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Saturday, September 12, 2020

कनीना क्षेत्र में मिले चार संक्रमित
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रामबास की महिला हिसार में करवा रही है इलाज महिला वही अस्पताल में भर्ती
कनीना। उप नागरिक अस्पताल कनीना के एसमोओ  डॉ धर्मेंद्र ने जानकारी देते हुए बताया कि कनीना क्षेत्र में  4 संक्रमित मिले हैं। जिसमें सबसे पहले भालखी गांव का व्यक्ति संक्रमित जो मिला है। जो पहले से आए संक्रमित के संपर्क में आया था। दूसरा भोजावास गांव का एक व्यक्ति संक्रमित मिला है।  तीसरा करीला गांव के नवोदय स्कूल में रहने काम करने वाला एक व्यक्ति संक्रमित मिला है । चौथा केस रामबास गांव की महिला है, जो कि हिसार में अपना इलाज करवा रही थी।   इन्होंने हिसार में ही अपना सैंपल जमा करवाया था।  अभी भी वो हिसार में ही हैं ।
संक्रमितों के आसपास रहने वालों की लिस्ट तैयार करके जल्दी ही उनके सैंपल लिए जाएंगे।
सावधानी बरते--
डा धर्मेंद्र एसएमओ ने कहा कि कोरोना जल्द ही हार जाएगा और हमारी जीत होगी। उन्होंने कहा कि बस थोड़ी सी सावधानी की जरूरत है। अगर सभी अनलाक-4 के नियमों का पालन करेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब कोरोना हार जाएगा। उन्होंने हाथों में ग्लव्ज, मुंह पर मास्क तथा सेनिटाइजर प्रयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सावधानी बरतने से ही इस रोग पर काबू पाया जा सकता है।

मछलियों को भोजन देना, पानी पिलाने का काम लंबे समय से कर रहे हैं रोशनलाल
 कनीना। खंड के गांव नांगल हरनाथ में रोशन लाल (63) किसान होते हुए भी जीवों की सेवा एवं भूखे को खाना खिलाने का काम लंबे समय से करते आ रहे हैं। उनके पिता भूप सिंह जहां प्याऊ लगाकर जन सेवा करते थे वही रोटी, राबड़ी एवं प्याज राहगीरों को मुफ्त खिलाकर सेवा करते थे।
 रोशन लाल गांव नांगल हरनाथ से संबंध रखते हैं जो कनीना खंड का गांव है। ये सर्दी या गर्मी धार्मिक स्थानों पर रखे हुए शिकोरों में पानी भरते हैं वहीं औषधीय पौधों की परख रखते हैं। जिस किसी को भी पौधों की जरूरत होती है उनकी सेवा भी करते हैं। बड़ी बात यह है कि उन्होंने अपने दम पर जोहड़ में मछलियां पाल रखी हैं बेचने के लिए नहीं अपितु सेवाभाव के चलते। बहुत बड़ी-बड़ी मछलियां हो गई है। उनको प्रतिदिन आटे की गोलियां डालते हैं और उनकी देखरेख करते हैं। किसी को वो मछलियां पकडऩे नहीं देते। उनका एक ही उद्देश्य है कि जीवों की देखरेख की जाए। रोशन लाल बताते हैं कि करीब 50 सालों से इस प्रकार की जन सेवा में जुटे हुए है। उनके पिता बूचावास से नांगल हारनाथ को जाने वाले रास्ते पर वर्षों पूर्व प्याऊ लगाते थे। उस समय जाने आने के साधन कम होते थे। यही कारण है कि थके हारे राहगीरों को ठंडा पानी पिलाने का कार्य करते थे।  रोशन लाल बताते हैं कि उन्होंने जीवों का सेवाभाव अपने पिता से सीखा है।
 नांगल हरनाथ के सभी धार्मिक स्थानों पर सिकोरे रखवा कर उन्हें पानी भरने का कार्य भी करते हैं। अनपढ़ हैं और किसानी का काम करते हैं। जनसेवा करके प्रसन्न रहते हैं। उन्हें खुशी है कि वे जीवन में जीवो के काम आ रहे हैं। उनकी इच्छा है कि उनकी आने वाली पीढ़ी भी जीवों की देखरेख करें ताकि उनका नाम यूं ही भविष्य में चलता रहे।
फोटो कैप्शन 4:  रोशनलाल।

