Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Sunday, September 25, 2022

 सैनिक सम्मान के साथ किया जवान का अंतिम संस्कार
-एसडीएम कनीना सहित भारी संख्या में गणमान्य जन थे उपस्थित
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कनीना की आवाज। उपमंडल के गांव सुंदरह के भारतीय सेना की 16 कुमाऊं रेजिमेंट में कार्यरत जवान का गांव में पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। जवान करण सिंह यादव भारतीय सेना में कार्यरत थे तथा कमांडो की ट्रेनिंग के दौरान पानी में डूबने से उनकी मौत हो गई। उनकी यूनिट से आए नायब सूबेदार केवलानंद कांडपाल ने बताया कि जवान करण सिंह यादव कमांडो की कोर्स कर रहा था। 23 सितंबर को दोपहर करीब 3 बजे पानी में छलांग लगाते समय डूबने से इनकी मौत हो गई।
शहीद जवान करण सिंह यादव का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सेना की तरफ से आई टुकड़ी ने शस्त्र सलामी देकर शहीद को अंतिम विदाई दी इस मौके पर प्रशासन और राजनीति और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े हुए बड़ी संख्या में लोग भी शहीद को अंतिम सलामी देने पहुंचे। शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में आसपास के क्षेत्र के लोग भी मौजूद रहे। इस मौके पर प्रशासन की तरफ से कनीना एसडीएम सुरेंद्र सिंह कनीना सदर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर ब्रह्म प्रकाश ने भी जवान को पुष्प चक्र अर्पित कर सलामी दी।
जवान को श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में पूर्व विधायक अनीता यादव, पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह, अटेली विधायक सीताराम यादव के पुत्र प्रवीण कुमार, सत्यवीर झूकिया,  ठाकुर अतरलाल, एडवोकेट सत्यनारायण यादव, समाजसेवी रविंदर गागडवास,संदीप बचीनी, अशोक नावदी, दयाराम प्रधान, रिटायर्ड सूबेदार मुन्नीलाल सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
इससे पहले गांव के सैकड़ों युवाओं की तरफ से जवान करण सिंह यादव के सम्मान में कनीना से गांव तक बाइक तिरंगा यात्रा निकालकर सम्मान दिया गया। इस बाइक रैली में गांव और आसपास के सैकड़ों की संख्या में युवा कनीना में अटेली टी पॉइंट पर एकत्रित होकर शहीद के पार्थिव शरीर को ले जाने वाले सेना के वाहन के साथ रैली के रूप में चलते हुए गांव तक पहुंचे।
हिसार कैंट से आई हुई सिख रेजीमेंट की टुकड़ी ने जवान को शस्त्र सलामी दी।
23 वर्षीय जवान करण सिंह यादव 2017 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे तथा वर्तमान में बेलगांव महाराष्ट्र में कमांडो ट्रेनिंग कर रहे थे।
शहीद करण सिंह यादव के पिता ने जानकारी देते हुए बताया कि करण सिंह बीआरओ दादरी सेंटर से भर्ती हुआ था । 2020 में उसकी शादी हुई थी अभी उसके कोई संतान नहीं है।
 उपमंडल के गांव सुन्दरह से 16 कुमाऊं रेजीमेंट में कार्यरत 24 वर्षीय जवान शहीद कर्ण सिंह का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
इस बारे में जानकारी देते हुए मृतक के पिता प्रदीप कुमार ने बताया कि कर्ण सिंह रानीखेत 16 कुमाऊं रेजीमेंट में 21 मार्च 2017 को भर्ती हुआ था। जिसकी शादी 25 नवम्बर 2020 को रिंकू के साथ हुई थी। इस समय वह बेलगांव महाराष्ट्र में तैराकी में कमांडो का कोर्स करने के लिए गया हुआ था जहां पर तैराकी के दौरान उसकी मौत हो गई।
उनका पार्थिव शरीर शनिवार शाम को हवाई माध्यम से दिल्ली लाया गया। रात्रि को सेना अस्पताल में रखकर रविवार को उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव सुन्दरह में पहुंचा। जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। शहीद कर्ण सिंह के कोई संतान नहीं है। वह अपने पीछे माता-पिता व दो बहनों को छोड़कर गए। शुक्रवार दोपहर तीन बजे परिवार को उनके शहीद होने की सूचना मिली थी। परिवार का दो दिनों से रो-रो कर बुरा हाल हो चुका है।  उनके पिता खेती बाड़ी का कार्य करते है।
 सुंदरह गांव के शहीद भारतीय सेना के जवान कर्ण सिंह के अंतिम संस्कार में प्रजा भलाई संगठन के अतरलाल एडवोकेट ने कार्यकर्ताओं के साथ भाग लेकर शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि भेंट की। उन्होंने कहा कि शहीद कर्ण सिंह बहुत ही होनहार, कर्तव्य परायण, जांबाज युवा सैनिक थे। उनके निधन से भारतीय सेना के साथ-साथ इलाके को भी अपूरणीय क्षति हुई है।
फोटो कैप्शन: कर्ण सिंह फाइल फोटो
फोटो कैप्शन 01 व 02: शहीद को सलामी देती पुलिस एवं अन्य जन।







