Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**: August 2023

Thursday, August 31, 2023

 
सीताराम विधायक के नेतृत्व में लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए आयोजित किया गया कैंप
-करीब 250 लोग अपनी समस्यों के समाधान के लिए पहुंचे कैंप
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कनीना की आवाज। कनीना कस्बे के नगरपालिका कार्यालय में गुरुवार को हलका विधायक सीताराम यादव द्वारा लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए कैंप का आयोजन किया जाएगा। जिसमें कस्बे के लोगों की वृद्धा अवस्था पेंशन, बीपीएल कार्ड, चिरायु कार्ड एवं परिवार पहचान पत्र में आय दुरुस्त करवाने संबंधित सभी समस्याओं का समाधान किया गया। कैंप के हलका विधायक सीताराम यादव के साथ प्रदेश कोर्डिनेटर पीपीपी सतीश खोला व उनकी टीम मौके पर उपस्थित रही। कैंप में कस्बे के करीब 250 लोग अपनी समस्याओं को लेकर नगरपालिका कार्यालय में पहुंचे। जहां पर टीम के सदस्यों ने करीब 226 लोगों की समस्याओं का मौके पर ही समाधान कर दिया गया। वहीं बचे हुए लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए चार टीमों का गठन किया गया है। जो जल्द ही बाकी के लोगों की समस्याओं का समाधान करेगी। कैंप के दौरान पीपीपी के प्रदेश कोर्डिनेटर सतीश खोला ने बताया कि हलका विधायक सीताराम यादव के आग्रह पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के दिखा निर्देशानुसार कस्बे मे कैंप का आयोजन किया गया है। जिसमें लोगों की फैमिली आईडी, पेंशन जैसी समस्याओं का समाधान किया गया है वहीं लोगों को अपनी शिकायत के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने की बजाए सीएससी केन्द्र या स्वयं ऑनलाइन करने की सलाह दी ताकि उनकी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान किया जा सके। वहीं उन्होंने बताया कि आज जो लोग कैंप में किसी कारण वश नहीं पहुंच सके है वे सभी बनाई गई टीम को अपनी समस्या से अवगत करवाए ताकि उनकी समस्या का समाधान भी किया जा सके। हलका विधायक सीताराम यादव ने कहा कि कस्बे के लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी से परेशान नहीं होने दिया जाएगा। भविष्य में भी वे लोगों के समस्याओं के समाधान के लिए इस प्रकार कैंप आयोजित करवाते रहेंगे। ताकि लोगों की समस्याओं का मौके पर ही निपटान किया जा सके। कैंप के दौरान अनेक गणमान्य लोग व पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 10: कैंप में लोगों की समस्याएं सुनते हलका विधायक व टीम के सदस्य







शहीद अशोक कुमार स्मारक सिहोर पर विद्यार्थियों ने चलाया सफाई अभियान  
--राजकीय उच्च विद्यालय सीहोर के विद्यार्थियों ने किया श्रमदान
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कनीना की आवाज। गुरुवार को स्वच्छता अभियान के तहत राजकीय उच्च विद्यालय सीहोर के विद्यार्थियों ने शहीद समार्क स्वच्छता अभियान चला कर स्वच्छता का संदेश दिया। विद्यालय के मुख्य अध्यापक हरीश कुमार ने बताया कि सुबह करीब साढ़े 9 बजे राजकीय उच्च विद्यालय सीहोर के विद्यार्थियों ने शहीद अशोक कुमार स्मारक स्थल पर पहुंचकर परिसर में उगी घास की फावड़े से सफाई की। इस दौरान परिसर में मौजूद कचरे को झाड़ू से भी साफ किया गया। मुख्य अध्यापक हरीश कुमार ने कहा कि घरों को साफ सुथरा रखने के साथ ही सार्वजनिक स्थानों की सफाई पर भी ध्यान दें।
स्वच्छ भारत का सपना साकार करने में सभी को अग्रणी भूमिका निभानी होगी। सरकार की ओर से भी सकारात्मक सहयोग मिल रहा है। हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है कि दो अक्टूबर को गांधी जयंती से पहले प्रत्येक सार्वजनिक स्थल साफ व निर्मल कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दें। स्कूल के पीटीआई विक्रम सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय व्यापारियों व ग्रामीणों से स्वच्छता के प्रति जागरूक होने अपील की। उन्होंने कहा कि सड़क पर कूड़ा फेंकने की बजाय वे अपने-अपने प्रतिष्ठानों पर डस्टबिन रखें। सफाई अभियान के बाद में सभी ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की।
फोटो कैप्शन11: शहीद अशोक कुमार स्मारक पर साफ सफाई करते हुए विद्यार्थी।










करीब 4 माह बाद हुआ मार पिटाई का मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। करीब 5 माह पहले की गई मारपीट का मामला अब कनीना पुलिस ने दर्ज किया है। विजय कुमार प्रथम निवासी के बयान पर यह मामला दर्ज हुआ है।
 पुलिस में दी शिकायत में विजय कुमार ने कहा है कि वह कनीना कोर्ट में वकील के मुंशी के रूप में कार्य करता है। 5 मई को करीब 2 बजे बाथरूम के लिए जा रहा था तो उसका पीछा राजीव नामक व्यक्ति ने किया। उसका गला पड़कर नीचे गिरा दिया, मारने लगा। शोर शोर सुनकर नरेंद्र कुमार वकील तथा जितेंद्र वकील पहुंचे और छुड़वाया। उसके बाद भी गाली गलौज देता रहा। बाथरूम से जब वापस आया फिर से पड़कर मार पिटाई की। जान से मारने की नीयत से अपनी गाड़ी में से रोड निकालकर चोट प्रहार किया। आवाज सुनकर मानपुर से टाइपिंग का काम करने वाला श्यामसुंदर तुरंत सरकारी अस्पताल ले गया जहां प्राथमिक उपचार करके पीजीआइएमएस रोहतक रेफर कर दिया।  फोन करके उपचार के लिए अपनी पत्नी से 5000  रुपये रोहतक के लिए मंगवाएं। उसके बाद पीजीआई में से रोहतक भर्ती करवाया जहां सीटी स्कैन करवाया गया। उन्होंने पुलिस में कहा कि 9 अक्टूबर 2022 को भी राजीव ने उनके साथ मार पिटाई की थी और जान से मारने की धमकी दी थी। जान माल का खतरा बताते हुए उन्होंने सख्त कार्रवाई करने की मांग की परंतु रोहतक से मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद अब एक व्यक्ति के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है।








