दो गाडिय़ा हुई रद्द
- विगत दिनों से चलाई गई थी
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कनीना की आवाज। कनीना से गुजरने वाली एक जोड़ी ट्रेन तुरंत प्रभाव से रद्द कर दी है। विस्तृत जानकारी देते हैं कनीना खास रेलवे स्टेशन मास्टर के एल शर्मा ने बताया कि गाड़ी संख्या 04351 दिल्ली जंक्शन से हिसार जंक्शन 15 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक रद्द रहेगी वहीं 27 अक्टूबर से 12 दिसंबर तक यही ट्रेन सादुलपुर से हिसार के बीच रद्द रहेगी। उन्होंने बताया कि गाड़ी संख्या 04368 हिसार जंक्शन से रेवाड़ी जंक्शन 15 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक रद्द रहेगी तथा यही ट्रेन 27 अक्टूबर से 12 दिसंबर तक हिसार से सादुलपुर के बीच रद्द रहेगी। विगत दिनों ये ट्रेन चलाई थी जिसके चलते यात्रियों में परेशानी बढ़ी है।
किसी बड़े चुनाव से कम नहीं हैं पंचायत चुनाव
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कनीना की आवाज। प्रदेश में होने जा रहे पंचायत चुनाव किसी एमपी या एमएलए के चुनाव से किसी भी प्रकार कम नहीं हैं। गाडिय़ों में वोट मांगना, प्रचार के लिए भारी धन खर्च करना, निजी गाडिय़ों पर पोस्टर या बैनर लगाकर चलना घर पर दिनभर पेयजल एवं खाने की सुविधा करना आदि प्रमुख हैं। महेंद्रगढ़ में ये चुनाव 30 अक्टूबर एवं दो नवंबर को होने जा रहे हैं।
पंचायत चुनावों में जिला परिषद, पंचायत समिति, सरपंच एवं पंच के चुनाव शामिल किए गए हैं। ये चुनाव एमपी एवं एमएलए के चुनावों से किसी प्रकार कम नहीं हैं। इन चुनावों में जहां आपसी रंजिश बहुत अधिक मिलती है। इतनी रंजिश एमपी एवं एमएलए के चुनावों में भी नहीं देखने को मिलती है। भाई भाई का दुश्मन बन जाता है। यहां तक कि मतदान दौरान भी कोई झगड़ा हो सकता है। यह भी एक कारण है कि इन चुनावों में तैनाती देते वक्त कर्मी सबसे अधिक भयभीत रहते हैं। नामांकन से पहले ही कुछ लोगों ने प्रचार शुरू कर दिया है।
एमपी एवं एमएलए की भांति इन चुनावों में वोट मांगने का काम कार व गाड़ी में संपन्न होता है। आजकल गाडिय़ों में आगे पीछे बड़े बैनर लगे मिल रहे हैं जिन पर चुनाव लडऩे वाले की हाथ जोड़े फोटो लगी होती है। वास्तव में पंचायत चुनाव मूछों की लड़ाई मानी जाती है जिसके चलते रंजिश पनपती है। शैक्षणिक योग्यता रखे जाने के कारण तो पुराने व्यक्ति चुनाव लडऩे से वंचित रह गए हैं वे चौधर अपने ही घर में रखने के लिए अपनी पुत्रवधू, पौत्रवध और यहां तक कि पुत्री को भी चुनाव लड़वा रहे हैं। अगर महिला प्रत्याशी का पद नहीं है तो पुत्र, पौत्र को भी मौका दे रहे हैं और वोट मांगने का काम स्वयं अपने हाथों में ले रहे हैं।
किसी भी कीमत पर चुनाव जीतने की चौधर अपने घर से बाहर जाने नहीं देना चाहते हैं। घरों में जहां किसी की पत्नी चुनाव लड़ रही है तो पति वोट मांग रहा है। आगे मतदान पर भाग्य निर्भर करता है। घरों में हुक्का, चाय, पानी, खाना आदि का प्रबंध किया जा रहा है क्योंकि चुनाव लडऩे वाले के यहां भीड़ जुटने लगी है। भीड़ के चलते उनकी सेवा पानी की जा रही है। पैग लगाने वालों की इन चुनावों में संख्या बढ़ रही है क्योंकि वोट देने के बहाने नशेड़ी अपना पैग लगाकर ही गलियों में घूमते हैं।
इन चुनावों में कहने को तो चुनाव आयोग द्वारा खर्च की जाने वाली निर्धारित राशि दिखाई जाएगी किंतु हकीकत में देखा जाए तो मोटा खर्चा आता है। यह ठीक है कि चुनाव आयोग के डंडे के चलते बिल्ले, बैनर एवं पोस्टर आदि कम ही प्रयोग किए जाते हैं। इन चुनावों में जो रंजिश पैदा होती है उसका परिणाम वर्षों तक आते हैं।