प्रकृति की मार झेल मन मसोसकर रह जाते किसान
-60 फ़ीसदी बाजरे की फसल हुई बर्बाद
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कनीना की आवाज। प्रकृति की नियति के समक्ष किसान, हर वर्ष प्रकृति प्रकोप झेल मन मसोस कर रह जाते हैं। सरकार से मुआवजा मांगने के अलावा अब उनके पास कोई चारा नहीं बचा है। किसान बेहद परेशान हैं। अपने घर गुजारा चलाने के लिए अधिकांश किसान फसल पैदावार पर निर्भर करते हैं।
 किसान सूबे सिंह, राजेंद्र सिंह, अजीत कुमार, कृष्ण कुमार आदि ने बताया कि उन्होंने इस बार बड़ी आशा के साथ बाजरे की बिजाई की थी, जब फसल पककर तैयार हो गई तो बेमौसम की बारिश ने 60 फीसदी फसल को तबाह कर दिया है। यहां तक कि चारा भी इस काबिल नहीं बचा कि पशुओं को चराया जा सके, वह भी खराब हो चुका है। खेतों में काट कर डाली गई सिट्टी अंकुरित हो गई है, बच गया वह भी बाजरा काला पड़ गया है। एक और सरकार बाजरे की खरीद नहीं कर रही है वहीं अब जब बाजरा बेचने के लिए किसानों को दुकानदारों के समक्ष कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। वास्तविकता यह है कि बाजरा खाने योग्य नहीं रह पाया। वैसे तो राजस्थान, गुजरात और हरियाणा के बहुत से लोग बाजरे को प्रमुख आहार के रूप में प्रयोग करते हैं। वही करीरा के महाबीर सिंह प्रगतिशील किसान बाजरे पर आधारित अनेक खाद्य पदार्थ तैयार करते हैं। उनके लिए भी अब समस्या पैदा हो गई है।
 किसानों से इस संबंध में चर्चा की तो उन्होंने बताया कि हर वर्ष कभी पाला, कभी सूखा, कभी बारिश, कभी ओलावृष्टि, कभी आंधी, कभी तूफान तो कभी अन्य प्राकृतिक आपदा, रोग आदि फसल को तबाह कर जाते हैं। हर वर्ष जब फसल पक कर तैयार हो जाती है उस वक्त कोई ना कोई आपदा आ ही जाती है जिसके चलते उनकी सभी आशाओं पर पानी फिर जाता है। किसान अपने घर गुजारा करने के लिए फसल उगाता है उसी पर सारे कार्य विवाह शादी तथा घर परिवार के खाना, अन्य खर्चे इसी से प्राप्त करता है किंतु कृषि पर आधारित किसान इस वर्ष इस प्रकार मायूस होकर हो जाता। उसके सामने कोई विकल्प नजर नहीं आता। किसानों ने बताया कि कुछ कंपनियों ने उनका बीमा भी किया हुआ है अगर बीमा राशि समय पर मिल जाए तो उनका गुजारा चल जाएगा वरना बीमा कंपनियों के पीछे चक्कर काटने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। बहरहाल कनीना क्षेत्र में 70 एमएम बारिश 5 दिनों में हुई जिसमें किसानों की आंखों में आंसू ला दिए हैं। सरकार से बार-बार मुआवजा की मांग उठ रही है। अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि उनकी मुआवजे की राशि गिरदावरी करवाकर प्रदान करता है या अन्य कोई विकल्प अपनाता है। किसानों की नजरें अब सरकार और बीमा कंपनियों पर टिक गई है।





