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Sunday, May 4, 2025
जिला महेंद्रगढ़ में नीट परीक्षा सुचारू रूप से संपन्न
-3392 परीक्षार्थियों में से 3329 परीक्षार्थियों ने दी नीट की परीक्षा
-63 परीक्षार्थी गैर हाजिर रहे। कुल 98.14 प्रतिशत हाजिरी रही।
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कनीना की आवाज। प्रशासन द्वारा किए गए पुख्ता प्रबंध के चलते जिला महेंद्रगढ़ में नीट (यूजी) परीक्षा सुचारू रूप से संपन्न हुई। उपायुक्त डॉ विवेक भारती ने आज सभी आठ परीक्षा केंद्रों पर जाकर स्थिति का जायजा लिया। इस मौके पर पुलिस अधीक्षक पूजा वशिष्ठ भी मौजूद थीं।
डीसी ने बताया कि मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित इस नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) प्रवेश परीक्षा के लिए जिला में कुल 8 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। परीक्षा की संवेदनशीलता को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा नोडल अधिकारी तथा ड्यूटी मजिस्ट्रेट तैनात किए गए थे।
जिला में कहीं भी किसी भी प्रकार की कोई शिकायत नहीं मिली है। नीट परीक्षा शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा जारी की गई सभी गाइडलाइन को अधिकारियों ने फालो किया है। पुलिस विभाग की ओर से सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे।
इसके अलावा अतिरिक्त उपायुक्त डॉ आनंद कुमार शर्मा, एसडीएम महेंद्रगढ़ अनिल यादव, एसडीएम नारनौल रमित यादव तथा नगराधीश मंजीत कुमार भी दिनभर निरीक्षण करते रहे।
सीहोर की इंदुबाला ने यूपीएससी में हासिल की 514वीं रैंक
-ग्राम पंचायत ने पगड़ी पहनाकर किया सम्मानित
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कनीना की आवाज। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 22 अप्रैल को सिविल सेवा परीक्षा 2025 का अंतिम परिणाम घोषित किया जिसमें उप मंडल के गांव सीहोर की इंदुबाला ने 514वां स्थान हासिल कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। इंदुबाला कहना है कि इस सफलता के पीछे कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई है। रविवार को उपमंडल के गांव सीहोर में बाबा ब्रह्मचारी मंदिर में इंदु बाला का सम्मान समारोह कार्यक्रम पंचायत द्वारा आयोजन किया गया। इंदु बाला के पिता शुक्रमपाल ने बताया कि सफलता तीसरे प्रयास में हासिल की है। उनकी 541 वीं रैंक आई है।
इंदुबाला ने 5 वर्ष पहले एक निजी कंपनी में 12 लाख रुपये का पैकेज छोड़कर यूपीएससी की तैयारी करना शुरू किया था। इंदु बाला ने पढ़ाई दिल्ली टेक्नोलॉजिकल विश्वविद्यालय (डीटीयू) में एमटेक विषय में की थी। इंदु बाला की सफलता से परिवार में खुशी का माहौल है। बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। इंदुबाला ने घर पर रहकर ही पढ़ाई की है। उन्होंने किसी प्रकार को कोचिंग ज्वॉइन नहीं की। इंदु बाला ने बताया कि जब सही दिशा में मेहनत की जाए तो सफलता मिल ही जाती है। सम्मान समारोह कार्यक्रम में चेयरमैन रोशनलाल यादव, सरपंच हरीश लम्बा, लेबर इंस्पेक्टर राजबीर सिंह, वन कर्मचारी संघ पूर्व प्रधान सुरेंद्र पाल, रेंज अधिकारी नरेंद्र, कुलदीप सुरजनवास, सुरेश वशिष्ठ, मास्टर बुधराम, मास्टर दयानंद, वेद आर्य, सुरेश सहित अन्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 04 च 05: इंदुबाला का सम्मान करती ग्राम पंचायत सिहोर
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार -130
- डंगर पुस्तक भंडार में जमकर की शिकायतें
-आज तक उन शिकायतों का बथड़ रखा है मेरे पास
