Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Thursday, May 8, 2025


 





दान पत्र से नकदी चोरी
-चेलावास स्थित दादा ठाकुर मंदिर की घटना
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कनीना की आवाज।
 कनीना उप-मंडल के गांव चेलावास स्थित दादा ठाकुर  मंदिर के दान पात्र को अज्ञात चोरों ने तोड़कर 8 हजार से 10000 रुपये की नकदी निकाल ली। 7 मई की रात को घटना घटी। प्रधान मंदिर कमेटी विनोद कुमार ने कनीना पुलिस में चोरों को पकड़ कर चोरी वसूली करने की मांग की है। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।



 हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों कके अवकाश स्वीकृत न करने का आदेश
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कनीना की आवाज।
  कनीना महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा पंचकूला ने आदेश जारी करते हुए सभी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का अवकाश स्वीकृत न करने का आदेश दिया है और किसी भी हालत में जिला मुख्यालय को न छोडऩे का आदेश दिया है जो तुरंत प्रभाव से यह नियम लागू कर दिया गया है।




अंधड़ ने कई गांवों में मचाई तबाही
-पेड़ व पोल टूटे
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कनीना की आवाज।
  गुरुवार  शाम को आए अंधड़ ने कनीना उपमंडल के गांवों में वृक्षों पर हानि पहुंचाई तथा पोल भी गिर गए।
विजेंद्र गुढ़ा निवासी समाजसेवी ने बताया कि गुढ़ा से रसूलपुर जाने वाले मार्ग पर अनेक पेड़ टूट कर गिर गए वहीं आम रास्ते पर पानी भर गया। पोल भी सड़क पर गिर गये जिससे ग्रामीणों ने उठाकर दूर किया। गढ़ा निवासी राजकुमार राव ने बताया कि अंधड़ से पेड़ों को भारी नुकसान पहुंचा है। इसी प्रकार अंधड़ का प्रभाव बूचावास, झगडोली आदि गांव में भी पड़ा है। हल्की वर्षा भी हुई है।
 फोटो कैप्शन 7/ 8/9: अंधड़ से टूटे पेड़ तथा गिरे पोल



किसी गरीब की चोरी करते हुए देखा चोर को
-लोग विश्वास नहीं करेंगे कि ऐसा व्यक्ति भी हो सकता है चोर
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कनीना की आवाज।
  कनीना के पत्रकार डा. होशियार सिंह यादव के प्लाट से तीन ट्राली पत्थर समय-समय पर चोरी हो गये वहीं अपने पिता की याद में मंढ़ी बनाने के लिए मंढ़ी लगाई हुई ईंट भी उखाड़ ले गया। यही नहीं गमले भी उठाकर अपनी स्कूटी पर रख कर ले गया। आसपास पता किया किसी ने नहीं बताया। इस संबंध में नगर पालिका तथा पुलिस से जानकारी ली तो किसी ने कुछ नहीं बताया किंतु इस संबंध में जनवरी 2025 में एक शिकायत भी कनीना पुलिस में दे दी गई थी। ऐसे चोर को पकडऩे के प्रयास रख रहा था। बाद में स्कूटी पर ईंट चोरी करने के प्रमाण भी मिले थे जिसका एक गवाह भी मौजूद है। जहां दिन के समय पृथ्वी टेलर भडफ़ निवासी की आम रास्ते पर ईंटें लगी हुई है और इन ईंटों के पास अपनी गाड़ी खड़ी करके उसमें उपरोक्त चोरी करने वाला चोर ईंटें डाल रहा था। उधर से एक बड़ा व्यक्ति गुजर रहा था जिसे मेरे प्लाट की चोरी के बारे में ज्ञान है। जब उसने ईंटें चोरी करते देखा बड़ा खुश हुआ। उन्होंने तुरंत फोन किया कि आइये आपकी र्इंटों एवं अन्य सामान के चोरी करने वाले चोर से मिलाते हैं। इसके बारे में हमें पहले ही मालूम था। आश्चर्य होता है इस प्रकार के व्यक्ति भी चोरी करते हैं और लोगों को दिखाते हैं कि हम कितने बड़े हैं? ऐसे व्यक्ति के कारनामे सुनकर बड़ा आश्चर्य होता है। कुछ लोग चरित्रहीन तो है ही साथ में चोरी करने में उन्हें बड़ा मजा आता है। ऐसी व्यक्ति को जल्द ही सभी के सामने लाया जाएगा।





