Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Saturday, July 15, 2023

 
अपने इष्ट देवता का अपमान करने से नहीं चूकते हजारों लाखों भक्त
-रास्ते में कांवड़ लाने वाले नशा करके चलते देेखे गये
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कनीना की आवाज। यूं तो सावन माह में हजारों लाखों कांवड़ लाने वाले शिव भोले के भक्त कहलाते हैं किंतु अपने ही इष्ट देव का अपमान करने से कभी नहीं चूकते। हर वर्ष कितने ही भक्त कांवड़ लाते हैं जो सराहनीय कदम है किंतु अफसोस तब होता है कि रास्ते में बीड़ी, सिगरेट,नशीले पदार्थ यहां तक की सड़क किनारे खड़े हुए भंगड़े के पौधों से चिलम में डाले जाने वाला नशीला पदार्थ प्राप्त करते देखे वही गांजा, चरस पीते आते हैं। धार्मिक और सुविचार होने चाहिए वहां इस प्रकार के नशीले पदार्थ सेवन करके कावड़ को लाते हैं इससे न केवल कांवड़ भंग होती है अपितु गंगा का शुद्ध जल भी और दुहाई मारता नजर आता है। इससे न केवल लाभ होता है अपितु पाप पाप होता है। ऐसे में किसी प्रकार का नशीला पदार्थ सेवन न रके यदि सच्चे मन से यदि 350 किलोमीटर दूरी पर प्रभु को याद करते हुए गंतव्य स्थान की ओर बढ़े तो उससे बड़ा कोई सराहनीय कदम नहीं होगा किंतु भागदौड़ की जिंदगी में लोग अनेकों कावड़ के रूप बना लिए हैं जिसमें एक नहीं कई कई व्यक्ति कांवड़ को लाते हैं जिससे कावड़ की वह गरिमा नहीं बनी रहती। कुछ तो नियमों का पालन भी नहीं करते, यहां तक कि रास्ते में खाना खाकर भी स्नान नहीं करते, कुछ लोग ऐसे भी देखे गए जो सोने के बाद भी कावड़ को कांधे पर उठा लेते हैं और स्नाना भी नहीं करते हैं। अपने देवता का खुदा अपमान करते हैं लेकिन सबसे बड़ा दर्द तब होता है जब भोले के भजन सुने जाते हैं। किसी भजन में एक बाल्टी भांग पिलाते हैं तो हर भजन में भांग घोट कर लाने की चर्चा होती है। बड़े अफसोस की बात है जिस दुनिया का सबसे बड़ा देव जो एक बार तप करना शुरू कर देते हैं तो हजारों कल्प तक तप चलता था वो केवल भांग धतूरे पीते हैं। और पार्वती का कार्य केवल भांग घोटना ही रह गया। अफसोस है कि अपने ही देव पर कितना बड़ा कलंक लगा रहे हैं। कहीं ऐसा वर्णित नहीं है किी शिव भोले कोई नशा करते थे और फिर उस पर इस प्रकार का लांछन लगाना कहां का उचित है? अगर भांग धतूरा पीते थे तो उससे बुरा कौन ो सकता है, परंतु लोग मनघड़ंत बातें बना लेते हैं।  यही नहीं भांग धतूरे आदि भी इष्ट देव को अर्पित करते हैं जबकि अनेकों अमृत तुल्य फल एवं अन्य पदार्थ उपलब्ध है। अब तो कावड़ लाते समय स्वयं इस पत्रकार ने भी ने देखा कि बीड़ी सिगरेट भी रास्ते में प्रसाद के रूप में बांट रहे थे। कैसी अजीब बात है। कितने हीअमृत समान फल बांटने के लिए उपलब्ध है फिर बीड़ी सिगरेट कहां से आ गई? सुनकर और देखकर अफसोस होता हैरास्ते में कितने कावडि़ए गाली गलौच दे देते आते हैं और लड़ाई झगड़ा, चुगली चाटा करते आते हैं। इससे न जाने वो क्या सिद्ध करना चाहते हैं और ऐसा लगता है कि वर्तमान युग में कांवड़ का स्वरूप ही बदल के रख दिया है। किसी जमाने में श्रवण कुमार पहले कावडि़ए  हुए हैं जिन्होंने अपने माता-पिता को धार्मिक स्थानों पर कांधे पर तराजू के रूप में माता-पिता को बैठाकर पूरे देश की धार्मिक स्थानों की यात्रा करवाई। उनके मन में अटूट विश्वास था और पूरे रास्ते के भक्ति में लीन रहे किंतु वर्तमान युग में एक गंगाजल को लेकर आते हैं और उसमें भी न जाने कितनी झूठ फरेब गाली गलौज, उल्टी-सीधी बातें एक दूसरे को अपमानित करने यहां तक की दूसरे की बुराई करते हुए आते हैं। इससे कावड़ के प्रति मन ऊब जाता है और लोग कहने लगे कि यह कावडिय़े अब स्वार्थ के हित या नशा करके कांवड़ लाते हैं। यह सच है कि शुद्ध मन से कुछ गिने-चुने ही भक्तजन कांवड़ लाते हैं। अधिकांश बहुत अधिक भक्त कांवड़ के नाम पर पाप ढोते नजर आते हैं।