समस्या बनता जा रहा है पोलीथिन का प्रयोग
-सैकड़ों वर्षों तक नहीं होती खत्म
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कनीना की आवाज। पोलीथिन समस्या बनता जा रहा है। वर्षों तक भी पोलीथिन धरती से नष्ट नहीं होती हैं और जोहड़, तालाब, नहर एवं पानी के अन्य स्रोतों को तो खराब करती ही हैं वहीं गायों की मौत एवं वायु प्रदूषण में इनका अहं योगदान रहा है।
  एक अनुमान के अनुसार पूरे देश में प्रति व्यक्ति पोलीथिन प्रयोग करने की क्षमता बढ़कर करीब 3.5 किग्रा पहुंच चुकी है। विगत दो दशकों में तो इसका प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है। सूक्ष्म जीव खाकर इनको मिट्टी का अवयव नहीं बना सकते हैं और ऐसे में समस्या बनकर उभर रही हैं। सरकार ने विगत समय में जन जागरूकता का अभियान छेड़ा गांवों और शहरों में दुकानदारों पर जुर्माना किया गया किंतु आंशिक सफलता से अधिक कुछ नहीं हुआ।
सामान्यत: एक दुकानदार से चलकर यह घर के कूड़े कचरे से होता हुआ पानी तक चला जाता है। यहां तक की नहरों एवं बारिश के द्वारा बहकर समुद्रों तक चला जाता है। समुद्री जीवों के लिए तथा धरती पर पड़ा होने पर मुख्यत: गायों के पेट में जाकर उनके पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। मौत का कारण भी बनता है। गांवों के जोहड़, खेतों में पुराने घरों में, कुरडी में तथा घरों के आस पास बस बहुरंगी पोलीथिन ही दिखाई पड़ती है। प्रशासन कभी कभार पोलीथिन रोकने के लिए अभियान चलाता है किंतु फिर चुप्पी साध लेता है।
पोलीथिन प्रयोग करने के पीछे सामान खरीद कर लाने वालों का आलस्य प्रमुख रूप से काम करता है। आसानी से उपलब्ध एवं वजन में सबसे हल्की होने के कारण इसका प्रयोग बढ़ता ही जा रहा है। सब्जी हो या घरेलू सामान, पानी हो या भोजन के पैकेट, मिठाई हो या अन्य सामान बस पोलीथिन ही प्रयोग किया जाता है। शौच को जाने वाले बोतल की बजाय इसे ही प्रयोग करने लग गए।
पर्यावरण को बचाने के लिए मुहिम छेडऩे वाले रवींद्र कुमार का कहना है कि ये पोलीथिन जलाने से वायु बहुत अधिक दूषित होती है और कार्बन डाइआक्साइड बढ़ जाती है वहीं धरती पर सैकड़ों वर्षों तक पड़ी रहकर भी नही गल पाती वहीं पानी में सैकड़ों वर्षों तक भी नहीं गल पाती है। प्रतिवर्ष हजारों गाए भारत में इनको खाने से मर जाती हैं। । एकमात्र सूझबूझ से काम लेने व जागरूकता से ही इनका प्रयोग धीरे-धीरे कम किया जा सकता है। उपभोक्ताओं का कहना है कि सरकार ने कोई ठोस कदम इस क्षेत्र में नहीं उठाए हैं। अगर पोलीथिन की फैक्ट्रियों पर ही प्रतिबंध लगा दिया जाए तो कैसे इनका प्रचलन होगा।
फोटो कैप्शन 09: पोलीथिन से अटा पड़ा नाला।






धरने के 172 दिन बीत जाने के बाद भी कट का काम नहीं हुआ शुरू, रोष
-कट का मिला हुआ है आश्वासन
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए ग्रामीण 172 दिनों से लगातार धरने पर बैठे हैं। आश्वासन तो कई बार मिल चुके हैं  किंतु कट का निर्माण कार्य शुरू नहीं होने से रोष पनप रहा है। ग्रामीण शांतभाव से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। गुरुवार को धरने की अध्यक्षता नरेंद्र कुमार शास्त्री- छिथरौली ने की और उन्होंने कहा केंद्र सरकार बुजुर्गों के दर्द को समझे और जितना जल्दी हो सके राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू करवाएं।
 धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन  ने बताया कि धरने को चलते 172 दिन हो गए हैं और करीब 50 गांवों के लोग परेशान हंै। लोगों में आक्रोश है कि अब तक केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम शुरू नहीं करवाया है। उन्होंने धरना देने वालों से धैर्य बरतने की बात कही और कहा कि सब्र का फल मीठा होता है। इंतजार करना चाहिए ताकि यह कमा सिरे चढ़ पाए।
 विनोद कुमार टाटा धानिया और कपिल राय सेहलंग, धरना स्थल पर पहुंचे और उन्होंने बताया कि यह कट बनेगा, आपकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी । उन्होंने तन- मन -धन से साथ देने का वादा किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार  को राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट का काम प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए। धरने पर बुजुर्ग बैठे हैं, काम न होने पर उन्हें बुरा लगता है, मांग जायज है, इस कट के काम को शुरू करने में सभी को फायदा ही होगा।
 संघर्ष समिति के सदस्य चेयरमैन सतपाल यादव पोता और मास्टर विजय सिंह सेहलंग ने बताया कि केंद्र सरकार को राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट बनवाने के काम में देरी नहीं करनी चाहिएढ्ढ कट बनने के बाद नारनौल और चंडीगढ़ से आने जाने के कारण सीधे संपर्क बन जाएंगे ढ्ढ सर्विस, शिक्षा और उद्योग करने वालों के लिए बहुत आसान हो जाएगा ढ्ढ
उन्होंने कहा कि बाघेश्वर धाम में बाबा शिव भोले का बहुत पुराना मंदिर है। करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु देश और विदेशों से बाबा शिव भोले के दर्शन करने के लिए बाघेश्वर धाम पहुंचते हैं।शिव मंदिर की दूरी राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी से लगभग डेढ़ किलोमीटर है। बाघेश्वर धाम धार्मिक स्थल होने के नाते यह कट बनना बहुत जरूरी है।
इस मौके पर पहलवान रणधीर सिंह बाघोत ,डा. लक्ष्मण सिंह, पहलवान धर्मपाल यादव सेहलंग ने बताया मास्टर विजयपाल, सरपंच हरिओम पोता, सरपंच वीरपाल स्याना, पूर्व सरपंच सतवीर सिंह नौसवा, पूर्व उपसरपंच हंसराज, सूबेदार बलबीर सिंह, अशोक चौहान, सतनारायण साहब, बाबूलाल, ओमप्रकाश,प्रधान कृष्ण कुमार, सूबेदार हेमराज, सत्यप्रकाश,कुलदीप शर्मा,मास्टर धर्मपाल, कृष्ण कुमार  पंच, राम भक्त, सुरेंद्र सिंह, रोशन लाल मुंशी राम,शेर सिंह,विजय सिंह बाजे भक्त, प्यारेलाल,मनोज कुमार करीरा, दाताराम, सीताराम,सुबे  सिंह पंच, वेद प्रकाश   व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 08: कट की मांग को लेकर धरने पर बैठे ग्रामीण।






