आरकेवाई स्कूल में हुआ अभिभावक - शिक्षक गोष्ठी का आयोजन
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कनीना की आवाज। आरकेवाई स्कूल के प्रांगण में अभिभावक शिक्षक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें विद्यालय में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावक बच्चों सहित आए। अभिभावकों ने शिक्षकों के प्रयासों की सराहना की। नई शिक्षा नीति के तहत खेल-खेल में विद्यार्थियों को पढ़ाई करवाने के तरीकों को श्रेष्ठ बताया।
अभिभावकों और अध्यापकों ने मिलकर विद्यार्थियों की अध्ययन संबंधी समस्याओं के निदान पर विचार विमर्श किया। अभिभावक नवीन शर्मा ने बताया कि संस्था की ओर से विद्यार्थियों की पढ़ाई खेल व सांस्कृतिक कार्यक्रम बेहतर तरीके से करवाए जा रहे हैं। वही अभिभावक सुरेन्द्र कनीना ने बताया कि विद्यालय विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास का भी पूरा प्रयास करते हुए सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताओं का आयोजन समय-समय पर करता रहता है। अभिभावक प्रदीप कुमार जैनाबाद ने बताया कि उन्हें इस विद्यालय की शूटिंग रेंज सबसे ज्यादा आकृष्ट करती है जोकि अपने आप में एक अद्भुत खेल है।
संस्था के संचालक सुरेश कुमार व राजकुमार यादव ने बताया कि बच्चे के शैक्षणिक विकास में विद्यालय के शिक्षक के साथ साथ अभिभावक की भी अहम भूमिका होती है। संस्था के प्राचार्य शक्ति यादव एवं उप-प्राचार्या सतेन्द्रा यादव ने बताया कि स्कूल में शिक्षा एवं सरबती कोचिंग कैंपस में विभिन्न कोचिंग दी जाती हैं। इस मौके पर समस्त स्टाफ हाजिर था।
फोटो कैप्शन 01: आरकेवाई स्कूल में पीटीएम का नजारा।
शत-प्रतिशत नामांकन के चलते मुख्याध्यापक को किया सम्मानित
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कनीना की आवाज। कनीना उप-मंडल के गांव पड़तल के राजकीय माध्यमिक विद्यालय के ईएसएचएम राजकुमार को शत-प्रतिशत नामांकन के लिए जिला शिक्षा अधिकारी नारनौल में 5000 रुपये का इनाम चेक के रूप में दिया।
विस्तृत जानकारी देते हुए राजकुमार राव ने बताया कि उन्हें यह राशि शत-प्रतिशत नामांकन ट्रांजिशन के लिए प्रदान की है। उन्होंने बताया कि विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष भी सभी विद्यार्थियों का ट्रांजिशन किया वही शत-प्रतिशत नामांकन किया है इसलिए उन्हें यह सम्मान मिला है। स्टाफ सदस्यों ने उन्हें बधाई दी है।
फोटो कैप्शन दो: जिला शिक्षा अधिकारी नारनौल,राजकुमार को नारनौल में इनाम राशि चेक के रूप में देते हुए।
भारत विकास परिषद की बैठक में गूंजा दादरी अलवर रेलमार्ग का मुद्दा
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कनीना की आवाज। नेताजी मैमोरियल क्लब कनीना में भारत विकास परिषद् की बैठक मोहन सिंह यादव की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
बैठक में कंवरसेन वशिष्ठ शाखा संरक्षक ने कहा कि 15 अगस्त के लिए झण्डा वितरण के लिए दिनांक 13 अगस्त को परिषद के सभी सदस्यों को दस बजे इक_ा होना है, तथा दादरी से अलवर रेलवे लाइन जोकि वाया कनीना- काठुवास नीमराणा होकर निकलने वाली है पर जो विवाद चल रहा है उस पर आगे की कार्यवाही की रुपरेखा तय करने के लिए कृष्ण सिंह यादव उपाध्यक्ष को अधिकृत किया गया।
बैठक में प्रदेश सचिव संजय शर्मा ने बताया कि भारत विकास परिषद दक्षिणी हरियाणा प्रान्त के माध्यम से कनीना शाखा में भी कृत्रिम अंग वितरण का कैम्प लगाया जाये जिसमें दिव्यांग जनों को शाखा की तरफ से नि:शुल्क अंग प्रदान करवाये जाएंगे।
शाखा के सदस्य अन्नु यादव सेहलंग की दादी जो कि लगभग 90 वर्ष की उम्र थी के निधन पर सभी ने मौन धारण किया और सन्त लाल जांगड़ा ने श्रद्धांजलि देते हुए शान्ति पाठ किया। आज की बैठक में कंवर सेन वशिष्ठ शाखा संरक्षक, मोहन सिंह यादव अध्यक्ष, कृष्ण सिंह उपाध्यक्ष, लखन लाल शाखा सचिव, प्रेम कुमार सिंगला कोषाध्यक्ष सन्त लाल जांगड़ा, महेश बोहरा, राजेन्द्र सिंह यादव पार्षद, देशराज,धनपत सिंह, आदि कार्यकारिणी के सदस्यों की उपस्थिति रही।
