Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Monday, August 14, 2023

 

हरियाली तीज का पर्व पड़ेगा 19 अगस्त को
-शिव पार्वती की उपासना का है पर्व
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कनीना की आवाज। शिति कंठा ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य  पंडित ऋषिराज राज शर्मा का कहना है की उदया तिथि के अनुसार हरियाली तीज 19 अगस्त को मनाई जाएगी।
पंचांग के अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 18 अगस्त 2023 को रात 08 बजकर 01 मिनट पर आरंभ होगी। तृतीया तिथि का समापन 19 अगस्त 2023 को रात 10 बजकर 19 मिनट पर होगा।
सौंदर्य और प्रेम का प्रतीक माने गए हरियाली तीज के पर्व में महिलाएं शंकर-पार्वती की उपासना के साथ लोक गीत गाती हैं, झूले झूलती हैं। हरियाली तीज से एक दिन पहले सिंजारा मनाया जाता है। इस दिन नवविवाहित लड़की की ससुराल से वस्त्र, आभूषण, शृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई भेजी जाती है।
पंडित ऋषिराज शर्मा ने बताया कि
पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। कहा जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया, तब ही से ये सुहाग पर्व मनाया जाने लगा. हरियाली तीज व्रत के प्रभाव से अविवाहित कन्याओं को शिव समान पति प्राप्त होता है वहीं सुहागिन महिलाओं को सुखद दांपत्य का आशीर्वाद मिलता है।
 हरियाली तीज की तिथि 18 अगस्त 2023 को रात 8:02 से शुरू हो जाएगी और यह अगले दिन 19 अगस्त 2023 को रात को 10:19 बजे तक रहेगी. ऐसे में महिलाएं 19 अगस्त को सुबह हरियाली तीज का व्रत रख सकती हैं. हरियाली तीज पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 7:47 बजे से लेकर सुबह 9:22 तक रहेगा।
 दोपहर 12.32 से दोपहर 02.07, इसके अलावा शाम को 6:52 बजे से लेकर 7:45 बजे तक भी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त है. इस दौरान भगवान शंकर और माता पार्वती का षोडशोपचार से पूजा करनी चाहिए।
फोटो कैप्शन: पंडित ऋषिराज








विभाजन विभीषिका समिति दिवस मनाया
-शहीद के परिजनों को किया सम्मानित
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कनीना की आवाज। जवाहर नवोदय विद्यालय करीरा में जिला स्तरीय विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में विभाजन विभीषिका प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसमें विभाजन के समय की तस्वीरें, अखबारों की खबरों को प्रदर्शित किया जाए। इसमें छात्र-छात्राओं ने विभाजन विभीषिका विषय पर चित्रकारी, कविताएं, कहानियां लिखी। स्वरचित कहानियों एवं कविताओं की प्रस्तुति दी।
 विद्यार्थियों ने एक एकांकी के माध्यम से विभाजन विभीषिका को याद करते हुए सद्भावना से रहने का संदेश दिया। इस अवसर पर डिजिटल मीडिया का प्रयोग करते 1947 के भारत-पाकिस्तान से संबंधित कुछ वीडियो प्रोजेक्ट के माध्यम से दिखाया गया।
 इस कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानी स्व प्रभातीलाल की पत्नी बादामा देवी मुख्य अतिथि तथा आजादी के विभाजन के समय के गवाह इकबाल नारायण सक्सेना ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर शिरकत की।
 साथ-साथ राजकीय विद्यालय करीरा के प्राचार्य रामस्वरूप ने अपने विद्यालय के शिक्षकों छात्र छात्राओं के साथ प्रदर्शनी का अवलोकन किया। विमला देवी जो करीरा गांव के सरपंच प्रतिनिधि अजय यादव की मां है ने भी कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज करवाई। विद्यालय के प्राचार्य राजीव कुमार सक्सेना ने सभी का स्वागत एवं सम्मान किया। इस अवसर पर उप-प्राचार्यग् धर्मेंद्र आर्य, नरेंद्र यादव, विक्रम सिंह, दयाराम, योगेंद्र सिंह, सिमरता सिंह, सुदेश कुमारी, संगीता मिश्रा के साथ समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।
 फोटो कैप्शन 10: इकबाल नारायण सक्सेना को सम्मानित करते प्राचार्य






