शिव महापुराण कथा में शिव व सती का हुआ विवाह
--सात दिवसीय श्रीशिव महापुराण कथा के दूसरे दिन
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कनीना की आवाज। शुक्रवार को धोकलमल पार्क के मंदिर में महिला मंडल द्वारा सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन कथा में भगवान शिव और माता सती का विवाह प्रसंग सुनाया।
इस दौरान आचार्य प्रद्युम्न महाराज ने दूसरे दिन भगवान शिव और माता सती के विवाह को कथा सुनाते हुए कहा कि पुराणों के अनुसार भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक प्रजापति दक्ष कश्मीर घाटी के हिमालय क्षेत्र में रहते थे। प्रजापति दक्ष की दो पत्नियां थी, प्रसूति और वीरणी। प्रसूति से दक्ष की चौबीस कन्याएं जन्मी और वीरणी से साठ कन्याएं। राजा दक्ष की पुत्री सती की माता का नाम था प्रसूति। सती ने भगवान शिव से विवाह किया। रुद्र को ही शिव कहा जाता है और उन्हें को ही शंकर। पार्वती शंकर के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। पुत्र गणेश, कार्तिकेवय और पुत्री वनलता। जिन एकादश रूद्रों की बात कही जाती है वे सभी ऋषि कश्यप के पुत्र थे। उन्हें शिव का अवतार माना जाता था। मां सती ने एक दिन कैलाशवासी शिव के दर्शन किए और उनको भगवान शिव से प्रेम हो गया । लेकिन ब्रह्मा जी के समझाने उपरांत प्रजापति दक्ष की इच्छा से सती ने भगवान शिव से विवाह किया । दक्ष ने एक विराट यज्ञ का आयोजन किया लेकिन उन्होंने अपने दामाद और पुत्री को यज्ञ में निमंत्रण नहीं भेजा। फिर भी सती अपने पिता के यज्ञ में पहुंच गई। दक्ष ने पुत्री के आने पर उपेक्षा का भाव प्रकट किया और शिव के विषय में सती के सामने ही अपमानजनक बातें कही। सती बर्दाश्त नहीं कर पाई और इस अपमान की कुंठा वश उन्होंने वहीं यज्ञ कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। यह खबर सुनते ही शिव ने वीरभद्र को भेजा, जिसने दक्ष का सिर काट दिया। इसके बाद दुखी होकर सती के शरीर को बांहों में धारण कर शिव ने तांडव नृत्य किया। पृथ्वी समेत तीनों लोकों को व्याकुल देख कर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र द्वारा सती के शरीर के टुकड़े करने शुरू कर दिए। इस तरह सती के शरीर का जो हिस्सा और धारण किए आभूषण जहां जहां गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आ गए। इस दौरान सोमवती महिला मंडल प्रधान, सुमित्रा, सविता, कमलेश, सोमती, परमेश्वरी देवी, बनारसी, बिमला, सुशीला, सुनीता सबिता, लाली, मूर्ति सहित अन्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 08: सात दिवसीय श्री शिव पुराण कथा में आचार्य प्रद्युम्न प्रसंग सुनाते हुए।
वार्षिक उत्सव एवं प्रमाण पत्र वितरण समारोह 20 अगस्त को
-अभय सिंह यादव होंगे मुख्य अतिथि
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कनीना की आवाज। सेवा भारती हरियाणा प्रदेश शाखा कनीना का वार्षिक उत्सव एवं प्रमाण पत्र वितरण समारोह 20 अगस्त को आर्य समाज मंदिर कनीना में आयोजित होगा जिसमें मुख्य अतिथि अभय यादव विधायक नांगल चौधरी रहेंगे वहीं अध्यक्षता सुभाष डागर जिला संघ संचालक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महेंद्रगढ़ होंगे वहीं मुख्य वक्ता कमल सर्राफ प्रांतीय अध्यक्ष सेवा भारती होंगे।
