कनीना में बालश्रम विभाग की टीम ने की छापामारी
--4 बच्चों को करवाया मुक्त
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कनीना की आवाज। शुक्रवार को बाल श्रम विभाग की टीम ने ने विभिन्न स्थानों पर छापामारी की। इस टीम ने ढाबों व होटलों, मिठाई भंडारों पर बाल मजदूरी कर रहे 4 बच्चों को मुक्त करवाया। जब छापामार कार्रवाई का पता लगा तो दुकानदार सतर्क हो गये। श्रम विभाग रेवाड़ी से आए श्रम निरीक्षक राजबीर सिंह के नेतृत्व में जिला टास्क फोर्स, बाल कल्याण इकाई नारनौल व स्थानीय पुलिस कनीना को साथ लेकर निरीक्षण किया गया।
कहां से करवाया बच्चों को मुक्त-
मिली जानकारी अनुसार निरीक्षण के दौरान सिंगला स्वीट्स, विजय मिष्ठान भंडार, सैनी होटल से 4 बाल मजदूरों को मुक्त करवाया गया। श्रम विभाग रेवाड़ी से आए श्रम निरीक्षक राजबीर सिंह, बाल कल्याण इकाई गरिमा व जिला टास्क फोर्स राज सिंह ने बताया कि जिला लिगल सर्विस अथोर्टी नारनौल के दिशा निर्देश के अनुसार विभिन्न स्थानों पर बाल श्रम कानून के तहत निरीक्षण किया जा रहा है। जिसमें जिला टास्क फोर्स से राज सिंह, सुधीर कुमार, हरीश कुमार, अधिवक्ता संजय कुमार
बाल कल्याण इकाई की गरिमा की टीम ने छापेमारी की। जिसमें ढाबा, मिठाई की दुकान व होटलों पर बाल मजदूरी करते हुए 4 बाल मजदूरों मुक्त करवाया।
होगी कार्रवाई-
श्रम निरिक्षक राजबीर सिंह ने बताया कि बाल मजदूरी करवाने वाले दुकानदारों के खिलाफ विभागीय करवाई की गई। उन्होंने बताया कि सभी बच्चों को जिला बाल कल्याण इकाई महेंद्रगढ़ स्थित नारनौल को सौंप दिये गए हैं। उन्होंने ऐसे बच्चों के माता पिता से अपील की है कि छोटे बच्चों को बाल मजदूरी करने के लिए न भेजे ,बल्कि इन बच्चों को पढऩे के लिए स्कूल में दाखिला दिलवाए। जिससे इन बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बन सकें। उन्होंने यह भी बताया कि यदि कोई भी बच्चा किसी भी दुकान पर बाल श्रमिक मजदूरी करता हुआ मिला तो उस दुकानदार के खिलाफ विभाग की ओर से सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि उपरोक्त संस्थानों में दुकानात अधिनियम के अंतर्गत शॉप एक्ट लाइसेंस मौके पर नहीं मिला जिसमें दुकानदारों होटल मालिकों को मौके पर हिदायत दी गई है कि सभी संस्थान श्रम विभाग से शॉप एक्ट का लाइसेंस बनवाए। साथ ही उन्होंने कहा कि श्रम अधिनियम के अंतर्गत वेतन अदायगी की जाए। अगर कोई भी दुकानदार नियमों का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई अमल में लाई जायेगी।
फोटो कैप्शन 11: श्रम विभाग रेवाड़ी के संरक्षक राजवीर सिंह के नेतृत्व में टीम ।
श्रीमद्भागवत कथा का दूसरा दिन-
गोकर्ण और धुंधकारी की कथा का करवाया रसपान
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कनीना की आवाज। उप-मंडल के गांव गाहड़ा में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक आचार्य सत्येन्द्र शास्त्री ने गोकर्ण और धुंधकारी की कथा का रसपान कराया। कथा सुन श्रोता भावविभोर हुए।
कथावाचक आचार्य सत्येन्द्र शास्त्री ने बताया कि धुंधकारी की मृत्यु के पश्चात वह अपने पापों के कारण प्रेत बन गया। उसके भाई गोकर्ण ने उसका गयाजी में श्राद्ध व पिंडदान करवाया ताकि उसे मोक्ष प्राप्त हो सके। लेकिन मृत्यु के बाद धुंधकारी प्रेत बनकर अपने भाई गोकर्ण को रात में अलग अलग रूप में नजर आता। एक दिन वह अपने भाई के सामने प्रकट हुआ और रोते हुए बोला कि मैंने अपने ही दोष से अपना ब्राम्हणत्व नष्ट कर दिया। गोकर्ण आश्चर्य थे कि श्राद्ध व पिंडदान करने के बाद भी धुंधकारी प्रेत मुक्त कैसे नहीं हुआ। इसके बाद गोकर्ण ने सूर्यदेव की कठोर तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने दर्शन दिए। गोकर्ण ने सूर्यदेव से इसका कारण पूछा तब उन्होंने कहा कि धुंधकारी के कुकर्मों की गिनती नहीं की जा सकती। इसलिए हजार श्राद्ध से भी इसको मुक्ति नहीं मिलेगी। धुंधकारी को केवल श्रीमद्भागवत से मुक्ति प्राप्त होगी। इसके बाद गोकर्ण महाराज ने भागवत कथा का आयोजन किया। जिसे सुनकर धुंधकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई और प्रेत योनि से मुक्ति मिली। कथावाचक ने कथा प्रसंग के माध्यम से बताया कि हमें दुष्ट प्रवृत्ति जैसे पापाचारी, दुराचारी, अत्याचारी व