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कनीना की आवाज। कनीना निवासी डा. होशियार सिंह यादव विश्व रिकार्ड धारक बतौर विज्ञान अध्यापक 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्होंने जी जान से विद्यार्थियों को पढ़ाया, नाम कमाया, कभी भी अपने कत्र्तव्य से विमुख नहीं हुए परंतु न जाने कितने दुश्मन बेवजह बनते चले गये। वैसे तो कहावत है कि जिसके दुश्मन नहीं उसमें निखार नहीं आ सकता, उसका जीना बेकार है। उनके तो दुश्मन हजारों हुए जिसके कारण वह कुंदन की तरह शुद्ध हो चुके हैं और अभी कितने दुश्मन और बने हुए हैं वो अलग बात है। उनके कुछ ऐसे भी दुश्मन है जो पीछे से उनकी शिक्षण कार्य की जमकर तारीफ करते थे। कनीना के पूर्व प्रधान भी उनमें से एक हैं परंतु कुछ का दिमाग खोखला हो चुका होता है जिन्हें फ्रस्ट्रेटेड मन कहते हैं, वह न जाने क्या कुछ कर बैठे? ऐसा ही उनका एक किस्सा डंगर पुस्तक भंडार का है जिन्होंने जमकर शिकायत की। आइये सुनते होशियार सिंह की कहानी उन्हीं की जुबानी-
मैं जब कनीना के राजकीय माडल संस्कृति स्कूल में कार्यरत था। वैसे तो कनीना का यह स्कूल पहले माडल स्कूल होता था आजकल माडल संस्कृति स्कूल बन चुका है। यहसं पर 18 सालों की सेवा दी है। जब यहां कार्यरत था तो डंगर पुस्तक भंडार का एक लड़का मेरे पास पढ़ता था उसको क्योंकि कक्षा का इंचार्ज में था इसलिए वह बार-बार स्कूल से गायब मिलता था। लगातार अनुपस्थित रहने पर उसका नाम काट दिया गया था। एक दिन कई बार नाम काटने के बाद भी नही सुधरा तो एक दिन उनके परिजन स्कूल पहुंचे। हमने उसे बताया कि बेहतर हो कि इसकी टीसी ले जाओ। परिजनों के कहने से उसकी टीसी उपलब्ध करवा दी। टीसी पर उसके परिजनों के हस्ताक्षर भी हैं। उसे समय आरपी कौशिक प्राचार्य होते थे। बस फिर क्या था डंगर पुस्तक भंडार ने शिकायत शुरू कर दी। निदेशालय पंचकूला में इतनी शिकायत की कि यदि उनकी गिनती की जाए तो सैकड़ों की तादाद में हैं। आखिर निदेशालय भी दुखी हो चुका था, बार-बार निदेशालय ने जांच के आदेश दिए कि यह डंगर पुस्तक भंडार परेशान क्यों है? हर बार जब शिकायत विद्यालय में आई, जांच होती तो जांच से डंगर पुस्तक भंडार गायब रहता। आखिर अधिकारी तथा जांचकर्ता भी परेशान हो चुके थे। आखिर में खंड शिक्षा अधिकारी रामानंद यादव एक बार जांच अधिकारी नियुक्त हुए। उन्होंने चतुर्थ श्रेणी को लिखित रूप से डंगर पुस्तक भंडार को स्कूल में आने के लिए भेजा लेकिन जिसकी आदत बुरी होती हो अपना खेल दिखाएगा। उन्होंने आने से इनकार कर दिया। तत्पश्चात एक बार फिर से उनके पास नोटिस भेजा कि स्कूल में पहुंचो किंतु वह नहीं आया। तीन बार जब नहीं पहुंचे तो खंड शिक्षा अधिकारी को भी क्रोध आया। उन्होंने सारी कहानी लिखकर निदेशालय को भेज दी। निदेशालय संतुष्ट हुआ परंतु उस समय तो मैंने सोचा था कि डंगर पुस्तक भंडार के सभी आंकड़े इकट्ठे किए जाएं और इसके विरुद्ध कार्रवाई की जाए। कुछ आंकड़े हासिल हो गए थे लेकिन मेरे एक भांजे के पास डंगर पुस्तक भंडार में बैठना शुरू कर दिया। पहले जहां उनकी आपस में बहुत झगड़ा होत था वे दोस्त बन गए किंतु मेरे सीने में आग धंधकती रह गई क्योंकि मैंने कसम उठाई थी कि जिस दिन में सेवानिवृत्त हूंगा उस दिन इनकी वह गत की जाएगी की आने वाले समय में इनको पता लगे कि किसी की झूठी शिकायत कैसे करते हैं? मेरे काबिल एवं विश्वसनीय साथी ने कहा कि भूली बिसरी बातों/ दबे मुर्दों को उखाडऩे में क्या रखा है। आप भूल जाइए जो करेगा सो भरेगा। ऐसे में मैं भी अपना मन बदल लिया। आज भी जब मैं डंगर पुस्तक भंडार के पास से गुजरता हूं तो मुझे