Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Monday, May 13, 2024


 




कट के लिए 428वें दिन जारी रहा धरना
--14 मई को धरने का होगा समापन
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए अनिश्चितकालीन धरना जारी है। धरने की अध्यक्षता नरेंद्र कुमार शास्त्री छिथरोली ने की और उन्होंने बताया कि गर्मी बढ़ रही है, बुजुर्ग ग्रामीणों की हालत नाजुक है, बीमार होने के बावजूद भी कट बनवाने के लिए हौसला बरकरार है। जब तक केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर  बाघोत -सेहलंग के बीच चढऩे और उतरने का मार्ग शुरू नहीं करती है, तब तक हमारा धरना जारी रहेगा।
 केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, सांसद चौधरी धर्मवीर सिंह, मंत्री बनवारी लाल, पूर्व मंत्री ओमप्रकाश यादव, विधायक सीताराम सेहलंग पहुंचे। राव इंद्रजीत सिंह ने बताया कि मुझे बड़ा दुख है कि ग्रामीण राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट के लिए धरना स्थल पर बैठे हुए 14 महीने से ज्यादा समय हो गया है। दो साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट की घोषणा करवाई गई, मैं यह काम नहीं करवा सका। कट की घोषणा मैंने करवाई थी और इसे पूरा करवाने की जिम्मेवारी भी मेरी है। इस मौके पर सूबेदार सुखबीर सिंह ने बताया कि राव इंद्रजीत सिंह के आश्वासन के बाद धरना बंद किया जा रहा है।
इस मौके पर  विजय सिंह प्रधान, प्रधान तेज सिंह,कृष्ण, शेर सिंह,  पहलवान रणधीर सिंह,  डा लक्ष्मण सिंह,पहलवान धर्मपाल, सरपंच हरिओम पोता, महेंद्र सिंह, रामभज, सूबेदार भोले राम,  मास्टर विजयपाल, चेयरमैन सतपाल, योगेश आर्य,   वेद प्रकाश, मुंशी राम, सूबे सिंह पंच, सत्य प्रकाश, प्रधान कृष्ण कुमार, मास्टर विजय सिंह, पंडित संजय कुमार,  सतपाल, दाताराम, सूबेदार हेमराज अत्रि,  प्यारेलाल,पूर्व सरपंच हंस कुमार,सुरेंद्र सिंह, ओमप्रकाश,  सीता राम, डॉक्टर राम भक्त,   सूबेदार हेमराज अत्री, रोशन लाल, इंस्पेक्टर सत्यनारायण व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 07: धरने पर बैठे किसान।








आरकेवाई स्कूल का परीक्षा परिणाम रहा शत प्रतिशत
--बच्चों ने प्राप्त किये बेहतर अंक
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कनीना की आवाज। सीबीएसई की 12वीं और 10वीं के परीक्षा परिणाम में  आरकेवाई  स्कूल के  विद्यार्थियों ने एक बार फिर बेहतर प्रदर्शन किया। प्राचार्या ने जानकारी देते हुए बताया कि 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों ने अधिकतम अंक अंग्रेजी में 98,गणित में 92,जीव विज्ञान में 95,रसायन विज्ञान में 95,भौतिकी  में 93,अकाउंट में 93,बिजऩेस स्टडी में 90 अंक हासिल किए। 10वीं  कक्षा  के विद्यार्थियों  नेअधिकतम अंक गणित में 99,हिन्दी में 95,विज्ञान  में 93अंक प्राप्त किए।
    स्कूल चेयरमैन सुरेश कुमार ,  डिप्टी डायरेक्टर अतर सिंह, प्राचार्या सतेंद्रा  यादव ने इस शानदार  परीक्षा परिणाम  का श्रेय अध्यापकों को देते हुए  बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। इस  अवसर पर  समस्त स्टाफ  और  विद्यार्थी मौजूद रहें।






13वीं पर लगाई गौशाला में सवामणी
--नित्यानंद की याद में लगी सवामणी
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कनीना की आवाज। थानेदार अतर सिंह ने अपने भाई नित्यानंद की 13वीं पर कनीना की श्री कृष्ण गौशाला में स्वामणी लगाकर गायों की सेवा की।
 इस मौके पर थानेदार अतर सिंह ने कहा कि गायों की सेवा सबसे बड़ी सेवा होती है। इंसान सभी पापों से मुक्ति पा जाता है। गायों की सेवा  भगवान श्रीकृष्ण ने की थी जिसके चलते आज तक उनका नाम गोपाल पड़ा हुआ है।
इस मौके पर अमर सिंह, अजीत कुमार, सूबे सिंह, मेजर अर्जुन सिंह, सतबीर सिंह, विजयपाल, अध्यक्ष हवलदार राज सिंह, सुनील कुमार, पूर्व उप-प्रधान अशोक कुमार, करण सिंह, हरीश कुमार, और होशियार सिंह कनीनवाल मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 8: कनीना की श्री कृष्ण गौशाला में स्वामणी लगाते हुए।







