कंजकों को कराया गया भोजन, रविवार को भी कराया जाएगा भोजन
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कनीना की आवाज। दुर्गा अष्टमी पर कंजकों को भोजन कराया और उन्हें दान पुण्य किया। रविवार को भी भोजन कराया जाएगा । दोपहर तक कंजकों को भोजन कराने का सिलसिला जारी रहा। यही नहीं अपितु कुत्तों एवं कौवों ने भी जी भर के भोजन किया। हरियाणा सरकार ने दुर्गा अष्टमी पर स्कूलों का समय भी बदल दिया था।
शुक्रवार से कंजकों को भोजन कराने का सिलसिला जारी है। दुर्गा सप्तमी से सिलसिला शुरू हुआ था और दुर्गा नवमी रविवार को भी जारी रहेगा। वैसे तो कंजकों की कमी रही वहीं उन्हें जबरन खाना खाना पड़ा।
नवरात्रों के आठवें दिन मंदिरों में पूजा अर्चना का जोर रहा वहीं मां की कढ़ाई की गई। विभिन्न मंदिरों में रौनक देखने को मिली। रविवार को क्षेत्र में नवरात्रे पूर्ण होने जा रहे हैं। विभिन्न स्थानों पर हवन, कढ़ाई, भजन एवं सत्संग होते रहे।
इस हाइटेक युग में जहां खानपान में तीव्र गति से बदलाव आ रहा है वहीं नवरात्रों में कंजकों को खाना खिलाने में भी बदलाव आ गया है। हाइटेक युग में जहां हलवा पुड़ी एवं शुद्ध देशी घी से बनी वस्तुओं से इंसान का मोह भंग हो रहा है। नवरात्रों पर कंजकों को भी अब फास्ट फूड खिलाकर प्रसन्न किया जाता है। कुरकुरे, लेज, ठंडा आदि खिलाकर बच्चों को प्रसन्न किया जाता है। बच्चे भी इन चीजों को खाकर प्रसन्न होते हैं और यहां तक कि उनको भेंट में मिले पैसों से भी वे फास्ट फूड अधिक खाते हैं।
नवरात्रों के दिनों में फल एवं सब्जियां महंगी रही हैं। केले से लेकर सेब तक महंगे हैं। इन चीजों की जरूरत हर घर में रहती है।
फल महेंगे-
बाजार में सभी फल एवं सब्जियां महंगी चल रही हैं। नवरात्रों का अंतिम दिन रविवार को होने के कारण रेहडिय़ों पर फल एवं सब्जियां सजी हुई हैं। नवरात्रों के बाद फिर से फल एवं सब्जियां सस्ती हो जाएंगी।
फोटो कैप्शन 10: बाजार में पर्व को लेकर सजे हुए केले
विधि विधान से करें मां सिद्धिदात्रि की अर्चना
-सिद्धियों की स्वामिनी है मां सिद्धिदात्री-कौशिक
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कनीना की आवाज। माता सिद्धिदात्रि की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए। यह माता का अंतिम रूप होता है। यह सभी सिद्धियों की देने वाली होती है। ये विचार आचार्य दीपक कौशिक ने व्यक्त किये।
माता सिद्धिदात्री को लगाया जाने वाला भोग- .