दूसरे दिन भी मनाया गया रक्षा बंधन
-30 अगस्त को भी मनाया गया था पर्व
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कनीना की आवाज। रक्षाबंधन पर्व कनीना क्षेत्र में दो दिनों तक चला। 30 अगस्त को जहां रक्षाबंधन पर्व मनाया गया, हरियाणा सरकार ने इसी दिन कार्यालयों में अवकाश घोषित किया, महिलाओं के लिए बसों में मुफ्त सुविधा दी गई किंतु ज्योतिष शास्त्री 30 अगस्त की रात को तथा 31 अगस्त को सुबह रक्षाबंधन पर मनाए जाने की बात कह रहे थे, जिसके चलते 31 अगस्त को भी रक्षाबंधन मनाया गया। जो बहने अपने भाइयों के राखी नहीं बांध पाई अब उन्होंने 31 अगस्त को भी राखी बांधी।
 दुकानों पर भीड़ कम रही किंतु सड़कों पर आवागमन जमकर हुआ। विगत दिनों से महिलाएं आनलाइन राखियां भेज रही है जिसके चलते दुकानदारों के पास बिक्री घट गई है। यद्यपि कनीना बाजार में काफी भीड़ आवागमन की दिनभर होती रही किंतु राखी खरीदने वाली महिलाएं इक्का दुक्का ही कहीं नजर आती है जिसके चलते राखी बेचने वाले भी अब परेशान नजर आये।
कनीना के महेश बोहरा, कुलदीप कुमार, रवि कुमार, महेंद्र शर्मा आदि ने बताया कि इस बार आनलाइन राखी खरीद कर आनलाइन ही दिए गए पत्ते पर पहुंचने की कार्रवाई चल रही है जिसके चलते बहुत सी महिलाएं इस भाग दौड़ और भीड़ से बचने के लिए आनलाइन राखियां भेजती रही है। जिसके चलते राखी की दुकानों पर भीड़ कम रही है।
  बुजुर्गों को भी बांधी गई  राखियां-
 छोटे बच्चों को भी राखियां बांधी गई, वहीं बुजुर्गों को भी राखियां बांधती उनकी बहने दिखाई दी। कनीना में बुजुर्ग सुमेर सिंह मैनेजर कनीना को उसकी बुजुर्ग बहन ने राखी बांधकर खुशी जताई तथा लंबी आयु की कामना की। कनीना में शेर सिंह 87 वर्षीय बुजुर्ग को उसकी 90 वर्षीय बहन भगोती देवी ने राखी बांधकर प्रसन्नता व्यक्त की।
  फोटो कैप्शन 04: 90 वर्षय भगोती देवी अपने भाई को राखी बांधते हुए।
              05: सुमेर सिंह मैनेजर को राखी बांधती बुजुर्ग बहन






