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Monday, June 16, 2025
समाचार प्रेषित करने के लिए व्हाट्सअप करें-9306300700
-समाचार नहीं चाहिए तो स्वयं लेफ्ट हो जाए
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कनीना की आवाज। किसी भी व्यक्ति जिसके पास समाचार जा रहे हैं वो अगर नहीं चाहता कि समाचार आएं तो कृपया खुद लेफ्ट हो जाये या फिर मेरे फोन नंबर 9306300700 पर संपर्क कर सकता है। समाचार आदि प्रेषित करने के लिए व्हाटसअप 9306300700 पर भेजे एवं सूचित जरूर कर दें।
धन्यवाद डा. होशियार सिंह यादव,कनीना
फिर याद आई झींझ
-सांगर की सब्जी को भूले लोग
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कनीना की आवाज। एक वक्त था जब दक्षिण हरियाणा में मिलने वाले जाटी के पेड़ पर शानदार झींझ लगती थी। पहले जब झींझ हरे रूप में होती है तो सांगरी नाम से जानी जाती है किंतु जब यह पककर पीले रूप में हो जाती है तो इसे झींझ नाम दिया गया है। वास्तव में सभी झींझ अलग-अलग मीठे या कम मीठे स्वाद में होती थी। अक्सर मीठे स्वाद वाली झींझ को इंसान पसंद करता था। आज न तो झींझ बची है और न ही उनके खाने वाले लोग बचे हैं। अभी भी कुछ राज्यों में झींझ मिल सकती है विशेष कर राजस्थान में खूब मात्रा में मिलती हैं परंतु वहां से उठाकर झींझ को अगर वर्तमान पीढ़ी को खिलाना चाहे तो अनेकों बातें बनाएंगे और यहां तक कि यह कहेंगे यह हैजा रोग फैलती है। झींझ बहुत ही मधुर स्वाद की होती थी। लोग प्लास्टिक बैग में भरकर रख देते थे, जब बारिश होती तो यह कुछ कोमल हो जाती है और इनका स्वाद अलग हो जाता है। आज से 40 वर्ष पहले लोग झींझ को अधिक प्रयोग करते थे क्योंकि झींझ का स्वाद ही कुछ ऐसा अनोखा होता था। झींझ को खाकर लोग प्रसन्नता महसूस करते थे। हर घर में लगभग झींझ देखने को मिलती थी और आज झींझ, सागर लगता नहीं। झींझ बची नहीं। यह पौष्टिक फल होता है।
यहां बता दे कि शानदार झींझ, सांगरी नाम से राजस्थान में जाना जाता है, हजारों रुपये किलो के हिसाब से बिकती है और उसकी सब्जी विशेष रूप से खाई जाती है। एक वक्त था जब लोग सांगर को न केवल खाने के लिए अपितु पशुओं को चारे के रूप में खिलाते थे। इतनी अधिक मात्रा में होती थी कि लोग प्रसन्नता से उन्हें जाटी के पेड़ से तोड़ कर लाते थे। अब जहां जलवायु परिवर्तन हो गया, जहां बारिश एवं फव्वारों द्वारा सिंचाई होने लग गई तो सांगरी भी लगती बंद हो गई। यही हालत रही तो आने वाले समय में बच्चे सांगरी को और झींझ को पुस्तकों में देखने और पढऩे को बाध्य हो जाएंगे।
रासलीला और कंस वध का प्रसंग सुनाया
--खेड़ी तलवाना में भागवत कथा
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कनीना की आवाज। खेड़ी तलवाना गांव के बाबा रामदेव मंदिर में चल रही संगीतमय भागवत कथा के छठे दिन व्यास पीठ पर विराजमान आचार्य शिवराम अग्निहोत्री ने रासलीला और कंस वध का प्रसंग सुनाया। अनुपम झांकियों पर सब झूमे तथा भाव विभोर हुए। इस दौरान बसपा नेता अतरलाल एडवोकेट ने कथा में पहुंचकर आचार्य शिवराम अग्निहोत्री का स्वागत किया। उन्होंने भागवत कथा को प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि इससे मन तथा आत्मा निर्मल होती है। भय तथा संशय दूर होते हैं और मनुष्य के कष्ट दूर होते हैं। इस अवसर पर पूर्व सरपंच रिशाल सिंह, जीत साहब, राजेंद्र सिंह, रामवीर, राकेश, भोलू, दीपक, धोलिया, ओमल, दिनेश तंवर, रामचंद्र, गुड्डी देवी, कमलेश देवी, पार्वती देवी, सुनीता, राजबाला, गोरा देवी, शारदा देवी, गायत्री देवी व सुमन सहित अनेक श्रद्धालुगण उपस्थित थे।
मौसम बदला,छाये रहे बादल
-कभी धूप तो कभी छांव
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में सोमवार को बादल छाये रहे। रविवार को भी हल्की बूंदाबांदी हुई थी। सोमवार को बादल छाये रहे जिससे गर्मी से राहत मिली है।
