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Monday, October 24, 2022

 गुजरात से लाकर दीये बेचे गये
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कनीना। कनीना बस स्टैंड पर प्रकाश भगत जी कनीना मंडी ने गुजरात से लाकर विभिन्न रंगों के दीे बेचे। उन्होंने बताया कि वे विगत वर्ष भी इस प्रकार के दीये बेच चुका है। लोगों की अच्छी मांग देखने को मिली।


निर्बाध गति से सप्लाई की बिजली
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कनीना। कनीना के 132केवी पावर हाउस से निर्बाध गति से दीपावली को बिजली सप्लाई की गई। इंचार्ज पवन कुमार रोहिल्ला, रामरतन गोमली जेई, विकास जांगड़ा ने बताया कि किसी प्रकार की कोई बाधा बिजली सप्लाई में नहीं आई। द्वार पर रंगोली सजाकर उपभोक्ताओं का स्वागत किया तथा दीपावली पर बिजली सप्लाई से उपभोक्ता प्रसन्न नजर आये।





जमकर चलाए गए पटाखे
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 कनीना। कनीना क्षेत्र में दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया गया किंतु पटाखे न चलाने के भरसक प्रयासों के चलते भी जमकर देर रात तक पटाखे चलाए गए। यद्यपि पुलिस प्रशासन पटाखे बेचने पर प्रतिबंध लगा चुकी थी तथा छापेमारी की किंतु विभिन्न दुकानदारों ने चोरी-छिपे भारी मात्रा में पटाखे बेचे और पटाखे देर रात तक चलते रहे।
पंचायत चुनाव चल रहे हैं किंतु दीपावली के कारण पंचायत चुनाव को भी भुला दिया गया यद्यपि चुनाव लडऩे वाले दीपावली के बहाने बधाई देने वोटरों के बीच पहुंचे। जमकर बधाई दी गई।






जमकर महंगी बेची वस्तुएं, भारी भीड़ बाजारों में देखने को मिली
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 कनीना। दीपावली के दिन जमकर भीड़ विभिन्न सड़क मार्गों पर देखने को मिली वही दुकानदारों ने जमकर महंगे दामों पर वस्तुएं बेची जहां सेब 150 रुपये किलो वहीं केले 80 रुपये दर्जन बेचे गये। आनानास 125 रुपये प्रति पीस बेचा वहीं विभिन्न स्थानों पर भीड़ देखने को मिली। जहां ग्राहकों को जमकर घटियां वस्तुएं खाने को मिली। टमाटर 90 रुपये किलो वहीं प्याज 70 रुपये किलो के हिसाब से बिकी। विभिन्न सड़क मार्गों पर भारी भीड़ देखने को मिल


अन्नकूट का पर्व 25 को
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कनीना। कनीना क्षेत्र में 25 अक्टूबर को अन्नकुट का पर्व मनाया जाएगा। इसे गोवर्धन नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मंदिरों में खिचड़ी व कढ़ी बांटी जाती हैं जिसे प्रत्येक जन चाव से खाता है। गोवर्धन पर्व से जुड़ी है श्रीकृष्ण और इन्द्र देव के बीच का प्रसंग।
एक बार इंद्र देव भगवान् श्रीकृष्ण से कुपित हो गए और मूसलाधार वर्षा करने लगे। गोकुल में इतनी भारी वर्षा देखकर ग्रामीण भयभीत हो गए और चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। जीव जल में डूबकर मरने लगे तो ग्रामीण दौड़कर भगवान् श्रीकृष्ण के पास आए। भगवान् श्रीकृष्ण ने उस वक्त गोवर्धन पर्वत ही अपनी अंगुली पर उठा लिया और गोकुलवासियों को उसके नीचे आने का आदेश दिया। इस प्रकार इंद्र का गर्व चूर-चूर हो गया और खुश होकर ग्रामीणों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इसी दिन आजकल गाय आदि की पूजा करने का विधान भी है। विश्वकर्मा जयंती भी मनाई जा रही है। इस दिन विभिन्न मंदिरों में अन्नकूट बनाकर वितरित किया जाएगा।
  अन्नकुट का पर्व मनाया जाता है। इसे गोवर्धन नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मंदिरों में खिचड़ी व कढ़ी बांटी जाती हैं जिसे प्रत्येक जन चाव से खाता है। गोवर्धन पर्व से जुड़ी है श्रीकृष्ण और इन्द्र देव के बीच का प्रसंग। एक बार इंद्र देव भगवान् श्रीकृष्ण से कुपित हो गए और मूसलाधार वर्षा करने लगे। गोकुल में इतनी भारी वर्षा देखकर ग्रामीण भयभीत हो गए और चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। जीव जल में डूबकर मरने लगे तो ग्रामीण दौड़कर भगवान् श्रीकृष्ण के पास आए। भगवान् श्रीकृष्ण ने उस वक्त गोवर्धन पर्वत ही अपनी अंगुली पर उठा लिया और गोकुलवासियों को उसके नीचे आने का आदेश दिया। इस प्रकार इंद्र का गर्व चूर-चूर हो गया और खुश होकर ग्रामीणों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की। इसी दिन आजकल गाय आदि की पूजा करने का विधान भी है। विश्वकर्मा जयंती भी मनाई जा रही है।



भैया दूज का पर्व 26 अक्टूबर को
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 कनीना। कनीना क्षेत्र में भाई बहन के अटूट प्यार को निभाने वाला पर्व भैया दूज 26 एवं 27 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस पर्व पर दूरदराज से बहन अपने भाई से मिलने के लिए पहुंचती है या फिर भाई अपनी बहन से मिलने के लिए उन तक पहुंचता है।
यह माना जाता है कि यह पर्व रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने के लिए मनाया जाता है। वर्ष में दो बार यह पर्व आता है। होली के पश्चात तथा दीपावली के पश्चात दोनों ही पर्वों के बाद यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन अवकाश रहेगा। यह पौराणिक कथा यम यमी की याद दिलाता है।
क्या है कहानी
सूर्यदेव की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष.विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत.सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा।
तब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहा और यमपुरी चले गए।
ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।

















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