अब 1 दिन छोड़ 1 दिन मिलेगा पेयजल
-कनीना के वाटर टैंक में नहीं है पानी
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कनीना। अब तो कनीनावासी पेयजल के लिए भी तरस सकते हैं क्योंकि करीब एक महीने पहले नहर में पानी आया था जिसके चलते कनीना के बड़ी बणी में बने दो वाटर टैंक खाली होने को हैं। एक टैंक पूर्ण रूप से खाली हो चुका है तथा दूसरे में 4 से 5 फुट पानी बचा है। नहर में पानी न आने के चलते एक दिन छोड़ एक दिन पेयजल सप्लाई होगा। जेई
सुरेंद्र कुमार तथा पवन कुमार एसडीओ जन स्वास्थ्य विभाग ने बताया की पेयजल के लिए समस्या आई हुई है, पानी का अभाव है जिसके चलते एक दिन छोड़ 1 दिन पानी दिया जाएगा। उन्होंने कहा पानी को सावधानी से प्रयोग करें खराब न करें।
भोजावास में लगाई 15 को-वैक्सीन
-कनीना में बुधवार को सभी आयु वर्ग को लगेंगी डोज
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कनीना। कन्या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भोजावास पर मंगलवार को 15 को-वैक्सीन सभी आयु वर्ग के लोगों को दी गई। विस्तृत जानकारी देते हुए एचआई राजकुमार चौहान ने बताया कि 18 से 44 तथा 45 से 60 वर्ग के लोगों को ये 15 कोरोना रोधी डोज दी गई है। उधर कनीना में बुधवार को सभी आयु वर्ग को डोज लगेंगी।
सेवानिवृत्ति कार्यक्रम में गाए हुए थे हजारों रुपए की चोरी अज्ञात चोर कर ले गया
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कनीनाI कनीना के रेलवे क्वार्टर में रह रहे जितेंद्र कुमार के घर से अज्ञात चोर आभूषण चोरी कर ले गया। कनीना पुलिस ने चोरी अज्ञात चोर के रूप चोरी का मामला दर्ज कर लिया है।
जितेंद्र कुमार महेंद्रगढ़ निवासी ने कनीना पुलिस में शिकायत दी है कि वह 5 साल से अपने पिताजी के साथ रेलवे क्वार्टर में रह रहा है। 27 जून को उनके पिता की सेवानिवृत्ति का कार्यक्रम महेंद्रगढ़ किया हुआ था, परिवार के सभी सदस्य महेंद्रगढ़ गए हुए थे। 29 जून को जब क्वाटर कनीना में देखा तो गेट का ताला टूटा मिला। अंदर सामान चेक किया तो बेड के सिरहाने का ताला, अलमारी का ताला सब टूटे हुए थे। चार सोने की लोंग, दो सोने की अंगूठी,2 जोड़ी सोने के टापस, दो सोने की बाली, दो चांदी की अंगूठी, 3 जोड़ी चांदी पाजेब, एक चांदी का पेंडल चैन समेत, दो चांदी की चेन, 2 जोड़ी चांदी के कड़े बच्चे के, 2 जोड़ी हाथ के कड़े, दर्जनभर चांदी की चुटकियां, चांदी का रुपया आदि सब चोरी कर ले गया। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
ईट भट्ठों पर झुग्गियों में पहुंच कर चलाया दाखिला अभियान
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कनीना। हरियाणा सरकार द्वारा चलाए जा रहे सरकारी विद्यालयों में दाखिला अभियान के तहत राजकीय प्राथमिक पाठशाला खेडी ईट भट्ठाके शिक्षकों ने मुख्य शिक्षक चंदन सिंह यादव के नेतृत्व में दाखिला अभियान चलाया। खेड़ी ईट भट्ठों पर स्थित पाठशाला के शिक्षकों करतार सिंह ,मा. राजेश उन्हाणी ने झुग्गियों में जाकर दाखिला अभियान चलाकर विभिन्न प्रदेशों से मजदूरी के लिए आए हुए कामगारों के बच्चों का नामांकन किया और लोगों को जागरूक किया।
इस दौरान राजेश उन्हाणी ने बताया कि कोऱोना जैसी महामारी के कारण विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई आनलाइन ही हो रही है, इसलिए प्राइवेट स्कूलों में भारी भरकम फीस देना उचित नहीं है
