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Wednesday, September 9, 2020


आखिरकार दौंगड़ा अहीर मसले में कनीना पुलिस ने किया मामला दर्ज

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कनीना। नोएडा के गुरूकुल में पढने वाली दौंगड़ा अहीर की 14 वर्षीय बेटी की संदिग्ध मौत के मामले में पीडि़त परिवार की ओर से कनीना थाने में 28 अगस्त को एक शिकायत दी थी उस के आधार पर बुधवार को कनीना थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। आपको बता दें की इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील श्याम मनोहर मिश्रा एवं उनकी सहयोगी ईशा यादव ने पीडि़त परिवार के साथ मिलकर कनीना थाने में जाकर मामला दर्ज करवाने की बात कही थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हुए एक फैसले का हवाला देते हुए कनीना थाने में बताया कि नोएडा गुरुकुल के संचालक के विरुद्ध कुछ ऑफेंस बनते हैं जिनके आधार पर मामला दर्ज किया जा सकता है और पीडि़त परिवार को न्याय मिलना चाहिए। उसके बाद पुलिस द्वारा जिला न्यायवादी (डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी) की राय लेने के बाद अधिनियम 34 अधिनियम 365 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
इस संदिग्ध मौत का इंसाफ दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर जब सुप्रीम कोर्ट के वकील श्याम मनोहर मिश्रा और ईशा यादव ने जाना तो वह खुद आकर पीडि़त परिवार के घर पर मिले और बेटी के परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए उन्होंने निशुल्क केस लडऩे का भी आश्वासन दिया था उसी का नतीजा यह है कि उसके बाद उन्होंने 28 अगस्त को खुद पीडि़त परिवार के साथ मिलकर कनीना थाने पहुंचे और केस दर्ज कराने की बात कही थी ।
आपको बता दें कि इस केस को लेकर क्षेत्र के लोगों में बहुत रोष है।यहां के लगभग सभी सामाजिक संगठनों व राजनीतिक लोगों ने इस केस की कड़ी निंदा की थी तथा अपने अपने स्तर पर मुख्यमंत्री हरियाणा मनोहर लाल खट्टर व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी को भी लेटर लिखकर इस केस की सीबीआई से जांच की मांग की गई थी। जबकि नोएडा पुलिस ने इस केस में दर्ज एफआईआर को कैंसिल कर दिया गया था। इसके बाद क्षेत्र में और भी रोष उत्पन्न हो गया था। इसी को लेकर 13 सितंबर को दौंगड़ा अहिर गांव में एक महापंचायत का भी आयोजन किया जा रहा है।
  क्या कहते हैं वकील-
श्याम मनोहर मिश्रा वकील सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस संदिग्ध मामले में 120बी,342,365,380,395 और 506 के तहत मुकदमा बन रहा था लेकिन पुलिस ने सिर्फ 365 और 34 के तहत ही मुकदमा दर्ज किया है।



आयुर्वेदिक सलाह......................
 नियमित गुनगुना पानी सेवन करे

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कनीना। ग्रामीण आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी खेड़ी तलवाना में आयुष मेडिकल आफिसर डा शशी मोरवाल का कहना है कि कोरोनावायरस के चलते नित्य प्रति गुनगुना पानी पीना चाहिए। जो चाय पीते हैं उन्हें अधिकतम दो कप चाय पीनी चाहिए किंतु चाय या तो नींबू की हो या फिर चाय में तुलसी, लांग, काली मिर्च, अदरक, अजवायन, अदरक आदि डालकर बनी हो।
 उन्होंने कहा कि रात के वक्त दूध में हल्दी डालकर पीना चाहिए। एक गिलास दूध में चौथाई चम्मच हल्दी डालकर जरूर पीये। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस के चलते नियमित सफाई के साथ खाना खाने से पूर्व जरूर हाथों को हैंडवाश से  धोना चाहिए। दिन में तीन चार बार हाथ धोए।
डॉ शशि मोरवाल का कहना है कि ऐतिहात के सभी नियमों का पालन करना चाहिए।  ताजा फल और सब्जियों का ही उपयोग करना चाहिए। फल सब्जियों को अच्छी प्रकार धोकर प्रयोग करें। वहीं उन्होंने कहा कि खट्टे फल जिनमें संतरा,मौसमी आदि का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए ताकि विटामिन-सी की पूर्ति हो सके।
उन्होंने कहा कि बासी खाना नहीं खाना चाहिए। जब घर से बाहर निकले तो नाक में घी या तेल जरूर लगाकर निकले। हल्का खाना तथा गर्म खाना ही खाना चाहिए। सूखे मेवे अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए वहीं अंकुरित अनाज जैसे चना, मूंग, भुना हुआ चना आदि प्रयोग करना चाहिए ताकि कोरोनावायरस से बचा जा सके।
डा शशी मोरवाल, आयुष मेडिकल अधिकारी जीएडी खेड़ी तलवाना(कनीना)
फोटो कैप्शन: डा शशी मोरवाल।

