Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Monday, February 24, 2025


 


चुनावी चकचक
अभी से ही इतना बड़ा तुर्रा, ये तो वोट कटवा रहा है
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कनीना की आवाज।
 कनीना में एक प्रत्याशी का समर्थन वोट मांगने आया और अपने से उम्र में बड़े ,हर प्रकार से बड़े व्यक्ति से हाथ मिलने की कोशिश की। पहले तो बुजुर्ग व्यक्ति ने हाथ जोड़ा किंतु उसने बार-बार हाथ मिलाने का प्रयास किया तो  बुजुर्ग ने मन मारकर हाथ तो मिलना ही पड़ा। चले जाने पर पास बैठे लोगों से कहा कि अभी से इसका इतना बड़ा तुर्रा है, जो खुद चलकर नहीं आया और ऐसे लोगों को भेज रहा है जो वोट पाने का काम नहीं कर रहे बल्कि वोट कटवाने का काम कर रहे हैं। उन्हें चाहिए लोगों से अपने बड़ों से आशीर्वाद ले। क्या इनको इतना भी ज्ञान नहीं तो भविष्य में कनीना का क्या हाल करेंगे? यहां तक की बुजुर्ग ने कहा कि अब तक इन्हें वोट देता किंतु अब नहीं दूंगा।




 चुनावी चकचक
वाह, वाह, वाह! किन्नर भी आये चुनाव जीतने के लिए, महासमर शुरू
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कनीना की आवाज।
 वैसे तो कनीना नगर पालिका के चुनाव न जाने क्या-क्या नये नये क्या करिश्मा कर दिखाएंगे, पर एक प्रत्याशी के पक्ष में अब तो किन्नर भी मोर्चा संभाल बैठे हैं और उन्होंने प्रत्याशी को जीताने के लिए दिन-रात एक करने का वादा किया है। वास्तव में कनीना के 72 सालों के इतिहास में यह पहली बार चुनावों में हो रहा है, जब अनोखे अनोखे प्रत्याशियों ने अंदाज होने जा रहे हैं। यह सत्य है कि इन चुनाव में जो नया अनुभव न केवल वोटर को अपितु प्रत्याशियों को मिल रहा है। वह शायद पहले कभी नहीं सुनने और देखने को मिला था। किन्नर जिसका साथ दें कहते हैं उसका भाग्य खुल जाता है और अब देखना यह है कि किन्नर जिस प्रत्याशी का साथ दे रहे हैं उनका भाग्य कितना खुल पता है। 12 मार्च का इंतजार रहेगा।


चुनावी चकचक
चुनाव चिह्न को दिया हकीकत रूप
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कनीना की आवाज।
 कनीना के एक प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह बस है और उन्होंने एक बसनुमा गाड़ी ही प्रचार के लिए लगा दी है। यह बहुत अच्छी बात है कि चुनाव चिन्ह हकीकत में सड़कों पर उतार जा रहा है। अब तो लोगों का कहना है कि साइकिल चुनाव चिन्ह वाले साइकिल चलाते हुए वोटर से मिलना चाहिए और सीढ़ी चुनाव चिन्ह वाले सीढ़ी लेकर चलना चाहिए और भी प्रत्याशियों को सुंदर सुंदर उदाहरण पेश करने चाहिए।





मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार
-नगरपालिका कनीना चुनाव तक है स्थगित
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कनीना की आवाज।
कनीना के डा. होशियार सिंह यादव की मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार सिरीज दो मार्च कनीना नगरपालिका के चुनावों तक स्थगित कर रखा है। तीन मार्च से फिर से इसे विधिवत रूप से पुन: शुरू कर दिया जाएगा।