मुख्य शिक्षक चंदन सिंह ने अभिभावकों से अपील की है कि कृपया अपने बच्चों के दाखिले सरकारी विद्यालयों में कराए, और आर्थिक बोझ व शोषण से बचें। इसके अलावा सभी अध्यापकों ने विद्यालय समय के अतिरिक्त समय देकर गांव गांव में दाखिला अभियान चलाकर अपना सहयोग दिया है व विद्यालय में बच्चों की संख्या बढ़ाई है।
फोटो कैप्शन 9: ईट भट्ठों पर दाखिला अभियान चलाते शिक्षक।
हरियाणा में शिक्षकों के खुले तबादले, खुशी
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कनीना। हरियाणा में शिक्षकों के आनलाइन तबादले करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अभी तो तबादला चाहने वाले शिक्षकों से उनकी इच्छा मांगी गई है, तत्पश्चात आप्शन खोले जाएंगे।
विस्तृत जानकारी देते हुए शिक्षक नेता धर्मपाल ने बताया कि विगत 2 वर्षों के बाद ही तबादले खुले हैं। शिक्षक लंबे समय से तबादले खोले जाने का इंतजार कर रहे थे। अभी अपनी मनचाही स्थान पर जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि जल्दी शिक्षक अपने आप्शन भर पाएंगे और उनके तबादले जुलाई माह में होने की पूरी संभावना है।
भीषण गर्मी पडऩे से पशु पालक परेशान
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कनीना। भीषण गर्मी पडऩे के साथ साथ अब लू चल रही हैं। दिन के समय घर से बाहर निकल पाना कठिन हो गया है। गर्मी में पेयजल एवं पशुओं के लिए जल की समस्या बढ़ रही है। पशु पालक बेहद परेशान हैं। दूध देने वाले पशु गर्मी के चलते कम दूध दे रहे हैं।
पशुओं को भी गर्मी से बचाना जरूरी है ताकि पशुओं के दूध में गिरावट न आए। पशुओं में गर्मी भी बढ़ रही है जिसे दूर करने के लिए देशी औषधियां अधिक कारगर होती हैं।
हरियाणा में भीषण गर्मी का दौर चल रहा है तापमान अधिक हो चुका है। जिसके चलते इंसान और पशु काफी तकलीफ में जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
पशु चिकित्सकों के अनुसार गर्मी की वजह से पशुओं का दूध उत्पादन काफी कम हो गया है साथ ही पशुओं में गर्मी से होने वाले रोगों का काफी इजाफा हुआ है जिसके चलते किसान अपने पशुओं को दिन में कई कई बार नहला रहे हैं। जिससे पानी का दुरुपयोग हो रहा है।अच्छा दाना चारा कैल्शियम विटामिन मिनरल मिक्चर खिला रहे हैं। सूखा चारा और फीड के भाव में काफी इजाफा हुआ है साथ ही इन भारी-भरकम दवाइयों के खर्चे से किसान की पशुओं से आमदनी कम होती जा रही है।
ऐसे बचाएं रोगों से एवं गर्मी से-
इस बारे में कनीना के पशु वैद्य विक्की पंसारी का कहना है कि गर्मी से बचाने वाले पेड़ पौधे और फल बेल फल लेसवा आंवला, कैरी गुलाब सौंफ जो लोध गोखरू वाली घास,पोदीना, छुईमुई, दूधी धनिया,पालक मेहंदी गोंदिया, निंबू, तरबूज इसबगोल मुल्तानी मिट्टी शीशम पेड़ पौधों का प्रयोग करना चाहिए। उनका कहना है कि सोहजना पेड़ की पत्तियों से पशुओं को चारे के रूप में खिलाने से दूध की मात्रा में काफी इजाफा होता है। अगर किसान इस तरह के प्रयोग अपने पशुओं पर प्रयोग करें।
57 सेकेंड डोज दी गई तथा 46 सैंपल लिए गये
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संवाद सहयोगी,कनीना। कनीना उप नागरिक अस्पताल में मंगलवार को केवल सेकेंड डोज को-वैक्सीन की दी गई। विस्तृत जानकारी देते हुए डा धर्मेंद्र यादव एसएमओ तथा कंप्यूटर आपरेटर पवन कुमार ने बताया की मंगलवार को सभी आयु वर्ग के लोगों को 57 डोज दी गई है
46 सैंपल लिए -
