विश्व सांप दिवस -16 जुलाई
भारत में मिलते हैं 69 प्रकार के जहरीले सांप
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कनीना की आवाज। भारत में 69 प्रकार के जहरीले सांप मिलते हैं। जहां आम आदमी सांप को देखकर सिहर उठता है परंतु सांप हमारे दुश्मन नहीं दोस्त माने जाते हैं क्योंकि चूहों को खाते हैं ये चूहे विशेष कर हमारी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए किसान के भी साथी कहलाते हैं। यह सत्य है कि जब उनका कोई भाग दब जाता है और उन्हें ऐसा लगता है कि वह उन्हें मारने वाले हैं तो वे काटना शुरू कर देते हैं। सांप सरीसृप प्राणी है जो जल व थल दोनों पर रह सकता है। रस्सी की तरह इसका शरीर होता है कभी सांपों के पैर होते थे, धीरे-धीरे सांपों के पैर लुप्त होते चले गए। सांप विषैले तथा विषहीन दोनों प्रकार के पाए जाते हैं।
विस्तृत जानकारी देते हुए सांपों की जानकारी देते हुए जीव विज्ञान के ज्ञाता रविंद्र कुमार बताते हैं कि यूं तो सांपों की दुनिया भर में 3000 तक प्रजातियां पाई जाती है किंतु भारत में 69 प्रजाति विषैली होती है इनमें से 29 समुद्री सांप और 40 स्थलीय सांप होते हैं। उन्होंने बताया कि सांप किसान के दोस्त होते हैं, हम अक्सर सांप दिखाई देते ही पीठ पीठ कर मारने की कोशिश करते हैं किंतु ऐसा नहीं करना चाहिए। सांप को बोरी आदि में बंद करके दूर जंगलों में छोड़ देना चाहिए। सांप शीत रक्त प्राणी है इसका तापमान स्वयं नियंत्रित नहीं रहता, यह वातावरण के अनुसार घटता बढ़ता रहता है। सांप ढेर सारा भोजन खाने के बाद लंबे समय तक जीवित रह सकता है। सबसे बड़ा सांप अजगर होता है और और छोटे सांप भी पाए जाते हैं। दुनिया में सबसे छोटा सांप 10 सेंटीमीटर तक का होता है। जब सांप एक विशेष आवाज निकालते हैं। सांपों को देखकर डरने की बजाय उसे कहीं दूर छोडऩे का प्रयास करना चाहिए, वरना आने वाले समय में सांपों की संख्या घटती चली जाएगी और चूहों की संख्या बढ़ जाएगी।
फोटो कैप्शन: रविंद्र कुमार विज्ञान के ज्ञाता
विधानसभा चुनावों की आहट सुनाई देने लगी, अक्टूबर में संभावित
- नेताओं ने छोड़ छेड़ दी है जंग
-कनीना में चल रहा है पोस्टर युद्ध
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कनीना की आवाज। अटेली विधानसभा क्षेत्र में नेताओं ने अभी से विधानसभा चुनाव लडऩे की जंग छेड़ दी है। विधानसभा चुनाव अक्टूबर में संभावित है। यही कारण है कि इस बार लोकसभा चुनाव संपन्न होते ही नेताओं ने विधानसभा की ओर मुख मोड़ लिया है। एक और जहां विभिन्न नेता विभिन्न कार्यक्रमों में जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं वहीं सोशल मीडिया पर जमकर प्रचार कर रहे हैं।
अटेली विधानसभा सीट से चुनाव लडऩे वाले ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है तथा सोशल मीडिया पर उन्हें विधानसभा के वोट देने की अपील शुरू कर दी है। दीवारों पर पोस्टर एवं बैनर तो सरकारी खंभों पर पोस्टर युद्ध चल रहा है। वहीं कुछ नेताओं ने अपने बैनर भी लगाकर विद्युत निगम के खंभों का हुलिया ही बिगाड़कर रख दिया है। अब वह समझते हैं कि सोशल मीडिया और खंभों पर अपने बैनर बोर्ड लगाने से वोट बढ़ जाते हैं।
