजर तत्क्षण मैसेंजिंग सेवा में तो हिंदी ने धूम मचा राखी है। जिस तरह से आज समाज के हर वर्ग ने डिजिटल व सोशल मीडिया को अपनी स्वीकृति दी है उससे पूरी संभावना है कि डिजिटल युग में भी हिंदी पत्रकारिता के भविष्य की अपार संभावनाएं हैं।
हिंदी पत्रकारिता का स्थान दुनियाभर में पहले से बढ़ा है व निरंतर और भी बढ़ रहा है। आज हिंदी व स्थानीय भाषाओँ में कंटेंट लिखने वाले दक्ष पेशेवरों की मांग बढ़ रही है। हिंदी पत्रकारिता वास्तव में संचार की शक्ति रखती है। इसलिए आज हिंदी पत्रकारिता से जुड़े व्यक्तियों का उत्तरदायित्व पहले से अधिक हो गया है। हिंदी में अंग्रेजी के बढ़ते स्वरुप के प्रति भी हमें सतर्क होना होगा। हिंदी भाषा को भ्रष्ट होने से बचाना होगा। हिंदी के सही स्वरुप को बनाए रखने के लिए हमें एक योद्धा के रुप में काम करना होगा। हिंदी पत्रकारिता के केंद्र में सदैव समाज हित व राष्ट्र हित को अपनी प्राथमिकता बनाना होगा। यही संकल्प व प्रतिबद्धता वास्तव में भविष्य की हिंदी पत्रकारिता के मार्ग को प्रशस्त करेगा।
साभार- डा पवन मलिक (लेखक जे. सी. बोस विश्वविद्यालय, फरीदाबाद के मीडिया विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर है)
शहीद सुजान सिंह पार्क के दिन बहुरेंगे
-बाबा मोलडऩाथ जोहड़ अब बना दर्शनीय
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कनीना। कहावत है कि 12 वरस में तो कुरड़ी के दिन भी बदलते हैं। किंतु यहां के परम संत बाबा मोलडऩाथ जिस जोहड़ में तप करते थे वह संत शिरोमणि मोलडऩाथ आश्रम के पीछे लगता है जिसके दिन बहुर चुके हैं। विगत माह में मोलडऩाथ मेले के अवसर पर उस तड़ाग/जोहड़ को शुरू कर दिया गया है। यह दर्शनीय थल के रूप में बन चुका है। अब यह जोहड़ खाटू श्याम बाबा के तालाब की भी भूमिका निभाएगा।
संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम के समक्ष शहीद सुजान सिंह पार्क बना हुआ है जहां पर एक नहीं तीन श्मशानघाट हैं। कहने को पार्क है किंतु पार्क कम श्मशानघाट का रूप दिया हुआ है। अब इस पार्क के दिन भी बहुरेंगे।
कौन थे शहीद सुजान सिंह अशोक चक्र प्राप्त--
अशोक चक्र से सम्मानित शहीद सज्जन सिंह
जिला महेंद्रगढ़ के कनीना कस्बा के अशोक चक्र से सम्मानित शहीद सज्जन सिंह ने अपने प्राणों की आहुति देकर कई देशद्रोहियों को मार गिराया। उनकी बहादुरी पर राष्ट्रपति द्वारा मरणोपरांत अशोक चक्र से उनकी पत्नी कौशल्या देवी को प्रदान किया था।
जिला महेंद्रगढ़ के कनीना कस्बा में 30 मार्च 1953 में मंगल सिंह-सरती देवी के साधारण परिवार में जन्म लिया। जन्म से ही वे अति कुशाग्र बुुद्धि के धनी थे जिसके चलते वे जब कनीना के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करते हुए 27 मई1971 में 13 कुमाऊं रेजिमेंट की बच्चा कंपनी में भर्ती हो गए।
उनकी वीरता को देखते हुए 26 सितंबर 1994 को उन्हें जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा क्षेत्र में उग्रवादियों की तलाश में भेजे गए। उन्हें अपनी टुकड़ी के कमांडर की भूमिका दी थी। उनकी टुकड़ी उग्रवादियों का पीछा करते हुए उनके करीब पहुंच गए। उग्रवादी घात लगाए बैठे थे कि टुकड़ी उनकी ओर ही बढ़ रही थी। जब सूबेदार सज्जन सिंह की नजर उग्रवादियों पर पड़ी तो वे आगे बढ़ते हुए उनसे जा भिड़े ताकि पूरी टुकड़ी की जान बचाई जा सके। महज उग्रवादियों से 15 मीटर दूरी पर भीषण युद्ध चला। उग्रवादियों के पास भारी मात्रा में गोले, हथियार आदि होने के कारण तथा उनकी संख्या अधिक होने के कारण शहीद सज्जन सिंह छह उग्रवादियों को अकेने ही मार गिराने में सफल हो गए थे किंतु एक और उग्रवादी घात लगाकर बैठा हुआ था जिसकी गोली सूबेदार सज्जन सिंह के सिर में लगी। गोली सिर के पार गुजर गई किंतु उस उग्रवादी को भी मार गिराया।
