स्याणा से बाघोत सड़क का उप-मुख्यमंत्री मंगलवार को करेंगे शिलान्यास
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कनीना। स्याणा गांव से बाघोत तक बनी सड़क का मंगलवार को उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला नारनौल से शिलान्यास करेंगे। इस सड़क मार्ग के बनाने पर इनसो चेयरमैन महीपाल नंबरदार ने बताया कि बागेश्वर धाम में साल में दो बार विशाल शिवरात्रि पर मेला लगता है। जिसमें अनेक गांवों के श्रद्धालु आते है। बाघोत गांव जिला का आखिरी गांव है और इस गांव की सीमा रेवाड़ी, झज्जर,चरखी दादरी जिलों से लगती है। उन्होंने कहा कि यह सड़क बनने से क्षेत्र के लोगों को आने जाने में बहुत फायदा होगा । बीजेपी नेता सुरेश अत्री बाघोत, चेयरमैन इनसो महेन्द्रगढ़ महीपाल नंबरदार बाघोत, जेजेपी जिला प्रधान खेल प्रकोष्ठ राजेन्द्र पहलवान, राजवीर पहलवान, कर्णसिंह गुर्जर, हवलदार सूरजभान, डॉ अमर सिंह एवं समस्त गांव वासियों ने इस सड़क मार्ग के बनाने पर हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, सांसद भिवानी महेन्द्रगढ़ चौधरी धर्मवीर तथा अटेली हल्का विधायक सीताराम यादव का आभार व्यक्त किया।
अज्ञात चोर आभूषण और नकदी ले उड़े
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कनीना। कनीना के वार्ड नंबर दो में स्थित एक घर से अज्ञात चोर नकदी व चांदी के जेवर ले उड़ा। घर का मालिक मनोज कुमार अपने परिवार सहित पशुओं के पास सोया हुआ था। अज्ञातचोर उनके घर में किसका 40,000 नकदी ,चांदी का गले का सेट और एक जोड़ी पाजेब आदि चोरी कर ले गया।कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है तथा जांच जारी है।
प्रो केसी यादव को किया याद
-आयोजित हुई वेबीनार, जुड़े विदेश तक के लोग
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कनीना। सुप्रसिद्ध भारतीय इतिहासकार प्रोफेसर केसी यादव की स्मृति में उनके 85 वें जन्मदिन के अवसर पर 11 अक्टूबर को राजकीय महाविद्यालय, बिरोहड़, झज्जर और श्रीकृष्ण राजकीय महाविद्यालय, कंवाली, रेवाड़ी के इतिहास विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत राष्ट्रीय सेमिनार में प्रथम प्रोफेसर केसी यादव मेमोरियल लेक्चर आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के संयोजक और इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. अमरदीप ने बताया कि प्रोफेसर के सी यादव के व्यक्तित्व और कृतित्व की स्मृति में यह पहला मेमोरियल लेक्चर आयोजित किया गया। डॉ. कर्मवीर सिंह ने कहा कि प्रोफेसर यादव ने इतिहास में नये आयाम स्थापित किये। हरियाणा का वास्तविक इतिहास लिखने का श्रेय इन्हें ही जाता है। प्रोफेसर के सी यादव का जन्म 11 अक्टूबर 1936 को वर्तमान रेवाड़ी जिले के नाहड़ ग्राम के एक साधारण किसान परिवार में हुआ और उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से भारत के प्रसिद्ध इतिहासकारों में अपना स्थान बनाया। उन्होंने तीन दर्जन से ज्यादा पुस्तकें लिखीं और देश-विदेश में सैकड़ों शोध पत्र प्रकाशित किए। इस कार्यक्रम के गेस्ट ऑफ़ ऑनर के रूप में दिवंगत प्रोफेसर के सीयादव की पत्नी शशि प्रिया यादव उपस्थित रहीं और उन्होंने बताया कि प्रोफेसर के सी यादव ने मूलत: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को अपना कर्म क्षेत्र बनाकर विश्व के टोक्यो, टेक्सास जैसे विश्वविद्यालयों एवं रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन शोध संस्थानों इत्यादि से भी जुड़े रहे। विगत 27 मई, 2021 को 85 वर्ष की आयु में उनका स्वर्गवास हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ आशुतोष कुमार रहे। डॉ. आशुतोष ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रोफेसर