उल्लेखनीय की लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में लगभग बराबर की टक्कर रहने के चलते जहां कांग्रेस के नेता अधिक सक्रिय होते नजर आ रहे हैं वहीं भाजपा के चुनाव लडऩे वाले लोग भी आगे आ रहे हैं। विभिन्न दलों के नेता भी धीरे-धीरे अपनी भागीदारी दर्शाने लगे हैं। चुनाव अक्टूबर में संभावित जिसको लेकर के अब चाय की दुकान और अन्य दुकानों पर चुनावी चर्चा होने लगी है। एक और जहां लोगों का यह भी मत है कि अभी चुनाव नहीं कराए जाएंगे क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी का जन आधार अच्छा नहीं लगता इसलिए चुनाव में कुछ देरी हो सकती है परंतु विगत योजना में अक्टूबर में चुनाव हुये थे।
वर्ष 2019 में हरियाणा विधानसभा के चुनाव इस 21 अक्टूबर को संपन्न हुए थे। ऐसे में इस वर्ष भी यह माना जा रहा है कि अक्टूबर महीने में चुनाव संभावित है होंगे जिसके चलते अब विभिन्न विभागों में हलचल भी बढ़ी हुई है ताकि किसी प्रकार का ट्रांसफर आदि संभव हो तो करवाया जा सके क्योंकि उन्हें यह डर लग रहा है कि भविष्य में विधानसभा चुनाव के लिए फिर से आचार संहिता लग जाएगी और ट्रांसफर आदि नहीं हो पाएंगे। विशेष कर शिक्षा विभाग सबसे बड़ा विभाग होने के कारण कर्मचारी टकटकी लगाए विधानसभा चुनाव से पहले अपने ट्रांसफर चाहते हैं किंतु अब यह नहीं लगता कि कोई ट्रांसफर हो पाएंगे। वहीं दूसरी और कनीना एवं प्रदेश की 21 अन्य नगर पालिकाओं के चुनावी संपन्न कराए जाने है। करीब एक साल बीत गया है किंतु कनीना नगर पालिका के चुनाव नहीं हो पाये हैं। अब तक कनीना में 13 वार्ड नगरपालिका के होते थे परंतु इस बार 14 वार्डों का चुनाव होगा। इन चुनाव में और भी कुछ देरी होने की संभावना है क्योंकि विधानसभा चुनाव आ जाते हैं तो कनीना नगर पालिका के चुनाव वर्ष 2025 में ही संभावित हो पाएंगे। यही नहीं विभिन्न कर्मचारियों के तबादले आदि भी वर्ष 2025 में सुनिश्चित माने जा रहे हैं। बहरहाल अटेली विधानसभा क्षेत्र में नेताओं की हलचल बढ़ती ही जा रही है तथा विभिन्न सोशल मीडिया के मार्फत अपनी अपनी भागीदारी दर्शाने का प्रयास कर रहे हैं। कनीना निवासी जसवंत सिंह बबलू भी अपना प्रचार शुरू कर चुके हैं। वे भाजपा के पुराने युवा नेता है। सुनील राव, अभिमन्यु एवं कई अन्य नेता जी जान एक करने लगे हैं। आरती राव के भी अटेली से चुनाव लडऩे की प्रबल संभावना है।
सावन माह की तैयारियां शुरू
शिव आराधना का माह सावन, कावडिय़े होंगे हरिद्वार के लिए रवाना
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कनीना की आवाज। 22 जुलाई से सावन माह शुरू होगा जो 19 अगस्त तक चलेगा। 21 जुलाई की गुरू पूर्णिमा है जब हरिद्वार में सबसे अधिक भक्त पहुंचते हैं। देशभर में श्रावण माह में कई स्थानों पर मेले लगते हैं, पींग पर झूलने की प्रथा , तीज का पर्व, पतंगबाजी तथा रक्षा बंधन का त्यौहार भी इसी माह से जुड़े हुए हैं। हरियाणा के बाघोत स्थित बाघेश्वर धाम का प्रसिद्ध मेला भी सावन माह में 2 अगस्त को लगेगा। ऐसे में श्रावण माह को त्योहारों का माह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से सावन शुरू होता है तथा रक्षा बंधन पर समाप्त हो जाएगा।
