Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Tuesday, April 23, 2024


 
लोढ़ा 26 अप्रैल तक भेजा जेल में
-आरोपित को 12 अप्रैल को गिरफ्तार किया था
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कनीना की आवाज। उन्हानी सड़क हादसे में कनीना सिटी थाना पुलिस ने स्कूल संचालक राजेन्द्र सिंह लोढ़ा को 5 दिन के पुलिस रिमांड के बाद दुबारा कोर्ट में पेश किया। आरोपीत को 12 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। जो 5 दिन के पुलिस रिमांड पर था। कोर्ट ने आरोपित को 26 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इस संबंध में तीन टीमें गठित की गई है जो सुभाष लोढ़ा को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी कर रही है। राजेंद्र लोढ़ा से पूछताछ में कुछ कागज बरामद किये हैं किंतु उनके द्वारा बताये गये स्थान पर छापेमारी करने पर भी सुभाष लोढ़ा गिरफ्त से बाहर है।  इस मामले मे पुलिस ने प्रिंसिपल दीप्ति यादव व सचिव होशियार सिंह ड्राइवर धर्मेंद्र सहित उसके अन्य चार साथियों हरिश,संदीप,भूदेव व नरेश को भी गिरफ्तार कर लिया था।  जिन्होंने आरोपी ड्राइवर धर्मेंद्र के साथ घटना से एक घंटे पूर्व बस मे शराब पी थी।जिन्हे कोर्ट ने 26 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।







गेहूं की खरीद नहीं, उठान अब तक 34535 बैग हुआ
-सरसों का उठान अब तक 50 हजार क्विंटल हुआ
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कनीना की आवाज। कनीना की पुरानी अनाज मंडी में गेहूं अधिक आने से अनाज मंडी गेहूं से अट चुकी है। मंगलवार तक 34535 बैग गेहूं का उठान हो चुका है। अब तक कुल गेहूं की खरीद 36 हजार क्विंटल हो चुकी है, आढ़ती बेहद परेशान है। नई अनाज मंडी स्थित चेलावास सरसों की खरीद अब तक करीब 119769 क्विंटल पहुंच गई है। उठान करीब 50 हजार क्विंटल का हो चुका है। गेहूं 2275 रुपए प्रति क्विंटल जबकि 5650 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदी जा रही है।
 इस संबंध में वेयरहाउस खरीद एजेंसी के मैनेजर सुरेंद्र सिंह से बात हुई। उन्होंने बताया कि सरसों एवं गेहूं का उठान जारी है। उन्होंने बताया कि महेंद्रगढ़  गेहूं जा रहा है। रविंद्र कुमार बंसल ने बताया कि उठान कम होने से जगह का अभाव हो चला है। यदि उठान अधिक जाए तो एक बार फिर से किसान अपने गेहूं को यहां  बेच पाएंगे।
 फोटो कैप्शन 13: कनीना की पुरानी अनाज मंडी में गेहूं की आवक।







विश्व पशु चिकित्सा दिवस -24 अप्रैल
कनीना उपमंडल के 23 पशु संस्थान कार्यरत
- पशु चिकित्सकों के 3 पद है रिक्त
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कनीना की आवाज। कनीना उप-मंडल के तहत पशुपालकों के लिए 23 संस्थान पशु चिकित्सालय एवं औषधालय के रूप में स्थापित है। जिसमें आठ बड़ी संस्थाएं कनीना, सुंदरह, खैराना, मुंडिया खेड़ा, दौंगड़ा अहीर धनौदा, स्याणा एवं बाघोत कार्यरत है। जहां वीएलडीए के साथ-साथ पशु चिकित्सक वीएस के पद मिलते हैं जबकि 15 छोटे संस्थान कार्यरत हैं जिन्हें पशु औषधालय/डीवीडी नाम से जाना जाता है। जहां पर केवल वीएलडीए ही कार्यरत होता है। कनीना उपमंडल के 23 संस्थानों में सभी वीएलडीए के पद भरे हुए हैं किंतु पशु चिकित्सकों के तीन पद रिक्त है।
एसडीओ पशु पालन एवं डेयरी डा. बलजीत सिंह ने बताया कनीना उपमंडल में 44000 के करीब पशुधन है जिनमें गाय एवं भैंसें प्रमुख है, 3500 भड़ और 5000 बकरियां हैं। कनीना में जहां पशु चिकित्सालय में पशु पालकों के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध है वहीं विभिन्न संस्थान विभिन्न  गांवों में या तो  बन चुके हैं या कुछ बनाए जा रहे हैं। आचार संहिता के कारण बनाने में दिक्कत आ रही है। जहां बाघोत और रामबास में पशु चिकित्सालय बनाने का कार्य चल रहा है वहीं ढाणा,छितरोली, रसूलपुर एवं मानपुर आदि में नई बिल्डिंग बनाने के लिए पैसे आए हुए हैं जो आचार संहिता के बाद बनने शुरू हो जाएंगे। उधर वरिष्ठ पशु चिकित्सा डा.पवन कांगड़ा ने बताया कि कनीना पशु चिकित्सालय पर समय-समय पर विभिन्न दवाइयां आती रहती है और विशेष टीकाकरण किया जाता है। विशेष कर पैर मुंह खुरी के विगत दिनों टीके लगाए थे और ऐसे टीके समय-समय पर लगाए जाते रहे हैं। भेड़ बकरियों को बचाने के लिए भी समय-समय पर टीकाकरण किया जाता है। दवाओं की कोई कमी नहीं है। पशु पालक किसी भी बीमारी के समय पशु को अस्पताल ला सकता है।
फोटो कैप्शन 12: कनीना का राजकीय पशु चिकित्सालय
साथ में डा. बलजीत सिंह एसडीओ पशु पालन



