Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Friday, June 30, 2023


















 
गुढ़ा में हुआ कन्या के जन्म पर कुआं पूजन
-बेटी के जन्म पर कुआं पूजन, गाजे-बाजे के साथ मनाई खुशी
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कनीना की आवाज। उपमंडल के गांव गुढ़ा में कन्या के जन्म पर कुआं पूजन कर खुशियां मनाई गई। कन्या के दादा डॉक्टर शिशुपाल बेदी ने बताया कि उनके घर पर कन्या का जन्म हुआ है इससे बहुत खुशी है उन्होंने बताया कि उनके पिताजी सुप्रसिद्ध संगीत एवं हास्य कलाकार स्वर्गीय अमर सिंह बेदी के पद चिन्हों पर चलते हुए बेटा और बेटी में कोई भी भेदभाव ना समझते हुए जिस तरीके से बेटा होने पर खुशी मनाई जाती है उसी तरीके से बेटी होने पर भी खुशी मनाई गई। नवजात कन्या के पिता सतीश बेदी व मां सबीना  ने बताया कि पहली संतान कन्या के रूप में हुई है। जिससे बहुत खुशी है। उन्होंने कहा कि नवजात कन्या के जन्म पर गाजे-बाजे के साथ कुआं पूजन की रस्म निभाई गई।  गांव सहित आसपास के  लोगों ने इस कार्य की सराहना की एवं सभी ने बच्ची को आशीर्वाद प्रदान किया।
फोटो कैप्शन 08: कन्या पूजन करते हुए।








 राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस एक जुलाई
 चिकित्सक दूसरा भगवान माना जाता है
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कनीना की आवाज। एक जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जा रहा है। डाक्टरों का योगदान अहं होता है। कहावत है कि भगवान के बाद अगर किसी का नाम आता है तो वो डॉक्टर होते हैं। डाक्टर दिन-रात अपने परिवार की ओर कम ध्यान देकर चिकित्सकों मरीजों पर अधिक ध्यान देते हैं। वो सच्चे भक्त कहलाते हैं। भक्तों को सैनिक माना गया है। डााक्टर सीमा पर तो नहीं लड़ते परंतु बीमारियों से पीडि़त लोगों की जान बचाते हैं। समाज के महत्वपूर्ण होते हैं। उनके बलिदानों को सदा याद रखना चाहिए। प्रसिद्ध डॉक्टर विधान चंद्र राय के सम्मान में यह दिन मनाया जाता है जो पिछले 32 वर्षों से मनाया जा रहा है।
 क्या कहते हैं क्षेत्र के लोग एवं समाजसेवी-
सुरेश कुमार कनीना का कहना है कि डाक्टर अपनी जान को जोखिम में डालकर मरीजों की जान को बचाते हैं। ये किसी गंभीर हालात में मरीज आता है उसको भी बड़ा ध्यान से देखकर इसकी सेवा करते हैं। उनका कार्य महान होता है। उनको इस दिन याद करना चाहिए।
समाजसेवी अजीत कुमार झगडोली निवासी बताते हैं कि डाक्टर एक स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षा के समर्थक जैसी कई भूमिका निभाते है।  दूसरों को खतरे से बचाने के लिए अपना जीवन बलिदान कर सकते हैं। उनके जीवन महान कार्य को हमें कभी नहीं भुलाना चाहिए जो दूसरों की भलाई में सदा समर्पित रहते हैं। समाजसेवी वेद प्रकाश का कहना है कि डाक्टर बड़ी भूमिका निभाते हैं ताकि इंसान बीमारियों से मुक्त रहे, लंबी उम्र जीए और उनका कार्य एक महान सैनिक के बराबर होता है। दिन रात मेहनत करनी पड़ती है। अपने कर्तव्य निभाने के लिए वह अपने जीवन की भी बलि चढ़ाने से नहीं चूकते। लाखों मरीजों को प्रतिदिन डॉक्टर बचाते हैं। ऐसे में उनके महान योगदान को कभी नहीं भूलना चाहिए।
डा सुंदरलाल एसएमओ कनीना का कहना है कि डाक्टर को मरीजों की बीमारी दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। तअपनी जान की परवाह न कर मरीज की जिंदगी बचाने में कोई कसर नहीं छोडऩी चाहिए।
 डॉक्टर को अपनी जिम्मेदारी को बखूबी से समझना चाहिए और सदा यह सोच कर कि उनके हाथों से कोई मरीज बच जाए सेवा करनी चाहिए।
