Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Wednesday, July 6, 2022

 
पेट्रोल डालकर जान से मारने की नियत मसले में सात गिरफ्तार
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कनीना की आवाज। शहर कनीना पुलिस ने जान से मारने की नियत से पेट्रोल डालकर आग लगाने के मामले में सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों ने कनीना कस्बे के होली चौक के पास एक जुलाई की रात को एक युवक पर पेट्रोल डालकर आग लगाने को वारदात को अंजाम दिया था। पुलिस ने इस मामले में तत्परता से कार्रवाई करते हुए सात आरोपितों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान मनीष उर्फ गोला वासी कनीना, हितेश वासी कनीना, अरुण उर्फ मोहित वासी कनीना, योगेश उर्फ यशु वासी कनीना, आशीष उर्फ लीला वासी कनीना, दीपक वासी कनीना और मंदीप उर्फ भोंदू वासी सीहोर के रूप में हुई है। पुलिस ने आरोपितों को कनीना क्षेत्र से गिरफ्तार किया है। आरोपितों को आज न्यायालय में पेश किया गया, तीन आरोपितों हितेश, योगेश, आशीष उर्फ लीला को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और चार आरोपितों मनीष उर्फ गोला, अरुण उर्फ मोहित, दीपक, मंदीप उर्फ भोंदू को पुलिस रिमांड पर लिया गया है।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि पीडि़त अंकित ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसने व उसके दोस्त दीपक उर्फ सोनू ने गांव में शराब पी व उसके बाद रात्रि करीब 11:30 बजे दीपक ने कहा कि कनीना चलते हैं। कनीना पहुंचने पर वे दोनों होली वाले मैदान के बाहर बैठ गए जहां दो बाइकों पर कुछ लड़के सवार होकर आए। उनके हाथों में पेट्रोल की दो बोतल भी थी, जिनमें से उन्होंने एक बोतल उसके ऊपर डालकर आग लगा दी। इसके बाद सभी मौके से भाग गए। अंकित ने बताया कि उनमें से वह एक लड़के मनीष उर्फ गोला को जानता है। शिकायत पर पुलिस ने एक नामजद व अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
पुलिस अधीक्षक ने मामले को संज्ञान में लेते हुए पुलिस को निर्देश दिए कि आरोपितों को जल्द गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इस मामले में थाना शहर कनीना पुलिस ने सात आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने जांच करते हुए पता लगाया कि आपस में हुई कहासुनी को लेकर आरोपितों ने वारदात को अंजाम दिया था। गिरफ्तार आरोपितों में तीन आरोपितों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है और चार आरोपितों को पुलिस रिमांड पर लिया गया है।
फोटो कैप्शन 01: गिरफ्तार किये गये आरोपित साथ में कनीना पुलिस।




केवीपीवाई परीक्षा में एसडी स्कूल ने पाई सफलता
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कनीना की आवाज। एसडी विद्यालय ककराला में विद्यार्थियों द्वारा राष्ट्रीय स्तर की किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना परीक्षा में सफलता हासिल करने के उपलक्ष्य में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। विद्यालय प्राचार्य ओमप्रकाश यादव ने बताया कि केवीपीवाई परीक्षा भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर द्वारा आयोजित करवाई जाती है परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले दो विद्यार्थियों हर्षित एवं नीतू सहरावत को सरकार द्वारा छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। परीक्षा का मुख्य उद्देश्य विज्ञान में रिसर्च क्षेत्र को अधिक मजबूत बनाना व रुचि रखने वाले विद्यार्थियों को रिसर्च क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
फोटो कैप्शन 02: उत्तीर्ण हुये स्कूल के दो विद्यार्थियों की फोटो।