श्रावण की शिवरात्रि का व्रत मंगलकारी:-मा.राजेश ।
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कनीना की आवाज। कोई भी पर्व या त्योहार जन जन में नैतिकता एवं सच्चरित्रता के भावों को जन्म देकर अपनी सांस्कृतिक धरोहर से अवगत करवाते है ये विचार शिक्षक व समाजसेवी मा.राजेश उन्हाणी ने शिवरात्रि है पावन पर्व पर अपनी अर्धांगनी सुमित के साथ गांव के शिव मंदिर में भगवान शिवजी को जलाभिषेक के उपरांत शिव भक्तो से व्यक्त किये।
उन्होंने आगे कहा कि शिव का स्थान हिंदू धर्म मे सर्वोपरि है वह सर्वशक्तिमान है शिव का तीसरा नेत्र बड़ी से बड़ी शक्ति को जलाकर खाक करने क्षमता रखता है इसी प्रकार उनकी श्रद्धा में रखा जाने वाला उपवास शिवरात्रि का मर्म भी मंगलकारी होता है। श्रावण की  शिवरात्रि का पर्व हम सबको लोभ ,मोह, लालसा के स्थान पर त्याग, परहित व साधना की प्रेरणा देता है।
शिव का आदर्श हमें बताता है कि जिसको जितनी शक्ति मिलती है उसका उतरदायित्व भी उतना ही महान होता है मानव जीवन की सफलता इसी में है कि हम व्यक्तिगत लोभ लालच या वैभव सुख का ख्याल छोड़कर अपनी शक्तियों का प्रयोग परोपकार के लिए करे।
संसार मे तरह तरह कि भोग सामग्री का कोई अंत नही है मानव जिसका जितना भोग करेगा उसकी कामना उतनी ही बढ़ती जाएगी और वह  उसी भोग विलास में फंस कर रह जायेगा। आज संसार में जितने झगड़े झंझट होते हैं उनके पीछे  यही परिग्रह की कामना होती है।
अंत में मा.राजेश ने अपने संदेश में कहा कि भगवान शिव औघरदानी कहे जाते है जो बेल के पत्तों और धतूरों से खुश हो जाते हैं उन्हें अपने लिए किसी प्रकार के वैभव की आवश्यकता नही होती हैं वह अनायास ही कष्ट से पीडि़तों की कामनाएं सिद्ध करते रहते आप इसलिए महाशिवरात्री का मर्म सर्वत्र मंगलकारी माना गया है व शिव को देवो के देव महादेव कहे गये है।
फोटो 22: संबंधित समाचार सेक है।






स्कूलों में धूमधाम से मनाया शिवरात्रि का पर्व
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कनीना की आवाज। क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों में शिवरात्रि का पर्व मनाया गया। शिवरात्रि के पावन अवसर पर एसडी विद्याालय ककराला में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में विद्याालय के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी अशोक कुमार, राजेश कुमार एवं अनिल कुमार ने माँ सरस्वती के सामने द्वीप प्रज्ज्वलित किया। विद्यालय के अधिकारीगण एवं स्टाफ सदस्यों ने मां सरस्वती, शिव एवं पार्वती के सामने पुष्प अर्पित कर पूजा अर्चना की। मंच संचालिका विनोद कुमारी द्वारा शिवरात्री के पर्व पर प्रकाश डाला। विभिन्न विद्यार्थियों द्वारा देवी-देवताओं के स्वयं  बनाए गए की प्रस्तुति दी गई।
बम-बम लहरी गीत पर नन्हे कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी गई। विद्यालय चेयरमैन जगदेव यादव ने सभी विद्यार्थियों, स्टाफ सदस्यों एवं अभिभावकों को शिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दी।
उधर हेरिटेज पब्लिक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में  शिवरात्रि के पावन त्यौहार पर बच्चों ने बड़े ही सुंदर नृत्य पेश किए। हिताक्षी ग्रुप ने सालिड भोला गाने पर डांस प्रस्तुत किया, खुशी ग्रुप में महादेव की दीवानी गाने पर नृत्य प्रस्तुत किया। सेजल समूह ने,मेरा भोला है भंडारी गाने पर एक सुंदर मनमोहक नृत्य पेश किया गया। कई अन्य नृत्य प्रस्तुत किये। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के चेयरमैन ओमप्रकाश शर्मा ने शिव महिमा के महत्व को समझाया कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के सीइओ कैलाश शर्मा, मनीष कुमार, डायरेक्टर खुशीराम शर्मा, प्रधानाचार्य कृष्ण सिंह, भुवनेश तेजपाल डीपी, को-आर्डिनेटर सुमन, सुदेश कुमार, सुरेंद्र कुमार तथा समस्त अध्यापक उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 19: एसडी स्कूल में शिवरात्रि का पर्व मनाते हुए।