71 सैंपल लिये

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कनीना। कनीना के उप नागरिक अस्पताल में डा जितेंद्र मोरवाल की अध्यक्षता में क्षेत्र के विभिन्न लोगों के 71 सैंपल लिये गये। प्रतिदिन सैंपल लिये जाते हें और उन्हें जांच के लिए भेजा जाता है। इसही कड़ी में यह कार्रवाई की गई थी।
मुआवजा दिया जाए
संवाद सहयोगी,कनीना। विभिन्न बीमारियां लगने तथा अधिक बरसात से बर्बाद हुई कपास की फसल की अभी तक विशेष गिरदावरी शुरू न किए जाने से खफा बसपा ने जिला उपायुक्त को ज्ञापन भेजकर कपास की क्षतिग्रस्त फसलों की तत्काल विशेष गिरदावरी करवाकर 40 हजार  रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रभावित किसानों को मुआवजा देने की मांग की है।
                    जिला उपायुक्त को भेजे ज्ञापन के बारे में जानकारी देते हुए बसपा नेता अतरलाल एडवोकेट ने कहा कि इलाके के किसानों की 80-90 प्रतिशत कपास की फसल अधिक बरसात तथा अनेक बीमारियां लगने के कारण बर्बाद हो गई हैं। परन्तु सरकार तथा जिला प्रशासन किसानों की गुहार नहीं सुन रहे हैं। अभी तक बर्बाद फसलों की विशेष गिरदावरी का कार्य मौका पर जाकर शुरू नहीं हुआ है। दूसरी तरफ बीमा कम्पनियां अनेक अड़ंगे तथा बहाने लगाकर किसानों के क्लेम रद्द कर रही है, जो सरासर अन्याय है। बैंकों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों के खाते से 1700 रुपये प्रति एकड़ की दर से काट लिए। परन्तु अब बीमा कम्पनियां कह रही हैं कि बीमारियों से क्षतिग्रस्त होना बीमा कवर में नहीं है। बीमा कवर में केवल ओलावृष्टि, जलभराव से खराब हुई फसल का क्लेम का प्रावधान है। उन्होंने ज्ञापन में गांव वाइज शेड्यूल घोषित कर विशेष गिरदावरी करवाने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत काटे गए प्रीमियम वाले सभी किसानों को क्लेम दिलवाने तथा बिना भेदभाव के क्षतिग्रस्त कपास फसलों का मुआवजा देने की मांग की है।


बाईपास का बेसब्री से इंतजार 

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कनीना। कनीना क्षेत्र स्थित बस स्टैंड तथा आसपास भीड़ बढऩे से और लोगों की मांग बाईपास के लिए बलवती होती जा रही है। बार-बार चर्चाएं चलती है कि कनीना का बाईपास बनने जा रहा है किंतु अभी तक कोई रास्ता चिह्नित नहीं किया गया है। यही कारण है कि कनीना क्षेत्र के लोग बेहद परेशान है। अभी तक बाईपास को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि जहां कनीना बस स्टैंड अटेली, नारनौल, रेवाड़ी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, कोसली आदि मार्गों से जुड़ा हुआ है जहां भारी संख्या में वाहनों का आवागमन होता रहता है, जिसके चलते कनीना वासी तंग आ गए हैं। आखिरकार कनीना वासियों ने बार-बार बाईपास बनाए जाने की मांग की है किंतु अभी तक न तो बाईपास के लिए कोई स्थान चिह्नित किया है और नहीं अभी तक कोई कार्रवाई शुरू हुई है। माना जा रहा है कि जल्द ही कनीना का बाईपास शुरू होगा। कनीनावासी चाहते हैं कि भीड़ का दबाव घटाने के लिए बाईपास का निर्माण किया जाए। बाईपास का निर्माण हो जाता है तो जहां यात्रियों को भी सुविधा मिलेगी वहीं कनीनावासियों को को भीड़ का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस वक्त कनीना बस स्टैंड से सुबह से शाम तक भारी संख्या में वाहन चल रहे हैं जिसके चलते पद यात्रियों और सड़क क्रास करने वालों को काफी समय तक इंतजार करके ही सड़क क्रास करनी पड़ती है। यही कारण है कि लोग बार-बार बाईपास निर्माण की मांग कर रहे हैं।

