नई अनाज मंडी में 23060 क्विंटल सरसों खरीदी
-पुरानी अनाज मंडी में गेहूं खरीदा
*********************************************************
**********************************************************************
**************************************************************
कनीना की आवाज। कनीना की नई अनाज मंडी स्थित चेलावास में जहां सरसों की खरीद एनसीसीएफ द्वारा 5900 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से 24 मार्च से जारी है।
विस्तृत जानकारी देते हुए कनीना मार्केट कमेटी के एआर वीरेंद्र सिंह ने बताया कि मंगलवार को 1050 किसानों से 23060 क्विंटल सरसों की खरीद की गई है। अब तक कुल खरीद 111284 क्विंटल पहुंच गई है। उठान का कार्य भी जारी है। अब तक 92000 बैग का उठान किया जा चुका है।
उधर कनीना की पुरानी अनाज मंडी में गेहूं की खरीद तीन दिनों से जारी है। अब तक करीब 8 हजार क्चिंटल गेहूं खरीदा गया था। फूड एंड सप्लाई की ओर से गेहूं की खरीद की जा रही है। जहां बुधवार को गेहूं खरीदा के समय रविंद्र बंसल, रमेशचंद्र इंस्पेक्टर फूड एंड सप्लाई , कुलदीप कुमार सहित किसान मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 04: कनीना अनाज मंडी में सरसों बैग के लगे ढेर
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार- 121
-कई घर बनाए पर अपने नाम से नहीं
*********************************************************
**********************************************************************
**************************************************************
कनीना की आवाज। कनीना निवासी डा. होशियार सिंह यादव विश्व रिकार्ड धारक 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं, करीब 1 साल पहले सेवानिवृत्त हुए है। उन्होंने जितनी भी कमाई की अधिकांश घर निर्माण में खर्च कर दी। किंतु आश्चर्यजनक पहलू है कि एक भी घर उनके नाम से नहीं। अभी भी लाइब्रेरी का निर्माण करवा रहे हैं। आइये सुनते हैं होशियार सिंह की कहानी उन्हीं की जुबानी।
वर्ष 1995 में सबसे पहले एक जगह संगम कालोनी में ली थी। धीरे-धीरे वहां मुसलमान आ बसे और उस प्लाट को चारों ओर से मुसलमानों ने घेर लिया। मेरे करीब 300 गज प्लाट की कीमत इतनी घट गई कि कहते हुए भी शर्म आती है। रोजाना उनसे लड़ाई झगड़ा होना एक समस्या बन गई। धीरे-धीरे मन इतना ऊब गया की सोचा क्यों न इस प्लांट को बेच दिया जाए? आखिरकार 2 वर्ष पहले वह एक प्रापर्टी डीलर को मामूली सी कीमत पर बेचना पड़ा। परिणाम यह निकला कि वह 300 गज के प्लाट पर जहां पेड़ पौधे लगाए, पूरा घर निर्माण किया सब बेकार गया। 1998 में जब वेतन आयोग का एरियर मिला तब घर पर स्थित एक पहले से निर्मित घर के ऊपर दूसरी स्टोरी बनाई जिसमें लंबे समय तक निवास किया। मेरी पत्नी सुमन यादव भी वही रहती थी, उन्हें भी वही जीवन बिताया। अंतत: 2010 में उनकी गंभीर बीमारी से मौत हो गई। 2015 में फिर से एक घर बना कर तैयार किया जिस पर भारी खर्च आया और लोगों ने ठगी की। कुछ जमीन मुफ्त में एक पड़ोसी को दे दी जिस पर उन्होंने शौचालय बनाकर परेशानी बना रखा है किंतु छत तक नहीं लगवाता। यह जगह मुफ्त देकर ताउम्र पछताना पड़ेगा। वहीं पर इस घर में दो स्टोरी का भवन बनाया और आज उसकी कीमत ना के बराबर है क्योंकि आज भी यह घर गाटर पट्टी और कड़ी आदि से निर्मित है। ना कोई पिलर है परंतु इस घर को अभी छोडऩा कठिन लग रहा है। तत्पश्चात रेवाड़ी में एक जगह ली और यह छोटा सा प्लांट जो करीब 100 गज से भी कम है, अपने नाम से जरूर लिया परंतु उस पर कोई मकान निर्माण नहीं किया है। तत्पश्चात कनीना में रेवाड़ी सड़क मार्ग पर पानी की टंकी के पास एक पैतृक जमीन पर चारदिवारी का निर्माण करवाया। जहां पेड़ पौधे उगता आ रहा हूं तथा फल सब्जी भी उगाई जाती है। रही सही कसर उस समय पूरी हो गई जीवन भर की पूंजी दो दुकान खरीद कर डबल स्टोरी भवन बनाया जा रहा है। वर्तमान में निर्माण कार्य चल रहा है। जहां राजकुमार कनीनवाल नेता का मकान है उसके साथ इस भवन का निर्माण किया जा रहा है। आश्चर्य है कि रेवाड़ी के एक प्लांट को छोड़कर कोई भी जगह मेरे नाम नहीं है फिर भी हर हाल में खुश हूं क्योंकि यह जमीन जायदाद धन दौलत सब कुछ यहीं रह जाएगी और इंसान धरती से चला जाएगा। आने वाले लोग कब किसे याद करते हैं?
