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Sunday, September 12, 2021

 पायलट मिनाक्षी यादव ने संकल्प किया पूरा
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कनीना। उपमंडल के गांव रामबास की बेटी मिनाक्षी पायलट सुपुत्री हंसराज आर्य ने अपने जीवन का लक्ष्य बनाया था, कि मुझे पायलट बनना है। पिछले दो वर्ष पूर्व मिनाक्षी ने अपने निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति की और पायलट बनी । आज बेटी इंडिगो एयरलाइंस मे सेवारत है । मिनाक्षी इस उपलब्धि का श्रेय दादा-दादी, माता-पिता, गुरूजनों एवं आर्य समाज को देती है। मिनाक्षी कहती है, कि आर्य समाज के सिद्धांतों एवं उपदेशों से मेरे संस्कारों मे मजबूती आई। मैंने महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन को पढ़ा उनके संघर्ष और पुरूषार्थ से प्रेरणा पाई ।आज मैं इस स्थिति मे पहुंची हूं। इसके पीछे आर्य समाज की बहुत बडी़ भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि आगे भी आर्य समाज के सिद्धांत एवं स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा बताया गया वेदमार्ग ही मेरा जीवन पथ बनेगा ।
पायलट बनने के बाद मिनाक्षी यादव ने एक संकल्प किया कि, मै कुछ समाज सेवियों को अपने निजी कोष से हवाई यात्रा कराऊंगी,जिन्होंने पहले कभी हवाई यात्रा नहीं की है। मिनाक्षी पायलट ने इस संकल्प को भी अपने जन्मदिन पर पूरा किया। रविवार प्रात: भगवत भक्ति आश्रम दड़ोली के महन्त स्वामी सम्पर्णानन्द सरस्वती (पूर्व मे आचार्य अभयदेव ) के द्वारा वैदिक सत्संग का आयोजन किया गया । स्वामी ने बहुत से जीवन उपयोगी उपदेश कहे । स्वामी ने कहा ग्रामीण परिवेश मे रहते हुए बेटी मिनाक्षी ने इतनी बडी़ उपलब्धि प्राप्त की है ,यह हम सबके लिए बड़े ही गौरव की बात है। सत्संग के समापन उपरांत स्वामी जी और आमन्त्रित महानुभावों ने मिनाक्षी पायलट को जन्मदिन की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। मिनाक्षी पायलट से प्रेरणा पाकर कई युवक-युवतियों ने भी अपने जीवन को उत्कृष्ट बनाने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने का मन बनाया । स्वामी जी ने शनिवार को प्रात: 7:30 बजे हवाई यात्रा के यात्रियों को हरी झण्डी दिखाकर प्रस्थान किया और सुखद एवं मंगलमय यात्रा की कामना की । यह हवाई यात्रा दिल्ली हवाई अड्डे से जयपुर तक थी ।
आज हमारे गांव व समाज के लिए मिनाक्षी प्रेरणा स्त्रोत है मिनाक्षी ने अपने माता पिता के साथ साथ क्षेत्र का भी नाम रोशन किया है मिनाक्षी को पायलेट बनता देख बहुत से बच्चों ने पायलेट बनने का लक्ष्य बनाया है और मुझे विश्वास है वो सभी बच्चे सच्चे मन से विश्वास के साथ मेहनत करगे और कामियाब होंगे।इस कार्यक्रम के मुख्य संयोजक संदीप यादव प्रदेश प्रवक्ता जय किसान आंदोलन हरियाणा, पण्डित कंवरसिंह आर्य आनावास रहे ।आयोजक हंसराज आर्य रामबास रहे । इस जन्मदिन उत्सव पर रामेश्वरदयाल, प्रोफेसर कर्मबीर, कुलदीप यादव प्रधान बार ऐसोसिएशन कनीना, रमन शास्त्री ,कप्तान विजय सिंह, सरपंच विक्रम,सरपंच सुरेश, जयबीर, विकास ,रणबीर आर्य, तेजपाल, सुनील, संजय,डा.धर्मेंद्र, दिनेश, मुन्नी देवी, नीलम ,अनीता, फूलबाई आदि उपस्थित रहे ।