 विभिन्न शिवालयों में मनाया गया शिवरात्रि का पर्व
 - हजारों कांवड़ बाघेश्वरी धाम पर अर्पित की गई
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कनीना की आवाज।  शिवरात्रि का पर्व क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर व्रत रखा गया और गंगाजल से शिवलिंग का जलाभिषेक किया गया। देशभर में विख्यात बाघेश्वर धाम पर दिनभर भक्तों का तांता लगा रहा। कांवड़ चढ़ाई गई और शिवलिंग का अभिषेक करके मन्नत मांगी गई। इस बार भारी संख्या में कांवड़ अर्पित की गई।
  सुबह से ही चारों ओर बम-बम के जयकारे सुनाई पड़ रहे थे। विभिन्न शिवालयों में सुबह से शाम तक भीड़ रही। कनीना के 21 फुट प्रतिमा वाले शिवालय पर भारी भीड़ रही। धनौंदा के ब्रह्मचारी कृष्णानन्द आश्रम में शिवलिंग का जलाभिषेक किया गया। विभिन्न गांवों में भी जल चढ़ाकर मन्नत मांगने का सिलसिला जारी रहा।
 देशभर में कांवड़ के लिए विख्यात बाघेश्वरी धाम पर आज कांवड़ चढ़ाने वालों की भीड़ रही वहीं शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए भी मारामारी चली। स्वयंभू शिवलिंग पर हजारों वर्षों से गंगाजल अर्पित करने व कांवड़ लकार अर्पित करने का सिलसिला चला आ रहा है। लाखों भक्तों ने शिवालय जाकर शिव भोले को जल अर्पित किया। महिलाओं की संख्या बहुत अधिक रही।
  बाघेश्वरी धाम पर न केवल भक्तों ने कांवड़ अर्पित की अपितु खेलों का आनन्द भी लिया। इस मेले में बड़े-बड़े संत, महात्मा, नेता आदि ने गंगाजल अर्पित किया। यूं तो प्रत्येक सोमवार को यहां पर भारी भीड़ देखने को मिलती है। मेले का आयोजन सात दिनों से चला आ रहा था जो आज संपन्न हो गया है।







कनीना रेवाड़ी रोड़ का जल्दी ही होगा निर्माण - डा. अजय चौटाला
-क्षेत्रवासियों को समस्या से मिलेगी राहत
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कनीना की आवाज। शनिवार को जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला कनीना के  आकाश पालीटेक्निकल व आर्य समाज मंदिर के पास जनसंपर्क अभियान के तहत आमजन से रूबरू हुए। जेजेपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा अजय सिंह चौटाला ने कहा कि आने वाले कुछ ही दिनों में कनीना की जर्जर सड़क का निर्माण हो जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि क्षेत्र में जितनी भी समस्याएं हैं, उनका समाधान जल्दी ही करवा दिया जाएगा। वहीं उन्होंने कहा कि जेजेपी पार्टी राजस्थान में चुनाव लडऩे को तैयार है इसी के साथ उन्होंने बताया कि जेजेपी पार्टी सरकार की सहयोगी पार्टी है। साथ मिलकर विकास कार्य करवा रहे हैं। इसी दौरान क्षेत्र के किसानों ने उनको बीमा कंपनियों द्वारा मुआवजे की राशि ना डाले जाने की शिकायत की जिस पर उन्होंने कहा कि संबंधित एजेंसी के अधिकारियों से बात करके जल्द ही किसानों की मुआवजा राशि किसानों के खाते में डलवाई जाएगी। जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. अजय सिंह चौटाला ने कहा कि आमजन की सेवा व उन तक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना मुख्य उद्देश्य है। जितनी भी घोषणाएं घोषणा पत्र में की गई थी उन सभी को एक-एक करके प्राथमिकता से पूरा करवाने का कार्य किया जा रहा है। सरकार के शेष वर्षों में प्रदेशवासियों को विकासात्मक योजनाएं सवाया करके देंगे। कार्यक्रम के संयोजक अधिवक्ता विनय यादव ने कहा कि डॉ अजय सिंह चौटाला लगातार हर जिले में जाकर आमजन की समस्याएं सुन रहे हैं। किसी भी क्षेत्र में विकास कार्य की कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। इस अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कंवर सिंह कलवाड़ी, राष्ट्रीय महासचिव नगर परिषद चेयरमैन कमलेश सैनी, प्रांतीय सचिव अशोक सैनी तेज प्रकाश एडवोकेट जिला अध्यक्ष मनीष शर्मा, आर्य समाज कनीना प्रधान मोहर सिंह, नरेश कुमार, मास्टर रत्न सिंह, मास्टर बिजेंद्र, कृष्ण यादवेंद्र मनफूल आर्य, प्रकाश, पवन, जयनारायण सहीत अन्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 21: जेजेपी राष्ट0ीय अध्यक्ष डा चौटाला कनीना में वार्ता करते हुए।