भीषण गर्मी से जहां राहत मिलती है वहीं दिन को झूला झूलने तथा रात के समय श्रावणी गीतों की गूंज सुनाई पड़ती है जो मन को मोह लेती है। श्रावण माह के आते ही ऊंचे वृक्षों पर झूले डाल दिए जाते हैं जिन पर बच्चियां व महिलाएं दिनभर झूलती रहती हैं।
सावन माह की तीज का यूं तो पूरे देश में ही महत्व है किंतु ग्रामीण क्षेत्रों में पतंगबाजी करके यह पर्व मनाया जाता है। ज्यों-ज्यों यह पर्व पास आता है त्यों-त्यों पतंगबाजी तेज हो जाती है। तीज के दिन अंतिम बार पतंगबाजी की जाती है। अच्छी वर्षा व सुहावना मौसम के साथ--साथ लहलहाती फसल को देखकर युवा वर्ग पूर्णतया पतंगबाजी में खो जाता है। तीज पूर्व सिंधारा आता है जब घेवर मिठाई की बहार देखने को मिलती है। अपनी विवाहित लड़की के लिए मां-बाप घेवर की मिठाई भेजते हैं। पूरे माह पकवान बनते हैं तथा गीत गूंजते रहते हैं। पदमावत के गीतों से कम इनमें भी विरह नहीं होता।
श्रावण माह के शुरू होते ही बम-बम की जयघोष शुरू हो जाती है। भारी संख्या में भक्तजन नीलकंठ व हरिद्वार जाते हैं और वहां से कांवर लाकर शिवालयों में गंगाजल चढ़ाते हैं। शिवालयों में तांता लगता है वहीं पूरे माह व्रत चलता है। भक्तजन गंगा में डुबकी लगाते हैं और शिवालयों में जाकर भक्ति करते हैं। श्रावण माह के अंत में भाई-बहन के प्यार को इंगित करने वाला रक्षा बंधन का पर्व आता है। भाई अपनी बहन के पास अपनी कलाई पर रक्षासूत्र बंधवाने बहन के पास जाता है। बहन कहीं भी हो वह अपने भाई के आने का इंतजार करती है। इस पर्व का ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व भी है। सुमेर सिंह चेयरमैन, वेदप्रकाश, मिंटू आदि कांवडिय़ों ने बताया कि सावन माह की तैयारियां पूर्ण हो गई हैं और वे हरिद्वार ट्रेन से जाएंगे। पांच दिनों में हरिद्वार से कावड़ लाकर बाघेश्वर धाम पर अर्पित कर देंगे।
क्या कहते हैं सुमेर सिंह-
सुमेर सिंह जिनकी उम्र 72 वर्ष हैं वजन महज 50 किग्रा है किंतु वर्ष 1981 से लगातार प्रतिवर्ष सावन माह में कांवर लाकर अर्पित करते आ रहे हैं। इस वर्ष 2 अगस्त को शिवरात्रि का कांवर मेला लग रहा है। वे अब तक चार खड़ी, दो बैकुंठी तथा 38 झूला कांवड़ ला चुके हैं। वे डाक कांवर में कतई विश्वास नहीं करते हैं और डाक कांवड़ को बेहतर नहीं मानते हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें बेहद खुशी मिलती है कि वो कांवड़ लेकर आये।
फोटो कैप्शन: सुमेर सिंह
साथ में फोटो कैप्शन 09: बाघेश्वर धाम जहां कांवड़ अर्पित की जाती हैं।
मिशन बुनियाद की कक्षा का किया शुभारंभ
-जी लगाकर पढऩे से मिलते हैं वांछित परिणाम -प्राचार्य
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कनीना की आवाज। राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना में सत्र 2024-25 के तहत मिशन बुनियाद की कक्षा नौवीं का सत्र का शुभारंभ प्राचार्य सुनील खुडानिया ने विधिवत रूप से किया।
