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Wednesday, April 2, 2025


 




साइबर जागरूकता दिवस पर पुलिस ने निजी स्कूल में आयोजित किया साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम
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कनीना की आवाज।
माह के प्रथम बुधवार को साइबर जागरूकता दिवस के अवसर पर कनीना के मोड़ी गांव स्थित एक निजी स्कूल में थाना सदर कनीना की पुलिस टीम द्वारा साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूल के विद्यार्थियों को साइबर अपराधों के प्रति जागरूक करना और उन्हें आनलाइन सुरक्षित रहने के आवश्यक उपायों की जानकारी देना था। कार्यक्रम में स्कूल के शिक्षकगण और बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत में एएसआई प्रीतम ने साइबर जागरूकता दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि आज के डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के साइबर खतरों, जैसे कि डिजिटल अरेस्ट, आनलाइन टास्क फ्राड, आनलाइन धोखाधड़ी, सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत जानकारी साझा करने के जोखिम और साइबर बुलिंग के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
पुलिस ने मजबूत पासवर्ड बनाने, अपनी व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखने, अज्ञात लिंक और ई-मेल पर क्लिक न करने, सोशल मीडिया का सावधानी व जिम्मेदारी से उपयोग करने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत अपने माता-पिता या शिक्षकों को देने जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर जोर दिया। विद्यार्थियों ने भी कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया और साइबर सुरक्षा से जुड़े अपने सवाल पुलिस टीम से पूछे। पुलिस टीम ने उनके सवालों के संतोषजनक जवाब दिए और उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया।
कार्यक्रम के अंत में, स्कूल स्टाफ ने पुलिस का इस महत्वपूर्ण जागरूकता कार्यक्रम के आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम विद्यार्थियों को साइबर खतरों से बचाने और उन्हें एक सुरक्षित आनलाइन वातावरण प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
फोटो कैप्शन 08: पुलिस विद्यार्थियों को जागरूक करते हुए





चर्चित मोड़ी अनाथ आश्रम को करवाया खाली
-पंचायत मोड़ी की मांग पर प्रशासन ने करवाया खाली
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कनीना की आवाज।
लंबे समय से विवादित कनीना उपमंडल के गांव मोड़ी स्थित अनाथ आश्रम को बुधवार के दिन खाली करवा दिया गया। इस मौके पर भारी पुलिस बल बीडीपीओ नवदीप सिंह आदि मौजूद रहे।
 मोड़ी गांव के रामावतार, कर्ण सिंह, ईश्वर, रामनिवास, जग्गन, विजय, कुलदीप आदि ने बताया कि लंबे समय से अवैध रूप से पंचायत की जमीन पर यह बेसहारा आश्रम चलाया जा रहा था। बार-बार इनको खाली करने के पंचायत ने आदेश दिए थे किंतु खाली नहीं किया जा रहा था। मोड़ी की पंचायत एवं ग्रामीण इसे खाली करवाने के लिए बीडीपीओ कनीना एवं एसडीएम कनीना आदि से भी मिले थे। एसडीएम कनीना डा. जितेंद्र सिंह विगत दिनों मौके पर पहुंचे तथा इस अवैध करार देते हुए खाली करने के आदेश जारी किए थे। आखिर बुधवार को पुलिस प्रशासन बीडीपीओ नवदीप सिंह मौके पर पहुंचे और आश्रम में भरा सामान ट्रैक्टरों की ट्राली मेें भरकर आश्रम संचालक पवन राठौर के घर पर डलवा दिया गया। उन्होंने बताया कि अनाज की टंकी तथा कैमरे आदि उनके लगे हुए जिन्हें हटाने का आदेश भी दे दिया है और सरपंच की उपस्थिति में यह बाकी सामान हटाया जाएगा। उन्होंने पुलिस प्रशासन का आभार जताया है कि उन्होंने पंचायत की जगह को खाली करवा दी है।
 क्या कहते हैं आश्रम संचालक -
आश्रम संचालक पवन राठौड़ ने बताया कि वैसे तो उनका मामला न्यायालय में विचाराधीन है किंतु उन्हें कोई सूचना दिए बगैर ही सामान को खुर्द-बुर्द करने का प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि अब आश्रम उनके घर के प्लाट पर चलाया जाएगा। इसमें आश्रम में पहले 44 बेसहारा लोग थे उन्हें झज्जर स्थानांतरित कर दिया गया था। उनका कहना है कि गुप्त सूचना मिलने के कारण आश्रम के लोगों को झज्जर स्थानांतरित कर दिया गया था। अब दो से तीन दिनों में यह आश्रम फिर से अपने प्लाट पर स्थापित होने के बाद उन लोगों को वापस लाया जाएगा। इसके लिए टीन शेड की व्यवस्था की जा रही है।
संचालक का लगा हुआ है ताला-
 पवन राठौड़ ने बताया कि आश्रम के बाहर अभी भी उनका तथा पंचायत दोनों का ही ताला लगा हुआ है क्योंकि उनका सामान अभी अंदर पड़ा हुआ है।
क्या कहना है ग्रामीणों का-
मोड़ी ग्रामीणों का कहना है कि यह अवैध कब्जा किया हुआ थाऔर इसे खाली करवाने के लिए लोग प्रशासन से मिले थे। ताकि इसमें लाइब्रेरी आदि चलाई जा सके। इस संबंध में उच्च अधिकारियों से कई बार ग्रामीण मिल चुके थे। अधिकारी भी इसे खाली करवाने का बार-बार आश्वासन देेते आ रहे थे किंतु बुधवार को अमली जामा पहना दिया गया। ग्रामीण संचालक पर अनेक आरोप भी लगाते आ रहे थे। ग्रामीणों का कहना है कि मोड़ी अनाथ आश्रम पर पवन नामक व्यक्ति अवैध कब्जा किए हुए थे और इसमें जो इंसान रखे जाते हैं उनको ताले में बंद कर कैदियों की भांति रखा जाता है। विभिन्न अधिकारी समय समय पर यहां पहुंचे और जांच भी की थी।
फोटो कैप्शन 03 व 04: मोड़ी आश्रम खाली करवाते हुए पुलिस प्रशासन