संगम कालोनी, मुख्य मार्ग पर स्पीड ब्रेकर बनाने की मांग
-वर्षों से उच्चाधिकारियों को अवगत करवाते आ रहे हैं लोग
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कनीना की आवाज।
 कनीना-रेवाड़ी सड़क मार्ग पर संगम कालोनी के चौराहे पर स्पीड ब्रेकर बनाने की मांग वर्षों से चली आ रही है। इस संबंध में यहां के लोगों ने एसडीएम कनीना को भी ज्ञापन दे चुके हैं वहीं उच्च अधिकारियों से भी मिले किंतु अभी तक स्पीड ब्रेकर नहीं बना है जिसके चलते उनमें भारी रोष पनप रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि एक ओर चौराहा बनता है वही अति व्यस्त मार्ग है जिसके चलते यहां स्पीड ब्रेकर की अति आवश्यकता है। यदि स्पीड ब्रेकर होगा तो जान माल की हानि से बचा जा सकेगा वहीं बुजुर्ग और बच्चों के आवागन में सुविधा होगी। इस मार्ग पर बहुत तेजी से वाहन चलते हैं, अति व्यस्त मार्ग होने के कारण लोग लंबे समय तक सड़क पार करने का इंतजार करते देखे जा सकते हैं। ग्रामीणों मनजीत सिंह, कंवर सिंह, मुंशी राम, दिलीप सिंह आदि ने बताया की एक और जहां छोटी-छोटी दुकानें बनी हुई है वहीं बच्चे और बूढ़े इस सड़क को यहां से पार करते हैं। अभी तक यहां कम से कम दो जान जा चुकी है तथा पशुओं की भी मौत हो चुकी है क्योंकि वाहन अति तीव्र गति से चलाए जाते हैं। ऐसे में इस जगह पर स्पीड ब्रेकर होना जरूरी है।  रेवाड़ी एक्शन एवं अन्य अधिकारियों को भी ज्ञापन भेजा जा चुका है चूंकि यह सड़क मार्ग रेवाड़ी एक्षन पीडब्ल्यू डी के तहत आता है। अब तो विभिन्न प्रधान पद के प्रत्याशियों ने यह मुद्दा हल करने की बात भी कही है। क्षेत्र के लोगों से बात की गई तो उनके विचार निम्न है---
***हमें इस सड़क को दिन में कई बार पार करना पड़ता है भारी संख्या में किसान और ग्रामीण इधर से गुजरते हैं। वाहनों की रफ्तार तीव्र होने के कारण कई दुर्घटनाएं होते-होते बचती है। यदि स्पीड ब्रेकर हो तो बच्चे और बूढ़े आसानी सड़क पार कर सकेंगे।
---हमीर ,संगम कालोनी कनीना
संगम कालोनी कनीना का यह एक चौराहा बन रहा है वहीं आबादी बढ़ती जा रही है। दुकान भी बनी हुई है। आवागमन का वृत्त गति से होता है ऐसे में पहले जहां दुर्घटनाएं घट चुकी है उनसे सबक लेने के लिए और वाहनों की गति कम करने के लिए स्पीड ब्रेकर होना जरूरी है ताकि जान व माल सुरक्षित रह सके।
--- कंवर सिंह साहब,कनीना
यहां स्पीड ब्रेकर बनाने के लिए एसडीएम कनीना, एक्शन रेवाड़ी तथा उच्च अधिकारियों को पत्र प्रेषित किये जा चुके हैं, ज्ञापन भी दिये जा चुके है किंतु लंबे समय से उनकी मांग को अमल में नहीं लाया जा रहा है। जिसके चलते यहां के लोगों में रोष है। जन सुविधा के लिए यहां स्पीड ब्रेकर बनाए जाना अति उचित है ताकि जान व माल सुरक्षित रह सके। यह सड़क जब से बननी शुरू हुई तभी से यह मांग चली आ रही है।
---सतराज साहब, संगम कालोनी
संगम कालोनी चौराहे पर बच्चों और बूढ़ों का सड़क पार करना बहुत कठिन हो जाता है। लंबे समय तक सड़क के साफ होने का इंतजार करते हैं ताकि वह किसी प्रकार सड़क पार कर सके।  वर्षों से यहां अनेक दुर्घटनाएं, मौत हो चुकी है पशु भी मारे जा चुके हैं। ऐसे में यहां स्पीड ब्रेकर बनाना सर्वथा उचित होगा और स्पीड ब्रेकर बना दिया जाए तो क्षेत्र के लोगों की समस्या हल हो जाएगी। किसान, आम आदमी ,महिला, पुरुष, बच्चे एवं बूढ़े सभी के लिए यहां स्पीड ब्रेकर का होना अति आवश्यक है।
 --मुंशीराम, मिस्त्री
 फोटो कैप्शन 07:संगम कालोनी चौराहे को दिखाते ग्रामीण
साथ में हमीर, कंवर सिंह, मुंशी राम, सत्यराज साहब