यादव पहले इतिहासकार थे जिन्होंने स्थापित किया कि 1857 की क्रांति मेरठ से नही बल्कि अम्बाला से शुरू हुई थी। प्रथम विश्व युद्ध में हरियाणा के सैनिकों योगदान पर प्रोफेसर यादव ने एक गहन अध्ययन प्रस्तुत किया था और उनकी शोध शैली को आगे बढ़ाकर हम उत्तर प्रदेश के सैनिकों के योगदान पर अभी कार्य कर रहे है। अध्यक्षीय संबोधन प्रोफ़ेसर केसी यादव के प्रथम पीएचडी विद्यार्थियों में शामिल रहे। डा यूवी सिंह, सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर, एस डी ,कॉलेज ,अंबाला ने प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर यादव शोध के लिए समर्पित थे और शुरुआत से ही उनका हर विद्यार्थी के साथ अटूट लगाव बना रहता था7 इस कार्यक्रम में देश-विदेश से प्रोफेसर केसी यादव के साथी, शोध विद्यार्थी, इतिहास विषय के प्रोफेसर एवं प्राध्यापकों के अलावा अन्य क्षेत्रों से जुड़े हुए सैकड़ों विद्वानों ने भाग लिया और संक्षेप में अपने विचार प्रस्तुत किए। विशेष रुप से वरिष्ठ आईएएस डॉ. जेके. आभीर, प्रोफेसर जगदीश यादव, प्रोफेसर रामेश्वर, डिप्टी डायरेक्टर डॉ. नरेंद्र यादव, डॉ. जगदीश यादव, डॉ. जितेंद्र, सवीन, डॉ. सुरेन्द्र सिंह, अनिल यादव, गुजरात से प्रोफेसर विक्रम अमरावत, मुंबई से प्रोफेसर अजय लोखंडे आदि शामिल रहे7 कार्यक्रम के संरक्षक श्री राजकुमार वर्मा, प्राचार्य, राजकीय महाविद्यालय बिरोहड़ एवं डॉ. सुधीर यादव, प्राचार्य, श्री कृष्ण राजकीय महाविद्यालय , कवाली ,जिला रेवाड़ी, ने प्रोफेसर केसी यादव की स्मृति में आयोजित इस व्याख्यान श्रृंखला के प्रारंभ करने के लिए संयोजक डॉ अमरदीप एवं समन्वयक डॉ कर्मवीर एवं उनके सभी साथियों का आभार प्रकट किया। कायक्रम के अंत में समन्वयक डॉ कर्मवीर सिंह ने सभी अतिथियों, मुख्य वक्ता और कार्यक्रम से जुड़े सभी विद्वानों का आभार जताया और इस तरह के स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम प्रोफेसर केसी यादव के इतिहास लेखन एवं शोध के क्षेत्र में किए गए उनके अथक कार्य एवं लेखन को सच्ची श्रद्धांजलि बताया। डॉ. कर्मवीर के अनुसार इस तरह के कायक्रम इतिहास के वर्तमान और भावी विद्यार्थियों के लिए न केवल मार्गदर्शन बल्कि प्रेरणा का कार्य भी करेंगे।
फोटो कैप्शन 5: प्रो केसी यादव की याद में आयोजित वेबीनार का नजारा।
वैज्ञानिक आधार भी है नवरात्रों का
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,कनीना। चल रहे शारदीय नवरात्रों का वैज्ञानिक आधार भी है। नवरात्रों में दुर्गा मां के नौ रूपों में मां की पूजा करने के अलावा व्रत शरीर में स्फूर्ति एवं संचार होता है।
बालकिशन शर्मा बताते हैं कि इस मौके पर व्रत रखाने एवं पुराने अन्न को नौ दिनों तक शरीर से समाप्त करके नए अन्न को ग्रहण करने का नियम है। मौसम के बदलाव से नया अन्न तुरंत शरीर में ग्रहण नहीं करना चाहिए। यही कारण है कि इस दिन व्रत किया जाता है।
माना जाता है कि एक बार शरीर में ग्रहण किया अन्न 9 दिनों में पूर्ण रूप से शरीर में पच जाता है और रक्त में परिवर्तित हो जाता है। किंतु नवरात्रि बदलाव का समय होता है या तो सर्दी से गर्मी या गर्मी से सर्दी के मौसम में नवरात्रे आते हैं। इस समय नया अनाज भी उपलब्ध हो जाता है। शरीर से पुराना खाया हुआ अनाज 9 दिनों में पूर्ण रूप से समाप्त हो जाता है क्योंकि नया अन्न ग्रहण करने से बीमारियां एलर्जी आदि होने की संभावना बढ़ जाती है।
यही कारण है कि नवरात्रों पर 9 दिन व्रत रखा जाता है ताकि शरीर का पुराना अनाज पूर्ण रूप से समाप्त हो जाए तत्पश्चात धीरे-धीरे नए अनाज को ग्रहण किया जाता है जो शरीर में स्फूर्ति और संचार पैदा करता है। धार्मिक आधार पर इन दिनों नवरात्रों में मां के नौ रूपों के पूजा करते है।