गर्मियों का होता है विशेष खानपान
-सेहत को बरकरार रखने के लिए ग्रामीण लोग है अग्रणी
*********************************************************
**********************************************************************
**************************************************************
कनीना की आवाज। सेहत के दृष्टिगत विशेषकर गर्मियों में खानपान का ग्रामीण क्षेत्र के लोग विशेष ध्यान रखते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाएं कम होती है किंतु सेहत के प्रति उनका रवैया बेहतरीन देखने को मिलता है। गर्मियों के दिनों में जहां ठोस आहार कम काम में लिए लेते हैं वही तरल आहार अधिक से अधिक प्रयोग किया जाता है। गर्मियों के दिनों में रोटी के रूप में मेसी रोटी खाई जाती है। चना,गेहूं या जो आदि की बनी होती है। ऐसी रोटियां ग्रामीण क्षेत्र के लोग कभी से प्रयोग करते हैं अपितु जब चने की पैदावार अधिक होती थी चने की रोटी खाते थे जो सेहत के लिए बहुत जरूरी है। यहां तक कि बासी मेसी रोटियां भी राबड़ी के साथ विशेष खाद्य पदार्थ ग्रामीण क्षेत्रों का है।
राबड़ी जो छाछ, जौ का आटा आदि हांडी में पकाकर बनाया जाता है। यह एक ऐसा पदार्थ है जो छाछ में बनाया जाता है तथा छाछ डालकर ही इसे प्याज और बासी रोटी के साथ खाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग इस मामले में कभी से राबड़ी प्रयोग करते आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोग कभी राबड़ी को नहीं भूलते। चाहे वर्तमान पीढ़ी कोल्ड ड्रिंक पीने लग गई और चाय अधिक सेवन करती है किंतु ग्रामीण बुजुर्ग राबड़ी को अहमियत देते हैं। इस वक्त गर्मियों के दिनों में धाणी एवं भुगड़ा नाम से विशेष खाद्य पदार्थ का खाते हैं। ग्रामीण लोग जौ को भुनवाकर धाणी तो चने को भुनवाकर भुगड़ा बनाते हैं जिनको गर्मी के दिनों में बड़े चाव से खाया जाता है। यहां तक कि कुछ लोग जौ की धाणी का सत्तू भी बनाकर पीते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां विशेष रूप से खरबूजा ,खरबूजा,ककड़ी एवं मतीरा आदि खाते हैं। यद्यपि मतीरा दिनों दिन लुप्त होते जा रहे हैं किंतु आज भी बुजुर्ग मतीरे को तरसते हैं। तरबूज से जहां पानी की प्यास बुझाते हैं कोई सेहत के लिए भी लाभप्रद है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र तरबूज पर विशेष ध्यान देते हैं। यहां तक कि आपस में कोई लड़ाई झगड़ा हो जाता है और सुलहनामा बनता है तो तरबूज ही घर लेकर आते हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में ककड़ी तरबूज और खरबूजा आदि विशेष रूप से चाव से खाए जाते हैं।
ग्रामीण ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का प्याज का विशेष लगाव रहा है। यहां तक कि हर घर में नींबू रखते हैं जिससे शिकंजी पीते हैं तथा प्याज एवं कच्चे आम को भून कर खाते हैं ताकि गर्मी से बचा जा सके। गर्मी के खाद्य पदार्थों के बारे में राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, कृष्ण कुमार, दिनेश कुमार एवं सुनील कुमार आदि बताते हैं की बुजुर्ग पुराने खानपान को आज भी नहीं भूले हैं। सब्जियों के रूप में बुजुर्ग लोग खाटा का साग और कढ़ी के अतिरिक्त रायता बनाकर खाते हैं क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में दूध की कमी नहीं होती। यही कारण है दही को रायते में बदल देते हैं और खाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी एक दूसरे के घर से छाछ मुफ्त में उपलब्ध हो जाती है जिसमें काला नमक, भुना हुआ जीरा पुदीना आदि डालकर बड़े चाव से पिया जाता है। जब भी कोई मेहमान आता है तो उसको चाय की