स्नातक के लिए आवेदन की अंतिम तिथि संपन्न
- 1200 सीटों पर 1424 विद्यार्थियों ने किया आवेदन
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कनीना की आवाज। विभिन्न सरकारी कालेजों में प्रवेश की अंतिम तिथि 16 जून संपन्न हो गई। विद्यार्थियों का रुझान बायो की ओर रहा है। कामर्स कको छोड़कर सीटों से अधिक आवेदन आये हैं। कनीना के पीकेएस राजकीय कालेज कनीना में सत्र 2025- 26 के लिए 1200 सीटों पर अभी तक 1424 विद्यार्थियों ने आवेदन किया है। प्रोफेसर हरिओम भारद्वाज नोडल अधिकारी ने बताया कि कुल 1200 सीटें हैं जिसमें से बीए की 640 पर 795 ,बीकाम 160 सीटों पर 98, बीएससी फिजिकल साइंस 320 सीटों पर 359, बीएससी जीव विज्ञान 80 सीटों पर 172 आवेदन हुए हैं।
उधर राजकीय महिला कालेज उन्हाणी में कुल 360 सीटें हैं। बीए की 240 सीटें हैं जिन पर 230 आवेदन, बीएससी की 80 सीटों पर 89 आवेदन तथा बीकाम की 40 सीटों पर 24 आवेदन प्राप्त हुए हैं।
फोटो कैप्शन 02: उन्हाणी कालेज का नजारा।
19 नोजल चोरी
-कनीना पुलिस ने मामला किया दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव कोटिया के किसान इंद्र सिंह के ट्यूबवेल से अज्ञात चोर 19 नोजल चोरी हो गये। उन्होंने पुलिस में बताया कि उनका ट्यूबवेल लिसान की सीमा पर है। अज्ञात चोर 19 नोजल पीतल के चोरी कर लिये। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
दिलाई कन्या भ्रूण हत्या नहीं होने देने की शपथ
-भागवत कथा में कन्या भ्रूण हत्या पर दी नसीहत
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कनीना की आवाज। उप मंडल के गांव खेड़ी तलवाना के रामदेव महाराज मंदिर के प्रांगण में सात दिवसीय श्रीमदभागवत कथा के पांचवें दिन भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन, पूतना वध, गोवर्धन लीला, और कालिया नाग के दमन का प्रसंग सुनाया । कथा के दौरान कन्या भ्रूण हत्या न करने की शपथ दिलाई गई। कथा व्यास शिवराम अग्निहोत्री ने कथा में गोवर्धन लीला, कालिया नाग का दमन, और माखन चोरी जैसे प्रसंगों का भी वर्णन करते हुए कहा कि कंस द्वारा भेजी गई राक्षसी पूतना को भगवान कृष्ण ने मारकर उसका उद्धार किया। भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की इंद्र के प्रकोप से रक्षा की थीं। भगवान कृष्ण ने यमुना नदी में कालिया नाग को पराजित किया और जल को शुद्ध किया। भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं में माखन चोरी का प्रसंग भी सुनाया गया। भागवत कथा सुनने से व्यक्ति को ज्ञान, वैराग्य, और भगवान से मिलने का मार्ग मिलता है। भागवत कथा के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं को कथावाचक ने कन्या भ्रूण हत्या न करने की शपथ दिलाई उन्होंने कहा कि एक कन्या भ्रूण हत्या करने से सो गई काटने जितना पाप लगता है इस दौरान कथा में विराजमान कन्याओं को पठन सामग्री वितरित की गई । कथा में कैप्टन विशाल सिंह, कैप्टन अजित सिंह, सवाई नंबरदार, राजवीर सिंह, महेंद्र सिंह, शिव कुमार, नरेश कपड़ेवाला, कृष्ण एसटीडी, राजपाल सिंह, श्योपाल सिंह, महावीर सिंह, देवराज सिंह, मनोज फौजी गुड्डी देवी, संतोष देवी, भागल देवी, पार्वती देवी, कोमल देवी, संता देवी सहित अन्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 01: भ्रूण हत्या न करने की शपथ लेते हुए।
9 जुलाई को की जाएगी हड़ताल
--मध्य प्रदेश में 1,20,000 हजार सरकारी स्कूलों में से 108000 स्कूल मर्ज करने की तैयारी-धर्मपाल