माडल संस्कृति स्कूल का परीक्षा परिणाम रहा सराहनीय
--बच्चों को किया पुरस्कृत
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कनीना की आवाज। सीबीएसई पंचकूला द्वारा घोषित कक्षा 12वीं का परीक्षा परिणाम राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना का बेहतरीन रहा। प्राचार्य सुनील खुडानिया ने बताया कि जिले के पांच माडल संस्कृति स्कूलों में कनीना स्कूल प्रथम स्थान पर है। विज्ञान संकाय में छात्रा दिव्या, समीर एवं महक क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर रहे। वाणिज्य संख्या में सहंकी, तनीष, मयंक ने प्रथम तीन स्थान प्राप्त किये। छात्र सहंकी ने ओवरआल टाप किया है। छात्र दिव्या ने रसायन विज्ञान 95 अंक प्राप्त किए। कला संकाय में विनीत प्रथम, अमन द्वितीय और राजन तृतीय स्थान पर रहे। विद्यालय का परीक्षा परिणाम 86.5 प्रतिशत रहा। प्राचार्य ने समस्त स्टाफ सदस्यों विद्यार्थियों का विवाह को बधाई दी साथ में उन्होंने मॉडल स्कूल में प्रवेश दिलाने की मांग की।
फोटो कैप्शन 6: माडल स्कूल के अव्वल विद्यार्थियों को पुरस्कृत करते हुए प्राचार्य एवं स्टाफ।





स्कूल का परिणाम बेहतर रहा
--भडफ़ स्कूल में 50 विद्यार्थी रहे मेरिट में
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कनीना की आवाज। सरस्वती पब्लिक स्कूल भडफ़ ने दसवीं कक्षा के वार्षिक परिणाम में उत्कृष्ट सफलता प्राप्त की है। विद्यालय के प्राचार्य मनोज कुमार ने बताया कि परीक्षा देने वाले सभी 61 परीक्षार्थी सफल तो हुए ही हैं , साथ ही 50 विद्यार्थियों ने मेरिट सूची में अपना नाम दर्ज करवा कर विद्यालय व क्षेत्र का नाम रोशन किया है । विद्यालय के छात्र हितेष भडफ़ ने 496 अंक लेकर प्रथम स्थान प्राप्त किया , साक्षी भडफ़ 495 अंक लेकर दूसरे स्थान पर रही, 492 अंक लेकर सपना पभडफ़ तीसरे स्थान पर रही इसी प्रकार 486 अंक लेकर दीपेश और नीरू चौथे स्थान पर रहे 480 अंक लेकर आर्यन पांचवे स्थान पर रहा, दीपिका ने 471,ज्योति ने 469 ,मुस्कान 468, सन्नी 468 ,अमित 466, गजेंद्र 465,दीपिका 465 ,राहुल 464 ,अनीश 456 ,मोनिका 456, प्रिंस 455 ,मोहित 454 नैंसी,451 दिव्या, 451 जया 450, यस 450 जैसे कई विद्यार्थियों ने सराहनीय अंक प्राप्त किए हैं। विद्यालय की विशेष उपलब्धि यह रही की विद्यालय में 95त्न से अधिक अंक लेने वाले 6 विद्यार्थी 90त्न से अधिक अंक लेने वाले 22 विद्यार्थी रहे 80त्न से अधिक अंक लेने वाले 50 विद्यार्थी रहे विषयों अनुसार बात की जाए तो गणित विषय में 100त्न अंक प्राप्त करने वाले हितेश ,दीपेश ,साक्षी, सपना ,गजेंद्र और आर्यन जैसे 6 विद्यार्थी रहे, इसी कड़ी में सामाजिक विज्ञान में 100 में से 100 अंक प्राप्त करने वाले हितेश, साक्षी, सपना और नीरू चार विद्यार्थी रहे स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा में हितेष, साक्षी और रवीना ने100 में से 100 अंक प्राप्त किए हिंदी में हितेश ने 99 अंक प्राप्त किए विज्ञान में साक्षी ने 100 में से 100 अंक प्राप्त किए यश ने अंग्रेजी विषय में 95 अंक प्राप्त करके अंग्रेजी विषय को टॉप किया ।इस उत्कृष्ट परिणाम पर विद्यालय के चेयरमैन रमेश कुमार भारद्वाज ने संपूर्ण अभिभावकगण , विद्यार्थियों एवं समस्त विद्यालय स्टाफ का आभार व्यक्त किया ।विद्यालय के डायरेक्टर गजराज सिंह यादव ने इस अद्वितीय सफलता का श्रेय विद्यालय स्टाफ के कठोर परिश्रम विद्यार्थियों की लग्न एवं अभिभावक गण के पर्याप्त सहयोग को दिया है, उन्होंने कहा कि इसी तरह कड़ी मेहनत करते हुए यह बच्चे अपना तो भविष्य उज्ज्वल करेंगे ही साथ ही इस ग्रामीण क्षेत्र को भी गौरवान्वित करेंगे , उन्होंने बच्चों को प्रेरित करते हुए अपनी शुभकामनाएं व बधाई दी इस सम्मान समारोह में संपूर्ण विद्यालय स्टाफ और सभी बच्चे उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 09: स्कूल के अव्वल रहे विद्यार्थी।