 15 अगस्त के लिए फुल ड्रेस रिहर्सल संपन्न
-12 टीमें सांस्कृतिक कार्यक्रम में लेंगी भाग
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कनीना की आवाज। उपमंडल स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह राजकीय महाविद्यालय कनीना में मनाया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लक्ष्मण सिंह यादव विधायक ध्वजारोहण करेंगे।
 इस अवसर पर जहां फुल ड्रेस रिहर्सल में एसडीएम कनीना सुरेंद्र सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी विश्वेश्वर शर्मा, बीआरसी दिलबाग सिंह, तहसीलदार ब्रह्मप्रकाश एवं प्राचार्य सुरेंद्र सिंह मौजूद रहे। उन्होंने अंतिम रिहर्सल अपनी आंखों से देखा। उन्होंने बताया कि कुल 12 टीमें सांस्कृतिक कार्यक्रम की, 4 एनसीसी की टुकड़ी राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देंगी। वहीं डंबल शो, पीटी आदि अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
अंतिम अंतिम रिहर्सल में जहां नरेश कौशिक मुख्याध्यापक ने मंच संचालन किया वहीं इस अवसर पर अमृत सिंह विशेष शिक्षक भी मौजूद रहे। इस अवसर पर विभिन्न विद्यार्थियों ने अपना अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिनका निरीक्षण टीम ने अंतिम रूप दिया।
 फोटो कैप्शन 06: फुल ड्रेस रिहर्सल में कार्यक्रम की प्रस्तुति देते हुए।






अनिश्चितकालीन धरना 155वें दिन रहा जारी
-धरना स्थल पर 40 गांवों के सरपंच करेंगे ध्वजारोहण
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए अनिश्चितकालीन धरना 155वें दिन में प्रवेश कर गया। धरने की अध्यक्षता डॉ लक्ष्मण ने की।
धरने की अध्यक्षता विजय सिंह चेयरमैन ने बताया कि आज धरने को 155 दिन हो गए। सोमवार के दिन को बाबा शिव भोले के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी हुई रही। बाबा शिव भोले के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु धरना स्थल पर पहुंचे। शिवभक्त महेश शर्मा सेहलंग और सीताराम सेठ नौताना ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट बनेगा। बाबा भोले के दर्शन करने वालों की पहली मांग है कि हमारा कट जल्दी से जल्दी बने। 40 गांवों के सरपंचों ने फैसला लिया है कि 15 अगस्त को धरना स्थल पर झंडा फहराया जाएगा।
इस मौके पर पहलवान रणधीर सिंह,  नरेंद्र कुमार शास्त्री-छिथरौली,चेयरमैन सतपाल सिंह ,   मास्टर विजयपाल , प्रधान कृष्ण कुमार,  बाबूलाल,  दाताराम , पूर्व सरपंच सतवीर सिंह, भोले राम साहब, सूबेदार हेमराज,  हंस कुमार, सूबे सिंह, रामकुमार, राम भक्त,मनोज, विजय सिंह बाजे भक्त , सुरेंद्र सिंह,महेंद्र सिंह, प्यारेलाल , मास्टर धर्मपाल, सत्यनारायण साहब,  शेर सिंह,
वेद प्रकाश व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 07: कट के लिए धरना देते ग्रामीण।





सोमवार को रही शिवालयों में भीड़
-सावन का था छठा सोमवार
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कनीना की आवाज। सोमवार को फिर से शिवालयों में भीड़ बढ़ी, क्योंकि यह सावन माह का छठा सोमवार था। हर सोमवार को जहां विभिन्न शिवालयों विशेषकर बाघोत स्थित बाघेश्वर धाम पर भारी भीड़ जुटती है। सुबह से ही महिला और पुरुषों का तांता लग जाता है जो स्वयंभू शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करते हैं लेकिन इस बार 2 सावन माह होने के कारण आठ सोमवार आएंगे। यह छठा सोमवार रहा।
 विस्तृत जानकारी देते हुए पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया किस बार मलमास सावन अधिक होने के कारण छठा सोमवार 31 जुलाई को पड़ा। सोमवार का व्रत करने वालों के लिए इसी माह से व्रत शुरू करना चाहिए।
इस माह की बात सुरेंद्र शर्मा से की तो उन्होंने कहा कि सावन में अपने आप में पवित्र माह रहता है। शिवालयों में भारी भीड़ मिलती है तथा इस माह में शिव भोले को प्रतिदिन याद करना चाहिए। वही सभी कष्टों को दूर करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिव को याद किया।





