किसी को नौकरी लगवाना आसान किंतु एसीपी लगवाना कठिन
-सेवानिवृत्त हो जाते हैं किंतु नहीं मिलती एसीपी
-पीएम को की है शिकायत नहीं सुनी तो राष्ट्रपति को की जाएगी शिकायत
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कनीना की आवाज,कनीना। कहने को तो शिक्षा विभाग सबसे अच्छा माना जाता है परंतु इस विभाग में घोर लापरवाही देखने को मिल रही है। एक तरफ शिक्षा मंत्री बयान दे रही है कि किसी प्रकार का कार्य किसी कर्मचारी का नहीं रुकना चाहिए किंतु हकीकत इससे उलट है। ऐसे सैकड़ो कर्मचारी मिल जाएंगे जिनका 5 वर्षों से एसीपी/ एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन नहीं मिला है। यह एक प्रकार की वेतन वृद्धि है जो आठ साल तत्पश्चात 16 तत्पश्चात 24 साल पूरे करने पर मिलती है। अधिकतम तीन एसीपी एक कर्मचारी को मिल सकती है किंतु ऐसे कर्मचारी है जो सेवानिवृत्ति के बाद भी कई वर्षों तक अपना संघर्ष जारी रखते हैं किंतु उनका एसीपी नहीं दिया जाता। फाइलें अधिकारियों के पास पड़ी रहती है और अधिकारी के मन में शायद कोई खोट है इसके कारण वह फाइलों का आगे नहीं सरकते। आजकल तो आनलाइन फाइल है कभी आफलाइन हुआ करती थी। आनलाइन फाइल को आगे भेजने ने में चंद सेकंड लगते हैं किंतु चंद सालों तक भी यह फाइल आगे नहीं सरकती। एक अधिकारी के पास नहीं अपितु 5 से 7 अधिकारियों के पास फाइल जाती है जिसके चलते शिक्षक एवं कर्मी परेशान हो जाते हैं। पूर्व अध्यापक नेता सुनील कुमार,धर्मपाल शर्मा आदि ने बताया कि जिस प्रकार कर्मचारियों को बेहद परेशान किया जाता है उससे स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। एक कर्मचारी नौकरी पाने के लिए इतनी अधिक मेहनत नहीं कर पाता जितनी एसीपी पाने में करता है। विशेषकर एसओ/ सेक्शन आफिसर बेहद परेशान करते हैं। यह किसी एक जिले में नहीं अपितु पूरे ही प्रदेश की हालात है।
चंडीगढ़ शिक्षा विभाग कार्यालय में तो बहुत अधिक अंधेरगर्दी है, न कोई सुनने वाला है और ना किसी की समस्या का समाधान होता। जब एसीपी की बात आती है तो सब कुछ मौन हो जाता है। कर्मचारी बार-बार सरकार से मांग कर रहे हैं कि एसीपी के निपटारे का अधिकार संबंधित मुखिया को दिया जाना चाहिए ताकि उसको अच्छी प्रकार ने निपटारा कर सके। कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से परेशान ना होना पड़े। एसीपी लगवाने के लिए एक शिक्षक चंडीगढ़ जाते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया जो आज तक बेड से नहीं उठ पा रहा है। कितने ही समस्याएं झेल रहे हैं, नेमीचंद नामक शिक्षक सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायालय के चक्कर काट रहा है ताकि उनको एसीपी मिल सके, कितने ऐसे कर्मचारी है जिनके सेवानिवृत्ति को कई वर्ष हो गए किंतु उनका एसीपी नहीं मिला है। उन्होंने शिक्षा मंत्री से मांग की है कि या तो ऐसा आदेश जारी किया जाए कि जिस भी टेबल पर किसी कर्मचारी की आनलाइन फाइल तीन दिन से अधिक रुकती है उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी या फिर एसीपी लगाने का प्रावधान संबंधित मुखिया को दिया जाए ताकि सारी समस्या हल हो जाए किंतु जब तक यह अधिकार उन्होंने नहीं दिया जाएगा तब तक यूं ही शिक्षक परेशानियों का सामना करते रहेंगे। शिक्षा मंत्री को भी संदेश भिजवाया गया है। उधर बीईओ, डीइइओ, डीइओ सभी यह कहकर पल्लू झाड़ लेते हैं कि उनके पास किसी कर्मी की कोई फाइल पेंडिंग नहीं है। ऐसे में चंडीगढ़ जाकर फाइल रुक जाती है।