दो बने कालेज प्राचार्य, किया गया सम्मान
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कनीना की आवाज। राजकीय महाविद्यालय नारनौल में वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ पूर्ण प्रभा और डा सुरेंद्र कुमार जी के प्राचार्य पद पर पदोन्नति मिलने के शुभ अवसर पर राजकीय महाविद्यालय  नारनौल के समस्त  स्टाफ सदस्यों के द्वारा उनका फूल माला और बूकों  से स्वागत किया गया । इस दौरान अनेक वक्ताओं ने उनके उनके  पिछले प्राध्यापक काल के दौरान कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा की और दोनों  प्राचार्य का अभिनंदन  और स्वागत किया गया। प्राचार्या डॉ पूर्ण प्रभा ने राजकीय महाविद्यालय नारनौल और प्राचार्य डॉ सुरेंद्र कुमार ने राजकीय महाविद्यालय सिहमा में पदभार ग्रहण किया है । इस शुभ अवसर पर डॉ पूर्ण प्रभा ने सभी स्टाफ सदस्यों को आश्वस्त किया कि  हरियाणा और जिला महेंद्रगढ़ का सबसे बड़ा और प्राचीन संस्थान को सम्पूर्ण हरियाणा की अग्रणी संस्थान बनाने के लिए समस्त स्टाफ सदस्यों से कंधा से कंधा मिलाकर राजकीय महाविद्यालय नारनौल को और अधिक ऊंचाईयों की बुलंदियों पर ले जाया जाएगा और सभी रुके हुए कार्यों को पूरा करवाने  और नये कार्य की शुरुआत का नेक नीयत से प्रयास किया जाएगा। इस अवसर पर सभी स्टाफ सदस्यों ने हरियाणा सरकार और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री माननीय ओमप्रकाश जी के अथक प्रयासों की सराहना की और विशेष रूप से आनन्द मोहन शरण जी एडिशनल चीफ सेक्रेटरी  हरियाणा सरकार और उच्चतर शिक्षा आयुक्त का एक स्वर में  प्राचार्य की रुकी हुई लिस्ट जारी करवाने पर सभी का दिल की गहराइयों से बहुत आभार प्रकट किया ।इस प्रकार जिला महेंद्रगढ़ में सभी महाविद्यालयों में रेगुलर प्रिंसिपल के आगमन से जिला महेंद्रगढ़ के महाविद्यालयों का शैक्षणिक  और प्रशासनिक के साथ महाविद्यालयों का चहुंमुखी विकास होगा और  इलाके के विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ साथ सभी सुविधाएं मिलेंगी।
फोटो कैप्शन 03: प्राचार्य पद पर पदोन्नति मिलने पर विदाई समारोह।




भारी बारिश की चेतावनी के मद्देनजर डीसी ने जारी की एडवाइजरी
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कनीना की आवाज। उपायुक्त डॉ जय कृष्ण आभीर ने मौसम विभाग द्वारा जारी की गई भारी बारिश की चेतावनी के मद्देनजर लोगों को 7 व 8 जुलाई के लिए एडवाइजरी जारी की है।
डीसी ने नागरिकों से आह्वान किया है कि 7 व 8 जुलाई को कुछ आवश्यक सावधानी बरतें। मौसम विभाग ने इन 2 दिनों के लिए भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इस दौरान भारी बारिश के दौरान बाढ़ जैसे हालात से निपटने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह तैयार है। उन्होंने नागरिकों से आह्वान किया है कि वे इस दौरान पूरी सावधानी बरतें। किसी पुराने घर की नींव आदि में पानी न भरने दें। जहां ऐसे हादसे होने का अंदेशा हो ऐसी जगह से दूर रहें। जब बिजली कड़कती हो तो खेतों में पेड़ के नीचे खड़े ना हों। उन्होंने कहा कि हम सभी नागरिकों की जिम्मेदारी बनती है  कि  विपरीत मौसम में  हम सब एक साथ मिलकर कार्य करें तथा पूरी सावधानी बरतें। अगर कहीं पर भारी बारिश के कारण कोई हादसा होता है तो वे तुरंत बाढ़ नियंत्रण कक्ष में सूचना दें।
उन्होंने बताया कि बाढ़ आने की स्थिति में कोई भी नागरिक 01282-251209 पर सूचना दे सकता है। इसके अलावा यह नंबर व्यस्त रहता है या नहीं मिलता है तो वह कैंप कार्यालय के लैंडलाइन नंबर 01282-251200 तथा 251202 पर फोन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह नंबर भी व्यस्त रहते हैं तो 112 नंबर पर डायल कर सकते हैं। यह सेंट्रलाइज के नंबर है जो पूरे हरियाणा के लिए है।
उपायुक्त ने कहा कि लोगों की जान माल की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट पर है हर रोज के लिए बाढ़ नियंत्रण कक्ष में अलग-अलग विभागों के कर्मचारियों को तैनात किया जाता है।
यह चेतावनी भारी बारिश होने की स्थिति में ही लागू होगी।