गांव भडफ़ में आग से कड़बी व पदाड़ी जलकर राख
-दमकल विभाग की टीम मौके पर पहुंची
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कनीना की आवाज।
कनीना-रेवाड़ी  रोड पर स्थित गांव भडफ़ के निकट बस स्टैंड के पास मंगलवार शाम आग लगने से पदाड़ी एवं कड़बी जलकर राख हो गयी।  किसान राकेश कुमार  की कड़बी और सरसों की पदाड़ी में अचानक लगी आग के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। इस घटना से पीडि़त किसान को आर्थिक नुकसान हुआ है।
भडफ़ के लोगों और प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से आग पर काबू पाया लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था। प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार, आग की सूचना मिलते ही कनीना से फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची और लगभग ढाई घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पााया गया। इस दौरान बिजली विभाग ने बिजली चलवाई गई जिससे कुएं की मोटर चलाकर पानी की व्यवस्था की जिससे आग पर काबू पाने में मदद मिली। पुलिस वैन 112 और बिजली विभाग की टीम भी मौके पर मौजूद रही, जिसके चलते स्थिति को संभालने में सफलता मिली। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय पर सहायता न मिलती, तो नुकसान और भी बड़ा हो सकता था। ग्राम पंचायत और स्थानीय लोगों ने सरकार से मांग की है कि पीडि़त किसान को उचित मुआवजा और आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।
फोटो कैप्शन 01: आग से जली कड़बी व पदाड़ी दिखाता किसान।







