Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Thursday, October 27, 2022

 
चुनाव प्रचार पूरे यौवन पर
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कनीना की आवाज। पंचायत चुनावों की प्रक्रिया अपने पूरे यौवन पर है वहीं सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी ताकत का परिचय विभिन्न तरीकों से करा रहे हैं। येन केन प्रकारेण, उन्हें जीत ही एकमात्र लक्ष्य दिखाई दे रहा है। सभी प्रत्याशियों ने अपनी-अपनी जीत के लिए पूरा जोर लगा दिनरात एक कर दिया है। दिन को चैन है न रात को आराम। जब वे मतदाताओं के पास पहुंचते है तो अनेकों अनोखी घटनाएं घटती हैं जिनको सुनकर हंसी के ठहाके लगाने को हर इंसान मजबूर हो जाता है। चुनावों के दृष्टिगत ज्यों-ज्यों चुनाव तारीख नजदीक आती जा रही है त्यों-त्यों नेताओं के दिल की धड़कने बढ़ती जा रही है और वे वोट पाने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाने को मजबूर हो जाएंगे। प्रत्याशियों के साथ अनेकों अनोखी घटनाएं घट रही हैं जिनको सुनकर हर इंसान दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो जाता है। प्रस्तुत हैं कुछ ऐसी ही घटनाए--
'वोट की हां कहो, तब पैर छोड़ेंगेÓ।
 वोट पाने के अंदाज अलग-अलग होते हैं। एक प्रत्याशी ने गांव की औरतों से आशीर्वाद पाने के बहाने पैरों में धोक लगानी शुरू कर दी। पैर भी जब छोड़ता जब वो वोट देने की हां कहती। एक महिला के पैर नहीं छोड़ क्योंकि उसने वोट देने की हां नहीं कही। आखिरकार महिला ने जवाब दिया-भाई वोट तो किसी ओर को देना था पर ना माना तो जा तुम्हें मिल जाएगा। पंचायत के चुनावों में एक-एक वोट की कद्र इस बार देखने को मिल रही है जिसको देख हंसी आ जाना स्वाभाविक है।
 'मौका है, खूब पियेंगेÓ।
एक शराबी प्रत्याशी के घर की ओर जा रहा था जिसे रोकते हुए एक छुटभैया नेता ने पूछा-वोट किसे दोगे? शराबी ने जवाब दिया-जो खूब पिलाएगा वोट उसी को देंगे। चाहे तो तुम पिलो दो। तुम कहोगे उसे वोट दे दिया जाएगा। चंद दिन हैं पीने के, फिर यह मौका पांच वर्ष बाद ही आएगा। शराबी के विचार सुनकर नेता अपना सा मुंह लेकर आगे बढ़ गया।                                     
'वोट मौका है, न जाने देनाÓ।
एक प्रत्याशी ने लोगों से कहा कि  ये चुनाव एक अवसर होते हैं इन्हें हाथ से न जाने देना वरना जीवन भर पछताना पड़ेगा। अगर गलत व्यक्ति को वोट मिला तो वो सरपंच एवं जिला प्रमुख बनकर उपद्रव करेगा। ऐसे में उन्होंने कहा कि वोट के अवसर को हाथ से न जाने देना। उनकेे विचारों से भीड़ के लोग आनंदित हुए।
घर घर जा रहे हैं.......।
कोई घर-घर जाकर वोट मांग रहा है तो कोई अपने साथियों से कहलवा रहा है। सभी को वोट ही वोट नजर आ रहे हैं। वोट पाने के लिए अभी प्रत्याशी जोर से गिड़गिड़ा रहे हैं और जी-जान एक करके वोट मांग रहे हैं।
बस आती है वोट की याद।
चुनाव और पर्व साथ-साथ आने के कारण अब प्रत्याशी हो या किसान सभी पर्वों को तो भूल गए हैं और उन्हें बस चुनाव याद हैं। किसान अपने खेतों का काम कम याद रख रहे हैं और चुनाव अधिक वहीं प्रत्याशी और आम आदमी तो इन चुनावों में बुरी तरह से खोए हुए हैं। सभी को बस एक ही चीज ध्यान है वोट। उन्हें पर्वों की याद नहीं आ रही है।