यह कोई एक मामला नहीं अपितु एलटीसी लेनी हो तो विभिन्न कार्यालयों के चक्कर काट काटकर थक जाओ नहीं मिलेगी किंतु एलटीसी पास करवाने के नाम पर एक कर्मी की एलटीसी के 500 से 800 रुपये देने पड़ते हैं वहीं एलटीसी के बजट के नाम पर 500 रुपये प्रति कर्मी ऐंठ लिये जाते हैं। शिक्षा विभाग का रवैया बेहद खराब है। छोटे छोटे कामों के लिए फाइल को लेकर चक्कर लगाते रहो जब तक रिश्वत न ले ले तब तक ऐतराज लगते रहते हैं और रिश्वत दे दो तो सभी ऐतराज एक पल में ही दूर हो जाते हैं। इसे कहते हैं दाम बनाये काम। सरकार बदल जाए किंतु शिक्षा विभाग का रवैया भ्रष्ट मिलेगा। एक ऐसे अधिकारी की जरूरत है जो शिक्षकों की हर समस्या को हल करवाने में सक्षम हो।
श्रावण माह की तैयारियां शुरू
शिव आराधना का माह सावन, कावडिये होंगे हरिद्वार के लिए रवाना
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कनीना की आवाज,कनीना। 22 जुलाई से सावन माह शुरू होगा जो 19 अगस्त तक चलेगा। 21 जुलाई की गुरू पूर्णिमा है जब हरिद्वार में सबसे अधिक भक्त पहुंचते हैं। देशभर में श्रावण माह में कई स्थानों पर मेले लगते हैं, पींग पर झूलने की प्रथा , तीज का पर्व, पतंगबाजी तथा रक्षा बंधन का त्यौहार भी इसी माह से जुड़े हुए हैं। हरियाणा के बाघोत स्थित बाघेश्वर धाम का प्रसिद्ध मेला भी सावन माह में 2 अगस्त को लगेगा। ऐसे में श्रावण माह को त्योहारों का माह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। गुरु पूर्णिमा के अगले दिन से सावन शुरू होता है तथा रक्षा बंधन पर समाप्त हो जाएगा।
भीषण गर्मी से जहां राहत मिलती है वहीं दिन को झूला झूलने तथा रात के समय श्रावणी गीतों की गूंज सुनाई पड़ती है जो मन को मोह लेती है। श्रावण माह के आते ही ऊंचे वृक्षों पर झूले डाल दिए जाते हैं जिन पर बच्चियां व महिलाएं दिनभर झूलती रहती हैं।
श्रावण/सावन माह की तीज का यूं तो पूरे देश में ही महत्व है किंतु ग्रामीण क्षेत्रों में पतंगबाजी करके यह पर्व मनाया जाता है। ज्यों-ज्यों यह पर्व पास आता है त्यों-त्यों पतंगबाजी तेज हो जाती है। तीज के दिन अंतिम बार पतंगबाजी की जाती है। अच्छी वर्षा व सुहावना मौसम के साथ--साथ लहलहाती फसल को देखकर युवा वर्ग पूर्णतया पतंगबाजी में खो जाता है। तीज पूर्व सिंधारा आता है जब घेवर मिठाई की बहार देखने को मिलती है। अपनी विवाहित लड़की के लिए मां-बाप घेवर की मिठाई भेजते हैं। पूरे माह पकवान बनते हैं तथा गीत गूंजते रहते हैं। पदमावत के गीतों से कम इनमें भी विरह नहीं होता।
श्रावण माह के शुरू होते ही बम-बम की जयघोष शुरू हो जाती है। भारी संख्या में भक्तजन नीलकंठ व हरिद्वार जाते हैं और वहां से कांवर लाकर शिवालयों में गंगाजल चढ़ाते हैं। शिवालयों में तांता लगता है वहीं पूरे माह व्रत चलता है। भक्तजन गंगा में डुबकी लगाते हैं और शिवालयों में जाकर भक्ति करते हैं। श्रावण माह के अंत में भाई-बहन के प्यार को इंगित करने वाला रक्षा बंधन का पर्व आता है। भाई अपनी बहन के पास अपनी कलाई पर रक्षासूत्र बंधवाने बहन के पास जाता है। बहन कहीं भी हो वह अपने भाई के आने का इंतजार करती है। इस पर्व का ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व भी है। सुमेर सिंह चेयरमैन, वेदप्रकाश, मिंटू आदि कांवडिय़ों ने बताया कि सावन माह की तैयारियां पूर्ण हो गई हैं और वे हरिद्वार ट्रेन से जाएंगे। पांच दिनों में हरिद्वार से कावड़ लाकर बाघेश्वर धाम पर अर्पित कर देंगे।
विश्व चाकलेट दिवस- 7 जुलाई
चाकलेट खाने के होते हैं शरीर को लाभ -डाक्टर
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कनीना की आवाज,कनीना। चाकलेट का नाम लेते बच्चे और बूढ़े सभी प्रसन्नचित नजर आते हैं। चाकलेट खाने का रिवाज बढ़ता ही जा रहा है, विशेष कर छोटे बच्चे जो किसी के जन्मदिन या उत्सव में जाते हैं तो सबसे अधिक पसंद चाकलेट को करते हैं। यह दिन उन्हीं को समर्पित है।