भ्रष्टाचारी व्यवहार से बचना चाहिए। प्रदोष दर्शन नहीं करनी चाहिए तथा परनिंदा नहीं करनी चाहिए। चुगली, द्वेष, ईष्र्या ये सब बुरी आदतें हैं, इसे छोडऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि अत्यधिक प्रेम, दुलार व धन के कारण माता-पिता कभी-कभी अपने बच्चों को बिगाडऩे का काम करते हैं। उन्हें खुला छूट एवं मनमानी करने देने से वह राह से भटक जाता है। ऐसे में जब लगे कि अपना बेटा या बेटी बिगड़ रहा है तो अपने बच्चों को संभालने के लिए उन पर प्रतिबंध लगाएं। इससे लिए कड़ा अनुशासन जरूरी होता है। इस दौरान पंडित सुरेश चन्द्र शर्मा, विद्या देवी, सरपंच श्री पाल, सुनीता, देशराज, राजेश, मनोज कुमार, कमला, सोमबीर, चमेली, बबलू, सरोज, रणवीर सिंह, मंजु, अंकुश शर्मा, सुनीता सहित अन्य श्रद्धालु मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 10: कथा वाचक सत्येंद्र शास्त्री
पील बनी पुराने जमाने के फल
- बुजुर्ग पील को याद कर हो जाते हैं खुश, गरीबों के हैं ये अंगूर
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कनीना की आवाज। कनीना में कभी आधा दर्जन बणिया(जंगल) होती थी। बणी में जाल पेड़ों का साम्राज्य मिलता है, जो हजारों वर्ष पुराने होते हैं। जब गर्मी आती है तब जाल के पेड़ों पर विभिन्न रंगों हरी, सफेद, पीली, लाल, नारंगी तथा विभिन्न रंगों के फलों से लद जाते थे। वास्तव में अंगूर की भांति यह फल होते हैं जिनको आज से 30 साल पहले लोग बड़े चाव से खाते थे। आज बेशक युवा पीढ़ी जंगल में जाने से जंगली जीवों और जानवरों से डरती हो किंतु बुजुर्गों का जीवन जंगलों में बीता था और वहीं जाल के पेड़ों से फल तोड़कर घर पर लाते थे। इन्हें फांका मारकर खाते थे, जिससे एक अलग ही स्वाद आता था। बुजुर्गों के समक्ष जब आज भी चर्चा चलती है तो बस इतना ही कहते हैं कि पील का जमाना लद गया। मौसम परिवर्तन के कारण इन जाल के पेड़ों पर कोई भी फल नहीं लगता। कभी कभार इक्का-दुक्का फल मिल भी जाता है तो उस पर लोगों की नजरें टिक जाती है परंतु एक जमाना था बहुत अधिक मात्रा में फल लगते थे।
कैसे तोड़ कर लाते थे पील-
राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, राम सिंह, कृष्ण कुमार आदि बताते हैं जब स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां होती थी तब अपने गले में सिंडोरा(पील इकट्ठा करने का बर्तन) बांधकर जंगल की ओर चले जाते थे। यह किसी एक घर से नहीं बल्कि लगभग हर घर से पील तोड़कर लाने के लिए चल देते थे। दिनभर आपस में वार्तालाप करते हुए जाल के पेड़ पर चढ़कर पील तोड़ते थे और अपने सिंडोरे में डालते थे। जब सिंडोरा भर जाता था, जाल के पेड़ से नीचे उतरते और घर तक पहुंचते थे। घर के सारे सदस्य बैठकर इन पीलों को फांका मारकर खाते थे। यहां तक कि इन फलों में, बीज वाले अंगूरों की भांति बीज होते थे जिनको खाते समय जीभ से निकाल दिया जाता था।
अंगूर के थे विकल्प -
बुजुर्ग बताते हैं कि अंगूर के विकल्प का विकल्प पील होते थे। अंगूर गरीब आदमियों को नहीं मिल पाते थे अमीरों के लिए अंगूर होते थे और गरीब लोगों के लिए पील खाने को मिलती थी। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में जहां गर्मियों में नीम की निबोरी छोटे आम के रूप में खाई जाती थी जो गरीबों के आम कहलाते हैं जबकि अमीर लोग बड़े-बड़े आम खाते रहे हैं।
क्या क्या कहते हैं पर्यावरणविद-
रविंद्र कुमार पर्यावरणविद से इस संबंध में चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण पील लगनी बंद हो गई है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार कैर पर टींट एवं पीचू खत्म चुका हो गए हैं उसी प्रकार जाटी पेड़ से सांगर और झींझ लुप्त हो गई है। ठीक उसी प्रकार जाल के पेड़ से पील गायब हो गई हैं। उन्होंने बताया कि इस वक्त मौसम इतना दूषित हो चला है, कि गर्मी अधिक बढ़ गई है जिसके कारण पील पैदा नहीं होती। पील एक निश्चित ताप तक ही पैदा होती है तथा इसके लिए साफ-सुथरी जलवायु की आवश्यकता होती है।
राजस्थान से मंगवा रहे हैं पील-
बुजुर्ग खाने के लिए गर्मियों में राजस्थान क्षेत्रों से पील मंगवा रहे हें। राजस्थान क्षेत्रों में आज भी जाल के पेड़ों पर पील पाई जाती है। यही कारण है कि उनसे पील मंगवा कर बड़े चाव से खाते हैं।
नष्ट कर कर दी है जाल और बणिया-