विभिन्न गांवों में माता मेले चार अप्रैल को
-झाड़ली और महासर में जुटती है भारी भीड़
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कनीना की आवाज।
 4 अप्रैल को महासर वाली दुर्गा मां का मेला लगने जा रहा है। यहां प्रसाद वितरण, नृत्य गान, भगवती जागरण आयोजित होंगे। विस्तृत जानकारी देते हुए रतनलाल शर्मा एवं राकेश कुमार समाजसेवी ने बताया कि हर वर्ष चैत्रशुदी सप्तमी को यह मेला लगता है। इस मेले में दूर दराज से आये भक्तों की भीड़ जुटती है। माहसर वाली माता का मेला नाम से जाना जाता है।
 4 अप्रैल को लगेगा झाड़ली में माता का मेल उधर कनीना उप-मंडल के गांव झाड़ली में भी चैत्र शुदी सप्तमी को मां भगवती का मेला लगेगा।  इसकी जानकारी देते हुए महेंद्र शर्मा झाड़लीवाले  ने बताया कि मेले में मुख्य अतिथि जिला प्रमुख  डा.राकेश कुमार तथा लीलाराम कबाड़ी जिला पार्षद मुख्य अतिथि होंगे। मेले में कुश्ती, बूढ़ों की दौड़ आयोजित होंगी जिसमें पारितोषिक वितरण बाबा अनमोलपुरी महाराज तथा सरपंच सुरेश कुमार के हाथों द्वारा किया जाएगा। 4 अप्रैल को यहां सांग का बाबू दान सिंह चौहान व राजेश तूफान द्वारा आयोजित होगा।






गुम हुये व्यक्ति का शव वाटर पंप से बरामद
-31 मार्च को स्कूटी नहर पर मिली थी
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कनीना की आवाज।
29 मार्च को गुम हुए सीहोर निवासी लीलाराम का शव टुकड़ों में नहर के वाटर पंप से मिला है। उसके पुत्र सुनील ने उनके गुम होने का मामला दर्ज करवाया था। 29 मार्च को लीलाराम खेत में काम करने के लिए निकला था किंतु घर नहीं लौटा। 31 मार्च को स्कूटी लावारिस हालत में नहर में पड़ी पाई थी। आज डेड बाडी सीहोर पंप हाउस एमसी 2 व 3 के बीच नहर में अलग अलग टुकड़ों में मिली जिसे पुलिस प्रशासन व ग्रामीणों ने नहर से निकाला।
लीलराम दिल्ली से वाटर सप्लाई विभाग से करीब 3 साल पहले सेवानिवृत्त हुए थे। उनके
2 लड़के व एक लड़की है। तीनों शादीशुदा है। पुलिस कार्रवाई में जुटी हुई है।
क्या कहते हैं स्वजन-
 कनीना पुलिस में सुनील कुमार सीहोर निवासी ने पुलिस में दी गई शिकायत में कहा है कि वह खेती-बाड़ी का काम करता है। 29 मार्च को उसके पिता 63 वर्षीय लीलाराम घर से सुबह करीब 9:15 बजे इलेक्ट्रिक स्कूटी लेकर खेत पर जाने के लिए निकले थे। शाम तक घर नहीं आए तो इधर-उधर तलाश शुरू की। 31 मार्च को जो स्कूटी लेकर गए थे वह स्कूटी सीहोर नहर के किनारे नीचे की साइड गिरी हुई मिली। फिर तलाश की। 31 मार्च को गुमशुदगी की मामला दर्ज करवा दिया था। बुधवार को गांव के बिल्लू नामक व्यक्ति ने सूचना दी कि नहर में डेड बाडी के कुछ हिस्से देखे है, हो सकता है आपके पिता हो। सूचना पाकर मृतक के स्वजन और काफी व्यक्ति नहर पर पहुंच। जहां नहर में कई टुकड़ों में डेड बाडी दिखाई दी। जिसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस एवं गांव वालों की मदद से डेड बाडी के सभी टुकड़े बाहर निकाले। यह डेड बाडी पहचान कर ली है। उन्होंने कहा कि उनके पिता की मौत नहर में डूबने से हुई है और डेड बाडी पंप हाउस की मोटर में फंसने के कारण दूसरी साइड में टुकड़ों की हालत में मिली है। उन्होंने किसी पर शक जाहिर नहीं किया है। कनीना पुलिस ने पोस्टमार्टम करवा शव उसके परिजनों को दे दिया है।