इस प्रकार सूबेदार सज्जन सिंह ने अपनी जान पर खेलते हुए पूरी टुकड़ी के प्राणों की रक्षा की। उनकी बहादुरी एवं वीरता पर तत्कालीन राष्ट्रपति डा शंकर दयाल शर्मा ने मरणोपरांत उनकी पत्नी कौशिल्या देवी को 26 जनवरी 1995 को अशोक चक्र से नवाजा जो शांति समय का सबसे बड़ा पुरस्कार होता है। ऐसे वीरों एवं देशभक्तों पर समस्त राष्ट्र को नाज है। कनीना के बाबा मोलडऩाथ आश्रम स्थित पार्क में शहीद की प्रतिमा लगी हुई है जो आने वाली पीढिय़ों को प्रेरणा का काम करती रहेगी। उनकी बरसी पर प्रत्येक वर्ष उन्हेें दूर दराज से आए सैनिक एवं वीर याद करते हैं।
शहीद सज्जन सिंह अपने पीछे दो पुत्रियां एवं एक पुत्र छोड़ गए थे। तीनों ही सदस्यों की शादी हो चुकी हैं तथा अपना अपना कारोबार चला रहे हैं। उनकी पत्नी कौशिल्या देवी अपने पति की कुर्बानी को याद करके रो पड़ती हैं।
बहुरेंगे दिन पार्क के--
नगर पालिका कनीना में मुख्यमंत्री समग्र शहरी विकास योजना के तहत 10 करोड़ 50 लाख 23 हज़ार रुपये आए हैं। जो कि कस्बे के विकास कार्यों पर खर्च होगा। इनमें से शहीद सुजान सिंह पार्क भी एक होगा।
क्या कहते हैं प्रधान नगरपालिका-
विकास कार्यों में शहीद सज्जन सिंह स्मारक पार्क का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही इसके अंदर तीन श्मशान घाट बने हुए हैं जिनको मिलाकर के एक जगह किया जाएगा।
पालिका प्रधान का कहना है कि अब संत शिरोमणि के सामने पार्क के दिन बहुरने के बाद यह भी दर्शनीय बन जाएगा तथा इसकी दीवार ऊंची बनाकर लाइट आदि लगाकर सुंदर बना दिया जाएगा। समय समय पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में तथा बाबा मोलडऩाथ आश्रम में आने वाले भक्त यहां बैठकर शकुन महसूस करेंगे। इस प्रकार आश्रम के सामने शहीद पार्क आकर्षण का केंद्र होगा वहीं आश्रम के पीछे बाबा का तालाब दर्शनीय बन चुका है। लोग पालिका प्रधान सतीश जेलदार को याद करेंगे।
फोटो कैप्शन: शहीद सुजान ङ्क्षसह
फोटो कैप्शन 3 व 4: शहीद सुजान सिंह पार्क।
मोदी सरकार के 8 वर्ष पूरे होने पर संगठन द्वारा बूथ स्तर पर 100 से संपर्क अभियान नौताना में चलाया गया
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,कनीना। केंद्र में मोदी सरकार के आठ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भाजपा ने जनसंपर्क अभियान चलाना शुरू कर दिया है। रविवार को उप मंडल के गांव नौताना में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एनजीओ प्रकोष्ठ स्वाति यादव ने केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी उपलब्धियों से अवगत करवाया। स्वाति यादव का ग्रामीणों ने फूल माला व पगड़ी पहनाकर स्वागत किया। स्वाति यादव ने मोदी सरकार के 8 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संगठन द्वारा बूथ स्तर पर 100 से संपर्क अभियान के अंतर्गत अटेली हलके के गांव नौताना में जन सम्पर्क किया गया है। उन्होने बताया कि बूथ नंबर 7,8,9 पर सैकड़ों पुरुष और महिलाओ ने इसमें भाग लिया है। स्वाति यादव ने कहा कि इसमें भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र और राज्य सरकारों के सभी मंत्री और पार्टी के निर्वाचित प्रतिनिधि भाग लेंगे। पार्टी गरीबों