कावडिय़ों के लिए लगाए गये शिविरों का हुआ समापन
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कनीना की आवाज। कांवडिय़ों के लिए विगत एक सप्ताह से लगाये गये सेवा शिविर संपन्न हो गये हैं। कनीना के बस स्टंैड के पास ही रेवाड़ी मार्ग, कोसली मार्ग, महेंद्रगढ़ एवं अटेली मार्ग शिविर लगाए हुए थे। ये शिविर एक सप्ताह तक चले आ रहे थे। इस शिविरों में कनीना व आस-पास के लोग आकर शिवभक्तों की सेवा करते रहे।
  जहां कुछ लोग इन शिवभक्तों की सेवा करके खुश रहे तो कुछ दान पुण्य करके ही प्रसन्न रहे। इस शिविरों में कांवडिय़ों के लिए जहां चाय, पानी, नाश्ता एवं भोजन की संपूर्ण सुविधाएं उपलब्ध कराई गई वहीं उनकी सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। देर रात तक ये सेवक भक्तों की सेवा के लिए तैयार देखे गए।
जहां शिवभक्तों में शिव के प्रति आस्था के अनेकों तरीके हैं वहीं शिवभक्तों की सेवा करने वाले भी कई प्रकार से उन भक्तों की सेवा कर रहे थे। जहां कुछ भक्त कांवड़ लाकर ही अपना मन शुद्ध करने का प्रयास कर रहे थे वहीं कुछ लोग उनकी सेवा करके ही अपने को धन्य समझते थे।  
  कनीना व आस-पास गांवों में कांवडिय़ों के लिए जहां दूध, फल, सब्जी, नाश्ता, खाना, दवाएं एवं हर प्रकार की सुविधा प्रदान की जा रही थी वहीं उनके पैरों में मेहंदी का लेप लगाया जा रहा था। इन शिविरों में ठहरने वाले भक्तों के पैर के 350 किमी लंबी दूरी पैदल तय करने के कारण कट जाते हैं वहीं दर्द होने के कारण परेशानी का कारण बन जाते हैं। उनके पैरों के तलवों पर दिनरात कुछ भक्त मेहंदी का लेप कर रहे थे। बताया जाता है कि मेहंदी के लेप के कारण ही उन्हें आराम मिलता था और आगे बढऩे का हौसला भी मिलता था।
  एक भक्त संजय ने बताया कि वो उनके शिविर में मेहंदी लगाकर भक्तों की सेवा करके ही अपने को धन्य समझता है। उनका कहना है कि नर सेवा ही नारायण सेवा होती है। हरिद्वार से कांवड़ नहीं लाए तो क्या हुआ वे कांवड़ लाने वालों की सेवा तो कर ही सकते थे।







स्केचिंग आन द स्पॉट प्रतियोगिता
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कनीना की आवाज। आरआरसीएम स्कूल में हुई स्केचिंग आन द स्पॉट प्रतियोगिता। यह प्रतियोगिता तीन विभागों में हुई जिसमे प्रथम ग्रुप में अश्मी प्रथम व गरिश्मा ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। द्वितीय ग्रुप में आरज़ू प्रथम, नितिन द्वितीय व तन्नु और मुस्कान ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। तृतीय ग्रुप में छात्रा अंजलि ने प्रथम, हिमांशु ने द्वितीय व रोहित ने तर्तीय स्थान प्राप्त किया। स्कूल के चेयरमैन रोशनलाल ने बच्चों को सम्मानित करते हुए बधाई दी।  स्कूल के प्राचार्य हरी प्रकाश शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बच्चो को बढ़ चढ़कर सभी प्रकार की प्रतियोगिता में भाग लेने का आग्रह किया। इस मौके पर किड्स विंग हेड सुशीला मैम, गतिविधि इंचार्ज शीतल यादव व कोचिंग विंग हेड विनय शर्मा आदि शिक्षक मौजूद रहे।
फोटो साथ