चाकलेट खाने से जहां लाभ भी माने जाते हैं तो कुछ हानियां भी बताई जाती है। बच्चे रमन, अमीश, हर्ष, दिनेश आदि ने बताया कि उन्हें चाकलेट बहुत पसंद हैं। वे अक्सर किसी भी कार्यक्रम में जाते हैं तो चाकलेट जरूर खाते हैं। चाकलेट वास्तव में कई रूपों में मिलती है, जिनके लाभ अधिक बताए जाते हैं।
डाक्टर जितेंद्र मोरवाल से इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि अभी तक चाकलेट खाने के लाभों पर शोध जारी है परंतु माना जाता है कि डिप्रेशन को कम करती है, ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रण में रखती है। त्वचा के लिए भी चाकलेट एंटीआक्सीडेंट का कार्य करती है, हृदय रोगों से बचाती तथा शरीर में कोलेस्ट्राल को भी कम करती है किंतु चाकलेट खाने से कुछ हानियां भी होती है
यदि रात के समय चाकलेट खाएंगे तो नींद कम आती है। चाकलेट को सावधानीपूर्वक खाना चाहिए।
फोटो कैप्शन: डा. जितेंद्र मोरवाल।
कालोनी का पानी सिंचाई में किया जा रहा है प्रयोग
-कनेक्शन काटे जाने की मांग की
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कनीना की आवाज,कनीना। कनीना उपमंडल के गांव रामबास के ग्रामीणों ने इंदिरा आवास कालोनी के बोर से कृषि कार्यों के लिए, लिए गए कनेक्शन को काटने की मांग करते हुए एसडीएम सुरेंद्र सिंह बीडीपीओ अरुण कुमार को ज्ञापन सौंपा है तथा कहा है कि पेयजल की सप्लाई कम होती है, वह भी कृषि कार्यों के लिए प्रयोग कर ली जाती है। ऐसे में उन्होंने यह कनेक्षन काटे जाने की मांग की है जो कृषि कार्यों के लिए लिया गया है। इस मौके पर नरेंद्र सिंह समर सिंह सोमवीर, सुनीता, वेद प्रकाश, वेदप्रकाश,सुरेश कुमार आदि उपस्थित रहे।
ग्राम पंचायत पर लगाया पेड़ काटने का आरोप-
रामबास के वेद प्रकाश नंबरदार ने पंचायती भूमि पर अवैध रूप से पेड़ों की कटाई पंचायत द्वारा किए जाने का विरोध जताते हुए वन राज्य का अधिकारी को शिकायत भेजी है। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्राम पंचायत रामबास के मंदिर परिसर और अनुसूचित जाति चौपाल के पेड़ों की कटाई कर डाली है। उन्होंने उन्होंने इस मामले की जांच भी करने की माग की है।
फोटो कैप्शन 10: रामबास में काटे गये पेड़
इसराना में एक दिवसीय क्षमता संवर्धन कार्यक्रम का हुआ आयोजन
-एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत किया पौधारोपण
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कनीना की आवाज,कनीना। शनिवार को उपमंडल के गांव इसराना में अटल भूजल योजना ,जल एवं स्वच्छता सहायक संगठन द्वारा एक दिवसीय क्षमता संवर्धन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विभाग की ओर से खंड संसाधन संयोजक मोहित कुमार, अटल भूजल ट्रेनर पूजा कुमारी ने शिरकत की। पूजा कुमारी ने ग्रामीणों को स्मार्ट कृषि एवं सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से अवगत कराया। कार्यक्रम का उद्देश्य जल प्रबंधन, उर्वरक एवं कीटनाशकों के प्रयोग संबंधी पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना तथा फसल लागत में कमी लाना मुख्य रूप से शामिल रहा।
स्मार्ट कृषि से किसानों को मौसम पूर्वानुमान ,मिट्टी की नमी एवं पोषक तत्वों की जानकारी उपलब्ध होना, स्मार्ट सिंचाई के माध्यम से जल प्रबंधन करना।
