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Sunday, July 17, 2022

 उपराष्ट्रपति पद का उम्मीद्वार जगदीप धनखड़ की सुसराल में खुशी का माहौल
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कनीना की आवाज। भाजपा व एनडीए द्वारा उपराष्ट्रपति पद का उम्मीद्वार जगदीप धनखड़ को घोषित किए जाने से उनकी सुसराल में खुशी का माहौल है। जगदीप धनखड़ का उनकी पत्नी के मायके पक्ष सतनाली तहसील व पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो.रामबिलास शर्मा से गहरा लगाव है। पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा जगदीप धनखड़ के ससुर स्व. चौधरी होशियार सिंह  माधोगढ़ सीनियर सेकेंडरी स्कूल में परम शिष्य रहे हैं। झुंझुनू जिले के किठाना गांव के निवासी जगदीप धनखड़ का विवाह स्व. चौधरी होशियार सिंह व भगवती देवी की इकलौती पुत्री डॉ. सुदेश धनखड़ के साथ 1 फरवरी 1979 में महेंद्रगढ़ जिले की सतनाली तहसील में हुआ था। चौधरी होशियार सिंह का परिवार हरियाणा गठन से पहले 1960 में राजस्थान के बुहाना तहसील के गांव झारोडा से लगभग 5 किलोमीटर दूर हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले की सतनाली तहसील में आकर रहने लगा था। चौ. होशियार सिंह का निधन 2007 में हुआ जबकी उनकी पत्नी भगवती देवी का निधन 2016 में हुआ। चौधरी होशियार सिंह की चार संतानों में 3 बेटे व एक बेटी है। उनका बड़ा बेटा महिपाल सिंह सतनाली में रहता है तथा एसबीआई बैंक से सेवानिवृत्त हो चुका है, उनका दूसरा बेटा सुशील बलवदा सुप्रीम कोर्ट में सीनियर अधिवक्ता है। उनकी बेटी डॉ. सुदेश धनखड़ तीसरे नंबर पर है जिनका देश के भावी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से 1 फरवरी 1979 को सतनाली की मंडी धर्मशाला में वैवाहिक बंधन में बंधे थे। चौथे नंबर पर उनका पुत्र प्रवीण बलवदा राजस्थान उच्च न्यायालय में सीनियर अधिवक्ता है तथा वे बचपन से ही आरएसएस से जुड़ गए थे।
देश के भावी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के सबसे छोटे साले प्रवीण बलवदा ने बताया कि वे मूल रूप से सतनाली से लगभग चार-पांच किलोमीटर दूर झारोडा गांव के रहने वाले हैं लेकिन वे अपने परिवार सहित हरियाणा गठन से पहले लगभग 1960 में सतनाली आकर बस गए थे। उनका पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा से पारिवारिक गहरा रिश्ता रहा है। रामबिलास शर्मा उनके पिता के प्रिय शिष्यों में से एक थे और उनका निरंतर परिवार के साथ आना जाना रहता है। उन्होंने बताया कि उनकी बहन डॉ. सुदेश धनखड़ ने भी माधोगढ़ सीनियर सेकेंडरी से ही मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उन्होंने कहा कि उन्हें बड़ी खुशी हो रही है कि आज उनके बहनोई को भाजपा व एनडीए ने देश का उपराष्ट्रपति घोषित किया है, वहीं पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने भी कहा कि वे अपने आप को बड़ा गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि उनके प्रिय गुरु होशियार सिंह की पुत्री डॉ. सुदेश धनखड़ के पति जगदीप धनखड़ देश के उपराष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। जगदीप धनखड़ व डॉ. सुदेश धनखड़ के विवाह में वे शामिल हुए थे तथा उसके गुरु चौ. होशियार सिंह के घर में होने वाले हर कार्यक्रम में शामिल होते रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सब उसके लिए व महेन्द्रगढ़ क्षेत्र के लिए बड़े गौरव की बात है कि देश के भावी उपराष्ट्रपति का ससुराल महेन्द्रगढ़ में है।