बजाए राबड़ी या छाछ का गिलास थमाते हैं जो खाने में बेहतरीन होता है। कसी शहर से आने वाले व्यक्ति भी बड़े चाव से लस्सी को पीते हैं, चाय को दूर भगाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में खाने-पीने की आदतें अच्छी है। यहां तक कि मक्खन भी प्रयोग किया जाता है, दूध का भी सेवन किया जाता है किंतु हर घर में प्याज जरूर खरीदी जाती है जिसे वर्ष भर खाते हैं। प्याज का राबड़ी के साथ विशेष संबंध माना गया है। जब कभी धूप लग जाती है तो कच्चे आम को भुनकर ही उसका उपयोग किया जाता है।
गर्मी से बचना जरूरी
--खान पान का रखे ध्यान-डा. मोरवाल
*********************************************************
**********************************************************************
**************************************************************
कनीना की आवाज। अप्रैल माह में ही तापमान 42 डिग्री पार कर गया है। दिन में घर से बाहर निकलना कठिन हो जाता है। ऐसे में डाक्टरी सलाह जरूरी है। गर्मी से बचने के लिए डाक्टर सलाह दे रहे हैं-
डा.जितेंद्र मोरवाल कनीना उप-नागरिक अस्पताल बताते हैं कि गर्मी बढ़ जाने से जहां 10 प्रतिशत तक मरीज बढ़ जाते हैं। जहां लू लगना, उल्टी, बुखार दस्त आदि की शिकायत बढ़ जाती है। धूप से बचना बहुत जरूरी है।
कैसे बचा जाए तपन से-
डा. जितेंद्र मोरवाल बताते हैं की धूप से बचने का सबसे सरल उपाय है घर में छुपकर बैठे रहे। हवादार कमरे में रहे। यदि बाहर जाना पड़े तो पानी की बोतल साथ लेकर जाए तथा पूरे कपड़े शरीर पर पहने, हाथ पैर सर सभी ढके हुए होने चाहिए। पैरों में चप्पल जूते होने चाहिए ताकि गर्मी और तपन से बचा जा सके। इस दौरान तरल पदार्थ जैसे पानी, जूस, लस्सी ,दूध आदि अधिक प्रयोग करना चाहिए। जंक फूड से इस समय बचना चाहिए, ठोस भोजन कम से कम प्रयोग करना चाहिए। हो सके तो कूलर की हवा में बैठना चाहिए। जब सुबह और शाम ताप कम हो जाए उस समय यदि कोई जरूरी काम हो तो बाहर निकलना चाहिए उनका कहना है कि गर्मी और नवतपा से धूप, लू लग जाती है, बुखार आ जाता है और इसमें बचाव में ही बचाव है। उन्होंने बताया घर पर ग्लूकोस वगैराह प्रयोग करें तथा साथ में ओआरएस का बनाकर रखे। ओआरएस घोल बनाना बहुत सरल है। नमक चीनी और थोड़ा सा नींबू का रस भी डाले तो बेहतरीन स्वाद का घोल तैयार हो जाता है। पानी अधिक से अधिक प्रयोग करें, शरीर में पानी की कमी ना आने दे।
उधर बालकिशन और श्रीकिशन वैद्य क्षेत्र में लंबा अनुभव रखते हैं। उनका कहना है कि अगर धूप लग जाए, लू लग जाए तो उससे बचने के लिए पुराने समय से बुजुर्ग कच्चे आम को भूनकर उसका रस, नमक ,चीनी आदि मिलाकर पीते आए हैं जो धूप और गर्मी से बचाता है। यह भी ओआरएस की भांति काम करता है।
फोटो कैप्शन : डा. मोरवाल
नगरपालिका प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के नाम पे गरीब पर दोहरी मार-पार्षद
-दुकानदार रेहड़ी लगवाने के भी लेते हैं पैसे-समाजसेवी
*********************************************************
**********************************************************************
**************************************************************
कनीना की आवाज। कनीना में बस स्टैंड तथा बाजार से अतिक्रमण हटाने का कार्य किया गया। लेकिन यहां गरीब रेहड़ी वालों पर दोहरी मार पड़ रही हैं। समाज सेवी नवीन यदुवंशी, नरेंद्र फौजी का कहना है कि एक साइड तो दुकानदारों के द्वारा रेहड़ी वालों से पैसा लिया जाता है दुकान के सामने रेहड़ी लगाने के नाम पर, दूसरी तरफ प्रशासन उनकी रेहडिय़ों को हटा रहे हैं, उठवा रहे हैं, नुकसान पहुंचा रहे हैं। प्रशासन को पहले इनके लिए जगह मुहैय्या करवानी चाहिए और उन दुकानदारों पे कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए जो इनसे पैसा वसूल करते हैं।।