कनीना नगर पालिका चुनाव-2025
-द्वितीय रेंडमाइजेशन से पोलिंग पार्टियों की ड्यूटी तय
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कनीना की आवाज।
आगामी 2 मार्च को अटेली तथा कनीना नगर पालिका में होने वाले चुनाव के लिए आज सामान्य पर्यवेक्षक योगेश कुमार की अध्यक्षता में एनआईसी द्वारा तैयार इडीएमएस आनलाइन साफ्टवेयर के जरिए पोलिंग पार्टियों की ड्यूटी तय करने के लिए सेकंड रेंडमाइजेशन की गई।
अटेली नगर पालिका में 12 वार्ड हैं तथा कनीना नगर पालिका में कुल 14 वार्ड हैं। आज रेंडमाइजेशन के जरिए पोलिंग स्टाफ को संबंधित नगर पालिका में ड्यूटी तय की गई। अब 1 मार्च को पोलिंग पार्टियों को रवाना करते समय इन्हें संबंधित बूथ की जानकारी दी जाएगी।
इस मौके पर कनीना के आरओ जितेंद्र सिंह, अटेली के आरओ रमित यादव, डीआईओ प्रशांत कुमार तथा सिस्टम एनालिस्ट राजकुमार के अलावा अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।

गरीबों के सेब, सेब को भी दे रहे हैं मात
-महाशिवरात्रि पर बेर की मांग बढ़ी
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कनीना की आवाज।
कनीना क्षेत्र में भारी मात्रा बेरों की आवक हो रही है। यूं तो ये बेर गरीबों के सेब कहलाते आये हैं क्योंकि ये गरीबों के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाते रहे हैं। जो सेब नहीं खा सकते वे बेर खा सकते हैं। इस बार बेर के भाव 50 से 60 रुपये किलो बिक रहे हैं। जबकि सेब 100 रुपये किलो मिल जाते हैं। यही कारण है इस बार गरीबों के सेब गरीबों की पहुंच में हैं।
 कनीना क्षेत्र में सुरेश कुमार उन्हाणी सहित अनेक स्थानों पर बेरी की खेती की हुई है तथा उससे पैदावार ली हुई है।  
बेर उगाने वाले उन्हाणी के सुरेश कुमारसे बात हुई उन्होंने कहा कि उनके बेर अमेरिका, रूस एवं दुबई तक जाते हैं। गोला एवं थाइलैंड के बेर के 400 पौधे उगा रखे हैं जो दस वर्षों पहले लगाये थे तथा चार साल बाद बेर देने लगे गये हैं। करीब एक लाख रुपये प्रतिवर्ष आय होती है किंतु सरकार कोई मदद नहीं कर रही है।
 महाशिवरात्रि के दृष्टिगत बाजार में बेर, गाजर आदि की आवक बढ़ गई है जिनकी विशेष मांग होती है। रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी तक यहां के बेर जा रहे हैं।
फोटो कैप्शन 04:बेर की पैदावार लेते उन्हाणी के सुरेश कुमार।