उन्होंने बताया कि नवरात्र के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा-आराधना का होता है। माता सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली कहा गया है। नवरात्रि के नवम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। इन्हें सिद्धियों की स्वामिनी भी कहा जाता है। नवमी तिथि का व्रत कर, माता की पूजा-आराधना करने के बाद माता को तिल का भोग लगाना इस दिन कल्याणकारी रहता है। यह उपवास व्यक्ति को मृत्यु के भय से राहत देता है और अनहोनी घटनाओं से बचाता है।
हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुन: स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया था। श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, राजा दशरथ के घर में हुआ था।
माता सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली कहा गया है। नवरात्रि के नवम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। इन्हें सिद्धियों की स्वामिनी भी कहा जाता है। नवमी तिथि का व्रत कर, माता की पूजा-आराधना करने के बाद माता को तिल का भोग लगाना इस दिन कल्याणकारी रहता है। यह उपवास व्यक्ति को मृत्यु के भय से राहत देता है और अनहोनी घटनाओं से बचाता है।
फोटो कैप्शन: आचार्य दीपक कौशिक
रामायण आधारित क्विज प्रतियोगिता का आयोजन
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कनीना की आवाज। राजकीय माडल संस्कृति स्कूल, कनीना में आज चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर एक विशेष क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्रों में भारतीय संस्कृति, धर्म और ऐतिहासिक मूल्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। प्रतियोगिता की थीम रामायण आधारित रखी गई, जो कि हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य सुनील खुडानिया जी ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में छात्रों को जीवन में सच्चाई, मर्यादा और ज्ञान के पथ पर चलने की प्रेरणा दी। उन्होंने रामायण के प्रसंगों से उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे यह ग्रंथ आज भी हमारे जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करता है।
क्विज प्रतियोगिता में विभिन्न टीमों ने भाग लिया, जिनमें से नवदुर्गा निंजाज ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया। अम्बे एवेंजर्स को द्वितीय पुरस्कार तथा विजया वारियर्स को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। शक्ति स्क्वाड को सांत्वना पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस मौके पर समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।
सभी विजेता प्रतिभागियों को विद्यालय प्रबंधन की ओर से प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में अध्यापकगण, अभिभावक एवं छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। समापन पर विद्यालय ने सभी प्रतिभागियों और आयोजकों को उनके सहयोग और समर्पण के लिए धन्यवाद दिया।
माडल संस्कृति स्कूल का यह प्रयास न केवल छात्रों के ज्ञानवर्धन की दिशा में सराहनीय है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि हमारी शिक्षा पद्धति में सांस्कृतिक मूल्यों का समावेश कितना महत्वपूर्ण है।
फोटो कैप्शन 09: अव्वल रहे विद्यार्थी को पुरस्कृत करते हुए प्राचार्य।
किसान जुट गए जोर जोर से गेहूं की लावणी में
-मजदूरों का है अभाव, गर्मी बढ़ी, मंडी में गेहूं की खरीद सोमवार से संभव