 फोटो कैप्शन: डॉक्टर सुंदरलाले एसएमओ, समाजसेवी अजीत कुमार, समाजसेवी वेद प्रकाश, सुरेश कुमार।








कनीना में शुरू हो गया है दमकल केंद्र
-एक गाड़ी और 6 फायर ऑपरेटर करेंगे काम
-375 लाख रुपये का आया है खर्चा
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कनीना की आवाज। उपमंडल कनीना से करीब 2 किलोमीटर दूर चेलावास में कनीना का दमकल केंद्र शुरू हो गया है। अभी तक कनीना उपमंडल में दमकल केंद्र का अभाव था। शुक्रवार को चेलावास की बणी में निर्मित दमकल केंद्र कर दिया गया है और यहां एक फायर गाड़ी तथा 6 आपरेटर 24 घंटे काम करेंगे। इस पर 3.75 करोड़ रुपये का खर्चा आया है।
 इस संबंध में विकास कुमार उप दमकल अधिकारी ने बताया कि अभी तक इस पर केंद्र को मंजूरी नहीं मिली है, परंतु मंजूरी के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र प्रेषित कर दिया गया है। इसके बाद ही यहां 18 फायर ऑपरेटर और तीन दमकल गाडिय़ां होंगी। फिलहाल अस्थाई तौर पर एक गाड़ी और 6 ऑपरेटर रख दिए गए हैं।
 कनीना नाम को लेकर रोष जताया-
शुक्रवार की सुबह जब दमकल केंद्र कनीना नाम लिख दिया गया तो चेलावास के लोगों ने दमकल केंद्र के बाहर पहुंचकर धरना दिया और इसका नाम चेलावास रखने की गुहार लगाई। मौके पर एसडीएम कनीना सुरेंद्र सिंह पहुंचे और उन्होंने समस्या को जाना तत्पश्चात एसडीएम ने दमकल केंद्र कनीना का नाम बदलकर दमकल केंद्र चेलावास और ब्रैकेट में कनीना लिखवा दिया गया। जिसके बाद चेलावास के लोग शांत हुये।
दमकल केंद्र है दो मंजिला-
कनीना उपमंडल के लिए चेलावास में बनाया गया दमकल केंद्र दो मंजिला है जिसमें 14 कमरें तथा महिला पुरुषों के लिए चार टायलेट हैं वहीं 8 गाडिय़ां खड़ी करने के गैरेज हैं। दो किचन,वर्कशाप, बड़ा हाल तथा सभी सुविधाओं से परिपूर्ण है। इसका उद्घाटन विधिवत रूप से अभी नहीं किया गया है।
 फोटो कैप्शन 6: दमकल केंद्र कनीना के बाहर नाम बदलने की मांग करते चेलावास निवासी
फोटो कैप्शन 7: कनीना चेलावास का दमकल केंद्र






श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कृष्ण लीला का हुआ वर्णन
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कनीना की आवाज।  शुक्रवार को कनीना के स्वामी वाड़ा स्थित ठाकुर जी के मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया।   श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के पांचवे दिन कथा व्यास आचार्य पूर्ण देव महाराज ने भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन सुनाया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के पैदा होने के बाद कंस उसको मौत के घाट उतारने के लिए अपनी राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है। पूतना वेश बदलकर भगवान श्रीकृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण उसको मौत के घाट उतार देते हैं। उसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इंद्र की पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज की पूजन करने की बात कहते हैं। इंद्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगरवासियों को पर्वत को नीचे बुला लेते हैं। जिससे हार कर इंद्र एक सप्ताह के बाद वर्षा को बंद कर देते हैं।
जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे लगाने लगते हैं। मौके पर भगवान को छप्पन भोग लगाया गया। इस अवसर पर  अनिल सरपंच, अतर सिंह, प्रधान रणसिंह खेड़ी, उप प्रधान धर्मपाल, कृष्ण कुमार, सचिव देशराज, धनपत साहब ,सत्य राज साहब ,प्रतीक वशिष्ट ,पवन कुमार शर्मा ,सरिता भारद्वाज ,अरूणा कौशिक, संतोष शर्मा ,दिव्या कुमारी ,कमलेश यादव ,सरोज देवी ,शकुंतला सैकड़ों श्रोता मौजूद थे।