जिला उपायुक्त ने किया प्रकृति सेवा,मेरा घर पक्षियों का घोंसला का विमोचन
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कनीना की आवाज।
जिला उपयुक्त डा. विवेक भारती ने मिनी सचिवालय नारनौल से आइसीटीएम फाउंडेशन मोड़ी के द्वारा चलाई जाने वाली मुहिम प्रकृति सेवा, मेरा घर पक्षियों का घोंसला का विमोचन किया। ओर इस कार्य के लिए संस्था की प्रशंसा की। उपयुक्त डा. विवेक भारती ने बताया कि यह एक बहुत ही अच्छी मुहिम है जो पक्षियों के लिए चलाई जा रही है इस मुहिम में जिले के ज्यादा से ज्यादा लोगों को भाग लेना चाहिए और अपने क्षेत्र गांव, सार्वजनिक जगहों, घरों में घोसलों को लगाना चाहिए जिससे गोरिया को बचाया जा सके। गर्मी का मौसम आने वाला है इसके लिए उपायुक्त ने कहा कि पक्षियों के लिए चुग्गा और पानी की व्यवस्था भी साथ में करें। आए हुए संस्था के सदस्यों बताया कि इस मुहिम को पूरे जिले भर में चलाएंगे और ज्यादा से ज्यादा घोंसले लगवाने की कोशिश करेंगे। साथ में बताया कि जहां सामाजिक कार्यकर्ता, संस्था, या अन्य जिनको घोंसलों के आवश्यकता है उन तक पहुंचाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि संस्था पहले से ही पर्यावरण, शिक्षा, स्वस्थ और बुजुर्ग बेसहारों के लिए काम कर रही है। जो एक सराहनीय कार्य है।
फोटो कैप्शन 05: घोषला घर का शुभारंभ करते जिला उपायुक्त


कनीना के जयनारायण को किया याद
-जाने जाते हैं ग्रामीण कवि के रूप में
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कनीना की आवाज।
कनीना के ठेठ ग्रामीण कवि एवं गोपालक के रूप में जयनारायण को जाना जाता है। आज से 35 वर्ष पहले उनका निधन हो गया था। ये विचार समाजसेवी एवं कवि जयनारायण के बड़े लड़के कृष्ण कुमार ने कनीना में उनकी 35वीं पुण्यतिथि पर पुष्प अर्पित करते हुए व्यक्त किये। उनकी पुण्यतिथि कनीना के वार्ड एक में मनाई।
  कृष्ण कुमार ने उनके बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि जयनारायण के पिता का नाम शंकर था। वे बचपन में पंजाब के अबोहर में पले एवं बड़े हुए थे। कनीना में आने के बाद वे रांझा पाली के रूप में जाने गए। वैसे तो उन्हें डेयरीवाला नाम से जाना जाता है और आज भी उनके नाम पर एक स्टोर चल रहा है जिसे पूरा कस्बा ही नहीं अपितु आस पास के लोग जैनिया का स्टोर नाम से जानते हैं। वे लाठी चलाने में जितने माहिर थे उनसे कहीं अधिक अलगोजा बनाने में मशहूर थे। उनके बड़े भाई अर्जुन तो दूर दराज तक लाठी के जानकार के रूप में विख्यात हुए हैं किंतु अल्पायु में ही उनका निधन हो गया था।
  जैनारायण की बांसुरी, अलगोजा, पटा आदि को देखने के लिए दूर दरज के लोग आते थे। उनकी कविताई की क्षमता एवं गायकी की क्षमता अनोखी थी। कम लिखे पढ़े होने के बावजूद भी वे प्रकृति, गाय, भैंस एवं जीव जंतुओं पर बेहतर कविताएं बना लेते थे। उनके कई उदात गुणों के चलते उन्हें आज भी जाना जाता है। अंतत उनकी मृत्यु 24 फरवरी 1989 को कनीना में हुई। उनकी कविताओं की पुस्तक भी प्रकाशित करवाई जा चुकी है। उस पुस्तक को पढ़कर उनकी कविता करने के अंदाज का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
 इस मौके पर भरपूर सिंह, आशा, करतार सिंह आदि ने कहा कि जयनारायण गाये एवं भैंसें पालते थे था उनको दूर बणियों में चराने के लिए ले जाते थे। जंगल में मंगल के रूप में वो अपनी दिनचर्या कविताई एवं गायकी में बिताते थे। लाठी चलाने तथा अलगोजा बजाने में माहिर थे। उनको सदा याद किया जाता रहेगा। गरीबी में भी जीकर दूसरों के लिए प्रेरणा का काम कर गये। 24 फरवरी 1989 को उनका निधन हो गया था।
फोटो कैप्शन 06: जयनारायण कवि को याद करते हुए लोग। जागरण