कनीना में आधा दर्जन बणी होती थी जिनको लगभग साफ कर दिया गया है। जहां पीपल वाली बणी बहुत कम बची है, अतिक्रमण का शिकार हो गई है वहीं रणास और मानका वाली बनी खत्म कर दी गई है। छोटी बणी बस स्टैंड सीमा में चली गई है वहीं बड़ीबणी अभी थोड़ी बहुत बची है जो अतिक्रमण के चलते निकट भविष्य में समाप्त हो जाएगी और हजारों वर्ष पुराने पेड़ पौधे जाल भी समाप्त हो जाएंगे। आवश्यकता है पेड़ों की देखरेख की। बार-बार मांग उठ रही है कि बणियों में जाल के पेड़ों की सुरक्षा की जाए ताकि भविष्य में इंन पर फल भी लग सकते हैं। अगर पेड़ उखाड़ दिए गए तो भविष्य में पुस्तकों में जाल व पील पढऩे को मिलेगी।
अनभिज्ञ हैं छोटे बच्चे-
यहां तक कि बहुत से युवा पील से अपरिचित है क्योंकि उन्होंने कभी पील का नाम सुना ही नहीं। वैसे तो आजकल मोबाइल का जमाना होने के कारण युवा पीढ़ी एवं बच्चे मोबाइल पर पील जरूर देख सकते हैं किंतु हकीकत में पील खाकर नहीं देखी है। जब उनको पील और सांगर दिखाया जाता है तो चकित होकर इनका नाम पूछते हैं।
फोटो कैप्शन 8: पील का फल
9: जाल का पेड़
संपत्ति कर डाटा सुधारीकरण कैंप 10 और 11 को
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कनीना की आवाज। संपत्ति कर के डाटा में सुधार चाहने वालों के लिए नगरपालिका कनीना में 10 और 11 जून को एक विशेष कैंप आयोजित किया गया है। दो दिवसीय आयोजित इस प्रॉपर्टी डाटा सुधारीकरण कैंप में कनीना क्षेत्र के लोग अपनी प्रॉपर्टी आईडी को ठीक करवा सकते हैं। विस्तृत जानकारी देते नगरपालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि लंबे समय से लोग प्रापर्टी डाटा में गलतियों की शिकायत करते आ रहे हैं और उनके लिए यह शिविर आयोजित किया गया है ताकि अपनी किस प्रकार की त्रुटि को ठीक करवा सकते हैं। यह एक विशेष प्रकार का कैंप होगा।
तूड़ी से भरे ट्रैक्टर सड़क पर बबन रहे जहैं आफत
-दुर्घटनाएं घटाने में होता है हाथ
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कनीना की आवाज । एक और जहां पशु पालकों को तूड़ी आदि की जरूरत है वहीं तूड़ी बेचने वाले विशेष रूप से दूरदराज से सस्ते भाव में लाकर के महंगे भावों में बेच रहे हैं।
ट्रैक्टर, फोर व्हीलर तथा अन्य वाहनों से भारी भरकम तूड़ी लादकर सड़क मार्ग से लाई जाती है। वाहनों में इतनी तूड़ी लदी होती है कि आगे पीछे चल रहे वाहनों को कुछ भी नहीं दिखाई देता। अधिकांश सड़क इन्हीं के द्वारा अवरोधित कर दी जाती है जिसके चलते कोई भी दुर्घटना आसानी से घट सकती है। ऐसे में इस प्रकार तूड़ीलादकर लाने ले जाने वालों पर प्रतिबंध लगाया जाए। अगर फिर भी नहीं मानते तो उन पर जुर्माने का प्रावधान किया जाए और लोगों को राहत दिलाई जाए।
कनीना क्षेत्र के सुनील कुमार, वीरेंद्र ,दिनेश, रवि कुमार आदि ने बताया कि कई बार दुपहिया वाहन इनकी चपेट में आ जाते हैं। आगे पीछे इस प्रकार की तूड़ी से भरे वाहन चलते रहते हैं जिनको क्रॉस करना अति कठिन होता है क्योंकि आगे पीछे का कुछ भी दिखाई नहीं देता और दुर्घटना घट सकती है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के वाहनों पर नियंत्रण रखा जाए तथा जुर्माना लगाया जाना चाहिए ताकि इतने अधिक भारी मात्रा में लोढ़ न ले जा सकते और न ला सकते।
फोटो कैप्शन 4: तूड़ी से भरा ट्रैक्टर सड़क के बीच जो भी चलता हुआ
ढाई हजार गायों की, की जा रही है देखरेख
-2003 में बनी थी कनीना की श्रीकृष्ण गौशाला
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कनीना की आवाज। कनीना की बड़ी बणी नजदीक रेलवे स्टेशन, श्रीकृष्ण गौशाला की वर्ष 2003 में स्थापना की गई थी। तत्कालीन गौशाला संस्थापक एवं प्रधान राव सतवीर सिंह बोहरा थे जिनका निधन हो चुका है जबकि वर्तमान में श्रीकृष्ण गोशाला के प्रधान हुकम चंद आर्य करीरा हैं।
वर्ष 2003 से पहले क्षेत्र में कोई गौशाला नहीं थी। गाय जंगलों में घूमती रहती थी और किसानों के खेतों में मिलती थी जिसके चलते कनीना के लोगों ने एक गौशाला स्थापित करने की बात रखी जिसको सिरे चढ़ाते हुए कनीना की बड़ी बणी में गौशाला स्थगित कर दी गई जो वर्तमान में ार्य कर रही है।
श्री कृष्ण गौशाला में जहां 200 मण सूखा चारा प्रतिदिन प्रयोग हो रहा है वही पर्याप्त मात्रा में तूड़ी स्टोर की हुई है। विभिन्न गांवों से गो-ग्रास रथ गो ग्रास इक_ा करके लाते हैं। 5 गाडिय़ां विभिन्न गांवों में जाती है और प्रतिदिन 30 मण गो ग्रास इक_ा करके लाती हैं। यही नहीं 5 गाडिय़ों के अतिरिक्त 5 ट्रैक्टर भी नित्य प्रति गायों की सेवा में लगे हुये हैं। जहां पहले सरकार द्वारा बहुत मामूली सा अनुदान दिया जाता रहा है जबकि अबकी बार 9.50 लाख रुपये सरकार ने अनुदान दिया है। इसके अतिरिक्त मंत्रियों ने भी 3 लाख रुपये की राशि अपने कोष से यहां जारी की है जिसके चलते श्री कृष्ण गौशाला में गायों को चारा प्रदान किया जा रहा है। वर्तमान में जहां 63 सदस्य श्रीकृष्ण गौशाला के बने हुए जो प्रतिमाह एक निर्धारित राशि प्रदान कर गौशाला के लिए मदद करते हैं।
