नौतपा की हवा खुश्क
- नौतपा के शुरू में वर्षा तो अब समापन पर भी वर्षा
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कनीना की आवाज। इस वर्ष जहां नौतपा लोगों को अधिक सताने वाला था किंतु वर्षा ने नौतपा की हवा खुश्क कर दी है। जब से नौतपा शुरू होने से पूर्व रात को 22 एमएम वर्षा हुई तत्पश्चात हल्की बूंदाबांदी होती रही, अब 2 जून को नौतपा समापन होने को है किंतु समापन पूव 17 एमएम वर्षा हो चुकी है और अभी तक वर्षा जारी है। इस बार जहां मानसून से पहले ही खरीफ फसल की बिजाई हो चुकी होगी वही नौतपा जो लोगों को सताने वाला था, वर्षा के आगे खुद ही डर के मारे बोरी बिस्तर गोल कर गया। यहां गर्मी में भी अब सर्दी का एहसास होने लगा है। ऐसा नहीं लग रहा है कि सावन माह नहीं हो। सावन जैसी वर्षा हो रही है। दिन भर रुक-रुक कर कभी पूर्व दिशा से कभी पश्चिम दिशा से कभी उत्तर दिशा से वर्षा आती रही। यदि यूं ही हाल रहा तो आने वाले समय में जमकर वर्षा होगी। अब किसानकी नजर फासले उगाने पर टिकी हुई है।
2 जून की रोटी का दिन याद आने लगा
-दो जून की रोटी के लिए अब नहीं रहा संघर्ष
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कनीना की आवाज। कहावत है कि 2 जून की रोटी। 2 जून आ गया है और याद दिलाता है 2 जून की रोटी किंतु आश्चर्य यह है कि आज के दिन मजदूर मजदूरी छोडऩे जा रहे हैं। कहने को तो कनीना का शिवालय चौराहा मजदूरों का क्षेत्र होता है किंतु यदि मजदूर को काम करने के लिए कहा जाए तो अनेक प्रश्न पूछता है? जहां मजदूर भी चाहते हैं ऐश आराम से कोई काम मिल जाए तो अच्छा हो। मजदूर अब काम नहीं करना चाहते यदि किसी को दूसरी मंजिल पर काम करवाना है तो दूर से हाथ जोड़ लेते हैं। यदि बड़ा काम करना है उसमें मददगार के रूप में मजदूर ले जा रहे तो काम पर नहीं आएंगे। मजदूर तो आप ढूंढे भी नहीं मिल रहे हैं। कहने को तो बेरोजगारी है लेकिन मजदूर भी वगैर मेहनत का काम करना चाहते। जो मजदूर मजदूरी या मेहनत से काम करना चाहता है तो उसके लिए सभी द्वार खुले हैं। आजकल क्षेत्र के मजदूर तो रहे नहीं, दूसरे राज्यों से मजदूर आए हुए हैं और वे काम नहीं करना चाहते काम करते हैं। अगर काम करवा ले तो ऐसा हाल कर जाते हैं कि उनसे जन तौबा कर लेते हैं। इस लेखक ने श्रीमती सुमन यादव चैरिटेबल ट्रस्ट भवन का निर्माण एमपी के हुकुमचंद से क्या करवाया कि सभी कार्य दोबारा करवाने पड़ रहे हैं? चाहे छत दोबारा लगवानी पड़ी हो या लिपाई दोबारा करवानी पड़ रही हो। ऐसा हाल किया है कि ऐसे मिस्त्री की तो अच्छी प्रकार घड़त पूजा कर दी जाए क्योंकि इनको किसी चीज का ज्ञान नहीं। एक कहावत सत्य है की सस्ता रोए बार-बार महंगा रोये एक बार किंतु महंगे मजदूर और मिस्त्री भी तो नहीं मिलते। तीन-तीन महीने बाद की बात करते हैं। ऐसे में यदि मजदूर और मिस्त्री से काम करवाना है तो लोकल मजदूर मिस्त्री से काम करवाना चाहिए क्यों उनको लिपाई पुताई तथा अन्य कार्य अच्छे ढंग से ज्ञान होता है। उनको कुछ शर्म तो होती है। बाहर से आने वाले मिस्रियों का हमें न तो यह पता होता है कि इन्हें किसी कार्य का अनुभव है या नहीं? कोई कार्य दिया जाए तो ऐसी गत बना देते हैं कि इंसान उससे पीछा छुड़वाने के लिए हाथ जोडऩे को मजबूर हो जाता है। इसलिए अपने क्षेत्र के लोगों पर विश्वास करना होगा। सत्य है कि क्षेत्र के मजदूर मिस्त्री अधिक दिहाड़ी मांगते हैं और लंबे समय बाद काम की बात करने का आश्वासन देते हैं, परंतु विश्वास करना जरूरी है। ऐसा भवन बना डाला है जिसमें अंदर जाते वक्त भी डर लगने लगा है। बनने से पूर्व ही दरार आ गई हैं, लिपाई अपने आप झडऩे लगी है।