भागवत कथा का पांचवां दिन
जीवों की उत्पत्ति चार प्रकार से होती है-पंडिम पूर्णदेव शास्त्री
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कनीना की आवाज। संसार में जीव चार प्रकार से उत्पन्न होता है अर्थात जरायुज, अण्डे , स्वदेज और उद्विज। श्री महाभागवत में लिखा है योनिया 84 लाख होती है और वर्तमान वैज्ञानिक इनसाक्लोपीडिया कहती है कि योनियां सतासी लाख होती हैं। परंतु श्रीमद्भागवत के अनुसार जलचर से योनि 9 लाख ,पेड़ों से 20 लाख ,कीट पतंगा से 11 लाख, पक्षी आकाश से 10 लाख, जंगली पशु 30 लाख व आदमी की योनि 4 लाख प्रकार की होती है। जो आत्मा के माध्यम से पेड़ों से लेकर मनुष्य योनि तक परिवर्तन होती रहती है। ये विचार कथावाचक श्रीमद्भागवत गीता ठाकुरजी के बड़ा मंदिर स्वामीवाड़ा में पांचवें दिन आचार्य पूर्ण देव शास्त्री मथुरा वृंदावन ने अपने प्रवचन में कही। उन्होंने बताया योनि का मतलब उत्पन्न होना है। यह बात विष्णु पुराण और पदम पुराण में पुनर्जन्म का वर्णन मिलता है।
 मंदिर में पुजारी कंवरसेन वशिष्ठ ने बताया कि आज भगवान भगवतकथा में पूतना मोक्ष के बारे में बताया। इसके माध्यम से अज्ञान और अंधेरे को दूर करना, और गोपियों का चीर हरण का मतलब, अविधा का नाश, कालिया नाग, गोपी दर्शन और गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व श्रोताओं को विस्तार से समझाया। वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ 5 पंडितों द्वारा सुबह हवन का आयोजन किया गया और कथा सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे का समय रखा गया। दो जुलाई को हवन व प्रसाद वितरण होगा। आचार्यजी ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा के समापन प्रसाद ग्रहण करना और कराना बहुत फलदायक होता है।
 इस मौके पर अनिल सरपंच, अतर सिंह, प्रधान रण सिंह खेड़ी, उप प्रधान धर्मपाल, कृष्ण कुमार, सचिव देशराज, धनपत साहब ,सत्य राज साहब ,प्रतीक वशिष्ठ ,पवन कुमार शर्मा ,सरिता भारद्वाज ,अरूणा कौशिक, संतोष शर्मा ,दिव्या कुमारी ,कमलेश यादव ,सरोज देवी ,शकुंतला सैकड़ों श्रोता मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 05: श्रीमदभागवत कथा सुनाते पंडित पूर्णदेव शास्त्री।






आश्वासन के बाद भी
 110वें दिन जारी रहा धरना
-शांतिपूर्ण ढंग से रहा कट के लिए धरना
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कनीना की आवाज। सेहलंग एवं बाघोत के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग पर कट की मांग को लेकर ग्रामीण 110 दिनों से धरने पर बैठे हैं। धरने की अध्यक्षता प्यारेलाल बाघोत ने की।
धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष चेयरमैन विजय सिंह ने बताया कि सरकार की तरफ से हमें आश्वासन मिला हुआ है लेकिन जमीनी स्तर पर अभी तक कोई कार्य शुरू नहीं हुआ। संघर्ष समिति के सदस्य चेयरमैन सतपाल पोता और दाताराम बाघोत ने बताया कि बाघेश्वर धाम धार्मिक स्थल है। यहां पर साल में दो बार मेला भरता है। शिव भोले बाबा के दर्शन करने के लिए लाखों लोग यहां पर इकट्ठे होते हैं। लोगों की भीड़ और आस्था को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है की राष्ट्रीय राजमार्ग बाघोत -सेहलंग रोड के साथ कनेक्टिविटी बहुत जरूरी है।