उधर जितेंद्र मोरवाल में बताया कि प्रतिदिन कोरोना जांच के लिए लिए जाने वाले सैंपलों की शृंखला में मंगलवार को 46 सैंपल लिए गये जिनमें से 38 सैंपल आरटीपीसीआर के तथा 8 सैंपल रैपिड लिए गए। रेपिड सैंपल की रिपोर्ट तुरंत आ गई है जबकि 38 सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहे जिनकी रिपोर्ट 2 से 3 दिन में प्राप्त हो जाएगी।
जून माह में हुई कम बारिश, नहीं हो पाई बिजाई
-बारिश का है इंतजार
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कनीना। जून माह में कनीना क्षेत्र में अब तक 25 एमएम बारिश ही हो पाई है जिसके चलते अभी तक बिजाई का कार्य रुका हुआ है। किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं।
वर्ष 2019 जून माह में 70 एमएम बारिश हुई थी। इस बार जून माह में बारिश कम होने से किसान परेशान नजर आ रहे हैं। किसानों को बेसब्री से बारिश होने का इंतजार है।
उल्लेखनीय है कि कनीना खंड के कुछ गांवों में अच्छी बारिश हुई है जिसके चलते किसानों ने खरीफ फसल बाजरे की बिजाई कर दी है। कनीना खंड के किसान भी बारिश का इंतजार कर रहे हैं। कनीना की बावनी भूमि अर्थात 52000 हेक्टेयर के रूप में जानी जाती है। यहां किसान बारिश के समय में खरीफ फसल की बिजाई करता है। यद्यपि खरीफ फसल अनाज के लिए कम तथा फोडर के लिए अधिक उगाई जाती है। विगत वर्ष से बाजरे की सरकारी खरीद होने से किसान बाजरे की बिक्री करने के लिए उत्साहित नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि बेहतर बाजरे का बीज तथा खाद किसानों ने पहले से ही घरों में रखा हुआ है ताकि बारिश होते ही बिजाई की जा सके। अभी तक भीषण गर्मी पड़ रही है, तापमान 40 डिग्री से अधिक रहता है। पेड़ पौधे भी सूख चले हैं, कभी कभार इक्का-दुक्का बूंद आती है और बादल बिना बरसे गुजर जाते हैं। ऐसे में जब तक अच्छी बारिश नहीं होती किसान परेशान नजर आएंगे। मजबूरन किसान अपने खेतों में फव्वारों से सिंचाईकर रहे हैं ताकि फसल को सूखने से बचाया जा सके।
फोटो कैप्शन 8:खेतों की सिंचाई करते किसान।
विफल हो गए हैं कूलर व एसी
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कनीना। एक बार फिर से आसमान से आग बरसने लगी है। कूलर एवं एसी भी फेल हो गए हैं। अभी तक जून माह में कुल 25 एमएम बारिश हुई है।
क्षेत्र में भीषण गर्मी पड़ रही है। पंखे तो गर्मी में और गर्मी बढ़ा रहे हैं वहीं कूलर एवं एसी लगते हैं कि फेल हो गए हैं। कहावत है-मरता क्या न करता। गर्मी में मरते हुए जन आखिरकार कूलरों की ओर दौड़ रहे हैं। कूलर विक्रेता भीम सिंह ने बताया कि जब तक गर्मी पड़ती रहेगी तब कलरों की बिक्री जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन कूलर खरीदने वाले आ रहे हैं और कूलर खरीद रहे हैं। उधर दुकानों में लगे हुए एसी भी निष्काम हो गए हैं। पता ही नहीं चलता कि कूलर या एसी चल रहे हैं।
किसान गर्मी से राहत पाने के लिए तथा आगामी फसल को बचाने के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं। गर्मी इतनी अधिक पड़ रही है कि गमलों के पौधे भी सूख गए हैं।
नहर में डाल रहे हैं गंदा पानी
- नहरी पानी पर आश्रित हैं कनीनावासी
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कनीना। रामपुरी नहर में लोग नालियों का गंदा जल डाल रहे हैं वहीं सीवर का गंदा जल भी मिल रहा है। इस जल को साफ करके कनीनावसी पी रह हैं। नहर में गंदा पानी डालने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