नवरात्रि वास्तव में शरीर में शक्ति ,संचार, स्फूर्ति प्रदान करने वाला होता है। नौ दिनों तक उगाये गये जौ को व्रत समापन के दौरान ज्वारे रस के रूप में पीना सेहत के लिए बेहतर माना जाता है किंतु लोग उगाये हुये जौ को जोहड़/नहर में डाल आते हैं। इसको प्रयोग नहीं करते हैं।
किसान जोर-शोर से जुटे सरसों की बीजाई में
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कनीना। सरसों की अगेती बिजाई के लिए क्षेत्र के किसान जोर-शोर से जुट गए हैं। 10 अक्टूबर से बिजाई का उचित समय बताया जा रहा है कि 25 अक्टूबर तक चलता है। ऐसे में ट्रैक्टर चालक रातों-रात बिजाई कर रहे हैं।
ट्रैक्टर द्वारा सरसों बिजाई 700 रुपये प्रति एकड़ से ली जाती है। अगर खेत इकट्ठे हो तो प्रतिदिन में एक ट्रैक्टर चालक 20 एकड़ तक बिजाई की जा सकती है। किसान सुनील, अजीत, सूबे सिंह आदि ने बताया कि इस समय बिजाई का कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि एक एकड़ खेत में कम से कम 850 रुपये का सरसों का बीज लगता है। विगत दिनों बारिश होने के बाद कुछ पानी की जरूरत होती है और तुरंत बिजाई की जा रही है। कृषि विभाग भी इस समय बिजाई का अनुकूल समय बता रहा है। ऐसे में दिन रात ट्रैक्टर चलने लगे हैं।
डा देवराज पूर्व कृषि सलाहकार अधिकारी ने बताया कि सरसों की अगैती बिजाई 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच की जानी चाहिए। दिन के समय दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक ताप अधिक होता है किंतु अधिक ताप के कारण ही जलवाष्प अधिक बन पाते हैं, रात को ठंड होती है जिसके चलते सरसों की फसल बेहतर हो सकती है। उन्होंने कहा कि सरसों की फसल के लिए 32 डिग्री सेंटीग्रेड ताप चाहिए जो ठीक है। उन्होंने सरसों की बिजाई करने की अपील की है।
डा देवराज यादव ने कहा है कि किसानों को सरसों (तिलहन) की बिजाई करने में अगेती फसल बीज उपचार कार्य करने के बाद, उन्नत किस्में प्रयोग करनी चाहिए तथा जिप्सम जरूर डालना चाहिए। उनके अनुसार बीज उपचार के लिए 2 ग्राम बावस्टीन प्रति किलोग्राम बीज उपचार करें एवं जिप्सम डाले। जिप्सम से पैदावार और तेल की मात्रा बढ़ती है, इसलिए 200 किलोग्राम जिप्सम एक एकड़ जमीन में डालना चाहिए। वसुंधरा, स्वर्ण, ज्योति, गीता, लक्ष्मी आदि अच्छी अगेती पैदावार के लिए किस्में है इसके अलावा 75 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट या 35 किलोग्राम डीएपी प्रति एकड़ खाद डालना चाहिए। उन्होंने ताकि 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच सरसों की बिजाई कर देनी चाहिए।
फोटो कैप्शन 4: खेत की बिजाई करते ट्रैक्टर।
बढऩे लगी है मंदिरों में भीड़
-कंजकों को भोजन कराने का सिलसिला मंगलवार से
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कनीना। माता के शारदीय नवरात्रों में मंदिरों में भीड़ बढ़ती ही जा रही है। आसपास यूं तो करीब सभी गांवों में छोटे-छोटे मंदिर है किंतु कनीना में विशाल माता मंदिर स्थित है। यहां भारी भीड़ जुटती है। कनीना माता मंदिर में प्रसाद वितरण की तैयारियां चल रही है।
माता मंदिरों में प्रतिदिन भीड़ जुटती है तथा पूजा अर्चना के साथ मन्नत मांगी जाती है। कनीना माता मंदिर संरक्षक संजीत कुमार ने बताया यहां मंदिर में प्रतिवर्ष भारी भीड़ जुटती है किंतु इस बार नियमों अनलाक के नियमों का पालन किया जाएगा। वही माता का प्रसाद हर वर्ष दुर्गा अष्टमी को किया जाता है। इस वक्त मंदिर में प्रसाद बनाने की तैयारियां चल रही हैं।
विदित हो कि महिलाएं और पुरुष व्रत करते हैं जिसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। नया अन्न ग्रहण करने से पहले पूर्व अन्न को शरीर से निकाला जाता है। यही कारण है की शारदीय नवरात्रे और चैत्र नवरात्रे आते हैं, जब दो बार अन्न परिवर्तन होता है। ऐसे में व्रत करने वालों की संख्या इस बार भी कम नहीं है।