 बाजार में कार्बाइड से पके हुए आम नुकसानदायक, आम एवं तरबूज की आई बहार
-डाक्टरों की राय में नहीं खाने चाहिए ऐसे फल
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कनीना की आवाज। कनीना के विभिन्न गांवों और विभिन्न शहरों में आजकल आम की बिक्री तेजी से चल रही है। ये आम देखने में तो बहुत मधुर और पके हुए लगते हैं लेकिन यदि हकीकत में जाए जाए तो कार्बाइड से पका कर बेचे जा रहे हैं। बाजार में जल्दी आने से इनकी मार्केट बढ़ी हुई है, ये जल्दी खराब हो जाते हैं और स्वास्थ्य पर दूरगामी नुकसान पहुंचाते हैं। इन आमों  को डाक्टर खाने से बचने की सलाह देते हैं।
   कैल्शियम कार्बाइड से पके हुए आम दिमाग, स्नायुतंत्र एवं फेफड़ों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं और इसी विधि से केला, आम, पपीता, तरबूज आदि को फल पकाए जा रहे हैं ताकि उनकी मांग बढ़ सके। फल खाने से लीवर को नुकसान पहुंचता है वही पोषक तत्व भी कम हो जाते हैं।
बालकिशन और श्रीकिशन वैद्य का कहना है कि कार्बाइड से पके हुए आम लीवर को बेहद नुकसान पहुंचा सकते हैं जिसके परिणाम स्वरूप भविष्य में शारीरिक समस्या उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने इस प्रकार के फलों को खाने से बचने की सलाह दी है। डा वेद प्रकाश कनीना ने बताया कि यह फल लगातार प्रयोग करने से दिमाग की परेशानी बढ़ जाएगी स्नायु तंत्र खराब हो जाएंगे, फेफड़े आदि काम करना बंद कर देंगे। उन्होंने इन फलों से बचने की सलाह दी अपितु जब तक कार्बाइड से पके आम आ रहे हैं तब तक इन फलों को न खाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि यह फल देखने में अच्छे लगेंगे किंतु कृत्रिम विधि से पकाए हुए हैं। ये भविष्य में शरीर को नुकसान पहुंचाएंगे।
 पूर्व कृषि वैज्ञानिक डॉ देवराज ने बताया की आम की पैदावार गंगा के तट के साथ-साथ मैदानी इलाकों में ज्यादा होती है। उत्तर प्रदेश, बिहार आदि क्षेत्रों में भारी मात्रा में आम पैदावार होती है जो दिल्ली से विभिन्न राज्यों में पहुंचाए जाते हैं। दिल्ली में इनको पैक किया जाता है। उन्होंने बताया कि आम कतई नहीं खाने चाहिए क्योंकि ये नुकसानदायक होते हैं। उन्होंने पपीता, केला व तरबूज आदि जो कार्बाइड से पकाते हैं। इनसे भी बचने की सलाह दी है।
   उल्लेखनीय है कि बाजार में कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए फल जमकर बेचे जा रहे हैं। अनजाने में लोग भी इन्हें बड़े चाव से खा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार गलत तरीके से पकाए गए फलों का लगातार सेवन गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। सबसे ज्यादा खतरा आम, पपीता और तरबूज से है।
डाक्टर अजीत शर्मा एवं डा वेद का कहना है कि कार्बाइड से पके फलों को खाने से स्वास्थ्य पर दूरगामी दुष्प्रभाव पड़ता है। फलों को समय से पहले पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड नामक रसायन का प्रयोग किया जाता है। ये फल लाभ कम नुकसान अधिक पहुंचाते हैं। इसमें काफी मात्रा में कार्बाइड के अंश रहते हैं, जो लीवर सहित शरीर के अन्य भागों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही फलों से मिलने वाले पोषक तत्वों को कम कर देते हैं।
कार्बाइड से पके फलों से कम मिलता है विटामिन-
कार्बाइड से पके आम में विटामिन की मात्रा कम हो जाती है। कैल्सियम कार्बाइड एक रसायनिक पदार्थ है, जो फलों की नमी पानी से क्रिया करके इथाइल गैस बनाता है। इससे गर्मी उत्पन्न होने से समय से पहले फल पक जाता है। यह गैस फलों के माध्यम से लोगों के शरीर में प्रवेश कर जाती है। इससे कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं।
जहर की श्रेणी में कार्बाइड-
 कार्बाइडसे पके फलों के सेवन से दुष्प्रभाव तत्काल हो, लेकिन लगातार सेवन करने से पेट में छाले होने के साथ लीवर गुर्दे पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कार्बाइड केमिकल जहर की श्रेणी में आता है इसलिए लोगों को कार्बाइड से पके फलों के सेवन से बचना चाहिए।
कार्बाइड से पकने वाले फलों की जांच कराने के लिए क्षेत्र में लेबोरेट्री नहीं है। कार्बाइड से पकाए गए फल पूरी तरह से नहीं पक पाते हैं। इसकी पहचान गौर करने से हो सकती है। यह फल ऊपर से पके अंदर से कच्चे होते हैं। इनका रंग भी प्राकृतिक रूप से पके फलों की अपेक्षा तेज होता है। फलों को हाथ में लेकर तेज रंगों को देखकर इनकी पहचान की जा सकती है।  अगर आम में एलकोहल, कार्बाइड या किसी अन्य तरह की महक आती है ऐसे आम न खरीदें। ये ज्यादा पके और अंदर से खराब हो सकते हैं। अच्छे आम पर सामान्य के अलावा कोई दाग नहीं होते जबकि केमिकल वाले आम का रंग 2-3 दिन के अंदर काला होने लगता है। आम खरीदते समय इन्हें दबाकर देखें। पके आम आसानी से दब जाएंगे.
आम खरीदने से पहले इन्हें चखकर देखें चखने से मीठे और स्वादिष्ट लगें तो ही लें जबकि कार्बाइड से पकाए फल का स्वाद किनारे पर कच्चा और बीच में मीठा होता है। बिना कार्बाइड के पके हुए फल का वेट और कलर एक समान होता है। स्वाद में भी पूरा फल एक समान मीठा होता है. यह लंबे समय तक खराब नहीं होते जबकि कार्बाइड से पकाए फलों का भार समान नहीं होता। बाजार से खरीदे हुए आम पहले साफ पानी से धो लें फिर किसी ठंडी जगह पर एक-दो घंटे रख दें। इसके बाद खाने में इस्तेमाल करें।
फोटो कैप्शन 05:  बेचे जा रहे आम