खरीद प्रथम अक्टूबर से होने की उम्मीद

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 कनीना। प्रथम अक्टूबर से बाजरे की सरकारी खरीद होने की पूरी संभावना है। विगत दो वर्षों से बाजरे की सरकारी खरीद की जा रही है। इस वर्ष भी बाजरे की खरीद प्रथम अक्टूबर से होने जा रही है। इस वर्ष बाजरे का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 2150 प्रति क्विंटल किया हुआ है।
   कनीना क्षेत्र के किसान मौसम खुलते ही त्वरित गति से पैदावार लेने में लग गए हैं। विगत दिनों बाजरे की लावणी की थी उसके भुट्टोंं को इक_ा कर अब किसान पैदावार ले रहे हैं। किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रुपये तक खर्चा उठाना पड़ता है।
 किसान रमेश कुमार, कृष्ण कुमार, रोहित, योगेश कुमार आदि ने बताया की एक एकड़ खेत में खड़ी फसल कटाई मजदूर 5000 रुपये लेते हैं जबकि भुट्टों से बाजरा निकालने का 1500 रुपए प्रति एकड़ लेते हैं यही नहीं उस पर भी मजदूरी 500 प्रति एकड़ ली जाती है। दिन रात मेहनत करके तथा महंगे दामों पर बाजरे का बीज खरीद खाद आदि डालकर पैदावार की जाती है किंतु पैदावार का अच्छा लाभ नहीं मिल पाता।
 किसानों ने बताया कि इस बार सरकार 2150 रुपये प्रति क्विंटल बाजरा खरीदेगी परंतु हर वर्ष अन्न आदि की खरीद में एक निश्चित सीमा होती है विगत वर्ष जहां प्रति किसान प्रति एकड़ 8 क्विंटल बाजरा खरीदा था वहीं अधिकतम 40 क्विंटल तक सरसों खरीदी गई थी। विगत वर्ष बाजरा एक दिन में 25 क्विंटल प्रति किसान एक दिन में खरीदा गया था दूसरी बार बाजरा व सरसों बेचने का मौका शायद कम ही किसानों को मिला हो। किसानों ने बताया इस बार भी शायद प्रति एकड़ 8 क्विंटल बाजरा खरीदा जाएगा। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है किसान पैदावार बढ़ाना चाहते हैं किंतु उनकी समुचित पैदावार को नहीं खरीदी जाती। अगर किसी के खेत में 10 क्विंटल बाजरा प्रति एकड़ पैदावार हो गई है तो उसमें से 8 क्विंटल प्रति एकड़ बाजरा खरीदा जाएगा। बाकी घर पर रखना पड़ता है उन्होंने इस सीमा को बढ़ाने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि विषम परिस्थितियों को चलते आखिर किसान पैदावार लेने में लगे हैं किंतु उन्हें अभी तक यह पूर्ण विश्वास नहीं है कि सही सलामत उनका बाजरा घर तक पहुंच जाएगा। बार-बार मौसम अपने तेवर बदल रहा है। वही मजदूरों की मांग बढ़ गई है। मजदूर कम आने से भी समस्या विकराल बन गई है। किसान पूरे परिवार सहित अपने खेतों में काम करते देखे गए।
क्या कहते हैं अधिकारी-
कनीना के एडीओ डा देवेंद्र यादव ने बताया कि बाजरे की खरीद एक अक्टूबर से होने की संभावना है। इसके लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन का काम भी दस सितंबर तक चला था। उधर कनीना व्यापार मंडल कनीना के उप प्रधान रविंद्र बंसल ने बताया कि इस बार बाजरे का समर्थन मूल्य 2150 रुपये प्रति क्विंटल है। किसानों की बाजरे की आवक खुले बाजार में इसी सप्ताह में होने की उम्मीद है।
मजदूर चौक बना कनीना का शिवालय चौक-
कनीना के संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम के पास शिवालय चौक अब मजूदर चौक में तबदील होने लगा है जहां सुबह सवेरे भारी संख्या में मजदूर बैठ जाते हैं। जिस किसी को मजदूर लेने होते हैं वो वहां पहुंच जाता है। ऐसे में यह चौक मजदूर चौक बनकर रह गया है।
फोटो कैप्शन 1: बाजरे की पैदावार लेता किसान परिवार।
अपने पिता के पद चिन्हों पर चल रहे हैं रोशन लाल