रिटायर्ड डीआईजी राज सिंह के मकान के पास लगे कूड़े के ढेर से आ रही है, प्रशासन नहीं ले रहा है सुध
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कनीना की आवाज। जहां एक तरफ स्थानीय प्रशासन सफाई व्यवस्था को लेकर शहर को चार चांद लगाने का दावा कर रहा है वहीं दूसरी तरफ उसी शहर कनीना मंडी में रिटायर्ड सीनियर पुलिस अधिकारी डीआईजी राज सिंह के मकान के पास लगे कूड़े के ढेर लगे हैं।
रिटायर डीआईजी राज सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि कनीना मंडी में अपना मकान बनाकर रह रहा हूं वही मकान के पास नगरपालिका का एक खाली प्लॉट पड़ा हुआ है जिसमें पड़ोस के लोगों ने कूड़ा करकट डालकर एक कूड़े का बड़ा ढेर बना दिया है। जिसने मक्खी मच्छर और बीमारियां पनप रही है  जिसकी शिकायत कई बार स्थानीय प्रशासन के अलावा खंड एवं विकास अधिकारी तथा उप मंडल अधिकारी को लिखित व मौखिक में देकर मामले से अवगत कराया है। रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने यह भी बताया की साफ-सफाई को लेकर नगर पालिका के पास दर्जनों कर्मचारी हैं लेकिन इसके बावजूद भी कनीना मंडी के इस प्लॉट में पड़े कूड़े के ढेर को आज तक किसी ने नहीं उठाया। अगर 1 सप्ताह के अंदर यह कूड़े का ढेर नहीं उठाया तो वह उच्च अधिकारियों से मिलकर मामले को उठाएंगे। यहां गौरतलब है कि जब एक रिटायर्ड पुलिस अफसर के कहने पर भी प्रशासन कार्य नहीं कर रहा है।
मिली जानकारी अनुसार कनीना मंडी के दो गेट के बीच दो सफाई कर्मी ल्रा रखे हैं वहीं कूड़ा उठाने वाली गाड़ी, घर घर से कूड़ा ले जाने वाली गाड़ी तो लगा रखी है किंतु कुछ जगह समस्या मिलना स्वाभाविक है।
फोटो कैप्शन 04: रिटायर्ड डीआईजी राज सिंह कूड़े के ढेर के प्लॉट के सामने खड़े।





जिहादी मानसिकता को जन्म देने वाले और कट्टरवाद को संरक्षण देने वाले मदरसे हो बंद
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कनीना की आवाज। कन्हैया लाल की हत्या एक सोची समझी सुनियोजित आतंकवादी घटना है इस हत्या के पीछे मदरसों में दी जा रही इस्लामिक कट्टरवाद की शिक्षा है जब तक जिहादी मानसिकता को जन्म देने वाले और कट्टरवाद को संरक्षण देने वाले ये शिक्षा के नाम पर कलंक मदरसे बंद नहीं होंगे तब तक भारत में ही नहीं समस्त दुनिया में इस प्रकार की आतंकी घटनाएं होती रहेंगी उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या के विरोध में आज महेंद्रगढ़ के राव तुला राम चौक से प्रारंभ होकर आईटीआई रोड ,बालाजी , सब्जी मंडी होते हुए परशुराम चौक तक एक आक्रोश मार्च निकाला गया जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद , बंजर ग दल ,सेवा भारती ,भारत विकास परिषद अधिवक्ता परिषद , राम लीला परिषद आर्य समाज आदि संगठनों के पदाधिकारी शामिल हुए प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे पदाधिकारियों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि इस हत्याकांड के दोषियों को तुरंत फांसी की सजा दी जाए साथ ही महेंद्रगढ़ और उसके आसपास जो रोहिग्याग ओर बग्लादेशी अवैध रूप से झुग्गी  बनाकर रह रहे है ऐसेलोगों की जांच की जाए वक्ताओं ने आरोप लगाया की इन झुग्गियों में जो मुसलमान रहते हैं वो प्रशासन की निष्क्रियता का लाभ उठाकर इस नगर में कभी भी अशांति फैला सकते हैं साथ ही उदयपुर की घटना एक राष्ट्रीय आतंकवाद है यह घटनाएं समाज में भय का वातावरण पैदा कर रही हैं विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि हिंदू समाज जब तक इस प्रकार की आतंकवादी घटनाओं का पुरजोर विरोध नहीं करेगा तब तक इस प्रकार की घटनाएं होती रहेंगी इस रोष प्रदर्शन के समाप्ति पर परशुराम चौक पर इस्लामिक आतंकवाद का पुतला फूंका गया और इसके बाद विविध संगठनों के वरिष्ठ पदाधिकारी इक_ा होकर कोर्ट परिसर में गए जहां पर नगर पालिका के चेयरमैन रमेश सैनी पूर्व पार्षद सुरेंद्र बंटी राष्ट्रीय स्वयसेवक  संघ के विभाग प्रचारक प्रमुख कैलाश पाली विश्व हिंदू परिषद के रामजीवन मित्तल और डॉक्टर शोभा यादव के नेतृत्व में एक ज्ञापन उपमंडल अधिकारी नागरिकों को राष्ट्रपति के नाम सौंपा गया जिसमें आतंक का बीज बोने वाली जिहादी और इस्लामिक शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए महेंद्रगढ़ के आसपास क्षेत्र को  सुरक्षित करने के लिए बांग्लादेशी और रोहिंग्या को गिरफ्तार कर बाहर भेजा जाए यह मांग भी की गई इस प्रदर्शन में राव हरी सिह
पूर्व पार्षद मुंशी राम जांगड़ा संदीप कुमार बचीनी नीरज मित्तल पवन भारद्वाज मास्टर बिशन दयाल रवि शेकर तिवाडी नवीन राव रतनलाल माधवगढ़  अशोक शर्मा संजय विकास जांगिड़ राम गोपाल मित्तल कैलाश बुवानिया राजेश दीवान प्रवीण प्रशांत आदि उपस्थित थे
फोटो कैप्शन 6: महेंद्रगढ़ में प्रदर्शन करते विभिन्न दल।