 संघर्ष समिति के सदस्य नरेंद्र शास्त्री छिथरौली ने बताया कि सरकार का मोटो है सबका साथ- सबका  विकास। यह तभी संभव होगा जब सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग बाघोत -सेहलंग कट को बना देती है। राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी पर यह कट बनने से इसके साथ लगने वाले 50 गांव के बच्चों की शिक्षा, उद्योग और रोजगार के लिए अवसर मिलेंगे, तभी अपने इलाके का विकास होगा। जब तक सरकार हमारी मांग पूरी नहीं करती है, तब तक धरना जारी रहेगा।
  इस मौके पर भरत सिंह कमांडो , शेर सिंह, हेमराज साहब,  पहलवान रणधीर,   रामकुमार,  धर्मवीर, सुरेंद्र, जले सिंह, सत्य प्रकाश, डॉ राम सिंह, मास्टर विजय सिंह, बाबूलाल, ठेकेदार शेर सिंह, जय सिंह पंच, मनोज कुमार, सतनारायण,  वेदप्रकाश
व गणमान्य लोग मौजूद रहे।
फोटो केप्शन 04: कट के लिए धरने पर बैठे लोग।





 

अंतरराष्ट्रीय फल दिवस -1 जुलाई
सेहत का राज छुपा है फलो में
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कनीना की आवाज। फलों का नाम लेते ही खट्टे मीठे अनेक प्रकार के फलों की याद ताजा हो जाती है। अंतरराष्ट्रीय फल दिवस भी एक जुलाई को मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय फल दिवस फलों के महत्व को दर्शाता है। प्राचीन समय से ही इंसानों का फलों से यह लगाव रहा है इसलिए जहां कहीं मधुर मधुर फिर मिलते हैं इंसान प्रसन्नचित मिलता है। यूं तो हर देश में अपने अलग-अलग प्रकार के फल होते हैं किंतु कुछ ऐसे फल है जो पूरे ही विश्व में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ फल निम्र हैं।
 जिनमें केला एक फल है। केला हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है इसलिए से पूजा विधान तथा विभिन्न शहरों में वितरित किया जाता है इसमें पोटैशियम अधिक मिलता है जो हृदय को स्वस्थ रखता है। महाराष्ट्र केले के लिए मशहूर है जिसे भारत का केले का शहर नाम से जाना जाता है। अनार एक ऐसा फल है सभी फलों का शाही ताज कहलाता है। अनेक लोकोक्तियां भी इस आधार पर बनाई हुई हैं। प्राचीन समय से लोग भी अनार से परिचित थे। यह जीवन उर्वरता, समृद्धि, प्रचुरता का प्रतीक है। आम फलों का राजा आम पूरे विश्व में पाया जाता है। प्राचीन काल में इसे समृद्धि का प्रतीक माना जाता था। यह देवताओं पर अर्पित किया जाता रहा है। पौराणिक कथाओं में भी कहा गया है कि आम पेड़ की पत्तियां अनेकों स्थानों पर प्रयोग की जाती है। इसके लाभ के दृष्टिगत इसकी दूरदराज खेती की जाती है। अंगूर एक शराब का फल एवं उर्वरता, प्रचुरता, धन का प्रतीक माना जाता है। अंगूर खाने के लिए सबसे अहम माना जाता है। महाराष्ट्र राज्य अंगूर के लिए प्रसिद्ध है। नारियल एक ऐसा फल है जो सिर्फ श्रीफला नाम से जाना जाता है। भगवान के प्रतीक का फल नारियल है। सभी जगह से अर्पित किया जाता है। नारियल का जल देवी देवताओं को चढ़ाया जाता है।
 क्या कहते हैं लोग फलों के गुणों के बारे में ?  क्या कहते हैं वैद्य-
वैद्य श्रीकिशन बताते हैं कि फलों के सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है। ऐसे में 1 दिन में कम से कम 2 फल और मौसमी सब्जियां भोजन में शामिल करनी चाहिए। रोजाना फल खाने चाहिए क्योंकि फलों में विटामिन खनिज, फाइबर बहुत अधिक मात्रा में मिलते हैं। फल दिल की बीमारी, कैंसर, मधुमेह आदि बीमारियों के जोखिम को कम करते हैं।
 क्या बालकिशन शर्मा -
करीरा के प्रसिद्ध वैद्य बालकिशन शर्मा बताते हैं कि फलों में एंटी वायरल गुण पाया जाता है। विटामिन, खनिज लवण प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसके अतिरिक्त पोटैशियम भी मिलता है । फाइबर और पानी शरीर के लिए सेहतमंद होते हैं। फल शरीर को हर प्रकार से रोगों से बचाते हैं। दिल की बीमारी को केला, संतरा और खरबूजा बहुत लाभप्रद माने जाते हैं। फलों का भोजन में जरूर सेवन करना चाहिए।