 अवकाश यात्रा रियायत बजट अभी तक नहीं मिलने से कर्मचारियों में रोष
- निकट भविष्य में सेवानिवृत्त होने वाले हैं कुछ कर्मी तो
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कनीना की आवाज। सरकार कहने को तो हर 4 साल बाद कर्मचारियों को रियायत अवकाश यात्रा जिसे एचटीसी नाम से जाना जाता है, देती है। वर्तमान में 2020 से 2023 ब्लाक वर्ष का एलटीसी चल रहा है किंतु अभी भी सैकड़ों ऐसे शिक्षक हैं जिनको यह लाभ नहीं मिल पाया है जबकि उनकी सेवानिवृत्ति भी निकट भविष्य में होने जा रही है।
बजट तो आता है किंतु अधिकारी सेवानिवृत्ति के करीब शिक्षकों को न देकर अन्य कर्मचारियों को दे देती है जिससे ये शिक्षक कर्मचारी मायूस नजर आते हैं। क्षेत्र की शिक्षकों से इस संबंध में बात की उनके विचार निम्न है-
सेवानिवृत्ति के बहुत करीब हूं किंतु अभी तक एलटीसी वर्ष 2020 से 23 नहीं मिली है। जबकि अगला एलटीसी ब्लाक वर्ष भी शुरू हो गया है। उनका कहना है कि सरकार समय-समय पर बजट जारी करती किंतु उनके खाते में कोई बजट नहीं आता। इसके चलते उनकी एलटीसी नहीं मिल पा रही है। आगामी 3 महीना में उनकी सेवानिवृत्ति होने वाली है। ऐसे में उनकी सरकार से मांग है कि झटपट उनकी एलटीसी का बजट दिया जाए और उनकी एलटीसी निकली जाए।
--- रामनिवास शिक्षक
कहने को एलटीसी कर्मचारी का अधिकार है किंतु इसे पाने के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ती है। वर्ष 2020 से 2023 का एलटीसी का बजट आया तो है किंतु उनको नसीब नहीं हुआ। जिसके चलते उनकी एलटीसी अभी तक नहीं निकल पाई है। उनकी मांग है कि जल्द से जल्द उनका एलटीसी का बजट डालकर एलटीसी निकल जाए।
---जोगेंद्र सिंह,शिक्षक
 फोटो कैप्शन: रामनिवास तथा जोगिंद्र सिंह