बाघोत शिवालय पर कांवड़ अर्पित करने का सिलसिला रहा जारी
-डाक कांवड़ों की रही धूम
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कनीना की आवाज। कनीना से 20 किमी दूर स्थित बाघेश्वर धाम पर  शिवरात्रि के दिन भक्तों का अपार तांता लगा। नीलकंठ एवं हरिद्वार से कांवड़ लेकर बाघेश्वर धाम पर चढ़ाने वालों का तांता दिनभर जारी रहा। नाचते, गाते, हंसते मुस्कराते सभी हर हर भोले का उच्चारण करते हुए आगे देखने को मिला। चारों ओर बम बम भोले के जयकारे दिनभर सुनाई पड़े। यहां का शिवालय देश भर में विख्यात हें। विगत एक सप्ताह से कांवड़ अर्पित की जाती रही हैं।
 बैंड, नृत्य कें संग कांवर अर्पित की जा रही हैं
 शिवरात्रि के दिन बाघेश्वर धाम पर कांवड़ चढ़ाने वालों की अपार भीड़ देखने को मिली। इस दौरान कांवड़ लाने वाले भक्त अपनी कांवड़ को विधि विधान से पूजा करवाकर उन्हें बैंड बाजों पर थिरकते हुए शिवालय तक पहुंच रहे थे। और तो और महिलाएं भी नृत्य करते हुए आगे बढ़ती देखी गई। जिस प्रकार शादी दौरान नृत्य किया जाता है ठीक उसी प्रकार कांवड़ अर्पित करने का सिलसिला समाचार लिखे जाने तक जारी है। भारी संख्या में कांवड़ अर्पित की गई।
सेवा में जुटे हैं सेवादल
कांवर लाकर अर्पित करने वाले तथा शिवालय के दर्शन करने वाले भक्तों की सेवा के लिए विभिन्न दल सेवा कर रहे हैं। पानी पिलाना तथा मंदिर में व्यवस्था बनाए रखने के लिए भी सेवादल अहं भूमिका निभा रहे हैं। पुलिस बल को दौरा करते हुए देखे गए।
शिवालय पर व्यवस्था
स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन करने के लिए जहां मंदिर के पास बेहतर व्यवस्था बनी हुई है। करीब 500 गज की दूरी तक लोहे की जालियां लगाकर कतारबद्ध चलने की व्यवस्था की गई है। डाक कांवड़ लाने वालों के लिए अलग से व्यवस्था है जबकि अन्य कांवरियों के लिए अलग से व्यवस्था नहीं हैं। खड़ी, बैठी, डाक कांवड़ों की भरमार है।
 नि:संतानों के लिए प्रसिद्ध
बाघोत स्थित शिवालय उन भक्तों के लिए भी प्रसिद्ध माना जाता है जिनके कोई संतान नहीं होती है। मेले में आकर दंपति अपने हाथों से एक विशाल वटवृक्ष को कच्चा धागा बांधकर सुंदर संतान होने की कामना करते देखे गये। जब संतान हो जाती है तो यहां आकर ही धागा खोलता है। यही कारण है कि शिवलिंग के पास ही खड़ा एक वटवृक्ष कच्चे धागों से लदा हुआ है।
   शिवालय पर भारी शोर
बाघेश्वरी धाम पर विशेषकर डाक कांवड़ लाने वालों का भारी शोर सुनाई पड़ रहा है। इस बार डाक कांवड़ों की संख्या अधिक है। सीटी बजाते हुए, बाइक एवं वाहनों को दौड़ाते हुए तथा सड़क पर हंगामा करते हुए डाक कांवड़ लाई जा रही हैं। एक डाक कांवड़ के साथ 40 तक युवा हैं जो वाहन चालकों के लिए समस्या बने हुए हैं। पेट के बल, बैठी, खड़ी, झूला, टोकना कांवड़ आदि भक्तजन लाकर अर्पित कर रहे हैं। शिवालय पर भारी शोर सुनाई पड़ रहा है।
कैमरों के सहारे नजर रखी जा रही है
शिवालय के इर्द गिर्द छह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। प्रशासन एवं पुलिस का प्रबंध किया हुआ है। डीएसपी कनीना को संपूर्ण देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पुलिस बल, दवाओं के लिए डिस्पेंसरी, सेवा दल अपनी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। बाघोत स्थित भोलेनाथ धाम पर लोगों कि बढ़ती आस्था को देखते हुए हर साल कावड़ चढ़ाने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है तथा इस दौरान महिलाएं, पुरुष व बच्चों ने कांवर अर्पित की।  दूर दराज से आने वाले शिवभक्तों के ठहरने व खाने पीने की व्यवस्था कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं द्वारा की गई है।
दर्शनों के लिए प्यासे
शिवालय में भारी संख्या में नेता, संत, बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, युवा एवं सामान्य जन स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन कर रहे हैं और गंगाजल से अभिषेक करके अपने को धन्य समझ रहे हैं।
फोटो कैप्शन 7 से 14:बाघेश्वरी धाम पर कांवड़ अर्पित करने वालों का दृश्य एवं भीड़ आदि का नजारा।



हर-हर महादेव के जयकारे के साथ 125वें दिन जारी रहा धरना
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग  के बीच कट बनवाने के लिए चल रहे धरने की अध्यक्षता विजयपाल प्रवक्ता सेहलंग ने की। शनिवार को बाघोत में भर रहे मेले की गूंज यहां भी सुनाई पड़ी। चहुं ओर हर हर महादेव के जयकारे गूंजे।
 धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष चेयरमैन विजय सिंह ने बताया कि धरने को चलते शनिवार को 125 दिन हो गए हैं। सरकार शिव भक्तों कि भावनाओं की अनदेखी कर रही है। बाघेश्वरधाम मेले में भक्तों की भीड़ को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है के राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत-सेहलंग के बीच  कट बहुत जरूरी है। सरकार भक्तों की पीड़ा को समझें और जितना जल्दी हो सके कट के काम को  शुरू करवाया जाए। जब तक कट का काम शुरू नहीं होगा तब तक हमारा धरना जारी रहेगा।
  इस मौके पर  चेयरमैन सतपाल, डॉ लक्ष्मण सिंह, नरेंद्र शास्त्री,डॉ कृष्ण कुमार डेंटल सेहलंग, विनय कुमार बंसल, जय सिंह पंच, दाताराम, राष्ट्रपाल,  सीताराम, वेद प्रकाश,बाबूलाल, मनोज कुमार कऱीरा, कृष्ण प्रधान, राम भक्त, हंस कुमार, भोले साहब, ठेकेदार शेर सिंह, ओम, मनोज, सूबे सिंह, मास्टर विजय सिंह, शेर सिंह  व गणमान्य लोग मौजूद थे।