आज भी होती है अनेक पेड़ों की पूजा
-जन्माष्टमी पर पूजा जाती है जाटी
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कनीना की आवाज। इंसान का जीवन पेड़ों पर निर्भर है यही कारण है कि समय-समय पर पेड़ों की पूजा की जाती है। जन्माष्टमी पर भी दो पौधों की जिनमें गोगा तथा जाटी की पूजा की जाती है। वैसे तो पीपल, बरगद, तुलसी, आंवला आदि की समय-समय पर विशेष अवसरों पर पूजा की जाती है जो सिद्ध करती है कि इंसान के लिए पेड़ का बहुत महत्व रखते हैं। यहां तक की इंसान की जिंदगी ही पेड़ों पर निर्भर करती है। परंतु इंसान अपनी स्वार्थ के चलते पेड़ों की कटाई भी कर रहा है। किसी जमाने में सुख-दुख में काम आने वाली जाटी अब घटती जा रही है जिसकी जन्माष्टमी के दिन पूजा की जाती है और विशेष ढंग से उसे जल में प्रवाहित किया जाता है। जाटी के अलावा जहां आंवला एकादशी को आंवला पौधे की पूजा की जाती है तुलसी और पीपल की तो अक्षर ग्रामीण पूजा करते देखे गए हैं। लटजीरा जिसे गोगा नाम से जाना जाता है को जन्माष्टमी से अगले दिन पूजा जाता है। पेड़ पौधे सदा इंसान का साथ देते रहे हैं किंतु इंसान पेड़ों का साथ नहीं देता है। यही करने की पेड़ों को काटा जा रहा है।
वृक्ष माफिया गिरोह की नजर बड़े पेड़ों पर मिलती है। वे मालिक के पास जाकर पेड़ की कीमत लगाकर खरीद लेते हैं।
किसानों के यहां जाटी के पेड़ बहुत बड़े और मोटे आकार में मिलते थे किंतु धीरे-धीरे वे भी समाप्त हो गए हैं। कनीना क्षेत्र में पेड़ लगाने वालों में दीपचंद पहलवान उन्हानी के ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने कनीना के स्कूलों में भारी संख्या में पेड़ लगाए और आज भी बहुत बड़े बड़े वृक्ष बने हुए हैं। मंगल सिंह नगर पालिका कनीना में कार्यरत थे जिन्होंने पेड़ लगाकर वास्तव में बहुत नाम कमाया। जोहड़ों तालाबों और स्कूल श्मशान घाट आदि विभिन्न स्थानों पर पेड़ लगाने में अग्रणी रहे। दोनों आज इस दुनिया में नहीं है। उन्हाणी के जगमाल सिंह जिन्होंने पेड़ लगाने में बहुत नाम कमाया। युवा पीढ़ी में बहुत कम लोग पेड़ों को बचाने में आगे आ रहे हैं। मेघनवास के मनोज कुमार तथा रामबास के मनोज कुमार इसी लाइन में हाजिर है जो पेड़ों को लगाने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसी प्रकार मेघनवास के मनोज कुमार भी पेड़ लगाने की शृंखला में आगे है।
भडफ़ गांव के चंद्र सिंह 81 वर्षीय किंतु आज भी उनकी पेड़ों से संबंधित बातें सुनकर मन खुश हो जाता है। एक जमाने में चंद्र सिंह पशु पालने में अग्रणी नाम था। पशु खरीदने बेचने का भी लंबे समय तक उन्होंने काम किया। वे पशओं को पेड़ों की छांव में बांधते रहे हैं। उनका भी पेड़ लगाने से बड़ा शौक हैं। उनके घर के सामने खड़ा हुआ जाटी का विशालकाय पेड़ लोगों को आकर्षित कर रहा है। कनीना क्षेत्र में जहां पड़तल में बहुत पुराना जाटी का पेड़ देखने को मिल सकता है।  वही भडफ़ के इसके साथ इसके घर के सामने खड़ा जाटी का पेड़ पेड़ काटने वालों का एक वाक्या सुनाते हैं। वृक्ष माफिया गिरोह गत दिवस आया और कहा कि तुम्हारा यह जाटी का पेड़ बेच दो? उन्होंने कहा कि बिल्कुल बेच देंगे लेकिन अभी नहीं। वृक्ष माफिया ने पूछा तो कब आऊं?
उन्होंने कहा कि मेरी मौत का इंतजार करो तभी इस पेड़ को कोई बेच सकता है। उनकी बात सुनकर पेड़ माफिया गिरोह के सदस्य खड़े हुए। उन्होंने कहा कि अधिक जिद की तो पुलिस में पकड़वा दूंगा। इतना सुन वृक्ष माफिया गिरोह भाग खड़ा हुआ। इस प्रकार के लोगों की क्षेत्र में जरूरत है ताकि पेड़ पौधों को बचाया जा सके।
पड़तल में खड़ा है सैकड़ों वर्ष पुराना जाटी का पेड़-
पड़तल बस स्टैंड के पास एक ऊंचा जाटी का पेड़ अभी भी खड़ा है जिसकी ऊंचाई 50 से 60 फुट की है तथा इसके तने का व्यास करीब आठ फुट का है। किसान महिपाल सिंह, सूबे सिंह, राजकुमार आदि बताते हैं कि जाटी के पेड़ के नीचे फसल बेहतर होती है क्योंकि यह नाइट्रोजन खाद की पूर्ति करता है तथा इसके फल सांगरी भी सब्जी बनाने के काम आते हैं।
फोटो कैप्शन 06: भडफ़ गांव में जाटी के पेड़ नीचे खड़ा वृक्षमित्र चंद्र सिंह
            07: पड़तल में खड़ा जाटी का विशाल पेड़।








लोगों ने देखा सुपरमून
-अधिक चमक के साथ दिखाई दिया चांद
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कनीना की आवाज। 31 अगस्त की सुबह तक चांद फुल मून, सुपरमून और ब्लू मून तीनों एक साथ दिखाई दिया। भारत में 30 अगस्त की रात 9:30 बजे सुपर ब्लू मून दिखने लगा था जो 31 अगस्त की सुबह 7.30 बजे ये अपने पीक पर रहा। कनीना के लोगों ने यह नजारा अपनी आंखों से देखा। कनीना के दिनेश कुमार, सुरेश कुमार एवं महेश बोहरा ने बताया कि नजारा अति सुंदर था।
कारण--
पृथ्वी के चारों ओर चांद एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है।  जब चांद पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होता है तो उसे एपोजी कहते हैं। जब चांद पृथ्वी के सबसे करीब होता है तो, उसे पेरिजी कहते हैं।
अपोजी में धरती और चांद के बीच की दूरी करीब 4.05 लाख किलोमीटर होती है। पेरिजी में धरती से चांद की दूरी करीब 3.63 लाख किलोमीटर होती है।
सुपरमून के वक्त धरती से चांद 15 प्रतिशत ज्यादा बड़ा और 3़ प्रतिशत ज्यादा चमकदार दिखाई देता है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि चांद की ना ही साइज बदलती है और ना ही चमक। पर उस दिन वह धरती के पास होता है तो उसके बड़े और चमकदार होने का एहसास होता है। चांद का एक चक्कर 29.5 दिन की होती है। जब किसी एक कैलेंडर मंथ में दो बार पूर्णिमा पड़ जाए तो इसे ही ब्लू मून कहा जाता है। 31अगस्त तक फुल मून, सुपरमून और ब्लू मून तीनों पड़ रहे हैं, इसलिए इसे सुपर ब्लू मून कहा जा रहा है।
चूंकि इसी दिन सुपरमून भी है तो इस दिन चांद बड़ा और चमकदार दिखाई देगा, लेकिन नीला नहीं। सुपर ब्लू मून में चांद नीला नहीं होता, बल्कि ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखाई देता है।
सुपर ब्लू मून में चांद नीला नहीं होता, बल्कि ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखाई देता है। सुपर ब्लू मून देखने का सबसे सही समय सूर्यास्त के फौरन बाद होता है। इस समय यह सबसे सुंदर दिखता है।फोटो फोटो कैप्शन 03: 31 अगस्त करीब 5 बजे रात की चांद की फोटो