क्या कहते हैं प्रधान-
गौशाला के वर्तमान के प्रधान हुकुमचंद आर्य करीरा ने बताया कि गौशाला में 35 गायें दूध देने वाली है जिनके लिए अलग से प्रबंध किया जाता है। 100 लीटर दूध प्रतिदिन ये गाय प्रदान करती है जो 50 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से गौशाला में ही बेच दिया जाता है। दूरदराज से लोग गायों का दूध लेने के लिए आते हैं। गायोंकी देखरेख के लिए एक वीएलडीए रखा हुआ है वही 29 कर्मचारी प्रतिदिन गायों की सेवा करते है।
विस्तृत जानकारी देते हुए प्रधान हुकुमचंद आर्य करीरा ने बताया गायों के लिए पेयजल की व्यवस्था के लिए 10 खेल चार ट्यूबवेल कार्यरत है। इस वर्ष डेढ़ करोड़ रुपये की आय हुई थी जो अधिकांश खर्च हो गए हैं। महज छह लाख रुपये ही बचे हैं।
क्या कहते श्रीकृष्ण गौशाला प्रधान -
श्री कृष्ण गौशाला प्रधान हुकम चंद आर्य ने बताया कि तीन से चार दिनों में 800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से तूड़ी खरीद कर लाई जाती है। यह तूड़ी प्रयोग में लाई जाती है।
गायों के लिए हरा चारा अलग से प्रबंध किया गया है। 20 एकड़ नगर पालिका की जमीन पर गायों के लिए हरा चारा उपलब्ध करवाया जाता है। वर्तमान में 19 हजार मण तूड़ी मौजूद है। उन्होंने बताया कि गायों के लिए 28000 मण तूड़ी को सुरक्षित रखने के लिए दो भंडार बने हुए हैं, जहां तूड़ी को इकट्ठा किया जाता है। सबसे बड़ी बात है कि दूध देने वाली गायों के लिए चाट बनाकर दी जाती है। 3 लाख रुपये का बॉयलर लाया गया था जो चाट बनाने के काम में आता है। कुल मिलाकर श्रीकृष्ण गैशाला के प्रधान ने कहा कि सरकार को कुछ और अनुदान देना चाहिए ताकि गायों की सेवा की जा सके। वैसे तो गायों को हर घर में पालना चाहिए जो ज्यादा बेहतर होगा, परंतु जो अपने घरों में गाय नहीं रख सकते उन्हें गौशाला में आकर सेवा प्रदान करनी चाहिए।
फोटो कैप्शन प्रधान हुकुमचंद
फोटो कैप्शन 5: गौशाला कनीना का मुख्य द्वार
7: गौशाला में बंधी हुई गायें।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसी व्यक्ति जाति मत पंथ और संप्रदाय के लिए कार्य नहीं करता -मनोहर
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसी व्यक्ति जाति मत पंथ और संप्रदाय के लिए कार्य नहीं करता वह संपूर्ण हिंदू समाज को स्वावलंबी स्वाभिमानी और समरस बनाने के लिए कार्यरत है। ये विचार आज गांव ढाढोत और बलाना में संघ द्वारा आयोजित परिचय वर्गों को संबोधित करते हुए नगर संघचालक मनोहर लाल ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संघ के कार्यक्रमों में स्वयंसेवकों के मनों से जातिवाद, छुआछूत , छोटे बड़े आदि के भेदभाव को दूर करते हुए समस्त हिंदू समाज एक है यह भाव सबके मन में भरा जाता है संघ स्थान पर स्वयंसेवकों को संस्कार दिए जाते हैं जिससे वह समाज में परिवर्तन कर सके संघ चाहता है की संपूर्ण समाज एकरस एकात्म और चरित्र संपन्न हो संघ के इस प्रयास से लोगों में सहजता से परिवर्तन भी हो रहा है मनोहर ने कहा कि समाज में अनेक अंग कार्यरत हैं हमारा प्रयास है कि वह सब समृद्ध राष्ट्र जीवन के लिए प्रयत्न करें औद्योगिक सांस्कृतिक आर्थिक राजनीतिक शैक्षिक जिस भी क्षेत्र में व्यक्ति कार्य करें। राष्ट्रहित के उसके लिए सर्वोपरि हो यही संघ का मूल है और संघ संपूर्ण हिंदू समाज का संगठन चाहता है उन्होंने कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र है, हिंदू राष्ट्रवाद यानी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हिंदू राष्ट्र का सिद्धांत निर्विवाद रूप से सब क्षेत्रों में स्थापित हो यह संघ की इच्छा है और इसके लिए संघ कार्यरत है इस अवसर पर भिवानी विभाग के विभाग प्रचार प्रमुख कैलाश पाली विशेष रूप से उपस्थित रहे। जहां ग्राम ढाढोत मे नवीन डागर ने परिचय वर्ग संयोजक की भूमिका निभाई तो बलाना में युवा नर दीप इस कार्यक्रम के संयोजक रहे आज के कार्यक्रम में प्रदीप कुमार गजराज, बाक्सर विक्रम, तेजपाल, परमजीत, राकेश, सुरेश, संदीप, कुलबीर, महेश, चरण सिंह, सचिन, सूरत सिंह, रामफल, चंदा राम, कमल, अमर सिंह, दिलबाग सिंह, राम हैप्पी, भावेश, ध्रुव, आदि उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 06: ढ़ाढोत में एकता की रै्रली निकालते हुए आरएसएस पदाधिकारी।