कनीना में निकाली तिरंगा यात्रा
-130 शहीदों से वापस लिए कलश,विभिन्न शहीदों को किया नमन
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कनीना की आवाज। कनीना के नेताजी मेमोरियल कालेज में जहां तिरंगा यात्रा को लेकर एक बैठक आयोजित ककी गई जिसमें विभिन्न नेताओं ने विचार रखे। विभिन्ननेता एवं उपस्थित जन तत्पश्चात अंबेडकर चौक पहुंचे। अंबेडकर को नमन करके तिरंगा यात्रा शुरू की गई।
 तिरंगा यात्रा निकालने से पूर्व शहीदों को याद किया। इस कार्यक्रम का नाम शहीदों को नमन, माटी को नमन,मेरी माटी मेरा देश आदि नामों से  संबोधित किया। इस मौके पर जहां सीताराम विधायक ने कहा कि तिरंगा यात्राा में जितने भी शहीद हुए उनके परिजनों वो शहीद स्मारकों की माटी से भरे कलश वापस लिये गये हैं।  ताकि इन्हें संसद भवन तक पहुंचाया जाए वहां अमृत वाटिका का निर्माण किया जाएगा। एक जुलूस के रूप में भारी संख्या में लोग तिरंगा यात्रा में शामिल हुए। तिरंगा यात्रा अंबेडकर चौराहे से शुरू हुई और कन्या उच्च विद्यालय के सामने शहीदों को नमन किया। तत्पश्चात मोलडऩाथ आश्रम के पास विभिन्न शहीदों की प्रतिमाओं को नमन करने के पश्चात शहीद सज्जन सिंह अशोक चक्र के पास संपन्न हुई।
 इस यात्रा में जहां विभिन्न शहीद परिवार शामिल हुए वहीं शहीदों के स्मारक की माटी से भरे  कलश भर कर लाए गए जिन्हें इकट्ठा किया गया। इस अवसर पर सीताराम विधायक के अतिरिक्तभाजपा जिलाध्यक्ष दयाराम, विद्यानंद लांबा, राजेंद्र भारद्वाज, मुनीलाल साहब, बाबूलाल मुंडियाखेड़ा, सत्यवीर यादव, कंवरसेन वशिष्ठ सहित भारी संख्या में जन उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 05: तिरंगा यात्रा का नजारा।






रक्षा पर्व की तैयारियां जोरो पर
-बदल गये हें राखी भेजने के ढंग
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कनीना की आवाज। 30 अगस्त को रक्षा पर्व मनाया जा रहा है जिसको लेकर तैयारियां पूरे यौवन पर हैं। हर बहन की अपने भाई तक स्वयं चलकर या राखी भेजकर रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा चली आ रही है। अब तो हरियाणा सरकार ने बसों में रक्षा बंधन पर महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा दे दी है जिसके चलते पर्व के प्रति लगाव बढ़ा है। इस दिन भाई भी अपने बहनों के यहां जाकर राखी बंधवाते हैं।
बदल गये राखी भेजने के ढंग--
  रक्षा पर्व पर बहनों द्वारा भाई के लिए भेजी जाने वाली राखियों का भेजने का ढंग ही बदल गया है। एक जमाना था जब इन दिनों डाकघर के द्वारा सबसे अधिक राखियां भेजी जाती थी। पोस्टमैन राजेंद्र सिंह का कहना है कि उस वक्त 20 दिनों से लेकर एक माह तक केवल राखियों के पैकेट घर घर पहुंचाए जाते थे। ये राखियां तीन दिनों से दस दिनों के बीच गंतव्य स्थान पर पहुंचती थी। पोस्टमैन का काम उन दिनों सबसे अधिक होता था। इसके बाद कुरियर सेवा की ओर रुझान बढ़ा। इसके बाद तो डाकघरों में राखी कम से कम आने लगी। समय बदला और डाकघरों की बजाय लोग राखी न भेजकर रक्षा बंधन पर्व पर या तो भाई बहन के पास या बहन भाई के पास पहुंचती है। इस प्रकार रक्षा पर्व भी हाइटेक हो गया है।
फोटो कैप्शन 06: कनीना में राखियों की बहार।  






