वाटर टेस्टिंग मोबाइल वैन को कनिष्ठ अभियंता ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
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कनीना की आवाज। जल जीवन मिशन के तहत जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा प्रदेश भर के जिलों में मोबाइल वाटर टेस्टिंग वैन के माध्यम से गांव-गांव जाकर मौके पर ही केमिकल जांच करवाई जा रही है। इस कड़ी में जिला महेंद्रगढ़ के उपमंडल कनीना पहुंची मोबाइल लैब को कनिष्ठ अभियंता सुरेंद्र कुमार ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
सबसे पहले कनिष्ठ अभियंता ने मोबाइल लैब का निरीक्षण किया वह सैंपल टेस्ट करने की विधियों के बारे में भी जाना।
कनिष्ठ अभियंता सुरेंद्र कुमार ने बताया कि हमारे जीवन में पानी का विशेष महत्व है। इसलिए इसकी गुणवत्ता काफी मायने रखती है। जल जीवन मिशन व जल शक्ति अभियान के तहत यही संदेश शासन प्रशासन द्वारा लगातार आमजन तक पहुंचाया जा रहा है। जल एवं स्वच्छता सहायक संगठन की टीम लगातार जल संरक्षण व उसकी गुणवत्ता के प्रति उपभोक्ताओं को जागरूक भी कर रही है। वाटर टेस्टिंग मोबाइल वैन भी इसी कार्य को पूरा करेंगी
वॉटर टेस्टिंग मोबाइल लैब एक आधुनिक उपकरण है। इसके द्वारा गांव में पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए मौके पर ही पानी की जांच की जा सकती है। चलती फिरती पानी जांच करने की लैब है।
दूरदराज के इलाकों में जो रिमोट एरिया में आते हैं वहां यह सबसे उपयोगी साबित होती है।
साथ ही हमारी आपातकाल की स्थिति पैदा होने पर यह मोबाइल वैन के माध्यम से किसी भी गांव में कुछ समय तक स्टेशन लाइव के रूप में स्थापित किया जा सकता है।
इस दौरान कोटिया, करीरा, भडफ, ककराला, कपूरी, रामबास, इसराना आदि गांवों के जल स्रोतों के पानी की जांच की जाएगी। इस अवसर पर बीआरसी मोहित कुमार ,क्लर्क नरेंद्र सिंह, सुभाष चंद्र क्लर्क, कंप्यूटर ऑपरेटर राजकुमार, प्रदीप ,संजय शर्मा ,संदीप, परमानंद आदि उपस्थित रहे।
बिजली समस्या निवारण के लिए लगाया खुला दरबार
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कनीना की आवाज। शुक्रवार को कनीना उपमंडल के गांव नांगल में बिजली विभाग की तरफ से खुले दरबार का आयोजन किया गया। इस खुले दरबार में उपमंडल अधिकारी दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम कनीना मनोज कुमार वशिष्ठ मौजूद रहे। खुले दरबार से पहले गांव में मुनादी कराई गई तथा ग्रामीणों को बताया गया कि बिजली विभाग से संबंधित समस्याओं के लिए संबंधित अधिकारी गांव में खुला दरबार लगा रहे हैं जिसमें ग्रामीण अपनी समस्या उप मंडल अधिकारी के सामने रख सकते हैं। इस अवसर पर उप मंडल अधिकारी मनोज कुमार ने ग्रामीणों की समस्याओं को सुना तथा उनके जल्द निपटारे के लिए संबंधित कर्मचारियों को दिशा निर्देश दिए। इस अवसर पर बिजली विभाग के राजेंद्र सिंह एएफएम, सतीश कुमार लाइनमैन, मुकेश कुमार, अशोक कुमार लाइनमैन, सुनील कुमार सहायक लाइनमैन, सुरेश कुमार सहायक लाइनमैन भी मौजूद रहे।
बिजली विभाग से संबंधित समस्याओं के लिए लगे खुले दरबार में ग्रामीणों ने उपमंडल अधिकारी विद्युत विभाग के समक्ष अपनी समस्याएं रखी। इस मौके पर ग्रामीण रवि प्रकाश सरपंच ग्राम नांगल, महेंद्र, अशोक, जयप्रकाश, वीर सिंह, रामकिशन, सुरेंद्र, अभय सिंह, रामपाल, गजेंद्र प्रधान, राजवीर, ब्रह्म प्रकाश, मोहित, अंकित, संजय, रोशनलाल, रवि, पवन आदि मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 02: गांव नांगल में लगे खुले दरबार में बिजली समस्याओं का निपटारा करते अधिकारी।
कालेज में हरियाली महोत्सव मनाया गया