सुनील अत्री बने भाकीयू जनशक्ति के युवा प्रदेश अध्यक्ष
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 कनीना । भाकियू ( जनशक्ति ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार सिंह द्वारा संगठन का विस्तार करते हुए सुनील अत्री युवा प्रदेश  अध्यक्ष हरियाणा को भारतीय किसान यूनियन जन शक्ति संगठन में नामित किया गया।
           सुनील  अत्री ने भारतीय किसान यूनियन जनशक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष  धर्मेंद्र कुमार सिंह और प्रदेश अध्यक्ष विवेक  भैरव महिला प्रदेश अध्यक्ष मनीषा बिष्ट  का आभार व्यक्त किया है। सुनील अत्री ने कहा कि मुझे जो युवा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी दी गई है उसे मैं पूरी इमानदारी से  निभाऊंगा। और किसान भाइयों की आवाज सरकार तक पहुंचाएंगे और उनकी हर समस्या का समाधान करवाएंगे किसानो की समस्या के समाधान के लिए दिन-रात खड़े रहेंगे और उनके हक के लिए अड़े रहेंगे।
 हरियाणा प्रदेश में बारिश से खराब हुई फसल का उचित गिरदावरी करवाकर किसान भाइयों को मुआवजा दिलवाने का कार्य करेंगे ।



कनीना मंडी शिविर में पहुंचे 140  मरीज
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 कनीना। रविवार को सेवा भारती हरियाणा प्रदेश शाखा द्वारा 43वां हृदय रोग एवं नेत्र रोग जांच एवं परामर्श शिविर का आयोजन किया गया। विगत 42 शिविरों में लगातार सेवा दे मेट्रो अस्पताल एवं रोग संस्थान रेवाड़ी से डा राहुल सिंगला ने अपनी टीम सहित सेवा प्रदान की। इसी प्रकार डाक्टर आरबी यादव अस्पताल यादव रेवाड़ी से से डा प्राची जैन ने रोगियों की जांच की। शिविर में इसीजी, बीपी, शुगर की निशुल्क जांच की गई, चश्मे एवं दवाइयां भी वितरित की गई। इस अवसर पर सेवा भारती कनीना के प्रधान सुरेश शर्मा, शिव कुमार अग्रवाल, श्याम सुंदर बंसल, जगदीश आचार्य, नरेश पार्षद, सुनील कुमार, अमित कुमार ,योगेश अग्रवाल, योगेश गुप्ता, दयाराम मोहनपुर, प्रेम सिंगला सहित सेवा भारती के सदस्य उपस्थित थे।
 फोटो कैप्शन 7: कनीना मंडी में आयोजित शिविर में जांच करते डाक्टर।


इस्तगासा के आधार पर 6 लोगों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज

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 कनीना। खैराना गांव के  राम अवतार द्वारा कनीना अदालत में डाले गए इस्तगासा के आधार पर छह विभिन्न लोगों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। कनीना उपमंडल खैराना निवासी ने कनीना न्यायालय में इस्तगासा दायर किया था जिसमें कहा गया है कि उन्होंने 18 अक्टूबर 2020 को खेत में पानी की लाइन लगा रखी थी जो किरोस्ता नामक महिला ने काट डाली। जब उन्होंने कटी हुई पाइप सरपंच एवं पंच को दिखाई तो पुन: लाइन लगाने के लिए कहा गया। दोबारा से लाइन लगाने के लिए गड्ढा खोदा तभी कुछ लोग आ गये और बात बढ़ती चली गई।
उन्होंने कहा है कि मौके पर रखा हुआ बैग जिसमें जरूरी कागजात आरसी लाइसेंस कार की चाबियां कोर्ट के राजीनामा की कापी तथा नकदी आदि उठा ले गये। दौंगड़ा चौकी में शिकायत पर कार्रवाई न होने के चलते तत्पश्चात उन्होंने 11 नवंबर 2020 को पुलिस अधीक्षक नारनौल को भी शिकायत की। ऐसे में उन्होंने दिनेश नामक व्यक्ति को के साथ मारपीट करने, बैग छीनने, जान से मारने की धमकी देने का इस्तगासा दायर किया जिसके तहत न्यायालय ने कनीना थाने में मामला दर्ज करने की का आदेश दिया। कनीना पुलिस ने इस्तगासा के आधार पर संतोष, किरोस्ता, संजू, किरण, राखी एवं दीपक के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।