उपभोक्ता लगवाये पानी के नलों पर मीटर-जेई
-बिना मीटर के चार्ज 120 रुपये तथा मीटरयुक्त 60 रुपये
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में यद्यपि 9 ट्यूबवेल तथा एक बूस्टिंग स्टेशन भी कार्यरत है वही नहरी वाटर स्कीम भी कार्यरत है। जहां नहर का जल साफ करके भी घरों में सप्लाई किया जा रहा है किंतु जब कभी पेयजल सप्लाई होती है तो लोग दनादन मोटर चलाते हैं फिर भी लोग कम जल सप्लाई का आरोप लगाते हैं। जो कनेक्षन वाटर सप्लाई के नजदीक होते हैं वो अधिक पानी प्रयोग करते हैं और वाटर सप्लाई से दूर है उन्हें कम पानी उपलब्ध हो पाता है। यहां तक की कुछ लोग नलों पर टोंटी भी नहीं लगाते और  पेयजल को नालियों में बहाते हैं या अपने घरों के वाहन साफ करने में, पशुओं को नहलाने में भी प्रयोग कर रहे हैं। इस संबंध में जन स्वास्थ्य विभाग कनिष्ठ अभियंता सुरेंद्र कुमार से बात हुई उन्होंने बताया कि प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 135 लीटर जल सप्लाई हो रहा है फिर भी कुछ लोग जल दुरुपयोग करते हैं उन्हें। उन्हें गर्मियों के दिनों में जल का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि सभी घरों में नलों पर टोंटी नहीं लगी है और सभी उपभोक्ता बिल भी नहीं भर रहे हैं। उन्होंने कहां कि लोगों में होड़ लग जाती है कि कौन अधिक पानी प्रयोग करें। यही कारण हो सकता है कि वह सभी मोटर चलाते हैं ।
1.52 करोड़ से अधिक राशि है उपभोक्ता की और बकाया-
कनीना जनस्वास्थ्य विभाग के तहत अभी तक पेयजल उपभोक्ताओं की ओर एक करोड़ 52 लाख 84 हजार 625 रुपये बकाया है। एक अप्रैल से 31 मार्च तक 16.52 लाख रुपये पेयजल बिलों के प्राप्त हुये हैं। अभी भी 1200 कनेक्शन अवैध है। उन्होंने बताया कि कनीना कस्बे में पेयजल सप्लाई योजना के तहत 2309 कुल कनेक्शन है जिनमें से 85 कनेक्शन काट दिया जाए है। उन्होंने उपभोक्ताओं से अपील की है कि पानी का बिल तुरंत जमा करवाएं तथा गर्मी के मौसम में पानी को खराब न करें। उन्होंने कहा उपभोक्ता अपने नलों पर मीटर जरूर लगवाये। प्रतिमाह बिना मीटर के 120 रुपये जबकि मीटर लगवाए हुए उपभोक्ता को 60 रुपये प्रति माह बिल देना पड़ता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने बताया कि अधिकांश उन उपभोक्ताओं की ओर अधिक बिल बकाया है जिनका के घरों में कनेक्शन दादा, परदादा या पिता के नाम होता था किंतु वह अब वो इस दुनिया में नहीं है जिसके चलते परिवार के सदस्य अलग.अलग होने से बिल नहीं भर रहे हैं। परिवार के सदस्यों का कहना है कि जब सभी परिवार के सदस्यों ने पानी पिया है तो बिल अकेला नहीं क्यों भरा जाए? यही कारण है कि अभी तक इतनी भारी राशि उपभोक्ताओं की और बकाया है। यहां तक की अवैध कनेक्शन अधिक होने के कारण पेयजल सप्लाई अवैध कनेक्शन धारक अधिक पी जाते हैं।