 हाईकोर्ट के न्यायाधीश विवेक पुरी ने कनीना न्यायालय का दौरा किया
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कनीना की आवाज। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश विवेक पुरी ने कनीना न्यायालय का दौरा किया।
 उन्होंने कोर्ट का मुआयना करने के बाद बार रूम में अधिवक्ताओं को संबोधित किया। अधिवक्ताओं की तरफ से बार प्रधान ओपी रामबास ने कनीना में न्यायिक भवन का निर्माण  व कनीना में दूसरा कोर्ट पुन: स्थापित करने सहित अन्य कनीना की समस्याओं से उन्हेंको अवगत करवाया । जस्टिस ने अपने संबोधन में कहा कि मैंने देखा है कि यहां पर काम करने के लिए कर्मचारियों  व अधिकारियों के लिए पर्याप्त व्यवस्था का अभाव है। कनीना में न्यायालय बिल्डिंग का मसला बिल्डिंग कमेटी हाईकोर्ट के  पास है। जल्द ही  मीटिंग होने वाली है उसके बाद बिल्डिंग की समस्या का निदान हो जाएगा। इसके अलावा भी अन्य समस्याओं का भी जल्द ही निदान करने के लिए आश्वस्त किया।
इस अवसर पर उनके साथ जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजनीश बंसल कनीना, न्यायालय की एसडीजेएम मेनका सिंह, एसडीएम सुरेंद्र सिंह डीएसपी सहित अनेक अधिकारी मौजूद रहे।  इस मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्ण यादव, कैलाश गुप्ता, कंवर सिंह यादव, पूर्व प्रधान दीपक चौधरी हरीश गाहड़ा, रमेश कौशिक, गिरवर कौशिक, अनिल शर्मा, सुभाष शर्मा, मनोज शर्मा, दिनेश यादव, विक्रम यादव, अभिषेक यादव, सतीश भाटोटिया, मंजीत यादव, नरेश कनीना, निहाल सिंह खटाना, अखिल अग्रवाल विजय कल्याण सतीश ढाणा, प्रविंद्र सिंह, सुनील ककराला, मीनाक्षी यादव, नाजिर, नीरज शर्मा, डॉ मुकेश यादव, हवा सिंह यादव, रमेश यादव, दलीप सिंह, सुधीर यादव, अमन यादव, संत कुमार यादव सहित अनेक अधिवक्ता मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 06: हाई कोर्ट जस्टिस को कनीना बार पदाधिकारी स्मृति चिह्न भेंट करते हुए।






नासूर बन गई है कनीना क्षेत्र की सड़कें
-आंदोलन एवं ज्ञापन देने के बावजूद भी नहीं पड़ा कोई प्रभाव
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र की सड़कें नासूर बन कर रह गई है। पिछले 2 सालों से लगातार आंदोलन एवं ज्ञापन देने का सिलसिला जारी है परंतु कनीना क्षेत्र की अनेकों सड़कें आज अस्थाई जोहड़ का रूप ले चुकी है। आये दिन दुर्घटनाएं घट रही है प्रशासन खानापूर्ति कर देता है किंतु उनकी स्थायी समाधान नहीं कर पाया है। कनीना से महेंद्रगढ़ सड़क मार्ग का तो भगवान ही रखवाला है। अटेली टी-प्वाइंट तक इस सड़क मार्ग पर 50 जोहड़ बन चुके हैं जिनसे बचकर निकलना संभव नहीं है। हालात तब बुरी होती है जब पानी से लबालब भर जाते हैं, ये गड्ढे दिखाई नहीं देते और इनमें दुर्घटनाएं घट जाती है।
 उधर रेवाड़ी टी-प्वाइंट एवं रेवाड़ी सड़क मार्ग और भी बदहाल है।  टी प्वाइंट पर लगातार  पानी खड़ा रहता है। इसी प्रकार कनीना के अंदरूनी सड़क मार्गों को देखा जाए तो उनकी हालत और भी बदहाल हो चुकी है। उप- नागरिक अस्पताल से अटेली सड़क मार्ग को मिलाने वाला अप्रोच मार्ग जो थाने  से गुजरता है जोहड़ों से युक्त है। नहर के साथ साथ रेवाड़ी सड़क को मिलाने वाला मार्ग भी पूर्ण रूप से जर्जर हो चला है। जिन पर जगह-जगह पानी के अस्थाई तालाब बने हुए हैं। आंदोलन और ज्ञापनों की भरमार रही है।इन सड़क मार्गों को ठीक करवाने के लिए आंदोलन एक के बाद एक चले वही ज्ञापन भी बहुत अधिक दिए गए। विगत दिनों पूर्व मंत्री रावनरेंद्र सिंह ने ज्ञापन दिया वहीं पूर्व सीपीएस अनीता यादव ने भी ज्ञापन दिया। आप पार्टी के लोगों ने ज्ञापन देकर आंदोलन चलाया परंतु कोई लाभ नहीं हुआ। वर्तमान में भारी जल जगह जगह भरा हुआ है। शुक्रवार की रात को भी 40 एमएम बारिश हुई है जिसके बाद हालात बदतर हो गई।
 क्या कहते हैं क्षेत्रवासी-
 सत्यनारायण एडवोकेट का कहना है की सड़क ठीक नहीं करवाए जाने के कारण कितने की जन धन की हानि हो रही है। नहीं कोई सुनने वाला है और नहीं कोई समाधान हो पाता है। उनका कहना है कि हर बार अधिकारी यही आश्वासन देते हैं कि अब बनने वाली है, अब सड़क के टेंडर छोड़ दिए गए हैं परंतु हालात जस की तस है।
 सुनील कुमार का कहना है कि आवागमन में सबसे अधिक परेशानी दुपहिया वाहन चालकों को होती है। वे इन्हीं जोहड़ों में पड़े मिलते हैं। दुर्घटनाओं के कारण भी इनकी सुध नहीं ली जाती है। खानापूर्ति करने के लिए थोड़े समय के लिए रोड़ी पत्थर डाल दिए जाते हैं परंतु बारिश होते ही हालात जस के तस हो जाती है।
 रविंद्र कुमार का कहना है कि सड़क मार्ग की बदहाली के चलते कनीना कस्बा का कोई हमदर्द नजर नहीं आता। उनका कहना है कि बीमार व्यक्ति कैसे इस जगह से होकर अस्पताल पहुंच पाएगा। सड़के ही बीमार पड़ी है।
 प्रीतम का कहना है कि कनीना क्षेत्र में कई सालों से सड़कों की समस्या बनी हुई है। सड़क मार्ग जर्जर है इनकी सुध न लेने से कितनी ही हानि हो रही है, कितने ही लोग गिर चुके हैं। जनधन की हानि हुई है किंतु कोई सुनने वाला नहीं है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि सभी सड़क मार्गो की सुध ली जाए।
 फोटो कैप्शन 5: महेंद्रगढ़ सड़क मार्ग पर भरा वर्षा का जल
 