के कल्याण और सुशासन की अपनी प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करेगी। लोगों को दी जा रही सरकारी सेवाओं के लिए जश्न मनाएगी। हर दिन किसानों, महिलाओं, अनुसूचित जाति समूहों, अनुसूचित जनजाति समूहों और अल्पसंख्यकों को समर्पित रहेगा। इस दौरान सतबीर नौताना, सुनील सरपंच, दिनेश कुमार, सुमेर सिंह, राजीव शर्मा, यशपाल खेतान, ओम प्रकाश, डॉक्टर विकी सहीत अन्य ग्रामीण भी मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 01: ग्रामीणों को संबोधित करते हुए स्वती यादव।
मोहित ने नेवल ऑफिसर प्रशिक्षण के बाद पासिंग आउट परेड में भाग लिया
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कनीना। उपमंडल के ग्राम सेहलंग निवासी मोहित पुत्र गुगन सिंह नेभारतीय नौसेना में 4 वर्ष के नेवल आफिसर प्रशिक्षण के बाद पासिंग आउट परेड में भाग लिया तथा भारतीय नौ सेना के नेवी चीफ आर हरी कुमार की अध्यक्षता में 650 कैडेटों की परेड का नेतृत्व करने का अवसर भी प्राप्त हुआ।
उल्लेखनीय है कि गांव सेहलंग में किसान परिवार में जन्मे मोहित ने जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा से दसवीं पास करने के बाद नेवी में डबल ए नौकरी ज्वाइन की तथा कड़ी मेहनत करके नेवी अधिकारी के रूप में चयन हुआ तथा 4 साल का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त करके यह लक्ष्य हासिल किया। मोहित की इस कामयाबी के लिए मोहित के नाना विद्यानंद लांबा घड़ी रूथल वरिष्ठ प्रवक्ता एवं हसला के संरक्षक नरेश कौशिक, वरिष्ठ प्रवक्ता ईश्वर सिंह यादव, प्रवक्ता संजय यादव,प्रवीण यादव, प्रोफेसर देवेंद्र भारद्वाज , सेवानिवृत्त प्रवक्ता विजय पाल यादव सहित अनेक ग्रामीणों ने मोहित को उसकी कामयाबी के लिए बधाई दी है। मोहित का उनके पैतृक गांव सेहलंग में भव्य स्वागत किया गया।
फोटो कैप्शन 02: नेवल आफिसर मोहित कुमार को सम्मान देते उनके परिजन।
किसानों की सशक्त आवाज थे चौधरी चरण सिंह- मा. राजेश उन्हाणी
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कनीना। स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के सदस्य, शिक्षक व समाजसेवी उन्हाणी निवासी मास्टर राजेश ने देश के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को उनकी 35वीं पुण्यतिथि तिथि पर नमन करते हुए कहा कि राजनीतिक जीवन में कितने ही उतार चढ़ाव आए, लेकिन किसानों में उनकी लोकप्रियता कभी कम नहीं हुई। यूं कहिए कि चौधरी साहब हमेशा किसानों की सशक्त आवाज बने रहे। आज भी देशभर के किसान उन्हें अपने यादों में संजोए हुए हैं।
जब भी देश में किसानों को लेकर कोई आवाज उठती है तो उसके आंदोलन का रूप लेने से पहले ही चौधरी चरण सिंह का नाम आता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि आजादी से पहले ही वे किसानों की आवाज बन चुके थे। जमींदारों और किसान मजदूरों के उत्पीडऩ के खिलाफ हमेशा आवाज उठाते रहे। ऐसे बहुत से किस्से हैं जो बताते हैं कि चौधरी चरण सिंह का प्रभाव किसानों से लेकर राजनीति के ऊंचे स्तर तक रहता था। उनके प्रभाव की सबसे बड़ी मिसाल यही है कि उन्हें आज भी किसानों को मसीहा माना जाता है। अंग्रेजों से कर्ज माफी का बिल पास करवाना, किसानों के खेतों की नीलामी रुकवाना, गांवों के विद्युतीकरण, भूमि कानून सुधारों के लिए संघर्ष जैसे कई काम किए।