कस्बा कनीना में पेयजल के लिए जहां वाटर सप्लाई केंद्र से जलापूर्ति हो रहा है वही विभिन्न नलकूपों से जल सप्लाई किया जा रहा है। साथ में नहर के पानी को साफ करके करीब आधे कनीना को सप्लाई किया जा रहा है। नहरी पानी जब आता है उससे पहले नहर में गंदा पानी भरा खड़ा मिलता है। यह गंदा पानी आसपास के घरों से नालियों द्वारा डाला जा रहा है।
कनीना अनाज मंडी से गुजरने वाली रामपुरी नहर में कम से कम 20 घरों की नालियां सीधे गंदा पानी डाल रही हैं। यही नहीं घरों का गंदा पानी निकासी के लिए सिविल लाइन बिछाई गई है किंतु इसे नहर के पास आधा अधूरा छोड़ दिया है। नहर के दूसरी ओर तक नहीं पहुंचाया गया है जिसके चलते नहर में गंदा पानी जमा हो जाता है। वैसे भी इस नहर में भारी मात्रा में गंदगी भरी होती है। पेड़-पौधे, कूड़ा कचरा, मल मूत्र सब कुछ इसी नहर में डाल दिया जाता है। जब नहर में पानी आता है तो यह पानी सारे कूड़े कचरे को बहाकर स्टोर में ले जाता है। स्टोर गौशाला के पास स्थित है जहां से इस पानी को साफ करके सप्लाई किया जाता है किंतु इस प्रकार में गंदगी बहाना उपभोक्ताओं के गले से नहीं उतर रहा है।
समाजसेवी मुकेश नंबरदार, दिनेश कुमार, राम सिंह, भीम सिंह, कृष्ण कुमार आदि ने बताया कनीना अनाज मंडी शहर से रामपुरी नहर गुजरती है। नहर के पास घरों का गंदा जल नालियों से नहर में आकर गिरता है। वहीं पास में कुरडिय़ां डाली हुई है जिसकी गंदगी भी नहर में गिरती है। वैसे भी पेड़ पौधों से अटी रहती है। जब नहर में पानी आता है तो पानी सारी गंदगी को बहाकर वाटर टैंक में जमा कर देता है। टैंक से पानी को साफ करके सप्लाई किया जाता है। लोगों की मांग है कि नहर में गिरने वाली घरों की नालियां बंद करवाई जाए तथा उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए, कूड़े के ढेर नहर से दूर करवाए जाए तथा नहर के अंदर खड़े पेड़ पौधों को साफ करके
बेहतर जल लोगों को सप्लाई किया जाए।
फोटो कैप्शन 1: नहर में गिरा हुआ नालियों का गंदा जल।
समस्या बन रहा है पोलीथिन
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कनीना। पोलीथिन समस्या बनता जा रहा है। वर्षों तक भी पोलीथिन धरती से नष्ट नहीं होती हैं और जोहड़, तालाब, नहर एवं पानी के अन्य स्रोतों को तो खराब करती ही हैं वहीं गायों की मौत एवं वायु प्रदूषण में इनका अहं योगदान रहा है।
एक अनुमान के अनुसार पूरे देश में प्रति व्यक्ति पोलीथिन प्रयोग करने की क्षमता बढ़कर करीब 3.5 किग्रा पहुंच चुकी है। विगत दो दशकों में तो इसका प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है। सूक्ष्म जीव खाकर इनको मिट्टी का अवयव नहीं बना सकते हैं और ऐसे में समस्या बनकर उभर रही हैं। सरकार ने जन जागरूकता का अभियान छेड़ा गांवों और शहरों में दुकानदारों पर जुर्माना किया गया किंतु आंशिक सफलता से अधिक कुछ नहीं हुआ।
सामान्यत: एक दुकानदार से चलकर यह घर के कूड़े कचरे से होता हुआ पानी तक चला जाता है। यहां तक की नहरों एवं बारिश के द्वारा बहकर समुद्रों तक चला जाता है। समुद्री जीवों के लिए तथा धरती पर पड़ा होने पर मुख्यत: गायों के पेट में जाकर उनके पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। मौत का कारण भी बनता है। गांवों के जोहड़, खेतों में पुराने घरों में, कुरडी में तथा घरों के आस पास बस बहुरंगी पोलीथिन ही दिखाई पड़ती है। प्रशासन कभी कभार पोलीथिन रोकने के लिए अभियान चलाता है किंतु फिर चुप्पी साध लेता है।