मास्क पहनने वालों के काटे 40 चालान, गाडिय़ां की चैक

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 कनीना। मास्क न पहनने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है तथा एएसआई गोविंद सिंह ने कहा है कि जो वाहन चालक मास्क पहनकर नहीं चलेंगे उनका चालान काटा जाएगा।
 उन्होंने कहा कि इस समय कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय है मास्क पहनना तथा ऐतिहात के नियमों का पालन करना। जो नियमों का पालन नहीं करेगा उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी इस मौके पर उन्होंने 40 मास्क न पहनने वालों के चालान काटे वहीं वाहनों की सघन                      चैकिंग की गई। रात वक्त भी चैकिंग की गई थी।
एएसआई ने कहा कि सरकार इस समय पूरी तैयारी में जुटी हुई है ताकि कोरोना को किसी प्रकार हराया जा सके और अगर हम उनके नियमों का पालन नहीं करेंगे तो रोग और बढ़ सकता है। उन्होंने सख्त हिदायत दी है कि सभी अपने हाथों को सैनिटाइज करके मुंह पर मास्क लगाकर वाहनों को चलाए। उन्होंने कहा कि बिना मास्क वाहन चलाया गया तो खैर नहीं होगी।
फोटो कैप्शन 2: वाहन चैकिंग करते एएसआई गोविंद सिंह।