फोटो भी कुछ बोलती है
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कनीना की आवाज।
चुनाव प्रचार के तरीके भी कनीना नगरपालिका चुनावों में अलग अलग देखे जा सकते हैं। लोग नालियों में चुनाव के बैनर लगा रहे हैं तो कुछ चुनाव प्रचार के लिए नायाब तरीका अपना रहे हैं। देखे फोटो कैप्शन 03 में एक चुनाव लडऩे वाले ने एक तीर से दो शिकार किये हैं।

40 सालों होती थी जमकर चन एवं जौ की खेती
-शून्य एकड़ पर पहुंचा जौ एवं चना
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कनीना की आवाज। किसान जौ एवं चने की खेती करना भूलते जा रहे हैं। गर्मियों के मौसम में जौ की रोटी, राबड़ी तथा शत्तू आदि बनाकर प्राकृतिक ठंडक प्राप्त करते हैं। अब न तो जौ की खेती होती और न राबड़ी एवं धानी। इसी प्रकार भूने हुये, टाट, छोल्ला, होला, चटनी, कुट्टी का जायका खत्म हो चुका है।  
  1986-87 तक कनीना क्षेत्र की करीब 33 हजार हेक्टेयर भूमि होती थी जिस पर हजारों एकड़ में जौ की खेती तो हजारों हेक्टेयर पर चने की खेती की जाती थी। वैसे तो जौ न केवल पूजा आदि बल्कि हवन आदि में भी काम आता है। जब नवरात्रे चलते हैं तो जौ की विशेष मांग होती है। गेहूं-चना एवं जौ -चने की मिश्रित खेती की जाती थी। 1982 में  फव्वारा आया जिसके चलते चने की खेती घटती जा रही है और वर्तमान में तो चना अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। कनीना उपमंडल के सभी गांवों में कोई चना नहीं उगाया गया है। लोग अपने प्लाट पर चने को जरूर उगा देते हैं। यही कारण है कि अब तो कनीना में हरे चने के पौधे भी बिकने लगे हैं।
जौ---
जौ को गंगा में डालने, पूजा अर्चना,हवन आदि में काम आता है वहीं पैदावार 40 मण प्रति हेक्टेयर तथा भाव करीब 2000 रुपये क्विंटल तक होता है। होली के पर्व पर जहां जौ को भूनकर पूरा परिवार चखता है और तत्पश्चात ही लावणी की शुरुआत होती आ रही है। एक जमाना था जब हर घर में जौ की खेती की जाती थी जिसे पूरी गर्मी आनंद से रोटी एवं अन्य रूपों में प्रयोग किया जाता था।  जौ की रोटी खाने के लिए या फिर धानी बनवाने के लिए दूसरे क्षेत्रों से जौ खरीदकर लाते हैं। जौ की किसी भी गांव में खेती नहीं की गई है।
  जौ की रोटी प्रचलन था जो सेहत के लिए अति लाभकारी मानी जाती थी। राबड़ी चाव से खाते हैं वहीं जौ का प्रयोग बीयर आदि बनाने में लेते हैं। शरीर में ठंडक के लिए राबड़ी को गर्मियों में खाते हैं किंतु अब राबड़ी की बजाय चाय पर आ पहुंचा है।
 चना-