फोटो कैप्शन 03: भारत विकास परिषद की बैठक का नजारा।
राष्ट्रीय ध्वज प्रदान किये, पीटीएम भी आयोजित
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कनीना की आवाज। हर घर तिरंगा अभियान को सार्थक बनाने के लिए सरस्वती पब्लिक स्कूल भडफ़ मे अध्यापक अभिभावक सम्मेलन आयोजित किया गया । इस सम्मेलन में काफी संख्या में अभिभावकों ने बड़े ही जोश और उत्साह से भाग लिया। उन्होंने अपने बच्चों की शैक्षणिक गतिविधियों की जांच परख की। साथ ही अध्यापकों से विचार विमर्श करते हुए अपने -अपने बच्चों का शैक्षणिक कौशल और अधिक निखारने का निवेदन किया। अध्यापक एवं अध्यापिकाओं ने भी उन्हें आश्वासन दिया कि वे अपने कर्तव्य के निर्वाह में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। जितना बन पड़ेगा वे सभी बच्चों को अपना श्रेष्ठत्तम देने का प्रयास करते रहेंगे। बशर्ते की अभिभावक गण भी अपना वांछित सहयोग बनाए रखें । इस अवसर पर संस्था के चेयरमैन रमेश कुमार भारद्वाज ने सरकार द्वारा चलाए जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव मनाए जाने के लिए अध्यापकों बच्चों वह अभिभावकों से इस पर्व में बढ़ चढ़कर भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि मां भारती के हजारों वीर सपूतों की कुर्बानी के उपरांत हमें यह आजादी मिली है यह हमारा परम सौभाग्य है कि हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं। यह हमारा सबसे बड़ा त्यौहार है इसे हर्षोल्लास के साथ मनाना हमारा परम धर्म है । सरकार की हर घर तिरंगा मुहिम को हमें हर हाल में सफल बनाना है। हर घर तिरंगा के सफल आयोजन हेतु संस्था के निदेशक गजराज सिंह द्वारा अभिभावकों को राष्ट्रध्वज वितरित किए गए। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए संस्था के प्राचार्य मनोज कुमार द्वारा बच्चों को उत्साहित किया गया कि वे आकर्षक राष्ट्रध्वज बनाएं तथा बच्चों ने भी राष्ट्रध्वज निर्माण प्रतियोगिता में खूब उत्साह दिखाया ।आज का यह सम्मेलन बहुत ही सफल रहा .अपने राष्ट्र व राष्ट्र ध्वज के प्रति बच्चों अभिभावकों एवं समस्त स्टाफ में असीम उत्साह देखने को मिल रहा था जो अपने देश के प्रति कृतज्ञता को प्रदर्शित करता है।
फोटो कैप्शन 4:सरस्वती स्कूल में ध्वज वितरित करते हुए।
शिक्षकों के ट्रांसफर ऑप्शन खुलने का बेसब्री से इंतजार
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कनीना की आवाज। लंबे अरसे के बाद इस वर्ष जेबीटी को छोड़कर सभी शिक्षकों के तबादले होने की पूरी संभावना है। पल पल शिक्षक एमआईएस पर नजरें गड़ाए रखते हैं क्योंकि 6 और 7 अगस्त को कभी भी ऑप्शन खुलने की संभावना जताई गई थी किंतु अभी तक शिक्षकों से मिली सूचना अनुसार ऑप्शन नहीं खुले हैं। शिक्षा विभाग जल्द ही रेशनलाइजेशन की सूची , भाग लेने वाले शिक्षकों की सूची आदि जारी करेगा तथा जल्द ही ऑप्शन खुलने की संभावना है। तत्पश्चात ही शिक्षक अपने मनचाहे स्टेशन को पाने की उम्मीद जगेगी।
उल्लेखनीय है कि लंबे अरसे के बाद शिक्षकों को यह मौका मिल रहा है किंतु जेबीटी शिक्षक भी चाहते हैं कि उनका भी तबादला जल्द से जल्द हो ताकि वे भी अपने मनचाहे स्टेशन पर जा सके। बहरहाल प्राचार्य, प्राध्यापक, शिक्षक, मास्टर आदि सभी के तबादले एक साथ किए जा रहे हैं। यह पहला अवसर है जब सभी के तबादले एक साथ किए जा रहे हैं वरना अलग-अलग शिक्षकों के तबादले अलग-अलग समय आयोजित किए जाते हैं। अब देखा जाना है कि सभी शिक्षकों के एक साथ तबादले प्रक्रिया से शिक्षक कितने संतुष्ट हो पाते हैं। यह भी माना जा रहा है कि गणित अध्यापकों के पद ज्यादा है खाली पड़े हैं शिक्षकों का अभाव है वही विज्ञान अध्यापकों के पद बड़े-बड़े स्कूलों में भी सृजित नहीं किए गए हैं जिसका मलाल है। अगर कनीना उपमंडल में देखा जाए तो एक दर्जन वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, उच्च विद्यालय तथा माध्यमिक विद्यालय ऐसे हैं जिनमें विज्ञान अध्यापक का पद ही सृजित नहीं है। नियमानुसार तो विज्ञान का पद हर स्कूल में सृजित होना चाहिए किंतु सभी नियमों को ताक पर रखा जाता है।