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कनीना। खंड के गांव नांगल हरनाथ में रोशन लाल (63) किसान होते हुए भी जीवों की सेवा करते हुए अपने पिता के पद चिन्हों पर कायम हुए हैं। उनके पिता भूप सिंह जहां प्याऊ लगाकर जन सेवा करते थे वही रोटी, राबड़ी एवं प्याज राहगीरों को मुफ्त खिलाकर सेवा करते थे।  रोशन लाल गांव नांगल हरनाथ से संबंध रखते हैं जो कनीना खंड का गांव है। ये सर्दी या गर्मी धार्मिक स्थानों पर रखे हुए शिकोरों में पानी भरते हैं वहीं औषधीय पौधों की परख रखते हैं। जिस किसी को भी पौधों की जरूरत होती है उनकी सेवा भी करते हैं। आश्चर्यजनक पहलु यह है कि उन्होंने अपने दम पर जोहड़ में मछलियां पाल रखी हैं बेचने के लिए नहीं अपितु सेवाभाव के चलते। बहुत बड़ी-बड़ी मछलियां हो गई है। उनको प्रतिदिन आटे की गोलियां डालते हैं और उनकी देखरेख करते हैं। किसी को वो मछलियां पकडऩे नहीं देते। उनका एक ही उद्देश्य है कि जीवों की देखरेख की जाए। रोशन लाल बताते हैं कि करीब 50 सालों से उनके पिता के बाद वे जन सेवा में जुटे हुए है। उनके पिता बूचावास से नांगल हारनाथ को जाने वाले रास्ते पर वर्षों पूर्व प्याऊ लगाते थे। उस समय जाने आने के साधन कम होते थे। यही कारण है कि थके हारे राहगीरों को ठंडा पानी पिलाने का कार्य करते थे। वही भूखे को रोटी,राबड़ी प्याज खिला कर अपने को धन्य समझते थे। रोशन लाल बताते हैं कि उन्होंने जीवों का सेवाभाव अपने पिता से सीखा है। आज वे भी उनके पद चिन्हों पर कायम हैं।
 नांगल हरनाथ के सभी धार्मिक स्थानों पर सिकोरे रखवा कर उन्हें पानी भरने का कार्य भी करते हैं। अनपढ़ हैं और किसानी का काम करते हैं। जनसेवा करके प्रसन्न रहते हैं। उन्हें खुशी है कि वे जीवन में जीवो के काम आ रहे हैं। उनकी इच्छा है कि उनकी आने वाली पीढ़ी भी जीवों की देखरेख करें ताकि उनका नाम यूं ही भविष्य में चलता रहे।
फोटो कैप्शन 4: सिकोरों में पानी भरते रोशनलाल।



श्राद्ध को श्रद्धा पूर्वक करने से उसका फल अति उत्तम होता है

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कनीना। श्राद्ध को श्रद्धापूर्वक ही मनाया जाना चाहिए तभी श्राद्ध का पूरा फल मिलता है, बिना श्राद्ध के किसी भी कार्य का उचित फल नही मिलता है। ये विचार संत श्रीकृष्णानन्द महाराज ने उनके स्व. गुरू स्वामी हरद्वारीलाल महाराज के श्राद्ध के अवसर पर यज्ञ के उपरांत भक्त गणों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज के दिन संत हरद्वारी लाल की पुण्य तिथि को उनकी श्राद्ध के रूप में मनाया जाता है। स्वामी ने बताया कि संत हरद्वारी लाल एक महान संत थे जिनकी मधुर वाणी से वह बुरे से बुरे इंसान को अपने वश में कर लिया करते थे तथा उनमें शांतिभाव, श्रद्धाभाव के कारण समाज में उनका नाम आदर भाव के साथ लिया जाता है। वही यज्ञ पर आए भक्तगणों को शास्त्री जीतपाल ङ्क्षसह ने भी संबोधित करते हुए कहा कि संत हरद्वारीलालने अपना शरीर तो अवश्य ही छोड़ दिया लेकिन उनकी आत्मा आज भी अपने शिष्यों के साथ ढाल बनकर उनकी रक्षा करती है जिसके कारण कृष्णानन्द आश्रम में आने वाला हर भक्तगण सबसे पहले संत हरद्वारीलाल की प्रतिमा को नमन करते हुए आगे बढ़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि श्राद्ध के दिन पंडितजनों को मीठा भोजन कराते हुए वस्त्र दान देने से बड़ा पुण्य मिलता है तथा जिनका श्राद्ध  होता है वह श्राद्ध  निकालने वालों पर बहुत ही प्रसन्न होते है। इस अवसर पर शास्त्री जीतपाल सिंह, देशराज सिंह, जगदीश , विजय हलवाई, विनयपाल खेड़ी, शिवकुमार जांगड़ा, निरजनलाल महाराज के अलावा अन्य भक्तगण मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 5: श्राद्ध पर हवन करते हुये धनौंदा आश्रम के भक्त।