कनीना में 6 जोहड़ों की हो खोदाई, अमृत सरोवर योजना सिरे नहीं चढ़ पाई कनीना में
-आवश्यकता है वर्षा जल संरक्षण की
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कनीना की आवाज। दिनोंदिन भूमिगत जल कम होता जा रहा है। कनीना को पहले ही डार्क जोन घोषित किया हुआ है किंतु पेयजल और भूमिगत जल को खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। सरकार के प्रयासों से जहां जल संरक्षण की ओर एक अल्प रुझान बढ़ा है किंतु ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।
जोहड़ों की हो खोदाई-
कनीना क्षेत्र में करीब छह जोहड़ पानी से भरे रहते हैं। इन जोहड़ों की खोदाई की जरूरत है। कनीना के दो प्रमुख जोहड़ होलीवाला और कालरवाली जोहड़ लबालब पानी से भरे हैं।  खोदाई न होने और जल की को सही ढंग से न सहेजे जाने के कारण गंदा जल दूर-दराज तक फैल रहा है और सैकड़ों हरे पेड़ों को लील लिया है। अमृत सरोवर योजना के तहत राशि तो मंजूर है किंतु अमृत सरोवर नहीं बन पाये हैं। पूर्व पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि उनके समय में जोहड़ों की खोदाई एवं अमृत जल योजना के तहत राशि मंजूर हो चुकी थी किंतु आ नहीं पाई जिसके चलते किसी भी तालाब को अमृत सरोवर नहीं बनाया जा सका।
 वर्षा का जल सहेजे-
 सरकार द्वारा जोहड़ों का पानी सहेजने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं किंतु अभी तक कनीना के लिए जोहड़ों के पानी को सहेजने के लिए अनुदान नहीं आया है। अप्रैल माह में यह अनुदान आए जाने की संभावना जता रहे हैं। वर्षा जल को सहेजने की जरूरत समझी जा रही है। घरों में वर्षा जल गड्ढों में जमा करके काम मे लाया जा सकता है।
विगत 20 वर्षों में कनीना क्षेत्र में जलस्तर गिरता ही जा रहा है। कभी 20 मीटर गहराई पर होता था जो अब 70 मीटर गहरा जा चुका है। पूरा जिला महेंद्रगढ़ ही डार्क जोन घोषित हो चुका है। दिनोंदिन जल का दोहन हो रहा है किंतु जल की आपूर्ति जो वर्षा से होती है वो घटती ही जा रही है। करीब 20 वर्षों में कनीना क्षेत्र में हुई वर्षा पर नजर डाले तो पता चलता है कि वर्ष 1995 व 1996 में कुछ वर्षा हुई जबकि अन्य वर्ष अल्प वर्षा हुई है।
नालियों में बहा रहे हैं जल-
कनीना क्षेत्र ही नहीं अपितु आस पास के लोग पेयजल से गाडिय़ां धोते, नालियां साफ करते, भैंस को नहलाते देखे जा सकते हैं और पेयजल से गलियों को साफ करते है। भूमिगत जल का दोहन हो रहा है। यू ही जल का दोहन हुआ तो जल पाताल में पहुंच जाएगा।
31 हजार हेक्टेयर पर होती है कृषि-
  कहने को तो कनीना क्षेत्र 52 हजार हेक्टेयर का स्वामी माना जाता है किंतु वर्तमान में 31 हजार हेक्टेयर के करीब भूमि पर खेती की जाती है। यहां भूमिगत जल स्तर में निरंतर गिरावट आ रही है। किसान भी बारिश के समय फव्वारा चलाते, सउ़क तथा रास्तों में फव्वारा चलाते देखे गये हैं।  करीब 20 वर्षों में कनीना क्षेत्र में हुई वर्षा पर नजर डाले तो पता चलता है कि वर्ष 1995 व 1996 में कुछ वर्षा हुई जबकि अन्य वर्ष अल्प वर्षा हुई है।
कितनी हुई वर्षा-
 वर्ष 1995 से अब तक मिले आंकड़ों के अनुसार कम वर्षा होती आ रही है।
प्रथम जनवरी से 31 दिसंबर तक होने वाली वर्षा      
वर्ष   वर्षा मिमी में
1995    490
1996    492
1997    435
1998    295
1999    213
2000    280
2001    105
2002    210
2003    336
2004    229
2005    312
2006    118
2007    221
2008    319
2009    189
2010     304
2011     196
2012     326
2013     259
2014     219
2015      221
2016      235