पोलीथिन प्रयोग करने के पीछे सामान खरीद कर लाने वालों का आलस्य प्रमुख रूप से काम करता है। आसानी से उपलब्ध एवं वजन में सबसे हल्की होने के कारण इसका प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है। सब्जी हो या घरेलू सामान, पानी हो या भोजन के पैकेट, मिठाई हो या अन्य सामान बस पोलीथिन ही प्रयोग किया जाता है। शौच को जाने वाले बोतल की बजाय इसे ही प्रयोग करने लग गए।
पर्यावरण को बचाने के लिए मुहिम छेडऩे वाले रवींद्र कुमार का कहना है कि ये पोलीथिन जलाने से वायु बहुत अधिक दूषित होती है और कार्बन डाइआक्साइड बढ़ जाती है वहीं धरती पर सैकड़ों वर्षों तक पड़ी रहकर भी नही गल पाती वहीं पानी में सैकड़ों वर्षों तक भी नहीं गल पाती है। प्रतिवर्ष हजारों गाए भारत में इनको खाने से मर जाती हैं। । एकमात्र सूझबूझ से काम लेने व जागरूकता से ही इनका प्रयोग धीरे-धीरे कम किया जा सकता है। उपभोक्ताओं का कहना है कि सरकार ने कोई ठोस कदम इस क्षेत्र में नहीं उठाए हैं। अगर पोलीथिन की फैक्ट्रियों पर ही प्रतिबंध लगा दिया जाए तो कैसे इनका प्रचलन होगा।
गर्मियों में बेहतर पेय बन रहा है राबड़ी
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कनीना। क्षेत्र में जहां भीषण गर्मी पड़ रही है वहीं ताप 40 डिग्री पर पहुंच गया है। ऐसे में जहां ग्रामीण क्षेत्र के लोग पेयजल के अतिरिक्त सबसे अधिक राबड़ी का प्रयोग कर रहे हैं। उन्हें गर्मी से ही नहीं बचाती बल्कि शरीर को ठंडक पहुंचाती है। पुराने समय से बुजुर्ग घर पर राबड़ी तैयार करते थे और उसका दिनभर सेवन करते थे ताकि गर्मी और लू से बचा जा सके।
राबड़ी जौ का आटा, प्याज, बेशन, लस्सी से बनने वाला गर्मियों का ग्रामीण क्षेत्र का बेहतर टानिक है जिसे लस्सी में घोल कर ग्रामीण क्षेत्र के लोग पीते हैं। अब तो राबड़ी दुकानों पर बिक्री के लिए भी उपलब्ध हो गई है।
आरएस दहिया (62) धनौंदा का कहना है कि उन्हें राबड़ी बहुत पसंद है। वह मोची का कार्य करते हैं किंतु अपने साथ दोपहर में प्रयोग करने के लिए राबड़ी लेकर आते हैं। राबड़ी गर्मी से उन्हें बचाती है अपितु पेयजल की पूर्ति करती है। उनका कहना है कि उनके पूर्वज भी प्रयोग करते थे जिसके जिनसे सीखकर वे भी इसका उपयोग कर रहे हैं।
राजेंद्र सिंह (65) वर्ष का कहना है सुबह खाने में तथा दोपहर के खाने में राबड़ी का जरूर उपयोग करते हैं। राबड़ी उनके लिए टॉनिक का कार्य कर रही है। उनका कहना है कि बेशक उन्हें कोई चीज खाने पीने के लिए मिले या न मिले किंतु राबड़ी पीकर उनको प्रसन्नता होती है। गर्मी एवं लू ये बचाती है वहीं नींद अच्छी आती है ताकि वे 2 घंटे विश्राम कर सके। उनका कहना है कि वे किसान है दिनभर खेतों में काम करना पड़ता है या अन्य कोई कार्य करना पड़ता है तो उन्हें दोपहर के बेहतर नींद पाने के लिए राबड़ी प्रयोग करनी पड़ती है। लोग अक्सर डॉक्टर नाम से जानते हैं और लोगों की सेवा करते आ रहे हैं।
भडफ़ के सुरेश कुमार(57) साइकिल स्टोर चलाते हैं। उनका कहना है कि उन्हें राबड़ी बेहद पसंद है। पूर्वज भी बताते थे कि राबड़ी से बेहतर कोई टॉनिक नहीं है। ठंडा, चाय आदि की जगह राबड़ी पीनी चाहिए जो सेहत के लिए लाभकारी है वहीं गर्मी से बचाती है। राबड़ी पीने से जहां भूख शांत हो जाती है वही गर्मी में शरीर के लिए ठंडक प्रदान करती है और वे दिनभर प्रसन्न रहते हैं।
महेश बोहरा(42)का कहना है कि वे सुबह राबड़ी पीते हैं। । वे बीज भंडार का कार्य कर रहे हैं और उनका कहना है कि जब तक राबड़ी नहीं पी लेते तब तक उनके मन को तसल्ली नहीं होती। प्याज, बेसन, जौ का आटा लस्सी आदि से बनी राबड़ी दूसरे साथियों को भी पिलाते हैं। उनका कहना है कि पूर्वजों ने जिस चीज का सबसे अधिक उपयोग गर्मी भगाने के लिए किया था वे भी उसका उपयोग कर रहे हैं।