विस्तृत जानकारी देते हुए श्याम सुंदर महाशय ने बताया कि सिलाई कढ़ाई के दूसरे बैच के पूरा होने पर उन्हें सर्टिफिकेट वितरित किये जाएंगे। आर्य समाज भवन में जहां ऊपर सिलाई कढ़ाई सेंटर चलता है वही नीचे पहली मंजिल में मरीजों की निशुल्क सेवा की जाती है। अब तक 60 हजार मरीजों की सेवा की जा चुकी है।
विश्व फोटोग्राफी दिवस 19 अगस्त
ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफी के रूप में जाने जाते हैं अनेक फोटोग्राफर
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कनीना की आवाज। 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जा रहा है जो दुनिया की सबसे पहले कैमरा बनाने वाले डुगरी को याद करने के लिए मनाया जाता है जिसने सबसे पहले अपने कैमरे से फोटो ली थी। संसार की वह पहली फोटो मानी जाती है। एक फोटो लाखों शब्दों का कार्य कर सकती है। आज भी फोटोग्राफर की मांग होती है चाहे विज्ञान ने कितने ही उच्च दर्जें के कैमरे बना लिये हो परंतु परंतु ब्लैक एंड व्हाइट कैमरे को आज भी याद किया जाता हे।
क्षेत्र के आसपास के पुराने फोटोग्राफर आज भी उन दिनों को याद करते हैं। जब ब्लैक एंड व्हाइट फोटो बनाई जाती थी। कनीना के दो फोटोग्राफरों से बात की। इन्होंने अपने पुराने समय को याद कर कहा कि वह जमाना अजब जमाना था जब ब्लैक एंड व्हाइट फोटो का ही प्रचलन होता था।
कनीना के सुमेर सिंह जो करीब 40 साल पहले फोटोग्राफी का काम करते थे। वर्तमान में वे फोटोग्राफी का काम नहीं करते, समाज सेवा में जुटे हुए हैं किंतु जब उनसे फोटोग्राफी के बारे में जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने समय में सबसे ज्यादा कार्य ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफी का किया है। उस जमाने में जब फोटोग्राफर की अधिक मांग होती थी केवल फोटोग्राफी ब्लैक एंड व्हाइट होती थी जिसको बनाने में लंबा समय लगता था। आजकल तो एक क्लिक में ही फोटो बाहर आ जाती है किंतु उस जमाने की बात करते हैं जब फोटो बनाने के लिए कुछ घंटे की जरूरत होती थी। बेहद जटिल प्रक्रिया थी। कई प्रक्रियाओं से गुजर कर का फोटो तैयार होती थी। ऐसे में फोटो मांगने वालों को अगले दिन का समय दिया जाता था। वो कहते हैं फोटोग्राफी बहुत कुछ बोलती है। चाहे उसे पर शब्द नहीं लिखा लेकिन बेजुबान होते हुए भी हजारों शब्दों जैसा वार करती है। ऐसे में उन्होंने कहा कि उसे महान फोटोग्राफर जिसने सबसे पहले कैमरा बनाया उसको नमन है, जिनके आधार पर आज डिजिटल फोटोग्राफी आ गई है।
मनोज कुमार फोटोग्राफर का कहना है कि चाहे आज उन्नत दर्जे के कैमरे आ गये है किंतु आज भी जब पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट फोटो देखते हैं तो उसे जमाने में खो जाते हैं। इसके लिए अलग से फोटोग्राफी प्लेट की जरूरत होती थी। फोटोग्राफी सीट अंधेरे में ही रखी जाती थी। सारा कार्य अंधेरे में होता था क्योंकि बाहर आते ही फोटोग्राफिक प्लेट खराब हो जाती थी। ऐसे में बड़ी सावधानी रखकर ही फोटो बनाई जाती थी। उस जमाने की फोटोग्राफी आज की तुलना में बहुत अधिक मेहनत मांगती थी। आज तो हर मोबाइल में भी बेहतर दर्जे का कैमरा लगा होता है किंतु किसी जमाने में फोटो की संपूर्ण प्रक्रिया कैमरे पर निर्भर होती थी वह जमाना स्वर्णिम युग था।