त्वरित गति से बाजरे की पैदावार ले रहे किसान
-  फसल कटाई के साथ-साथ रबी की कर रहे हैं तैयारी
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में जानकारी 20 हजार हेक्टेयर पर बाजरा उगाया गया था जिसकी त्वरित गति से पैदावार किसान ले रहे हैं। अच्छी पैदावार लेकर किसान प्रसन्नचित नजर आ रहे हैं किंतु साथ में रबी फसल की तैयारी में भी जुटे हुए हैं। इस वर्ष जहां रबी फसल की तैयारी के लिए पर्याप्त समय बच गया है।
कृष्ण कुमार, योगेश कुमार, रोहित कुमार, अजीत सिंह, सूबे सिंह दिनेश कुमार, महेश कुमार आदि किसानों ने बताया कि बाजरे की अच्छी पैदावार हुई है, कड़बी की भी अच्छी पैदावार मिली है। अभी से ही किसान रबी फसल की तैयारी में जुट गए हैं।
 क्या कहते हैं कृषि अधिकारी -
पूर्व कृषि अधिकारी डा. देवराज बताते हैं कि गेहूं एक नवंबर से 25 नवंबर के बीच बीजाई की जाती है जिसके लिए 21 डिग्री ताप जरूरत होती है जो 145 दिनों में पक जाती है। जबकि सरसों की बिजाई का 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच बेहतर समय होता है जिसके लिए 28 डिग्री ताप की जरूरत होती है। यह डेढ़ सौ दिन में पककर तैयार हो जाती है। रबी फसल की अवधि में दो से तीन बार वर्षा भी हो जाति है वरना सिंचाई से ही यह फसल तैयार की जाती है।
फोटो कैप्शन 02: बाजरे की पैदावार लेते किसान।




मारपीट करने वाले दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना उप मंडल के गांव मुंडिया खेड़ा के सतीश कुमार की शिकायत पर सतीश कुमार एवं उसके पिता के साथ मार पिटाई के मसले में दो लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है, जांच जारी है।
 सतीश कुमार ने पुलिस में दी शिकायत में कहा है कि 27 अगस्त को वह स्वयं और उसका पिता खेत से कड़बी की ट्राली भरकर प्लाट में कड़बी को खाली करके घर जा रहे थे। सतीश कुमार ट्रैक्टर चला रहा था जबकि उसके पिता मोटरसाइकिल पर पीछे आ रहे थे। सुशील नामक व्यक्ति के घर के सामने राजबीर ट्रैक्टर ट्राली में तथा धर्मेंद्र नामक व्यक्ति मोटरसाइकिल पर सवार होकर आये और सतीश कुमार के ट्रैक्टर के सामने दोनों ने अपने वाहन खड़ा करके उसे रोक लिया। जब सतीश कुमार ट्रैक्टर से नीचे उतरा तो राजबीर ने थप्पड़ मुक्के मार।े सतीश कुमार के पिता ने छुड़ाने का प्रयास किया तो धर्मेंद्र ने उस पर लाठी का वार किया जिससे वह गिर गया। जब शोर मचाया तो 8-10 व्यक्ति आ गए जिन्होंने उन्हें छुड़वाया। सतीश कुमार ने आरोप लगाया कि 20 अगस्त को भी राजबीर और धर्मेंद्र ने उसकी मां ट्रैक्टर चढ़कर मारने का प्रयास किया था जिसका  मामला भी पुलिस में दर्ज है।
 सतीश कुमार ने पुलिस को फोन किया। पुलिस मौके पर पहुंची। सतीश के पिता को कनीना उप नागरिक अस्पताल ले जाया गया जहां से उन्हें हायर सेंटर कर दिया। इस समय उनका इलाज जयपुर चल रहा है। सतीश कुमार के बयान पर दो लोगों विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

Wednesday, August 30, 2023

 

31 अगस्त को भी मनाया जाएगा रक्षाबंधन
-30 अगस्त को चले हैं भद्रा
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कनीना की आवाज। रक्षाबंधन पर्व भी अब दो दिनों तक चलेगा। 30 अगस्त को जहां रक्षाबंधन पर्व मनाया गया, हरियाणा सरकार ने इसी दिन कार्यालयों में अवकाश घोषित किया, महिलाओं के लिए बसों में मुफ्त सुविधा दी गई किंतु ज्योतिष शास्त्री 30 अगस्त की रात को तथा 31 अगस्त को सुबह रक्षाबंधन पर मनाए जाने की बात कह रहे हैं। जिसके चलते 31 अगस्त को भी रक्षाबंधन मनाया जाएगा। जो बहने अपने भाइयों के राखी नहीं बांध पाई अब वो 31 अगस्त को भी राखी बांध सकती है। ऐसा ज्योतिष शास्त्री कहते है कि 30 अगस्त को रात के समय ही रक्षाबंधन का पर्व शुभ रहेगा बाकी दिन भद्रा लगे हैं परंतु 31 अगस्त को भी रक्षाबंधन पर्व मनाया जा सकता है।








30 अगस्त रात को दिखेगा सुपर ब्लू मून
--भारत में 30 अगस्त की रात 9:30 बजे सुपर ब्लू मून दिखने लगेगा। 31 अगस्त की सुबह 7.30 बजे ये अपने पीक पर होगा।
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कनीना की आवाज।  30 अगस्त यानी आज का चांद फुल मून, सुपरमून और ब्लू मून तीनों एक साथ दिखाई देंगे। भारत में 30 अगस्त की रात 9:30 बजे सुपर ब्लू मून दिखने लगेगा। 31 अगस्त की सुबह 7.30 बजे ये अपने पीक पर होगा।
कारण--
पृथ्वी के चारों ओर चांद एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है।  जब चांद पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूर होता है तो उसे एपोजी कहते हैं। जब चांद पृथ्वी के सबसे करीब होता है तो, उसे पेरिजी कहते हैं।
अपोजी में धरती और चांद के बीच की दूरी करीब 4.05 लाख किलोमीटर होती है। पेरिजी में धरती से चांद की दूरी करीब 3.63 लाख किलोमीटर होती है।
सुपरमून के वक्त धरती से चांद 15 प्रतिशत ज्यादा बड़ा और 3़ प्रतिशत ज्यादा चमकदार दिखाई देता है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि चांद की ना ही साइज बदलती है और ना ही चमक। पर उस दिन वह धरती के पास होता है तो उसके बड़े और चमकदार होने का एहसास होता है। चांद का एक चक्कर 29.5 दिन की होती है। जब किसी एक कैलेंडर मंथ में दो बार पूर्णिमा पड़ जाए तो इसे ही ब्लू मूनÓ कहा जाता है। जैसे- अगस्त 2023 में 1 तारीख को पूर्णिमा थी, अब 30 अगस्त को दूसरी पूर्णिमा पड़ रही है इसलिए इसे ब्लू मून कहा जा रहा है।  30 अगस्त को फुल मून, सुपरमून और ब्लू मून तीनों पड़ रहे हैं, इसलिए इसे सुपर ब्लू मून कहा जा रहा है।
चूंकि इसी दिन सुपरमून भी है तो इस दिन चांद बड़ा और चमकदार दिखाई देगा, लेकिन नीला नहीं। सुपर ब्लू मून में चांद नीला नहीं होता, बल्कि ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखाई देता है।
सुपर ब्लू मून में चांद नीला नहीं होता, बल्कि ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखाई देता है। सुपर ब्लू मून देखने का सबसे सही समय सूर्यास्त के फौरन बाद होता है। इस समय यह सबसे सुंदर दिखता है। भारत में 30 अगस्त की रात 9:30 बजे सुपर ब्लू मून दिखने लगेगा। 31 अगस्त की सुबह 7.30 बजे ये अपने पीक पर होगा।
फोटो कैप्शन: करीब 9 बजे रात की चांद की फोटो साथ है।