रास्ते की खराब हालत के कारण ग्रामीण परेशान सरपंच नही लेता कोई सुध

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कनीना। जहां सरकार हर गांव की छोटे से छोटी समस्याओं के समाधान के लिए पुरजोर कोशिश करने में जुटी है वही कुछ गांवों के लोग अपनी हठधर्मिता के कारण गांवों में समस्याओं को ठीक नहीं होने देते हैं। उन पर राजनीति करने में जुटे है।  गांव मोड़ी का है जिसमें विनय कुमार के घरों को जाने वाले रास्ते की हालत बिलकुल खराब होने के कारण भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है जिसको लेकर पीडि़त विनय कुमार ने इसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन को देकर सारे मामले से अवगत कराया था लेकिन किसी भी अधिकारी द्वारा उसका कोई समाधान नहीं किया गया। ग्रामीणों ने रास्ते की समस्या हल करने की मांग की है।
खरीद प्रथम अक्टूबर से होने की उम्मीद
संवाद सहयोगी, कनीना। प्रथम अक्टूबर से बाजरे की सरकारी खरीद होने की पूरी संभावना है। विगत दो वर्षों से बाजरे की सरकारी खरीद की जा रही है। इस वर्ष भी बाजरे की खरीद प्रथम अक्टूबर से होने जा रही है। इस वर्ष बाजरे का समर्थन मूल्य बढ़ाकर 2150 प्रति क्विंटल किया हुआ है।

कनीना क्षेत्र के किसान मौसम खुलते ही त्वरित गति से पैदावार लेने में लग गए हैं। विगत दिनों बाजरे की लावणी की थी उसके भुट्टोंं को इक_ा कर अब किसान पैदावार ले रहे हैं। किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रुपये तक खर्चा उठाना पड़ता है।
 किसान रमेश कुमार, कृष्ण कुमार, रोहित, योगेश कुमार आदि ने बताया की एक एकड़ खेत में खड़ी फसल कटाई मजदूर 5000 रुपये लेते हैं जबकि भुट्टों से बाजरा निकालने का 1500 रुपए प्रति एकड़ लेते हैं यही नहीं उस पर भी मजदूरी 500 प्रति एकड़ ली जाती है। दिन रात मेहनत करके तथा महंगे दामों पर बाजरे का बीज खरीद खाद आदि डालकर पैदावार की जाती है किंतु पैदावार का अच्छा लाभ नहीं मिल पाता।
 किसानों ने बताया कि इस बार सरकार 2150 रुपये प्रति क्विंटल बाजरा खरीदेगी परंतु हर वर्ष अन्न आदि की खरीद में एक निश्चित सीमा होती है विगत वर्ष जहां प्रति किसान प्रति एकड़ 8 क्विंटल बाजरा खरीदा था वहीं अधिकतम 40 क्विंटल तक सरसों खरीदी गई थी। विगत वर्ष बाजरा एक दिन में 25 क्विंटल प्रति किसान एक दिन में खरीदा गया था दूसरी बार बाजरा व सरसों बेचने का मौका शायद कम ही किसानों को मिला हो। किसानों ने बताया इस बार भी शायद प्रति एकड़ 8 क्विंटल बाजरा खरीदा जाएगा। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है किसान पैदावार बढ़ाना चाहते हैं किंतु उनकी समुचित पैदावार को नहीं खरीदी जाती। अगर किसी के खेत में 10 क्विंटल बाजरा प्रति एकड़ पैदावार हो गई है तो उसमें से 8 क्विंटल प्रति एकड़ बाजरा खरीदा जाएगा। बाकी घर पर रखना पड़ता है उन्होंने इस सीमा को बढ़ाने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि विषम परिस्थितियों को चलते आखिर किसान पैदावार लेने में लगे हैं किंतु उन्हें अभी तक यह पूर्ण विश्वास नहीं है कि सही सलामत उनका बाजरा घर तक पहुंच जाएगा। बार-बार मौसम अपने तेवर बदल रहा है। वही मजदूरों की मांग बढ़ गई है। मजदूर कम आने से भी समस्या विकराल बन गई है। किसान पूरे परिवार सहित अपने खेतों में काम करते देखे गए।
मजदूर चौक बना कनीना का शिवालय चौक-
कनीना के संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम के पास शिवालय चौक अब मजूदर चौक में तबदील होने लगा है जहां सुबह सवेरे भारी संख्या में मजदूर बैठ जाते हैं। जिस किसी को मजदूर लेने होते हैं वो वहां पहुंच जाता है। ऐसे में यह चौक मजदूर चौक बनकर रह गया है
फोटो कैप्शन 1: बाजरे की पैदावार लेता किसान परिवार।

