Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Wednesday, January 18, 2023



 
कोका में आयोजित हुई एक दिवसीय किसान गोष्ठी
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कनीना की आवाज। उप मंडल के गांव कोका में आत्मा स्कीम के तहत एक दिवसीय किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में डॉ मनीषा द्वारा विभाग से संबंधित सभी योजनाओं जैसे मेरी फसल मेरा ब्यौरा, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, बायोगैस प्लांट, प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना और गेहूं -सरसों की फसलों की बीमारियों से संबंधित जानकारी दी गई। गोष्ठी में प्राकृतिक खेती के बारे में भी विशेष रूप से किसानों को जानकारी दी गई। बागवानी विभाग से नवीन कुमार ने विभाग ने फल ,सब्जी एवं फूल उत्पादन की आधुनिक तकनीकों एवं विभाग द्वारा चलाई जा रही अनुदान संबंधित जानकारी दी।  इस मौके पर कृषि विभाग से डॉ अरविंद, डा निक्की, महेश कुमार, कोका गांव के सरपंच दीपचंद आदि मौजूद रहे।
 फोटो कैप्शन 9: कोका गांव में किसान संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कृषि अधिकारी।






जिला पुलिस कप्तान ने गोद लिए गांव बचीनी का दौरा कर जानी ग्रामीणों की समस्याएं
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कनीना की आवाज। उपमंडल के गांव बचीनी में जिला पुलिस कप्तान विक्रांत भूषण व कनीना के एसडीएम ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों की समस्याओं को सुना। उल्लेखनीय है कि गांव बचीनी को जिला पुलिस कप्तान के द्वारा गोद लिया हुआ है। जिसके चलते उन्होंने गांव में पहुंचकर ग्रामीणों की समस्याओं को जाना। इस दौरान उन्होंने कहा कि गांव बचीनी में किसी भी तरह की समस्या को नहीं रहने दिया जाएगा। प्रशासन व सरकार के सहयोग से सभी कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करवाया जाएगा। उन्होंने ग्रामीणों से गांव की हर प्रकार की समस्या से उन्हें अवगत करवाने की बात कही। ताकि सभी समस्याओं का समाधान करवाया जा सके। इस दौरान ग्रामीणों ने जिला पुलिस कप्तान व एसडीएम को बिजली, पानी, श्मशान घाट की चारदीवारी के अलावा गांव की अन्य समस्याओं के बारे में अवगत करवाया। जिस पर उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन देते हुए कहा कि गांव की जो भी समस्याएं उन्हें बताई गई है। उनका जल्द ही समाधान करवा दिया जाएगा। इस अवसर पर गांव के ग्रामीण व विभिन्न विभागों के कर्मचारी मौके पर उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 10: गांव का दौरा कर लोगों की समस्याएं सुनते जिला पुलिस कप्तान विक्रांत भूषण