इस बार के चुनावों में जो रुझान मिल रहा है उससे पता चलता है कि एक ही घर में दो दो व्यक्ति चुनाव लड़ रहे हैं। चुनावों के प्रति इस बार जोश है। मतदाता बेशक जोश रहित हैं किंतु उनमें जोश चुनाव लडऩे वाले पैदा कर रहे हैं। चुनावों में जहां किसान भी भाग ले रहे हैं जिसके चलते खेतों में काम करवाने के लिए मजदूरों को छोड़ा जा रहा है। ऐसे में भारी खर्चा वहन किया जाएगा। अगर ऐसे में कोई प्रत्याशी चुनाव हारता है तो उसे भारी नुकसान होगा।
इन चुनावों में विभिन्न प्रत्याशियों ने चाहे वो पंच के लिए हो या सरपंच के लिए अपना पूरा जोश लगा रखा है। इन चुनावों में वृद्ध कम तथा युवा एवं अधेड़ उम्र तक के लोग अधिक चुनाव लड़ रहे हैं। चुनावों में जीत के लिए यूं तो कई दिनों से मतदाताओं और प्रत्याशियों में जोश देखने को मिल रहा है वहीं कई नए-नए तरीके अपनाकर प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत के दावे जता रहे हैं। इन चुनावों में जो नई बातें देखने को मिल रही हैं उनमें आज-
*ठेकों पर भारी भीड़ दिखाई देने लगी है। वहीं चारों ओर चुनावी चर्चाएं चलती रही।
*चुनावी चर्चाएं हर नुक्कड़ एवं चौराहे पर बहस के रूप में सुनने को मिली। कहीं-कहीं तो चुनावों को लेकर बहस भी छिड़ी मिलती है।
*प्रत्याशी हाथ जोड़ते, पैरों में धोक लगाते हुए तथा वोट मांगते देखे गए। अपनी-अपनी जीत के दावे करते देखे गए।
* इन चुनावों में अपनी जीत एवं प्रचार के लिए बैनर और दबाव की नीति पर जमकर चल रहा है।
*पीने के लिए चाय एवं हुक्का मिल रहे हैं।
*इन चुनावों में गली और चौराहों में सफेदपोश ही अधिक नजर आ रहे हैं। पियक्कड़ों की मौज हो गई है वहीं 'टिक्कड़ पाड़ भी प्रसन्न हैं।
एसडीएम ने किया विभिन्न बूथों का दौरा
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कनीना की आवाज। जहां पंचायत चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया जारी है वहीं एसडीएम कनीना सुरेंद्र सिंह ने कनीना खंड के विभिन्न बूथों का दौरा किया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों और कर्मियों से किसी प्रकार की समस्या के संबंध में बात की तथा सुधार के तरीके भी बताए। उल्लेखनीय है कि कनीना खंड के विभिन्न गांवों में पंचायत चुनाव को लेकर के नामांकन प्रक्रिया जारी है। विभिन्न बूथों पर अधिकारी 10 बजे से शाम 3 बजे तक बैठे मिलते हैं।
वीर बालक अमीलाल ने कबड्डी जगत में क्षेत्र का किया नाम, आज भी युवा हो रहे प्रेरित - ओमप्रकाश यादव
-युवा होनहार अमीलाल के पदचिह्नों पर चलकर खेल जगह में करें अपना, परिवार व क्षेत्र का नाम रोशन -सीताराम
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कनीना की आवाज। गांव दौगड़ा अहीर में दो दिवसीय वीर बालक अमीलाल मेमोरियल टूर्नामेंट का आगाज शनिवार को हुआ। इसका शुभारंभ प्रदेश के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ओमप्रकाश यादव ने किया। इस 52वीं टूर्नामेंट में विभिन्न खेल प्रतियोगिता आयोजित की गई।