गड्ढे बन हैं मुसीबत

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कनीना। कनीना बस स्टैंड से उन्हाणी मोड़ तक सड़क में बने गड्ढे लोगों को चोट पहुंचा रहे हैं लेकिन इस सड़क मार्ग की सुध नहीं ली जा रही है। इस मार्ग पर पडऩे वाले आधा दर्जन गांवों के लोगों का कहना है कि यह सड़क दो साल पहले निर्मित की गई थी किंतु अब जर्जर हो चली है।
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि वैसे तो वर्तमान सरकार व उसके नुमाइंदे यह कहते है कि सरकार ने भारी विकास के कार्य किए है लेकिन सड़क जैसी मूलभूत आवश्यकता की ओर भी ध्यान नहीं दिया गया है। वही क्षेत्रवासियों ने बताया कि इस मार्ग में बने गड्ढों में दर्जनों लोग गिर चुके हैं।  इसके बाद भी सरकार व प्रशासन इस सड़क मार्ग पर दया नहीं आ रही है। क्षेत्र वासियों ने प्रशासन से मांग कर उन्हाणी के पास नहरी पुल अति जर्जर बना हुआ है जिससे पानी का रिसाव होता है। सड़क मार्ग को अविलंब ठीक करवाने की मांग की है ताकि इस मार्ग से निकलने वाले लोगों की जान माल की सुरक्षा हो सके।

 गांवों को दौरा कर महापंचायत में पहुंचने का न्यौता दिया

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कनीना। नोएडा स्थित कन्या आर्ष गुरुकुल सोरखा में पढऩे वाली अपनी पुत्री सपना की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की जांच सी.बी.आई. से कराने तथा न्याय के लिए दौंगड़ा गांव के पीडि़त परिवार द्वारा 13 सितम्बर रविवार को अपने गांव में की जा रही महापंचायत के समर्थन में बसपा के नेता अतरलाल एडवोकेट ने चेलावास, इसराणा, भोजावास, सुन्दरह, झीगावन, खैरानी, खैराना, रातां का दौरा कर कार्यकर्ताओं को महापंचायत में पहुंचने का आह्वान किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं को मास्क, शारीरिक दूरी तथा कोरोना महामारी के अन्य एहतियात बरतते हुए महापंचायत में पहुंचने के निर्देश दिए। उन्होंने उत्तरप्रदेश पुलिस द्वारा इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किए जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा की उत्तरप्रदेश सरकार तथा नोएडा पुलिस हत्या आरोपियों से मिली हुई है। इसलिए इस मामले की सीबीआई से जांच करवाई जाए। उन्होंने केन्द्र सरकार पर इस मामले को लेकर पीडि़त परिवार के साथ भेदभाव करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि अमीर, रसूक दार तथा बड़े एक्टर सुशांत की संदिग्ध मौत के मामले में पीडि़त परिवार की मांग पर तो केन्द्र सरकार ने सीबीआई की जांच बैठा दी। परन्तु गरीब पिछड़ा वर्ग की होनहार छात्रा सपना की संदिग्ध मौत के मामले में पीडि़त परिवार की फरियाद न तो हरियाणा सरकार सुन रही है और न ही केन्द्र सरकार। उन्होंने बिहार सरकार की तरह हरियाणा के मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच सी.बी.आई. से कराने की संस्तुति केन्द्र सरकार से करने की मांग की। उन्होंने राज्य सरकार से पीडि़त परिवार को 25 लाख रुपये आर्थिक सहायता तथा परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। उन्होंने स्थानीय पुलिस पर पीडि़त परिवार पर दबाव देकर महापंचायत रद्द करने की कार्यवाही की कटु आलोचना करते हुए पुलिस प्रशासन को चेतावनी दी कि शांतिपूर्वक हो रही महापंचायत में विघ्न न डाले नही तो इलाके की जनता उग्र आंदोलन करने को मजबूर होगी।