आधा दर्जन सिकोरें बांधे पेड़ों पर
--भीषण गर्मी को देखते हुए लोगों ने पशु और पक्षियों के लिए उपलब्ध कराए पानी के सकोरे
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कनीना की आवाज।
  जहां कुछ लोग बेजुबान पशु और पक्षियों को मार कर खुशी मनाते हैं वहीं कुछ लोग उन को समय-समय पर दाना पानी डालकर खुशी का इजहार करते हैं। इसी कड़ी में  कस्बा कनीना के आधा दर्जन लोगों ने विभिन्न वृक्षों पर लगभग एक दर्जन पानी के सकोरे  टांगकर बेजुबान पक्षियों को पीने का पानी उपलब्ध कराया है।
 पानी उपलब्ध कराने वाले आशीष शर्मा, यशपाल कलवाड़ी, बहादुर सिंह, दीपक कुमार, सुरेंद्र सिंह, सुनील कुमार आदि ने बताया कि जिस प्रकार हमें भूख तथा प्यास लगती है इसी प्रकार पशु पक्षियों को भी भूख और प्यास लगती है। हम सब की ड्यूटी बनती है इन को समय  समय पर भोजन और पानी की व्यवस्था कराये।
 फोटो कैप्शन 04:पानी के सकोरे लगाते हुए  कनीना के लोग





कलियुग के श्याम के प्रति बढ़ रही है आस्था
-8 सालों से लगा रहे हैं खाटू श्याम में जाकर भंडारा
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कनीना की आवाज।
  कनीना क्षेत्र से यूं तो निश्शुल्क में बुजुर्गों को खाटू श्याम तक बस से ले ले जाया जाता है तथा वापस लाया जाता है, वही खाटू श्याम मंदिर कनीना की ओर से भी अनेक प्रबंध किए जाते हैं। खाटू श्याम को कलयुग का श्याम कहा गया है। इसलिए इसके प्रति गहन आस्था बढ़ती ही जा रहा है। कनीना के अनेक भक्त प्रतिवर्ष खाटू जाकर भंडारा लगते हैं और लोगों को निश्शुल्क जलपान, भोजन एवं आवास उपलब्ध करवाते हैं। कनीना के रवि कुमार, सुरेश कुमार, अश्विनी नीटू ठेकेदार, धनराज, महिपाल, नामदेव आदि विगत आठ वर्षों से खाटू श्याम में भंडारा लगाते हैं और गुरुवार को भी भंडारा लगाया।
 फोन पर उन्होंने बताया कि खाटू श्याम अपार भक्तों की भीड़ जुटती है। उनके लिए भीषण गर्मी में जलपान की व्यवस्था नहीं हो पाती, इसलिए दूर-दराज से भक्त उनकी सेवा के लिए पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि उनका आठवां शिविर खाटू श्याम में लगाया गया जिसमें भक्तों की भीड़ देखने को मिली। उनके लिए भोजन, पानी एवं आवास की सुविधा प्रदान की गई थी। भक्त एक दिन पहले जाकर प्रबंध करते और दिन भर भंडारा लगाकर देर रात वापस कनीना लौटते हैं। भक्तों का यह सेवा भाव मन को छू जाता है।
 फोटो कैप्शन 06: खाटू श्याम में लगाया गया कनीनावासियों ने भंडारा






सेना के साहस व जज्बे को सलाम -  प्रवक्ता सचिन कुमार
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कनीना की आवाज।
  भारतीय सेना द्वारा चलाए गए आपरेशन सिंदूर के माध्यम से पूरी दुनिया ने भारत का शौर्य फिर से देखा है। आतंकवादियों पर भारतीय सेना की निर्णायक कार्रवाई से भारत के जन जन में एक नया विश्वास जगा है जिसके कारण प्रत्येक नागरिक अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा है।
प्रवक्ता सचिन कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिक भारत की ताकत आज पूरी दुनिया देख रही है व सेना के पराक्रम के सामने आतंक के आकाओं की नींद उड़ी हुई है । इस अवसर पर उन्होंने समस्त जन मानस को सरकार व सेना द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करने की अपील की। आपरेशन सिंदूर पर गर्व करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवादियों को अब भारत माता की बेटियों के सिंदूर की ताक़त पता चल गई होगी । उन्होंने कहा कि सेना के अदम्य साहस के कारण निश्चित ही आतंकवाद की कमर टूटेगी व भारत फिर से एकबार विश्वगुरु के रूप में पूरी दुनिया का नेतृत्व करेगा ।
फोटो कैप्शन: सचिन शर्मा प्रवक्ता




ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मियों का होता है विशेष खानपान
-जौ की रबड़ी है विशेष खाद्य पदार्थ
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कनीना की आवाज।
  सेहत के दृष्टिगत विशेषकर गर्मियों में खानपान का ग्रामीण क्षेत्र के लोग विशेष ध्यान रखते हैं।  ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाएं कम होती है किंतु सेहत के प्रति उनका रवैया बेहतरीन देखने को मिलता है। गर्मियों के दिनों में जहां ठोस आहार कम काम में लिए लेते हैं वही तरल आहार अधिक से अधिक प्रयोग किया जाता है। गर्मियों के दिनों में रोटी के रूप में मेसी रोटी खाई जाती है। चना,गेहूं या जो आदि की बनी होती है। ऐसी रोटियां  ग्रामीण क्षेत्र के लोग कभी से प्रयोग करते हैं अपितु जब चने की पैदावार अधिक होती थी चने की रोटी खाते थे जो सेहत के लिए बहुत जरूरी है। यहां तक कि बासी मेसी रोटियां भी  राबड़ी के साथ विशेष खाद्य पदार्थ ग्रामीण क्षेत्रों का है। क्या कहते हैं जानकार-
** राबड़ी जो छाछ, जौ का आटा आदि हांडी में  पकाकर बनाया जाता है। यह एक ऐसा पदार्थ है जो छाछ में बनाया जाता है तथा छाछ डालकर ही इसे प्याज और बासी रोटी के साथ खाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग इस मामले में कभी से राबड़ी प्रयोग करते आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोग कभी राबड़ी को नहीं भूलते। चाहे वर्तमान पीढ़ी कोल्ड ड्रिंक पीने लग गई और चाय अधिक सेवन करती है किंतु ग्रामीण बुजुर्ग राबड़ी को अहमियत देते हैं। इस वक्त गर्मियों के दिनों में धाणी एवं भुगड़ा नाम से विशेष खाद्य पदार्थ का खाते हैं।
--सूबे सिंह,कनीना
ग्रामीण लोग जौ को भुनवाकर धाणी तो चने को भुनवाकर भुगड़ा बनाते हैं जिनको गर्मी के दिनों में बड़े चाव से खाया जाता है। यहां तक कि कुछ लोग जौ की धाणी का सत्तू भी बनाकर पीते हैं।
  --भीम सिंह,कनीना मंडी
ग्रामीण क्षेत्रों में जहां विशेष रूप से खरबूजा ,खरबूजा,ककड़ी एवं मतीरा आदि खाते हैं। यद्यपि मतीरा दिनों दिन लुप्त होते जा रहे हैं किंतु आज भी बुजुर्ग मतीरे को तरसते हैं। तरबूज से जहां पानी की प्यास बुझाते हैं कोई सेहत के लिए भी लाभप्रद है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र तरबूज पर विशेष ध्यान देते हैं। यहां तक कि आपस में कोई लड़ाई झगड़ा हो जाता है और सुलहनामा बनता है तो तरबूज ही घर लेकर आते  हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में ककड़ी तरबूज और खरबूजा आदि विशेष रूप से चाव से खाए जाते हैं।
   --दुलीचंद साहब,कनीना
ग्रामीण ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का प्याज का विशेष लगाव रहा है। यहां तक कि हर घर में नींबू रखते हैं जिससे शिकंजी पीते हैं तथा प्याज एवं कच्चे आम को भून कर खाते हैं ताकि गर्मी से बचा जा सके। गर्मी के खाद्य पदार्थों के बारे में राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, कृष्ण कुमार, दिनेश कुमार एवं सुनील कुमार आदि बताते हैं की बुजुर्ग पुराने खानपान को आज भी नहीं भूले हैं। सब्जियों के रूप में बुजुर्ग लोग खाटा का साग और कढ़ी के अतिरिक्त रायता बनाकर खाते हैं क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में दूध की कमी नहीं होती। यही कारण है दही को रायते में बदल देते हैं और खाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी एक दूसरे के घर से छाछ मुफ्त में उपलब्ध हो जाती है जिसमें काला नमक, भुना हुआ जीरा पुदीना आदि डालकर बड़े चाव से पिया जाता है। जब भी कोई मेहमान आता है तो उसको चाय की बजाए राबड़ी या छाछ का गिलास थमाते हैं जो खाने में बेहतरीन होता है। कसी शहर से आने वाले व्यक्ति भी बड़े चाव से लस्सी को पीते हैं, चाय को दूर भगाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में खाने-पीने की आदतें अच्छी है। यहां तक कि मक्खन भी प्रयोग किया जाता है, दूध का भी सेवन किया जाता है किंतु हर घर में प्याज जरूर खरीदी जाती है जिसे वर्ष भर खाते हैं। प्याज का राबड़ी के साथ विशेष संबंध माना गया है। जब कभी धूप लग जाती है तो कच्चे आम को भुनकर ही उसका उपयोग किया जाता है।
---सुनील कुमार, समाजसेवी
फोटो कैप्शन: सुनील कुमार, सूबे सिंह, दुलीचंद, भीम सिंह





