सुशासन दिवस -25 दिसंबर
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जन्म दिन को मनाया जाता है सुशासन दिवस के रूप में
***************************************************************************
**********************************************************************************
***************************************************************************
कनीना की आवाज। सुशासन से अभिप्राय है किसी सामाजिक, राजनीतिक इकाई को इस प्रकार चलाना की वांछित परिणाम प्राप्त हो। सुशासन के तहत अनेकों बातें आती हैं जिनमें अच्छा बजट, प्रबंधन, कानून का शासन, सदाचार आदि प्रमुख हैं। इसके उल्ट यदि शासन में पारदर्शिता की कमी हो, जंगल राज हो लोगों की कम भागीदारी हो, भ्रष्टाचार सिर चढ़कर बोलता हो उसे दु:शासन कहेंगे। सुशासन मंगलकारी भाव को व्यक्त करता है। इस संबंध में कुछ राजनीति के ज्ञाताओं से बात हुई तो उनके विचार निम्र रहे-
वैसे तो सुशासन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है जिन्होंने इस प्रकार का शानदार शासन दिया जो सदा याद रहेगा। जिन्होंने बजट का सही प्रबंध किया, कानून का शासन सदाचार आदि बेहतर ढंग से प्रदान किये जिसके कारण हर वर्ष उनकी याद में उनका जन्मदिन सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है। सुशासन की अवधारणा कोई नई अवधारणा नहीं है। सुशासन की बात चाणक्य द्वारा लिखित अर्थशास्त्र में कही गई थी। उन्होंने एक अच्छे राजा की विशेषताओं का भी उल्लेख किया है। महात्मा गांधी ने भी सुराज शब्द प्रयोग दिया था। शासन को निर्णय लेने की प्रक्रिया जिसके द्वारा निर्णय को लागू किया जाता है के रूप में सुशासन परिभाषित किया जा सकता है। सुशासन में सार्वजनिक क्षेत्र प्रबंधन में क्षमता और दक्षता जवाब देही, सूचना और पारदर्शिता आदि आते हैं। सुशासन की कई विशेषताएं होती हैं।
-- राजकुमार कनीनवाल
25 दिसंबर को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई के जन्मदिन को सुशासन दिवस के नाम पर भारतवर्ष में मनाया जाता है। वाजपेई ने भारत की आत्मा को बहुत नजदीक से जाना था और वह जनता की भावनाओं के अनुरूप देश में शासन व्यवस्था लागू करने की पक्षधर थे। उन्होंने एक कविता के माध्यम से अपने उद्गर भी प्रकट किए थे -हार नहीं मानूंगा काल नहीं ठानूंगा कल के कपाल पर लिखके मिटाता हूं गीत नया गाता हूं। इन पंक्तियों में उनकी भावना साफ झलकती है। अब अटल के अधूरे कार्यों को नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। अटल द्वारा दिखाया गया सुशासन मार्ग देशवासियों में बंधुत्व की भावना पैदा करता है।
--कंवरसेन वशिष्ठ, कनीना
अटल बिहारी वाजपेयी ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुये वो कार्य किये जिसके कारण भारत की आन बान शान को झुकने नहीं दिया। इनमें कारगिल विजय हो या चाहे पोखरण परीक्षण हो। उन्होंने जो,मान हमारे वीर शहीदों को दिया वह अपने आप में एक मिसाल कायम कर दी। उन्होंने देश को ऐसा शासन दिया जिसे सदा लोग याद करेंगे। यही कारण है कि उनके जन्म दिन को सुशासन के रूप में मनाया जाता है। अटल ने भी अपना सारा जीवन मानव व देश वासियों की भलाई में लगा दिया।
---अतर सिंह कैमला
फोटो कैप्शन: राजकुमार कनीनवाल, कंवरसेन वशिष्ठ, अतर सिंह कैमला।
सरसों के कट्टे चोरी करने के मामले में एक आरोपित गिरफ्तार
-गत दिनों ट्यूबवेल से हो गये थे चोरी