हनुमान जी की पूजा से सभी मनोरथ पूरे होते हैं
--जगह जगह लगे भंडारे, हुए हवन
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कनीना की आवाज। क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर हवन यज्ञ का आयोजन कर भंडारे का आयोजन किया गया। विभिन्न गांवों में भी यह पर्व मनाया गया, भंडारे लगे।   
वहीं कनीना स्थित बिजली बोर्ड के 132 केवी पावर हाऊस में भी हनुमान जन्मोत्सव पर रात्रि को बाबा मोलडऩाथ सतसंग पार्टी के द्वारा जागरण का आयोजन किया गया। मंगलवार को हवन यज्ञ कर भंडारे का आयोजन किया गया। इस मौके पर न्यायाधीश मोनिका सिंह एवं उनके पति संदीप मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि हनुमान बल, बुद्धि और ज्ञान के देवता है। इनको संकट मोचन भी कहते हैं। उनकी शिक्षाओं पर चलकर ही व्यक्ति, परिवार, समाज व देश सुख समृद्धि प्राप्त कर सकता है। इस दौरान भंडारे में हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार में हाजिरी लगाकर प्रसाद ग्रहण किया।
 हनुमान जी की पूजा अर्चना से सभी मनोरथ पूरे होते है और जब भी उनका सच्चा भक्त उनको याद करता है तो वह बिना देरी किए दौड़े आते है। इस मौके पर हवन में हवा, अजीत व सतपाल सपत्नी यज्ञामान बने। इस मौके पर विभिन्न नेता प्रसाद ग्रहण करने पहुंचे।
उन्होंने कहा कि हमें इस बात की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए कि जिस प्रकार हनुमान ने श्रीराम के लिए विभिन्न कष्ट सहन करते हुए उनकी हर संभव सहायता की और बुराई के खिलाफ लड़े ठीक इसी प्रकार से समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ लडऩा चाहिए और अच्छे तथा सभ्य हनुमान के सेवा व सहायता पर भगवान श्रीराम ने उनको यह आशीर्वाद भी दिया था कि जब तक यह संसार रहेंगे तब तक पूजे जाओगे। इस मौके पर महाबीर सिंह पहलवान, रामरतन जेई गोमली ने भी अपने विचार रखे।
उधर विभिन्न हनुमान मंदिरों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। जागरणा,हवन एवं प्रसाद वितरित किया गया। इस मौके पर कनीना के पावर हाउस हनुमान मंदिर पर विशाल जागरण एवं भंडारा आयोजित किया गया। कनीना पावर हाउस के कर्मचारियों द्वारा इस प्रकार का कार्यक्रम कई वर्षों से आयोजित किया जाता आ रहा है जहां पूरी रात हनुमान भजनों से लोगों का मन मोहा।
 यह भंडारा लगातार 14 वर्षों से बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा का भंडारा इसमें क्षेत्र के आसपास के एक दर्जन से अधिक गांव के लोग प्रसाद ग्रहण करने पहुंचे।
हनुमान जी ने सदा समाज की सेवा की तथा दूसरों के दु:ख दर्द को अपना दर्द समझकर उनके दर्द को लेकर उनको खुशी देने का कार्य किया था। ये विचार उधोदास आश्रम के संत लालदास महाराज ने हनुमान जयंती एवं पूर्णिमा के दिन हजारों भक्तगण रूपी लोगों की भीड़ को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उसके बताए गए रास्ते पर चलकर इस समाज की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा की हनुमान जी ने हमेशा भगवान राम के चरणों में रहकर उनकी आज्ञा का पालन करते हुए समाज को यह रास्ता दिखाया की एक सच्चा भक्त कैसा होता है और समाज में फैली बुराइयों को दूर करने के लिए क्या-क्या दुख उठाने पड़ते है।
इस अवसर पर भजन सत्संग, हवन, ग्रामीण फेरी लगाई तथा प्रसाद वितरित किया। उधर राजकीय मिडिल स्कूल मोड़ी में स्पेशल खाना हलवा, पूरी, सब्जी, रायता हनुमान जन्मोत्सव के उपलक्ष्य पर प्रसाद खिलाया गया। मुख्याध्यापक मनोज कुमार रोहिल्ला ,बलवंत सिंह एसएसएम गोविन्द सिंह साइंस मास्टर  संतोष कुमार, राम सिंह संस्कृत अध्यापक और महिंद्र सिंह आदि उपस्थित रहे।
 वीर हनुमान जैसा राम भक्त होना  बहुत ही मुश्किल है। ये विचार संत स्वामी श्री शिवानंद आचार्य  ने आज हनुमान जन्म उत्सव पर व्यक्त किए। इस मौके पर एक विशाल यज्ञ आयोजित हुआ। गांव के ही नहीं आसपास के गांव के हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण कर यज्ञ में आहुति देकर विश्व कल्याण में अपनी भागीदारी निभाई।
फोटो कैप्शन 09: मोड़ी गांव में बच्चों को विशेष भोजन कराते हुए।
         10 व 11: कनीना पावर हाउस पर हवन व भंडारा का नजारा।