2017      230
2018      243
2019      229
2020      238
2021      205
2022      216
 घटते जल स्तर को लेकर कृषि वैज्ञानिक हैं चिंतित-
 घटते जल स्तर को लेकर कृषि वैज्ञानिक हैं चिंतित हैं। इस संबंध में कृषि वैज्ञानिकों ने 2014 से अब तक दर्जनों गांवों में किसान शिविर लगाकर आने वाली जल समस्या के बारे में जानकारी दी चुकी है। ताप, वायु, हिम, वर्षा में बदलाव के पीछे सूर्य की ऊष्मा में बदलाव, महासागरों के जल बहाव में परिवर्तन, जीवाष्मी ईंधन का अधिक जलाना, वनों की कटाई, शहरों के आस पास अंधाधुंध भवन निर्माण, जल का दोहन आदि प्रमुख कारण माने जा रहे हैं जिसके चलते ग्रीन हाउस प्रभाव बनता है जिसके कुप्रभावों में पृथ्वी का अधिक गर्म होना, समुद्र के जलस्तर में बढ़ोतरी, वर्षा की मात्रा में बदलाव, अधिक कार्बन डाइआक्साइड के चलते उगने वाली पौधों की प्रजातियों में प्रभाव पड़ता है।
  क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक-
पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी डा देवराज यादव का कहना है कि वे किसानों को शिविर लगाकर समझा रहे हैं कि वर्षा की कमी या प्रतिकूल होने के क्या कारण है जिसके लिए किसान अहं योगदान दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि भूमिगत जल स्रोतों को पुन: प्रभावी करके, सिंचाई के लिए आधुनिक मशीनों एवं तरीकों को अपनाकर, धान की अवशेष, गेहूं के भागों को जलाना नहीं चाहिए। उनके अनुसार अधिक से अधिक पौधारोपण करके, ऊर्जा के नवीनीकरण तरीकों को अपनाकर, फसलों में कम से कम रासायनिक पदार्थ डालकर, गोबर गैस का प्रयोग करके, खान पान की आदतों में बदलाव करके, जल का कम दोहन करके, फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई करके भू जल स्तर को कम होने से बचाया जा सकता है। अगर इसी प्रकार वर्षा के जल का दोहन हुआ तो आने वाले समय में गंभीर समस्या बन जाएगी।
फोटो कैप्शन 07: कनीना के जोहड़ जिनमें खड़ा भारी मात्रा में जल