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र का किसान गेहूं की लावणी में लग गया है। लावणी तेजी से आ गई है। जहां किसान अभी सरसों की लावणी करके पैदावार ले रहा था तुरंत गेहूं की लावणी भी आ गई है। एक और जहां गर्मी बढ़ गई है वही लावणी जैसे कृषि कार्यों की अधिकता के चलते किसान परेशान नजर आ रहा है। क्योंकि लावणी तो आ गई है किंतु मजदूर अपने गृह जिलों में जा चुके हैं। बहुत कम मजदूर उपलब्ध हैं। उल्लेखनीय है कि होली से पहले सरसों की लावणी आ गई थी और लावणी करने के लिए भारी संख्या मजदूर आ गए थे किंतु मजदूर सरसों की लावणी करके अपने गृह जिलों में चले गए। अधिकांश मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान एवं नेपाल आदि से आते हैं। अपने प्रदेशों में लौट जाने के बाद अभी तक वापस नहीं आए हैं जिसके कारण मजदूर न मिलना किसानों के लिए समस्या बन गया है। यहां उल्लेखनीय की किसान स्वयं लावणी नहीं करता अधिकांश कार्य मजदूरों से करवाता है। यही कारण है कि आज के दिन अपने काम स्वयं करने को मजबूर हो रहा है। क्योंकि किसान लावणी करने के लिए कंवाइन हार्वेस्ट मशीन आ जाने से थोड़ी बहुत राहत जरूर मिली है। किसान मशीनों से लावणी करवाने में जुट गया है ताकि मजदूरों का अभाव न खले।
किसान सुनील कुमार, राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, महेश कुमार आदि ने बताया कि सरसों एवं गेहूं की लावणी एक साथ आ गई है जिसके कारण भी समस्या बढ़ गई है। किसान अब परेशान है कि लावणी कैसे की जाए। यदि समय पर लावणी न की गई तो बढ़ती गर्मी में तापमान 37 डिग्री के पास पहुंच गया है। गर्मी के कारण खेतों में ही गेहूं के बिखरने की संभावना बन गई है। बहरहाल बहुत से किसान तो मजदूर को ढूंढ रहे हैं, वहीं मजदूर ढूंढे भी नहीं मिल रहे हैं। इस बार विगत वर्ष की तुलना में कम क्षेत्रफल पर गेहूं उगाया है। करीब 10,000 हेक्टेयर पर गेहूं उगाया गया है जिसकी पैदावार लेने में किसान जुट गया है।
सोमवार से खरीद संभावित-
कनीना व्यापार मंडल प्रकोष्ठ मके उप प्रधान रविंद्र बंसल ने बताया कि गेहूं की खरीद 2425 रुपये प्रति क्विंटल होगी। कनीना की नई अनाज मंडी में सोमवार 7 अप्रैल से खरीद की संभावना है। वैसे तो सरकारी खरीद एक अप्रैल से हो चुकी है किंतु गेहूं की अभी आवक नहीं हो पाई है। फूड एंड सप्लाई विभाग कनीना में गेहूं की खरीद करेगा।
फोटो कैप्शन 05: गेहूं की लावणी करते हुए मजदूर
पदाड़ी को बेचा जाता है ईंट भट्ठों को
-तीन हजार रुपये प्रति किला की बिकती है पदाड़ी
-सरसों के धांसे भी बने कीमती
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कनीना की आवाज। एक जमाने में चंद रुपयों में बिकने वाली तूड़ी तथा मुफ्त में मिलने वाली पदाड़ी एवं धांसे अब कीमती बन गए हैं। किसानों के लिए ये अतिरिक्त आय का साधन बन गए हैं। इन्हीं के दम पर हजारों रुपये किसान कमा लेते हैं। अब किसान न तो धांसों को नष्ट करते हैं और न पदाड़ी को बिखेरते हैं। अब तो प्रत्येक गांव में एक या दो लोग इनका स्टाक करके ईंट उद्योगों को पहुंचा रहे हैं जिससे कोयला एवं लकड़ी की मांग घटी है। कुछ लोगों ने गांव गांव में पदाड़ी का स्टाक किया हुआ है जो व्यापार का जरिया बन गया है। पदाड़ी 3000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से बिक जाती है।
अब दूर दराज से लोग पदाड़ी को अपने गन्ने से गुड़ बनाने या ईंट भट्ठा मालिक इसे ईंट पकाने में काम में लेने लगे हैं। वर्तमान युग में पदाड़ी को भारी दामों पर बेचा जाता हैं। कुछ लोग तो पदाड़ी का धंधा ही करने लग गए हैं। पदाड़ी को भारी मात्रा में इक_ा कर लिया जाता है और भट्ठामालिकों को बेचा जाता है। जब जब सरसों की कटाई होती है कुछ लोग सक्रिय हो जाते हैं और बेहतर आय पदाड़ी से कमा लेते हैं।