उच्च आदर्श स्थापित किए हैं कनीना के एचएस यादव
- सादे कपड़े, सादे विचार और साइकिल पर चलना उनकी है बखूबी
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कनीना की आवाज। दिखावे भरे शहर में कुछ ऐसे लोग भी मिल जाते हैं जो सादगी से जीवन जीते हैं और दूसरों के लिए उदाहरण बनकर सामने आते हैं। यदि सरकारी नौकरी में भी हो तो लोग गाडिय़ों की तरफ दौड़ते हैं और ऊंचे ख्वाब मिलते हैं। परंतु एक ऐसी शख्सियत भी कनीना क्षेत्र की है, जिनके पास सरकारी नौकरी भी रही परंतु कभी किसी वाहन की ओर नहीं दौड़े, साइकिल पर ही चले और आज भी साइकिल पर चल रहे हैं। एचएस यादव एक ऐसी शख्सियत है जो बचपन से ही साइकिल के शौकीन रहे। स्कूलों में शिक्षण के लिएभी साइकिल का प्रयोग किया और आज भी साइकिल पर ही चलते हैं और अभी चुस्त दुरुस्त है। हालांकि शिक्षा विभाग में 40 सालों तक शिक्षण कार्य निजी स्तर पर और सरकारी तौर पर किया, पास में पैसे भी रहे परंतु उन्होंने कभी किसी वाहन की नहीं सोची। आज वे बेशक सेवन नियुक्त हो चुके है लेकिन उनके हजारों विद्यार्थी आज भी उन्हें याद कर प्रसन्नचित हो जाते हैं। कालेज से लेकर सरकारी स्कूलों में श्री यादव ने जहां सादगी भरे कपड़े पहने हैं, कभी दिखावे पर नहीं उतरे परंतु कहावत है कि सादा जीवन उच्च विचार। अगर ऐसी भावना कहीं देखने को मिलती तो एचएस यादव कनीना मेें है। जिस भी क्षेत्र में उतरते हैं अच्छा खासा नाम कमाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में तो उनका कोई सानी नहीं है। जब तक पढ़ाया कभी किसी कुर्सी पर नहीं बैठे। शिक्षण कार्य दौरान ही उन्होंने 36 विभिन्न पुस्तकों की रचना की है। यही कारण है कि हरियाणा साहित्य अकादमी से पुरस्कार मिल पाया और क्षेत्र में नाम भी कमाया है। लेखन कार्य को देख तो वह भी उनका उतना ही बेहतरीन है जितना शिक्षण कार्य। सादगी भी इतनी बेहतरीन है जितने उनके सादे विचार है। आने वाली पीढ़ी शायद यह विश्वास नहीं करेगी कि इस प्रकार का व्यक्ति भी कनीना क्षेत्र में रहा होगा। बचपन में जहां श्रीकृष्ण की तरह गाय एवं भैंस पालकर उनका खूब दूध पीते रहे। गरीबी हालात में जरूर रहे परंतु दूध घी के क्षेत्र में कभी गरीब नहीं रहे। सबसे बड़ी खूबी उनकी पेड़ पौधों से लगाव की है। उन्होंने अपने घर को भी बागवानी में बदल रखा है अपने घर में अनेकों फल और फूलदार पौधे उगा रखें हैं। जहां भी उन्हें मिल जाती है पशु-सिंह पेड़ पौधे लगाकर प्रसन्नचित रहते हैं। जितना भी समय बचता है पेड़ पौधों की सेवा में बिताते हैं। अब तक समय समय पर तीन बार राज्यपाल से सम्मानित हो चुके हैं। प्रशासन ने दर्जनों बार तो विभिन्न संस्थानों ने सैकड़ों बार पुरस्कृत किया हुआ है।उच्च लिखे पढ़े होने/पीएचडी के कारण वे डाक्टर कहलाते हैं। वर्षों के बाद पैदा होती है जो सादगी भरे जीवन में जीती है। उनको उनको एक आदर्श शिक्षक ही नहीं आदर्श इंसान और आदर्श लेखक भी कहा जा सकता है।
वे शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त होकर अब जन सेवा में उतर आए हैं। उनका मानना है कि जन सेवा सबसे बड़ा क्षेत्र है तथा जन सेवा करके इंसान परमात्मा की करीब पहुंच जाता है। वैसे भी धार्मिक विचारों में उनका कोई सानी नहीं है। कभी हरिद्वार पैदल जाना कभी कावड़ लाना कभी खाटू धाम पैदल जाना कभी ध्वज अर्पित करना, कभी किसी धार्मिक स्थान पर जाना उनकी विशेषता रही है। लंबे समय तक उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के धार्मिक स्थानों की यात्रा की है। अपने आप में खुश है। मलाल उनको बस इस बात का है कि उनके जीवन में खुशियां जब भी आई, दस्तक देकर  चली गई। उनका पूरा परिवार ही आज भी लेखन क्षेत्र में नाम कमा रहा है। उनकी पत्नी जो लेखिका और वरिष्ठ पत्रकार भी सुमन यादव नाम से रही परंतु कुछ ही सालों के बाद उनका साथ छोड़कर चल बसी। यही कारण है कि वह आज सब प्रभु की माया मानते हैं। उनका कहना है कि परमात्मा जो करता है इंसान के कुछ भले के लिए ही करता है।
फोटो कैप्शन: एचएस यादव