कनीना उपमंडल के लड़की हुई गायब
-गुमशुदगी का मामला हुआ दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव से 12 क्लास पढ़ी हुई लड़की घर से बिना बताए गायब हो गई। पीडि़त लड़की के पिता ने कनीना पुलिस में दी शिकायत में कहा है कि उसके दो लड़के और 2 लड़कियां है। लड़की बिना बताए घर से कहीं चली गई है, जिसकी तलाश की किंतु कहीं नहीं मिली। उसकी तलाश जाए। पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया है।
कट की मांग को लेकर 89वें दिन जारी रहा धरना
-कट शुरू न किये जाने का है रोष
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव बाघोत एवं सेहलंग के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग पर कट की मांग को लेकर क्षेत्र के ग्रामीण विगत 89 दिनों से धरने पर बैठे हैं। धरने की अध्यक्षता मास्टर विजय पाल सेहलंग ने की।
धरना कमेटी के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन नौताना ने बताया कि धरने को 89 दिन हो गए है। उनकी मांग को पूरा न किये जाने का लोगों में आक्रोश है, धरना शांतिपूर्वक चल रहा है। सरकार ने बाघोत -सेहलंग कट के लिए अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
संघर्ष समिति के संयोजक आचार्य मक्खन लाल बसई ने बताया कि तीन दर्जन गांवों के लिए बाघोत -सेहलंग कट बहुत जरूरी है। गांवों के विकास के लिए यह कट कारगर साबित होगा। शिक्षा के क्षेत्र में, रोजगार के क्षेत्र में, उद्योगों के क्षेत्र में और आपसी तालमेल के क्षेत्र में कट की बहुत बड़ी अहमियत होगी। ऐसे में इस कट को अविलंब बनाया जाए।
धरने की अध्यक्षता कर रहे पूर्व प्रवक्ता विजयपाल सेहलंगिया ने कहा कि कितने ही नेता, विधायक, सांसद, मंत्री एवं गणमान्य जन समय समय पर यहां आये, धरने का समर्थन भी दिया किंतु आश्वासन के बावजूद भी कट का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया है। क्षेत्र के लोग अपी मांग को लेकर लगातार धरने पर बैठे हैं।
इस मौके पर राम भक्त, चंद्रभान, राष्ट्रपाल, मास्टर धर्मपाल सिंह सेहलंग,पहलवान रणधीर सिंह, प्रधान कृष्ण, नंबरदार लोकेंद्र, ठेकेदार शेर सिंह, नरेंद्र शास्त्री, प्यारेलाल, बाबूराम, भाग मल , दाताराम, , सीताराम, पवन, रघुवीर पंच , सरपंच सतवीर, हंस कुमार, मातादीन पंच, धर्मपाल, वेद, डॉ लक्ष्मण सहित गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 03: कट की मांग को लेकर धरने पर बैठे लोग।
हृदय, नेत्र रोग एवं सामान्य रोग चिकित्सा का 63वां शिविर 11 जून को
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कनीना की आवाज। कनीना अनाज मंडी स्थित लाला शिवलाल धर्मशाला में सेवा भारती हरियाणा प्रदेश शाखा कनीना की ओर से 63वां हृदय, नेत्र रोग, जांच एवं परामर्श शिविर 11 जून को आयोजित किया जाएगा। इस मौके डा अश्विनी यादव हृदय रोग तथा डा. सोनू नेत्र रोग विशेषज्ञ उपस्थित रहेंगे।
विस्तृत जानकारी देते हुए सेवा भारती के योगेश अग्रवाल ने बताया कि इस मौके पर इसीजी, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर एवं बीपी आदि की जांच की जाएगी। वही हृदय रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ एवं सामान्य रोग विशेषज्ञ उपलब्ध रहेंगे। उल्लेखनीय की लंबे समय से सेवा भारती की ओर से इस प्रकार के कैंप आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 62 निशुल्क शिविर आयोजित किए जा चुके हैं जिसमें हजारों लोगों ने लाभ उठा लिया है। उन्होंने बताया कि सेवा भारती लगातार जन सेवा में जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि प्राय हृदय रोगों की जांच उन लोगों को करवानी चाहिए जिनकी सांस फूलती हो, अत्यधिक मोटापा, अत्यधिक पसीना आता हो, उम्र 40 वर्ष से अधिक हो, तंबाकू-धूम्रपान सेवन करने वाले, रक्तचाप से पीडि़त, अत्यधिक घबराहट बेचैनी, हृदय संबंधित पारिवारिक रोग प्रवृत्ति, आलसी जीवन शैली वाले जरूर इस शिविर का में जांच करवाएं। उन्होंने बताया कि यह शिविर हर माह के दूसरे रविवार को आयोजित होता है।