पूजा कुमारी ने मौसम पूर्वानुमान के लिए सैटेलाइट आधारित सिंचाई और सूचना ऐप के बारे में बताया जो कि किसानों को 15 दिन का मौसम पूर्वानुमान प्रदान करता है। फसल विविधीकरण विधि के बारे में उन्होंने बताया कि किसानों को कम पानी लागत वाली फसलों का प्रयोग करना चाहिए। सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि की दी जाती है। जीरो टिलेज विधि पर बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा शून्य जुताई तकनीक अपनाने के लिए किसानों को 1000 रुपये प्रत्येक एकड़ का प्रोत्साहन प्रदान करती हैं। इससे किसानों की आय में वृद्धि भी होती है। सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के बारे में बताते हुए कहा कि राज्य कृषि में उपयोग होने वाली भूजल को बचाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा देना चाहिए जो स्थायी जल प्रबंधन की ओर ले जाता है और जल संसाधन के संरक्षण में मदद करता है। बर्बादी को कम करता है इसके साथ ही खंड संसाधन संयोजक मोहित कुमार ने ग्रामीणों को पेयजल के हो रहे दुरुपयोग के बारे में लोगों को जागरूक किया साथ उन्होंने बताया कि हमें दैनिक जीवन में जल का संरक्षण करना चाहिए। हर नल पर टूंटी लगी होनी चाहिए। हमें पानी के पुन: प्रयोग के बारे में भी विचार करना चाहिए। कार्यक्रम के उपरांत एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत पौधारोपण किया। इस अवसर पर अटल जल सहेली गीता ,सीमा, विनय, राहुल, हेमंत, हनुमान सिंह, गुमान सिंह, सहित अनेको ग्रामीण उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 08: एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत पौधारोपण करते हुए।
कनीना में वर्षा से बचाव के नहीं हो पाए हैं पूरे प्रबंध
-बार बार जोहड़ हो रहे हैं ओवरफ्लो
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कनीना की आवाज,कनीना। रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था। यह कहावत कनीना पर लागू होती है। मानसून से पूर्व नालों की सफाई जोहड़ों की सफाई की बातें चल रही थी बार-बार निवेदन भी किया जा रहा था किंतु प्रशासन द्वारा किसी भी जोहड़ की सफाई नहीं करवाई यहां तक की कुछ नालों की सफाई जरूर कार्रवाई। वर्षा के समय कनीना प्रशासन नालों के बनाने पर लगा हुआ है परंतु कनीना के बचे हुए नालों की सफाई, पानी के समुचित निकासी का प्रबंध अभी तक नहीं किया गया है। परिणाम यह है कि कनीना का होलीवाला और कालरवाली जोहड़ और इसके आसपास जितने भी घर है सभी के डूबने का हर वर्ष खतरा मंडराता रहा है। इस वर्ष भी दो बार कनीना की गलियों में पानी जमा देखा गया किंतु अधिक वर्षा होती है तो निश्चित रूप से कनीना के घरों में पानी घुस जाएगा। कनीना के वेद प्रकाश, किशन सिंह, महेश कुमार, सुरेंद्र, दिनेश कुमार आदि ने बताया कि पानी निकासी के व्यापक प्रबंध का निर्णय प्रशासन द्वारा नहीं किया है जिसके चलते दोनों ही जोहड़ों की समस्या वर्षों से विकराल बनी हुई है किंतु जोहड़ों का पानी अभी तक नहीं निकाला गया है, परिणाम यह है कि जोहड़ों में गंदा पानी भरा हुआ है और चंद बूंदे बारिश की होते ही जोहड़ों में पानी लबालब भर जाता है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इन जोहड़ों की भी सफाई जरूर करवाएं। जहां सरकार ने इन जोहड़ों के लिए अमृत सरोवर योजना लागू करनी थी लेकिन उसकी भी बजट नहीं आने से जोहड़ गंदे जल से भरे खड़े हैं। चौड़े गंदे नाले नालियां अभी भी पूर्ण रूप से साफ नहीं हुये हैं। विशेष कर जोहड़ों के पास से एसटीपी तक गंदे पानी को ले जाने वाले चौड़े नाले रामगढ़ नहर तक पहुंचने में सक्षम हैं, आगे बहुत कम पानी पहुंच पाता है, इसके व्यापक प्रबंध किया जाए तो हो सकता है संपूर्ण पानी एसटीपी तक पहुंच पाए और वहां पर पानी को साफ करके पीपल वाली बणी में पहुंचा दिया जाएगा। एसटीपी पूर्ण रूप से सक्षम है पांच मोटरें लगी हुई है किंतु एसटीपी तक पानी बहुत कम पहुंच पा रहा है। अब यह देखा जाना है कि कब तक प्रशासन इन जोहड़ों की सफाई और नाले नालियों की सफाई करवा कर कनीना वासियों को आश्वस्त करेगा कि भविष्य में उनकी गलियों में कोई पानी नहीं खड़ा होगा।