स्कूली विद्यार्थियों ने निकाली जागरूकता रैली
--पूरे गांव के लोगों को किया जागरूक
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कनीना की आवाज। राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौंदा के विद्यार्थियों एवंं शिक्षकों ने मतदाता जागरूकता रैली निकाली। यह रैली स्कूल परिसर से शुरू हुई तथा पूरे धनौंदा गांव में घूम कर वापस स्कूल पहुंची। विद्यार्थी अपने हाथों में बैनर और झंडियां लिए हुए थे जिन पर अधिक से अधिक मतदान करने की अपील की गई थी। नारे लगाते जा रहे थे कि मतदान हमारा अधिकार है, जागरूक बनो, सभी मतदान करो। मतदान करने से होता है अच्छे नेता का चुनाव आदि अनेक नारों से गुंजायमान करते हुए धनौंदा की गलियों से गुजर। उनके साथ आए चल रहे शिक्षकों ने भी बीच-बीच में लोगों को वोट डालने के लाभ बताएं तथा लोगों को जागरूक किया कि वोट डालने के लिए अपने बूथ पर जरूर जाएंगे। विद्यार्थी पूरे रास्तों से नारे लगाते हुए वापस स्कूल पहुंचे।
 उधर सुबह सवेरे राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ विद्यालय धनौंदा के प्राचार्य सतीश कुमार एवं समस्त स्टाफ सदस्यों ने सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए अभिभावकों को जागरूक किया।
प्राचार्य सतीश कुमार ने बताया कि सरकार के आदेश अनुसार अधिक से अधिक नामांकन किया जाना है जिसके चलते विभिन्न सरकारी स्कूलों के अध्यापक इस कार्य में जुटे हुए हैं। घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं तथा अधिक से अधिक विद्यार्थियों को प्रवेश दिलवा रहे हैं। उनका विद्यालय को हाल ही में माडल का दर्जा मिला है जिसके चलते इसके प्रति बच्चों का विशेष जिसके चलते इसके प्रति बच्चों का विशेष रुझान है।  
 फोटो कैप्शन 05: जागरूकता रैली निकालते हुए धनौंदा के विद्यार्थी







पत्रकारों ने दिया सांकेतिक धरना, सौंपा एसडीएम को ज्ञापन
-थाना प्रभारी सुधीर कुमार के अभद्र व्यवहार पर और अमर्यादित आचरण को लेकर
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र के पत्रकारों ने नेताजी मेमोरियल क्लब कनीना में मंगलवार को कनीना शहर थाना प्रभारी सुधीर कुमार के अभद्र व्यवहार पर और अमर्यादित आचरण पर एकत्रित होकर सांकेतिक धरना दिया और उच्च अधिकारियों को ज्ञापन भेजा।
 इस मौके पर हरियाणा पत्रकार संघ के जिला अध्यक्ष प्रदीप बालरोडिय़ा व संयोजक आनंद शर्मा की अध्यक्षता में सांकेतिक धरना दिया और शहर थाना प्रभारी के आचरण की कड़ी आलोचना की।  मुख्यमंत्री और पुलिस अधीक्षक को एक एक ज्ञापन भी भेजा। भेजे गए ज्ञापन कहा है कि सोमवार 22 अप्रैल को कनीना में दिनदहाड़े एक सुनार की दुकान पर लूटपाट के उद्देश्य से गोलीबारी की घटना हुई। घटना की सूचना शहर थाना प्रभारी को सरकारी मोबाइल पर देने का प्रयास किया परंतु शहर थाना प्रभारी ने फोन नहीं उठाया जो घटना के काफी देर बाद मौके पर पहुंचे। इस दौरान लुटेरे वहां से फरार होने में कामयाब हो गए। इस घटना को लेकर वहां उपस्थित लोगों में रोष था। इस दौरान वहां कवरेज के लिए पत्रकार साथी उपस्थित थे। यहां पहुंचे थाना प्रभारी सुधीर कुमार द्वारा पत्रकारों के प्रति अमर्यादित भाषा हरामखोर और बदतमीज आदि शब्दों का प्रयोग आमजन के बीच किया गया। ऐसे में पत्रकार रुष्ट हैं और उन्होंने सांकेतिक धरना दिया है। उन्होंने सरकार से मांग की की अमर्यादित भाषा प्रयोग करने वाले इस अधिकारी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए और शीघ्र ही निलंबन किया जाए। यदि समय रहते कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई तो पत्रकार साथी महेंद्रगढ़ में 25 अप्रैल को मुख्यमंत्री से मिलकर ठोस कार्रवाई अमल में लाएंगे। 26 अप्रैल तक कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे महेंद्रगढ़ जिले के पत्रकार सरकारी कार्यक्रमों और प्रेस विज्ञप्तियों का बहिष्कार करेंगे। इस मौके पर जिले भर के पत्रकार, समाजसेवी, नेता तथा आम जन भी शामिल हुए।
 फोटो कैप्शन 6: धरना देते हुए पत्रकार एवं अन्य जन
 फोटो कैप्शन 7: एसडीएम के सुपरिंटेंडेंट अनिल को ज्ञापन सौंपते हुए पत्रकार