तीन दशक पूर्व कनीना क्षेत्र में चने की पैदावार सर्वाधिक होती थी जो अब शून्य हेक्टेयर पर चला गया है। किसी एक या दो क्यारी में किसान चना उगाते हैं। दालों भावों में तेजी आ रही है। विगत 2014 में महज तीस हेक्टेयर में चना उगाया था। वर्ष 2015 में 52 हेक्टेयर पर चने की बीजाई की गई थी। 2015 से 2018 तक भी चने की महज 70 से 80 हेक्टेयर बिजाई की गई थी जो 2020 तक 10 हेक्टेयर से कम सिमट कर रह गया है। 2022 में शून्य पर चला गया है। वर्ष 2023 में 8 एकड़ पर उगाया गया जो अब शून्य पर पहुंच गया है।
 कभी विवाह शादी में अवश्य लड्डू बनाए जाते थे किंतु अब जब किसी के शादी होती है तो लड्डू के लिए चने दूर दराज से लाने पड़ते हैं। पूर्व शिक्षा अधिकारी रामानंद यादव आज भी चना उगाते हैं। वर्तमान में कुओं द्वारा सिंचाई की जाती है जो चने के लिए प्रतिकूल है। चना बहुत कम पानी में ही पैदावार देता है।
 बुजुर्ग राम सिंह, दुलीचंद, धनपती का कहना है कि कभी इस क्षेत्र में चने की खेती की जाती थी तो चने की सब्जी, चने की रोटी, मेसी रोटी, हरे चने की चटनी, खाटा का साग, कढ़ी, परांठे व कई अन्य सब्जियों में डालकर जायका लिया जाता था। जब तक चना सूख न जाता था तब तक चने को खाते रहते थे। यद्यपि चने का भाव बेहतर है किंतु पैदावार नहीं होती है किंतु जौ अब भी पैदावार अच्छी दे सकता है किंतु किसानों को लाभ नजर नहीं आता है। अब तो जौ चने का स्थान सरसों एवं गेहूं ने ले लिया है। यदि चने की पैदावार घटती गई तो मेसी रोटी, लड्डू संकट में पड़ जाएंगे।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी-
****वर्तमान में छोटे-छोटे खेत हो गए जिनमें जरूरत रूपी फसलें उगाई जाती है। वैसे भी बाजार में रेट कम होने के कारण लोग गेहूं एवं सरसों को उगाते हैं और गाय, भैंस आदि पालने वाले किसान भी गेहूं पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग में लेते हैं। यही हालात चने की है। परंतु चने की पैदावार में सबसे बड़ी मुसीबत भूमिगत जमीन के खारे पानी की है। लगता है जल मीठा है किंतु वह दाल देने वाली फसलों के लिए अच्छा नहीं है। वर्षा का पानी मिलता नहीं। कभी वर्षा पर आधारित चने की खेती होती थी किंतु अब धीरे-धीरे पैदावार घट गई है। आम आदमी की जरूरत में कम काम आता है, इसलिए भी किसान पैदावार के रूप में चने की बजाय गेहूं सरसों लेते हैं।
--डा. देवराज, पूर्व कृषि अधिकारी
फोटो कैप्शन 02: छोटे से खेत में उगाई गये चने। साथ में डा. देवराज