वार्ड 01 पार्षद मंजू देवी का कहना है कनीना नगरपालिका चेयरमैन को इस तरह की कार्यवाही रुकवानी चाहिए। चेयरमैन को पहले सभी पार्षदों की मीटिंग बुलानी चाहिए, जो शपथ ग्रहण से अब तक नहीं की गई है, उस बैठक में कस्बे के विकास को लेकर मानदंड बनाने चाहिए। सभी पार्षदों की रजामंदी से प्रस्ताव पास करने के बाद ही सभी कार्य सुचारु रूप से किए जाने चाहिए।
फोटो कैप्शन: पार्षद मंजू
30 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर होने वाली शादियों पर रहेगी विशेष नजर
-जिले में नहीं होने दिया जाएगा बाल विवाह
*********************************************************
**********************************************************************
**************************************************************
कनीना की आवाज। उपायुक्त डा. विवेक भारती के दिशा निर्देशानुसार जिला के ग्रामीण और और शहरी क्षेत्रों में बाल विवाह निषेध अधिनियम को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। जिला में किसी भी सूरत में बाल विवाह न होने पाए इसके लिए विशेष नजर रखी जा रही है।
महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी सरिता शर्मा ने बताया कि इस बार 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया (अखा तीज) है। इस दिन जिला भर में विवाह समारोह की धूम रहेगी। युवा खूब विवाह बंधन में बंधेंगे। ऐसे में अक्षय तृतीया पर होने वाले सामूहिक विवाह की आड़ में कुछ बाल विवाह भी हो सकते हैं। इसलिए सरपंच, पार्षद, आंगनवाड़ी वर्कर, आशा वर्कर, पुलिस मौलवी, पंडित के साथ बैठक कर और स्कूलों में कैम्प लगाकर बाल विवाह निषेध अधिनिमय के बारे में बताया जा रहा है। खास तौर पर बाल विवाह अथवा इससे जुड़ी किसी भी तरह की गतिविधि पर नजर रखने के लिए टैण्ट हाऊस संचालकों, फोटोग्राफर, डीजे साउंड, बैंड बाजा वालों, धर्मशाला संचालकों, पुजारी, मैरिज पैलेस व कार्ड प्रिंटिंग मशीन संचालकों से सहयोग की अपील की गई है कि वह ऐसे किसी भी कार्यक्रम में न तो भाग लें और इसकी सूचना तत्काल प्रशासन को 1098 या 100 नम्बर पर दें। उन्होंने बताया कि लड़के की आयु 21 वर्ष से कम तथा लड़की की आयु 18 वर्ष से कम पाई जाती है तो कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। ऐसे लोगों को जेल होगी और उन पर जुर्माना भी लगेगा।
सरकार ने बाल विवाह निषेध 2022 नोटिफिकेशन जारी करने के बाद इसे पूर्ण तौर पर अवैध घोषित किया हुआ है। अब हरियाणा सरकार की ओर से कानून जारी कर दिया गया है कि अगर कोई भी बाल विवाह करते हुए पाया गया तो उसे पूर्ण तौर पर अवैध माना जाएगा। कहीं भी बाल विवाह होता दिखे तो तुरंत 1098 या 100 नम्बर पर डायल कर सूचना दें।
नपा कनीना ने हटाया अतिक्रमण
-थेड़ी देर बाद फिर से पहले वाली हालात
*********************************************************
**********************************************************************
**************************************************************
कनीना की आवाज। कनीना नगरपालिका आदेश अनुसार सचिव कपिल कुमार, जेई राकेश यादव, सफाई इंचार्ज सुरेंद्र वशिष्ठ ,जमादार राकेश कुमार ,नगर पालिका के सफाई कर्मचारियों ने कनीना बस स्टैंड पर अतिक्रमण हटाया। किंतु कुछ समय पश्चात फिर से पहले वाली हालात देखने को मिली। कई दुकानदारों ने वापस अपना सामान पहले वाली जगह पर लगा लिया। कनीना बस स्टैंड के समय समय पर अतिक्रमण हटवाया गया है।
अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत दुकानों के बाहर रखा सामान उठाया गया और सभी दुकानदारों से अनुरोध किया गया कि नाले से पीछे रहे। दुकान के बाहर सामान ना रखें ताकि आमजन को कोई परेशानी ना हो। उल्लेखनीय है कि लंबे समय से अतिक्रमण की समस्या चली आ रही है। दुकानों के साथ से एक चौड़ा गंदा नाला बना हुआ है जिसके पीछे ही सामान रखने की हिदायत दी है। परंतु दुकानदार दुकान में कम सामान रखते हैं और दुकान के बाहर सामान अधिक रखते हैं। आने जाने में भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। अगर दुकानदारों के सामान को कोई छू भी जाए तो शामत आ जाती है। सड़क के किनारे तक सामान रखते हैं और साथ में होर्डिंग एवं बैनर आदि लगाने के अतिरिक्त अपने वाहनों को खड़ा रखते हैं। बार बार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई चलती है किंतु हालात जस के तस मिलते हैं। अधिकारी भविष्य में कड़ा संज्ञान लेने की बात कह रहे हैं।
फोटो कैप्शन 03: अतिक्रमण हटाते हुए नपा कर्मी व अधिकारी
12 अप्रैल हनुमान जन्मोत्सव की तैयारी शुरू
-कनीना पावर हाउस में लगाया जाता है बड़ा भंडारा
*********************************************************
**********************************************************************
**************************************************************
कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र के कई गांवों में 12 अप्रैल हनुमान जन्मोत्सव की तैयारी शुरू हो गई है। कनीना,कोटिया, ककराला तथा कई गांवों में भंडारे आयोजित किए जाएंगे। कनीना के पावर हाउस में 15वां विशाल भंडारा 12 अप्रैल को आयोजित होगा। इसकी जानकारी देते हुए जेई राम रतन गोमली ने बताया कि 132 केवी पावर हाउस परिसर में हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा जिसमें 11 अप्रैल की रात को संत मोलडऩाथ पार्टी द्वारा जागरण किया जाएगा तथा 12 अप्रैल को भंडारा लगेगा जिसमें दूर दराज से भारी संख्या में भक्तजन भंडारे का प्रसाद ग्रहण करते हैं। पावर हाउस में भंडारे का प्रसाद तैयार होने लग गया है तथा 10 और 11 अप्रैल को भी प्रसाद तैयार किया जाएगा।
फोटो कैप्शन 02: कनीना पावर हाउस में भंडारे की तैयारी करते हुए।
खाद एवं बीज की दुकानें अनिश्चितकालीन बंद
-सरकार के नये एक्ट का कर रहे हैं विरोध
*********************************************************
**********************************************************************
**************************************************************
कनीना की आवाज। प्रदेश स्तरीय बीज विक्रेता एसोसिएशन के आह्वान पर कनीना के सभी खाद एवं बीज विक्रेताओं ने अपने अपने प्रतिष्ठानों को तीसरे दिन भी बंद रखा। नये एक्ट को वापस न लिये जाने तक अनिश्चितकालीन तक बंद रहेंगी। हरियाणा सरकार द्वारा बीज विक्रेताओं के लिए एक्ट में संसोधन किया गया है उसको वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
क्या कहते हैं बीज एवं खाद बिक्रेता--
विक्रेताओं का कहना है कि हम बंद पैकेट में माल लेकर बंद पैकेट ही बेचते हैं और जो सरकार द्वारा अनुज्ञापित कंपनियों से बीज एवं दवाई खरीदते हैं। किसान की मांग पर बेचा जाता है। कोई भी बीज या दवा निम्र स्तर का पाया जाए तो उसमें कठोर सजा का प्रावधान किया है जो अव्यवहारिक है। डिलरों का कहना है कि कृषि उत्पादन में उनका पूरा योगदान है और आज तक पूरे हरियाणा में एक प्रतिशत से भी कम नमूने फेल पाये जाते हैं। इस एक्ट में कैटेगरी नहीं बनाई गई हैं कि किसको क्या सजा मिलेगी?