फोटो कैप्शन: मनोज कुमार, सुमेर चेयरमैन
विश्व मानवतावादी दिवस 19 अगस्त
आज भी समाज में आवश्यकता है समाजसेवियों की
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कनीना की आवाज। विश्व मानवतावादी दिवस उन लोगों को समर्पित है जो देश के लिए जान गंवाने को भी तैयार रहते हैं तथा दूसरों की सेवा के लिए हर प्रकार से तैयार मिलते हैं। समाज सेवा में उनका हम योगदान होता है। ऐसे लोग कभी धन दौलत की चिंता नहीं करते अपितु बेहतर परिणाम की चिंता करते हैं। कनीना क्षेत्र के कुछ समाजसेवियों से बात की गई जिन्होंने अपने-अपने विचार व्यक्त किए।
कनीना के प्रसिद्ध समाज सेवा भगत सिंह का कहना है कि इंसान की जिंदगी पल दो पल की होती है। ऐसे में यदि वह अच्छे काम करे, देश खातिर समर्पित भाव से काम करेगा तो निश्चित रूप से नाम पाएगा, वरना मरने के बाद कोई उसका नाम नहीं लेगा। उन्होंने कहा कि जनहित सबसे बड़ा धर्म है, सेवा है। कनीनाभगत सिंह का समाज सेवा दान पुण्य से कार्यों में विशेष नाम है। उनकी सेवाएं लोग याद कर खुश हो जाते हैं। हर समय वो उठते बैठते बस समाज सेवा का ध्यान रखते हैं। भगत सिंह का कहना है कि जब इंसान को जीवन मिला है तो दूसरे का हित क्यों नहीं करता है? सदा ही दूसरी हित की बात क्यों नहीं सोचता? दूसरे के हित में ही अपना हित छुपा होता है। उन्होंने कहा कि समाज सेवा सबसे बड़ा धर्म है, अपने घर परिवार से दूर रहकर भी लोग समाज सेवा में जुटे रहते हैं। उन्हीं का एक दिन नाम होता है।
उधर कनीना के समाजसेवी राजेंद्र सिंह सदा जनहित कार्यों में लगे रहते हैं। सरकार से अभयारण्य की खोलने की भी मांग कर चुके हैं लेकिन अभ्यारण अभी तक नहीं खुला है। देसी जड़ी बूटियां, औषधीय फल और सब्जियां जाकर लोगों की सेवा करने में अग्रणी माने जाते हैं। अपने ट्यूबवेल पर रहते हैं तथा सदा पेड़ पौधों पर प्रयोग करते रहते हैं। वे देशी फल सब्जियां कर उनका फल सब्जियों को मुफ्त में लोगों तक पहुंचाते हैं। एक वक्त था जब लौकी का जूस पीने की मरीजों को बताया हुआ था। कैंसर के मरीज भी उनके पास आते रहते थे ताकि देशी लौकी का जूस पिया जा सके। उनका कहना है कि भगवान ने इंसान बनाया है तो इंसानियत के नाते दूसरे की सेवा करें। उनका कहना है कि इंसान की जान भी चली जाए किंतु दूसरे के हित की बात सदा सोचनी चाहिए। दूसरे का अहित करने वाला एक दिन नरक में जाता है और लोग उसे भुला देते हैं। उनका कहना है कि देश में यदि वीर, शहीद, जवान नहीं होते तो देश आजाद नहीं होता। देश के प्रति उनके समर्पण भाव के चलते ही देश आजाद हुआ है ऐसे में हमें सदा जनहित की बात सोचनी चाहिए।। अपने हित की बात तो सभी सोचते हैं। ऐसे में उन्होंने समाज सेवा में तल्लीन रहने की बात कही।
फोटो कैप्शन: भगत सिंह तथा राजेंद्र सिंह
हरियाली तीज का विशेष सामाजिक महत्व-राजेश