इस अवसर पर बालक अमीलाल के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए मंत्री ओमप्रकाश यादव ने कहा कि छोटी सी उम्र में वीर बालक अमीलाल नेशनल कबड्डी चैंपियन बने थे। उन्होंने प्रदेश व देश में कबड्डी प्रतियोगिता में अपना लोहा मनवाया। वे साल 1952 में गांव बहुऌोलरी में चल रही कबड्डी प्रतियोगिता में जोर-आजमाइश करते हुए भगवान को प्यार हो गए थे। उनकी उपलब्धियों को लेकर आज भी युवाओं में प्रेरित करने के लिए खेल प्रतियोगिता निरंतर गांव में जारी है। इसके लिए आयोजक बधाई के पात्र है। आज इस प्रतियोगिता को 52वीं साल हो चुकी है। उन्होंने कहा कि युवा इस होनहार अमीलाल के पदचिन्हों पर चलकर खेल जगत में अपना, परिवार व क्षेत्र का नाम रोशन करें, यह शुभकामनाएं है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को खेलों में अवश्य भाग लेना चाहिए। खेल से न केवल मनुष्य का शारीरिक विकास होता है, अपितु बौद्धिक विकास भी होता है। कार्यक्रम के दौरान अटेली के विधायक सीताराम यादव ने कहा कि वीर बालक अमीलाल का कबड्डी के क्षेत्र में बहुत बड़ा नाम था। उन्होंने अपनी अल्प आयु में ही अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था। विधायक ने कहा कि आज ऐसे बहादुर नेशनल कबड्डी चैम्पियन की याद में आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेकर अपने आपको गौरवानित महसूस कर रहे है। कबड्डी खेल जगत में उनके नाम को सदा याद रखा जाएगा। इस मौके भाजपा नेता मामनसिंह, जयवीर यादव, रमेश कोबरा, सरपंच प्रतिनिधि होशियार, अशोक बोहरा, वेदप्रकाश आर्य, महेंद्र सिंह ठेकेदार सहित अनेक लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 02:गांव दौंगड़ा अहीर में आयोजित टूर्नामेंट में खिलाडिय़ों के साथ मंत्री ओमप्रकाश यादव व विधायक सीताराम यादव
मिसाइल मैन ऑफ इंडिया डा एपीजे अब्दुल कलाम का मनाया जन्मदिवस
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कनीना की आवाज। हेरीटेज स्कूल में मिसाइल मैन ऑफ इंडिया डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्मदिन मनाया गया जिसमें सर्वप्रथम विद्यालय के चेयरमैन ओमप्रकाश शर्मा ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के स्वरूप पर पुष्पमाला अर्पित की और उन्हें नमन किया। इसके उपरांत नन्हे नन्हे बच्चों ने डा एपीजे अब्दुल कलाम को याद करते हुए उनकी जीवन शैली पर प्रकाश डाला।
कक्षा ग्यारहवीं की छात्रा दिव्या ने बताया कि मिसाइल मैन डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था डॉ एपीजे अब्दुल कलाम विशेष रूप से युवा छात्रों के लिए प्रेरणादायक हैं भी भारत के 11 राष्ट्रपति बने एक राष्ट्रपति के अलावा वह एक महान वैज्ञानिक भी रहे जिन्होंने भारत में मिसाइलों को पेश किया और भारत के मिसाइल मैन की उपाधि प्राप्त की 10वीं की छात्रा तमन्ना ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जी दयालु विनम्र प्रतिभाशाली मददगार एक महान नेता थे उनका पूरा जीवन एक प्रेरणा है। अब्दुल कलाम डीआरडीओ के सबसे प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक रहे और यही कारण है कि हम डीआरडीओ में उनके जन्मदिवस को बहुत उत्साह से मनाते हैं पारुल साइना खुशी योगिता नमन रजत पारस आदि बच्चों ने भी उनकी जीवन शैली पर प्रकाश डाला। अंत में विद्यालय के चेयरमैन ओमप्रकाश शर्मा ने एपीजे अब्दुल कलाम जी की जीवन शैली पर प्रकाश डाला जिसमें उन्होंने बताया कि अब्दुल कलाम जी एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और इंजीनियर थे उन्होंने वर्ष 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य किया। उन्होंने डीआरडीओ और इसरो जैसे विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में विज्ञान प्रशासक और वैज्ञानिक के रूप में 4 दशकों से अधिक समय व्यतीत किया। उनका उड़ान के प्रति आकर्षण बहुत अधिक था उसके अध्ययन के लिए उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में अपनी डिग्री प्राप्त की। हालांकि वह एक लड़ाकू पायलट में बनना