***************************************************************************
**********************************************************************************
***************************************************************************
कनीना की आवाज। ट्यूबवेल पर बने मकान के कमरे में रखे सरसों के कट्टे चोरी करने के मामले में थाना सदर कनीना और स्पेशल स्टाफ कनीना की टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए एक आरोपित को गिरफ्तार किया है, जिसकी पहचान
नरेंद्र उर्फ ढिल्लू वासी आलमपुर थाना तोशाम भिवानी के रूप में हुई है। आरोपित को पुलिस ने गांव पड़तल क्षेत्र से गिरफ्तार किया और न्यायालय में पेश कर पुलिस रिमांड पर लिया है। पुलिस द्वारा आरोपित से पूछताछ की जा रही है।
शिकायतकर्ता अजीत वासी गांव खैराना ने थाना सदर कनीना में शिकायत दी कि उसने भोजावास की सीम में ट्यूबवेल पर मकान बना रखा है, मकान के एक कमरे में उसने अपने खेत की सरसों कट्टों में भरकर रखी हुई थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि दिनांक 20 दिसंबर की शाम को वह अपने ट्यूबवेल से अपने घर आ गया, तो 21 दिसंबर को दोपहर के समय जब वह अपने ट्यूबवेल पर गया और कमरे को चैक किया तो देखा कि कमरे में रखी हुई सरसों में से करीब 50 कट्टे सरसों के गायब मिले। शिकायतकर्ता ने नाम पता नामालूम व्यक्ति के खिलाफ सरसों के कट्टे चोरी करने की शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी। मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने एक आरोपित को गिरफ्तार कर पुलिस रिमांड पर लिया है।
फोटो कैप्शन 05: पकड़ा गया आरोपी
माता-पिता और गुरु की आज्ञा का पालन करना ही सच्ची शिक्षा -देव
--रामबास के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विश्व शांति यज्ञ
***************************************************************************
**********************************************************************************
***************************************************************************
कनीना की आवाज। माता-पिता और गुरु की आज्ञा का पालन करने वाले कभी असफल नहीं हो सकते। ये विचार स्वामी अनुराग देव ने कनीना उपमंडल के गांव रामबास के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विश्व शांति के लिए किए गए यज्ञ के उपरांत लोगों को व्यक्त किये।
इस अवसर पर अनुराग देव महाराज ने कहा की स्कूल शिक्षा का एक मंदिर है जहां पर हमें जाकर अच्छे संस्कार और सत्कार प्राप्त करना चाहिए क्योंकि यहां गुरुओं के द्वारा बताई गई शिक्षा से हमें संस्कार भी मिलते हैं और आगे बढऩे का मार्ग भी। उन्होंने कहा भगवान राम और कृष्ण द्वारा भी गुरुकुलों में शिक्षा ग्रहण की गई थी और आज आप लोग भी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आए हो इसलिए आपको मन लगाकर भारत की सभ्यता और संस्कृति को ध्यान में रखकर शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। वहीं गांव के एडवोकेट कुलदीप यादव रामबास ने यज्ञ पर आए लोगों को कहा कि ग्राम पंचायत रामबास द्वारा गांव में स्थित सभी स्कूल को पूर्ण रूप से सहयोग किया जाएगा तथा समय-समय पर शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए प्राचार्य व स्टाफ का पूरा सहयोग किया जाएगा। वहीं उन्होंने गांव में कराए गए विकास कार्यों का भी जिक्र करते हुए कहा कि सरकार द्वारा वह गांव के समाजसेवी व प्रबुद्ध जन लोगों के सहयोग द्वारा गांव में विकास कार्य तथा जनहित के कार्यों को अमलीजामा पहनाया जा रहा है ताकि रामबास गांव का नक्शा हरियाणा के नक्शा में अलग से चमकता रहे। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की है कि वह ग्राम पंचायत का पूरा सहयोग करें ताकि गांव में किसी भी प्रकार की कमियों को रहने नहीं दिया जाए और उनको को जल्द से जल्द पूरा कराया जाए। वही सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य ओमपाल सिंह ने यज्ञ पर आए ग्रामीण व छात्र-छात्राओं को से कहा कि हमारे स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को किसी भी सूरत में पिछडऩे नहीं दिया जाएगा। इसके लिए मैं और मेरा समस्त स्टाफ तन मन और धन से स्कूल में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं को आगे बढ़ाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। गांव के पूर्व सरपंच युद्धवीर सिंह व उनकी धर्मपत्नी दूसरी तरफ वरिष्ठ अधिवक्ता कुलदीप यादव रामबास व उसकी धर्मपत्नी सरोज देवी तथा पंच बनवारी लाल व उसकी धर्मपत्नी यज्ञमान रहे। स्कूल के राजेश कुमार को ग्राम पंचायत व स्कूल स्टाफ द्वारा सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सदर थाना प्रभारी रामनाथ सिंह ने ग्रामीणों से आह्वान किया कि गांव में बाहर से आने वाले लोगों की पहचान करें और अगर वह लोग अपनी पहचान दिखने में आनाकानी करते हैं तो उनके बारे में सदर थाना को सूचित करें। इस अवसर पर गांव की महिला सरपंच सरोज देवी, ,वरिष्ठ अधिवक्ता रामनिवास शर्मा, वेद प्रकाश नंबरदार, पंच बनवारी लाल, सोनिका लेक्चर ,सुनीता यादव के अलावा अन्य स्टाफ उपस्थित था।
फोटो कैप्शन 07: रामबास में यज्ञ करते अनुराग देव महाराज।
सड़क पार करने के लिए पड़ सकती है नौका की जरूरत
-दुपहिया वाहनों से पार करनी पड़ती है सड़क
***************************************************************************
**********************************************************************************
***************************************************************************
कनीना की आवाज। कनीना के होलीवाला जोहड़ के पास निकट भविष्य में नौका की भी जरूरत पड़ सकती है ताकि सड़क को पार किया जा सके। अभी से ही इतना पानी खड़ा हुआ है कि लोग दुपहिया वाहनों द्वारा पार करते हैं। दोनों तरफ लोग खड़े इंतजार करते रहते हैं ताकि कोई दुपहिया वाहन चालक या गाड़ी चालक आ जाए ताकि पानी को पार कर सके। यह एक दिन की समस्या नहीं आए दिन की समस्या है जिसको लेकर के ग्रामीण बेहद परेशान है किंतु यह पहला अवसर है जब ग्रामीणों की समस्या नासूर बन गई है।
एडवोकेट पंकज यादव, धर्मवीर, दिनेश कुमार, कृष्ण कुमार, बिक्रम सिंह आदि ने बताया कि दिनभर में कई लोग बेचारे परेशान या तो यहां खड़े देखे जा सकते हैं या अपना रास्ता बदलकर किसी दूसरे रास्ते से आ जा रहे हैं क्योंकि आए दिन पानी बढ़ जाता है और इस जोहड़ रूपी जल को पार करना कठिन हो जाता है ।उनका कहना है कि यही हालत चलती रही तो भविष्य में किसी नौका को की जरूरत पड़ सकती है। प्रशासन द्वारा इस सड़क को ठीक करने न करने की सूरत में कस्बावासियों ने कम से कम एक नौका उपलब्ध करवाने की मांग की है ताकि पानी को पार किया जा सके।
फोटो कैप्शन 06: कनीना में होलीवाला सड़क पर जमा पानी।
क्रिसमस डे या तुलसी दिवस
विदेशी संस्कृति का त्यौहार है क्रिसमस
--ग्रामीण आंचल में संस्कृति खराब ना करें -बोहरा