सफाई कर्मियों ने निकाला जुलूस
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कनीना की आवाज। ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन हरियाणा ने एआईयूटीयूसी जिला प्रधान मास्टर सूबे सिंह व कनीना ब्लाक प्रधान पवन कुमार के नेतृत्व में नेताजी मेमोरियल क्लब,कनीना में एकत्रित होकर पिछले 6 महिनों के बकाया वेतन भुगतान की मांग को लेकर खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कनीना के कार्यालय पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन एसईपीओ अरविन्द कुमार को  सौंपा।
जुलूस में कनीना ब्लाक के सभी सफाई कर्मचारियों के साथ साथ ग्राम पंचायत ट्यूबवेल ओपरेटर, जल कर्मी भी शामिल रहे। ज्ञापन में कहा गया है कि नई फसल आ चुकी है, लेकिन हमारे पास हमारे परिवार के भरण पोषण व अनाज खरीदने का भी पैसा नही है,बच्चों को एडमिशन व कापी -किताब, बीमारी में पास चाहिए। उन्होंने जिला उपायुक्त से पिछले 6 महिनों का बकाया वेतन भुगतान दिलाने की गुहार लगाई है।
इस अवसर पर सोनू, अनूप, भूप सिंह, पवन  कुमार, सुभाष, राजेश,शेर सिंह रसूलपुर,रामानंद, दया राम , मिंकू,रणजीत, प्रेम, गीता, बबली, महेंद्र, मूलचंद, विजय पाल,शिव कुमार, धर्मबीर, मुकेश,संजय, सुन्दरी देवी सहित राहुल व सुन्दर जल कर्मी भी उपस्थित रहे।
 फोटो कैप्शन 08: जुलूस निकालते हुए सफाई कर्मी।






पंचायतीराज दिवस-24 अप्रैल
भारतीय लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण और छोटी इकाई है पंचायतीराज
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कनीना की आवाज। पंचायतीराज व्यवस्था का मतलब जो व्यवस्था गांव के द्वारा चुनी गई पंचायत द्वारा और उसकी देखरेख में हो । यह भारतीय लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण और छोटी इकाई है । यद्यपि वर्तमान में पंचायती राज व्यवस्था का धरातली रूप प्रारंभिक रूप से बदलता जा रहा है । अब इसके अर्थ और असर में नकारात्मकता प्रवेश करने लगी है ।  पंचायती राज का मूल भाव सामुदायिक सहभागिता सर्वसहमति से किया जाने वाला सर्वांगीण विकास व निष्पक्ष ग्रामीण प्रबंधन अब गुटबाजी पक्षपात निजी चौधराहट और स्वार्थपूर्ति की निम्न सोच में बदलता जा रहा है । इस निम्न सोच ने गांव का पवित्र भाईचारे वाला माहौल दूषित सा कर दिया है । पंचायतीराज के जो पद गांव में सम्मान और एकता के प्रतीक होते थे वे ही अब दुश्मनी और भाईचारा तोडऩे के कारण बनते जा रहे हैं ।
यह व्यवस्था वैदिक काल से चली आ रही है ।  कई कालखंडों से होते हुए वर्तमान तक पहुंचा है यह रूप । इसका इतिहास बहुत लंबा है ।
वैदिक काल में राजा ग्राम समितियों के माध्यम से राजकार्य संभालता था । उस समय गांव की व्यवस्था संभालने वाला प्रमुख व्यक्ति पंचायत ग्रामीण कहलाता था । वेदों में (5000 ई.पूर्व से 3500 ई. पूर्व) में  अधिकारियों में पुरोहित, सेनापति, और ग्रामीण मुख्य होते थे । ग्रामीण ही पंचायत का प्रमुख होता था । वह गांव में व्यवस्था को स्थापित करने में मुख्य भूमिका का निर्वहन करता था ।
600 ई. पूर्व से 400 ई. पूर्व बौद्धकाल में गांव की शासन व्यवस्था थोड़ी सुगठित हुई । तब गांव के शासक को ग्रामयोजक का नाम दिया गया । उस पर गांव से जुड़े सभी प्रकार के मामले सुलझाने का दायित्व  होता था । ग्रामयोजक का चयन ग्रामवासियों द्वारा चुनकर किया जाता था ।