पदाड़ी की मांग भी दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। किसान धांसों के बदले सरसों की कटाई करवाने के अलावा पदाड़ी को महंगे दामों पर बेचते आ रहे हैं। किसान राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, अजीत कुमार, कृष्ण कुमार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पदाड़ी को उनसे मोल ले जाते हैं और एक जगह स्टाक कर लेते हैं जो ईंट भट्ठाउद्योगों को बेच दिया जाता है। इस प्रकार किसान एवं पदाड़ी का व्यापार करने वाले खुश हैं।
किसान गजराज सिंह, योगेश कुमार, महेंद्र, महिपाल आदि ने बताया कि धांसे न केवल ईंधन का विकल्प है अपितु गरीब तबके के लोग जो चूल्हे से खाना बनाते, धांसों को वरदान समझते हैं। धांसों को किसान सरसों कटाई के समय उखाड़ लेते हैं और इक_ा कर वर्षभर प्रयोग करते हैं।
एक वक्त था जब सरसों के धांसों को लोग उखाड़ कर नहीं लाते थे आज उनकी की कीमत बढ़ गई है। किसान फसल कटाई के साथ-साथ जहां धांसों को इक_ा करते हैं। इन्हें ईंधन के विकल्प के रूप में प्रयोग करते हैं।
किसान सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह, अजीत कुमार, योगेश कुमार आदि ने बताया कि धांसों को काटकर सूखा लिया जाता है और इनको खाना बनाने के लिए प्रयोग में लाते हैं। कुछ किसान पशुओं का आहार पकाने में भी उनका उपयोग करते हैं। धांसों को लोग इकट्ठा करके अपने घर आंगन में कहीं जमा कर लेते हैं और कई महीनों तक विशेषकर ईंधन के विकल्प के रूप में प्रयोग करते हैं। चाहे ये कम ऊष्मा प्रदान करते हो किंतु गरीब तबके के लोगों के लिए धांसे बहुत कीमती माने जाते हैं। किसान इन धांसों को उखाड़ कर अपने लिए प्रयोग करते हैं या आसपास के लोग उन्हें उखाड़ कर ले आते हैं।
फोटो कैप्शन 07: पदाड़ी का किया गया स्टाक
08: खेत से धांसे उखड़ता किसान
यदुवंशी शिक्षा निकेतन कनीना में मनाया दुर्गा अष्टमी पूजन
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कनीना की आवाज। यदुवंशी शिक्षा निकेतन में शनिवार को दुर्गा अष्टमी के पावन अवसर पर विशेष पूजन का आयोजन किया गया। विद्यालय परिसर में श्रद्धा और भक्ति का माहौल देखने को मिला।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन, मंत्रोच्चारण और माता रानी की आरती से हुई। यदुवंशी ग्रुप के चेयरमैन श्री राव बहादुर सिंह,छात्रों व शिक्षकों ने मिलकर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की और सुख-शांति की कामना की। कन्या पूजन के साथ अष्टमी महोत्सव की विशेष झलक देखने को मिली। अध्यापकों और विद्यार्थियों ने परंपरागत वेशभूषा में भाग लेकर भारतीय संस्कृति की सुंदर झलक प्रस्तुत की।
यदुवंशी ग्रुप के फाउंडर डायरेक्टर राजेंद्र यादव व विद्यालय प्राचार्य नरेन्द्र गौतम ने सभी को दुर्गा अष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ऐसे आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को प्रबल करते हैं, बल्कि छात्रों में नैतिक मूल्यों व सांस्कृतिक विरासत के प्रति सम्मान भी जागृत करते हैं।
विद्यालय परिसर भक्ति रस में सराबोर नजर आया और कार्यक्रम का समापन प्रसाद वितरण के साथ किया गया।
फोटो कैप्शन 05: दुर्गा अष्टमी का पर्व मनाते हुए।
बीआर स्कूल सेहलंग में श्रद्धा से मनाए गए राम नवमी एवं दुर्गा अष्टमी पर्व
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कनीना की आवाज। बीआर स्कूल, सेहलंग में राम नवमी एवं दुर्गा अष्टमी का पर्व अत्यंत श्रद्धा, भक्ति व दिव्यता के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कक्षा नर्सरी से दूसरी तक के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन व कन्या पूजन से हुआ, जिसे बीआर ग्रुप चेयरमैन हरीश भारद्वाज, विद्यालय के प्रधानाचार्य डा. राम मोहन वशिष्ठ तथा उप-प्रधानाचार्या ज्योति भारद्वाज द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण की गूंज के साथ सम्पन्न किया गया।