उन्होंने बताया कि सेवा भारती की शाखा कनीना के सौजन्य में आर्य समाज मंदिर में प्रतिदिन शाम 4 से 5:30 बजे तक निशुल्क प्राथमिक चिकित्सा केंद्र व महिला सिलाई केंद्र चलता है।
रिस्पांसिबल सिटी बनाने के लिए खरीदे गए लाखों रुपये के ई-टायलेट ने एक दिन भी नहीं किया काम
-5 वर्ष बीत जाने पर भी खड़े हैं सफेद हाथी की तरह
- हर गली चौराहे पर होती हैं चर्चाएं
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कनीना की आवाज। यूं तो कनीना को रिस्पांसिबल सिटी बनाने में 2018 में सार्थक प्रयास किए गए थे तथा कनीना को ई-टायलेट, इको फ्रेंडली टायलेट तथा आधुनिक दर्जे के डस्टबिन लगाकर कनीना को साफ सुथरा बनाने का प्रयास किया गया था जिसके चलते इसका नाम क्लीन सिटी भी रखा गया था। परंतु कनीना को रिस्पांसिबिलिटी बनाने के लिए लाखों रुपए के खरीदे गए ई-टायलेट खरीदे जाने के बाद से आज तक बंद पड़े हैं। कनीना के विभिन्न स्थानों पर ई टायलेट तथा इको फ्रेंडली टायलेट लगे हैं जिनकी संख्या 12 हैं, ये इस बात को सोच कर कि आम आदमी और राहगीरों को लाभ होगा, स्थापित तो कर दिये किंतु आज तक इनके ऊपर न तो पानी की टंकी रखी गई है और न ही बिजली के कनेक्शन से जुड़े हुए हैं।
हकीकत यह है कि ई-टायलेट को लगातार बिजली आपूर्ति की जरूरत होती है। अत्याधुनिक की टायलेट बड़े-बड़े शहरों में काम आ सकते हैं प्रत्येक ई-टायलेट की कीमत करीब 5 लाख रुपये है। अकेले कनीना में ही ई-टायलेट खरीदे गए थे। ऐसे टायलेट शायद हरियाणा में कहीं नहीं मिलेंगे। इसी प्रकार की करीब 25 लाख रुपये की शवदाह मशीन खरीद कर स्थापित की गई किंतु चार वर्षों तक खड़ी रही। आखिरकार कनीना क्षेत्र के युवा इंजीनियरों ने इसे शुरू कर दिया है किंतु इसको साल में दो-तीन शवों को ही जलाने में काम में ले रहे हें।
ई-टायलेट की सबसे बड़ी खूबी है कि जब तक अंदर कोई व्यक्ति होगा तब तक दूसरा व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता। इसमें सेंसर लगे होते हैं, जब कोई नहीं अंदर कोई नहीं होगा तो दूसरे व्यक्ति के लिए द्वार खुल पाएगा। आश्चर्य है कि करीब तीस लाख रुपये की लागत से बनाए गए थे ई-टायलेट आज तक नकारा पड़े हैं।
बार-बार उठती रही है अंगुली-
वर्ष 2018 में तत्कालीन एसडीएम संदीप सिंह के वक्त कनीना को साफ सुथरा रिस्पांसिबल सिटी बनाने के लिए 6 ई- टायलेट और 6 इको फ्रेंडली टायलेट खरीदे गए थे और कनीना के विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए गए थे जो आज भी खड़े हुए हैं। ई-टॉयलेट पर इतनी भारी-भरकम राशि खर्च करके भी एक दिन भी काम नहीं करना भ्रष्टाचार को इंगित करता है। आखिरकार जब काम नहीं आने थे, जिनके लिए लगातार बिजली आपूर्ति और पानी आपूर्ति की जरूरत होती है क्यों खरीदे गए? खरीदे भी गए तो इनको कम से कम एक बार शुरू करवाना चाहिए था ताकि कनीनावासियों के खर्च किये गये 30 लाख रुपये का एक बार तो आनंद मिलता। ई-टायलेट से अब जगह स्थायी रूप से रुक गई है वही इनको देखकर आम आदमी के दिमाग में एक ही बात उठती है कि आखिर टॉयलेट क्यों खरीदे गए थे? एसडीएम की अच्छी सोच ही कनीना के लिए बेकार साबित हुई।
कनीना मंडी के शिव कुमार अग्रवाल ने बार-बार रेलवे स्टेशन के पास खड़े किए गए ई-टायलेट के ताला हटवाने की मांग की है। आरटीआई भी लगाई है किंतु परिणाम सुनने रहा क्योंकि इस टायलेट ने एक दिन भी काम नहीं किया। शिव कुमार अग्रवाल ने बताया कि राशि खर्च करके भी ये ई- टायलेट कोई काम नहीं आए। यही वजह है कि बार-बार पत्र भेजकर आरटीआई से जवाब मांगा परंतु आज तक ताला लगा हुआ ई-टॉयलेट खड़ा हुआ है।
उधर उधर प्रदीप कुमार भडफ़ निवासी ने बताया की ई-टायलेट को लेकर बार-बार विधायक और एसडीएम से मिले हैं। आरटीआई के जरिये भी जानकारी मिली है। उनका कहना है कि ई-टायलेट एवं फ्रेंडली टायलेट पर 49 लाख रुपये के करीब खर्च आया किंतु काम नहीं आये। उनका कहना है कि ई-टायलेट की अलग-अलग राशि पेमेंट के रूप में की गई है। प्रदीप कुमार बार-बार उच्च अधिकारियों से इस संबंध में मिले हैं और इनको शुरू करवाने की भी गुहार लगा चुके हैं किंतु 5 वर्ष बीत चुके हैं किंतु अभी अभी तक ये शुरू नहीं हो पाए हैं और ना ही भविष्य में शुरू होने की संभावना है। यही कारण है कि अब इन पर भ्रष्टाचार की बू स्पष्ट नजर आने लगी है। जब कनीना वासियों के लिए जहां सामान्य टायलेट होने चाहिए वहां इतने हाई दर्जे के टायलेट आखिरकार क्यों खरीदे गए?