त्वरित गति से बाजरे की पैदावार ले रहे किसान
-  फसल कटाई के साथ-साथ रबी की कर रहे हैं तैयारी
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में जानकारी 20 हजार हेक्टेयर पर बाजरा उगाया गया था जिसकी त्वरित गति से पैदावार किसान ले रहे हैं। अच्छी पैदावार लेकर किसान प्रसन्नचित नजर आ रहे हैं किंतु साथ में रबी फसल की तैयारी में भी जुटे हुए हैं। इस वर्ष जहां रबी फसल की तैयारी के लिए पर्याप्त समय बच गया है।
कृष्ण कुमार, योगेश कुमार, रोहित कुमार, अजीत सिंह, सूबे सिंह दिनेश कुमार, महेश कुमार आदि किसानों ने बताया कि बाजरे की अच्छी पैदावार हुई है, कड़बी की भी अच्छी पैदावार मिली है। अभी से ही किसान रबी फसल की तैयारी में जुट गए हैं।
 क्या कहते हैं कृषि अधिकारी -
पूर्व कृषि अधिकारी डा. देवराज बताते हैं कि गेहूं एक नवंबर से 25 नवंबर के बीच बीजाई की जाती है जिसके लिए 21 डिग्री ताप जरूरत होती है जो 145 दिनों में पक जाती है। जबकि सरसों की बिजाई का 10 अक्टूबर से 25 अक्टूबर के बीच बेहतर समय होता है जिसके लिए 28 डिग्री ताप की जरूरत होती है। यह डेढ़ सौ दिन में पककर तैयार हो जाती है। रबी फसल की अवधि में दो से तीन बार वर्षा भी हो जाति है वरना सिंचाई से ही यह फसल तैयार की जाती है।
फोटो कैप्शन 10: बाजरे की पैदावार लेते किसान।







संस्कृत संस्कृत दिवस 31 अगस्त
 बहुत मधुर और देव भाषा कहलाती है संस्कृत -सत्येंद्र शास्त्री
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कनीना की आवाज। संस्कृत भाषा भारत की सबसे प्राचीन भाषा है। इसी से दूसरी भाषाएं भी निकली हैं।सबसे पहले भारत में संस्कृत बोली गई थी इसलिए देव भाषा भी संस्कृति कहलाती है। जहां 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक संस्कृत है। उत्तराखंड की यह एक आधिकारिक भाषा है। प्राचीन ग्रंथों की रचना संस्कृत में हुई थी। इसके बहुत से शब्दों के द्वारा अंग्रेजी के शब्द बने हैं। महाभारत काल में वैदिक संस्कृत का प्रयोग होता रहा है। संस्कृत वर्तमान देश की कम बोली जाने वाली भाषा बन गई है लेकिन इस महान भाषा को नकारा नहीं जा सकता। हरियाणा सरकार तो संस्कृत भाषा को पर जोर दे रही है और सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से संस्कृत भाषा ही प्रयोग में लाई जाती है। 31 अगस्त को सावन माह की पूर्णिमा के दिन संस्कृत दिवस मनाया जाता है। 1969 में इसकी शुरुआत हुई थी। संस्कृत दिवस और पूर्णिमा यहां तक की रक्षाबंधन भी इसी दिन पड़ता है। क्या कहते हैं संस्कृत के विद्वान-
 संस्कृत दिवस पूरी दुनिया मनाया जाता है। इसके मनाने का उद्देश्य संस्कृत को अधिक से अधिक बढ़ावा देना है। नई पीढ़ी इस भाषा को जाने। पुराने समय की भाषा बोलने पढऩे में लोगों को शर्म आती है। संस्कृत अति महत्वपूर्ण भाषा देव भाषा नाम से जानी जाती है। संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति के विरासत का प्रतीक है। ऐसी कुंजी जो हमारे प्राचीन ग्रंथों और धार्मिक सांस्कृतिक परंपराओं के के रहस्य को जानने में मदद करती है वह संस्कृत है।
    --- सतेंद्र शास्त्री
भारत के इतिहास में सबसे अधिक मूल्यवान और शिक्षण सामग्री शास्त्रीय भाषा संस्कृत में लिखे गए हैं। वैदिक संस्कृत के अध्ययन से मानव इतिहास के बारे में जानने में सहायक है। प्राचीन सभ्यता का रोशन करने के लिए भी सक्षम है। कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे अच्छा विकल्प संस्कृत भाषा मानी गई है। इसलिए संस्कृत को अधिक से अधिक प्रयोग में लाना चाहिए और बोलचाल में इसका प्रयोग होना चाहिए।
                          -- महिपाल सिंह
कालिदास द्वारा संस्कृत में रची कहानी अभिज्ञान शकुंतला तथा रितु संहार 1783 में विलियम जॉन में ट्रांसलेट किया था। इसके अलावा जयदेव द्वारा रचित गीत गोविंद और मनु के कानून मनु स्मृति को इंग्लिश भाषा में परिवर्तित किया था। चाल्र्स विलकिंस ने श्रीमद् भागवत गीता को अंग्रेजी में रूपांतरित किया गया था। इसी प्रकार मैक्स मूलर ने संस्कृत से जर्मनी भाषा में ट्रांसलेट किया था। इससे सिद्ध होता है कि यह बहुत काम की भाषा है। संस्कृत को नौ ग्रहों का ज्ञान था। संस्कृत आयुर्वेद चिकित्सा का आधार है। संस्कृत एक महान भाषा है जिसको सीखकर इंसान न केवल रोटी रोजी कमा सकता है आपकी तो अर्थात विद्वान बन सकता है। 2014 से हर साल संस्कृत सप्ताह मनाने का भी केंद्रीय विद्यालयों ने घोषणा की थी। पहला संस्कृत विश्वविद्यालय भी वाराणसी में खुली थी तत्पश्चात अनेक संस्कृत विश्वविद्यालय भी खुल चुके हैं जो दर्शाते हैं संस्कृत एक महान भाषा है।
         --- मदनलाल शास्त्री
संस्कृत की उत्पत्ति 5000 साल पहले हुई थी। संस्कृत दिवस लगातार मनाया जा रहा है। संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत दिवस को मनाया जाता है। संस्कृत कई भाषाओं की जननी है। संस्कृत भाषा के महत्व को समझ कर संस्कृत का उपयोग करना चाहिए। प्राचीन भारत में इसी दिन से ही शिक्षण एवं वेद पाठ शुरू हुआ था। छात्र इस दिन से शास्त्र का अध्ययन करने लगे थे। इसलिए संस्कृत दिवस मनाया जाना उचित है।
आरडी शास्त्री
 फोटो कैप्शन: आरडी शास्त्री, सत्येंद्र शास्त्री, महिपाल सिंह मदनलाल शास्त्री।