राजेश उन्हाणी ने कहा कि चौधरी साहब ने जीवन में ईमानदारी, किसान और गरीब की सच्ची सेवा की सीख, वे हर कार्यकर्ता को देते थे। चौधरी चरण सिंह जमीन से जुड़े नेताओं व कार्यकर्ताओं का बहुत सम्मान किया करते थे। विशेष रूप से गरीब, पिछड़े वर्ग के किसान परिवारों से निकले संघर्षशील लोगों को ऊपर उठाने के लिए सदैव तत्पर रहते थे।
अंत में राजेश ने कहा कि चौधरी चरण सिंह का मानना था कि किसान जब तक खेत में मेहनत करके अनाज पैदा करते है तभी वह हमारी थालियों तक पहुँच पाता है। उनके जाने के बाद किसान राजनीति में आए सूनेपन को कोई दूसरा व्यक्ति आज तक नहीं भर सका है।
शर्मिला जुलाई में माह में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेने जाएगी इंग्लैंड
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कनीना। कनीना खंड के गांव छिथरोली की शर्मिला का जुलाई माह में होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में गोला फेंक कैटेगरी मेें चयन हो गया है।
इसकी जानकारी इंटरनेशनल खिलाड़ी शर्मिला के परिजनों ने देते हुए बताया की शर्मिला जो एक किसान की बेटी है और पोलियो से ग्रस्त भी है। इसके बावजूद भी शर्मिला खेलों में बढ़-चढ़कर भाग ले रही है जिसके कारण उसने अब तक कई मैडल प्राप्त कर अपने गांव कहीं नहीं बल्कि जिले तथा प्रदेश के साथ-साथ भारत देश का नाम रोशन किया है। परिजनों ने यह भी बताया कि शर्मिला बचपन में पोलियो ग्रस्त हो गई थी लेकिन शर्मिला ने कभी अपने आप को किसी से कम नहीं समझा और वह आए दिन खेलों में बढ़ती हुई आगे पहुंच गई। उन्होंने यह भी बताया कि शर्मिला की शादी करने के उपरांत भी वह खेलों से पीछे नहीं हटी और वह खेलों में आए दिन ज्यादा से ज्यादा रुचि लेती हुई आगे बढ़ती चली गई। परिजनों ने यह भी बताया कि शर्मिला को दो बच्चियां हैं और शर्मिला की उम्र लगभग 35 वर्ष है लेकिन शर्मिला ने आज भी अपने मुकाबले में अच्छे अच्छे लोगों को धरा शाही करते हुए भारत देश का व अपने राज्य तथा अपने जिले का नाम रोशन किया है। वे जुलाई माह में इंग्लैंड देश के अंदर होने वाले कॉमनवेल्थ गेम में शर्मिला का चयन हो गया जिसको लेकर वह रेवाड़ी के एक स्टेडियम में इंटरनेशनल कोच टेकचंद की अगुवाई में अभ्यास कर रही है ताकि वह जुलाई महीने में इंग्लैंड में होने वाले खेलों में भारत का नाम रोशन कर सके। वही छितरौली गांव के ग्रामीणों का कहना है कि शर्मिला की दो बहन और एक भाई है तथा दो बेटियां भी है लेकिन इसके बावजूद भी इस उम्र में उसने दो साल के समय में कड़ी मेहनत करके तथा पोलियो को मात देते हुए इंटरनेशनल प्लेयर बनी है। हाल ही में दुबई में होने वाले खेलों में शर्मिला ने कई खेलों में भाग लिया है।
वही जब शर्मिला से बात की गई तो उनका का कहना था कि खेल में उम्र का कोई मायना नही होता। बस व्यक्ति के हौसले बुलंद होने चाहिए। शर्मिला ने 10वी तक की पढ़ाई की है। शर्मिला का कॉमनवेल्थ गेम में सलेक्शन होने पे शर्मिला को बधाई देने वालों का ताता लग रहा है।
फोटो कैप्शन: इंटरनेशनल खिलाड़ी शर्मिला।
5 बोतल देसी शराब बेचते पकड़ा, मामला दर्ज
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कनीना। कनीना पुलिस को सूचना मिली कि कनीना उपमंडल के गांव कपूरी की ढाणी में एक व्यक्ति अवैध शराब बेच रहा है। पुलिस ने छापामारी कर कपड़े के थैले में 5 बोतल देसी शराब बरामद की। कनीना पुलिस ने सुनील कुमार कपूरी निवासी के विरुद्ध आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
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Sunday, May 29, 2022
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