विद्यार्थियों ने भगवान श्रीराम के जीवन व उनके संघर्षों पर आधारित भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत किए। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से यह दर्शाया गया कि श्रीराम का जीवन प्रत्येक मानव के लिए एक आदर्श है, जो हमें मातृभूमि और राष्ट्र की सेवा में स्वयं को समर्पित करने की प्रेरणा देता है। बच्चों ने यह भी दर्शाया कि ब्रह्मांड का संतुलन प्रत्येक नारी शक्ति में निहित देवी दुर्गा के नौ रूपों के बिना असंभव है।
प्रधानाचार्य डा. वशिष्ठ ने अपने उद्बोधन में कहा कि जब विद्यार्थियों को विद्यालय स्तर पर ही उचित व्यवहार व नैतिक मूल्यों के अनुरूप ढाला जाता है, तो वे जीवनभर सत्यनिष्ठा व ईमानदारी का पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य हमेशा से विद्यार्थियों का समग्र विकास करना रहा है, जिसमें करुणा व साहस का संतुलन हो। इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं।
चेयरमैन हरीश भारद्वाज ने कहा कि जब तक छात्र स्वयं करके नहीं सीखते, वे जीवन के वास्तविक मूल्यों को आत्मसात नहीं कर सकते। उन्होंने विद्यालय की शिक्षकीय टीम की सराहना करते हुए कहा कि हमारी समर्पित शिक्षकों की टीम हर समय छात्रों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रयत्नशील रहती है। उन्होंने अभिभावकों के सहयोग के लिए विशेष आभार प्रकट किया और कहा कि उनके सहयोग के बिना विद्यालय की विद्यार्थियों के समग्र विकास की कोशिश कभी सफल नहीं हो सकती।
कार्यक्रम का समापन नव दुर्गा स्वरूप में सुसज्जित कन्या रूपों की सामूहिक आरती व प्रसाद वितरण के साथ हुआ, जिसमें समस्त स्टाफ ने श्रद्धा, उल्लास एवं भक्ति के भाव के साथ भाग लिया। यह आयोजन विद्यार्थियों एवं समस्त विद्यालय परिवार के के लिए न केवल एक सांस्कृतिक अनुभव रहा, बल्कि जीवन मूल्यों को सीखने का एक प्रेरणादायक अवसर भी सिद्ध हुआ।
फोटो कैप्शन 03: राम नवमी पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रस्तुति देते बी आर स्कूल सेहलंग के विद्यार्थी।
माडल स्कूल में 40 नये बच्चों को दिया प्रवेश
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कनीना की आवाज। शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना में करीब 40 नये विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है।
विस्तृत जानकारी देते हुए प्राचार्य ने बताया कि विद्यालय परिवार ने नवागंतुक छात्रों का प्रार्थना सभा में माल्यार्पण कर हार्दिक स्वागत किया गया है। यह विशेष क्षण बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्राचार्य सुनील खुडानिया ने बताया कि हमारा उद्देश्य न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता प्रदान करना है बल्कि संस्कार और नैतिक मूल्यों के साथ विद्यार्थियों को आगे बढ़ाना भी है।
फोटो कैप्शन 02: नये बच्चों का माल्यार्पण कर स्वागत करता स्टाफ
21000 रुपये का दंगल चिराग सासरौली ने जीता
-झाड़ली माता मेला संपन्न
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव झाड़ली स्थित माता मंदिर मेले में बूढ़ों की दौड़ ,बच्चों की दौड़ तथा कुश्तियों का आयोजन किया गया। जहां अनेकों दंगल आयोजित हुए। 21000 रुपये की कुश्ती चिराग सासरोली ने जीती। वहीं 21000 की दूसरी कुश्ती में मोहित छीथरोली तथा बंटी बहू अखाड़ा के बीच बराबरी पर रही। 5100-5100 रुपये की अनेक कुश्तियां संपन्न हुई जिनके विजेता साहिल, मोहित, बिंदु, भोला पहलवान ने जीती। मेले में सरपंच और संत ने अव्वल को पुरस्कृत किया।
फोटो कैप्शन 01: मां मेले में दंगल का नजारा
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