वैद्य बालकिशन एवं श्रीकिशन का कहना है कि राबड़ी पीने से बीपी,शुगर,हृदयघात रोगों में लाभ होता है वहीं लू, गर्मी से बचाती है तथा नींद लाने में शुद्ध शाकाहार पेय है।
फोटो कैप्शन : राजेंद्र सिंह, आरएस दहिया, सुरेश कुमार, महेश कुमार।
आर्गेनिक खेती में निभा रहे हैं अहम भूमिका
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कनीना। कनीना क्षेत्र में कई ऐसे किसान हंै जिन्होंने आर्गेनिक खेती की जोत जला रखी है जथा पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए अहम भूमिका निभाई है। वे अपने मिशन में निरंतर अग्रसर है। वे आर्गेनिक सब्जियां, फल एवं अन्न उपजा रहे हैं।
अजीत कुमार कनीना अपने ट्यूबवेल पर रहने वाले अजीत कुमार पेड़ पौधों के मित्र कहलाते हैं। उन्होंने फलदार, फूलदार तथा छायादार पौधे लगाकर क्षेत्र हरा-भरा बना रखा है। उनका ट्यूबवेल पेड़ पौधों के कारण आकर्षण का केंद्र है। गजराज सिंह मोड़ी को हरियाणा सरकार ने सम्मानित किया हुआ है। उन्होंने किन्नू का बाग भी लगाया है वही विभिन्न फलदार पौधे ट्यूबवेल पर लगाकर लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं। कृषि क्षेत्र में भी वे आर्गेनिक खेती कर रहे हैं। वर्षा का जल संरक्षित कर रहे हैं।
किसान महावीर करीरा नेे आर्गेनिक नींबू, बेरी, लेहसवा आदि के बाग लगा रखे हैं। वे केंचुआ खाद बनाने में अग्रणी है और सरकार द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। पर्यावरण को बचाने में पेड़ पौधे, फलदार, फूलदार पौधे लगाने के अतिरिक्त उर्वरकों से भूमि को बचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
राजेंद्र सिंह जिन्हें लोग डाक्टर नाम से पुकारते हैं, केंचुआ खाद बनाने में, आम, नींबू, अमरूद, अंगूर आदि के पौधे लगाने में अहम योगदान दिया है। वे आर्गेनिक सब्जियां एवं फल उगाने में माहिर हैं। जंगली जीवों को बचाने के लिए कार्यक्रम चलाते हैं। अपने ट्यूबवेल पर आर्गेनिक खेती करते हैं। अभ्यारण्य खोलना चाहते हैं। राजेंद्र सिंह के भाई सूबे सिंह है। दोनों भाइयों की जोड़ी पर्यावरण बचाने की मिसाल है। वे भी देसी फल सब्जियां उगाकर लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं। रविंद्र कुमार पूर्व शिक्षक कनीना सभी पर्वों पर खर्च की जाने वाली राशि पेड़ों पर खर्च करके महकता हुआ किचन गार्डन बना रखा है। वे केंचुआ खाद प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने 300 चीकू के पेड़, मौसमी, नींबू, आंवला जामुन आदि उगाकर क्षेत्र में नाम कमाया है। सेवानिवृत्ति के बाद पेड़ पौधों की रक्षा का एक ही ध्येय लेकर चल रहे हैं।
मोड़ी की कांता एवं अजय ने अपने खेत में आर्गेनिक बैंगन, लौकी तथा कुछ अन्य सब्जियां उगा रखी हैं। वे दिन रात दूसरों को प्रेरणा दे रहे हैं कि आर्गेनिक फल, सब्जियां एवं अन्न खाने से रोगों से बचा जा सकता है। विगत वर्ष उन्होंने आर्गेनिक गेहूं उगाकर नाम कमाया था।
फोटो कैप्शन 2 : आर्गेनिक लौकी दिखाते हुए कांता।
विश्वशांति के लिए धनौंदा में आयोजित हुआ यज्ञ