 फोटो कैप्शन: बालकिशन एवं श्रीकिशन शर्मा करीरा वैद्य







राष्ट्रीय डाक सेवक दिवस
डाक वितरण के साथ-साथ कर रहे हैं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का प्रचार
-साइकिल पर प्रतिदिन 20 किलोमीटर सफर तय कर घर घर जाते डाक बांटने
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कनीना की आवाज। कनीना उप-डाकघर में कार्यरत राजेंद्र सिंह पोस्टमैन बेशक करीब 62 वर्षीय हो किंतु आज भी साइकिल पर 20 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करके डाक वितरण का काम कर रहे हैं लेकिन वे डाक बांटने के साथ-साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे को साकार करने में जुटे हुए हैं। उन्होंने अपने सीने पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का बिल्ला लगाया हुआ है। और न केवल बिल्ले को लगाते ही है अपितु लोगों से अपील भी करते हैं कि बेटियों को पढ़ाया जाए। यह दो परिवारों में एकता कायम करने का जरिया होती है। यद्यपि कोरोना काल में लोग घरों में छिपे हुए थे तब भी पोस्टमैन घर घर जा रहे थे और डाक बांटने का कार्य कर रहे थे। राजेंद्र सिंह पोस्टमैन ने बताया कि उनके दो बेटियां हैं। इंदिरा 1986 में जन्मी तथा रेनू 1991 में जन्मी है। एक लड़का भी है किंतु वे लड़कियों के लालन-पालन और उनकी देखरेख करने का प्रचार कर रहे हैं। अभी सेवानिवृत्ति में कुछ समय बाकी है। उन्होंने कड़ी धूप में डाक बांटते हुये बताया कि वे जिस घर में भी जाते हैं उस घर में डाक वितरण के साथ-साथ बेटियों के बारे में जरूर जानकारी हासिल करते हैं और बेटियों की सुरक्षा की गुहार लगाते हैं।
एक और जहां कोरोना काल में भी वे कोरोना से कभी नहीं डरे कोरोना योद्धा के रूप में कार्य किया है वही हमेशा साइकिल पर ही डाक वितरण करते हैं।
उन्होंने बताया कि जब सरकार इस नारे को साकार करने में जुटी हुई है तो हम सभी का फर्ज बनता है कि हम भी इस नारे को साकार करें। यही कारण है कि वह खुद भी इस कार्य में जुटे हुए हैं। उनको यकीन है कि एक  दिन वो जरूर आएगा जब लड़कियों की कदर लड़कों से कम नहीं आंकी जाएगी।
कोरोना काल में भी किया 5 घंटे डाक वितरण का कार्य -
बेशक कोरोना काल में कोई घर से बाहर न निकलना चाहता हो किंतु राजेंद्र पोस्टमैन सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक तैनाती देते थे। यहां तक कि कम से कम प्रतिदिन 100 लोगों से मिलते थे और 20 किलोमीटर दूरी प्रतिदिन साइकिल से तय करते रहे हैं।
 उन्हें कम से कम सैकड़ों लोगों से उस वक्त मिलना पड़ता था जब उनकी डाक देकर हस्ताक्षर आदि करवाकर लाने पड़ते थे। ऐसे में इन लोगों को कड़ी मेहनत और बुरे वक्त के दौर में भी सेवा निभानी पड़ी है।  
फोटो कैप्शन 3: पोस्टमैन राजेंद्र सिंह डाक बांटते हुए।








16000 किमी दूरी की भारत गौरव यात्रा करके लौटे मदन मोहन कौशिक
-आस पास के लोगों ने किया सम्मान
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कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अगिहार  में अंग्रेजी के प्रवक्ता तथा ग्राम झगड़ोली निवासी मदन मोहन कौशिक की लगभग  सोलह हजार किलोमीटर की शहीद स्मारक एवं भारत गौरव यात्रा का समापन हो गया।  