जागो वोटर, जागो
वोट डालना नैतिक फर्ज -गणेश
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कनीना की आवाज। वोट डालना हमारा नैतिक फर्ज भी है तथा वोट डालने के लिए हर इंसान को जाना चाहिए। यह वोट का अधिकार बड़ी मुश्किल से मिला है, । ये विचार कनीना मंडी के गणेश कुमार दुकानदार के हैं।
उनका कहना है कि जो भी व्यक्ति उनके पास कोई बुक लेने के लिए आता है तो वे उसे जागरूक करते हैं ताकि अधिक से अधिक मतदान हो सके।  वोट बनवाना भी जरूरी है, तो वोट डालना भी जरूरी है। एक-एक वोट की कीमत होती है। ऐसे में वोट डालना जरूरी हो जाता है, वह डालकर हम परोक्ष रूप से अपनी सरकार को चलाते हैं। वोट का हक मिला है तो वोट डालना नैतिक जिम्मेदारी भी बन जाती है।
अपनी मनपसंद के प्रत्याशी को बिना किसी लोभ लालच के वोट देना चाहिए, जो हमारी मांगों को सत्ता में रहते हुए पूरा कर सके। यदि वह प्रत्याशी चुनाव जीत जाता है तो मन को खुशी होती है। चुनाव आयोग द्वारा घर के आसपास नजदीक पोलिंग बूथ बनता है, बनाए गये बूथ पर  जाकर निर्धारित समय और तिथि पर ही वोट डालने चाहिए। वह डालते समय अपनी पसंद को ध्यान में रखना चाहिए और उसे वोट देना चाहिए।  सभी नेता आपका वोट पाने के लिए आते हैं, जिसका निर्णय भी स्वयं करना होता है कि वह किसे पसंद करते हैं।
 फोटो कैप्शन गणेश कुमार दुकानदार।






अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाया कनीना का मिनी बाईपास
-लोकसभा चुनाव आने से फिर पड़ गया खटाई में, अगले वर्ष की संभावना
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कनीना की आवाज। यूं तो कनीना में विकास कार्यों की झड़ी लगी हुई है। नये एवं पुराने मार्गों को सड़कों का निर्माण किया जा रहा है परंतु कनीना का सबसे प्रमुख मार्ग जिस पर सभी की नजरें टिकी हुई है, का निर्माण अभी भी नहीं हो पाया है। अभी तक उसके टेंडर नहीं छोड़े जा सके हैं। यह मिनी बाईपास नाम से जाना जाता है। कनीना अनाज मंडी से गुजरने वाली नहर के साथ साथ रास्ता गुजरता है। नहर को भूमिगत तो कर दिया गया तथा इसके दोनों तरफ सड़क मार्ग बनाया जाना है जिससे रेवाड़ी सड़क मार्ग को अटेली-नारनौल सड़क मार्ग से जोड़ दिया जाएगा। परिणामस्वरूप कनीना बस स्टैंड से होकर गुजरना नहीं पड़ेगा और यह मिनी बाइपास का काम करेगा क्योंकि इसके पेड़ों को हटाया जाना है तथा बिजली की लाइन को भी दुरुस्त किया जाना है।  तत्पश्चात ही सड़क मार्ग बना बन पाएगा जिसको लेकर लंबे समय से कवायद चल रही है परंतु ऐन मौके पर अब लोकसभा चुनाव आने से एक बार फिर से मामला अधर में लटक गया है। इसके बाद विधानसभा के चुनाव आएंगे, कनीना पालिका के चुनाव आएंगे और फिर कोई ऐसी संभावना बन सकती है। कहने का अर्थ है कि अगले वर्ष में कोई संभावना इसके बनने की हो सकती है। सबसे बड़ी बात है कि कनीना नगरपालिका भंग हुए एक साल के करीब हो गया है।  अभी तक चुनाव नहीं हुये है। ऐसे में भविष्य में भी अभी चुनाव होते नजर नहीं आ रहे और ऐसा लगता है कि अब तो विधानसभा के चुनाव के बाद ही कनीना नगर पालिका के चुनाव होंगे। बहरहाल अगर मिनी बाईपास लोकसभा चुनाव के बाद भी नहीं बन पाता है तो विधानसभा चुनाव के बाद ही बन पाएगा। बारिश के समय यह मिनी बाईपास/कच्चा रास्ता जल से भर जाता है, आवागमन प्रभावित होता है। ऐसे में इस मार्ग की पक्का किये जाने की सबसे अधिक आवश्यकता है।
फोटो कैप्शन 04: कनीना का मिनी बाइपास नाम से जाना जाने जाने वाला मार्ग