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कनीना की आवाज। रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा संबंधित अखिल भारतीय राज्य सरकार पेंशनर्स फेडरेशन आफ इंडिया के राज्य प्रेस सचिव धर्मपाल शर्मा पूर्व राज्य सचिव हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कितनी स्कूलों और नौकरियों की कुर्बानी लेगी। 9 जुलाई की हड़ताल में व्यापक एकजुट कार्रवाई ही बचा सकती है। 29 जून 2020 को घोषित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के रुझान ही नहीं वरन परिणाम सामने आने लगे हैं। पूरे देश में बड़ी संख्या में स्कूलों को मर्ज किया जायेगा, हर प्रदेश में शिक्षकों के लाखों पद समाप्त होंगे,स्थाई नियुक्ति खत्म कर संविदा पर नियुक्ति की जाएगी । गेस्ट,कौशल टीचर आ गये हैं। जिन्हें ना कोई मेडिकल भत्ता, मकान किराया भत्ता मिलता है। सेवानिवृत्ति के बाद ना कोई पेंशन व दूसरे लाभ मिलते है।
जो आशंकाएं हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ पिछले दस साल से आप सब लोगों के बीच शेयर कर रहा था , वो आशंका नहीं, यथार्थ सिद्ध होने लगी है ।
प्रिन्ट मीडिया से अपडेट मिल रहें हैं कि मध्य प्रदेश में 1,20,000 हजार सरकारी स्कूलों में से 108000 स्कूल मर्ज करने की तैयारी कर ली गई है । छत्तीसगढ़ में 54000 में से पहले राउण्ड में चार हजार स्कूल बंद कर दी जायेंगी ।
राजस्थान में लगभग 4 हजार स्कूलों को बंद करने की तैयारी हैं। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ लगातार नीतियों की समीक्षा के आधार पर आन्दोलनरत है।2022 में ट्रांसफर ड्राइव की आड़ में रेशनलाइजेशन के खूंखार हथियार से 183 लड़कियों के स्कूल बंद कर दिए गये। 4201 स्कूलों को मर्ज कर दिया गया। अभी 194 प्राथमिक स्कूलों को बंद करने की तैयारी हैं। 900 हाई स्कूलों को डिमोट करके मिडिल बनाया जाएगा। सभी बीइओ एवं डीइइओ दफ्तर बंद करने की तैयारी हैं। ,एसीपी पर अलग-अलग बहाने से लगभग रोक लगी हैं। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ संबंध स्कूल टीचर्स फेडरेशन आफ इंडिया लगातार जी जान से लड़ रहा हैं। इसलिए सरकार अपने कदमों को तेजी से आगे नहीं बढ़ा पा रही है,लेकिन जल्दी ही हजारों स्कूलों को मर्जर/बंद करने के आदेश जारी हो सकते हैं ।
घर पर बैठकर व्हाट्सएप और फेसबुक पर ज्ञान बांटने वाले बहुत से साथी ये कहते हैं कि संगठन क्या करते हैं? आज जितनी सुविधाएं शिक्षकों को मिल रही हैं वे सब संगठनों के संघर्ष का परिणाम है । कार्यालयों में समयबद्ध कामकाज होते हैं वे संगठनों के संघर्ष के दबाव में होते हैं, समय पर वेतन मिलना और स्थायी नियुक्ति अब तक बचाकर रखना संगठनों की ही देन है, यदि विश्वास नहीं हो रहा है तो एक बार एक सप्ताह के लिए गुजरात व मध्यप्रदेश का विजिट कर सकते हैं ।आज शिक्षकों का स्वाभिमान संगठनों की ताकत के कारण ही जिन्दा है , वरना तो इन राज्यों में जाकर एक बानगी देखें जहां संगठनों का अस्तित्व नहीं है, अधिकारी शिक्षकों से सीधे मुंह बात नहीं करते हैं, और उन्हें जलील करते हैं ।12 हजार में स्कूल लेक्चरर तक का 85 प्रतिशत स्टाफ हो गया हैं। बाकी इससे कम में ही हैं। अपने कार्यालयों में शिक्षकों को घुसने तक नहीं देते। लेकिन जिन राज्यों /जिलों में संगठन की ताकत मजबूत हैं वहाँ पर सार्वजनिक शिक्षा भी मजबूत है, शिक्षकों में एकता भी है, अन्याय और जुल्म का मुकाबला करने का साहस भी है वहां का शिक्षक बहादुरी के साथ भयमुक्त होकर काम करता है ।
लेकिन फिर भी यदि हम ने हर पहलू पर मंथन नहीं किया और अन्याय और जूल्म के खिलाफ नहीं बोले, तो पुरखों की विरासत को खो देंगे ,और स्वयम् के पास पश्चाताप के अलावा कुछ भी नहीं बचेगा । इसलिए उठो और जंग के मैदान में आने के लिए तैयार हो जाओ । 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल को मजबूत करों, देश बचाने में, स्कूल शिक्षा व शिक्षक बचाने में अपना योगदान दें। जब स्कूल बंद हो जायेंगे , तो पद खत्म हो जाएंगे,पद खत्म हो जाएंगे तो हमारी मांगें स्वत: ही समाप्त हो जाएंगी । इसलिए दूरगामी सोच के साथ विचार विमर्श कर बड़ी एकता स्थापित करने की आवश्यकता है ।
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