अपनी बाइस दिवसीय इस यात्रा की विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया इस यात्रा में लगभग पंद्रह से ज्यादा शहीद स्मारकों का भ्रमण किया गया जिसमें लक्ष्मी बाई का किला झांसी लखनऊ के पास काकोरी शहीद मंदिर चंद्रशेखर आजाद के पैतृक गांव उन्नाव में बदरका ,गोरखपुर की बिछिया जेल जहां राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी पर लटकाया गया था ,नेताजी सुभाष चंद्र बोस का पैतृक घर तथा म्यूजियम कटक उड़ीसा, भारत रत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम मेमोरियल रामेश्वरम तमिलनाडु,झारखंड के आदिवासी क्रांतिकारी बिरसा मुंडा ,बिहार में आजादी की पहली लड़ाई के महानायक कुंवर सिंह ,केरल के महान क्रांतिकारी व लेखक रामकृष्ण पिल्लई,महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगुर गांव में वीर सावरकर के जन्म स्थान, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के पैतृक गांव कर्मसद खेड़ा अहमदाबाद में गांधीजी के साबरमती आश्रम ,बंगाल के मेदिनीपुर जिले में  महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस के जन्म स्थान तथा कन्याकुमारी में स्वामी विवेकानंद मेमोरियल पर जाकर इन महान विभूतियों को नमन किया गया इसके अतिरिक्त सनातन धर्म के प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों अयोध्या में रामलला एवं हनुमानगढ़ी , गोरखपुर के प्रसिद्ध मठ मंदिर, नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर, झारखंड देवघर में स्थित वैद्यनाथ धाम ,उड़ीसा के पूर्व के चार धाम  में शामिल जगन्नाथ पुरी ,आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति  बालाजी मंदिर ,मदुरई के मीनाक्षी मंदिर, तमिलनाडु के दक्षिण के चार धामों में एक रामेश्वरम तथा कन्याकुमारी महाराष्ट्र के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल भीमाशंकर तथा त्रंबकेश्वर मंदिर नासिक के पंचवटी क्षेत्र में स्थित श्री राम मंदिर तथा गुजरात के पाटन जिले में स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारत रानी की वाव के दर्शन किए।
 इसके अलावा उन्होंने अनेक शैक्षणिक संस्थानों तथा वन्यजीव अभयारण्यों का भी दौरा किया तथा कर्नाटक के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल कुर्ग तथा केरल के समुद्री तटों तथा चौबीस राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों का भ्रमण किया इस यात्रा के दौरान भारत के स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अधिकांश हिस्से को कवर किया गया। जो देश के चार महानगरों दिल्ली कोलकाता चेन्नई तथा मुंबई को आपस में जोड़ता है इस यात्रा के बाद उनके द्वारा मोटर साइकिल से भ्रमण किए गए जिलों की संख्या 500 से ज्यादा हो गई है, ने बताया कि इस यात्रा के दौरान गर्मी से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा तथा यात्रा के अंतिम  सप्ताह में केरल कर्नाटक महाराष्ट्र तथा गुजरात में भारी बारिश से भी बहुत परेशानी झेलनी पड़ी  यात्रा के समापन पर फ्रेंडस कालोनी, मास्टर कालोनी तथा दीवान कॉलोनी के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा मदन मोहन कौशिक का  स्वागत किया गया तथा यात्रा के  समापन पर ईश्वर का धन्यवाद किया गया।
फोटो कैप्शन 01: कर्नाटक में मंदिर के दर्शन करके आगे बढ़ते मदन कौशिक
          02: मदन मोहन कौशिक का स्वागत करते लोग।






पालिका चुनाव अभी नहीे होने की संभावना
-2024 में है संभावना
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कनीना की आवाज। कनीना पालिका के चुनाव वर्ष 2024 में होने की संभावना से जिस कद्र उत्साह चुनाव लडऩे वालों में देखने को मिल रहा था वो ढ़ीला पडऩे लगा है। चुनाव तिथि भविष्य के गर्भ में हैं पर चुनाव लडऩे वाले जल्दी चुनाव चाहते हैं।