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कनीना की आवाज। हरियाली तीज का सावन मास का प्रमुख त्योहार है और इसका हरियाणा की लोक संस्कृति मे विशेष महत्व है यह कहना शिक्षक व समाज सेवी, स्वतंत्रता सेनानी उतरधिकारी राजेश उन्हाणी का। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि यह त्यौहार पूरे प्रदेश में परम्परागत ढंग से मनाया जाता है अलग-अलग स्थानों पर महिलाओं ने अपने तरीके से तीज के त्यौहार को मनाती है। अनेक महिलाएं अपने अपने अंदाज में तीज का त्यौहार नाच गाकर झूला झूल कर मनाती है
राजेश उन्हाणी का कहना है कि हरियाणा में तीज के त्यौहार पर झूले झूलने के साथ-साथ महिलाएं लोकगीत भी गाती हैं। वहीं तीज का त्यौहार न सिर्फ गाँवों में बल्कि शहरों में भी झूले डालने की तैयारियाँ सावन लगते ही शुरू हो जाती हैं। इस त्यौहार पर बरसात का मौसम अपने चरम पर होता है और प्रकृति में सभी और हरियाली होती है जो इसकी खूबसूरती को दुगुना कर देती है इसी कारण से इस त्यौहार को हरियाली तीज भी कहते हैं।
तीज को लेकर कामकाजी महिलाओं के उत्साह में कोई कमी नहीं होती है। हर कोई अपने परिवार में ही इस त्यौहार को मनाता है। सावन के मौके पर अनेक स्थानों पर झूले सजते हैं और महिलाएँ झूला भी झूलती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले इन त्यौहारों को मनाने के लिए वक्त की कोई कमी नहीं थी। इस त्योहार पर महिलाओं के मायके से ससुराल में कोथली ले जाने की भी परंपरा है जिसमें भाई अपनी बहन के लिए मेहँदी चूडिय़ाँ मीठी सुहाली घेवर और मिठाइयाँ आदि लेकर जाते हैं जिसके आने का बहन को भी बेसब्री से इंतजार रहता है। इस मौके पर सास भी अपनी बहुओं को सिंधारा देती हैं जिसके लिए तैयारियाँ कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं।
वहीं अंत मे राजेश उन्हाणी ने तीज के त्योहार की फीकी पड रही रीति रिवाज पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज हमारी संस्कृति कही न कही लुप्त होती जा रही है। इस संस्कृति को बचाने के लिए सभी को आगे आना चाहिए ताकि हमारे तीज त्योहारों के मनाने की चमक दमक बरकरार रहे।
फोटो साथ है
महिलाओं को समर्पित है तीज एवं सिंधारा
-जमकर चलती है पतंगबाजी
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कनीना की आवाज। कनीना में 19 अगस्त को तीज का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व महिलाओं को समर्पित है तथा पतंगबाजी का हुल्लड़ चला। कनीना के कई गांवों में तीज के पर्व पर मेले लगते हैं। चहुं ओर हरियाली का द्योतक तीज पर्व है।
कनीना में शनिवार को हरियाली तीज का पर्व मनाया गया। इन दिनों घेवर की मिठाई खाने की रिवाज है। उधर हरियाली तीज के दिन पूरा दिन पतंगबाजी का शोर सुनाई पड़ता रहा। छतों पर युवा, बच्चे एवं बुजुर्ग वो मारा, वो काटा करते रहे। जहां पतंगबाजी के लिए बहुत से लोग पतंग उड़ाने व पतंग की डोर को काटने का मजा ले रहे थे तो कुछ कट कर जाने वाले पतंग का लुत्फ उसे दूर से पकड़कर लाने में उठा रहे थे।
हरियाली तीज के पर्व पर मेले का आयोजन किया गया। इस पर्व को तीज मेला नाम से जाना जाता है। नगरपालिका के पास इस मेले का आयोजन लंबे समय से होता आ रहा है।
यह पर्व किसान भी मनाते है क्योंकि फसल लहलहा रही है। लहलहाती फसल को देखकर किसान प्रसन्न हो रहे हैं। किसानों की फसल खेतों में खड़ी है।