दीवारों पर बना दी है सांझी
-पूरे 9 दिन नवरात्रों में चलने वाला पर्व है सांझी
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कनीना की आवाज। ग्रामीण बच्चों का सांझी पर्व पितृ अमावस्या से शुरू हो गया है। दीवारों पर गोबर, चूड़ी, कपड़ा एवं चमकीले पदार्थों सांझी स्थापित कर दी गई है। इसको 9 दिन बच्चे गीत गाकर रिझाएंगे और विजयदशमी के दिन उसे जल में प्रवाहित कर देंगे। जिस प्रकार गणेश विसर्जन होता है उसी प्रकार सांझी का विसर्जन किया जाता है पर इस कार्य में बच्चे अहम भूमिका निभाते हैं ,बड़े उनकी मदद करते हैं। छोटे-छोटे बच्चे विशेष का 10-12 वर्ष के बच्चे सांझी पर्व में भाग लेते हैं। मिलकर प्रत्येक घर से बारी बारी मीठा खाना बनवाते हैं, गीत गाकर सांझी को सुनाते हैं और फिर प्रसाद बांटते हैं। वास्तव में सांझी मां दुर्गा के नौ रूपों का ही एक प्रतीकात्मक रूप है। इसे दीवार पर सजा कर उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। विजयदशमी के दिन दीवार से उतारकर किसी मटकी में डालकर उसे जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। सांझी को ग्रामीण बोलचाल की भाषा में सिंझा कहते हैं।




शहीद सुजान सिंह की बरसी 26 सितंबर को मनाई जाएगी
--जलूरा शौर्य दिवस मनाया जाएगा
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कनीना की आवाज।  जिला महेंद्रगढ़ के कनीना कस्बा के अशोक चक्र से सम्मानित शहीद सुजन सिंह ने शांति के समय में अपने प्राणों की आहुति देकर कई देशद्रोहियों को मार गिराया था। उनकी बरसी 26 सितंबर को कनीना में बाबा मोलडऩाथ आश्रम के सामने मनाई जा रही है। शहीद के परिजन सुरेंद्र कुमार ने बताया कि इस  मौके पर हवन भी आयोजित किया जाएगा। विगत कई वर्षों से उनकी बरसी मनाई जाती आ रही है। उनकी बहादुरी पर राष्ट्रपति द्वारा मरणोपरांत अशोक चक्र से उनकी पत्नी कौशिल्या देवी को प्रदान किया था।
  उन्होंने बताया कि 26 सितबर को जलूरा शौर्य दिवस मनाया जाएगा। शहीद सुजान सिंह की 28वीं बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कर्नल ओपी यादव सेवानिवृत्त एवं संरक्षक रेजांगला शौर्य समिति होंगे वहीं अध्यक्षता कर्नल रणबीर सिंह करेंगे। इस मौके पर एसडीएम सुरेंद्र सिंह, डीएसपी रणबीर सिंह, कर्नल गोपाल सिंह, कर्नल रणबीर सिंह,कमांडर वीएम त्यागी आदि भी उपस्थित रहेंगे।
  फोटो कैप्शन: शहीद सुजान सिंह।





4 गौशालाओं में समाजसेवी भगत सिंह ने डाला एक लाख रुपये का बाजरा
-55 क्विंटल बाजरा गौशालाओं में दिया दान
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कनीना की आवाज। जहां प्रदेश में बहुत सी गौशालाओं में चारे पानी का टोटा बना हुआ है और गौशाला चलाने वाले गो भक्त दर-दर की ठोकरें खाने पर विवश हैं वही कस्बे के एक समाजसेवी भगत सिंह द्वारा कनीना की निकटवर्ती गौशालाओं भोजावास, बूचावास कनीना तथा धनौंदा गौशाला के अलावा ब्रह्मचारी कृष्णानंद धाम पर पक्षियों के लिए दाने चुग्गे की व्यवस्था कराई है। इससे लगता है कि गौ भक्तों की आज भी कहीं कमी नहीं है। समाजसेवी भगत सिंह ने बताया कि कनीना एवं समीपी गौशालाओं में लगभग एक लाख रुपये का बाजरा डलवा कर गौ माताओं की सेवा की है ताकि उनको समय पर सही खाना मिल सके। उन्होंने यह भी बताया इससे पहले भी उनके द्वारा समय-समय पर गौशालाओं में बोरिंग कराना, टीन सेट शेड लगाना तथा  चारे की व्यवस्था कराना इनका मुख्य कार्य रहा है। उन्होंने पितृ पक्ष की श्राद्ध अमावस्या/पितृ विसर्जन अमावस्या पर एक लाख रुपये का बाजरा विभिन्न गौशालाओं में दान दिया है।
फोटो कैप्शन: भगत सिंह समाजसेवी।