मंगलवार से कराया जाएगा कंजकों को भोजन-
यद्यपि कंजकों को भोजन कराना दुर्गा नवमी को ही सबसे बेहतर माना जाता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में एक नई परिपाटी शुरू हो गई है। दुर्गा सप्तमी से ही कंजकों को भोजन कराना मंगलवार से शुरू हो रहा है।
अष्टमी और नवमी को तो कंजकों की अधिक मांग होती है। हर वर्ष स्कूलों की छात्राओं को खाना खिलाते आ रहे हैं।
फोटो कैप्शन 3: मां मंदिरों में पूजा अर्चना करते भक्त।
अज्ञात चोर आभूषण और नकदी ले उड़े
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कनीना। कनीना के वार्ड नंबर दो में स्थित एक घर से अज्ञात चोर नकदी व चांदी के जेवर ले उड़ा। घर का मालिक मनोज कुमार अपने परिवार सहित पशुओं के पास सोया हुआ था। अज्ञातचोर उनके घर में किसका 40,000 नकदी ,चांदी का गले का सेट और एक जोड़ी पाजेब आदि चोरी कर ले गया।कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है तथा जांच जारी है।
माता कात्यायनी विधि विधान से पूजा करके, करे प्रसन्न-श्रीकिशन शर्मा
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कनीना। शीतकालीन नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी के स्वरूप में आराधना होती है जिसे हम सभी भक्तों विधि विधान जय माता की पूजा करने से व्यक्ति को सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त होती है। ये विचार करीरा के श्रीकिशन शर्मा ने व्यक्त किये
उन्होंने कहा कि माता कात्यायनी सभी मनोरथ को सिद्ध करने वाली हैं माता कात्यायनी को लाल रंग अति प्रसन्न है। माता को लाल पुष्प चढ़ाएं लाल गुलाब बहुत प्रिय है। माता की पूजा के समय लाल गुलाब अर्पित करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए और आरती करें।
माता पार्वती का सबसे ज्वलंत स्वरूप जो कात्यायनी देवी हैं। माता कात्यायनी योद्धाओं की देवी है।असुरों के अंत और अत्याचार को देखते हुए देवताओं तथा ऋषियों की रक्षा के लिए माता पार्वती ने कात्यायन ऋषि के आश्रम में अपने स्वरूप में प्रगट हुई। कात्यायन ऋषि के आश्रम में प्रगट होने के कारण माता का नाम कात्यायनी पड़ा कात्यायन ऋषि उनको अपनी कन्या स्वीकार किया
माता कात्यायनी शेर पर सवारी करती हैं और माता कात्यायनी के चार भुजाएं होती हैं। वह अपने एक हाथ में कमल का पुष्प दूसरे हाथ में तलवार। एक हाथ में माता का अभय मुद्रा में आशीर्वाद देती हैं दाएं हाथ में वरद मुद्रा का आशीर्वाद देती हैं। माता कात्यायनी की पूजा सभी भक्तजनों को मनोरथ सफल करने वाली हैं। इसलिए
जिन कन्याओं का विवाह में विलंब होता है उन्हें माता कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए जिससे अति शीघ्र उनकी मनोरथ सफल होती है। और माता रानी खुशहाल जीवन की आशीर्वाद देती हैं।अगर माता कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए किसी भी कामना को लेकर माता की 21 दिन तक आराधना एवं जाप करें तो मनोरथ सफल होता है।
फोटो कैप्शन: श्रीकिशन
कनीना में मनाई गई अग्रसेन जयंती