कनीना उप-नागरिक अस्पताल के एसएमओ ने अर्पित की कांवड़
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कनीना की आवाज। कनीना उप-नागरिक अस्पताल में वर्तमान में कार्यरत एसएमओ डा. सुंदरलाल अपनी तीसरी कावड़ देवनागरी हरिद्वार से लाकर अर्पित की हैं। वे अपनी कांवड़ दड़ोली आश्रम में अर्पित की।
 फोन पर उन्होंने बताया कि भगवान भोलेनाथ के प्रति उनकी अगाध आस्था है जिसके चलते तीसरी बार कावड़ लेकर आये हैं। अपने एक साथी कर्मचारी के साथ कांवड़ लेकर आये हैं। गहन आस्था न केवल डाक्टरों अपितु लेखकों, पत्रकारों, नेताओं में भी देखने को मिल रही है। कई समाजसेवियों ने अपनी अपनी कावड़ अर्पित कर दी है। जहां इन कावडिय़ों के लिए आयोजित शिविर भी संपन्न हो गये हैं।
 इस बार विगत वर्षों की तुलना में अधिक कांवड़ा आई हंैं। भोलेनाथ के प्रति अगाध आस्था देखने को मिल रही है। सावन के माह में चारों ओर बम बम भोले के जयकारे गूंज रहे हैं। 2 साल कोरोना की मार पड़ी थी। विगत वर्ष से पुन: कांवड़ आ रही है किंतु विगत वर्ष की तुलना में इस बार कांवड़ अधिक आई हैं। कांवड़ लाने वाले सुमेर सिंह चेयरमैन, मिंटू बॉस, वेद प्रकाश, भरत सिंह,प्रदीप कुमार आदि ने बताया इस बार लगातार रास्ते में बारिश हो रही है और बारिशमय मौसम में वे कांवड़ लेकर बाघेश्वर धाम पर अर्पित कर चुके हैं।
फोटो कैप्शन 02: कांवड़ लेकर आते हुए एसएमओ कनीना सुंदरलाल अपने साथी कर्मी के साथ।



अपनी हस्थकला के कारण दूर दराज तक विख्यात है युवा सुरेश कुमार पेंटर
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कनीना की आवाज। करीरा गांव का एक पूरा परिवार न केवल पेंटिंग को समर्पित है अपितु दर्जनों युवाओं को भी पेंटिंग की ट्रेनिंग दे चुका है।
कनीना से महज दो किमी दूर स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय वाला गांव करीरा का निहाल सिंह परिवार पूर्ण रूप से पेंटिंग को समर्पित है। मुखिया निहाल सिंह 55 वर्षों से तो उनका पुत्र सुरेश कुमार 30 वर्षों से पेंटिंग के काम से न केवल रोटी रोजी कमा रहा है अपितु एक दर्जन युवाओं को अल्प ट्रेनिंग दी है।
  पेंटर निहाल सिंह ने बताया कि एक जमाना था जब लोग उन्हें ढूंढते फिरते थे किंतु समय नहीं होता था। रात को सोने का समय भी नहीं मिलता था। वर्तमान में तो किसी मंदिर, स्कूलों में कमरे में बच्चों के लिए कार्टून बनाने तथा द्वार आदि पर लिखाई के लिए ही अधिक याद किया जाता है। निहाल के पुत्र सुरेश कुमार का कहना है कि उनके पिता के एक बार सख्त बीमार होने के कारण उन्होंने घर की रोटी रोजी चलाने के लिए पेंटिंग का काम करने की सोची थी और वे सफल रहे। उस वक्त वे आठवीं कक्षा में पढ़ते थे।
 45 वर्षीय सुरेश कुमार तो अपने पिता से भी आगे जा चुके हैं। वर्तमान में करीब 200 विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में मंदिरों में पेंटिंग एवं मोटो लिखने का लिखने का कार्य कर चुके हैं। कहीं भी जाते हैं तो हिंदी और अंग्रेजी के शब्दों पर ध्यान देते हैं। सुरेश कुमार ने बताया कि उनके जीवन में उनके शिक्षकों का योगदान रहा है। उनका कहना है कि आज भी महेंद्रगढ़, रोहतक, झज्जर, रेवाड़ी तथा राजस्थान में जाते हैं और पेंटिंग का काम करते हैं। सुरेश कुमार की लिखने की अदा एवं चित्रकारी लाजवाब है वहीं देशभक्तों की तस्वीरों को अपनी रंगों से इस कद्र उकेर देते हैं कि मुंह बोलती तस्वीर नजर आती हैं।
अपने पेशे से आज भी संतुष्ट हैं। यद्यपि उनके पिता 12वीं तक पढ़े हैं और वे स्वयं दसवीं कक्षा अच्छे अंकों से पास करके इस पेशे में उतरे हैं। उनकी मुंह बोलती तस्वीरों को देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि सुरेश कुमार में कितना बड़ा हुनर है। स्किलफुल व्यक्ति की समाज में बेहतर मांग है तथा सम्मान मिलता है।
फोटो कैप्शन 3/4/05: सुरेश कुमार पेंटर की विभिन्न स्कूलों में पेंटिंग एवं चित्रकारी।