पशुओं को कड़ाके की सर्दी से बचाये--एसडीओ पशु पालन
-अधिक सर्दी से पशुओं का घट जाता है दूध
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कनीना की आवाज। इंसानों की भांति पशुओं को भी सर्दी लगती है। दुधारू पशु कड़ाके की सर्दी लगने पर कम दूध देते हैं। ये विचार कनीना के वरिष्ठ पशु चिकित्सक एवं वर्तमान में एसडीओ पशुपालन हथीन डा लालचंद यादव एवं पवन कांगड़ा वरिष्ठ पशु चिकित्सक ने व्यक्त किये।
  उन्होंने कहा कि क्षेत्र के किसान पशु पालते हैं किंतु सर्दियों में उन पर ध्यान नहीं देते जिसके चलते सर्दी लग जाती है। उन्होंने कहा कि सर्दी के दिनों में पशुओं को खुले आसमान तल न बांधे, जब तक धूप न हो जाये तब तक घर से बाहर न निकाले, ठंडा पानी न पिलाये, धूप आने पर ही पानी पिलाये, ताजा पानी पिलाये और पशु को कपड़े से या बोरी आदि से रात को ढके। उन्होंने कहा कि सर्दियों में मवेशियों को प्रमुख रूप से सर्दी लग जाती है और जिसका सीधा प्रभाव दूध पर पड़ता है। अधिक ठंड के कारण पशु सर्दी से बचाव में लग जाता है तथा सामान्य मौसम में दूध की मात्रा भी अच्छी मिलती है।
उधर पशुओं के लिए लंबे समय से औषधियां बनाने के शोध कार्य में लगे हुए विक्की एवं शिब्बू पंसारी का कहना है कि दूध देने वाले पशुओं को भी सर्दी से बचाना चाहिए वरना वे दूध कम देंगे वहीं बीमार हो सकते हैं। उनका कहना है कि पशु भी इंसान की भांति रोगों से पीडि़त हो सकते हैं। उन्हें बचाना जरूरी है। ऐसे में उन्हें गर्म बोरी आदि से ढककर आराम दिलाना जरूरी होता है।
उनका कहना है कि इस मौसम में पशुओं को अश्वगंधा, हल्दी, अदरक, लहसुन, तुलसी, शतावर, मेथी, हालू ग्वारपाठा, इलाइची और आक के फूल का उपयोग करना चाहिए, जिससे पशु सर्द मौसम में बीमारियों से बचा रहेगा।  
 उधर पशु पालक कनीना के अजीत कुमार, किसान सूबे सिंह से पशुओं के बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि सामान्य ठंड में पशु दूध ठीक मात्रा में देता है किंतु अधिक ठंड में दूध की मात्रा घट जाती है। वे कपड़ा/झूल ओढ़ाकर, पशुओं के पास आग जलाकर तथा रात के वक्त गुड़ खिलाकर सर्दी से बचाते हैं। पशु के आवास को सूखा रखना भी जरूरी है।
फोटो कैप्शन 08: पशुओं को कपड़े ओढ़ाकर सर्दी से बचाता पशु पालक







गरीबों के सेब अब बने रईसों के सेब
-तुच्छ सी बेर भी 150 रुपये किलो तक पहुंची
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में विभिन्न दुकानों रेहडिय़ों पर गरीबों के सेब के रूप में जाने, जाने वाले बेरों की भरमार है। इनको अभी गरीबों के सेब नहीं अपितु रईसों के सेब कहा जाये तो अनुचित नहीं होगा। बेर की कीमत 100 से 150 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है जबकि शबरी के बेर तुच्छ सी चीज मानी जाती है और 10 से 20 रुपये किलो आम बात होती है। एक और जहां सेब की कीमत 60 से 70 रुपये किलो है जबकि गरीबों के सेब बेर 150 रुपए किलो तक पहुंच गए हैं। यही कारण है कि लोगों का रुझान अब बेरों के प्रति घट गया है।
फोटो कैप्शन 7: बेरों से सजी रेहड़ी।