महिलाओं को समर्पित हरियाली तीज -
जहां अच्छी फसल होने की खुशी में हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है वही यह पर्व महिलाओं को समर्पित है। हरियाली तीज से 1 दिन पहले सिंधारा पर्व आता है वही तीज का पर्व आता है। दोनों ही पर्व पर जहां महिलाओं को याद किया जाता है, विशेषकर विवाहित लड़कियों को उनके घर भाई या पिता पहुंचकर दान देकर आता है। विशेषकर घेवर की मिठाई दी जाती है। जिन्हें आसपास घरों में बांटकर खाया जाता है। वास्तव में इस दिन पींग पर झूलने की प्रथा है। वैसे तो पूरे सावन माह में ही पींग पर झूला जाता है किंतु इस दिन विशेष आकर्षण का केंद्र पींग होती है।
जंगलों में नृत्य करते मोर, बारिश का शोर तथा पतंग उड़ाने वालों की ध्वनि स्पष्ट सुनाई पड़ती है। जहां अब तक बम बम भोले का शोर सुनाई देता था उसकी जगह वो काटा वो मारा का शोर सुनाई पड़ता है। पर्व खुशियां लेकर आता है। बारिश अच्छी होने पर तो खुशियां और भी बढ़ जाती हैं।
श्रीअन्न पर आयोजित हुई संमिनार
-मॉडल संस्कृति स्कूल कनीना की छात्रा यशी रही प्रथम
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कनीना की आवाज। राजकीय कन्या उच्च विद्यालय कनीना में खंड स्तरीय विज्ञान सेमिनार का आयोजन किया गया जिसका विषय श्री अन्न एक मूल्य वर्धित पौष्टिक आहार अथवा भ्रांति रखा गया था। एससीईआरटी गुरुग्राम द्वारा आयोजित इस सेमिनार का शुभारंभ खंड शिक्षा अधिकारी विशेश्वर कौशिक ने किया उन्होंने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय पौष्टिक आहार पुराने जमाने में सर्वश्रेष्ठ था जिसमें मोटा अनाज खाना शरीर को पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करता था लेकिन वर्तमान पाश्चात्य संस्कृति का खानपान सेहत का बंटाधार कर रहा है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी दिलबाग सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि विद्यार्थियों को इस प्रकार की प्रतियोगिताओं में आगे बढ़ चढ़कर भाग लेना चाहिए जिससे उनमें प्रतियोगिता की भावना पैदा होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के मुख्याध्यापक नरेश कुमार कौशिक ने की तथा बताया कि श्री अन्न भगवान को याद करके ग्रहण किया जाता है लेकिन आज कीटनाशकों ने पूरी फसलों को तबाह कर दिया है तथा आए दिन भयंकर बीमारियां इससे हो रही है। आज हुई सेमिनार के नतीजे इस प्रकार रहे प्रथम स्थान मॉडल संस्कृति स्कूल कनीना की छात्रा यशी को को दूसरा स्थान बीआर ज्ञानदीप स्कूल सुरजनवास की तमन्ना को तथा तीसरा स्थान एसडी स्कूल ककराला की कुमारी तमन्ना तथा आरपीएस स्कूल कनीना कि अंकिता को संयुक्त रूप से मिला निर्णायक की भूमिका बुचावास के प्रवक्ता सूबे सिंह चौहान, कनीना के नतिन मुदगिल तथा भोजावास की प्रवक्ता सरिता ने निभाई। आज की प्रतियोगिता में खंड के 20 प्राइवेट में सरकारी स्कूलों ने भाग लिया। खंड स्तर की विजेता टीम में जिला स्तर पर शिरकत करेंगे।