नशे के विरुद्ध स्कूल ने चलाया कार्यक्रम
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कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अगिहार प्रार्थना सभा में शुक्रवार को नशे के विरुद्ध जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया कार्यक्रम की अध्यक्षता  विद्यालय की प्राचार्या पूनम यादव ने की। उन्होंने विद्यार्थियों को नशे के कुप्रभावों के बारे में विस्तार से बताया विद्यालय में अंग्रेजी के प्रवक्ता मदन मोहन कौशिक ने बताया कि नशा समाज में एक बहुत बड़ी बुराई है तथा यह अंधकार के द्वार खोल देता है जो व्यक्ति नशा करता है उसका पतन निश्चित है। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे आजीवन इस बुराई से दूर रहें।  इस अवसर विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने  जीवन में कभी भी नशा न करने की शपथ ली तथा पूरे गांव में नशे के खिलाफ एक प्रभातफेरी भी निकाली।  विद्यालय की छात्राओं  अर्चना तथा पल्लवी ने नशे के खिलाफ पोस्टर बनाकर सभी से नशे से दूर रहने की अपील की।
 इस अवसर पर विद्यालय के  प्रवक्ता अजय बंसल , राजेंद्र,कटारिया ,निशा , पूनम कुमारी, धर्मेंद्र डीपी, रतनलाल, चंद्र शेखर, व प्रमोद कुमार सहित समस्त विद्यालय का स्टाफ एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 01: नशे के विरुद्ध अभियान चलाते स्कूली विद्यार्थी।























सिमट गए हैं सावन के झूलें
-कभी हर गली मोहल्ले में डालते थे पींग
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कनीना की आवाज। सावन माह में डाले जाने वाले झूलें भी अब विज्ञान की चकाचौंध में गुम होते जा रहे हैं। कभी हर घर में झूलें देखने को मिलते थे वे महज अब कुछ घरों तक ही सिमटकर रह गए हैं। सावन के गीतों की गूंज भी अब मंद पड़ गई है और सावन के प्रति लोगों में वो उत्साह नहीं देखा जा सकता है।
   एक वक्त था जब सावन माह आते ही घरों में बड़े वृक्षों पर झूलें डाल दिए जाते थे जहां बच्ची हो या बूढ़ी औरत सभी मिलकर झूला झूलती थी। नव विवाहितों के लिए तो झूलें अपना समय बिताने का अच्छा साधन होते थे। मोटे-मोटे रस्सों को बड़े पेड़ से टांगकर उस पर बैठने के लिए लकड़ी की तख्ती लगाई जाती थी। इस झूले पर प्राय: एक ही युवती बैठती थी और दूसरी उसे आगे पीछे झूलाती थी। एक के बाद दूसरी द्वारा झूलाने का यह क्रम अनवरत चलता रहता था। गीतों की गूंज पींग पर सुनाई पड़ती थी।
   समय के साथ-साथ सावन के झूलों में भी बदलाव आ रहा है। अब यहां वहां एक या दो ही झूलें दिखाई पड़ सकते हैं। पींग का प्रचलन लगभग समाप्त हो रहा है। उस जमाने में जब पींग का प्रचलन था, घरों में मोटे रस्से मिलते थे जिनसे कुएं का पानी खींचा जाता था। अब न तो कुओं से पानी खींचने की ही जरूरत रही है और न ही  पींग की जरूरत रही है।
  ऐसा लगता है कि विज्ञान के इस युग में पींग का महत्व घटा है। पींग के बारे में वर्तमान बच्चियां  तो शायद ही जानती हो। झूले ही नहीं सिमटे अपितु भागदौड़ की जिंदगी में पींग पर झूलने की भी किसी के पास फुरसत नहीं होती है। कुल मिलाकर पींग का युग समाप्त हो रहा है। अब तो स्कूलों में पींग डालकर पुराने वक्त के झूलों की जानकारी भी दी जाती है।


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