भोजन में आया बदलाव
-सर्दी में सेहत का खजाना होता है भरा
- हरी पत्तेदार सब्जी मिलती है सबसे ज्यादा- वैद्य श्रीकिशन
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कनीना की आवाज। यूं तो ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन को अदल बदल कर खाने की परंपरा है किंतु सर्दियों में सेहत का खजाना भरा हुआ है। जितने पौष्टिक फल और सब्जियां सर्दियों में मिलती है शायद गर्मियों में उतनी अधिक नहीं मिलती। यही कारण है कि सर्दियों में सेहत बनाने वाले युवा आगे आते हैं।
 ग्रामीण क्षेत्रों में बाजरे की रोटी चूल्हे पर बनाकर मक्खन के साथ खिलाई जाती हैं। यहां तक कि बथुआ, धनिया, मेथी, पालक, गाजर के पत्ते, मूली के पत्ते आदि कितनी ही हरी पत्तेदार सब्जियां बाजार में उपलब्ध होती है परंतु चने का साग, बथुआ का रायता, मेथी के पराठे, दही, मक्खन आदि की भरमार मिलती है। क्षेत्र में सर्दी आते ही जहां गोंद के लड्डू बनाने की परंपरा शुरू हो जाती है। हर घर में गोंद के लड्डू विभिन्न ड्राई फ्रूट डालकर बनाये जाते हैं वहीं गाजर का हलवा एवं पाक मिलता है।
 ग्रामीण क्षेत्रों में गर्म दूध के साथ गोंद के लड्डू खाने का विशेष रिवाज है। यहां तक कि 14 जनवरी मकर सक्रांति पर तो चूरमा और दाल अधिक प्रयोग किए जाते हैं। विज्ञान मानता है कि हरी पत्तेदार सब्जियों में खनिज लवण, रुक्षांस एवं जल आदि पाए जाते हैं। संतुलित भोजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज लवण, रुक्षांस व जल मिलते हैं जो सभी सर्दियों के खाने में उपलब्ध हो जाते हैं। विशेषकर सेहत बनाने का सबसे अच्छा समय सर्दी का होता है।
डाक्टर व वैद्य मानते हैं कि सर्दियों में अनेकों शरीर में बदलाव आते हैं जिसके चलते शरीर में जहां प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने के लिए भी इन हरी पत्तेदार सब्जियों,फलों और संतुलित आहार का अहं योगदान होता है वही खाने में बदलाव करके भी रोगों से बचा जा सकता है।
 ग्रामीण कृष्ण कुमार, सुरेश कुमार ,सुनील, शिवचरण आदि ने बताया कि घर में कोई मेहमान आता है तो उनका आदर सत्कार गोंद के लड्डू से किया जाता है। यहां तक की देसी घी के पराठें अलग.अलग जायकों के बनाकर पालक या बथुए का दही में रायता बनाकर परोसे जाते हैं। बाजरे की रोटी पर मक्खन एवं गुड आदि देकर उनकी सेहत को बढ़ाया जाता है। बच्चे भी इस प्रकार के खाने के लिए लालायित होते हैं। यही कारण है कि सर्दियों में सेहत का राज छुपा हुआ है। ग्रामीण महिलाएं बाजरे की रोटी को चैूल्हें पर बनाकर गरमा गरम मक्खन सहित परिवार को खिलाती है। जहां वर्ष में अधिकांश समय गेहूं का प्रयोग किया जाता है परंतु कम से कम एक महीने तक बाजरे का प्रयोग जमकर किया जाता है। वैसे भी महेंद्रगढ़ जिले में बाजरा बहुत अधिक पैदा होता है। यही कारण है कि सर्दियों में हर प्रकार से खाने में बदलाव किया जाता है। गर्मियों में गेहूं की रोटी पर अधिक बल दिया जाता है छाछ व दूध खाते हैं वहीं सर्दियों में बाजरे की रोटी, मक्खन, घी, दूध, गोंद के लड्डू आदि पर विशेष ध्यान दिया जाता है। गरीब से गरीब परिवार में भी सर्दियों में सेहत के प्रति जागरूकता देखने को मिलती है।
क्या कहते हैं वैद्य एवं डक्टर-
श्रीकिशन एवं बालकिशन करीरा एवं  डॉ वेद प्रकाश का कहना है कि शरीर में रोग रोधक क्षमता बहुत जरूरी है। सर्दी और जुकाम से बचने के लिए खट्टे फलों की भरमार होती है। ऐसे में सेब,संतरा, नींबू, कीन्नू आदि का प्रयोग अधिक करने से सर्दी जुकाम से बच सकते हैं। खट्टे फलों के अतिरिक्त जहां हरी पत्तेदार सब्जियां शरीर में हर प्रकार से रोग रोधक क्षमता पैदा करती है वहीं गोंद के लड्डू, संतुलित आहार सेहत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मक्खन पर अधिक ध्यान दिया जाता है। मक्खन को बाजरे की रोटी पर रखकर गुड़ के साथ खाने की भी एक रिवाज है जो उनको सेहतमंद बनाती है। शरीर में अंदर से तंदुरुस्ती तथा रोग रोधक क्षमता उत्पन्न होती है। ऐसे में उन्होंने सर्दियों में अपने आहार में बदलाव करने की जरूरत बताई है। उनका कहना है कि यदि आहार में बदलाव नहीं किया जाए शरीर को नुकसान होता है। उन्होंने बताया कि बाजरा जिस में लोहे की मात्रा बहुत अधिक होती है शरीर के लिए बेहद जरूरी होता है। अब तो बाजरे के विभिन्न पकवान आदि बनाए जाने लगे हैं। महावीर किसान बाजरे के केक, बिस्कुट, बेकरी का सामान बनाकर नाम कमा रहे हैं।
फोटो कैप्शन 02: बाजरे की रोटी बनाती महिला 03: मक्खन,रायता, दही, बाजरे की रोटी का आहार लेता जन
04: सर्दियों का आहार 05: बथुआ जो पर्याप्त मात्रा में खरपतवार के रूप में पैदा होता है
 6 गोंद के लड्डू खाती बच्ची साथ में वैध श्रीकिशन करीरा।