इस वक्त विभिन्न सड़क मार्गों पर वर्षा का जल खड़ा हुआ है। जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है जिसके चलते कनीनावासी परेशान हैं। उन्होंने गंदे जल की निकासी का प्रबंध करने की मांग की है।
क्या कहते हैं विधायक-
अटेली विधायक सीताराम यादव का कहना है कि कनीना के दोनों जोहड़ों कालरवाली तथा होलीवाला का गंदा जल निकालने तथा सीवरेज का गंदा जल एसटीपी तक पहुंचाने के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। समय लग सकता है। अमृत सरोवर के लिए योजना अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है। पुन: प्रयास जारी हैं।
फोटो कैप्शन 6 व 7: गलियोंं में भरा गंदा जल।
साथ में विधायक सीताराम
पर्यावरण मित्रता अच्छे शिष्टाचार को बढ़ावा देती है-जगदेव
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कनीना की आवाज,कनीना। एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल ने अपने छात्रों के बीच पर्यावरण मित्रता और पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। स्कूल के चेयरमैन श्री जगदेव यादव जी ने सुबह की सभा के दौरान छात्रों को पौधे वितरित किये और उन्हें एक एक पौधा गोद लेने और उसकी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस पहल का उद्देश्य छात्रों को पर्यावरण के प्रति पोषण और जिम्मेदारी का महत्व सिखाना है। चेयरमैन ने छात्रों को पर्यावरण अनुकूल नागरिक बनने और बड़ा बदलाव लाने की दिशा में छोटे- छोटे कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।
सभा के दौरान छात्रों ने अपने साथी छात्रों को वृक्षारोपण और अच्छे संस्कार के महत्व पर संबोधित किया। उन्होंने पर्यावरण की रक्षा करने और दैनिक जीवन में अच्छे शिष्टाचार अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
अपने छात्रों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सामाजिक जिम्मेदारी पैदा करने का स्कूल का प्रयास सराहनीय है। पौधे वितरित करके और छात्रों को उनकी देखभाल के लिए प्रोत्साहित करके एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक महान उदाहरण स्थापित कर रहा है।
हम चाहते हैं कि हमारे छात्र पर्यावरण और समाज की देखभाल करने वाले जिम्मेदार नागरिक बनें एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के अध्यक्ष जगदेव जी ने कहा। यह पहल एक बड़ा बदलाव लाने की दिशा में एक छोटा सा कदम है और हमें यह देखकर गर्व है कि हमारे छात्र इसे गंभीरता से ले रहे हैं।
विद्यालय भविष्य में भी ऐसी पहल जारी रखने की योजना बना रहा है जिससे पर्यावरण जागरूकता और सामाजिक जिम्मेदारी को उसके पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाया जा सके।
इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य श्री ओमप्रकाश जी सीईओ रामधारी जी उप प्राचार्य पूर्ण सिंह सेकेंडरी विंग हेड सुनील कुमार कोआर्डिनेटर ईश्वर जी जोगेंद्र जी व स्नेह जी उपस्थित रहे। सभी ने पर्यावरण के प्रति विद्यालय की सजगता में अपनी भागीदारी दी।
फोटो कैप्शन 09: पर्यावरण मित्रता दर्शाते विद्यार्थी।
दो बाइक चोरी, शिकायत पहुंची थाने
----बरामद हुई दोनों बाइक