एक अच्छी नर्सरी पृथ्वी को हरा भरा बनाने में मददगार होती है साबित-अजय
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 कनीना की आवाज। एक अच्छी नर्सरी पृथ्वी को हरा भरा बनाने में मददगार साबित हो सकती है। अगर लोगों को अच्छी गुणवत्ता के पेड़ पौधे मिले तो लोगों का रुझान पेड़ों की तरफ बढ़ेगा। अगर बढिय़ा किस्म  के पेड़ पौधे लोगों को उपलब्ध कराये जाए, तरह-तरह के फलदार छायादार व औषधीय पौधे लोगों को आसानी से मिल सके, इसके लिए एक अच्छी नर्सरी का योगदान इलाके में बहुत बड़ी सफलता का कारण बन सकता है। धरती को हरा-भरा बनाकर, बचाना है तो अच्छी नर्सरी का योगदान जरूरी होगा। नर्सरी का योगदान उतना ही जरूरी है जितना कि मां बाप अपने बच्चों का पालन पोषण करते हैं। ये विचार है नर्सरी चलाने वाले अजय इसराणा ने व्यक्त किये।
  उन्होंने कहा कि नर्सरी में सैकड़ों किस्म के पेड़ पौधे होते हैं। हर बात की जानकारी लोगों तक पहुंचाना नर्सरी का धर्म कर्तव्य होता है। कर्तव्य उन्होंने केवल अच्छे दर्जे के फल, फूल एवं छाया देने वाले पौधे खरीदने पर बल दिया।
 उन्होंने बताया कि उन्होंने 4 साल से अपने खेतों को अग्रणी बनाने का प्रयास किया है इस प्रयास में किसानों को अपने साथ जैविक खेती करने का मनोबल भी बढ़ाया है। 3 एकड़ में खुद बागवानी लगा रखी है। पौधे लगाकर पर्यावरण की मदद करने के लिए कटिबद्ध हैं।  ग्लोबल वार्मिंग में लगातार वृद्धि और बढ़ते शहरीकरण विनाश के परिणाम स्वरूप अत्यधिक जलवायु परिवर्तन में नकारात्मक प्रभाव को नष्ट के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ लगाने चाहिए क्योंकि हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए पेड़ पौधे लगाएं। ऐसे में उन्होंने अपने घर से नर्सरी की शुरुआत की है।
फोटो कैप्शन 4: नर्सरी लगाकर सकवा करते अजय इसराणा।




पर्यावरण को स्वच्छ और शुद्ध रखना है अनिवार्य
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कनीना की आवाज।  पृथ्वी को स्वच्छ और शुद्ध बनाने के लिए पेड़ पौधों को संरक्षित करना बहुत ही जरूरी है क्योंकि जब तक पर्यावरण सुरक्षित नहीं रहेगा तो मानव जीवन खतरे से घिर जाएगा। ये विचार आज बीइंग ह्यूमन सेवा मंडल के सदस्य अजय कटारिया ने अपने जन्मदिन पर पौधरोपण कर व्यक्त किए और इस अवसर पर पांच पौधे बरगद, पीपल, नीम, जामुन और संतरा के फलदार पौधे लगाए और युवा पीढ़ी को एक संदेश देते हुए कहा कि जिस तरह मानव जीवन को सुरक्षित किया जाता है उसी तरह पृथ्वी को संरक्षित करना है तो पेड़ पौधों को सुरक्षित रखना चाहिए। इस अवसर पर संस्था की पानीपत जिले की महिला अध्यक्ष प्रियंका शर्मा ने भी पेड़ पौधों के महत्व को समझाया इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष नवीन कौशिक समाजसेवी ने टीम के सभी साथियों का पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए और संस्था की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए सभी का अभिवादन किया। इस अवसर पर संजय पंच, मनोज चौहान, आशु, प्रियंका शर्मा, सुधीर फौजी, दीपू और डॉक्टर नीरज मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 5: जन्म दिन पर पौधे लगाते हुए अजय कटारिया एवं उनके साथी।