कृषि विभाग के रिक्त पद भरने की मांग
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कनीना की आवाज।
बसपा नेता अतरलाल ने हरियाणा सरकार से महेन्द्रगढ़ जिला के कृषि विभाग कार्यालयों में अधिकारियों के रिक्त पदों पर तत्काल नियुक्ति करने की मांग की है।
  उन्होंने कहा कि पिछले लगभग एक वर्ष से कनीना, अटेली, महेन्द्रगढ़ खंडों के कृषि विभाग के कार्योलयों में अधिकारियों के अधिकतर पद खाली पड़े होने के कारण किसानों के कार्य समय पर नहीं हो रहे हैं। इससे किसानों में भारी रोष व्याप्त है। कृषि विभाग अधिकारी (एडीओ) के 21 पद खाली पड़े हैं। तकनीकी अधिकारी नहीं है। खंड कृषि अधिकारी का एक पद खाली है। सांख्यिकी सहायक के दो पदों में से एक पद खाली है। उन्होंने कहा कि कृषि विकास अधिकारी ही कृषि सम्बन्धी तकनीकी तथा विभागीय जानकारी किसानों तक पहुंचाते हैं। एडीओ न होने के कारण न तो किसानों को समय पर विभागीय जानकारी मिल पाती है और न ही फसलों में लगने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए तकनीकी जानकारी मिल रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि 15 दिन के अंदर राज्य सरकार ने खाली पड़े पदों पर अधिकारियों की तैनाती नहीं की तो बसपा के कार्यकत्र्ता कृषि कार्यालयों पर धरना प्रदर्शन कर आंदोलन करने को मजबूर होंगे।












 शोर शराबे के बगैर नहीं रह पाती आधुनिक पीढ़ी
-मोबाइल तो उनके रग रग में बस गया

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कनीना की आवाज।
वैसे तो शोर कम से कम दो दर्जन बीमारियों का घर है किंतु आधुनिक पीढ़ी शोर शराबे में ही जीवन व्यतीत करती है तथा उन्हें शोर पसंद हैं। जब से मोबाइल आए हैं तो कानों में लीड लगाकर संगीत सुनते रहते हैं परंतु या तो शोर शराबा या फिर संगीत उनकी पसंदीदा चीज है। जब किसी बाइक सवार युवा को देखें तो वह अपने साथियों को बुलाने के लिए भी होर्न बजते रहते है। कभी-कभी तो घर के पास होर्न इतना बजाते हैं कि वे बुलाना चाहते हैं किसी को और दो तीन घरों के लोग बाहर निकलकर आ जाते हैं। बाइक पर चलते चलते जोर जोर से होर्न बजाते जाने की आदत बन गई है। एक और डाक्टर और वैज्ञानिक मानते हैं कि शोर प्रदूषण है किंतु आधुनिक पीढ़ी शोर से खुश होती है। उन्हें तो शोर भी संगीत नजर आता है। यहां तक कि कुछ युवा पीढ़ी के जन तो हगते, मूतते, हंसते, रोते या स्नान करते समय भी मोबाइल से कुछ न कुछ संगीत या शोर की चीज सुनते रहते हैं। यही कारण है कि आजकल की पीढ़ी में जहां कान भी कमजोर होते जा रहे हैं वही आंखें भी कमजोर होती जा रही हैं। अब तो बच्चों को खुश करने के लिए भी शोर शराबे किए जाते हैं। या तो टीवी पर या एलसीडी पर या मोबाइल पर उन्हें शोर शराबे के नृत्य आदि दिखाये जाते हैं।  विशेष कर छोटे बच्चों के काम तो बहुत ही संवेदनशील होते हैं ऐसे में उन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। शोर के बगैर आधुनिक पीढ़ी जीवित नहीं रह पाती। यूं कहा जाए कि युवा पीढ़ी शोर के सहारे चलती है तो गलत नहीं होगा। यही कारण है कि अधिकांश घटनाएं उस वक्त होती हैं जब युवा शोर में लीन होते हैं। आजकल बुजुर्ग कम रह गए हैं। बुजुर्ग बड़े ही शांतप्रिय जीवन जीना चाहते हैं। आने वाली पीढ़ी बहुत ही शोर शराबे में जरीएगी और इससे आगे जो पीढ़ी आएगी उनके बारे में तो महज कल्पना कर सकते हैं।







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