सैकड़ों शिक्षक पारिश्रमिक मिलने की आश में हो चुके हैं सेवानिवृत्त
डेढ़ वर्ष से चुनावी तैनाती का पारिश्रमिक पाने का कर रहे हैं शिक्षक इंतजार
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कनीना की आवाज। एक और जहां नवंबर 2022 के पंचायती चुनावों का पारिश्रमिक अभी तक शिक्षकों को नहीं मिला और उस पर अब 25 मई को लोकसभा के चुनाव की तैयारियां हैं। कितने ही शिक्षक इस पारिश्रमिक का इंतजार करते हुए सेवानिवृत्त हो चुके हैं। पहली बार ऐसा हुआ है कि जब पारिश्रमिक देने में इतनी ढिलाई बरती जा रही है।
 नवंबर 2022 में शिक्षा विभाग के लगभग सभी शिक्षकों को चुनावी तैनाती में लिया गया था किंतु शिक्षकों को पंचायत चुनाव में पारिश्रमिक नकद न दिए जाने का भारी रोष पनपा था और आज तक पारिश्रमिक दिये जाने का इंतजार है। शिक्षकों का कहना है कि नवंबर 2022 से पहले भी मतगणना तथा अन्य तैनातियों  का पारिश्रमिक भी अभी तक नहीं मिला है। नवंबर 2022 के चुनावों में पारिश्रमिक देने के लिए महज पेई कोड लिया गया था जिससे पारिश्रमिक मिलना उन्हें कठिन नजर आ रहा है क्योंकि ओ एवं शून्य आपस में मिलते हैं वहीं कई पीठासीन अधिकारियों ने पारिश्रमिक फार्म में आधी अधूरी जानकारी दी हैं। उन्होंने मांग की है कि सभी शिक्षकों को अविलंब पारिश्रमिक भिजवाने सुनिश्चित किया जाए। वैसे भी नवंबर 2022 में दीपावली के दिनों में तथा अवकाश के दिनों में रिहर्सल एवं चुनाव पूर्ण करवाये गये थे। शिक्षक पूरी पूरी रात चुनावी तैनाती में लगे रहे यहां तक की सामान जमा करवाते समय भी पूरी रात कागज कार्रवाई करते रहे परंतु उन्हें भोजन के नाम पर कुछ पैसे देकर काम की इतिश्री समझ ली गई।
अध्यापक नेता धर्मपाल शर्मा, अध्यापक नेता सुनील कुमार, अध्यापक नेता निर्मल आदि ने इस संबंध में चुनाव आयोग से प्रार्थना की है कि अविलंब पारिश्रमिक सभी शिक्षकों को स्कूलों में जाकर प्रदान किया जाए। अब लोकसभा चुनाव 25 मई को हैं फिर विधानसभा चुनाव और फिर नगरपालिका चुनाव आएंगे किंतु शिक्षक पारिश्रमिक पाने के लिए लगता है मुंह ताकते रह जाएंगे। अधिकारी मौन हैं।