आराधना से शिवत्व को प्राप्त करें
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कनीना की आवाज। रिमझिम बारिश, सावन का महीना, पेड़ों पर तरुणाई, मयूर नृत्य, टिड्डे एवं मेंढक के स्वर पूर्र्ण गीत, बजता हुआ मधुर संगीत मदमाता सावन का द्योतक होता है। मदमाता सावन माह शरीर में आध्यात्मिकता ऊर्जा तथा ज्ञान का संचार कर देता है। सोए हुए जीव जंतु को जागृत कर देता है।  वास्तव में संस्कृति सभ्यता का द्योतक यह माह नवजागरण का संदेश देने वाला होता है। जहां इस माह में सभी सक्रिय हो जाते हैं, गर्मी की मार झेल झेल कर जीव सुषुप्त जैसी अवस्था में होते हैं और रिमझिम बारिश में फिर से प्रफुल्लित हो जाते हैं। चारों और हरियाली, दौड़ते हुए बादल, गरजती हुई बिजली, उड़ते हुए पतंग, बने हुए घरों में विभिन्न पकवान इंसान को जागृत कर देते हैं। यह माह भगवान भोलेनाथ को याद करने का होता है। पर्व त्योहारों से भरा हुआ यह माह वास्तव में प्रकृति में सबसे सुंदर होता है। इस समय इंसान ऊर्जावान हो जाता है परंतु इंसान को इस माह में शिव भोले को याद करते, आराधना करते रहना चाहिए।
पुराने समय में भी लोग इस माह में आराधना में जुटे रहते थे। वर्तमान में जब कोरोना से जूझ रहे इस समय भी शिव की आराधना बहुत जरूरी हो गई है। चारों ओर शिवालयों में शिव भजन गूंजते हैंं वहां शिव को पूजना चाहिए। वास्तव में कांवड़ यात्रा भी चलती है लेकिन इस बार कावड़ को थोड़ा कोरोना ग्रहण लग गया है किंतु इंसान को घर में बैठकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए और मन की अंतरात्मा को जगाना चाहिए तब ही इंसान शिवत्व को प्राप्त कर सकता है। प्रकृति का सौंदर्य भाव जगाने वाला यह माह झरनों में दिव्य नाद सुनाने वाला होता है वहीं यह माह नन्हें-नन्हें बीजों को अंकुरित करने वाला होता है। यह माह मद्भावन करने वाला होता है। यही कारण है कि उस प्रभु शिव भोले की याद आती है और उस शिव भोले के शिवत्व को प्राप्त करने के लिए इंसान जागृत होकर कार्य करता है।
 