सुपर फास्ट ट्रेन के ठहराव के लिए रेलवे बोर्ड बीकानेर के नाम सौंपा ज्ञापन

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कनीना। कनीना व  आसपास का क्षेत्र सैनिक बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद भी कनीना खास रेलवे स्टेशन पर सुपरफास्ट ट्रेनों का ठहराव नहीं होता। कनीना खास रेलवे स्टेशन पर सुपर फास्ट ट्रेनो के ठहराव की मांग लंबे समय से चली आ रही है। कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में रेल सेवाएं बाधित है। अब रेलवे द्वारा 12 सितंबर से रेल सेवाओं के संचालन का विस्तार किया जाना है। इसी कड़ी में जोधपुर दिल्ली सराय रोहिल्ला सुपरफास्ट ट्रेन का संचालन 12 सितंबर को होना है। जोधपुर दिल्ली सुपरफास्ट ट्रेन के लगभग 15 जगह ठहराव है लेकिन महेंद्रगढ़ जिले किसी भी रेलवे स्टेशन पर इस ट्रेन का ठहराव नहीं किया गया। रेलवे द्वारा जारी शेड्यूल के अनुसार लोहारू रेलवे स्टेशन के बाद इसका ठहराव रेवाड़ी जंक्शन पर ही किया गया है । सुपर फास्ट ट्रेन का सैनिक बाहुल्य क्षेत्र कनीना में ठहराव कराने के लिए बुधवार को क्षेत्र के कई लोगों ने स्टेशन अधीक्षक केएल शर्मा कनीना खास को एक ज्ञापन उत्तर पश्चिम रेलवे मंडल बीकानेर अधीक्षक के नाम सौंपा। ज्ञापन सौंपने वाले लोगों मे कोटिया के पूर्व सरपंच रामकिशन, बीएमडी क्लब के चेयरमैन लक्की सीगड़ा, राजेश , सुबे सिंह खेड़ी, मनोज, ,उमा दत्त, सूबेदार मनोज कुमार, मुकेश योगेश आदि लोग मौजूद रहे।
कोटिया के पूर्व सरपंच रामकिशन ने जानकारी देते हुए बताया कि कनीना खास रेलवे स्टेशन बहुत पुराना रेलवे स्टेशन है, लेकिन यहां सुपरफास्ट ट्रेनों का ठहराव नहीं होता । बीएमडी क्लब  चेयरमैन लक्की सीगड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि कनीना और उसके आसपास के 50-60 गांवों के हजारों लोग नौकरी और दूसरे कार्यो के लिए प्रतिदिन दिल्ली और गुरुग्राम आते जाते हैं । इसके साथ साथ क्षेत्र से हजारों की संख्या में सैनिक भी यात्रा करते हैं लेकिन किसी भी सुपरफास्ट ट्रेन का कनीना खास रेलवे स्टेशन पर ठहराव नहीं होता है। 12 सितंबर से संचालित होने वाली जोधपुर दिल्ली सराय रोहिल्ला का  कनीना खास रेलवे स्टेशन किया जाना चाहिए। ज्ञापन देने वालों ने कहा कि  लोगों ने कहा कि यदि उनकी मांगों पूरा नहीं किया जाता है तो मजबूरी में उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
 1935 में स्थापित कनीना खास रेलवे स्टेशन की हालात एक छोटे से गांव के रेलवे स्टेशन से बदतर है। कहने को तो यह कारगिल युद्ध में सबसे अधिक शहीदों वाले खंड रहा है। कनीना खास रेलवे स्टेशन को स्थापित करवाने वाले भवानी सिंह तथा जमादार भैरो सिंह भी यहीं के निवासी हुए हैं। आज भी उनके वंशज कनीना में निवास कर रहे हैं। कहने को तो पूर्व मंत्री औमकार सिंह, कर्नल राम सिंह, राव दलीप सिंह सहित नेताओं की फौज देने वाले कनीना के रेलवे स्टेशन की दुर्दशा इस कद्र है कि   महज पैसेंजर ट्रेन ही रुक रही हैं तथा फास्ट एवं सुपर फास्ट ट्रेन अभी तक ठहराव नहीं कर रही हैं। जब मीटर गेज लाइन होती थी तो कनीना खास रेलवे स्टेशन पर फास्ट ट्रेन भी रुकती थी किंतु ब्राड गेज बनते ही सभी का ठहराव ही बंद कर दिया गया। सैनिकों के गढ़ में सैनिकों को ट्रेन पकडऩे के लिए 20 किमी दूर जाना पड़ता है।
    इस रेलवे स्टेशन पर ट्रेन ठहराव को लेकर कम से कम आधा दर्जन बार विभिन्न समाजसेवियों ने ज्ञापन तक दिए। मंत्रियों एवं नेताओं ने आश्वासन तक दिए। कनीना के सूबेदार सतपाल सिंह ने विगत वर्ष बड़ा आंदोलन छेड़कर रेल मंत्री तक ज्ञापन भिजवाया किंतु अभी तक न तो आरक्षण खिड़की खुली और न ट्रेनों का ठहराव शुरू हुआ।
फोटो कैप्शन 3: ट्रेन ठहराव के लिए ज्ञापन देते क्षेत्रवासी।

सावधानी बरतकर रोग से बचे-राम अवतार

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कनीना। समाजसेवी एवं लेखक राम अवतार गुढ़ा का कहा है कि सदियों से महामारियाँ आती रही हैं और विनाश लीला दिखाकर ही गई हैं । मानव जाति की दुश्मन रही महामारियों में चेचक , प्लेग , हैजा  आदि लम्बे समय तक लोगों को सताती रही हैं । उपचार के अभाव में करोड़ों व्यक्ति काल का ग्रास बनते रहे हैं । विज्ञान ने चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है और आज भी सेवा में तत्पर है ।
आज सबसे भयंकर आपदा कोरोना के रूप में दिखाई दे रही है । यह एक ऐसी बीमारी उजागर हुई है जिसने सम्पूर्ण विश्व को लपेटे में ले लिया है । लाखों व्यक्ति काल का ग्रास बन चुके हैं और करोड़ों प्रभावित हुए हैं । इसकी न कोई दवा है और न ही टीका है , बस बचाव ही एक मात्र तरीका है । मुख्यत: कोरोना फेफड़ों को प्रभावित करके श्वसन प्रणाली को अवरुद्ध करता है और रोगी साँस न ले पाने की वजह से काल का ग्रास बन जाता है । रोग कोई भी हो उसके कारण हमारी रोगनिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है ।इसलिए कैंसर ,टीबी ,लीवर ,किडनी और दमा के रोगियों को कतही लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए ।
   उनका मानना  है कि बचाव के लिए हर एक को अपना मुँह और नाक ढककर रखना है । यह कोई जरूरी नहीं कि बहुत महँगा मास्क हो । इसके लिए तौलिया , रुमाल या कोई भी साफ कपड़ा काम में लें । कम से कम चार हाथ की दूरी बनाकर रक्खें । और साबुन से हाथ धोकर ही अपने चेहरे का स्पर्श करें । ऐसा करने पर आप कोरोना के संक्रमण से बचे रहेंगे।
फोटो कैप्शन: राम अवतार गुढ़ा।