आजादी का अमृत महोत्सव के तहत मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम आयोजित
-देशभक्ति कार्यक्रम आयोजित
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कनीना की आवाज। राजकीय महाविद्यालय नारनौल में यूथ रेड क्रॉस,एनसीसी व एनएसएस इकाइयों द्वारा 9 अगस्त से 15 अगस्त तक आजादी के अमृत महोत्सव के तहत लगातार मेरी माटी मेरा देश,पंच प्रण और हर घर तिरंगा फहराने जैसे देश भक्ति से ओतप्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रम महाविद्यालय प्राचार्य डॉ पूर्ण प्रभा की अध्यक्षता में  मनाएं जा रहें हैं। उसी कड़ी में भारत देश के मानचित्र की मानव शृंखला बनाकर  हर घर तिरंगा जागरूकता अभियान चलाया गया और उसके बाद महाविद्यालय से शहर की मुख्य सड़कों से होते झंडा रैली निकाली गई और आमजन को भारत के तिरंगे के प्रति जागरूक किया गया और हरियाणा सरकार और जिला प्रशासन के  हर घर तिरंगा फहराने के लिए जागरूक किया। प्राचार्या डा पूर्ण प्रभा  ने विद्यार्थियों और समस्त स्टाफ सदस्यों को  भारत सरकार के हर घर तिरंगा  जागरूकता अभियान में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने का आह्वान किया और सभी को इस अवसर पर शुभकामनाएं दी साथ ही बताया कि  भारत के स्वतंत्रता की 76वीं वर्षगांठ जश्न मनाने के लिए भारत सरकार द्वारा हर घर तिरंगा अभियान का प्रारंभ किया है। जिसके माध्यम से हमारे भारतीय ध्वज तिरंगा का सम्मान बढ़ाने के उद्देश्य से हर घर तिरंगा कार्यक्रम चलाया जा रहा है।  इस अभियान में हमें बढ़  चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए और अपने समाज, परिवार  को भी इस के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए । इसी कड़ी में देश की आन बान और शान का तिरंगा जानदार और शानदार तरीके से लहराया गया और शहर के मुख्य मार्गों से हर घर तिरंगा फहराने की जागरूकता रैली निकाली गई। साथ ही साथ  इस मौके पर  युथ रेड क्रॉस  के नोडल अधिकारी डॉ चंद्रमोहन द्वारा  समस्त स्टाफ सदस्यों और विधार्थियों को देश प्रेम से ओतप्रोत नारों का उद्घोष ( भारत माता की जय बंदे मातरम, जयहिंद, हम सबने मिलकर ठाना है हर घर तिरंगा लहराना है, जय जवान जय किसान) बड़े ही उत्साह पूर्वक, जोश  पूर्वक व बड़े ही शिद्दत के साथ लगवाए  । इस मौके पर महाविद्यालय के एनएसएस और एनसीसी अधिकारी  डॉ सतपाल सुलोदिया,  डॉ सुभाष चन्द्र, एडमिशन अधिकारी  डॉ महेंद्र मुदगिल, और डॉ सतीश सैनी, एन एस एस अधिकारी डॉ पलक, डॉ भारत ,डॉ मीना, डॉ नरेश, डॉ जयपाल, डॉ योगेश ने बताया कि इस दौरान महाविद्यालय के सभी युनिट्स के केडिट ने सभी प्रतिभागियों ने बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया। भारत सरकार के  मेरी माटी मेरा देश, पंच प्रण,हर घर तिरंगा जागरूकता अभियान ,9 अगस्त  से 15 अगस्त के दौरान पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता, हर घर झंडा  जागरूकता रैली, झंडा जागरूकता शपथ, तिरंगा पतंग उड़ाओ प्रतियोगिता, तिरंगा रंगोली प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, भारत मानचित्र मानव श्रृंखला, देश भक्ति गीत, मेरी माटी मेरा देश और पंच प्रण आदि विषयों पर प्रतियोगिताएं आयोजित  करवाई गई। इस अवसर पर महाविद्यालय का समस्त टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टॉफ सदस्यों और सभी विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई।
फोटो कैप्शन 11: आजादी
