उन्होंने बताया की मिशन बुनियाद जो हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, इसके तहत कक्षा 9वीं से आईआईटी, नीट की कोचिंग कक्षा शिक्षण के साथ साथ दी जाती हैं। माडल स्कूल कनीना खंड का एकमात्र ऐसा स्कूल है जिसमें मिशन बुनियाद के तहत कक्षाएं लग रही है। प्राचार्य ने इस अवसर पर बताया कि आज का समय प्रतियोगिता की तैयारी हेतु अपने आप को सक्षम करने का है। विद्यार्थी को विभिन्न स्तरों पर परीक्षा की तैयारी करनी होती है। इसके लिए मिशन बुनियाद एक अच्छा मंच है। इस अवसर पर बुनियाद के को-आर्डिनेटर संदीप कुमार, पूनम बाला आदि मौजूद रही।
फोटो कैप्शन 08: मिशन बुनियाद का शुभारंभ करते हुए प्राचार्य
डा. रेणू वर्मा ने संभाला कनीना में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी का पद
-दस वर्षों से चल रहा था एसएमओ का पद रिक्त
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कनीना की आवाज। डा. रेणू वर्मा ने कनीना के उप-नागरिक अस्पताल में बतौर वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी पद संभाल लिया है। उनकी पदोन्नति रेवाड़ी से कनीना हुई है। जहां रेवाड़ी में उनके नागरिक अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी डा. रेणू वर्मा को विदाई दी वहीं कनीना के उप-नागरिक अस्पताल में उन्हें विधिवत रूप से कार्यभार ग्रहण करवाया गया।
उल्लेखनीय की कनीना उप-नागरिक अस्पताल में करीब 10 वर्षों से एसएमओ का पद रिक्त चल रहा था। अभी तक डा. सुंदरलाल इस पद पर कार्यवाहक अधिकारी रहे हैं किंतु अब स्वतंत्र रूप से डा. रेनू वर्मा के आ जाने पर कनीना क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर है। सबसे बड़ी विशेषता है कि कनीना में गाइनेकोलाजिस्ट की कमी थी। महिलाएं अपने विभिन्न प्रकार के रोगों से के लिए दूर-दराज जाने को मजबूर थी। अब डा.रेणू वर्मा एसएमओ के साथ-साथ गायनी से संबंधित विभिन्न रोगों के उपचार के लिए उपलब्ध हो सकेंगी। उनके कार्यभार ग्रहण करते समय डा. सुंदरलाल, डा. अंकित, डा. दिनेश, डा. जितेंद्र मोरवाल, नरेंद्र कुमार, सत्येंद्र कुमार, हरीश कुमार और समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।
फोटो कैप्शन 05: डा. रेणू वर्मा एसएमओ का कार्यभार ग्रहण करते हुए
एनसीसी कैडेट्स नई भर्ती 16 जुलाई को
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कनीना की आवाज। एसडी विद्यालय ककराला में एनसीसी कैडेट्स नई भर्ती 16 हरियाणा एनसीसी बटालियन के द्वारा 16 जुलाई 2024 को आयोजित होगी। भर्ती में 13 वर्ष व उससे ज्यादा आयु के विद्यार्थी भाग ले सकते है लेकिन वे विद्यार्थी कक्षा दसवीं में नहीं होने चाहिए। चेयरमैन जगदेव ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया के तहत छात्र एवं छात्राओं का चयन शारीरिक दक्षता परीक्षण एवं लिखित परीक्षा के आधार पर किया जायेगा। शारीरिक दक्षता में दौड़ 1600 मीटर लड़के व 800 मीटर लड़कियां, पुश अप, लम्बी कूद, ऊंची कूद के साथ मेडिकल परीक्षण भी किया जायेगा। हाल ही में आयोजित एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत कैड्टस द्वारा पौधा रोपण किया गया।