गर्मी से बचना जरूरी
--खान पान का रखे ध्यान-डा. मोरवाल
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कनीना की आवाज।
  अप्रैल माह में ही तापमान 42 डिग्री पार कर गया है। दिन में घर से बाहर निकलना कठिन हो जाता है। ऐसे में डाक्टरी सलाह जरूरी है। गर्मी से बचने के लिए डाक्टर सलाह दे रहे हैं-
डा.जितेंद्र मोरवाल कनीना उप-नागरिक अस्पताल बताते हैं कि गर्मी बढ़ जाने से जहां 10 प्रतिशत तक मरीज बढ़ जाते हैं। जहां लू लगना, उल्टी, बुखार दस्त आदि की शिकायत बढ़ जाती है। धूप से बचना बहुत जरूरी है।
 कैसे बचा जाए तपन से-
डा. जितेंद्र मोरवाल बताते हैं की धूप से बचने का सबसे सरल उपाय है घर में छुपकर बैठे रहे। हवादार कमरे में रहे। यदि बाहर जाना पड़े तो पानी की बोतल साथ लेकर जाए तथा पूरे कपड़े शरीर पर पहने, हाथ पैर सर सभी ढके हुए होने चाहिए। पैरों में चप्पल जूते होने चाहिए ताकि गर्मी और तपन से बचा जा सके। इस दौरान तरल पदार्थ जैसे पानी, जूस, लस्सी ,दूध आदि अधिक प्रयोग करना चाहिए। जंक फूड से इस समय बचना चाहिए, ठोस भोजन कम से कम प्रयोग करना चाहिए। हो सके तो कूलर की हवा में बैठना चाहिए।  जब सुबह और शाम ताप कम हो जाए उस समय यदि कोई जरूरी काम हो तो बाहर निकलना चाहिए उनका कहना है कि गर्मी और नवतपा से धूप, लू लग जाती है, बुखार आ जाता है और इसमें बचाव में ही बचाव है। उन्होंने बताया घर पर ग्लूकोस वगैराह प्रयोग करें तथा साथ में ओआरएस का बनाकर रखे। ओआरएस घोल बनाना बहुत सरल है। नमक चीनी और थोड़ा सा नींबू का रस भी डाले तो बेहतरीन स्वाद का घोल तैयार हो जाता है। पानी अधिक से अधिक प्रयोग करें, शरीर में पानी की कमी ना आने दे।
 उधर बालकिशन वैद्य क्षेत्र में लंबा अनुभव रखते हैं।  उनका कहना है कि अगर धूप लग जाए, लू लग जाए तो उससे बचने के लिए पुराने समय से बुजुर्ग कच्चे आम को भूनकर उसका रस, नमक ,चीनी आदि मिलाकर पीते आए हैं जो धूप और गर्मी से बचाता है। यह भी ओआरएस की भांति काम करता है।
फोटो कैप्शन : डा. मोरवाल, बालकिशन शर्मा