जाट गुवाणा में 152-डी से आवागमन का रास्ता बनाया जाये
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कनीना की आवाज। बसपा के नेता अतरलाल एडवोकेट ने केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नीतिन गडगरी को ज्ञापन भेजकर राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर स्थापित जाट गुवाणा टाल प्लाजा पर दोनो तरफ चढऩे तथा उतरने के लिए कट छोडऩे की मांग की है। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय पर्यावरण व वन मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव, केन्द्रीय सांख्यिकी राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, चेयरमैन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधीकरण हरियाणा के सामाजिक अधिकारिता राज्य मंत्री ओमप्रकाश यादव, सांसद धर्मबीर सिंह, विधायक सीताराम यादव, विधायक अभय सिंह यादव तथा विधायक दान सिंह यादव को इस संबंध में प्रतियां भेजी हैं।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी पर दुबलाना जाट गुआणा टाल प्लाजा पर उतरने तथा चढऩे के लिए कट न छोड़े जाने के कारण साथ लगते 13 गांवों के लोगों को परेशानी हो रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग जब बन रहा था तब अधिकारियों ने यहां कट छोडऩे का आश्वासन दिया था और अस्थाई कट छोड़ भी दिया था परन्तु अब राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों ने तानाशाही करके कट को बंद कर दिया है। इसलिए ग्रामीण इस भयंकर ठिठुरती सर्दी में तथा लाम के समय में अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि टाल प्लाजा पर दोनो तरफ चढऩे तथा उतरने के लिए कट छोडऩे की ग्रामीणों की मांग वाजिब तथा लोकतांत्रिक है। उन्होंने धरनारत किसानों के पास जाकर तथा टाल प्लाजा का निरीक्षण कर पाया कि यहां कट छोडऩे के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को कोई विशेष खर्च भी नहीं करना पड़ेगा और लोगों की मांग भी पूरी हो जाएगी।






संजीत प्रधान को मातृशोक
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कनीना की आवाज। कनीना के युवा नेता व समाजसेवी संजीत प्रधान व मंजीत की माता व सहीराम दरोगा की पत्नी सरोज देवी(62) का 16 जनवरी को आकस्मिक निधन हो गया। जिनका  अंतिम संस्कार 16 जनवरी की संध्या अवधि में किया गया । उनके निधन पर कई लोगों ने गहरी संवेदना प्रकट की है।
संवेदना व्यक्त करने वालों में  पूर्व प्रधान मास्टर दलीप , पूर्व प्रधान राजेन्द्र सिंह लोढ़ा , विजय चेयरमैन ,सूबेदार सत्यनारायण , सूबेदार कंवर सिंह , जसवंत सिंह , प्रदीप यादव , राकेश पीटीआई , पवन यादव ,  सत्यवान , युवा नेता प्रीतम जेलदार , अनूप प्रधान , नितिन यादव आदि शामिल रहे ।   संजीत की माता जी अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ के गयी है।
फोटो कैप्शन: सरोज देवी फाइल फोटो



























कनीना में चौथे दिन भी जमा पाला
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में चौथे दिन भी फसलों पर पाला जमा किंतु विगत दिनों की अपेक्षा पाले की मात्रा कम देखने को मिली। वैसे भी बुधवार को मौसम साफ रहा, तेज धूप खिलती रही, दिन में ऐसा लगा कि सर्दी कम हो गई है। मौसम विभाग 19 जनवरी से मौसम बदलने की बात कर रहा है। उधर कृषि विभाग के डा मनोज कुमार, पूर्व अधिकारी डॉ देवराज, डा देवेंद्र यादव से बातचीत की उन्होंने बताया बहुत कम पाला पड़ा है। धीरे.धीरे पाला पडऩा भी एक दो रोज में बंद हो जाएगा। पाले का अभी तक कोई नुकसान नहीं हुआ है। किसानों को फसल में नुकसान होने की संभावना जताई है किंतु कृषि अधिकारी कोई नुकसान न होने की बात कह रहा है।
फोटो कैप्शन 01: पानी के पाइप पर जमा हुआ पाला।


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