वह दृश्य याद आता है। कई बातों में बड़ी ही सोच समझ कर कार्य करना होता है और यहां पर भी यह सोचकर अपना मन बदल लिया कि जो करेगा वह एक दिन भरेगा। मुझे याद है की डंगर पुस्तक भंडार का पहले दर दराज तक नाम था लेकिन धीरे-धीरे उनके दोस्त भी अब दुश्मन बन चुके हैं। आज उनके पड़ोसी भी दुश्मन बने हुए हैं और मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में उनका बुरा हाल होगा। इससे बड़ी सजा और क्या होगी? जो सजा इंसान नहीं दे पाता वह भगवान जरूर देता है। करने का फल यहीं पर भुगतना पड़ता है। अब मन बदलकर में प्रसन्न हूं परंतु आरटीआई के जरिए आज भी अनेकों नई-नई बातें डंगर पुस्तक भंडार उजागर जरूर हो रही हैं, जिनका मैं रिकार्ड बना रहा हूं आने वाले समय में कभी काम आए तो उसके लिए प्रमाण जरूरी होते हैं।
फिर बदला मौसम,
-अब तक मई माह में क्षेत्र में में हो चुकी है 11 एमएम वर्षा
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में एक बार फिर से रविवार शाम को मौसम में बदलाव आ गया है। दिन भर गर्मी पडऩे के पश्चात शाम को बादल छा गए, तेज हवाएं चली तथा मौसम विभाग की माने तो बूंदाबांदी हो सकती है। कनीना क्षेत्र में मई महीने में दो बार वर्षा हो चुकी है, एक बार 6 एमएम तो दूसरी बार 5 एमएम वर्षा हुई है। अभी साथ 7 मई तक मौसम बदलने की मौसम विभाग जानकारी दे रहा है। चाहे कुछ भी हो गर्मी से जरूर राहत मिली है।
11 मई को कनीना में विशेष आयोजन
-श्री गौड़ सभा कनीना करेगा भगवान परशुराम जन्मोत्सव समारोह आयोजित
- प्रतिभावान विद्यार्थियों को भी किया जाएगा सम्मानित
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कनीना की आवाज। आगामी 11 मई को कनीना के राव झूथर सिंह बोहरा मैरिज पैलेस में श्री गौड़ सभा कनीना द्वारा भगवान परशुराम जन्मोत्सव समारोह का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विप्र समाज के लोगों भाग लेंगे। प्रधान डा. रविन्द्र कौशिक ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम के अध्यक्षता पूर्व शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा करेंगे वहीं। मुख्य अतिथि खेल मंत्री एवं युवा सशक्तिकरण मंत्री गौरव गौतम रहेंगे । विशिष्ट अतिथि गुरुग्राम विधायक मुकेश शर्मा और कार्यकारिणी अध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज रहेंगे। 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले, प्रतियोगिता परीक्षा में मेरिट प्राप्त करने वाले विद्यार्थी व विशेष पद पर आसीन विप्र जनों को सम्मानित किया जाएगा। उप प्रधान बुद्धि प्रकाश इसराना ने कहा कि भगवान परशुराम शस्त्र और शास्त्र दोनों के ज्ञाता थे। वे न केवल ब्राह्मणों के आराध्य हैं, बल्कि आतंक के विरुद्ध फरसा उठाने वाले पहले व्यक्ति भी थे।
रात को भी चैन नहीं लेने दे रहे बंदर
--चोर समझकर जाग जाते हैं लोग
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कनीना की आवाज। कनीना में करीब 500 बंदर रात को भी चैन से नहीं सोने देते। रात को टीन शेड, पानी की टंकी तथा एंटीना आदि को जोर-जोर से हिलते हैं, उन पर कूदते हैं जिससे रात को भी लोग नींद में खड़े हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि कोई चोर घुस गया हैं। लाठी डंडे लेकर छतों पर जाने पर पता चलता है कि चोर नहीं यह तो बंदर है। बंदरों के कारण भारी नुकसान हो रहा है। अब तो कनीना नगरपालिका की प्रधान बन चुकी है किंतु अभी तक बंदरों को पेकठऩे के कोई योजना नहीुं बनाई है।
क्या कहते हैं आरटीआई एक्सपर्ट-