 दिनभर सड़कों पर रही भीड़, महिलाओं ने की मुफ्त यात्रा
-रक्षा बंधन के दिन भी डाकघर में आम दिनों की भांति हुआ काम
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कनीना की आवाज।  कनीना क्षेत्र में रक्षाबंधन का पर्व धूमधाम से मनाया। नवजात बच्चों को भी राखियां बांधी तो बहनों ने बुजुर्गों को भी राखियां बंधी। युवा वर्ग तो रक्षा बंधन के पर्व पर अग्रणी मिलता है। दुकानों पर भीड़ कम रही किंतु सड़कों पर आवागमन जमकर हुआ। विगत दिनों से महिलाएं आनलाइन राखियां भेज रही है जिसके चलते दुकानदारों के पास बिक्री घट गई है। यद्यपि कनीना बाजार में काफी भीड़ आवागमन की दिनभर होती रही किंतु राखी खरीदने वाली महिलाएं इक्का दुक्का ही कहीं नजर आती है जिसके चलते राखी बेचने वाले भी अब परेशान है।
कनीना के महेश बोहरा, कुलदीप कुमार, रवि कुमार, महेंद्र शर्मा आदि ने बताया कि इस बार आनलाइन राखी खरीद कर आनलाइन ही दिए गए पत्ते पर पहुंचने की कार्रवाई चल रही है जिसके चलते बहुत सी महिलाएं इस भाग दौड़ और भीड़ से बचने के लिए आनलाइन राखियां भेजती रही है। जिसके चलते राखी की दुकानों पर भीड़ कम है।
 भारी भीड़ जुटी है बसों में-
 कनीना बस स्टैंड पर बाहरी भीड़ जुटी। महिलाएं भारी संख्या में आवागमन करने से बसों की संख्या कम पड़ती नजर आई। जिसके कारण महिलाएं परेशान देखने को मिलती हैं।  दिनभर बसों में अन्य यात्री  इक्का-दुक्का ही सफर कर रहे थे जबकि महिलाएं भारी संख्या में मुफ्त में यात्रा करती रही।
 रक्षाबंधन के दिन भी खुले रहे डाकघर-
 कनीना डाकघर में आम दिनों की भांति काम चलता रहा। पोस्टमैन राजेंद्र सिंह राखियों के पैकेट एवं अन्य सामान घरों में पहुंचाते दिखाई पड़े। उप डाकघर अधिकारी विशाल कुमार ने बताया कि रक्षाबंधन के पर्व पर भी कनीना डाकघर में विगत वर्षों की भांति काम हुआ क्योंकि बहनों के लिए राखियों के पैकेट आए थे। ऐसे में राखियों को भी घर-घर पहुंचाया गया। विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी रक्षाबंधन के पर्व पर डाकघर में काम चलता रहा।
छोटे बच्चों को भी बांधी गई  राखियां-
 छोटे बच्चों को भी राखियां बांधी गई, वहीं बुजुर्गों को भी राखियां बांधती उनकी बहने दिखाई दी। कनीना में आद्या वार्ड नंबर 2 को उसकी बुआ कविता यादव ने राखी बांधी जो 16 अगस्त 2023 को ही जन्मी है। उधर नीलम पार्षद ने अपने भाई को राखी बांधी। छोटे बच्चे प्रवित को उसकी बहनों ने राखी बांधी और  खुशी व्यक्त की। बुजुर्ग सुमेर सिंह मैनेजर कनीना को उसकी बुजुर्ग बहन ने राखी बांधकर खुशी जताई तथा लंबी आयु की कामना की। कस्बा कनीना में युवा वर्ग और बुजुर्गों में भी बाहरी उत्साह पर्व के प्रति देखने को मिला।
  फोटो कैप्शन 06: नीलम पार्षद अपने भाई को राखी बांधते हुए।
              07: नवजात आद्या को राखी बांधती उसकी बुआ
              08: सुमेर सिंह मैनेजर को राखी बांधती बुतजुर्ग बहन
              09: बच्चे प्रवित को राखी बांधती उसकी छोटी बहनें।






बवानिया की बिजली सप्लाई रहेगी बंद
-ट्रांसफार्मर मरम्मत का चलेगा काम
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कनीना की आवाज। 31 अगस्त को 132 केवी पावर हाउस कनीना से चलने वाली बवानिया की 33 केवी की सप्लाई सुबह 10 बजे शाम 3 बजे तक बाधित रहेगी। विस्तृत जानकारी देते हुए 132 केवी पावर हाउस पवन रोहिल्ला एवं एसएसई बीर सिंह ने बताया कि 132/33 केवी ट्रांसफार्मर की मरम्मत का कार्य चलेगा। इसलिए 33 केवी बवानिया की बिजली 132 केवी कनीना पावर हाउस से बंद रहेगी।