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कनीना। लाला शिवलाल धर्मशाला कनीना मंडी में महाराजा अग्रसेन जयंती मनाई गई। जिसमें अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के प्रदेश संगठन मंत्री ओमप्रकाश निशानियां के सानिध्य में मुख्य अतिथि डॉक्टर रमेश चंद सुरेंद्र बंसल उपाध्यक्ष राकेश गुप्ता जगदीश गुप्ता सचिव मनोज गुप्ता उमेश गुप्ता कोषाध्यक्ष विजय बवानिया सभी अग्रवाल सम्मेलन के पदाधिकारी के अलावा बहुत बड़ी संख्या में महिलाएं बच्चों और पुरुषों ने भाग लिय। महाराजा अग्रसेन के चरणो में नमन किया पुष्प अर्पित किया आरती करके आशीर्वाद लिया महिलाओं और बच्चों ने महाराजा अग्रसेन की जीवनी पर प्रश्नों के उत्तर देकर 20 पुरस्कार जीते जिनसे महिलाओं और बच्चों में बड़ा उत्साह प्रवाहित हुआ। ओमप्रकाश निशानिया ने महाराजा अग्रसेन पर विस्तृत रूप से बताया कनीना अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के चल रहे 10 सूत्री कार्यक्रम पर विवेचना की जिन पर सभी अग्रवाल परिवारों ने अपनी सहमति जताई कनीना में चल रहे यह 10 कार्यक्रम समाज के लिए अच्छे हैं इनके अपनाने से काफी सुधार हुए हैं जिससे कि अग्रवाल परिवारों में एक संदेश गया है। कनीना का नाम रोशन हुआ है इन कार्यक्रमों का आसपास हरियाणा के सभी अग्रवाल परिवार अनुकरण कर रहे हैं। इस मौके पर विनोद गुप्ता हंसराज मित्तल दीनदयाल योगेश गुप्ता प्रेम सिंगला उपाध्यक्ष जगदीश आचार्य मनोज सिंगला सतीश गुप्ता महेश कुमार विष्णु कुमार भी शामिल हुए। फोटो कैप्शन अग्रसेन जयंती पर विशिष्ट लोगों को सम्मानित करते हुए
विभिन्न संस्थाओं में मनाया बालिका मंच
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कनीना। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खेड़ी तलवाना में मनाया गया I इसके अंतर्गत बाल विवाह, दहेज प्रथा, बाल श्रम, तथा अच्छा व बुरा स्पर्श विषयों पर विस्तार से बताया गया मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए वरिष्ठ प्रवक्ता तथा बाल अधिकार के नोडल अधिकारी नरेश कुमार कौशिक ने बताया कि जागरूक बालिकाएं बाल श्रम रोकने कन्या भ्रूण हत्या रोकने तथा समाज में विकृत मानसिकता के लोगों के बुरे स्पर्श से बचाव म महती भूमिका निभा सकती हैं उन्होंने कहा कि विद्यार्थी सबसे बड़े संचार माध्यम है तथा समाज की होने वाली सभी घटनाओं का प्रतिबिंब है। समाज में होने वाली बुराइयों को रोकने के लिए बालिकाओं को जागरूक करना होगा तभी सही अर्थों में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित इस कानूनी जागरूकता शिविर का उद्देश्य पूरा होगा। कार्यक्रम में विद्यालय के प्राचार्य विजयपाल यादव ने कहा की जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित किए गए कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों की हौसला अफजाई करते हैं। बल्कि समग्र समाज का विकास करने में अहम भूमिका निभाते हैं। सहायक खंड परियोजना संयोजक देवेंद्र सिंह ने बताया कि समाज की पुरानी कुरीतियों जैसे बाल विवाह तथा दहेज प्रथा के उन्मूलन के लिए समाज के सभी वर्गों को आगे आना होगा तभी इस बुराई का समूल नाश किया जा सकता है । वक्तव्य गोष्ठी के बाद इन विषयों पर निबंध लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिसमें नौवीं दसवीं तथा ग्यारहवीं के छात्राओं ने भाग लिया तथा स्लोगन व पेंटिंग प्रतियोगिताओं में भी अपनी भागीदारी दर्ज की। कार्यक्रम का संचालन प्रवीन शास्त्री ने किया तथा इस अवसर पर प्रवक्ता सुमेर सिंह, जयपाल सिंह, मनीषा कुमारी, संजय कुमार, सुरेंद्र सिंह, योगेंद्र सिंह, राजेश तवर, अनिता कुमार, मनीषा, ज्योति, कुलदीप सिंह, दारा सिंह, वे रामनिवास सहित समस्त स्टाफ सदस्य उपस्थित थे। विद्यालय के प्राचार्य ने विजेताओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।
उधर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धनौदा मे बालिका मंत्र मनाया गया इस मौके पर प्राचार्य कृष्ण सिंह ने विस्तृत जानकारी देते हुए बालिका मंच का औचित्य बताया।
फोटो कैप्शन खेड़ी तलवाना मोबाइल का मंत्र में संबोधित करते वरिष्ठ प्रवक्ता नरेश कौशिक
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