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कनीना की आवाज,कनीना। बीती रात को कनीना के वार्ड 6 से दो अलग अलग चोरी की घटना सामने आई हैं, जहां अज्ञात चोरों द्वारा दो बाइक चोरी कर ली गई है। जिसमें राजेश नजदीक रेलवे स्टेशन के पास घर की कुंडी तोड़कर प्लेटिना बाइक चोरी कर ले गए पीडि़त राजेश ने बताया की वह फिटिंग का काम करता है वहीं दूसरी चोरी की घटना भी वार्ड 06 में पहले मकान से 100 मीटर की दूरी पर हुई है। पीडि़त रामनिवास ने बताया उसके दामाद की बाइक डिलक्स घर के अंदर से चोरी कर ले गए । बाद में पुलिस की सहायता से दोनों बाइक बरामद कर ली गई।
किसानों की मेहनत पर फिर पानी, 14 एमएम वर्षा ने नष्ट की बीजाई
-पुन: बिजाई की आ गई नौबत
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कनीना की आवाज,कनीना। कनीना आसपास क्षेत्र में इस वर्ष एक तो किसानों के लिए मानसून देरी से पहुंची उस पर बार बार वर्षा ने बिजाई को ही नष्ट कर दिया है। अब पुन: बिजाई की नौबत आ गई है। जून और जुलाई में अब तक 85 एमएम वर्षा हो चुकी है।
किसान सूबे सिंह, अजीत सिंह, महेश कुमार आदि ने बताया कि पहले ही 10 से 15 दिन देरी बाजरे की बिजाई की गई थी उस पर शनिवार को हुई 14 एमएम वर्षा ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। अगली रबी की फसल में भी देरी हो सकती है। उल्लेखनीय है कि बाजरे की फसल को पकने के लिए 25 सितंबर निर्धारित किया गया है। इसके बाद किसान सरसों की बिजाई में व्यस्त हो जाते हैं। ऐसे में अभी तक बाजरे की बिजाई नहीं हो पाई है, दो बार बिजाई की गई दोनों बार अधिकांश किसानों की बिजाई बर्बाद हो गई है। उल्लेखनीय है कि कनीना क्षेत्र में जहां 26000 हेक्टेयर पर बाजरे की बिजाई का अनुमान है। 10 से 15 दिन बाजरा बिजाई में देरी हो चुकी है, वह भी सही सलामत नहीं बच पाई है क्योंकि विगत तीन दिनों हुई वर्षा के कारण बाजरे की बिजाई में रपट हो चुकी है। किसान वर्षा तो अधिक से अधिक चाहता है किंतु इस वक्त नहीं।
बार-बार वर्ष की कारण जहां रेतीली जमीन में बिजाई बाजरे बचने की संभावना अधिक है किंतु जहां जमीन चिकनी है या कठोर है वहां बाजरा जल्दी खराब हो जाता है। किसान बाजरे की अच्छी पैदावार भी चाहता है क्योकि सरकार द्वारा समर्थन मूल्य भी बेहतर दिए हुए हैं। इस बार का बाजरे का समर्थन मूल्य 2625 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है।
पूर्व कृषि अधिकारी डा देवराज ने बताया कि बार बार वर्षा से किसानों की बीजाई नष्ट हो रही है। रेतीली जमीन की बीजाई हो सकता है सलामत रहे वरना रपट की समस्या बन गई है। एक बार फिर से किसानों को मेहनत करनी पड़ सकती है।
फोटो कैप्शन 03: कपास की फसल में खड़ा पानी।
जगह जगह हुआ पौधारोपण
-लगाये गये फल, फल एवं छायादार पौधे
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कनीना की आवाज,कनीना। कनीना क्षेत्र के विभिन्न संस्थानों में पौधारोपण कार्यक्रम चला। विद्यार्थी एवं शिक्षकों ने मिलकर पेड़ लगाये।
राजकीय माध्यमिक विद्यालय कैमला में पर्यावरण संरक्षण के लिए विद्यालय में अध्यनरत सभी विद्यार्थियों के द्वारा प्रांगण को हरा-भरा बनाए रखने के लिए फल, फूल और छायादार पौधे लगाए ,जो आज के जीवन की आवश्यकता है । वीरेंद्र सिंह जांगिड़ मौलिक मुख्याध्यापक ने सभी विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए बताया कि पर्यावरण संरक्षण आज के जीवन की अत्यंत आवश्यकता है हमें जीवन में ज्यादा से ज्यादा पेड़ -पौधे लगाने चाहिए जिससे हमें शुद्ध आक्सीजन प्राप्त होती है और स्वच्छ विचार बनते हैं। शुद्ध पर्यावरण से ही स्वर्ग की कल्पना की जा सकती है, जो तन मन को स्वच्छ रखती है। हमें जीवन में हर अवसर पर ज्यादा से ज्यादा पेड़ -पौधे लगाकर पर्यावरण का संरक्षण एवं संवर्धन करना चाहिए जिससे भविष्य में किसी प्रकार