दो जिलों में बंटकर रह गई स्याणा से गांव चांगरोड़ का मार्ग

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-कई सालों से रास्ते को बनाने की मांग
कनीना। उपमंडल के गांव स्याणा व चरखी दादरी जिले के चांगरोड गांव के बीच का रास्ता बिल्कुल खराब हालत में है। यह गांव विकास की दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है । बरसात के समय इस रास्ते में इतना पानी भर जाता है कि ना तो कोई वाहन यहां से जा सकता और ना ही  पैदल व्यक्ति यहां से जा सकता। इस रास्ते पर दर्जन भर मकान बने हुए हैं। मकानों में रहने वाले ग्रामीणों को बरसात के मौसम में बहुत भारी समस्या का सामना करना पड़ता है पैदल है इस कीचड़ को पार करके शहर से कुछ सामान लेकर आप आते हैं । ग्रामीण वीरपाल, हिम्मत सिंह, विरेन्द्र सिंह नम्बरदार, विजय सिंह नंबरदार, बालकिशन पंच, सुमेर सिंह पूर्व सरपंच, सुरेन्द्र सिंह नम्बरदार,पं धर्मपाल पूर्व पटवारी, महेन्द्र सिंह, महावीर सिंह, धर्मवीर सिंह, ईश्वर सिंह, महावीर उफऱ् पप्पू, हरबीर, हनुमान,पं सुमन प्रकाश,पं संजय शर्मा पंच, रविदत्त भगत जी,बीर सिंह, राजेश कुमार,सत्यप्रकाश इत्यादि ने बताया कि  गांव की सीमा लगभग पौने दो किलोमीटर है। यह गांव लगभग चार सौ एकड़ रकबे में बना हुआ है। ग्रामीण अपने खेतों में गांव के कच्चे रास्ते से होकर जाया करते हैं । इस रास्ते की चौड़ाई तेंतीस फुट है। इस रास्ते में से ही गांव के खेतों का रास्ता भी जाता है । जिस में लगभग दो सौ एकड़ रकबा आता है। इसी रास्ते पर गांव से एक किलोमीटर दूर कई मकान भी बनें हुए हैं। जिनमें दर्जनों लोगों की बसासत है।
गांव चांगरोड़  चरखी दादरी जिले का गांव  है और उस गांव का लगभग पांच सौ एकड़ रकबा इसी रास्ते पर आता है। इसी रास्ते के बिल्कुल नजदीक ही गांव बालरोड़ चरखी दादरी जिले की सीमा आती है।  इस रास्ते के पास गांव बालरोड़ का रकबा भी लगभग सौ एकड़ साथ लगता है। इस रास्ते का इतना बुरा हाल है कि खाली आदमी पैदल भी नहीं चल सकता।  इस रास्ते को दो जिलों और दो विधानसभा में बांटकर रखने की वजह से अटेली के निर्वाचित विधायक और बाढडा विधानसभा के निर्वाचित विधायक एक दूसरे जिले में बताकर अपना अपना पल्लू झाड़ रहे हैं और दोनों गांव वालों ने अपने अपने विधायकों से (अटेली से पूर्व विधायक डिप्टी स्पीकर संतोष यादव , वर्तमान विधायक श्री सीताराम यादव जी से तथा बाढडा से पूर्व विधायक श्री सुखबिंदर व वर्तमान विधायक श्रीमती नैना चौटाला जी से कई बार मिल चुके हैं और एक-दूसरे गांवों वाले भी एक दूसरे विधायकों से कई बार मिल चुके हैं फिर भी समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है। जबकि हरियाणा सरकार खेतों के रास्ते पक्के बनाने की बात करती है और एक गांव से दूसरे गांव के रास्ते को पक्का नहीं किया जा रहा है। इसलिए हरियाणा सरकार से दोनों गांव के ग्रामीणों ने पुरजोर मांग है कि इस रास्ते को तुरंत प्रभाव से लोक निर्माण विभाग (भवन व मार्ग) से 18 फुट चौड़ी सड़क का निर्माण करवाये।
फोटो कैप्शन 1:दो जिला के बीच फंसा मार्ग।

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