विद्यालय के चेयरमैन जगदेव यादव ने बताया कि एनसीसी कैडट्स का कार्य बहुत ही सराहनीय रहा है। कैडट्स समाज सेवा के साथ-साथ मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्य को जानते है। जगदेव यादव ने यह भी बताया कि बच्चे देश का भविष्य हैं उनकी सुरक्षा एवं पढऩे के लिए उचित वातावरण प्रदान करना समाज की मजबूती का द्योतक है।
150 यूनिट रक्तदान हुआ
-रक्त को कोई विकल्प नहीं-सत्यनारायण
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कनीना की आवाज। आम आदमी पार्टी के भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र के प्रभारी एडवोकेट सतनारायण यादव के सौजन्य से स्थानीय महादेव अस्पताल में एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का उद्घाटन करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सतनारायण यादव ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा दान रक्तदान है। मानव ने अपने जीवन में बहुत सी उपलब्धियां हासिल कर ली है लेकिन अभी तक रक्त बनाने का कोई विकल्प मानव के पास नहीं है। इसलिए रक्तदान सबसे बड़ा दान है इस अवसर पर उनके साथ महादेव अस्पताल के संचालक डा जोगेंद्र सैनी जयपुर से रक्तदान एकत्र करने आई टीम के संयोजक डाक्टर मनोज भारद्वाज, डा. रविंद्र कुमार डा. सुनील सैनी, डा. संदीप सिंह, रिटायर्ड थानेदार सरवन जांगड़ा केमला, कैप्टन विनोद, इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह , मुकेश कुमार भंवर सिंह, डा. दिलीप दहिया सहित अनेक रक्तदाता उपस्थित थे। रक्तदाताओं में कनीना स्कूल के मुख्य अध्यापक नरेश कुमार कौशिक विद्यालय के डीपी राकेश कुमार ,रविंद्र कुमार, जयप्रकाश सहित 150 लोगों ने रक्तदान किया। सभी रक्तदाताओं को रक्तदान एकत्र करने वाली टीम के संयोजक मनोज भारद्वाज तथा अस्पताल कनीना की तरफ से प्रशस्ति पत्र तथा हेलमेट व डोनर कार्ड देकर सम्मानित किया गया।
फोटो कैप्शन 06: रक्तदान करते हुए नरेश कौशिक मुख्याध्यापक
पीटीएम का आयोजन किया
--1106 अभिभावकों ने
लिया भाग
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कनीना की आवाज। एसडीव माध्यमिक विद्यालय ककराला में अध्यापक-अभिभावक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में 1106 अभिभावकों ने भाग लेकर छात्रों के प्रति अपनी जिम्मेदारी एवं अध्यापक-अभिभावक बैठक के महत्व को समझने का परिचय दिया। चेयरमैन जगदेव सिंह ने बताया कि सभी अभिभावकों ने अग्रिम सोच का परिचय देते हुए बच्चों के भविष्य के लिए विद्यालय प्रबंधन व सभी संबंधित अध्यापकों के साथ अध्ययन संबंधी समस्याओं के समाधान, शैक्षिक उपलब्धियों के साथ-साथ अन्य गतिविधियों व विषयों पर विमर्श किया। अभिभावकों ने अपने बच्चों की दिनचर्या उनके व्यवहार समय-सारिणी, रुचि आदि से संबंधित पहलुओं से प्रबंधन व संबंधित अध्यापकों से परिचित करवाया और अपने बच्चों की रिपोर्ट लेने में काफी रुचि दिखाई।