***************************************************************************
**********************************************************************************
***************************************************************************
कनीना की आवाज। एक ओर जहां 25 दिसंबर क्रिसमस दिवस के रूप में आज भी कुछ लोग मनाते आ रहे हैं वहीं विभिन्न स्कूलों में तो यह दिवस सिर चढ़कर बोलता है। इसे बड़ा दिनया यीशु मसीह का जन्म दिन के रूप में लोग मनाते हैं। विशेषकर ईसाई धर्म के मानने वाले इस दिन को मनाते हैं। क्रिसमस का पिता सांता क्लाज इस दिन रात को बच्चों को गिफ्ट देने के लिए आता है, इसी मान्यता के चलते बच्चे देर रात तक जागते हैं। किंतु अब तो हिंदु धर्म के मानने वाले क्रिसमस दिवस न मनाने के लिए आगे आ रहे हें और वे तुलसी दिवस मनाने की बात कह रहे हैं।
हिन्दू जागरण मंच के जिला संयोजक महेश बोहरा ने कहा है कि क्रिसमस का त्यौहार विदेशी संस्कृति का त्यौहार है। ऐसे में जिले के प्राइवेट स्कूल इसको ना मनायें। हमारे ग्रामीण आंचल में इस प्रकार से विदेशी संस्कृति को बढ़ावा देना सरासर गलत है। अगर मनाना ही है तो फिर राम नवमी और शिवरात्रि जैसे पर्वों को मनाया जाना चाहिए। महेश बोहरा ने कहा कि इस बार वे सभी प्राइवेट स्कूल का आह्वान करते हैं कि इस बार ये विदेशी संस्कृति का त्यौहार ना मनायें। अगर प्राइवेट स्कूलों ने इस बार क्रिसमस का त्यौहार मनाया तो इन स्कूलों का विरोध भी किया जाएगा और बहिष्कार भी होगा। वे इस विषय पर गांवों के लोगों को भी जागरूक करेंगे कि वे अपने बच्चों को इस विदेशी संस्कृति की गिरफ्त में ना आने दे।
कुलदीप कुमार का कहना है कि जब भारतीय संस्कृति में अनेक पर्व व त्यौहार आते हैं तो विदेशी त्योहारों को न मनाकर तुलसी दिवस मनाए जिससे तुलसी की पूजा करें ताकि देश में तुलसी के प्रति जागरूकता बढ़े। भारत जैसे देश में जहां कितने ही पर्व- त्यौहार है उनको बेहतर ढंग से मनाना चाहिए।
चंद्र मोहन का कहना है कि भारत विविधता परिपूर्ण देश है जहां विदेशी त्यौहार की बजाय देशी त्योहार मनाए तो ज्यादा सार्थक होगा। बच्चों में अपने देश के प्रति देशभक्ति भावना पैदा की जाए क्रिसमस जो विदेशी त्यौहार है उसे भारत में मनान सार्थक नहीं होगा। अपितु देश की सभ्यता संस्कृति को आगे बढ़ाएं इसी में देश का भला और हित होगा।
आशीष कुमार का कहना है कि क्रिसमस भारत का त्यौहार नहीं है। भारत का त्यौहार रामनवमी, शिवरात्रि, होली, दिवाली आदि हैं। देश के त्योहारों में सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाया जाना चाहिए। जिससे देश की एकता अखंडता कायम रहे। आशीष कुमार ने कहा कि हमारे देश के पर्वों पर ध्यान दे तो अच्छा होगा।
फोटो कैप्शन: आशीष कुमार, चंद्र मोहन, कुलदीप सिंह।
तुलसी दिवस- 25 दिसंबर
सर्दी से बचने के लिए गुणों की खान तुलसी की,की जाती है पूजा
***************************************************************************
**********************************************************************************
***************************************************************************
कनीना की आवाज। सर्दी बढ़ती जा रही है जिससे सर्दी जुकाम आदि के रोग भी लोगों में बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में घरों में उगाया जाने वाला तुलसी का पौधा कारगर साबित होता है। विभिन्न रोगों