विज्ञान के युग में पेंटिंग का काम घटा
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कनीना। करीरा गांव का एक पूरा परिवार न केवल पेंटिंग को समर्पित है अपितु दर्जनों युवाओं को भी पेंटिंग की ट्रेनिंग दे चुका है। आधुनिक मशीनों ने भी उनके काम को प्रभावित किया है। अब तो चुनाव आयोग के हंटर के चलते चुनावों में भी काम कम हो गया है। पेंटर परिवार मुश्किल से रोटी रोजी कमा पाता है तथा उनका पेशा भी घटता ही जा रहा है।
कनीना से महज दो किमी दूर स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय वाला गांव करीरा का निहाल सिंह परिवार पूर्ण रूप से पेंटिंग को समर्पित है। मुखिया निहाल सिंह 55 वर्षों से तो उनका पुत्र सुरेश कुमार 30 वर्षों से पेंटिंग के काम से न केवल रोटी रोजी कमा रहा है अपितु एक दर्जन युवाओं को अल्प ट्रेनिंग दी है।
  पेंटर निहाल सिंह ने बताया कि एक जमाना था जब लोग उन्हें ढूंढते फिरते थे किंतु समय नहीं होता था। रात को सोने का समय भी नहीं मिलता था। अब जब चुनाव आते हैं तो उनकी मांग नहीं के बराबर होती है। अब जब कोई पोस्टर या बैनर छपवाना होता है तो मशीनों पर जाकर चंद मिनटों में ही छपवा लिए जाते हैं। उनका कहना है कि उनके बेटों को यह ट्रेनिंग दी गई थी । वर्तमान में तो किसी मंदिर, स्कूलों में कमरे में बच्चों के लिए कार्टून बनाने तथा द्वार आदि पर लिखाई के लिए ही अधिक याद किया जाता है।
 निहाल के पुत्र सुरेश कुमार का कहना है कि उनके पिता के एक बार सख्त बीमार होने के कारण उन्होंने घर की रोटी रोजी चलाने के लिए पेंटिंग का काम करने की सोची थी और वे सफल रहे। उस वक्त वे आठवीं कक्षा में पढ़ते थे। उनका कहना है कि कभी नेम प्लेट, नंबर प्लेट तथा वाहनों के नंबर लिखने का काम जोरों पर होता था किंतु वो भी काम अब मशीनों से होने लगा है।
   उनका कहना है कि चुनाव आयोग की सख्ती के चलते अब दीवारों पर पेंटिंग आदि नहीं कराई जाती। यही कारण है कि कभी चुनावों के समय में बेहतर धंधा चलता था वो अब कम हो गया है।
 फोटो कैप्शन 3: सुरेश कुमार पेंटर पेंटिंग करतेे हुए।


 