70 एमएम बारिश ने 6









0 फीसदी बाजरे की फसल को पहुंचाया नुकसान
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल स्तर पर मंगलवार से लगातार रुक-रुक कर बारिश के चलते किसानों की 60 प्रतिशत बाजरे की फसल तबाह हो गई है। कनीना उपमंडल में करीब 31000 हेक्टेयर पर बाजरा, कपास एवं अन्य फसलें उगाई गई थी। फसल पक कर तैयार हो गई उस वक्त बेमौसम की बारिश ने भारी नुकसान पहुंचाया है। परिणाम स्वरूप किसान परेशान है। कनीना खंड कृषि अधिकारी मनोज कुमार यादव ने बताया कि किसानों की 50 से 60 प्रतिशत फसल क्षतिग्रस्त हो गई है। कपास की फसल को बहुत कम नुकसान हुआ है किंतु बाजरे की फसल को अधिक नुकसान हुआ है। करीब 23500 हेक्टेयर बाजरे की फसल उगाई गई थी । किसान पछैती फसल लेने का इंतजार कर आए थे। अगेती फसल वाले किसानों ने फसल पैदावार ले ली है। किसानों ने काट कर डाली गई तथा खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा है। किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

 

साढ़े छह बजे से मां का घट स्थापित करना होगा शुभ-सुरेंद्र शर्मा
-आठ बजे तक स्थापित किया जा सकता है घट
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कनीना। 26 सितंबर को घट स्थापना का समय करीब 6:30 बजे से 8:00 बजे तक का बेहतर रहेगा। 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रे प्रारंभ हो रहे हैं। वर्ष में दो बार आने वाले नवरात्रों में माता के मंदिरों को सजाया गया है वहीं दिनभर व्रत आदि करके नौ दिनों तक माता की पूजा की जाती है।  
 इन नवरात्रों का सौभाग्यवती महिलाओं के लिए विशेष महत्व होता है। प्राचीन ग्रंथों में दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती आ रही है। ये नौ रूप महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, योगमाया, रक्तदंतिका, शाकुंभरी देवी, दुर्गा, भ्रामरी देवी तथा चंडिका प्रमुख हैं। इन नौ रूपों को शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री नामों से जाना जाता है। इन नौ रूपों के दर्शनों के लिए मंदिरों में जाकर पूजा की जाती है।
  वासंतीय नवरात्र चैत्र माह में आते हैं। इन नवरात्रों में वसंत ऋतु आती हैं और सर्दी से गर्मी के मौसम में प्रवेश होता है वहीं शारदीय नवरात्रों में गर्मी से सर्दी में प्रवेश किया जाता है। साथ में फसल पैदावार लेने के बाद ये पर्व दो बार मनाए जाते हैं। खरीफ एवं रबी की फसल पैदावार के बाद उन्हें शरीर में ग्रहण करने से पूर्व पुराने अन्न को पूर्णरूप से शरीर से निकाला जाता है इसलिए व्रत किए जाते हैं। नौ दिनों में पुराना अन्न शरीर से निकल जाता है और नया अन्न ग्रहण किया जाता है जो एलर्जी आदि रोग नहीं करेगा।
वैसे भी नवरात्रों में रातों में परिवर्तन आ जाता है। शारदीय नवरात्रों में गर्मी से सर्दी के मौसम में प्रवेश होना माना जाता है। नवरात्रों में जहां नौ रूपों में मां दुर्गा ने राक्षसों का संहार किया था उन नौ रूपों में नौ कन्याओं को नवरात्रे पूर्ण होने पर भोजन कराया जाता है। साथ में नवरात्रों में जौ उगाए जाते हैं जो समृद्धि के प्रतीक होते हैं। गंगा में जौ उगाना एक कहावत भी है। वैसे भी नौ दिनों में उगे हुए जौ को ऊपर से काटकर ज्वारे रस का पान किया जाए तो घातक रोगों में भी लाभकारी माना जाता है।
  ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व को लेकर अति प्रसन्नता होती है वहीं दुकानदार सामान बेचने को लालायित रहते हैं। छह माह के बाद नवरात्रे आने से उनके सामान की बिक्री छह माह बाद ही नवरात्रों के सामान की हो पाती है। मंदिरों को ग्रामीण क्षेत्रों में सजाकर पूजा अर्चना करने का विशेष प्रावधान होता है। नवरात्रों में शुभ काम करने की प्रथा भी चली आ रही है। इसी के साथ ही शुरू हो जाती है सांझी पूजा। बच्चियां दीवार पर सांझी बनाकर उसकी नौ दिनों तक पूजा करती हैं। दशहरे के दिन सांझी को पानी में बहाया जाता है।
सुरेंद्र शर्मा कनीनावासी का कहना है कि नवरात्रेे विधि विधान से करने से वांछित फल मिलता है। ऐसे में इन दिनों मां के नौ रूपों की पूजा करनी चाहिए। 26 सितंबर को घट स्थापना का समय करीब 6:30 बजे से 8:00 बजे तक का बेहतर माना गया है



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