का अमृत महोत्सव मनाते हुए।



अभी तक पूर्ण हो पाया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का क्रमोन्नत का काम
-होलीवाला और कालरवाली जोहड़ों ने पहुंचाई लाखों रुपए की क्षति
-पीपल वाली बणी में बनने वाले वाटर स्टोर का टेंडर अभी तक नहीं खुला
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कनीना की आवाज। वर्षों से कनीना की ज्वलंत समस्या होलीवाला और कालर वाली जोहड़ों के पानी की रही है। समस्त कनीना कस्बे का पानी दोनों ही जोहड़ों में आकर जमा होता है जहां से इस पानी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाने की योजना रही है। सीवरेज  ट्रीटमेंट प्लांट कनीना कस्बे से करीब 3 किलोमीटर दूर कोटिया गांव के पास स्थित है। यह प्लांट रणास नामक बणी में बनाया गया है किंतु पर्याप्त जगह अभाव के कारण यहां से साफ किए हुए जल को करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित पीपलवाली में पहुंचाने की योजना चली। इस योजना पर अभी भी कार्य चल रहा है। इस वर्ष मानसून लगभग खत्म होने जा रहा है किंतु सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का पुनरुद्धार का कार्य अभी भी पूरा नहीं हो पाया है। यदि काम धीमी गति से चला अगले साल मानसून के समय तक पूरा होने की संभावना है।
नुकसान की ओर नजर डाले तो कस्बे के दोनों जोहड़ों ने यहां तीन दर्जन बड़े-बड़े विशालकाय पेड़ों को लील लिया है। जोहड़ों में तीन दर्जन विशालकाय पेेड़ समा गए हैं, वही अभी भी आधा दर्जन पेड़ सूखे खड़े हुए हैं। इन जोहड़ों के कारण विगत समय में जहां होलीवाला सड़क मार्ग, कालर वाली जोहड़ से जहां रेवाड़ी सड़क मार्ग को क्षतिग्रस्त कर लाखों रुपये का नुकसान पहुंचाया है परंतु सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के आधुनिकीकरण किए जाने के बाद ही यह समस्या संभव हो सकती है।
 विगत दिनों जहां मुख्यमंत्री हरियाणा संवाद के लिए कनीना पहुंचे तो सैकड़ों लोगों ने रेलवे लाइन के पास कनीना नगर पालिका की 40 एकड़ जमीन में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की मांग की गई थी किंतु सिरे नहीं चढ़ पाई। बहरहाल अभी भी कस्बा कनीना के लोग भविष्य में बारिश होने को लेकर चिंतित है क्योंकि होलीवाला जोहड़ से गुजरने वाला सड़क मार्ग हल्की बारिश के समय जल से जलमग्र हो जाता है। विगत दिनों डीएमसी तथा कनीना पालिका के अधिकारी होलीवाला जोहड़ और इसके पास से गुजरने वाले सड़क मार्ग को देखने पहुंचे। उन्होंने इस सड़क मार्ग को ऊंचा उठाने की बात कही थी जो अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है।
 उधर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट यूं ताो वर्षों से कम कर रहा है किंतु अब इसका आधुनिकीकरण किया जा रहा है। इसका कम करीब 40 फीसदी पूरा हो गया है। अभी तक ट्रीटमेंट प्लांट से 3 इंची पाइप द्वारा गंदा जल पीपलवाली बणी तक पहुंचाया जा रहा है जिसके लिए 12 इंची पाइप लगाए जाने की योजना है।
क्या है कनीना कस्बे की जोहड़ो से संबंधित समस्या का समाधान -
कनीना के जोहड़ों की गंदे जल को वर्तमान में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचा जा रहा है किंतु अनेक समस्याएं झेलनी पड़ रही है। इसके लिए कनिष्ठ अभियंता जन स्वास्थ्य विभाग सुरेंद्र सिंह बताते हैं की दोनों ही जोहड़ों का लो लेवल एरिया है अर्थात गहराई में हैं। पूरे कनीना का वर्षा का पानी इनमें इकट्ठा करने के लिए इनके पास अगर नगर पालिका जमीन उपलब्ध करवाये तो कलेक्टिंग टैंक बनाए जा सकते हैं। जिनमें बारिश के समय पानी जमा हो जाए जिन्हें तुरंत मोटरों द्वारा खाली जगह में पहुंचा जा सकता है। वह खाली जगह भी नगरपालिका उपलब्ध करवाएगी परंतु अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नगर पालिका द्वारा नहीं की गई है।
 उन्होंने बताया उन्होंने बताया कि वर्तमान में पीपलवाली बणी में साफ पानी का स्टोर बनाया जाना है। स्टोर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा साफ किया हुआ जल इक_ा होगा। यह जल सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से स्टोर तक 12 इंची पाइप के जरिए ले जाया जाना है। जिसके लिए 7 एकड़ जगह पीपल वाली बणी में उपलब्ध हुई है तथा इस 7 एकड़ जगह में वाटर स्टोर बनाना है। करीब 3 करोड रुपये लागत आएगी जिसका टेंडर हो चुका है। टेंडर अभी खोले जाने हैं। एक्शन/कार्यकारी अभियंता का तबादला हो जाने से इस कार्य थोड़ा विलंब हुआ है। अब इस पर जल्द ही टेंडर खोलकर कार्य शुरू होगा।
कनिष्ठ अभियंता बताते हैं कि शिविर ट्रीटमेंट प्लांट का आधुनिकीकरण किया जा रहा है जिसमें करीब 40 कार्य पूर्ण हो गया है। इसके बाद यहां से एक 12 इंची पाइप द्वारा साफ किया हुआ जल पीपलवाली बड़ी तक ले जाया जाएगा। पीपलवाली बणी में जमा जल द्वारा किसान अपनी फसलों की पैदावार बढ़ा सकेंगे।  इस कार्य में थोड़ा सा विलंब हो रहा है परंतु जल्द ही इस कार्य को सिरे चढ़ाए जाने की उम्मीद है। अब देखा जाना है कि यह कार्य कब तक सिरे चढ़ता है। बहरहाल बारिश होने पर कनीना की हालात बदहाल में हो जाती है।
 फोटो कैप्शन 02: कालरवाली जोहड़
 03. सीवर ट्रीटमेंट प्लांट
04: होलीवाला जोहड़
05: जोहड़ के गंदे जल से सूखे खड़े पेड़।

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