चाहते थे लेकिन वह आईएएस द्वारा उसके लिए दक्षा प्राप्त नहीं कर पाए थे उन्होंने विश्व प्रसिद्ध परमाणु परीक्षणों में पोखरण में एक प्रमुख भूमिका निभाई एक एक महान वैज्ञानिक और एक महान व्यक्तित्व होने के अलावा वह एक उग्र लेखक भी थे। उन्होंने 1999 में अपनी आत्मकथा विंग्स ऑफ फायर समेत कई किताबें लिखी जो भारत के युवाओं के लिए प्रेरणादायक हैं। मिसाइल मैन डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का देहांत 27 जुलाई 2015 को दिल का दौरा पडऩे के कारण आई आई एम शिलांग में एक भाषण प्रस्तुत करते समय हुआ कार्यक्रम में विद्यालय के सीईओ कैलाश शर्मा, मनीष कुमार, डायरेक्टर खुशीराम शर्मा , प्रधानाचार्य कृष्ण सिंह, पीआरओ भुवनेश, तेजपाल डीपी, सुरेंद्र कुमार, कोऑर्डिनेटर सुमन, सुदेश कुमार तथा समस्त अध्यापक गण उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 03: डा एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म दिन मनाते हुए स्कूल कर्मी।
अभी भी फड़ों पर पड़े हैं दस हजार के करीब बाजरे के बैग
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कनीना की आवाज। अभी भी कनीना मंडी की फड़ों पर दस हजार के करीब बैग बाजरे से भरे पड़े हैं जिनका उठान करना बाकी है। हैफेड मैनेजर संजीव कुमार ने बताया कि जल्द ही इन बैग का उठा लिया जाएगा। उठान के लिए वाहन लगे हुए हैं जो उस बाजरे को महेंद्रगढ़ तक पहुंचाते हैं।
कनीना मंडी में चंद दिनों तक ही खरीद हो पाई जिसके चलते अब किसानों में भारी रोष पनप रहा है। अभी भी खेतों में किसान बाजरा निकाल रहे हैं और उन्होंने मांग की है कि खरीद फिर से शुरू की जाए।
खाद के लिए चल रही है मारामारी, लंबी कतारें जुटती हैं
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में डीएपी खाद की कमी चल रही है और खाद पाने के लिए लंबी कतारें जुट रही हैं। कुछ दिनों से खाद नहीं था किंतु कनीना में शनिवार को खाद आने से खाद पाने वालों की लंबी-लंबी कतारें लगती है और दिनभर किसान खड़े होकर खाद पाने का किसान इंतजार करते हैं। हर वर्ष सरसों की बीजाई के वक्त खाद की कमी झलकती है।
अहोई अष्टमी सोमवार को
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कनीना की आवाज। सोमवार 17 अक्टूबर को कनीना क्षेत्र में अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। यह व्रत संतान के बेहतर जीवन एवं लंबी उम्र के लिए किया जाता है। इस व्रत में स्याऊ मां की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस पूजा से परिवार के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं और लंबी उम्र प्राप्त होती है। दिनभर दानपुण्य की परंपरा चलती है।
सुरेंद्र वशिष्ठ ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस व्रत में सेठ सेठानी की कहानी सुनाई जाती है जिसमें एक सेठानी के हाथों से अनजाने में एक सेही के बच्चे मिट्टी खोदते वक्त मर जाते हैं। जब सेही अपने बच्चों को मृत देखती है तो मारने वाले को श्राप दे देती है जिसके चलते सेठानी के बच्चे भी मर जाते हैं। सेठ व सेठानी तप करने और शरीर को गलाने के लिए चल पड़ते हैं। अंत में वे थक जाते हैं तो आकाशवाणी होती है कि तुम अगले इसी पर्व तक दान दक्षिणा देना, दया रहम दिखाना तब कहीं जाकर तुम्हें पुत्र होंगे। अंतत: सेठ एवं सेठानी ने वैसा ही किया और वे पुत्रवान हो गए।
माना जाता है कि तभी से यह व्रत चला आ रहा है जिसमें महिलाएं व्रत रखती हैं और दान दक्षिणा देती हैं।
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