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कनीना। जिला के गांव धनौन्दा स्थित संत चंदन गिरी आश्रम में लोक कल्याण और विश्व शांति के लिए यज्ञ व भंडारा आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि समाजसेवी ठाकुर अतरलाल एडवोकेट के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं एवं ग्रामीणों ने यज्ञ में आहुति भेंट कर समाज में समरसता, लोक कल्याण व भाईचारा संवर्धन की कामना की। यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य घनश्याम शास्त्री थे।
यज्ञोपरांत श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए अतरलाल ने कहा यज्ञ और भंडारा भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। इनके आयोजन से मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं और व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र खुशहाल बनता है। यज्ञ से पर्यावरण शुद्ध होता है। भंडारा से भाईचारा बढ़ता है। समाज में समरसता आती है। संत चंदन गिरी ने आश्रम में यज्ञ व भंडारा आयोजित करने के लिए सभी श्रद्धालुओं का धन्यवाद करते हुए यज्ञ रूप प्रभु से समाज में समृद्धि, खुशहाली तथा शांति देने की प्रार्थना की। युवाओं ने पौधों में पानी डालकर भंडारे का शुभारंभ किया। हजारों लोगों ने भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर घनश्याम शास्त्री, जगत सिंह, सुजान नम्बरदार, कमल सिंह, डी.पी. यादव, बाबूलाल, अजीत सिंह, नत्थूराम, सुभाष, लालाराम, बंटी, मोहित, दीपक, छोटू, पंकज, राजबीर गौड़, कैलाश सेठ, करण, अमित, लखन, मोनू, कपिल, रविदत, रोहित, नीरज, नीतिन, रविन, सुनील, उधम सिंह, आदि सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 5: श्रद्धालुओं के साथ यज्ञ में आहुति प्रदान करते मुख्य अतिथि ठाकुर अतरलाल एडवोकेट।
हुकूमत की नाका
मी या ठेकेदार की मनमानी
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कनीना। ग्रीन कॉरिडोर के नाम से बन रहे एन-एच 152-डी नेशनल हाई -वे के निर्माण कार्य के बदौलत अनेक गांवों से निकलने वाले छोटे-छोटे सड़क पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो गए हैं। इस हाई-वे के निर्माण कार्य के दौरान प्रखंड कनीना के गांव मुडायन से महेंद्रगढ़ को जाने वाले सड़क को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। इस मार्ग पर जाने से ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ कभी सड़क का नामोनिशान ही नहीं रहा हो। सड़क पूरी तरह टूटकर कच्चे रास्ते में तब्दील हो चुका है। मुडायन से सुरजनवास तक गाड़ी निकालना तो दूर पैदल चलना भी दुष्कर हो रहा है, यह सड़क पूर्णतया गड्ढों में बदल चुका है। बरसात के मौसम में इस रास्ते से गुजरना न केवल मुश्किल होगा बल्कि खतरों को आमंत्रण देना भी होगा। विवेक सिंह चेयरमैन, जितेंद्र सरपंच, सुमेर सिंह, प्रवीण कुमार व राम कुमार आदि ग्रामीणों का कहना है कि सड़क को तोडऩे की जिम्मेदारी प्रत्यक्ष रूप से ठेकेदार की है क्योंकि हाई-वे निर्माण के दौरान बड़ी संख्या में डंफर और ट्रैक्टरों से रेत उठाया गया है जिसके चलते यह सड़क पूरी तरह से टूट कर कच्चे रास्ते में तब्दील हो चुका है। इस तरफ या तो प्रशासन का ध्यान नहीं है या फिर शासन की नाकामी है। मुडायन और सुरजनवास के नवीन कुमार, दिनेश कुमार, प्रमोद कुमार तथा देवेंद्र आदि ग्रामीणों का संयुक्त रूप से कहना है कि ठेकेदार द्वारा हाई-वे का निर्माण कार्य पूरा होते ही इस सड़क को नये सिरे से बनाया जाए अन्यथा हमें आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
फोटो कैप्शन 6: मुडायन के पास जर्जर सड़क मार्ग।
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