से जहां इंसान को बचाता है वहीं घरों में इसकी पूजा की जाती है। इसकी पूजा के पीछे यही विधान है कि यह हमारे शरीर को रोग-रोधक क्षमता से परिपूर्ण बनता है वही रोगों से बचाता है। हर घर में तुलसी होती है। तुलसी के प्रति लोगों में जागरूकता आ गई है जिसके कारण तुलसी दिवस मनाया जा रहा है। कनीना क्षेत्र में विभिन्न लोगों में इस बार तुलसी पूजन की होड़ लगी हुई है। जगह-जगह तुलसी की पूजा की जाएगी, तुलसी पूजन के विषय में कुछ लोगों से चर्चा की गई जिनके विचार सामने आए-
***तुलसी एक प्राकृतिक रोग रोधक क्षमता बढ़ाने वाला पौधा है जिसमें विटामिन और जिंक पर्याप्त मात्रा में मिलता है। जहां विटामिन सी सर्दी एवं जुकाम से लोगों को बचाती है वही कैंसर जैसे रोग रोधी गुण भी इसमें पाए जाते हैं। अक्सर लोग चाय एवं दूध पीते हैं उसमें अगर तुलसी के पत्ते डाल दिए जाएं तो शरीर में लाभ अधिक होगा। यही कारण है कि घरों में तुलसी को लगाकर उसकी पूजा की जाती है। पूजा करने से घर में समृद्धि और शांति पैदा होती है वही घर को रोगाणुओं और कीटों से बचाने में भी इसका अहं योगदान है।
--- महेश कुमार युवा कनीना
तुलसी झाड़ीनुमा पौधा है किंतु तुलसी गणों की खान है। त्वचा में बालों को सही रखरखाव के लिए तथा मुख स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन पदार्थ है। शरीर के तनाव और थकान को कम कर देता है वहीं गुर्दे में पथरी यदि बन जाती है उससे भी हमें बचाता है। तुलसी का नियमित सेवन करना कई रोगों से बचाता है। तुलसी की पूजा करना भी हिंदू धर्म में बेहतर माना जाता है। धार्मिक महत्व के साथ-साथ रोग-रोधक क्षमता होने के कारण इसकी पूजा की जाती है।
-- मोनिका यादव, गृहणी
तुलसी को पौधा ही नहीं अपितु एक गुणकारी दवा मानना उचित होगा। जो हर रूप में इंसान के लिए लाभप्रद है परंतु गलत तरीके से खाया जाए तो यह नुकसान भी करती है। यह खून में चीनी को कम कर देती है तथा तुलसी हर प्रकार से रोगों में लाभप्रद है। तुलसी को खाने से फायदे ही फायदे हैं तथा औषधीय गुणों से भरपूर है। तुलसी में सबसे अधिक प्रयोग किए जाने वाले पत्ते होते हैं जो आयुर्वेद का आधार भी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यह कफ दोष को नष्ट करती है, भूख बढ़ती है इसलिए तुलसी दिवस पर तुलसी की पूजा की जाती है।
-- मनोज शर्मा एडवोकेट कनीना
तुलसी की घरों में अक्सर पूजा की जाती है और 25 दिसंबर को भी पूजा की जाएगी। इसके पीछे आयुर्वेद में इसे गुणों की खान कहा गया है। सिर दर्द से तुरंत आराम वही रतौंधी जैसे रोग में भी लाभप्रद है। कान दर्द और सूजन में लाभप्रद है वही दांत दर्द में भी आराम देती है। गले की समस्याएं खांसी, जुकाम आदि में भी तुलसी फायदा करती है। इसके अतिरिक्त तुलसी में अनेक गुण पाए जाते हैं जिसके कारण तुलसी की पूजा की जाती है तथा इसे चाय दूध में डालकर भी या काढ़े के रूप में प्रयोग करते हैं। घरों में से विभिन्न रूपों में प्रयोग करते हैं। सर्दियों में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है इसलिए तुलसी घरों में पूजी जाती है।
--नवीन कुमार, युवा
फोटो कैप्शन 4: घर में लगाई हुई तुलसी साथ में महेश, मोनिका, मनोज शर्मा और नवीन की फोटो
क्षेत्र में पल पल बदल रहा है मौसम
--लहलहा रही है सरसों की फसल