कनीना में 6 इको फ्रेंडली टॉयलेट भी लगे हैं। 6 इको फ्रेंडली टायलेट भी वर्ष 2018 में ई-टायलेट के साथ ही लगाए गए थे जिनमें से दो उखड़ भी चुके हैं। वही इको फ्रेंडली टायलेट अधिक कारगर नहीं है। प्रत्येक की कीमत करीब एक लाख रुपये है। इनमें लघुशंका के बाद हाथ साफ करने के लिए पानी तक का भी प्रावधान नहीं किया है। बहुत कम लोग इनका उपयोग कर रहे हैं और बार-बार यही चर्चा उठे हो रही है कि आखिरकार इको फ्रेंडली टॉयलेट की बजाए सामान्य टायलेट बना दिए जाते तो इतना ही खर्चा नहीं आता और अधिक कारगर साबित होते। वर्तमान में इको फ्रेंडली टॉयलेट नकारा बने हुए हैं। इनसे बदबू फैलती रहती है।
क्या करते पालिका प्रधान -कनीना पालिका प्रधान सतीश जेलदार ने बताया कि उनके कार्यकाल शुरू होने से पहले ये खरीदे जा चुके थे। इनको ठीक करवाने के लिए नगरपालिका के इलेक्ट्रीशियन विद्यानंद को भी कहा गया। उन्होंने भी प्रयास किया, कई बार उच्चाधिकारियों को भी इस संबंध में पत्र लिखे किंतु परिणाम शून्य रहा है। उनका भी मानना है कि ये ई-टायलेट आज तक एक दिन भी काम नहीं आये हैं और यह कनीना के लिए नुकसानदायक साबित हुये है। 30 लाख के करीब अकेले ही ई-टॉयलेट पर खर्च हुये हैं। उनका कहना है कि बार-बार इनका ठीक करवाने का प्रयास किया उनके मैकेनिक भी दिल्ली से आते थे परंतु उन्होंने भी इनको ठीक नहीं कर पाये।
एसडीएम पर टिकी है नजरें-
14 जून के बाद एसडीएम कनीना सुरेंद्र सिंह कनीना प्रशासनिक तौर पर कार्य करेंगे। अब उन पर कनीनावासियों की नजरें टिकी है। उन्हें विश्वास है कि ई-टॉयलेट उनके जरिए ठीक हो पाएंगे। यदि ऐसा हो पाता है तो विशेषकर महिलाओं को तथा राहगीरों को जन सुविधा उपलब्ध हो पाएगी। यह भी कि माना जा रहा है कि प्रशासनिक अधिकारी एसडीएम की देखरेख में भारी विकास कार्य कनीना में हो पाएंगे। वैसे भी अभी तक कनीना में विकास कार्यों के लिए 10.5 करोड़ रुपये पहले से ही आये हुए हैं।
कहां से खरीदे गये थे ई-टॉयलेट -
ये ई-टायलेट केरल की एक कंपनी द्वारा सप्लाई किए हुए है। अधिकांश की टॉयलेट जनवरी 2018 से अप्रैल 2018 तक खरीदे हुए हैं।
कहां कहां स्थापित हें-
ई-टायलेट कनीना में बीडीपीओ कार्यालय, पुलिस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, पशु अस्पताल, उप नागरिक अस्पताल समक्ष आदि स्थानों पर खड़े हुये हैं।
फोटो कैप्शन 01: इको फ्रेंडली टायलेट
02: ई-टायलेट कनीना में स्थापित।
साथ में पालिका प्रधान सतीश जेलदार
पालिका चुनावों को लेकर एक बार फिर हो गये जन मौन
- चुनाव 2024 में होने की संभावना
-पालिका के बनने वाले 14वें वार्ड पर टिकी हें नजरें
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कनीना की आवाज। पालिका प्रधान पद पर टिकी हैं सभी की नजरें। महिला और पुरुष प्रधान पद के आतुर हैं। पार्षद पद के हैं कम दावेदार हैं। पालिका के चुनाव वर्ष 2024 में होने की संभावना है।
चुनाव लडऩा चाहने वाले लोग किसी प्रकार पीछे हटने वाले नहीं। यदि प्रधान पद के लिए उनके परिवार से वो स्वयं या परिवार से महिला आदि चुनाव लड़ सकते हैं। वैसे भी पार्षद पद के लिए चुनाव लडऩे वाले अभी तक बहुत कम लोग आगे आ रहे हैं क्योंकि प्रधान की शक्ति इस बार अधिक हो गई है, उसका चुनाव सीधा होने की वजह से उसे पार्षदों का काम कम हो गया है भविष्य में प्रधान बनने के बाद किसी प्रस्ताव को पारित करते समय इन पार्षदों की जरूरत हो सकती है। ऐसे में बड़ा और सशक्त पद प्रधान का बना दिया गया है जिसको लेकर के दर्जनों लोग तैयार हैं। यह सत्य है कि चुनाव लडऩे वाले अब अपनी मां, बहन, बेटी या पत्नी को चुनाव लड़ा सकते हैं, स्वयं भी पार्षद पद के लिए चुनाव लडऩे के लिए तैयार हो रहे हैं। कनीना के पार्षद पद के लिए चुनाव लडऩे वाले महेश बोहरा एक है। उनके पिता राव सत्यवीर बोहरा भी पार्षद रह चुके हैं। अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए पार्षद पद के चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं क्योंकि उन्होंने तो कभी से ही पार्षद पद के की घोषणा की है और पालिका प्रधान बनने की इच्छा नहीं रही की? विजय चेयरमैन भी पार्षद पद के चुनावों के लिए तैयार हैं। बहरहाल अभी चुनाव होते नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि जून महीना बाकी है। यदि चुनाव दिसंबर 2023 तक होने की संभावना है। अब सभी की नजरें इन चुनावों पर टिकी हुई हैं।