सुरेश शर्मा बने श्री गौड़ ब्राह्मण सभा महेंद्रगढ़ के सदस्य
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कनीना की आवाज। 
कनीना निवासी सुरेश शर्मा को श्री गौड़ ब्राह्मण सभा महेंद्रगढ़ का कोलेजियम सदस्य निर्विरोध चुना गया है। श्री सुरेश शर्मा को सदस्य बनने पर श्री गौड़ सभा कनीना ने अपने कोष अध्यक्ष को बधाई और शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर श्री गौड़ सभा कनीना के प्रधान डा. रविंद्र कौशिक, हेमंत शर्मा, प्रेम शर्मा, इंद्रजीत, दीपक शर्मा, बुद्धि प्रकाश इसराना, मोहित, राधेश्याम, देवेंद्र, विजय और मुकेश भारद्वाज आदि ने उन्हें बधाई दी है।
फोटो कैप्शन: सुरेश शर्मा







हुई कालरवाली जोहड़ की पैमाइश
-लोगों में हड़कंप, अभी होनी है होलीवाला जोहड़ की पैमाइश
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कनीना की आवाज।
  कनीना के वार्ड एक की पार्षद मंजू यादव ने जहां कनीना के वार्ड एक के दोनों होलीवाला और कालर वाली जोहड़ों की पैमाइश करने की मांग न केवल नगर पालिका प्रधान से की अपितु उच्च अधिकारियों से भी की थी। तत्पश्चात वार्ड दो के पार्षद दीपक चौधरी एवं वार्ड एक के पार्षद ने मांग दोहराई थी  जिस पर स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जोहड़ों की पैमाइश के आदेश दे दिए थे। जिसके चलते गुरुवार को कनीना के कलरवाली जोहड़ की पैमाइश की जिसके तहत कई घर जोहड़ के दायरे में आ गये जिसको लेकर हड़कंप मच गई है। उल्लेखनीय है कि होली वाला और कालरवाली जोहड़ों की सफाई की जानी है और उनकी गाद निकालनी है जिसके लिए राशि भी मंजूर कर दी है। जिसके चलते इन जोहड़ों की पैमाइश जारी है। अब होलीवाला जोहड़ की पैमाइश होगी। तत्पश्चात कनीना की प्रमुख जंगलों/ बणियों की पैमाइश की जानी है ताकि कनीना नगर पालिका के पास पर्याप्त जगह उपलब्ध हो सके। अब देख जाना है कि जिन लोगों के घर अवैध करार दिए हैं वो अब आगामी क्या कार्रवाई कर पाते हैं। प्रशासन की ओर से दिनभर पैमाइश का दौर जारी रहा।
 फोटो कैप्शन एक और दो: कनीना के कालरवाली जोहड़ की पैमाइश करते कनीना प्रशासन के कर्मचारी व अधिकारी





तिरंगा जैसा झंडा खेतों में मिला दबा, परंतु नहीं था तिरंगा
-दिन भर रही चर्चा, लोग पहुंचे देखने को




















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कनीना की आवाज।
  कनीना के रेवाड़ी रोड पर नहर के पास अज्ञात व्यक्तियों ने तिरंगा झंडा जैसी वस्तु धरती पर खेतों में दबा रखी थी जिसको लेकर के दिन भर लोगों की चर्चायें जारी रही लेकिन पाया कि यह तिरंगा नहीं है क्योंकि इस पर अशोक चक्र का निशान नहीं है और वैसे भी इसकी लंबाई चौड़ाई निर्धारित नहीं है परंतु इसकी आकर इसका आकार कांग्रेस के ध्वज जैसा लगता है।
 पूर्व प्राचार्य कृष्ण सिंह ने बताया कि जहां बुधवार की शाम को दो व्यक्ति इस झंडानुमा वस्तु को धरती पर लगाते देखे गए थे परंतु ये कौन थे किसी को पता नहीं? दिनभर चर्चा रही कि राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हो गया है परंतु यह राष्ट्रीय ध्वज नहीं निकला। खोदा पहाड़ निकली चुहिया, यह कांग्रेस के झंडा जैसा कपड़ा है जो धरती पर ऐसे दबा रखा है जैसे माक ड्रिल की गई हो परंतु चर्चा कस्बे में छिड़ गई की राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया है। लोग जा जाकर खेतों में देखने लगे किंतु यह राष्ट्रीय ध्वज नहीं निकला।
फोटो कैप्शन 3: राष्ट्रीय ध्वज जैसा कपड़ा धरती पर खेतों में डाला हुआ

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