***************************************************************************
**********************************************************************************
***************************************************************************
कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में रविवार की सुबह धुंध एवं कोहरे में लिपटी आई। कनीना क्षेत्र में मौसम बार-बार बदल रहा है। इस वर्ष धुंध और कोहरा कम पड़े हैं, नवंबर एवं दिसंबर माह में महज 5 दिन ही धुंध और कोहरा पड़े हैं। बाकी मौसम साफ रहा है। मौसम साफ होते हुए भी ठंड बढ़ी जहां शनिवार को एक बार फिर से बादल छा गए वहीं रविवार की सुबह कोहरे एवं धुंध में लिपटी आई। एक और जहां मौसम का प्रभाव इस वक्त खड़ी रबी फसल पर पड़ता है वहीं किसान बार-बार बदलते मौसम को टकटकी लगाए देख रहे हैं। किसान अपने सरसों और गेहूं में सिंचाई कर रहे हैं। यदि इस वक्त बारिश हो जाती है तो दोनों ही फसलों को लाभ होगा।
किसानों का मानना है कि इस समय खेतों में अच्छी फसल खड़ी हुई है। चाहे आवारा जंतुओं से फसल की सुरक्षा करनी पड़ रही है किंतु फसलों में बदलते मौसम का लाभ ही मिलने की संभावना है। किंतु बढ़ता तापमान फसलों के लिए अच्छा नहीं बताया जा रहा है। ऐसे में किसानों का मानना है कि अभी ठंड और बढऩी चाहिए ताकि खड़ी हुई सरसों की फसल को लाभ हो सके। रविवार को दोपहर बाद तक धुंध छाई रही।
जहां इस बार किसानों की रबी फसल का बेहतर भाव मिलने की उम्मीद है। गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति क्विंटल तथा सरसों का समर्थन मूल्य 5650 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है। धुंध एवं कोहरे से फसलों को लाभ मिलेगा। किसान मानते हैं धुंध एवं कोहरे से खेतों में नमी बनी रहती है वहीं ठंड का प्रभाव भी बना रहता है। इस वक्त दूर दराज तक खेतों में पीली चादर ओढ़े सरसों की फसल नजर आती है।
फोटो कैप्शन 01: कनीना क्षेत्र में छाई हुई धुंध।
धुंध और कोहरे के बीच, 287वें दिन जारी रहा धरना
-अनिश्चितकालीन धरने पर हैं ग्रामीण
***************************************************************************
**********************************************************************************
***************************************************************************
कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन धरना 287वें दिन भी जारी रहा। रविवार को धरनेकी अध्यक्षता डॉ लक्ष्मण सिंह सेहलंग ने की और उन्होंने बताया कि ठंड,धुंध और कोहरे के कारण धरना स्थल पर बैठे बुजुर्ग किसान बीमार हो रहे हैं लेकिन बीमारी की परवाह न करते हुए, जोश के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट के लिए डटे हुए हैं। किसानों का अब एक ही टारगेट है, जब तक केंद्र सरकार कट के काम को शुरू नहीं करती है, तब तक हम धरना स्थल पर ही बैठे रहेंगे।
धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन ने बताया की धरने को चलते 287 दिन हो गए हैं, सर्दी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है, लेकिन धरना स्थल पर बैठे किसान और मजबूत हो रहे हैं। केंद्र सरकार के द्वारा कट की घोषणा की हुई है, उसके बाद आश्वासन दिया गया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर कट का काम जल्द शुरू कर दिया जाएगा, लेकिन आज तक धरातल पर कट का काम शुरू नहीं किया गया है। कट बनने के बाद ही हमारे क्षेत्र का विकास हो सकता है। कट न बनने के कारण किसानों की सभी योजनाएं फेल हो रही है। केंद्र सरकार किसानों की पीड़ा को समझे और जितना जल्दी हो सके राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू किया जाए।