कनीना नगर पालिका चुनावों पर टिकी हैं नजरें---
कनीना पालिका 1952 से चली आ रही है। कनीना नगर पालिका के समय-समय पर अनेक प्रधान रह चुके हैं। सबसे अधिक समय तक पूर्व प्रधान मा. दलीप सिंह एवं उनके पिता स्व. चौ. बलबीर सिंह पालिका में प्रधान रह चुके हैं।
इस बार पालिका प्रधान के चुनाव सीधे होने हैं। अब तक पालिका प्रधान बनते आए वह किसी के रहमों करम पर होते थे या पार्षदों पर निर्भर रहे हैं। सभी की नजरें चुनाव पर टिकी हुई है और बेहतर से बेहतर प्रत्याशी ढूंढने की तैयारियों में जुटे हुये हैं।
चुनाव लडऩे के दावेदार-
अभी तक पार्षद के चुनाव के लिए
1. महेश बोहरा दावेदारी जता रहे हैं। उधर
2. वार्ड चार से योगेश कुमार
3. वार्ड एक से विजय चेयरमैन चुनाव लड़ेंगे। इस बार चेयरमैन पद का चुनाव डायरेक्ट होगा। जिसके चलते इस बार चेयरमैन पद के लिए अधिक लोग तैयारी में जुटे हुए हैं।
प्रधान पद के लिए दावेदार--
1.कनीना के सज्जन सिंह बोहरा
2. कनीना के वर्तमान चेयरमैन सतीश जेलदार के पुत्र प्रीतम जोनू
3. मनोज कुमार रोहिल्ला वरिष्ठ पत्रकार
4. कनीना के वार्ड 12 का निवासी अमित नंबरदार
5. वार्ड 3 के निवासी राज सिंह
6. पूर्व प्रधान मा. दिलीप सिंह या उनके पुत्र दीपक चौधरी
7. पूर्व प्रधान राजेंद्र सिंह लोढ़ा
8. एडवोकेट विनय यादव, एडवोकेट पंकज यादव, वर्तमान में
9. उप प्रधान पद पर आसीन अशोक ठेकेदार, मनीष पार्षद
10. सुमेर सिंह मैनेजर
बढऩे लगी है चुनावी चर्चाएं ---
दुकान हो या कोई चाय की दुकान, चुनावी चर्चा मिलने लगी है। विशेषकर जब से मतदाता सूचियों का प्रकाशन हुआ है तब से चुनावी गर्मी बढ़ती ही जा रही है। रातोंरात पार्षद और प्रधान पद के दावेदार ढूंढे जा रहे हैं। क्योंकि बहुत से लोग तो चुनाव तो लडऩा चाहते हैं किंतु आगे नहीं आना चाहते हैं वो ऐन मौके पर आगे आएंगे। ऐसे में चुनाव लडऩे वाले अंदर खाते मतदाताओं के मन को टटोल रहे हैं।
गर्मी और चुनावी गर्मी साथ--
एक और जहां गर्मी बढ़ती जा रही है वहीं चुनावी चर्चा बढऩे लगी है। कुछ तो ऐसे भी संभावित प्रत्याशी हंै जो किसी का आशीर्वाद पाने की चाहत लिए बैठे हैं तो कोई चुनाव लडऩे का इच्छुक किसी मंत्री, संतरी और सत्तापार्टी के नेताओं से आशीर्वाद पाकर वोट पाने के जुगाड़ में है। रातोंरात समीकरण बदल रहे हैं।
प्रधान पद जीतना तलवार की धार---
इस बार चुनाव जीतना आसान नजर नहीं आता। क्योंकि अब तक पार्षदों के सहारे नैया पार होती रही है किंतु इस बार प्रधान को पार्षद नहीं बनाएंगे। उन्हें तो सीधे ही वोट मिलेंगे।
समय लग सकता है चुनाव होने में-
नगर पालिका के चुनाव लडऩे वाले अंदर खाते मतदाताओं के मन को टटोल रहे हैं। यदि मतदाता उनको अच्छा रिस्पांस देते हैं तो भी अपने उम्मीदवारी पक्की समझ रहे हैं। अभी से ही मतदाताओं से वोट देने की हां या ना करवा रहे हैं। चुनावों में लग सकता है समय। ऐसे भी कहते सुने हैं कि मेरे लिए प्रधान पद के वोट दिलवा दो मैं तुम्हें पार्षद या तुम्हारे द्वारा अनुमोदित पार्षद को अपने क्षेत्र के वोट दिलवा दूंगा। तेजी से आपसी गठबंधन बनता जा रहा है और रातों-रात चुनाव लडऩे वाले आगे आ रहे हैं। 14 वार्डों में 14 पार्षद चुने जाने है लेकिन कुछ वार्डों में चुनाव लडऩे वाले मौन नजर आ रहे हैं।
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