विद्यालय चेयरमैन जगदेव यादव ने अध्यापक-अभिभावक बैठक के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बैठक जागरूक अभिभावकों के लिए अध्यापकों से समय-समय विचार विमर्श करने व बच्चों के लिए सही मार्ग का चुनाव व सहयोग का आधार है। जिस प्रकार तीन .भुजाए एक साथ मिलकर त्रिभुज का आकार बनाती है उसी प्रकार अभिभावक के सहयोग से बच्चे बड़े से बड़े लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते है।
उन्होंने यह भी बताया कि यह बैठक शैक्षिक जानकारी के साथ-साथ सम्पूर्ण व्यवहार, सामथ्र्यता से संबंधित बातों के आदान-प्रदान के लिए आयोजित की जाती है। अध्यापक एवं अभिभावकों का विचार-विमर्श छात्र के जीवन को नई दिशा प्रदान करता है। बच्चे के शैक्षणिक विकास में विद्यालय के साथ-साथ अभिभावक की भी अहम् भूमिका होती है।
फोटो कैप्शन 07: पीटीएम का एक नजारा।
स्कूल को बुजुर्ग महिला ने भेंट किया पंखा
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कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पाथेड़ा में मेवा देवी निवासी पाथेडा ने एक बिजली का पंखा भेंट किया । गर्मी की विभीषिका को देखते हुए बच्चों की सुविधा के लिए उनके द्वारा किए गए इस शोभनीय कार्य की प्राचार्य ओम कुमार यादव ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। मिली जानकारी के अनुसार मेवा देवी की पोती सरिता दस जमा एक की छात्रा है। छात्रा के कहने से यह पंखा भेंट किया है।
इस अवसर पर डिम्पल, राजबाला, वंदना, मुनेश, प्रियंका, सुरेश, राजेश, प्रवीन, शैलेन्द्र, सुरेन्द्र,दिनेश, प्रदीप, कृष्ण कुमार, मुकेश, बिजेन्द्र सहित पूरा विद्यालय स्टाफ उपस्थित रहा ।
फोटो कैप्शन 03: मेवा देवी पंखा भेंट करते हुए।
नींबू एवं टमाटर का विकल्प बना है कचरी
-टमाटर 80 रुपये किलो के आस पास पहुंचे
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कनीना की आवाज। किसानों के यहां रबी मौसम में जहां बथुआ नामक खरपतवार लाभकारी होती है वहीं खरीफ मौसम में कचरी व चौलाई जैसी खरपतवार पर्याप्त होती है जो किसानों के लिए उपहार बनकर आई है। कचरी से गरीब तबके के लोग अपनी रोटी रोजी कमा लेते हैं। यह फल व सब्जी दोनों रूपों में पायी जाती है।
कचरी को किसान कभी नहीं उगाता अपितु खेतों में अपने आप उग जाता है और भारी मात्रा में फल लगते हैं। ये फल पकने पर बेल से अलग हो जाती हैं। खरीफ फसल दौरान कचरी अपने आप पैदा होती है जिसे किसान सूखाकर या फिर बगैर सूखाए ही काम में लेते हैं। बाजार में कचरी की भारी मांग है और यह 20 रुपये किलो के हिसाब से बिकती हैं। यही कारण है कि कुछ गरीब तबके के लोग खेतों एवं नहरों आदि के किनारे से कचरी तोड़कर लाते हैं और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में जमकर बेचते हैं।