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कनीना की आवाज। राजकीय महाविद्यालय नारनौल में राष्ट्रीय सेवा योजना की तीनों इकाईयों के सानिध्य में और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और जिला प्रशासन माननीय डिप्टी कमिश्नर जेके अभीर के दिशानिर्देश में और प्राचार्य डॉ पूर्ण प्रभा की अध्यक्षता में हरियाली महोत्सव के तहत वृक्षारोपण आयोजित किया गया। इस अवसर पर डॉ सुरेंद्र कुमार प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय सिहमा विशेष अतिथि रहे। प्राचार्य डा पूर्ण प्रभा ने इस अवसर पर बताया कि महाविद्यालय में वृक्षारोपण 'भारत सरकार के आजादी का अमृत महोत्सवÓ के तहत हरियाणा सरकार के द्वारा पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
इसी कड़ी में इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। वर्तमान पीढिय़ों के जीवन को बनाए रखने के साथ-साथ आने वाली पीढिय़ों के जीवन को सुरक्षित रखने में पेड़ों के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से वृक्षारोपण किया जा रहा है। वृक्षारोपण जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए पेड़ महत्वपूर्ण हैं। हरियाली महोत्सव वनों के संरक्षण और वृक्षारोपण के लिए विधार्थियों में उत्साह उत्पन्न करने का एक प्रभावी साधन है।
महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के नोडल अधिकारी डॉ सुभाष चन्द्र, डॉ सत्य पाल सुलोदिया और डॉ मीना कुमारी ने बताया कि आज महाविद्यालय में एक दिवसीय कैंप के तहत वृक्षारोपण कार्यक्रम किया गया है। महाविद्यालय के परिसर में विद्यार्थियों स्वयं सेवकों और पर्यावरण सैनिकों ने करीब 200 वृक्षों को लगाया साथ ही साथ महाविद्यालय परिसर के सौन्दर्य करण के लिए स्वयं सेवकों ने साफ सफाई का अभियान चलाया। इस दौरान महाविद्यालय के पर्यावरण क्लब के नोडल अधिकारी डॉ चंद्रमोहन ने महाविद्यालय के पर्यावरण सैनिकों और राष्ट्रीय सेवा योजना के सेवकों को पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन और वृक्षों की रक्षा और प्रति दिन पानी डालने की शपथ दिलाई। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ सतीश सैनी, डॉ सुधीर, डॉ सपना, डॉ मीनाक्षी और समस्त स्टाफ सदस्यों की अग्रणी भूमिका निभाई।
फोटो कैप्शन 3: नारनौल कालेज परिसर में पौधारोपण करते प्राचार्य एवं अन्य।
गरीबों के आम नाम से मशहूर हैं निंबोरी
-ये हैं संसार के सबसे छोटे आम
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कनीना की आवाज। दुनिया का सबसे छोटा और सस्ता आम निबोरी कहलाता है। गरीबों के लिए भी भगवान ने हर चीज खाने के लिए उपलब्ध करवाने का भरसक प्रयास किया है। जहां गर्मियों के दिनों में अमीर व्यक्ति आम का स्वाद बेहतर ढंग से ले सकता है परंतु गरीब तबके के लोग अपने क्षेत्र में और प्रकृति में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध दुनिया के सबसे छोटे आम और सबसे सस्ते आम, नीम की निंबोरी खा सकते हैं। वास्तव में नीम को गरीबों का आम कहा जाता है।
नीम की निबोरी पुराने समय से बच्चे बहुत चाव से खाते आ रहे हैं। एक वक्त था जब लोग निबोरी तोड़कर खाने के लिए लालायित रहते थे। नीम के पेड़ पर दिनभर चढ़े रहते थे और अच्छी-अच्छी निबोरी खाते थे। यहां तक कि नीम की निबोरी तोडऩे के लिए सरकंडे का एक यंत्र भी बनाते थे जिससे अच्छे दर्जे की निबोरी तोड़कर पेड़ के नीचे खड़े होकर ही खा लेते थे। वह जमाना था जब लोग पीपल की बंटी,जाटी की झींझ, कैर के पीचू ,जाल के पील तथा नीम की निंबोरी चाव से खाते थे। लंबे समय तक इनको खाया जाता था। वैसे तो आम और निंबोरी सबसे स्वादिष्ट बारिश के समय पैदा होते हैं। जब बारिश होती है तो निबोरी पक जाती है वही आम भी पक जाते हैं। वैसे तो नीम को घर का वैद्य कहा गया है। इससे अनेकों दवाइयां प्राप्त होती है जिनका इंसान लंबे समय से प्रयोग करता रहा है। परंतु आज भी इन निंबोरी की तरफ कुछ लोगों का आकर्षण देखने को मिलता है। यह सत्य है कि इन चीजों को लोग आधुनिक युग में भुलाते जा रहे हैं। यही कारण है कि नीम के प्रति उनका व्यवहार भी बदल गया है। नीम सबसे अधिक औषधियों में प्रयोग होने वाला ग्रामीण क्षेत्रों का एक पेड़ होता है।