की प्राकृतिक आपदा से बचा जा सकें। सभी विद्यार्थियों ने स्लोगन बोलते हुए-जन-जन को बतलाना है हमें पेड़- पौधे लगाना है, पौधे लगाये। हम सभी ने अपने घर ,विद्यालय और गांव आदि में सार्वजनिक स्थानों पर अधिक से अधिक पेड़- पौधे लगाकर इसका संदेश देना चाहिए और उनकी निरंतर के देखरेख करनी चाहिए। इस अवसर पर सरपंच डिंपल जांगड़ा, मनवीर सिंह विज्ञान अध्यापक, सुनील कुमार डीपीई ,सुनील कुमार शास्त्री ,भगत सिंह ,गरिमा रानी प्राथमिक शिक्षक, राजेश कुमार ,सुबे सिंह एस एम सी प्रधान,सुनील कुमार डीटीएच चौकीदार ,महावीर ठेकेदार, छोटेलाल महाशय ,सीताराम अनिल कुमार पंच, सुबे सिंह पंच, आदि उपस्थित रहें
उधर राजकीय माध्यमिक विद्यालय खरकड़ाबास में शनिवार को यूथ एवं इको क्लब द्वारा विद्यालय में पौधारोपण करवाया गया। हरियाणा शिक्षा विभाग के योजना अनुसार सभी छात्रों को जामुन, नींबू, चमेली ,नीम व पीपल के पौधे वितरित किए गए। विद्यालय मुखिया श्रीमती रीता रानी व सभी स्टाफ सदस्यों के द्वारा बाबा दयाल कैंपस में एक त्रिवेणी भी लगाई गई। इस अवसर पर विद्यालय मुखिया ने अपने संबोधन में कहा कि पौधे हमारे जीवन का आधार होते हैं। पौधे पर्यावरण के तापमान को सामान्य रखने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। वे हमें शुद्ध हवा देते हैं।उन्होंने सभी स्टाफ सदस्यों व विद्यार्थियों से इस बार अधिक से अधिक पौधे लगाने का आह्वान किया। पौधारोपण के इस अवसर पर सुभाष बालवान, भूपेंद्र सिंह शास्त्री, अजीत सिंह बोहरा, अमरनाथ पीटीआई, प्राथमिक विंग इंचार्ज पटेल सिंह, राजेश माहोर, योगेंद्र शर्मा , कृष्ण कुमार अमित कुमार व सभी विद्यार्थी उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 04: कैमला स्कूल में पौधारोपण
05: खरकड़ाबास स्कूल में पौधारोपण
समाज सेवा के बाद अब राजनीति में उतरना चाहते हैं कैलाश पाली
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कनीना की आवाज,कनीना। जन सेवा के बाद अब राजनीति में उतरना चाहते हैं कैलाश पाली। समस्त तैयारियों में जुटे हुए हैं।
शर्म संकोच अभिमान छोड़कर समाज हित में किया गया कार्य सदैव आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रेरणादायी होता है। वर्तमान समय में जो व्यक्ति प्रकृति और पर्यावरण के लिए काम करते हैं सेवा भाव से किया वह कार्य युवाओं के लिए प्रेरणाप्रद होता है। बचपन से सामाजिक और संस्कृतिक संगठन से जुड़े और पिछले कुछ वर्षों से पर्यावरण संरक्षण हेतु लगातार कार्य कर रहे सेवानिवृत्त प्राचार्य कैलाश पाली का जीवन वर्तमान में युवाओं के लिए प्रेरणा दायी है। राजकीय विद्यालय पाली से नीम लगाकर पर्यावरण बचाने का संदेश देने वाले पाली ने बाबा जयरामदास धाम पर 25 जुलाई 2009 को नीम वाटिका लगाकर एक नया प्रयोग किया और जब पेड़ एक वर्ष के हो गए तब उनका जन्मदिन मना कर उनकी देखभाल के लिए भी प्रेरणा दी इसी प्रकार गांव पालड़ी पनिहार नावा और पाली की मोक्ष भूमि में सैकड़ों नीम के पेड़ उनके द्वारा लगाए गए जो आज विशाल वृक्ष का रूप धारण कर चुके 9 जुलाई 2022 को 1111 त्रिवेणी 56 स्थान पर लगाकर गोल्डन बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराया भारत के शास्त्रों में त्रिवेणी का अपना महत्व है नीम बट और पीपल के वृक्षों का यह समूह वैज्ञानिक दृष्टि से मानव जीवन के लिए आवश्यक आक्सीजन का सबसे अधिक उत्पादन करते हैं। भारत की संस्कृति में इसका धार्मिक महत्व भी है पुरातन काल से ही मंदिर और कुआं पर त्रिवेणी लगाकर लोग धर्म लाभ कमाते थे वास्तव में इसके पीछे एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण था एक साथ एक समय में इतनी त्रिवेणी लगाना यह एक अच्छा प्रयोग था। पक्षियों के विलुप्त होते आश्रय स्थल को ध्यान में रखकर उन्होंने पाली मंदिर पर समाज के सहयोग से भारत के सबसे ऊंचे पक्षी घर का निर्माण करवाया। 