321 ई.पूर्व से 305 ई. पूर्व मौर्य काल में चाणक्य के अर्थशास्त्र में एक सुगठित शासन प्रणाली का उल्लेख किया है । 800 गांवों का समूह जनपद, 400 गांवों का समूह द्रोणमुख,  200 गांवों का समूह खार्वटिक कहलाता था । यह विभाजन राजस्व, न्याय व न्याय व्यवस्था को ध्यान में रखकर किया गया था । इस काल में गांव का प्रमुख ग्रामिक नाम से जाना जाता था । ग्रामिक की नियुक्ति सरकार करती थी, लिहाजा उसे सरकारी मुलाजिम समझा जाता था । ग्रामिक की सहायता के लिए ग्राम सभा होती थी और इसके सदस्य गांव के वयोवृद्ध लोग चुने जाते थे । इस काल में ग्राम सभा को ज्यादा अधिकार मिले हुए थे । विकास और झगड़े के निपटारे से लेकर दंड देने का भी अधिकार ग्राम सभा को होता था । इस काल में ग्राम शासन की सबसे छोटी इकाई होती थी । इसके मुख्य अधिकारी को ग्रामिक अथवा भाजक कहते थे ।
सामंती काल काल में पंचायती राज का महत्व घटा ।
1200-1556 सल्तनकाल में भी सबसे छोटी इकाई गांव ही होती थी । इसमें ग्राम पंचायतों का प्रशासनिक स्तर कुछ बेहतर था । गांवों का प्रबंधन लंबरदारों के द्वारा होता था । 1526- 1707 मुगलकाल मेंगांव परगना में विभाजित थे । तब पंचायत में मुकद्दम, पटवारी, चौधरी, और चौकीदार अधिकारी होते थे ।
मुगल काल के पतन के उपरांत ईस्ट इंडिया कंपनी के समय पंचायतों की संगठनात्मक शक्ति में कमी आने लगी।
जब ब्रिटिश शासनकाल में ग्राम पंचायतें धीरे धीरे अपने अधिकार खोने लगी । उसी दौरान 1821 में एल्फिन स्टोन ने ग्राम पंचायतों की शक्तियों को कम करने को अनुचित ठहराया।
1857 में ग्रामीण स्वायतशासी निकायों को कुछ महत्व प्रदान करते हुए कुछ राज्यों में जिला कोषों की स्थापना की गई तथा ग्रामीण प्रशासन को कुछ अधिकार प्रदान किए गए।
असल में पंचायती राज को ताकत मिली 1882 में । भारत में स्वायत शासन के जनक माने जानेवाले लार्ड रिपन ने ग्रामीण क्षेत्रों में बोर्ड अथवा मंडलों की स्थापना का सुझाव दिया। उनके अनुसार प्रशासन की इकाई उपखंड, तहसील अथवा तालुका स्तर से नीचे की होने चाहिए थी। उन्होंने मंडलों में दो तिहाई निर्वाचित प्रधान रखे जाने का सुझाव दिया।
1884 में चेन्नई एवं बंगाल में यूनियन पंचायतों के गठन के संबंध में कार्यवाई एक उल्लेखनीय प्रयास था ।
1907 में चार्ल्स हाब हाउस की अध्यक्षता में गठित शाही विकेंद्रीकरण आयोग द्वारा ग्राम पंचायतों को स्थानीय स्वशासन की सबसे निचली इकाई के रूप में पुनर्जीवित करने की अनुशंसा की गई ।
1919 के भारत शासन अधिनियम के तहत राज्यों में दोहरे शासन की व्यवस्था की गई तथा स्थानीय स्वशासन को हस्तान्तरित विषयों की सूची में रखा गया।
स्वतंत्रता के पश्चात् वर्ष 1952 में योजना आयोग द्वारा सामुदायिक विकास कार्यक्रम वर्ष 1953 में राष्ट्रीय विस्तार सेवा कार्यक्रम के अध्ययन के लिये 'बलवंत राय मेहता समितिÓ का गठन किया गया। नवंबर 1957 में समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था- ग्राम स्तर, मध्यवर्ती स्तर एवं जि़ला स्तर लागू करने की सिफारिश की ।
वर्ष 1958 में राष्ट्रीय विकास परिषद ने बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशें स्वीकार की तथा 2 अक्तूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा देश की पहली त्रि-स्तरीय पंचायत का उद्घाटन किया गया।
बलवंत राय मेहता समिति के बाद भी पंचायती राज के सुधार के लिए प्रयास जारी रहे ।
पंचायतीराज में बेहतर सुधार के लिए 1977-78 में अशोक मेहता समिति ,1985 में जी वी के राव समिति , 1986 में डॉ एल ?म सिन्घवी समिति , 1988 में पी के थुंगन समिति आदि के परिष्कृत विचारों के सफर तय करते हुए पंचायती राज अपने सर्वाधिक उन्नत रूप काल 1993 में पहुंचा ।
क्या कहते हैं राधेश्याम गोमला--
पंचायतीराज व्यवसथा पर सागर्भित पुस्तक लिखने वाले राधेश्याम गोमला का कहना है कि 24 अप्रैल 1993 में संविधान में 73वां संविधान संशोधन करके पंचायत राज संस्थाओं को संवैधानिक मान्यता दी गयी । जिसके कारण पंचायती राज व्यवस्था तब तक की सबसे उत्कृष्ट व्यवस्था बन गई ।
73वें संवैधानिक संशोधन में किए गए प्रावधानों में कई महत्वपूर्ण निर्णय पारित किये गये ।
एक त्रि-स्तरीय ढाँचे की स्थापना, ग्राम स्तर पर ग्राम सभा की स्थापना,
हर पांच वर्ष में पंचायतों के नियमित चुनाव ,
अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटों का आरक्षण,
महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण ,
पंचायतों की निधियों में सुधार के लिए उपाय सुझाने हेतु राज्य वित्त आयोगों का गठन,
राज्य चुनाव आयोग का गठन,
73 वां संवैधानिक संशोधन के मजबूत माध्यम से पंचायतों को स्वशासन की संस्थाओं के रूप में काम करने हेतु आवश्यक शक्तियाँ और अधिकार प्रदान करने के लिए राज्य सरकार को अधिकार प्रदान किए गए ।
यह सफर रहा पंचायती राज का ।
73 वें संवैधानिक संशोधन को आधार मानकर अब कुछ राज्यों में बेहतर पंचायत राज कानून बने तो कहीं पंचायतीराज कानून के जरिए पंचायत अधिकारों में कटौतियां भी हुई । उनके आधार पर देश में तेजी से विकास हुआ तो उसके साइड इफेक्ट भी हुए । गांव में उच्च ढांचागत विकास भी हुआ तो सामाजिक व ग्रामीण भाईचारे व सौहार्द पर प्रतिकूल असर भी पड़ा ।
फोटो कैप्शन: राधेश्याम गोमला