महाशिवरात्रि का भंडारा मंगलवार को
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कनीना की आवाज।
 कनीना के कान्ह सिंह धर्मशाला के पास स्थित शिवालय में मंगलवार को शिवरात्रि का भंडार आयोजित होगा। विस्तृत जानकारी देते हुए समाजसेवी धर्मवीर उर्फ बिल्लू ने बताया कि वैसे तो महाशिवरात्रि 26 फरवरी को है क्योंकि महाशिवरात्रि के दिन बहुत से भक्त भोजन ग्रहण नहीं करते इसलिए भंडारा 25 फरवरी मंगलवार को आयोजित किया गया है। जिसमें दूर दराज से भक्तों में प्रसाद ग्रहण करने पहुंचते हैं। वर्षों से यह भंडारा लगता आ रहा है।



आयोजित हुआ भंडारा
- करीब डेढ़ सौ साधु पहुंचे भंडारे में
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कनीना की आवाज।
 कनीना के सिरसवाला जोहड़ स्थित संत राधे दास आश्रम पर राधेदास संत की छठी पुण्यतिथि पर भंडारा आयोजित किया गया। जिसमें दूर दराज से आकर भक्तों ने आकर प्रसाद ग्रहण किया वहीं डेढ़ सौ के करीब साधु संत भी पहुंचे। उन्हें भोजन कराकर वस्त्र व ढाई सौ रुपए प्रत्येक को दान दक्षिणा देकर विदा किया। मिली जानकारी अनुसार सुबह से भंडारा शुरू हो गया था, दिन भर चलता रहा। भारी संख्या में भंडारे में दूध दराज भक्तजन पहुंचे। भक्तों ने भंडारी का प्रसाद ग्रहण किया। वहीं साधु संतों का जमावड़ा रहा। भारी संख्या में साधु संत पहुंचे उन्हें भी भोजन कराकर विदा किया गया। विस्तृत जानकारी देते हैं मोहन पार्षद और राजकुमार कनीनवाल ने बताया कि हर वर्ष संत राधेदास की पुण्यतिथि पर इस प्रकार का भंडारा आयोजित होता है। संत रामेश्वर दास का भी यही आश्रम है। यहीं पर राधे दास संत ने तप किया था।
  बाबा राधे दास का जन्म 1 जनवरी 1946 को हुआ था। शुरू से ही यह धार्मिक प्रवृत्ति के रहे हैं। पढ़ाई करने के बाद सरकारी शिक्षक लगे। कुछ दिन बाद उन्होंने अपनी सर्विस छोड़कर सन्यास ले लिया था। उसी दिन से इन्होंने अन्न बिल्कुल त्याग दिया था। फल फ्रूट खाकर ही भक्ति कर रहे थे ।इन्होंने अलवर के सरिस्का में भी तपस्या की और उनकी यह छठी पुण्यतिथि है। रात को जागरण हुआ सुबह हवन हुआ।
 फोटो कैप्शन 01: भंडारे का प्रसाद ग्रहण करते साधु संत