मारपीट करने वाले दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना उप मंडल के गांव मुंडिया खेड़ा के सतीश कुमार की शिकायत पर सतीश कुमार एवं उसके पिता के साथ मार पिटाई के मसले में दो लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है, जांच जारी है।
 सतीश कुमार ने पुलिस में दी शिकायत में कहा है कि 27 अगस्त को वह स्वयं और उसका पिता खेत से कड़बी की ट्राली भरकर प्लाट में कड़बी को खाली करके घर जा रहे थे। सतीश कुमार ट्रैक्टर चला रहा था जबकि उसके पिता मोटरसाइकिल पर पीछे आ रहे थे। सुशील नामक व्यक्ति के घर के सामने राजबीर ट्रैक्टर ट्राली में तथा धर्मेंद्र नामक व्यक्ति मोटरसाइकिल पर सवार होकर आये और सतीश कुमार के ट्रैक्टर के सामने दोनों ने अपने वाहन खड़ा करके उसे रोक लिया। जब सतीश कुमार ट्रैक्टर से नीचे उतरा तो राजबीर ने थप्पड़ मुक्के मार।े सतीश कुमार के पिता ने छुड़ाने का प्रयास किया तो धर्मेंद्र ने उस पर लाठी का वार किया जिससे वह गिर गया। जब शोर मचाया तो 8-10 व्यक्ति आ गए जिन्होंने उन्हें छुड़वाया। सतीश कुमार ने आरोप लगाया कि 20 अगस्त को भी राजबीर और धर्मेंद्र ने उसकी मां ट्रैक्टर चढ़कर मारने का प्रयास किया था जिसका  मामला भी पुलिस में दर्ज है।
 सतीश कुमार ने पुलिस को फोन किया। पुलिस मौके पर पहुंची। सतीश के पिता को कनीना उप नागरिक अस्पताल ले जाया गया जहां से उन्हें हायर सेंटर कर दिया। इस समय उनका इलाज जयपुर चल रहा है। सतीश कुमार के बयान पर दो लोगों विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।






वीर चक्र विजेता बुद्ध सिंह का सम्मान एक सितंबर को
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कनीना की आवाज। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने अदम्य साहस और वीरता का प्रदर्शन करने वाले ग्राम अगिहार निवासी वीर चक्र विजेता बुद्ध सिंह 4 राजपूत रेजीमेंट का सम्मान समारोह राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय अगिहार में एक सितंबर  को किया जाएगा। उपरोक्त जानकारी देते हुए हिसार स्थित मैकेनिकल इन्फेंट्री एक- सिख रेजीमेंट के नायक सूबेदार ओमप्रकाश ने बताया कि भारतीय सेना के इस जांबाज सैनिक के सम्मान समारोह में हिसार से भारतीय सेना के उच्च अधिकारी भी शामिल होंगे।
 वीर चक्र विजेता बुद्ध सिंह की उम्र इस समय लगभग 80 साल है रिटायरमेंट के इतने सालों बाद भी भारतीय सेना अपने जांबाज सैनिकों का सम्मान करना नहीं भूलती तथा देश के प्रति उनके किए गए त्याग व बलिदान को याद रखती है।। उनके सम्मान समारोह की घोषणा से सैनिक बाहुल्य इस गांव में  खुशी का माहौल है तथा वीर चक्र विजेता बुद्ध सिंह के परिजनों ने भी इस बात पर खुशी जाहिर की है।
फोटो कैप्शन: बुध सिंह



































गर्मी और वाहनों  से उडऩे वाले धूल के  बीच 171वें दिन जारी रहा धरना
-अनिश्चितकालीन धरने पर हैं ग्रामीण
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी पर सेहलंग -बाघोत के बीच कट के लिए ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर हैं। 171वें दिन के धरने की  अध्यक्षता सूबेदार सुखबीर सिंह- छिथरोली ने की और उन्होंने बताया की राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी पर कट के लिए सरकार ने घोषणा की है तथा आश्वासन दिया गया है कि जल्दी काम शुरू हो जाएगा, केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से सभी की सहमति है किंतु अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है।  कट बनने से  40 गांवों का सर्वांगीण विकास होगा। बाघेश्वर शिव धाम पर्यटक स्थल बन जाएगा, क्षेत्र शिक्षा का हब होगा, उद्योग धंधे शुरू हो जाएंगे और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि जमीनी हालातों को देखते हुए सरकार को कट का काम जल्द शुरू करना चाहिए।
 धरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय सिंह चेयरमैन ने बताया कि धरने को चलते 171 दिन हो गए हैं। गर्मी और वाहनों से उडऩे वाली धूल के बीच हम शांतिपूर्वक ढंग से धरना स्थल पर बैठे हुए हैं। केंद्र सरकार के इंतजार में है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच  कट का काम शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि जब तक काम शुरू नहीं होता है, तब तक हम धरने पर बैठे रहेंगे। धरना संघर्ष समिति के संयोजक पहलवान रणधीर सिंह बाघोत ने कहा कि केंद्र सरकार बुजुर्गों की पीड़ा को समझें, धूल-मिट्टी, गर्मी और उमस से लोग परेशान हैं। ऐसे में काम शुरू करवायें। राष्ट्रीय राजमार्ग 152 डी पर बाघोत -सेहलंग के बीच कट बनवाने के काम में देरी नहीं करनी चाहिए। लोगों की जरूरत है और उनका भला इसी से हो सकता है।
इस मौके पर संघर्ष समिति के सदस्य पहलवान धर्मपाल और चेयरमैन सतपाल, मास्टर धर्मवीर सिंह,डॉ लक्ष्मण सिंह, मास्टर विजय सिंह,नरेंद्र शास्त्री, सीताराम, हंसराज, जॉनी उर्फ अमरजीत, तेज सिंह नोसवा, मुंशीराम,बबली, मास्टर विजय पाल, जय सिंह पंच, मनोज कुमार करीरा , सूबेदार हेमराज ,अशोक चौहान, सूबे सिंह पंच, रामकुमार, प्रधान कृष्ण कुमार,  रामभक्त, मनोज कुमार, दाताराम, धर्मवीर, बाबूलाल, सूबेदार भूले राम,सूबे सिंह पंच,सतनारायण साहब,रोशन लाल,  ईश्वर सिंह ,सत्य प्रकाश, सूबे सिंह, कुलदीप शर्मा,  विजय बाजे भगत , ओमप्रकाश, वेद प्रकाश   व गणमान्य लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 04: कट के लिए धरने पर बैठे ग्रामीण।