कवियों की मधुरवाणी सम लगते हैं रोचक किस्से
--चौपालों में लगने लगे हैं ठहाके
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कनीना की आवाज। 25 मई को लोक सभा चुनावों के दृष्टिगत लोगों के चेहरों पर बहार आ गई है। नेता बेशक मारे मारे फिरने लगे हैं किंतु मतदाता सभी नेताओं को परख रहे हैं। चाहे नेता चुनावों को लेकर प्रसन्न हो किंतु अधिकारी एवं कर्मचारी प्रसन्न नहीं हैं क्योंकि उनकी तैनाती इन चुनावों में लगी है। विगत चुनावों के समय का पारिश्रमिक भी नहीं मिला है। भावी चुनावों के दृष्टिगत कुछ चुनावी चटखारे देखने को मिल रहे हैं। कनीना में अब तो जहां भी भीषण गर्मी से राहत मिलती है वहीं पर कुछ लोग इकअ्ठा हो जाते हैं और उनके मुंह से ठहाके निकल पड़ते हैं। सभी अपने अपने ठहाके इन नेताओ एवं वोटरों पर सुनाते हैं। लाल सिंह, दीपक, मोहन सिंह, सुनील, देवेंद्र, रविंद्र आदि ने ये ठहाके नताओं पर सुनाएं।
जो कल तक थे गैरों में वो आज पड़े हैं पैरों में-
बहुत से छुटभैया नेताओं पर यह कहावत शत प्रतिशत सही उतरती है। कल तक जिन्हें गालियां देते थे, कटाक्ष करते थे और एक दूसरे के दुश्मन नजर आते थे आज वो पैरों में पड़े देखे जा सकते हैं। घुट-घुटकर यूं बातें करते हैं जैसे श्रीकृष्ण और सुदामा की जोड़ी हो और उनकी दोस्ती किसी लैला मजनूं से कम न हो। पड़े भी क्यों न अब ही तो अवसर मिला है। चुक गए तो पांच सालों तक सिर धुनना होगा।
खाओ पीओ और मौज उड़ाओ-
वाह चुनाव! बेशक किसी के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। किसी की बेशक शामत आई हो किंतु कुछ लोग अति प्रसन्न हैं जिन्हें घर में खाने के लिए रोटी समय पर नहीं मिलती थी और परिवार गाली देकर बाहर निकालते थे। आज उनकी खूब चढ़ गई है। वे नेताओं के वोट पकाने के बहाने से न केवल गाडिय़ों में घूमते हैं अपितु पीने के लिए बेहतर शराब और खाने के लिए मुर्ग मसल्लम मिल रहा है। सच ही कहा है बेशक तुम ठुकराओ हम तो इन्हें गले लगाएंगे।
बहु से मार खाएंगे तुम्हारी तकदीर बनाएंगे-
इन चुनावों में बेशक कुछ ऐसे भी शख्स हैं जिनके परिवार में उनकी पत्नी तक उनके कहे पर वोट न दे। उनके पल्लू में खुद का वोट ही मुश्किल से हैं। वे आज वोट दिलाकर नेताओं की तकदीर बदलने के लिए आगे हैं। ये जन किसी को वोट दे पाए या नहीं किंतु अपनी नेतागिरी चमकाने में अहं भूमिका निभा रहे हैं।
तू डाल-डाल तो मैं पात-पात-
जहां नेता चालाक हो गए हैं वहीं मतदाता उनसे भी कहीं अधिक चालाक नजर आते हैं। कोई भी नेता गांव में आता है तो भारी भीड़ जुटती है चाहे वो किसी भी दल का क्यों न हो। मतदाताओं का कहना है कि सुनेंगे सभी की किंतु करेंगे अपने मन की। सभी को वोट देने की हां कहने वाले भी मतदाता कम नहीं हैं। इसे तो कहते हैं तू डाल-डाल तो मैं पात-पात।
हम तुम्हें मनाएंगे तुम खरी खोटी सुनाएंगे-
पुरानी बैर भावना को भुलाने के लिए नेता एवं छुटभैया नेता अब मतदाताओं के पास आने लगे हैं। बड़े नेता छुटभैया नेताओं के पास आ रहे हैं और उन्हें मना रहे हैं। छुटभैया नेताओं और मतदाताओं की कैसी चढ़ी है वो तो अब खरी खोटी सुना रहे हैं। नेता सुनकर आ रहे हैं और जोड़कर उन्हें वोट देने की अपील कर रहे हैं। वोट का मसला ही ऐसा है जिसमें आज के दिन तो उसके जूते तक सिर पर खाने को तैयार हैं और कह रहे हैं हमें तुमसे प्यार है।
कैसा आया मोड़ कही नहीं ठोर-
समय के साथ-साथ हर चीज बदल जाती है। इंसान बदल जाते हैं और पैगाम बदल जाते हैं। कुछ छुटभैया नेता तो ऐसे हैं जिनको कहीं भी ठोर नहीं है। समय ने ऐसा मोड़ ला दिया है कि उनके सामने यह स्थिति बन गई है कि मैं उधर जाऊं या इधर जाऊं बड़ी मुश्किल में हूं मैं किधर जाऊं। ये छुटभैया नेता बस किसी बड़े नेता के उनके द्वार तक एक बार बस एक कह दे तो वे उनकी ओर होने को तैयार हैं। वाह रे वक्त। तभी तो कहा है-आदमी को चाहिए वक्त से डर कर रहे।
ईश्वर करे ये दिन आए ना बार-बार-
नेता किसानों के पीछे जाने लगे हैं। जो लोग ढ़ाणियों में रहते हैं उनके घर तक मार्ग कच्चे हैं जिनमें एसी युक्त गाडिय़ां तो जाती नहीं हैं। ऐसे में नेताओं को पैदल ही चलना पड़ता है। कहीं कांटों का डर तो कहीं नागों का डर। पड़ते गिरते हांफते हुए नेता उन वोटरों तक पहुंच रहे हैं। उनको बहुत कष्ट होता है किंतु मजबूरी वोट की है। वोटर कह रहे हैं-अल्लाह करे यह दिन आए बार बार तो नेता कह रहे हैं-यह दिन आए ना बार-बार।
फोटो कैप्शन 02: नेताओं के ठहाके सुनाते हुए।















आर्य समाज रसूलपुर का वार्षिक उत्सव संपन्न
-यज्ञ एवं प्रवचन आ













योजित
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कनीना की आवाज। रविवार को आर्य समाज रसूलपुर का दो दिवसीय वार्षिक उत्सव संपन्न हो गया। अंतिम दिन आगाज यज्ञ के साथ हुआ तथा यज्ञ ब्रह्मा अचार्य अनुज शास्त्री देहरादून रहे वहीं यज्ञमान के रूप में दिल्ली पुलिस में कार्यरत राजेश कुमार सपत्नी तथा दूसरे जोड़े के रूप में सचिन कुमार सपत्नी रहे।
प्रथम स्तर में संगीता आर्य सहारनपुर, महाशय बंसी राम, महाशय रामावतार बिहाली, महाशय सत्यवीर दंताल, महाशय विजयपाल आर्य जटगांवडा ने ईश्वर भक्ति, सामाजिक कुरीतियों, आधुनिक युवा पीढ़ी के नवनिर्माण आदि विषयों पर विस्तार से अपने प्रवचनों द्वारा प्रकाश डाला। इस अवसर पर विभिन्न आर्य समाज से पधारे हुए आर्यजन, ग्रामवासी आदि उपस्थित रहे। ग्रामवासियों ने आर्य जनों का स्वागत किया। कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा। विभिन्न प्रबुद्धजनों को मंच से सम्मानित भी किया गया।
 फोटो कैप्शन 03: प्रवचन करते हुए आर्य समाज रसूलपुर के महाशय।

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