अपने हाथों से नष्ट कर दी खरपतवार
-अनेकों खरपतवार थी शाक सब्जी बनाने में महत्वपूर्ण
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कनीना की आवाज। कनीना और आसपास क्षेत्रों में किसी जमाने में अनेकों जड़ी बूटियां औषधीय पौधे खरपतवार के रूप में उगती थी किंतु किसान ने अपने हाथों से इनको नष्ट कर दिया है। परिणाम स्वरूप पंसारी की दुकानों पर महंगे दामों पर जड़ी बूटियों को ढूंढते फिरते हैं। यही नहीं मिलने वाली जड़ी बूटियों की कोई प्रमाणिकता भी नहीं होती।
एक वक्त था जब ग्रामीण क्षेत्रों में खरपतवार आदि को नष्ट करने के लिए कोई दवा का छिड़काव नहीं किया जाता था। महज अपने हाथों से उखाड़ कर इन खरपतवार को फेंक दिया जाता था जिससे अनेकों खरपतवार खेतों में रह जाती थी। किसान ही नहीं लोगों को भी जिनको जरूरत होती थी विभिन्न उद्देश्यों के लिए काम में लेते थे। ऐसी ही आने को खरपतवारों में बथुआ, चौलाई, सीरियाई, कोहेंद्रा, पुनर्नवा आदि प्रमुख थी।
किसान उनको अपने खेत सुखाड़ कर लाता था और परिवार के लिए महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ रायता, कोफ्ता, पराठे, भाजी, खाटा का साग, कढ़ी आदि बनाता था किंतु जब से खरपतवार किसानों ने जहरीली दवा डाल कर नष्ट कर दी तब से बाजार में सब्जी की दुकानों पर किसान इन्हें खरीदते देखा जा सकता हैं।
सर्दियों के मौसम में पैदा होने वाला बथुआ एवं कोहेंद्रा प्रमुख औषधियां थी। वैसे भी शाक सब्जियां थी जिन्हें विभिन्न रूपों में प्रयोग करता था। डॉक्टर ही नहीं वैद्य भी इनको प्रयोग करने की सलाह देते थे। खून की कमी को अक्सर दूर करने के लिए भी इनका अहं योगदान होता था किंतु अब ये खरपतवार किसी खेत में या तो पैदा होती ही नहीं होती है और अगर पैदा होती है तो उन पर जहरीली दवा छिड़की जाती हैं ताकि वेे समूल नष्ट हो जाए। इन दवाओं का कुप्रभाव अनाज पर भी पड़ता है और सांस की बीमारी, कैंसर, मिर्गी, दमा आदि उत्पन्न होते हैं किंतु किसान किसान जानबूझकर आज भी इनका उपयोग कर रहा है। गर्मियों के दिनों में पैदा होने वाली चौलाई ,श्रीआई, पुनर्नवा आज ढूंढे भी नहीं मिलते। बाजार और पंसारी की दुकान ऊपर चौलाई, सीरियाई के बीज ढूंढते हैं या उन्हें पुस्तकों में पढऩे को मिलती हैं। अधिकांश युवा पीढ़ी तो इनके नाम लेते ही अचंभित होते हैं कि यह भी कोई पौधा होता था। वास्तविकता यह है कि आज भी इक्का-दुक्का किसी जगह यह पौधे देखे जा सकते हैं। पर अधिक मात्रा में उत्पन्न नहीं होते।
एक जमाना था जब जंगल में गहरी बणिया होती थी। पशुपालक उन बणियों में अपने पशुओं को चराने के लिए ले जाते थे। कैर एवं जाल पेड़ों के आसपास भारी मात्रा में चौलाई और खेतों में सीरियाई खड़ी नजर आती थी। इनको तोड़कर शुद्ध आयरन युक्त शाक बनाता था। आज भी बुजुर्गों के सामने यदि रायता, शाक, कोफ्ता, भाजी, पराठे कढ़ी, खाटा का साग आदि का नाम ले तो वह उत्सुकता भरी नजरों से देखते नजर आएंगे क्योंकि उनके जमाने में उन्होंने बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग किया और आधुनिक पीढ़ी ने इनको अपने हाथों से नष्ट कर दिया। ऐसे समय में किसान और आम आदमी इन को नष्ट करके पछता रहा है किंतु कहते हैं अब पछताए होत क्या जब चिडिय़ा चुग गई खेत। अब तो किसी दुकान पर इनको ढूंढ सकते हैं। यही नहीं खेतों में जंगल के रूप में पैदा होने वाली कचरी, जंगली टिंडा, जंगली करेला आदि पूर्ण रूप से खो दिए। इनकी सब्जी जायकेदार होती थी और इंसान आज भी इनको नहीं भुला पाया है।
फोटो कैप्शन 5: सीरियाई का खड़ा हुआ खेतों में एक पौधा।
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