मूलचंद आर्य प्राणपुरा धरना स्थल पर पहुंचे और उन्होंने बताया कि आपकी मांग जायज है, राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर कट बनना चाहिए ढ्ढ इस क्षेत्र में आम आदमी को यहां पहुंचने मैं परेशानी हो रही है। केंद्र सरकार को किसानों की पीड़ा को समझना चाहिए और जल्द से जल्द राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू करना चाहिए।
इस मौके पर ठेकेदार शेर सिंह, पहलवान रणधीर सिंह, नरेंद्र शास्त्री छिथरोली, पूर्व सरपंच हंस कुमार, मनफूल, नंबरदार नाथूराम, सीताराम, कृष्ण कुमार पंच, डॉक्टर राम भक्त, प्रधान कृष्ण कुमार, सूबेदार हेमराज अत्रि, मुख्तार सिंह, बाबूलाल, एसआई रामकुमार, रोशन लाल आर्य, सूबे सिंह पंच, करतार, पंडित मनीराम, प्यारेलाल, शेर सिंह, रामभज, सत्य प्रकाश व गणमान्य लोग मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 03: धरने पर बैठे किसान एवं ग्रामीण।
बड़े-बड़े पीपल के पेड़ों के नीचे बढ़ता जा रहा है कबाड़
--पूजा स्थल को दे रहे हैं कबाड़ का रूप
***************************************************************************
**********************************************************************************
***************************************************************************
कनीना की आवाज। वैज्ञानिक मानते हैं कि पीपल और बरगद के पेड़ सूर्य उदय होने से पहले ही आक्सीजन गैस प्रदान करना शुरू कर देते हैं और देर शाम तक भी आक्सीजन प्रदान करते हैं। यह गुण अन्य पेड़ों में नहीं पाया जाता। यही कारण है कि हमारे शास्त्रों में पीपल और बरगद जैसे पेड़ों की पूजा का विधान बताया गया है किंतु बड़े-बड़े पीपल और बरगद के पेड़ कबाड़ घर बनते जा रहे हैं। देखने में आ रहा है कि घरों की टूटी हुई मूर्तियां देवी देवताओं की प्रतिमाएं बड़े-बड़े पीपल और बरगद के पेड़ों के नीचे रख दी जाती हैं। जब तक घर में लोग देवी देवताओं की मूर्तियां पूजते हैं तब तक सही है और कहीं खरोंच लग जाए या टूट जाए तो उसे पीपल के नीचे रख आते हैं। किसी बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे जाकर देखें तो देवी देवताओं की विखंडित प्रतिमाएं एवं मूर्तियां रखी मिलती है वहीं कितने ही टोटके इन पेड़ों के नीचे किया जा रहे हैं। जहां कहीं भी बड़े पेड़ के नीचे जाकर देखें बरगद व पीपल के नीचे छोटी-छोटी मटकियां दिखाई देती है जो टोटके किए होते हैं। जहां इंसान 21वीं सदी में चल रहा है किंतु 16वीं सदी में चलने वाले टोटके आज भी पेड़ों के नीचे देखे जा सकते हैं। कभी इन पेड़ों के नीचे लोग बैठते, सोते थे तथा धूप से बचते थे आज इन पेड़ों के नीचे पूजा के लिए जाने से बचने लगे हैं क्योंकि ढेरों टोटके किये होते हैं। जहां इंसान पढ़ लिख गया है परंतु पुराने टोटकों से अभी पीछा नहीं छुड़वा रहा है। यही हाल रहा तो भविष्य में बड़े-बड़े पीपल और बरगद के पेड़ों के नीचे का कबाड़ उठाना कठिन कार्य हो जाएगा। जिन पेड़ों की पूजा की जानी चाहिए वहां उनके नीचे इस प्रकार की गतिविधियां करके न केवल पेड़ों का अपमान किया जा रहा है अपितु लोगों को पूजा से दूर किया जा रहा है। किस प्रकार के टोटके न करने की जागरूक लोग दुहाई दे रहे हैं।
फोटो कैप्शन 02: बड़े पीपल के पेड़ के नीचे पड़ी मटकियां एवं देवी देवताओं की मूर्तियां।
No comments:
Post a Comment