ऋषि चाउंड की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा, सुन्दर पुरी की पंच धूणी तपस्या सम्पन्न
--विशाल भंडारा 3 को
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कनीना की आवाज। ऋषि उद्दालक की तपोभूमि, पांडवों की बनवास भूमि गांव स्याणा के ढाब आश्रम स्थल पर ऋषि चाउंड मंदिर परिसर में बाबा सुन्दर पुरी महाराज ने गत 24 अप्रैल से आगामी 3 जून तक 41 दिवसीय तपस्या शुरू की हुई थी जो कि आगामी 3 जून को समापन होगी। ऋषि चाउंड की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले पं ताराचंद जोशी, आचार्य ललित शास्त्री स्याणा,पं जगवेन्द्र बास पेटवाड़,सुनिल शास्त्री बाढड़ा, जितेन्द्र जोशी सिहोर, ज्ञानेंद्र जोशी बधवाना आदि विद्वानों द्वारा सवा लाख मंत्रों का जाप किया जा रहा है। आगामी 2 जून को गांव स्याणा में झाकी एवं 51 कलशों की कलश यात्रा निकाली जाएगी। आगामी 3 जून को सुबह सात बजे मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा तपस्वी बाबा सुन्दर पुरी महाराज के कर कमलों द्वारा की जाएगी। सुबह सवा आठ बजे हवन शुरू किया जाएगा तथा सवा ग्यारह बजे भंडारे का प्रसाद वितरण शुरू किया जाएगा।इस पंच धूणी के अवसर पर बाबा विश्वास गिरि महाराज आश्रम डिडोली जिला रेवाड़ी, बाबा शीतल गिरि महाराज आश्रम बहाला तहसील कोसली, बाबा श्रद्धानंद महाराज ढाब आश्रम स्याणा, प्राध्यापक जय सिंह नौताना, संदीप , हवा सिंह , सूबेदार रोहतास सिंह, कैलाश चंद (सांवलिया), राजवीर काकटयान, अनिल चिडिय़ा, साहित्यकार समशेर कोसलिया इत्यादि गणमान्य लोग तथा गांव स्याणा,नौताना, पोता गांवों से आई मातृशक्ति भी तपस्या स्थल पर मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 06: तप करते तपस्वी
07: भजन करती महिलाएं।
एक सप्ताह से बैठे हैं अंधेरे में
-गाहड़ा फीडर के पोल गिरे ,अभी तक विभाग नहीं जागा
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कनीना की आवाज। क्षेत्र के ट्यूबवेलों पर रहने वाले लोग 24 मई से अंधेरे में बैठे हुए हैं। बिजली एवं पानी भी उपलब्ध नहीं है। कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
करीना के सूबे सिंह, डा.राजेंद्र सिंह, अमन कुमार, दिनेश कुमार आदि ने बताया कि 24 मई की रात को गाहड़ा फीडर के पोल गिर गए थे जिसके कारण आज तक उनके वहां बिजली की सप्लाई नहीं हुई है, पेयजल भी नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि सीहोर पंप से लाइन चलती है जो ट्यूबवेलों पर जाती है। इसी से उनको बिजली पानी उपलब्ध हो पाता है किंतु अब न बिजली उपलब्ध हो पा रही और न पानी मिल पा रहा है। अधिकारी इस ओर कोई ध्यान दे रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार को चाहिए इस प्रकार की समस्या को हल करें। एक और जहां गर्मी पड़ रही है वही बेचारे लोग प्यासे बिजली आने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि अब भी बिजली नहीं आई उन्हें मजबूरन आंदोलन करने पर उतारू होना पड़ेगा।
गोवर्धन पूजा की कथा सुनाई
---बाघेश्वर धाम बाघोत में चल रही श्रीमद्भागवत कथा
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कनीना की आवाज। बाघेश्वर धाम बाघोत में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिन व्यास पीठ पर विराजमान आचार्य राकेश कृष्ण शास्त्री ने माखन चोरी तथा गोवर्धन पूजा प्रसंग की भावपूर्ण कथा सुनाकर श्रद्धालुओं को भक्ति रस में सरोबार कर दिया। कथा में प्रसंगानुसार भव्य संगीतमय झांकिया भी निकाली गई जिन पर श्रद्धालु जमकर झूमें।