गोली चलाने वालों को किया जाए अविलंब गिरफ्तार
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कनीना की आवाज।। समाजसेवी अतरलाल एडवोकेट ने कनीना में दिन दहाड़े हथियार बंद लुटेरों द्वारा आभूषण विक्रेता की दुकान पर लूट के इरादे से की गई गोली चलाने की घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकार तथा जिला पुलिस प्रशासन से आरोपित दोषियों को तत्काल गिरफ्तार कर उनके खिलाफ तत्काल कड़ी कार्यवाही करने तथा क्षेत्र के दुकानदार तथा व्यापारियों की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करने की मांग की है। अतरलाल ने पीडि़त आभूषण विक्रेता की दुकान पर पहुंचकर वारदात का जायजा लेने के बाद कहा कि गोली चलाने की घटना से इलाके के दुकानदारों में भय तथा दहशत फैली हुई है। पुलिस के सुस्त रवैये के कारण लोगों में भारी रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि दिन दहाड़े इस तरह की वारदात होना पुलिस प्रशासन की नाकामी को दर्शाता है। उन्होंने प्रभावित आभूषण विक्रेता को भरोसा दिया कि वे जल्दी ही पुरी वारदात के बारे में हरियाणा के गृहमंत्री तथा पुलिस अधीक्षक से मिलकर इस पूरी वारदात की जानकारी देंगे। उन्होंने कहा कि तत्काल विशेषज्ञ पुलिसकर्मियों की एसआईटी गठित कर दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करना चाहिए तथा दहशत और भय के साये में जी रहे दुकानदारों तथा व्यापारियों की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध करने चाहिए।





 आजीवन साहित्य साधना सम्मान मिलेगा रोहित यादव को
--अनेक सम्मानों से हैं विभूषित
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कनीना की आवाज। हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2021 का सर्वोच्च आजीवन साहित्य साधना सम्मान क्षेत्र के सैदपुर, मंडी अटेली के वरिष्ठ साहित्यकार रोहित यादव को देने की घोषणा की है। इस पुरस्कार में सात लाख रुपये के साथ शाल, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदान किये जाते हैं। महेंद्रगढ़ जिला को यह सम्मान पहली बार प्राप्त हुआ है।
8 जनवरी, 1955 को मंडी अटेली के साथ लगते सैदपुर गांव में श्रीमती भगवानी देवी तथा प्रभु दयाल बोहरा के घर जन्मे रोहित यादव ने पहले पत्रकारिता और फिर लोक साहित्य के क्षेत्र में लीक से हटकर कार्य किया। इनकी लोक साहित्य की पुस्तक चले गांव की ओर अकादमी द्वारा पुरस्कृत की गई। रोहित यादव ने लोक साहित्य के साथ-साथ हिंदी और साहित्य की भी लम्बी साधना की है। करीब चार दशकों से उनकी रचनाएं राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रमुखता से प्रकाशित होती आ रही हैं। श्री यादव का लोक संस्कृति तथा ग्रामीण जीवन पर उत्कृष्ट लेखन रहा है, जिसका अंदाजा इस पहलू से लगाया जा सकता है की उनके समग्र लेखन पर देशभर के विश्वविद्यालयों में करीब आधा दर्जन एमफिल तथा कुछ पीएचडी संपन्न हो चुकी हैं। निबंध, कुंडलिया, दोहा, बाल कहानियां, कविता, लघुकथा, कहानी, उपन्यास आदि विधाओं में तीन दर्जन से ज्यादा मौलिक तथा एक दर्जन संपादित कृतियां दे चुके श्री यादव हरियाणा ग्रंथ अकादमी के सदस्य रह चुके हैं। स्नातकोत्तर होने के बावजूद वे किसानी से जुड़े हुए हैं।
रोहित यादव को इससे पूर्व वर्ष 2006 में उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए अकादमी ने बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान प्रदान किया था तथा 2014 में उन्हें महाकवि सूर सम्मान मिल चुका है, जिसमें पांच लाख रुपये की राशि प्रदान की गई थी। इस बार उनका चयन अकादमी के सर्वोच्च सम्मान 'आजीवन साहित्य साधना सम्मानÓ के लिए किया गया है जो न केवल जिला महेंद्रगढ़ के लिए बल्कि सम्पूर्ण अहीरवाल क्षेत्र के लिए गौरव की बात है। क्योंकि यह सम्मान इस क्षेत्र को पहली बार प्राप्त हो रहा है।
रोहित यादव को अकादमी के अलावा कई दर्जन संस्थाओं द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। वे बाबू बालमुकुन्द गुप्त पत्रकारिता एवं साहित्य संरक्षण परिषद् के उपाध्यक्ष होने के आलावा अनेक साहित्यिक और सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। एक छोटे से गाँव में बैठकर की गई उनकी साहित्य साधना ने जिला महेंद्रगढ़ को अकादमी का सर्वोच्च सम्मान दिलवाकर जिले का गौरव बढ़ाया है, जिससे खुशी की लहर है।
फोटो कैप्शन: रोहित यादव।