तीन स्थानों पर मच्छरों के लारवा मिले, मौखिक तौर पर दिया नोटिस
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कनीना की आवाज। क्षेत्र में जहां बारिश के मौसम में मच्छरों के पनपने एवं लारवा पैदा होने की समस्या बढ़ती बढ़ जाती है। जिसको लेकर एमपीएचडब्ल्यू कनीना सुनील कुमार ने विभिन्न संस्थानों का दौरा किया।
उन्होंने बताया कि सैनिक रेस्ट हाउस में तीन स्थानों पर लारवा पाए गए। संस्थान को मौखिक तौर पर नोटिस दे दिया गया है। उन्होंने पुलिस कार्यालय, एसडीएम कार्यालय, खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय एवं सैनिक रेस्ट हाउस आदि स्थानों पर दौरा किया और पानी से भरे बर्तनों की का निरीक्षण किया। सैनिक रेस्ट हाउस में तीन स्थानों पर लारवा मिला जिसके लिए उन्हें मौखिक तौर पर कह दिया है। उन्होंने बताया कि बारिश के समय इन बर्तनों में पानी खड़ा हो उनकी सफाई करनी जरूरी है, वरना मच्छर पनपते चले जाते हैं। यही नहीं उन्होंने कनीना कस्बे में सघन अभियान चला रखा है इसके तहत हर गांव गली हर मोहल्ले में जाते हैं पानी खड़ा रहने और लारवा पनपने वाले स्थानों की निरीक्षण कर मालिक को सूचित करते हैं। उन्होंने बताया कि एसडीएम कार्यालय पुलिस विभाग तथा खंड शिक्षा अधिकारी कनीना में अलग-अलग 10 स्थानों पर अलग-अलग पानी के बर्तनों की जांच की कहीं कोई लारवा नहीं मिला किंतु सैनिक रेस्ट हाउस में तीन स्थानों पर मिला है। उन्होंने सावधानी बरतने की सलाह दी है।
 फोटो कैप्शन 8 एवं 9:एसडीएम तथा विभाग में पानी का निरीक्षण करते हुए तथा उनको बुकलेट द्वारा मच्छरों को के बारे में जानकारी देते हुए सुनील कुमार।


 धनौंदा स्कूल में मनाया गया डेंगू माह
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 कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौंदा में प्रांगण में डेंगू माह मनाया गया जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धनौंदा की हेल्थ टीम ने बच्चों एवं पूरे स्टाफ को डेंगू के बारे में विस्तार से बताया।
 उन्होंने बताया कि अपने घरों व आसपास पानी जमा न होने दें, छत आदि पर पड़े हुए टूटे-फूटे बर्तनों में जमा पानी बिखेर दें अपने कूलर एवं फ्रिज आदि को साफ सुथरा रखें, रात को सोते समय मच्छरदानी आदि का प्रयोग करें तथा पूरी बाजू के वस्त्र पहनकर सोए।
इस मौके पर सुपरवाइजर कंवरपाल, पवन कुमार व वर्कर राजेश कुमार सहित पूरा स्टाफ उपस्थित रहा।
 फोटो कैप्शन 7:मच्छरों के बारे में जानकारी देते प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की टीम।