कनीना नगरपालिका चुनाव-2025
72 साल बाद ऐसा अजब नजारा मिल रहा है देखने को
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कनीना की आवाज। 
कनीना नगर पालिका को बने करीब 72 साल बीत गए हैं और पहली बार इस प्रकार का चुनाव नजारा लोगों के सामने नजर आ रहा है। जहां विगत योजना में किसी पर किसी भी प्रत्याशी ने कोई कार्यालय स्थापित नहीं किया था जबकि इस बार 57 चुनाव कार्यालय पार्षदों एवं प्रधान पद के दावेदारों ने खोल दिए हैं। अधिकांश कार्यालय रेवाड़ी-महेंद्रगढ़ सड़क मार्ग ,कनीना बस स्टैंड पर बनाए हैं। अनाज मंडी, ककराला सड़क मार्ग अटेली रोड़ पर भी कार्यालय स्थापित कर दिए हैं। इतना अधिक माइकों का शो पहली बार सुना रहा है जो सुबह से शाम तक गूंजता रहता है।  प्रत्येक पार्षद और प्रधान पद के दावेदारों की दो से पांच गाडिय़ां जिनपर लाउडस्पीकर लगे होते हैं और पूरी गलियों में सुबह से शाम चक्कर लगाते रहते हैं।
बुजुर्ग कमला, सुनीता, रेवती, राजेंद्र कुमार, सूबे सिंह, कृष्ण कुमार, भरपूर सिंह आदि ने बताया कि उनके लंबे जीवन में पहली बार इतना कठिन मुकाबला देखने को मिल रहा है। कनीना में जहां प्रत्याशियों की चुनावी घोषणाओं की भरमार है। सबसे पहले प्रधान पद की दावेदार एक नेत्री ने  चुनावी घोषणा में कहा कि जीत के बाद कनीना कस्बेवासियों पर हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा की जाएगी तत्पश्चात तो चुनाव लडऩे वाले नये नये घोषणाओं को ढूंढने लगे हैं।  एक के बाद एक घोषणा होने लग गई है। आज के दिन सभी प्रत्याशियों ने घोषणा पत्र जारी कर दिया हैं और पार्षदों ने अलग से घोषणापत्र जारी किये हैं। जो आज तक दुकानदारों के विरोधी थे उनकी दुकानें तोडऩे पर आमादा थे वे दुकानदारों के पक्ष में बोलने लग गए हैं।
 जहां कनीना नगर पालिका में पार्षद के लिए डाक्टर, पत्रकार, पूर्व पार्षद, पूर्व प्रधान,वकील,  शिक्षक भी चुनाव लड़ रहे हैं। पहली बार देखने में मिला है कि उच्च योग्यता प्राप्त भी शिक्षक चुनाव लड़ रहे हैं जहां एक प्रधान प्रत्याशी महिला 60 वर्ष से अधिक उम्र को तो एक पार्षद प्रत्याशी भी 60 वर्ष से अधिक की चुनाव मैदान में है। कनीना के लोगों की नजरें अब सभी टिक गई है।
 जहां विभिन्न प्रिंटिंग प्रेस वाले सुबह शाम और पूरी रात दनादन अपनी मशीन चला रहे हैं और बैनर, पोस्टर छापने में व्यस्त हैं।  विभिन्न प्रत्याशियों ने जहां भी जगह मिलती है  बैनर पोस्टर लगाने शुरू कर दिए, अगर यही हाल रहा तो भविष्य में पशुओं की पीठ पर भी बैनर, पोस्टर लग जाएंगे। किसी भी पोल पर 5 से 10 पोस्टर और बैनर लगे हुए हैं, नालियों में भी पोस्टर लगा दिए हैं घर की दीवारें ऐसी सजा दी है जैसे दीपावली पर सजाया जाता है। जहां इतना कठिन पार्षदों के बीच मुकाबला पहली बार देखने को मिल रहा है। विभिन्न कार्यालयों में सुबह से शाम लोग बैठे दिखाई देते हैं। जहां चाय पानी का प्रबंध किया गया है। वही लोग सुबह से शाम तक कहीं भी दिखाई दे बस चुनावी चर्चा में खो जाते हैं। चाय की दुकान या कोई किराना स्टोर हो या कोई सरकारी कार्यालय सभी जगह चुनावी चर्चा चैल रही है। यहां तक की किसान, सामान्य व्यक्ति, मजदूर या बाहर से आए हुए लोग भी अब तो इन चुनाव चर्चाओं में भाग लेने लगे हैं। कहीं भी देखे हुक्कों की बुड़बुड़ाहट पर चुनावी चर्चा मिलती है। फूलमालाओं, चाय , समोसे आदि की मांग बढ़ गई है वहीं पगड़ी की कोई मांग नहीं है। फलों से तोलने की कार्रवाई शुरू हो गई है वहीं लोग गली मोहल्ले में घूमते दिनभर चुनावी चर्चाओं में लगे रहते। इस बार इतना होते हुए भी आपस में कोई बैरभाव नजर नहीं आया। किसी भी पार्टी से कोई चुनाव नहीं लड़ रहा सभी निर्दलीय हैं, साथ में इन चुनावों में सबसे बड़ी विशेषता देखने को मिली कि जो बर्फ बेचने वाले लोगों की अच्छी कमाई हो रही है। उनकी सभी ई-रिक्शा बड़े-बड़े, वाहनों पर पोस्टर, बैनर से सजाकर, माइक लगाकर सजाकर गलियों में घुमाये जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि शायद एमएलए और एमपी के चुनाव में भी इस कदर मारामारी कभी नहीं देखने को मिली। कहीं भी देखे गलियों में बस पोस्टरों की भरमार है। इधर-उधर उड़ते पोस्टर नजर आते हैं। बाहरी खर्च कर करके रंगीन पोस्टर छपवाये जा रहे हैं। बड़े-बड़े कार्यालय खोलकर उन में भीड़ इकट्ठा करके भीड़ का प्रदर्शन किया जा रहा है लेकिन घर में जहां एक-एकप्रत्याशी 10-10 बार वोट मांगने के लिए आ चुका है और अभी तो 2 मार्च को मतदान होगा तब तक न जाने कितनी बार वोट मांगने के लिए आ चुके होंगे। ऐसे में हर जगह चर्चा का विषय है कि नगरपालिका के चुनाव है या कुछ और?



















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