हर घर दरवाजे तथा संस्थान एवं खेतों में नीम खड़ा देखा जा सकता है। इसे अजारिचटाइंडिका होली ट्री, इंडियन लीलाक, मेलिया अजारिचटा,नीम, निंबा आदि नामों से जाना जाता है। पुराने समय से जब मोटे अन्न घरों में सुरक्षित रखते थे तो इसके पत्ते ही काम में लाए जाते थे। नीम की दातुन सैकड़ों वर्षों से आज तक इंसान करता आ रहा है। नीम की कच्ची कोपल भी विभिन्न रोगों को दूर करने के लिए लोग प्रयोग करते आ रहे हैं। ऐसे में नीम को किसी भी सूरत में भुला नहीं सकते परंतु नीम एक बड़ा पेड़ होता है जिसके पत्ते, बीज एवं छिलका दवाओं में काम आता है। इसकी जड़, फूल और फल भी अक्सर काम में लाए जाते हैं।
नीम के पत्तों का उपयोग कुष्ठ रोग, नेत्र रोग, आंतों के कीड़े, पेट खराब होने पर, भूख न लगना, त्वचा के अल्सर, हृदय रक्त वाहिनियों के रोग, बुखार, मधुमेह, मसूड़ों की बीमारी, यकृत आदि अनेक दवाओं में काम में लाया जाता है वही पत्ती का उपयोग जन्म नियंत्रण और गर्भपात के लिए भी किया जाता रहा है।
कनीना के डा होशियार सिंह यादव का कहना है कि नीम की छाल का उपयोग मलेरिया, त्वचा रोग, दर्द, बुखार आदि में किया जाता है। पुराने समय से पत्तों और छाल आदि को उबालकर स्नान करवाने के काम में लाते थे ताकि रोगाणुरहित शरीर बन जाए। फूल का उपयोग पित्त कफ का नियंत्रण, आंतों के कीड़ों के इलाज में काम में लेते हैं किंतु फल का उपयोग बवासीर आंतों के कीड़े, मूत्र विकार, खूनी नाक, नेत्र विकार, मधुमेह,कुष्ठ रोग घाव के इलाज के काम में लेते हैं।
नीम की कच्ची कोपलों का उपयोग खांसी, दमा, बवासीर, आंतों के कीड़े, मूत्र विकार, मधुमेह शुक्राणु संबंधित बीमारियों के इलाज में काम लेते हैं। टूथब्रश के रूप में तो बहुत से लोग प्रयोग करते हैं। नीम की टहनियों को कच्ची टहनियों को जब खाते हैं तो सावधानी से खाना चाहिए।
बीज और बीज का तेल उपयोग कुष्ठ रोग और आंतों के कीड़े जान नियंत्रण, गर्भपात आदि में किया जाता है। जड़ ,छाल एवं फल कैा तेल सिर की जू, त्वचा रोग, घाव आदि के इलाज में भी इसका उपयोग किया जाता है। मच्छर से बचने की क्रीम के रूप में और साबुन आदि में रूप में भी किया जाता है।
ै ऐसे में नीम एक बहुत गुणकारी पौधा है जिसका हर भाग किसी ने किसी काम में और उपयोग में लेते हैं। नीम के पत्तों का प्रयोग लगातार 6 सप्ताह प्रयोग करने से जीवाणुओं की संख्या घट जाती है। शोध भी हो चुका है कि जड़ एवं पत्ती कीटों को दूर भगाते हैं। अल्सर आदि में काम आते हैं। सोरायसिस, पेट की खराबी, सांस न लेने की स्थिति में, मलेरिया, कीड़े ,सिर की जूं त्वचा रोग दिल की बीमारी, मधुमेह आदि में भी काम में लाया जाता है।
नीम को अधिक मात्रा में या लंबे समय तक रहने से गुर्दे और लीवर को नुकसान हो सकता है। नीम की निंबोरी वास्तव में बहुत मधुर लगती है जो आने को बीमारियों की ठीक करने में लाभप्रद है। शरीर में क्षार की मात्रा को बढ़ा देती है जिससे एसिडिटी संबंधित विकार कम हो जाते हैं। यह देखने में आम जैसे लगते हैं इसलिए नीम की निंबोरी को गरीबों का आम कहा जाता है। वैसे भी दुनिया के सबसे छोटे आम है तथा आसानी से ग्रामीण क्षेत्रों में मुफ्त में उपलब्ध हो जाते हैं। शहरी क्षेत्रों में नीम कम होने से इनकी सुलभता स्वाभाविक है। आज भी बुजुर्गों को गरीबों के आम खाने के दिन याद आते हैं।
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Friday, July 8, 2022
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