आंखों की रोशनी वापस आने से कर रहे हैं मां वैष्णों की यात्रा
-यह है उनकी सातवीं यात्रा, 1200 किमी है दूरी
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कनीना की आवाज। आस्था के चलते इंसान बड़े से बड़ा कष्ट झेल सकता है। पेट के बल करीब 1200 किलोमीटर दूरी तय करके मां वैष्णो देवी का दर्शन करने का दृढ़ निश्चय बनाकर एक महिला ने अपने पूरे परिवार सहित 1 जनवरी 2024 से अपनी यात्रा राजस्थान के भीलवाड़ा से शुरू की थी और जुलाई माह में मां वैष्णो के दरबार में पहुंचने की संभावना है। कनीना होकर के पेट के बल यह महिला जब निकली तो लोगों की भीड़ उसे देखने के लिए लालायित हो गई। रेखा देवी नाम की महिला की आस्था के चलते यह उनकी सातवीं यात्रा है । अ भी दो यात्राएं और भी की जानी है। रेखा देवी ने बताया की वर्षों पहले एक दुर्घटना में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी।  विभिन्न अस्पताल और बड़े से बड़े डाक्टरों को दिखाया किंतु आंखों की रोशनी आना कठिन बताया। उनके पति महावीर दास महाराज गांव धामनिया जिला भीलवाड़ा, राजस्थान में माता के दरबार में रहते हैं। लोगों ने यह भी कहा कि महावीर दास जो खुद संत है तो अपनी पत्नी की आंखें भी नहीं वापस ला सकता। इसी ताने ने उननकी जिंदगी बदल दी। आशा के जरिए दिन रात उन्होंने मां की तपस्या की खाना पीना भी भूल गई। अंतत उनकी आंखों की रोशनी आ गई। इसी खुशी के चलते उन्होंने यात्रा का मन बनाया। उन्होंने मन ही मन में मां वैष्णो देवी की एक नहीं अपितु 9 यात्रा करने का निर्णय लिया। अब तक 7 यात्राएं वाहनों से, पैदल एवं विभिन्न तरीकों से पूर्ण की है। यह सातवीं यात्रा  पेट के बाल जाने की चल रही है। महावीर दास और उसका बेटा, पुत्री आदि सारा ही परिवार साथ चल रहा है। त3जिबअजिह उन्होंने बताया की 1 जनवरी 2024 से उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की थी और उन्हें संभावना है कि करीब जुलाई माह में वे मां वैष्णो देवी के दरबार में पहुंच जाएंगेद्ध कनीना के जब भक्ति मंदिर कोटिया पहुंचे तो उनका स्वागत घनश्याम मंदिर संचालक स्वामी घनश्याम हरितस ने स्वागत किया। उनकी मनोकामना की सभी ने प्रार्थना की। इतनी कठोर तपस्या देखकर लोगों का मन भर आया। इस मौके पर मंदिर कमेटी के प्रधान शिवनाथ, ओमप्रकाश ठेकेदार, अनूप कुमार यादव आदि उपस्थित थे जिन्होंने महिला की कठोर तप की प्रशंसा की और मां वैष्णो से प्रार्थना की कि उनकी यात्रा मंगलमय हो।
 फोटो कैप्शन पेट के बल माता वैष्णों जाते हुए महिला रेखा


जल संरक्षण के लिए घर घर जाकर किया लोगों को जागरूक
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कनीना की आवाज। उप-मंडल के गांव सिगड़ी में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और जल एवं स्वच्छता सहायक संगठन महेंद्रगढ़ द्वारा चलाई जा रही जल जागरूकता अभियान के चौथे दिन विभाग की ओर से  कनिष्ठ अभियंता दीपक कुमार और खंड संसाधन संयोजक मोहित कुमार ने घर-घर जाकर  जलापूर्ति संबंधित सर्वेक्षण किया जिसके तहत लोगों से पेयजल सप्लाई से संबंधित बातचीत की गई।
उनको बताया गया कि नहरी पानी को अच्छी प्रकार से उपचारित करके पेयजल हेतु गांव में सप्लाई किया जाता है। जिसके उपचारित करने के बाद सप्लाई में क्लोरीन मिलकर भेजा जाता है जिसके कारण पानी में उपस्थित किसी भी प्रकार के रोगाणु घरों तक ना पहुंच सके इसका पूरा ध्यान रखा जाता है। ग्रामीणों को उनके  घर पर ही पानी के पीएच मान, क्लोरीन टेस्ट और बैक्टीरिया टेस्ट किए गए जो सही पाए गये । जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग लगातार हर घर नल से जल पहुंचने के प्रतिबद्ध है।
इस दौरान उपभोक्ताओं को नल  पर टोंटी लगाने व नल खुला न छोड़े इस बारे उपभोक्ताओं को  प्रेरित किया गया।
 इस दौरान मोटर चालक पुष्पेंद्र, यशपाल, राजेश, संजय भी मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 03: जल संरक्षण के विषय लोगों को जागरूक करते हुए।







कट की एकमात्र मांग को लेकर 408वें दिन जारी रहा धरना
-अनिश्चितकालीन धरने पर हैं ग्रामीण
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए ग्रामीणों का धरनना मंगलवार कको 408वें ििदन जारी रहा। धरने की अध्यक्षता ओम प्रकाश बाघोत ने की और उन्होंने बताया कि हमारा एक ही उद्देश्य है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर  बाघोत -सेहलंग के बीच कट बनना चाहिए। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के द्वारा इसमें देरी न की जाए। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर चढऩे- उतरने का मार्ग न होने के कारण नारनौल और चंडीगढ़ जाने वालों के लिए बुचावास- महेंद्रगढ़ और  संसपुर - दादरी जाना पड़ता है। दूरी ज्यादा होने के कारण समय भी अधिक लगता है। हमारा क्षेत्र पहले से पिछड़ा हुआ है और कट न बनने से और ज्यादा पीछड़ जाएगाढ्ढ राज्य सरकार और केंद्र सरकार विकास की बात करती हैं, इस क्षेत्र का विकास कट बनने के बाद ही संभव है। इससे साफ जाहिर होता है कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस क्षेत्र के ग्रामीणों का विकास नहीं चाहती है। किसानों के साथ सरकार के द्वारा सरासर ना-इंसाफी की जा रही है। ग्रामीण भी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं जब तक केंद्र सरकार कट का काम शुरू नहीं करती है, तब तक धरना जारी रहेगा।
इस मौके पर विजय सिंह चेयरमैन,पूर्व सरपंच हंस कुमार, पहलवान रणधीर सिंह मनफूल,  डा लक्ष्मण सिंह,चेयरमैन सतपाल,  बाबूलाल,  मास्टर विजय पाल, प्रधान कृष्ण कुमार, इंस्पेक्टर सतनारायण,  सूबेदार हेमराज अत्री , ओम प्रकाश, पंडित मनीराम अत्री, महेंद्र सिंह, पहलवान धर्मपाल, सीताराम, रोशन लाल आर्य, दाताराम,  प्यारेलाल, पंडित संजय कुमार  व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 02: कट की मांग को लेकर धरने पर बैठे ग्रामीण।