9 मंजिल के इस पक्षी घर में एक साथ 5000 पक्षी निवास कर रहे हैं। प्रकृति संरक्षण में पक्षियों की भी अपनी भूमिका होती है अपने यहां बने सभी पुराने भवनों में पक्षियों के आश्रय स्थल अवश्य बनाए जाते थे परंतु वर्तमान में इस तरफ से सामान्य जन का ध्यान हट गया है और छोटी चिडिय़ा जैसे अनेक पक्षी विलुप्त होने की कगार पर आ गए हैं इस पक्षी घर का निर्माण पक्षी बचाने के उद्देश्य में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।। पर्यावरण के क्षेत्र के साथ विश्व मंगल को ग्राम यात्रा में अपने घर में दो या इससे अधिक गाय रखने वाले गोपालकों का सम्मान करके उनके द्वारा एक अच्छी पहल की गई। स्वामी विवेकानंद के जीवन के 150 वर्ष पूरे होने पर स्कूली विद्यार्थियों के लिए सूर्य नमस्कार और युवाओं के लिए एक मैराथन का आयोजन करके समाज को स्वामी विवेकानंद के जीवन से अवगत करवाया।
ऐसी महान शख्सियत वर्तमान में महेन्द्रगढ़ विधान सभा से भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर उनके चुनाव लडऩे चर्चा है। सामाजिक धार्मिक और पर्यावरण पर काम करने वाले जीवन की राजनैतिक पारी कैसी रहती है, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है।
फोटो कैप्शन 02: ऊंट की सवारी करते कैलाश पाली जो अब राजनीति की सवारी करने की टोह में।
स्कूल में आयोजित वनमहोत्सव और विज्ञान प्रदर्शनी
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कनीना की आवाज,कनीना। यूरो स्कूल प्रागंण में वनमहोत्सव के साथ-साथ विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
वनमहोत्सव कक्षा पहली से कक्षा बारहवीं तक के विद्यार्थियों ने बड़ी धूम-धाम से मनाया जिसमें सभी विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर इसमें भाग लिया। छोटे-छोटे बच्चों ने वृक्षरूपी परिधान पहनकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कक्षा छठी से आठवीं तक के विद्यार्थियों के बीच विज्ञान प्रदर्शनी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वकभाग लिया। इस प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए धु्रवीय अनुकूलता का प्रारूप, मानव धड़ का प्रारूप, जीव कोशिका व पादप कोशिका का प्रारूप, ज्वालामुखी सिक्योरिटी सिस्टम व फेफड़े की संरचना आदि प्रारूप बनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बच्चों ने अपनी बुद्धि बल का प्रयोग करते हुए उनकी संपूर्ण जानकारी दी। इस शुभावसर पर प्राचार्य सुनील यादव व उप प्राचार्या संजू यादव ने बताया कि आज का युग वैज्ञानिक युग है। अगर समय पर ऐसी प्रतियोगिताओं का आयोजन नही हुआ तो हम इस वैज्ञानिक युग में पीछे रह जाऐंगे। उन्होंने विजेताओं को पुरस्कृत करते हुए बताया कि हमें हर प्रकार के क्षेत्र में चाहे वो शैक्षणिक हो या खेलों से संबंधित हो उसमें भाग अवश्य लेना चाहिए। ऐसी प्रतियोगिताओं में भाग लेने से हमारा बौद्धिक स्तर बढ़ता है और हमें नई-नई जानकारियाँ प्राप्त करने का सुनहरा अवसर मिलता है। उन्होंने इस प्रतियोगिता का श्रेय विज्ञान अध्यापिका अंतु यादव, मंजू यादव व मधू यादव को दिया है। इस अवसर पर का-र्डिनेटर विरेन्द्र सिंह, रितू तंवर, तन्नू गुप्ता, सुमन यादव व समस्त अध्यापक उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 01: विज्ञान प्रदर्शनी यूरो स्कूल का नजारा।
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