बीसी वर्ग के लिए लागू हो केंद्र के नियम
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 कनीना। एक और हरियाणा में बीसी-ए और बी कैटेगरी को लाभ देने की सरकार घोषणा करती है वही कुछ शर्त रखकर केंद्र सरकार से भी भिन्न नियमों का पालन कर रही है। क्षेत्र के लोगों ने रोष जाहिर करते हुए केंद्र के नियमों का पालन हरियाणा सरकार को करने की भी मांग की है। यही नहीं जहां सुप्रीम कोर्ट ने विगत दिनों दिये एक फैसले में भी हरियाणा सरकार के बीसी केटेगरी के नियम पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के आदेश जारी कर रखा है।
 उल्लेखनीय है कि केंद्र केंद्र में ओबीसी के सर्टिफिकेट विद्यार्थियों को विभिन्न शैक्षणिक कार्यों के लिए मिलती है जिसमें यदि किसी का अभिभावक कर्मचारी हो तो भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता। केंद्र में कृषि तथा कर्मी के वेतन कुल आय में नहीं जोड़े जाते जबकि हरियाणा सरकार में कृषि तथा वेतन आदि को जोड़ा जाता है।  हरियाणा सरकार में सभी वेतन एवं कृषि आय तथा सभी आये जोड़कर छह लाख रुपये से अधिक होने पर बीसी का लाभ नहीं दिया जाता जो अहीरवाल क्षेत्र के लिए दुखदाई साबित हो रहा है। क्षेत्र के युवा राधेश्याम गोमला ,बीएमडी क्लब के लक्की सीगड़ा आदि ने हरियाणा सरकार से मांग की है कि तुरंत प्रभाव से बीसी कैटेगरी के लिए केंद्र सरकार के नियमों का पालन किया जाए ताकि इस वर्ग के विद्यार्थियों को लाभ मिल सके तथा उन्होंने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार बीसी वर्ग को में बदलाव किया जाए। हरियाणा सरकार ने 6 लाख रुपये से अधिक आय को क्रीमी लेयर की संज्ञा दे रखी है जबकि इससे कम आय को नान-क्रीमी नाम दिया है जबकि केंद्र सरकार क्रीमी लेयर में आठ लाख रुपये आय से अधिक को मानती है जिसमें वेतन तथा कृषि योग्य आय शामिल नहीं की गई है जबकि हरियाणा में 6 लाख रुपये आय में वेतन, कृषि आय सब कुछ शामिल किये गये हैं।
एक और हरियाणा टीम के आदेशानुसार सी और डी श्रेणी के कर्मी क्रीमी लेयर में शामिल नहीं किए गए हैं जबकि बीसी केटेगरी की सर्टिफिकेट बनवाते समय चपरासी को भी क्रीमी लेयर में आ जाता है।