यूं तो किसानों के लिए कचरी एक खरपतवार है किंतु टमाटर का विकल्प कचरी ही है। किसानों के खेतों में स्वयं पैदा होने वाली कचरी की तरफ किसानों का रुझान बढ़ रहा है। किसान अब इसे बाजार में बेचने लगे हैं और खरीदने वालों की संख्या भी कम नहीं है। अंग्रेजी दवाओं से परेशान मरीज भी देशी फल एवं सब्जियों का सहारा लेने लगे हैं जिनमें कचरी भी एक है। बिना खाद व पीड़कनाशी के ये फल लगने के कारण टमाटर व निम्बू का विकल्प बनता जा रहा है। टमाटर 80 रुपये तो नींबू 150 रुपये किलो मिल रहे हैं। ऐसे में गृहिणियां टमाटर की जगह सब्जी बनाने में कचरी का प्रयोग कर रही हैं। कुछ तो टमाटर की जगह सब्जी में भी टमाटर का सोस डाल रही हैं।
किसान राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह व रमेश कुमार ने बताया कि उनके खेतों में बगैर उगाए ही भारी संख्या में कचरी पैदा हो जाती है जिसे लेने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं विशेषकर वे लोग
जो बाजार की कीटनाशी व उर्वरकों से परिपूर्ण सब्जियों को खाकर तंग आ चुके हैं। इस फल को वे चाव से कच्चा तो खाते ही साथ में सब्जी के रूप में भी जायका बढ़ाते हैं। ग्रामीण महिला लाली, धापा व कमला ने बताया कि वे कचरी को कई प्रकार की सब्जियों में डालते हैं और सब्जियों का जायका बढ़ाती हैं। जब अधिक मात्रा में कचरी पैदा होती है तो उनका उपयोग सूखाकर किया जाता है। इन फलों को काटकर धूप में सूखा लिया जाता है तथा समयानुसार उन्हें विभिन्न सब्जियों के बनाने में उपयोग किया जाता है।
इस वक्त कचरी का उत्पादन शुरू हो गया है जो एक माह तक चलता रहता है। जब किसान खेत से बाजरे की फसल की कटाई करने लगते हैं तो उनके सामने कचरी भारी मात्रा में आती हैं जिन्हें ग्रामीण इक_ïी करके घरों में लेन-देन में प्रयोग करते हैं। कचरी की गुणवत्ता को देखते हुए अब तो होटलों में भी कचरी को प्रयोग होने लगा है।किसान के खेतों में इस वक्त पर्याप्त कचरी उपलब्ध हैं।
क्या कहते हैं किसान-
किसान कृष्ण कुमार, योगेश कुमार, अजीत कुमार आदि का कहना है कि जब बाजार में टमाटर एवं नींबू महंगे हो तो इसका विकल्प जरूरी है। खेतों में कचरी अपने आप पैदा होती है जिसे हर प्रकार की सब्जी में प्रयोग किया जा रहा है जिसमें टमाटर डाले जाते हैं।
सब्जी विकेे्रताओं रमेश, नरेश एवं कृष्ण कुमार ने बताया कि उनकी दुकानों पर कचरी की मांग है किंतु किसान अपने खेतों से कचरी तोड़कर ला रहे हैं। कचरी का स्वाद भी बेहतर है और टमाटर का विकल्प भी बन रहा है। मजबूरी भी ऐसा करवा रही है।
गृहणियों आशा, अनीता, धापा, शकुंतला आदि ने बताया कि टमाटर की जगह रसोईघर में अब कचरी आ गई है। इससे बजट भी नहीं डगमगा रहा है और स्वाद भी बेहतर बन रहा है।
क्या कहते हैं डाक्टर एवं वैद्य-
क्षेत्र के आयुर्वेद के जानकार वैद्य बालकिशन एवं श्रीकिशन करीरा, डाक्टर अजीत शर्मा फिजिशियन ने बताया कि कचरी में विटामिन-सी के अलावा कई अन्य विटामिन एवं खनिज लवण मिलते हैं। पेट के रोगों के लिए कचरी दवा का काम करती है और सब्जी को भी स्वादिष्ट बनाती है।
फोटो कैप्शन 04:खेतों में मिलने वाली कचरी।
साथ में बालकिशन वैद्य
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