आज की सेमिनार में वरिष्ठ शिक्षक संदीप कुमार, शालिनी प्रधान, राजेश शास्त्री, प्रवक्ता तरुण यादव, बाघोत के प्राचार्य हनुमान गोयल ,कैमला के मुख्य अध्यापक वीरेंद्र जांगिड़ ,शिक्षक मनवीर तवर ,संतोष यादव धनौंदा, कंप्यूटर शिक्षक शीतल चौहान ,रामगोपाल यादव ,प्रवक्ता स्नेह लता शर्मा सहित अनेक विद्यालयों के शिक्षक व अभिभावक उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 07: बीइओ कनीना संबोधित करते हुए।
भीषण गर्मी में 159वें दिन जारी रहा धरना जारी
-ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर हैं बैठे
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए ग्रामरीण 159वं दिन भी अनिश्चितकालीन धरने पर हैं। धरने की अध्यक्षता हंस कुमार सेहलंग ने की।
धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष चेयरमैन विजय सिंह ने बताया कि गर्मी भी है,उमस भी है और सड़क से वाहन गुजरते हैं तो धूल के गुब्बार उडऩे से धरना स्थल पर बैठे लोगों की हालत खराब हो जाती है। भारत सरकार के द्वारा जब से यह आश्वासन दिया गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम जल्द शुरू हो जाएगा, लोग खुश हैं और उन्हें गर्मी और धूल मिट्टी की कोई परवाह नहीं है।
संघर्ष समिति के संयोजक पहलवान रणधीर सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट न होने के कारण यात्रियों को 30 किलोमीटर ज्यादा घूम कर आना पड़ता है। कट बनने से ये सभी परेशानियां दूर हो जायेंगी।
संघर्ष समिति के सदस्य डॉ लक्ष्मण सिंह और पहलवान धर्मपाल सिंह ने बताया कि धरना स्थल पर कोई भी आदमी आता है, उनके मुंह से सबसे पहले यही शब्द निकलते हैं कि आपकी मांग जायज है और यह कट भारत सरकार के द्वारा जल्दी से जल्दी बनाना चाहिए। जब तक कट शुरू नहीं होगा तब तक हमारा धरना जारी रहेगा।
इस मौके पर मास्टर विजयपाल , नरेंद्र शास्त्री छिथरोली, मुंशी राम, सूबे सिंह पंच, बाबूलाल, रघुवीर पंच , प्रधान कृष्ण कुमार, सीताराम , मास्टर रमेश कुमार, मास्टर विजय सिंह, पंडित मांगेराम, भोले राम साहब, सूबेदार हेमराज, मास्टर विजय सिंह, वीरेंद्र सिंह, सूबे सिंह, रामकुमार, दाताराम, रामभक्त,मनोज कुमार कऱीरा , सुरेंद्र सिंह, धर्मवीर सिंह, मनोज,ओम, प्यारेलाल , मास्टर विजय सिंह, वेद प्रकाश , शेर सिंह व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 06: ग्रामीण कट के लिए धरने पर बैठे हुए।
बाजरे की लावणी शुरू,मजदूर न मिलने के कारण किसान खुद कर रहे हैं कटाई
-अगस्त माह में कटाई का काम पूरा होने की उम्मीद
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कनीना की आवाज। हरियाली तीज चारों और हरियाली का सूचक होती है किंतु पर्व आने से पहले ही अब किसान बाजरे की लावणी में लग गए हैं। जोर शोर से बाजरे की लावणी शुरू हो गई है। किसान अगस्त महीने में बाजरे की लावणी करके पैदावार घरों में डालना चाहते हैं। दूसरे राज्यों से कम मजदूर आने के कारण किसान स्वयं ही लावणी कर रहे हैं। वैसे भी मजदूर प्रतिदिन कम से कम 500 रुपये लेता है जिसके आधार पर लावणी करवाना बहुत कठिन है।