टावर पोल जीव जंतुओं के लिए बन रहे हैं खतरा
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 कनीना। कनीना की सीमा से गुजरने वाली उच्च वोल्ट विद्युत धारा के लिए लगाए गए टावर पोल जन जीवन एवं जीव जंतुओं के लिए परेशानी का कारण बन गए हैं। एक और मोबाइल टावरों की कस्बा में भरमार हो गई है वहीं कनीना की बावनी भूमि में न केवल कम वोल्ट के लिए लगाए गए पोल बल्कि उच्च वोल्ट के पोल भी बढ़ गये है। किसानों के खेतों में बिजली की लाइनों का जाल बिछा है। शायद ही कोई किसान हो जिसके खेत के पास से या खेत के अंदर से कोई न कोई बिजली की तार न गुजर रही हो। आए दिन इनसे दुर्घटनाएं घट रही हैं।
  किसानों, जीवों एवं आम जन के लिए सबसे अधिक खतरा उच्च वोल्ट की लाइन ले जाने वाली टावर पोल से बन गया है। धनौंदा में 400 केवी का पावर हाउस बनने के कारण धनौंदा से दौलताबाद (गुडग़ांव) बड़ी लाइन जा चुकी है। वहीं कनीना के गांव अगिहार में अडानी ग्रुप का पावर हाउस स्थापित किया जा चुका है। कनीना के पावर हाउस के लिए भी टावर पोल लगाए गए हैं कनीना की सीमा से दो लाइन टावर पोल की तथा एक लाइन गाहड़ा गांव के पास से गुजर रही है। इन लाइनों के चलते किसानों का जीना ही हराम हो गया है। टावर पोल के पास से गुजरने वाली या उसके नीचे से गुजरने वाली बिजली लाइन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। किसान जब अपने खेतों से फसल काटते हैं तो भी बिजली के झटके लगने के समाचार मिले हैं। वैसे भी हिदायत दी जाती है कि किसानों को अपने खेतों फव्वारा पाइप को ऊंचा नहीं उठाना है वरना जान को खतरा बढ़ जाता है। जरूरी नहीं टावर पोल की लाइन से पाइप का छूना अपितु इसके नजदीक जाने पर ही यह बिजली लाइन अपनी ओर पाइप को खिंच लेती है।
क्या कहते हैं किसान-
खेतों से गुजरने वाली टावर लाइन के विषय में किसानों के विचार अलग-अलग हैं किंतु सभी ने कहा कि इस लाइन का कुप्रभाव जन जीवन पर पड़ रहा है। कनीना के अजीत सिंह किसान अपनी बीवी के साथ खेत की पैदावार लेने के लिए बड़ा लोहे का छलना लेकर टावर के पास से गुजरा तो बिजली का झटका लगा। किसान बीर सिंह ने बताया कि जब गेहूं की फसल को काटकर इक_ा करके बड़ी लाइन के नीचे से ले जाते हैं तो कई बार करंट महसूस होता है। ऐसा ही किसान धर्मेंद्र सिंह ने सरसों के विषय में बताया।
फ्यूज लगाना अति कठिन-
किसानों ने बताया कि जिस खेत से टावर पोल की बिजली गुजर रही है उसके नीचे से गुजरने वाली छोटी बिजली की लाइन अक्सर फाल्ट हो जाती है। यदि ट्रांसफार्मर पर फ्यूज लगाना हो तो भी उस लाइन के ऊपर से गुजरने वाली बड़ी लाइन का कई बार झटका सहना पड़ता है। फव्वारा पाइप और लोहे की वस्तुओं इन लाइनों के नीचे ऊपर उठाना तो सख्त मना है।
जीवों पर पड़ रहा है बुरा प्रभाव-
जंगली पक्षियों पर विशेषकर इन टावर पोल की लाइन से निकलने वाली बिजली तरंगें तथा मोबाइल टावर की विकिरण पक्षियों के लिए घातक साबित हो रही है। पास में रहने वाले लोगों में कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। पेड़ पौधे भी नष्ट हो जाते हैं या फिर लाइन बिछाते वक्त काट डाले हैं।
रात को आवाज-
टावर पोल भी तीन प्रकार के होते हैं। जिनमें से एक पावर हाउस में बिजली लाने या ले जाने के लिए बनाए जाते हैं जो छोटे होते हैं दूसरे पोल मध्यम दर्जे के तथा तीसरे मास्टर पोल होते हें जिन्हें निचाई वाले स्थानों पर लगाया जाता है। एक टावर पोल करीब 200 गज के करीब जगह में लगाया जाता है। इनके ऊपर से गुजरने वाले तारों से जब बिजली गुजरती है तो दूर तक आवाज सुनाई पड़ती है। आस पास अगर किसी का घर है तो वो सो नहीं सकता है। किसान सूबे सिंह ने बताया कि उनका निवास ट्यूबवेल पर होने के कारण व पास से टावर पोल लाइन गुजरने से वे रात को आने वाली आवाज से परेशान हो जाते हैं। किसी का घर या ट्यूबवेल पास होने के कारण कई बार किसानों ने शिकायत भी की किंतु उनकी शिकायतों पर कोई गौर नहीं किया जाता है।  विभाग की मजबूरी, इंसान के लिए जरूरी बन गया है। दो पोल करीब 400 मीटर दूरी लगे होते हैं जिनसे भारी संख्या में बिजली की लाइन गुजरती हैं।
जिस किसी किसान के खेत से लाइन गुजरती है और पोल गाड़ा जाता है उसे करीब 60 हजार रुपये का मुआवजा मिला था। किंतु पूरी जिंदगी इस समस्या को झेलना पड़ता है। किसानों का कहना है कि मुआवजा राशि ऊंट केे मुंह में जीरा के समान है।
टावर पोल के नीचे कृषि संभव नहीं-
टावर पाले के नीचे कृषि कर पाना असंभव हो जाता है। किसान की बेशकीमती जमीन सदा-सदा के लिए खत्म हो जाती है। उसके पास से हल चलाते वक्त भी किसान डरता है। किसानों ने बताया कि बिजली के इन टावर पोल के चलते उनके जीवन को ही खतरा बन गया है। हर समय उनकी गर्दन पर नंगी तलवार लटकी रहती है।
फोटो कैप्शन 01: कनीना की सीमा में टावर पोल।

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