इस दौरान प्रमुख समाजसेवी नेताजी अतरलाल एडवोकेट ने पहुंच कर कथा श्रवण की और पूजा अर्चना कर व्यासपीठ के आचार्य से आशीर्वाद लिया। अतरलाल ने इलाके की तरफ से आचार्य राकेश कृष्ण शास्त्री को शाल ओढ़ाकर तथा प्रशस्ति पत्र भेंट कर राष्ट्र गौरव अवार्ड से सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि भागवत कथा सुनने से भ्रम दूर होते हैं। भक्त निडर होकर कर्तव्यपथ पर चलता है। उन्होंने प्रसंगों की भावपूर्ण व्याख्या सुनाने के लिए आचार्य राकेश कृष्ण शास्त्री का धन्यवाद किया। कथावाचक राकेश कृष्ण शास्त्री ने गोवर्धन पर्वत पूजा कथा को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ते हुए कहा कि भागवत कथा में समाज विकास का वर्णन किया गया है। हम कथा की शिक्षाओं पर चल कर सुखी व समृद्ध जीवन, परिवार, समाज व देश का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने भागवत कथा को प्रेरणा पुंज बताते हुए इसकी शिक्षाओं को आत्मसात करने का अनुरोध किया। इस दौरान आसपास गांवों के सैकड़ों महिला, पुरुष श्रद्धालुगण उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 01: संत गोवर्धन पूजा कथा सुनाते हुए।
क्षेत्र में हुई 22 एमएम वर्षा हुई
-पेड़ों पर बरपा कहर, जगह-जगह टूट गए पेड़
--जगह-जगह हुआ जल भराव, जोहड़ हो गए लबालब, 26 मई को हुई थी 22 एमएम वर्षा
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में रविवार को अंधड़ और वर्षा का कहर बरपा। क्षेत्र में 16 एमएमए वर्षा हुई जबकि 26 मई को 22 एमएम वर्षा के साथ-साथ अंधड़ ने बहुत अधिक पेड़ों को हानि पहुंचाई है। बिजली के खंभे गिर गए, बिजली की तारे टूट गई, बिजली आपूर्ति आंशिक रूप से सुबह 10 बजे बाद बहाल हो पाई। पेय जलापूर्ति देरी से हुई किंतु जहां अंधड़ और वर्षा के बाद लोगों को गर्मी से राहत मिली। कुछ किसानों ने बीजाई कर दी है जबकि शेष किसान अब बिजाई की ओर दौडऩे लगे हैं। कृषि विभाग खरीफ फसल की अगैती बीजाई बता रहे हैं।
वर्षा से पहले अंधड़ आया जिसने कहर बरपाया। पेड़ों की जगह-जगह टहनी टूट कर गिर गई ,सूखे एवं हरे पेड़ भी गिर गए। बिजली के खंभे इधर-उधर गिर गए जिससे बिजली आपूर्ति ठप हो गई किंतु अभी तक किसी जान माल की हानि की कोई सूचना नहीं मिली है। नौतपा में दूसरी बार वर्षा हुई है। स्कूलों में अवकाश चल रहा है।
हाल ही में कनीना मंडी से गुजरने वाली नहर के साथ-साथ सड़क मार्ग बनाया है किंतु न तो नाली बनाई और न ही लेवल सही लिया जिसके चलते जगह-जगह पानी भर गया और यह सड़क मार्ग जल्दी खत्म होने की संभावना बन गई है। उधर कनीना के दोनों जोहड़ होलीवाला तथा कालर वाली लबालब भर गए हैं। आधा किलोमीटर तक पानी खड़ा हो गया। एक और स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दोनों ही जोहड़ों की पैमाइश करके उनकी खुदाई करके गाद निकालने का आदेश दिया हुआ है किंतु आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। कालरवाली जोहड़ की पैमाइश जरूर कर दी है किंतु होलीवाला जोहड़ की न तो पैमाइश हुई है और न ही गाद निकालने का कार्य शुरू हुआ है जिसके चलते अतिक्रमण सिर चढ़कर बोल रहा है जिसका परिणाम है कि गंदा पानी इधर-उधर सड़कों एवं मार्गों पर भरा खड़ा है।
वर्षा होने से किसानों ने राहत की सांस ली वहीं बीज की दुकानों पर लंबी कतारें देखने को मिली। महेश बोहरा एवं कुलदीप बोहरा ने बताया कि बीज खरीदने वाले उनके पास आ रहे हैं और अब बिजाई के काम में लगने की संभावना बन गई है।
फोटो कैप्शन 02: जलमग्र गलियां।
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