चाय की चुस्कियां चुनाव के चलते बढ़ी
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कनीना की आवाज। पंचायत चुनावों के चलते ठंडा, फूल मालाएं, चाय, फलों , पगड़ी तथा समोसों की मांग बढ़ गई है। विभिन्न प्रत्याशियों  बीड़ी सिगरेट, हुक्का एवं चाय हर समय चलती रहती है।
  चुनावों के दृष्टिगत अब शराब के ठेकों पर सुबह से लेकर शाम तक भीड़ देखे को मिल रही है वहीं समोसे, फूल माला, पगड़ी,चाय व फल आदि की मांग बढ़ गई है।
  हुक्कों के कसों में तथा ताश की बाजियों में मजा इसलिए बढ़ गया है क्योंकि चुनावी चर्चाएं गर्मागर्म मिलने लगी हैं। बुजुर्गों को भी अब समय बीताने के लिए बेहतर समय मिलने लगा है। वे भी चुनावी रंग में रंग गए हैं। चाय की दुकान हो या कोई परचून की दुकान सभी अपने अपने कामों के अलावा चुनाव रंग में रंगे दिखाई पड़ते हैं। जहां त्योहारों के मौसम तथा चुनाव पूरे यौवन पर होने के कारण फलों की मांग बढ़ गई है और चाय की चुस्कियां दिनों दिन बढ़ती जा रही है। शिव कुमार विक्रम सिंह, सतीश कुमार आदि फल विक्रेेताओं ने बताया कि केला 60 रुपये दर्जन बिकता था वह आज 80 रुपये दर्जन पहुंच गया है। केवल मांग अधिक होने के कारण ऐसा हुआ है। यह जहां एक और पर्व चल रहे हैं वही चुनाव पर होने के कारण भी खेलेंगे होते जा रहे हैं।  चाय की चुस्की लेने वालों की भीड़ भी सुबह से शाम तक चाय की दुकानों पर बढ़ती जा रही है। चाय बेचने वाले रमेश कुमार ने बताया करीब 20 से 25 किलो दूध प्रतिदिन चाय के रूप में प्रयोग कर लेते हैं। जहां चुनाव के कारण एक सौ तक चाय अधिक बढ़ी है। यही कारण है कि जब जब चुनाव आते हैं चाय पीने वालों की होड़ लग जाती है। उधर धर्मेंद्र ने बताया कि सुबह से शाम तक चाय का कार्य करते हैं और चाय पीने वाले कम नहीं होते हैं। जब सर्दी का माहौल, चुनाव आते हैं या कोई पर्व है तो उनकी चाय की भी बिक्री बढ़ जाती है। वे प्रतिदिन 20 किलो दूध की चाय बनाकर बेच देते हैं।



पालिका कर्मियों की मांगे माने हरियाणा सरकार
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कनीना की आवाज। बसपाके नेता समाजसेवी ठाकुर अतरलाल एडवोकेट ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल से हड़ताली नगर पालिका सफाई कर्मियों की मांगों को तत्काल पूरा कर हड़ताल समाप्त करवाने की मांग की है।
    मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में अतरलाल ने हड़ताली सफाई कर्मियों की मांगों को जायज और लोकतांत्रिक बताते हुए मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप कर सफाई कर्मियों की मांगों को पूरा करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सफाई कर्मियों की 8-9 दिन से चली आ रही हड़ताल के कारण शहरों में कूड़ा के अम्बार लग गए हैं। शहरों में न तो सफाई हो रही है और न ही कूड़े का उठान हो पा रहा है, परिणामस्वरूप सफाई व्यवस्था चरमरा गई है, और लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। राज्य में बीमारियां फैलने का अंदेशा हो गया है। उन्होंने पुलिस द्वारा सफाई कर्मियों को गिरफ्तार किए जाने और तानाशाही हथकंडे अपनाने का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि प्रजातंत्र में अपनी मांगों के लिए आंदोलन करना सबका अधिकार है। परन्तु पुलिस द्वारा जो सफाई कर्मचारियों पर ज्यादतियां की जा रही हैं यह बिल्कुल गलत तथा अलोकतांत्रिक हैं। उनको किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने मुख्यमंत्री से जनहित में तत्काल हस्तक्षेप कर पुलिस ज्यादतियों को रोकने और गरीब सफाई कर्मियों की मांगों को तत्काल पूरा करने की घोषणा करने की मांग की है।






भैया दूज का पर्व मनाया, बहनों ने किया भाइयों को तिलक
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कनीना की आवाज। क्षेत्र में गुरुवार को भाई बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता भैया दूज का पर्व मनाया जा गया। बहनों ने भाइयों को तिलक किया।
  वर्ष में दो बार भाई बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाने वाले पर्व भैया दूज का आगाज होता है। होली एवं दीपावली के पर्व के बाद यह पर्व आता है। महिलाएं अपने भाई के आने का बेसब्री से इंतजार किया और व्रत रखकर उनके आने पर खाना खाया।
  इस दिन बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र की कामना के लिए यम से प्रार्थना की। भाई चलकर बहनों से मिलने के लिए गए। कनीना के ज्योतिषाचार्य सुरेंद्र वशिष्ठ का कहना है कि यह पर्व सभी पर्वों में सबसे बड़ा होता है। इस दिन बहना कहीं भी हो उससे मिलने भाई जरूर जाता है और बहने उन्हें तिलक कर अपने हाथों से मीठा भोजन कराकर फिर भोजन ग्रहण करती हैं। इस पर्व पर बहने अपने भाई की लंबी उम्र की कामना के लिए यमराज से प्रार्थना करती हैं।