क्या कहते हैं खाद एवं बीज विक्रेता--
बीज विक्रेता महेश बोहरा, कुलदीप कुमार, विजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि सरकार के नियम अनुसार सब-स्टैंडर्ड का बीज होने पर कठोर कर आवास की सजा का प्रावधान किया गया है जो अनुचित है। यदि उनका कहना है कि यदि माल नकली है तो सजा का प्रावधान होना चाहिए क्योंकि वह कंपनियों से बीज लेकर किसानों तक पहुंचाते हैं। उसमें यदि इसमें एक प्रतिशत अंकुरित ने हो तो कंपनी जिम्मेवार है, बीज विके्रेता नहीं। ऐसे में उन्होंने बिल का विरोध किया है तथा मांग है कि बिल को वापस लिया जाए। खाद एवं बीज दुकानदारों ने आज सभी अपनी-अपनी दुकानें बंद रखी व विरोध जताया। बीज खरीदने वालों ने आज परेशानी उठानी पड़ी।
फोटो कैप्शन 01: बीज विक्रेताओं की बंद दुकानें
दमकल गाडिय़ों व कर्मचारियों की भारी कमी
-कर्मियों की संख्या बढ़ाने की मांग
*********************************************************
**********************************************************************
**************************************************************
कनीना की आवाज। जिला के अग्निशमन केन्द्रों पर दमकल गाडिय़ों व कर्मचारियों की भारी कमी के कारण प्रभावित लोगों को बहुत परेशानी उठानी पड़ रही है। इस सम्बन्ध में बसपा नेता अतरलालने राज्य सरकार से अग्निशमन केन्द्रों पर गाडिय़ों और बचाव कर्मचारियों की संख्या तत्काल बढ़ाने की मांग की है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिला के अग्निशमन केन्द्रों पर 9 गाडिय़ां तथा 53 फायर कर्मचारी काम कर रहे हैं। जबकि काम के दबाव को देखते हुए 25 दमकल गाडिय़ों और कम से कम 113 कर्मचारियों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नारनौल में 4, महेन्द्रगढ़ में 2, कनीना, अटेली तथा नांगल चैधरी में 1-1 दमकल गाडिय़ां उपलब्ध हैं। स्टाफ तथा दमकल गाडिय़ों की कमी के कारण अग्निशमन विभाग आगजनी तथा अन्य बचाव घटनाओं से निपटने में असफल रहता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जिला को दमकल गाडिय़ां तथा स्टाफ देने में भेदभाव कर रहा है। महेन्द्रगढ़ जिला की बजाय अन्य जिलों के अग्निशमन केन्द्रों पर गाडिय़ां तथा स्टाफ ज्यादा है। उन्होंने सरकार के भेदभावपूर्ण रवैये पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि नाकाफी गाडिय़ों और कम स्टाफ के कारण प्रभावित स्थानों तक समय पर बचाव राहत कार्य नहीं पहुंच पाते। जिससे पीडि़त लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। उन्होंने मुख्यमंत्री से जनहित में तत्काल दमकल केन्द्रों पर गाडिय़ों तथा कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की मांग की है।
No comments:
Post a Comment