आरटीआई एक्सपर्ट कनीना मंडी निवासी शिवकुमार अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने बंदरों के विषय में कई बार आरटीआई लगाई है जिससे स्पष्ट हुआ है कि केवल एक बार नगर पालिका ने बंदरों को पकड़वाकर दूर कहीं छुड़वाया था। बंदरों से निजात पाने के लिए बार-बार प्रयास करवाए गए हैं किंतु प्रशासन नहीं चेता।
आधा दर्जन लोगों को काट चुके हैं बंदर -
कनीना के करीब आधा दर्जन लोगों को बंदरों ने काट लिया है। बंदर काट लेने पर कनीना अस्पताल में जहां लगने वाले एंटी रेबीज के टीके तक भी नहीं उपलब्ध हो पाते हैं जिसके कारण भारी परेशान उठानी पड़ती है और दूर दराज जाकर इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं।
लाखों की करते हैं क्षति-
ये बंदर प्रतिदिन न केवल रेहड़ी वालों को, अंडे बेचने वालों, आम आदमी को परेशान करते हैं अपितु फल व फूलदार पौधों को तहस नहस कर जाते हैं। घर में घुसकर फ्रिज खोलकर सब कुछ माल खा जाते हैं। यहां तक कि बंदरों से लोग बेहद परेशान है। लाखों रुपए की क्षति प्रतिमाह पहुंचा रहे हैं। बंदर हर जगह देखने को मिल जाते हैं। कई कई बार तो लोग सड़क के दोनों ओर खड़े बंदरों के गुजरने का इंतजार करते हैं किंतु ये बंदर इंसानों को देखकर डरकर नहीं भागते अपितु इंसानों को काटने के लिए दौड़ते हैं। रात को चोरों का आभास करवा देते हैं। लोग चोर समझकर रात को भी जाग जाते हैं।
फोटो कैप्शन 03: रात के समय बंदरों का आतंक
कनीना में कान्हा सिंह पार्क के पास हो रहा जल भराव
--लोग परेशान
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कनीना की आवाज। कनीना में तीन चार महीने से सीवर का गंदा पानी बाहर आने से कच्चा रास्ता बंद हो गया है जिस से आने जाने वाले राहगीरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है शिविर का गंदा पानी पूरे रस्ते पर भरा रहता है जिससे आस पास रहने वालों को बदबू भी सहनी पड़ती है साहिल, दीपक, हितेश, भावेश, सरोज, वीरमती, सरोज, प्रदीप कुमार, इत्यादि ने बताया कि यह शिविर तीन चार महीने से खराब पड़ा है बार बार शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्रवाई भी नहीं की गई। शिविर के साथ लगते पार्क के दीवार के पास भी शिविर का पानी भरा पड़ा है। ढाणी वासियों ने बताया कि रात के समय में खंभे पर स्ट्रीट लाइट भी नहीं है और ऊपर से सीवर का गंदा पानी होने से निकलने में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
फोटो कैप्शन 01: गंदा पानी भराव दिखाते हुए जन।
गर्मी के तेवर बढ़े, दो दिन रहा था मौसम ठंडा
--ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कट बढ़े
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कनीना की आवाज। कनीना के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिजली कटों के साथ-साथ गर्मी के तेवर भी बढ़ते जा रहे हैं। कम से कम तापमान 24 डिग्री अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेंटीग्रेड नोट किया गया। सुबह सवेरे गर्मी से बचने के लिए पार्कों में लोग घूमते देखे जा सकते हैं। वही सुबह करीब 8 बजाते ही लोग अपने घरों के दरवाजों को बंद कर लेते हैं तथा घरों में छुपे मिलते हैं। बाहर निकलना बहुत कठिन हो गया है। एक और जहां गर्मी तेवर तलख हो गए हैं वहीं बिजली कट भी बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में लोग परेशान हैं।
कनीना क्षेत्र में पशुपालक भी बेहद परेशान है क्योंकि जोहड़ों का पानी या तो सूख गया है या साफ नहीं है जिसके चलते पशुओं को गंदा पानी ही पीने को मजबूर होना पड़ रहा है। पशु चिकित्सक बताते हैं कि पशुओं को सुबह शाम गर्मी से बचाने के लिए जोहड़ों में छोड़ देना चाहिए किंतु अब धीरे-धीरे जोहड़ लुप्त होते जा रहे हैं। ऐसे में गर्मी बेहद परेशान कर रही है।