नगर पालिका कर्मियों की हड़ताल जारी
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कनीना की आवाज। अपनी मांगों के समर्थन में पूरे ही हरियाणा के नगर पालिका कर्मियों की हड़ताल 19 अक्टूबर से लगातार जारी है। उनके काम न किये जाने के चलते कूड़ा कचरा के ढेर लग गए हैं जिन पर सुअर मंडरा रहे हैं। एक ओर जहां पालिका कर्मी अपनी मांगों पर अडिग गया वहीं सरकार भी उनकी मांगों पर कोई गौर नहीं कर रही है जिसके चलते कनीना कस्बे में जहां-जहां कूड़ा डालने के पात्र रखे हुए हैं वहां भारी मात्रा में कूड़ा कचरा बिखरा पड़ा है। नगर पालिका कनीना अपने स्तर पर कूड़ा उठवाने की कुछ कार्रवाई जरूर करने पर विचार कर रही है। इस संबंध में पालिका प्रधान सतीश जेलदार से बात की उन्होंने कहा कि वे उच्च अधिकारियों से भी संबंध में मिल रहे हैं तथा कोई वैकल्पिक तरीका सोच रहे ताकि कनीना कस्बे में कूड़े के ढेर न लगे।



अंदर की बात
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चार दिन बगैर खाना पानी के रहकर मतदान करवाना
-कैसी सोच बनी है
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कनीना की आवाज। एक चुनाव अधिकारी ने तैनाती अटेंड करते हुए अपनी हालात इस पत्रकार को शेयर की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रशिक्षण देने वाले एक अधिकारी ने मंच से न केवल चुनाव अधिकारियों को डांट पिलाई स्पष्ट स्पष्ट लहजे में कहा कि तुम 2 दिन जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों में तथा 2 दिन पंच और सरपंच के चुनाव में बगैर खाना खाए पानी पिये रह, जाना कोई फर्क नहीं पड़ेगा। चूंकि कुछ स्थानों पर खाने एवं पानी का प्रबंध नहीं हो सकता है। ऐसे में ट्रेनिंग लेने वालों ने खेद जताते हुए कहा कि चुनाव आयोग भारी मात्रा में इस प्रकार की राशि देते हैं किंतु ट्रेनिंग देने वाले ने स्पष्ट कहा कि कुछ कागज, बढिय़ा दर्जे की चिपकाने की गम तथा अन्य सामग्री खरीद कर ले जाना। ट्रेनिंग लेने वालों ने बताया कि बड़े ताज्जुब की बात है कितनी दूर ट्रेनिंग लेने के लिए अधिकांश शिक्षक आते हैं उनको डांट डपट दी जाती है। यहां तक कि चाय नाश्ता भी नहीं दिया जाता उल्टे 4 दिनों तक भूखे प्यासे रहकर चुनाव करवाने की बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बिहार और उत्तर प्रदेश की छठ पूजा जैसा हाल हो गया है। उन्होंने कहा कि चलिए उन्हें गांव में खाना पीने का सामान कुछ नहीं मिलता हो किंतु कम से कम जहां मत पेटी और मशीनें जमा करवाते हैं वहां चाय, नाश्ता, भोजन का प्रबंध तो किया जा सकता है। यहां तक कि उन्होंने डांट पिलाना अनुचित है। एक और उन्हें अधिकारी बताते हैं वही उनको डांट पिलाते हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है की चुनावी तैनाती कटवाने के लिए लोग भागते फिरते हैं चूंकि चुनावी तैनाती में अनेक परेशानियां झेलनी पड़ती है। उन परेशानियों को अधिकारी हल न करके और कई समस्याओं का पहले अवगत करा देते हैं। खुद चाय पानी नाश्ता लेते रहते हैं परंतु चुनाव करवाने वाले सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं उन्हें भूखे प्यासे रहने की बात कहकर काम की इतिश्री समझ लेते हैं। उन्होंने बताया कि चाहे कुछ गांवों में  खाने और पानी का प्रबंध हो परंतु चुनाव अधिकारियों को इस प्रकार की बात नहीं करनी चाहिए बल्कि उनके लिए कम से कम मतदाता पेटी, चुनाव सामग्री बांटने वाले स्थल तथा मतदाता पेटी जमा करने वाले स्थल पर चाय नाश्ता और पानी का प्रबंध करना चाहिए ताकि थके हारे चुनाव करवा सके।



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