किसान वेदप्रकाश ने लावणी करते हुए बताया कि उसका पूरा परिवार की लावणी कर रहा है। विगत वर्ष मजदूरों से लावणी करवाई गई थी और 5000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से खर्चा आया था। इस बार दूसरे प्रदेशों से आने वाले मजदूर अभी तक नहीं आए हैं, हो सकता है कि भविष्य में मजदूर इस क्षेत्र में आ जाए परंतु वर्तमान समय में बाजरे की कटाई शुरू हो गई है और किसान स्वयं कटाई कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि इस बार 28 मई को बिजाई शुरू हो गई थी जो अब लावणी आ गई है। किसान अपने दम पर ही लावणी कर रहे हैं। मौसम विभाग सितंबर महीने के प्रारंभ में फिर से बारिश की चेतावनी दे रहा है जिसके चलते भी किसान चाहते हैं कि उनकी बाजरे की पैदावार अगस्त महीने में ले ली जाए। यद्यपि बचे हुए अगस्त महीने में जहां रक्षाबंधन और तीज जैसे पर्व आते हैं। इन पर्वों पर जमकर खुशियां मनाई जाती है।
फोटो कैप्शन 05:लावणी करते किसान
उपमंडल कनीना में एक दर्जन गांवों में नहीं हुई वर्षा
-फसल सूखी, बाजरे के भुट्टे टूट कर खेतों में गिरे
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कनीना की आवाज। बेशक कुछ गांवों में अच्छी बारिश हुई है जिससे बाजरे की फसल को अधिक बारिश से नुकसान हुआ है किंतु जब फसल पकने पर पहुंच गई तब बारिश न होने से करीब एक दर्जन गांवों में फसल सूख गई है। किसानों ने बताया की फसल सूख जाने से बाजरे के भुट्टे स्वयं टूट कर गिर गए हैं। किसान मायूस हैं तथा चारा जरूर प्राप्त होगा किंतु पैदावार प्राप्त नहीं होगी।
किसानों को विश्वास था कि यह फसल पकने लगेगी उस समय बारिश हो जाएगी किंतु बारिश नहीं हुई जिसकी चलते कुछ किसानों ने अपनी फसल की सिंचाई करके बचा लिया है। वहीं एक दर्जन भर गांवों में किसानों की फसल सूख गई है और बेचारे आज मायूस है, उनके बाजरे के बूते भी खेतों में टूट कर गिर गए हैं।
कृष्ण कुमार, महिपाल सिंह, निरंजन सिंह, दिनेश, सुरेश आदि ने बताया कि फसल पकान के अंतिम समय बारिश न होना उनके लिए दुखदाई साबित हुआ है। फसलों में भारी नुकसान हुआ है। किसान अब बाजरे की फसल की कटाई में लग गये हैं।
फोटो कैप्शन 04: बाजरे की सूखने जा रही फसल।किसान।
कनीना की एकता का
हुआ एसआई में चयन, क्षेत्र में खुशी का माहौल
-कड़ी मेहनत का परिणाम है इस पद तक पहुंचना
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कनीना की आवाज। कनीना के राजकुमार उर्फ राज मोहल्ला धन्निका कनीना की पुत्री एकता का एसआई के लिए चयन हो गया है। विस्तृत जानकारी देते हुए मोहन कुमार पूर्व पार्षद तथा राज कुमार उर्फ राज ने बताया की एकता ने एसएससी के तहत परीक्षा दी थी जिसके बाद उनका मेडिकल हुआ है। अब उसके अंतिम चयन हो गया है जिसकी सूचि जारी कर दी गई है। क्षेत्र में इस बात को लेकर खुशी का माहौल है।
उन्होंने बताया कि एकता 10 + 2 की परीक्षा जीआर स्कूल से पास की वही दिल्ली यूनिवर्सिटी के तहत गार्गी कॉलेज से बीएससी की परीक्षा पास की। घर पर ही कड़ी मेहनत करती रही। कोसली सड़क मार्ग पर जल्दी सुबह रेस लगाती थी और जी जान से मेहनत करती थी जिसके परिणामस्वरूप अब उनका चयन हो गया है। उनके चयन पर बधाई देने वालों का तांता लग गया है। बधाई देने वालों में विजयपाल चेयरमैन,मोहन सिंह पूर्व पार्षद, महेश बोहरा, राज सिंह, सतवीर सिंह, दिलीप सिंह, रमेश, गिरधारी, रामकिशन सरपंच, अमर सिंह, मुकेश कुमार, सुरेंद्र सिंह आदि प्रमुख है।
फोटो कैप्शन: एकता
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