भूगोल विषय में रोजगार की अपार संभावनाएं- डा एमएल मीणा
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कनीना की आवाज। राजकीय महाविद्यालय ,कनीना में भूगोल विभाग के तत्वाधान में भूगोल विषय में रोजगार के अवसर पर व्या यान   आयोजित किया गया। इसमें मु य अतिथि प्रोफेसर मुरारी लाल मीणा केंद्रीय विश्वविद्यालय जाट पाली,महेंद्रगढ़ थे। उन्होंने बताया कि भूगोल विषय में रोजगार के अपार अवसर है , भूगोल के विद्यार्थी कार्टोग्राफी, सेटेलाइट टेक्नोलाजी, जनसं या परिषद, मौसम विभाग, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण विज्ञान, शिक्षा, सिविल सेवा आदि में रोजगार पा सकते हैं। भूगोल में पेशेवर तौर पर प्रशिक्षित  लोग रिमोट सेंसिंग ,मैप, खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता संरक्षण आदि से जुड़ी एजेंसी में काम करके भी अच्छा  रोजगार प्राप्त कर सकते है। उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना के महत्व के बारे में भी विद्यार्थियों को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि कठिन से कठिन परिस्थिति में भी हमें घबराना नहीं चाहिए , बल्कि विपरीत परिस्थितियों में डटकर सामना करना चाहिए। हमें एक दूसरे की भावनाओं का स मान तथा संकट में मदद करनी चाहिए। हमें शुद्ध आचरण करना चाहिए। किसी भी विषय की पढ़ाई को बोझ ना मानकर उसमें रुचि लेकर पढ़ाई करनी चाहिए । इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी व भूगोल विभाग  अध्यक्ष संदीप ककरालिया ने मु य अतिथि का परिचय अपने विद्यार्थियों तथा स्वयंसेवकों से कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ सुरेंद्र सिंह यादव ने की। मंच संचालन डा मनीषा ने किया। इस अवसर पर डा. कांता, डा. भारती, डा. महेश ,डा. हरिओम, डा. यतेंद्र ,डा. सोमवीर ,डा. मंजू, डा. बलराज ,डा. राकेश ,डा. अजय,  डा. रविंदर इत्यादि उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 04: डा एमएल मीणा भूगोल विषय के लाभों की जानकारी देते हुए।







25 मई के लोकसभा चुनावों को लेकर रिहर्सल 27 को
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कनीना की आवाज। लोकसभा के लिए चुनाव 25 मई को निर्धारित किए गए हैं जिसके लिए जहां शिक्षकों की तैनाती की गई है। अकेले कनीना खंड से 170 शिक्षकों की तैनाती की गई है। इनकी तैनाती में कुछ एपीओ तथा कुछ पीठासीन अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। इनकी रिहर्सल भी निश्चित हो गई है 27 अप्रैल को नारनौल में निर्धारित की गई है। इनकी तैनाती संबंधित पत्र भी स्कूलों में पहुंच गये है।
उल्लेखनीय है कि है कि शिक्षकों में विगत पंचायत चुनावों के प्रति अच्छा अनुभव नहीं रहा है क्योंकि इनको विगत चुनावों का पारिश्रमिक भी नहीं दिया गया है जिसके चलते इनमें भारी रोष पनप रहा है।



































जागो वोटर जागो
अपने मताधिकार का प्रयोग करना ही उचित निर्णय -कमल
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कनीना की आवाज। कमल कनीनावासी लिखा पढ़ा इंसान है तथा अपने आसपास लोगों को वोट डालने के लिए जागरूक कर रही है। उनके स्वयं भी वोट डालेंगी तथा दूसरों को भी वोट जरूर डालने की प्रेरणा देते रहते है। उनका कहना है कि जब चुनाव आयोग ने उनका मतदाता पहचान पत्र बनवा दिया है तो इसका उपयोग भी करना चाहिए। अक्सर लोग वोट डालने भी नहीं जाते।  ऐसे में  ऐसी गलती न करके सभी को वोट डालकर परोक्ष रूप से सत्ता में अपनी भागीदारी निभानी चाहिए।  उनका उनका कहना है कि यदि हम अच्छे प्रत्याशी का चुनाव नहीं कर पाएंगे तो समस्याएं खड़ी रह जाएगी किंतु एक अच्छे प्रत्याशी का चुनाव किया जाएगा तो आने वाले समय में उनकी सभी मांगे पूरी करवा पाएगा और मनोबल बढ़ेगा। ऐसे में अच्छे प्रत्याशी का चुनाव करने के लिए वोट डालने जरूर जाना है। वोट किसी के कहने और बहकावे से नहीं अपितु स्वतंत्र रूप से दिया जाता है। वोट को उजागर नहीं किया जाता तथा वोट देने वाले को प्रत्याशी के गुण एवं दोषों पूरा ध्यान होना चाहिए ताकि अच्छे प्रत्याशी का चुनाव हो सके ।
फोटो कैप्शन: कमल समाजसेवी कनीना





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