चेतावनी-किसी प्रकार की लेख की कापी करना दंडनीय अपराध एवं कापीराइट एक्ट के खिलाफ होगा।
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 पुराने वक्त से प्रयोग










करते आ रहे हैं टींट एवं बाडिय़ा
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कनीना की आवाज। पुराने समय से बुजुर्ग एक कहावत कहते आए हैं कि -
                होल़ो   पूच्छै   होल़ी  तैं , के  रांधागी  होल़ी  नै ।
                टींट बाडिय़ा सब दिन रांधू, चावल़ रांधू होल़ी नै।।
 यह कहावत बहुत पुरानी है जो सिद्ध करती है टींट एवं बाडिय़ा पुराने समय से इंसान प्रयोग करता आ रहा है। शरीर के लिए बेहद लाभप्रद ये फल एवं फूल कैर पौधे से प्राप्त होते हैं। पुराने समय में हर गांव में हर जगह बणियां होती थी। कैर इन बणियों में पाए जाते है। कैर ऐसे पौधे होते हैं जो सूखे में भी लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। पानी की बहुत कम आवश्यकता होती है, वास्तव में आंधी एवं बारिश आदि के तेज बहाव को राोक देते हैं। इन पौधों के अंदर अनेकों सरीसृप निवास करते हैं। कैर की लकड़ी बहुत शुभ मानी जाती है। और पुराने वक्त में घरों में दही बिलोते समय मथनी इसी के सहारे चलती थी। वह जमाना बदल गया फिर मधानी भी अनेकों प्रकार की आने लगी। आजकल के बच्चे यह भी नहीं जानते होंगे कि किसी समय दही से मक्खन बनाने की मधानी कैसे प्रयोग करते थे। कै र की लकड़ी बहुत कारगर मानी जाती है। कैर का नाम लेते ही एक ऐसे पौधे का चित्र मन में भरता है जिसके पत्ते नहीं दिखाई देते। पत्ते तो होते हैं किंतु बहुत बहुत सुई जैसे होते हैं। सुई जैसेे पत्ते वाष्पोत्सर्जन क्रिया कम करने के लिए होते हैं। कैर का तना स्वयं ही पत्ती का  कार्य करते हैं। प्राय मार्च-अप्रैल तथा अगस्त एवं सितंबर ,वर्ष में दो बार फूल एवं फल प्रदान करते हैं। कैर के फूल जो अभी खिले नहीं है उनको बाडिय़ा नाम से जाना जाता है। ये फूल खिल जाते हैं उनको भी कुछ लोग प्रयोग में लाते हैं।
  फूल से फल बनते हैं जिन्हें टींट कहते हैं जो सेहत के लिए बहुत लाभप्रद होते हैं। पेट की कई रामबाण औषधियां इसी से बनती है। वास्तव में पुराने समय में बाडिय़ां तोड़कर लाये जाते थे तोड़कर होने छाछ में डालकर कुछ दिनों के लिए रख देते है।। कुछ दिनों पर रखा देने के बाद उसे उठना बोलते हैं। छाछ में रखने से इनमें खटास आ जाता था। उन्हें साफ पानी में धोकर कई प्रकार से प्रयोग किया जाता है। विशेषकर इन की सूखी सब्जी बनाई जाती थी जो बड़े चाव से खाई जाती है। आज भी बुजुर्ग पुराने जमाने की सब्जी को नहीं भूल पाए हैं।  इसके फूल भी इसी प्रकार सब्जी बनाने के काम आते हैं। इनके फल होते हैं उनको भी ऐसे ही प्रयोग किया जाता है। जहां टींट में अंदर कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं लिपिड पाए जाते हैं वही एंटीऑक्सीडेंट और एंटी डायबिटिक औषधि के रूप में जाना जाता है। शुगर की बीमारी में भी अच्छे होते हैं। मधुमेह को दूर कर देते हैं। फूलों में एस्कार्बिक अमल पाया जाता है तथा इनको ग्रामीण क्षेत्रों में जमकर सब्जी बनाने के काम लेते हैं। राजस्थान जैसे क्षेत्रों में तो कैर एक बहु औषधीय पौधा बन गया है। इसके टींट जहां हरे रूप में होते हैं। बाद में वे लाल बन जाते हैं। ये पीचू नाम से जाने जाते हैं और पीचू को बड़े चाव से खाते हैं। फलों को पक्षी और पशु खाते हैं। जिनका स्वाद मीठा होता है। जिसमें काले बीज पाए जाते हैं। वास्तव में टींट को सूखा लिया जाता है जहां वे देसी सब्जियां बनाने में बहुत कारगर होते हैं। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों के लोग टीट का अचार प्रयोग करते हैं। कैर की ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पूजा भी करते हैं क्योंकि इसके औषधि गुण होते हैं। मेलों के अफसरों पर इसके पीछे कांटो में चने आदि भी पिरोए जाते हैं जो एक सगुन माना जाता है। कैर का रंग इतना गहरा और हरा होता है कि दूर से दिखाई देता है लेकिन जब इस पर फूल लगते हैं तो दूर से लोग आकर्षित करते है। कैर में सरीसृप निवास करते हैं और कैर उनका सुरक्षा भी करता है। कैर अधिक ऊंचा नहीं होता लेकिन कभी कबार इसकी लकड़ी मोटी हो जाती है तो काट कर घरों में प्रयोग करते हैं। परंतु कर जब खत्म हो जाते हैं दोबारा से पनपने में लंबा समय लेते हैं।
टींट का अचार जब कोई एक बार खा लेता है तो वह इसकी और आकर्षित होता चला जाता हैं। अचार का वो इतना दीवाना बन जाता है कि टींट के अचार के बगैर वह खाना तक नहीं खाता।
 बुजुर्ग आज भी बताते हैं पुराने समय में अधिक संघर्ष करके टींट को तोड़ कर लाते थे और थैलों में भरकर घर तक पहुंचाते थे। घरों में छाछ भी अधिक मात्रा में होने से टींट को छाछ में कुछ दिनों तक डाले रखते है। जब उनका कड़वाहट कम हो जाता है तो उन्हें तलकर या भूनकर प्रयोग करते है। आज कभी पेट में दर्द हो जाए तो इसका पिसा हुआ पाउडर लिया जाता है। टींट का प्रारंभ में रंग हरा होता है वहीं बाडिया भी हरे रंग का होता है। यदि टींट को न तोड़ा जाए तो बाद में यह लाल रंग रूप धारण कर लेता है जिसे पीचू कहते हैं तथा लोग चाव से खाते हैं। जिसका स्वाद मीठा होता है परंतु इनके बीजों को फेंक दिया जाता है। कुछ पक्षी तो बड़े अधिक लुभाते हैं और उसके फलों को खाते हैं और अपना पेट भरते हैं। टींट एवं बाडिय़ा आदि वर्तमान में पुरानी बात होती जा रही है किंतु लंबे अरसे तक अचार के रूप में टींट को आज भी प्रयोग किया जाता है। बाजार में टेंटी/टींट आदि नामों से आचार मिल जाता है जो सिद्ध करता है कि बुजुर्ग जिस फल का प्रयोग करते थे सबसे अधिक प्रयोग करते थे वह आज भी उपलब्ध है।
क्योंकि कहावत है टींट बाडिय़ा सब दिन सब दिन रांधू का अर्थ है कि टींट एवं बाडिय़ा की सब्जी तो प्रतिदिन बनती है लेकिन चावल होली जैसे पर्व  के दिन बनाऐ जाते थे। इसे सिद्ध होता कि चावल बुजुर्ग कम खाते थे ये कम मिलते थे वही टींट एवं बाडिय़ा प्रतिदिन प्रयोग करते थे। अब भी बड़े-बड़े शहरों में बाजार में कुछ गरीब जाति के लोग टींट बडिय़ा आदि बाजार में बेचते देखे जा सकते हैं। वे ढेर लगाए इनको बेेचते हैं।
 टींट खाने की आदत डाली जाएगी और बढिय़ा की सब्जी बनाई जाए तो आज भी पुराने समय का स्वाद फिर से हाजिर हो सकता है। अभी टींट पर बहुत से शोध चल रहे हैं। यह भी हो सकता है कि भविष्य में कैर बड़े स्तर पर औषधि के रूप में प्रयोग किया जाए। पुराने वक्त में सांगर, चौलाई, श्रीआई, बथुआ एवं हरी मेथी आदि अधिक प्रयोग करते थे।

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