कपास फसल नष्ट होने का दिया जाए मुआवजा

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कनीना। इस समय क्षेत्र में सफेद मक्खी और हरा तेला का प्रकोप बहुत अधिक हो रहा है। सफेद मक्खी और हरा तेला के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं किसान खेती बाड़ी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं।  खरीफ  की 2020 में कपास की फसल सफेद मक्खी और हरा तेला के कारण नष्ट हो चुकी है। इस बार क्षेत्र में इन कीटों का प्रकोप इतना है कि फसल से आय कमाना हो तो दूर की बात लागत भी पूरी होने की संभावना नहीं लग रही।  इस बार किसानों पर खेती बाड़ी के काम में काफी मार पड़ रही है। पहले क्षेत्र के कुछ गांव में ओलावृष्टि होने से फसलें बर्बाद हुए। उसके बाद बाजरे की फसल में भी कीड़ा लगने की शिकायत रही। और अब कपास की फसल पर सफेद मक्खी और हारे तेरा की चपेट में आने के कारण खराब होने लगी।
इस बारे में भारतीय किसान यूनियन जनशक्ति महेंद्रगढ़ जिला अध्यक्ष सुनील अत्री ने कहा कि सफेद मक्खी और हरा तेला के कारण किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो चुकी है सरकार को विशेष गिरा गिरदावरी करा कर किसानों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि किसानों को मुआवजा जल्दी से जल्दी मिले ताकि किसानों कि कुछ मदद हो सके।

डॉक्टर की सलाह-----
घर में अधिक समय देकर खुशी खुशी समय बीताए








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कनीना। कनीना के डॉक्टर वेद प्रकाश का कहना है कि कोरोना वायरस पूरे ही जग में समस्या बना हुआ है किंतु अब जल्द ही इसका खात्मा होने जा रहा है। ऐसे में हम सभी का फर्ज बनता है कि इससे रोकथाम के उपाय अपनाए। रोग से बचने का सबसे सरल उपाय है फिजिकल डिस्टेंस बनाए रखें, घरों में रहकर सरकार के आदेश अनुसार आराम करें, बार-बार हाथों को साबुन या डिटोल से धोए,  सैनिटाइज करना हो तो अल्कोहल युक्त सेनिटाइजर से ही सेनिटाइज करें। उनका कहना है कि धातुओं पर लंबे समय तक यह कोरोना जीवित रहते हैं। इसलिए धातु के बर्तनों को छूने के बाद हाथों को जरूर धोए। उन्होंने कहा कि इधर-उधर घूमने से समस्या बनती है जब कोई काम ना हो तो अनावश्यक इधर-उधर न घूमे, रोग के लक्षण अगर किसी में नजर आए तो 1 मीटर की दूरी बनाए। अगर रोग के लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से सलाह करनी चाहिए।
  उन्होंने कहा कि मास्क जरूर पहने। मास्क पहनने से न केवल कोरोनावायरस अपितु उड़ती हुई राख, हवा में उड़ते भी कीट आदि से भी बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि रोगाणु से बचना ही सबसे बेहतरीन तरीका होगा। ऐसे में किसी भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर न जाए, आसपास सभा आदि हो रहा हो तो बहुत सोच समझकर जाना चाहिए। अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर खुशी खुशी दिन बिताना चाहिए। खुशी-खुशी जीवन जिये, शुद्ध सात्विक भोजन खाए, ताजा सब्जी, दाल आदि जरूर प्रयोग करें।  इससे रोग से बचा जा सकता है।
 डॉ वेदप्रकाश कनीना


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