क्षेत्र में तापमान बढऩेसे पंखे, कूलर एवं एसी आदि कम काम कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि गर्मी यूं ही चलती रही तो परेशानी बढ़ेगी। किसान अभी भी खेतों की तैयारी कर रहे हैं, दिन-रात खेतों की तैयारी करके आने वाले समय में वर्षा के जल का सदुपयोग करने की सोच रहे हैं। इस वक्त खेतों में कपास एवं चारा देने वाली फसलें उगा दी है तथा मोटा अनाज बाजरा उगाने की तैयारी चल रही हैं। गर्मी के दिनों में भी किसान अपने खेतों में दिखाई दे रहे हैं जो उनकी मजबूरी बन गई है।
वैसे भी ग्रामीण क्षेत्रों में एसी सभी के पास न होने पर कूलर और पंखे चलने जरूरी हो रहे हैं। जब बिजली चली जाती है तो लोग बेचारे गलियों में घूमते नजर आते हैं।
ज्यों ज्यों दोपहर होता है तो लोग घरों में पूर्णतया छुपे होते हैं। इक्का दुक्का वाहन ही सड़कों पर घूमता नजर आता है तथा लोग गर्मी से बचाव के रास्ते ढूंढते रहते हैं।
जहां गत दिनों कुछ तापमान में गिरावट आई थी वह एक बार फिर से बढऩे लगी है। गर्मी के कारण जहां जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, कफ्र्यू जैसी हालत बन जाती है। दोपहर को सड़के सुनसान हो जाती है, हर जीव जंतु और इंसान दुबक जाते हैं। परंतु कनीना क्षेत्र में करीब 500 बंदर है जिनसे अब गर्मी के दिनों में निजात मिला है क्योंकि गर्मी के कारण ये बंदर बाहर नहीं निकल रहे और यहां तक वे जोहड़ों में डुबकी लगा रहे हैं या फव्वारों के नीचे नहा रहे हैं। यही नहीं कनीना के शहीद सुजान सिंह पार्क में फव्वारों के नीचे बंदर नहाते देखे गए वहीं मोलडऩाथ जोहड़ में भी डुबकी लगा रहे हैं। परंतु जब फोटो खींचते हैं तो भाग खड़े होते हैं। सबसे बड़ी बात है कि पक्षी भी छाया को ढूंढते रहते हैं। हर वर्ष पर्यावरण दिवस पर कितने पेड़ पौधे लगाने का की शपथ ली जाती है किंतु अगले साल वे पेड़ पौधे गायब हो जाते हैं। यही करने की धरती का तापमान बढ़ता ही जा रहा है। मोलडऩाथ आश्रम के पीछे पक्का जोहड़ है जिसे पानी से भरा हुआ है जिसमें बंदर डुबकी लगाते हैं। भक्त दिनेश कुमार, महेश कुमार, सुरेंद्र, इंद्र देव आदि बताया कि दिन भर बंदर और लोग गर्मी से राहत पाने के लिए जोहड़ों में स्नान करते हैं, वही पार्क में बैठे दिखाई देते हैं। पक्षी भी पार्क स्थित जाल के पेड़ के नीचे आराम से धूप से बचते नजर आते हैं। गर्मी के कारण किसान बेहद परेशान है क्योंकि वो सुबह सवेरे मुश्किल से खेतों में जा पाते हैं जहां भी देखे बस पानी की किल्लत छाई हुई है जोहड़ों का पानी भी घटता ही जा रहा है, ऐसे पशुओं के लिए और पक्षियों के लिए जल की समस्या बनी हुई है। कनीना क्षेत्र के लोग पेयजल किल्लत से भी परेशान है और दोनों वक्त पेयजल सप्लाई करने की मांग कर रहे हैं।
विभिन्न गांवों में लू एवं गर्मी से बीमारों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। अधिकांश समय लोग अपने घरों में बिताते हैं। तुझे भी बाहर जाते हैं तो उस समय भीषण गर्मी होती है। एक और जहां रेहड़ी पर सामान बेचने वाले मजबूरीवश गर्मी में खड़े दिखाई देते हैं ,जिनके पास छत तक नहीं होती वहीं मजदूर भी काम पर जा रहे हैं जिन्हें अपना पेट पालना होता है। गर्मी एवं लू के चलते एसी, कूलर, पंखे सब खिलौने नजर आते हैं। लोग जब भी बाहर निकलते हैं तो पूरे प्रबंध करके निकलते हैं। मजबूरी में भी लोग बस और ट्रेनों से सफर कर रहे हैं और बहुत परेशान होते हैं।
फोटो कैप्शन 01: गर्मी से राहत पाने के लिए कपड़े ओढ़े
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