चुनाव लडऩा चाहने वाले लोग किसी प्रकार पीछे हटने वाले नहीं। यदि प्रधान पद के लिए उनके परिवार से वो स्वयं या परिवार से महिला आदि चुनाव लड़ सकते हैं। क्योंकि प्रधान की शक्ति इस बार अधिक हो गई है, उसका चुनाव सीधा होने की वजह से उसे पार्षदों का काम कम हो गया है। भविष्य में प्रधान बनने के बाद किसी प्रस्ताव को पारित करते समय इन पार्षदों की जरूरत हो सकती है। ऐसे में बड़ा और सशक्त पद प्रधान का बना दिया गया है जिसको लेकर के दर्जनों लोग तैयार हैं। यह सत्य है कि चुनाव लडऩे वाले अब अपनी मां, बहन, बेटी या पत्नी को चुनाव लड़ा सकते हैं, स्वयं भी पार्षद पद के लिए चुनाव लडऩे के लिए तैयार हो रहे हैं। कनीना के पार्षद पद के लिए चुनाव लडऩे वाले महेश बोहरा एक है। उनके पिता राव सत्यवीर बोहरा भी पार्षद रह चुके हैं। अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए पार्षद पद के चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं क्योंकि उन्होंने तो कभी से ही पार्षद पद के की घोषणा की है और पालिका प्रधान बनने की इच्छा नहीं रही की? विजय चेयरमैन भी पार्षद पद के चुनावों के लिए तैयार हैं। बहरहाल अभी चुनाव होते नजर नहीं आ रहे हैं।
कनीना नगर पालिका चुनावों पर टिकी हैं नजरें---
कनीना पालिका 1952 से चली आ रही है। कनीना नगर पालिका के समय-समय पर अनेक प्रधान रह चुके हैं। सबसे अधिक समय तक पूर्व प्रधान मा. दलीप सिंह एवं उनके पिता स्व. चौ. बलबीर सिंह पालिका में प्रधान रह चुके हैं।
 इस बार पालिका प्रधान के चुनाव सीधे होने हैं। अब तक पालिका प्रधान बनते आए वह किसी के रहमों करम पर होते थे या पार्षदों पर निर्भर रहे हैं। सभी की नजरें चुनाव पर टिकी हुई है।
 चुनाव लडऩे के दावेदार-
अभी तक पार्षद के चुनाव के लिए
1. महेश बोहरा दावेदारी जता रहे हैं।  उधर
2. वार्ड चार से योगेश कुमार
3. वार्ड एक से विजय चेयरमैन चुनाव लड़ेंगे। इस बार चेयरमैन पद का चुनाव डायरेक्ट होगा।  जिसके चलते इस बार चेयरमैन पद के लिए अधिक लोग तैयारी में जुटे हुए हैं।
प्रधान पद के लिए दावेदार--
1.कनीना के सज्जन सिंह बोहरा
2. कनीना के वर्तमान चेयरमैन सतीश जेलदार के पुत्र प्रीतम जोनू
3. मनोज कुमार रोहिल्ला वरिष्ठ पत्रकार
4. कनीना के वार्ड 12 का निवासी अमित नंबरदार  
5. वार्ड 3 के निवासी राज सिंह
6. पूर्व प्रधान मा. दिलीप सिंह या उनके पुत्र दीपक चौधरी
7. पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा
8. एडवोकेट विनय यादव, एडवोकेट पंकज यादव,  वर्तमान में
9. उप प्रधान पद पर आसीन अशोक ठेकेदार,  मनीष पार्षद
10. सुमेर सिंह मैनेजर
घट गई हैं चुनावी चर्चाएं ---
 दुकान हो या कोई चाय की दुकान, चुनावी चर्चा मिलने लगी थी वो अब गायब हो गई हैं। रातोंरात पार्षद और प्रधान पद के दावेदार ढूंढे जा रहे हैं। क्योंकि बहुत से लोग तो चुनाव तो लडऩा चाहते हैं  ऐसे में चुनाव लडऩे वाले अंदर खाते मतदाताओं के मन को टटोल रहे हैं।
समय लग सकता है चुनाव होने में-
नगर पालिका के चुनाव लडऩे वाले अंदर खाते मतदाताओं के मन को टटोल रहे हैं। यदि मतदाता उनको अच्छा रिस्पांस देते हैं तो भी अपने उम्मीदवारी पक्की समझ रहे हैं। अभी से ही मतदाताओं से वोट देने की हां या ना करवा रहे हैं। चुनावों में लग सकता है समय। ऐसे भी कहते सुने  हैं कि मेरे लिए प्रधान पद के वोट दिलवा दो मैं तुम्हें पार्षद या  तुम्हारे द्वारा अनुमोदित पार्षद को अपने क्षेत्र के वोट दिलवा दूंगा।  14 वार्डों में 14 पार्षद चुने जाने है लेकिन कुछ वार्डों में चुनाव लडऩे वाले मौन नजर आ रहे हैं।

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