सावन माह है व्रत एवं आराधना का माह
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संस,कनीना।  कनीना के सुेंद्र शर्मा का कहना है कि सावन भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना है, अत: सावन भर शिव-पूजा-आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शिव-शाक्त में शिव के साथ शक्ति की पूजा करने से प्राप्त फल के विषय में इस प्रकार उल्लिखित है- शिवेन सह पूजयते शक्ति-सर्व काम फलप्रदा- साथ ही सावन में शिव-शक्ति पूजा की फलश्रुति में स्पष्ट उल्लिखित है-यम यम चिन्तयते कामम तम तम प्रापनोति निश्चितम। परम ऐश्वर्यम अतुलम प्राप्यससे भूतले पुमान। अर्थात् इस भूतल पर समस्त प्रकार के रोग-व्याधि, पीड़ा एवं अभावों से मुक्ति दिलाने के लिए ही श्रावण माह में भगवान शिव अपने कल्याणकारी रूप में धरती पर अवतरित होते हैं। अत: विधि-विधान के साथ भगवान शिव का पंचोपचार पूजन करना अति फलदायक होगा। हमारे जीवन में भगवान शिव मनोवांछित फल देने वाले हैं इसलिए हमें सावन मास में भगवान शिव की आराधना जाप करना चाहिए सर्वप्रथम शिव जी को पंचामृत स्नान कराकर गंगा-जल अथवा शुद्ध जल में कुश, दूध, हल्दी एवं अदरक का रस मिलाकर रूद्राभिषेक करें। इस मंत्र के साथ 12 बेल पत्र अर्पित करें।
अभिषेक के बाद अथवा नित्य शिव जी को कम से कम 12 बेल पत्र चढ़ाएं। सभी बेलपत्र पर देशी घी से राम-राम लिख कर ओम नम: शिवाय शिवाय नम:मन्त्र से एक-एक कर शिव जी को अर्पित करें। बेलपत्र 12 ही नहीं अपितु यथा शक्ति 108 या 1100 भी चढ़ा सकते हैं। बेलपत्र अर्पित करने के बाद ओम स: जूँ स: इस मन्त्र का जाप करने से आयु, आरोग्य और ऐश्वर्य की वृद्धि होती.. है।शिव-पुराण के अनुसार, सावन मास में शिव शक्ति अर्थात् देवी के साथ भू-लोक में निवास करते हैं। अत: शिव के साथ भगवती की भी पूजा करनी चाहिए। श्रावण मास में भगवान शिव की जलहरि या अर्घे में भगवती पार्वती का निवास होता.....
शिवजी को भस्म अवश्य लगाना चाहिए। भस्म मौलिक-तत्व का प्रतीक है और वृषभ( बैल) जगत जननी धर्म-प्रतीक शक्ति का प्रतिनिधि है। अपने समस्त कार्य-सिद्ध हेतु शिव के उन सिद्ध मन्त्रों का पाठ करना चाहिए, जिनसे शक्ति दुर्गा की भी स्तुति हो।
मंत्र -ओम हौ जूं स: भूर्भुव: स्व:  ओम    त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ओम स्व: भुव: भू: ओम स: जूं हौं ओम ! इस मंत्र के जाप से हमारे जीवन में हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
   फोटो कैप्शन: सुरेंद्र शर्मा




सावन के सोमवार व्रत के लिए बेहतर होते हैं-शर्मा
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कनीना की आवाज। सावन के सोमवार व्रत के लिए बेहतर माने जाते हैं। किसी भी भक्त को 15 सोमवार के व्रत करने चाहिए। ये विचार सुरेंद्र शर्मा ज्योतिषाचार्य ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि 13 जुलाई से सावन शुरू हो चुका है। सावन में माता माह मदमाने वाला होता है। इस बार सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को आ रहा है।
 सोमवार को शिवभोले की विधि विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए। शिवभोले कम से प्रसन्न हो जाते हैं और जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना केे चलते बड़े मंदिरों में जाने पर जहां इस बार प्रतिबंध लगाया हुआ है वही अपने घरों में भी इष्टदेव को याद किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जहां सावन माह में अधिक बारिश होती है, भगवान भोले को विशेष रूप से याद किया जाता है। इसलिए भगवान भोले की प्रार्थना करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सोमवार का व्रत शुरू करने वालों के लिए सावन मास ही सबसे बेहतर होता है। उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा अर्चना की जाती तत्पश्चात सावन शुरू हो जाता है। इस बार सावन माह में पांच सोमवार आएंगे तो सबसे बड़ी खुशी की बात है। यूं तो पूरे सावन माह में शिव भोले को याद करना चाहिए लेकिन समय रहते हुए सावन में व्रत जरूर करना चाहिए और सावन माह में आने वाली माह शिवरात्रि के दिन व्रत रखा जा सकता है।
 

 



आर्य वीरांगना शिविर का हुआ शुभारंभ
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कनीना की आवाज। आर्य समाज रसूलपुर के तत्वावधान में आर्य वीरांगना शिविर का शुभारंभ हो गया है। प्रथम दिन 72 वीरांगना ने भाग लिया। शिविर का समापन 21 जुलाई को होगा जिसमें मुख्य अतिथि भगत सिंह कनीना प्रमुख समाजसेवी होंगे। इस मौके पर हरि सिंह आर्य दिल्ली, चंदा, चंचल ,प्रीति आदि प्रशिक्षण देने का कार्य करेंगे। इस मौके पर आर्य समाज के मंत्री धर्मपाल आर्य, कोषाध्यक्ष सोमदत्त, विनोद कुमार आदि उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 1: आर्य वीरांगनाओं को प्रशिक्षण देते हुए।

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