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Thursday, March 9, 2023

 

कनीना में संपन्न हुआ होली मिलन समारोह
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कनीना की आवाज। कनीना स्थित आरएस वाटिका में बुधवार को होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। जो सुबह 10 बजे से शुरू होकर शाम करीब तीन बजे तक चला। जिसमें यदुवंशी एजुकेशन ग्रुप के चेयरमैन व पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह, पूर्व सीपीएस अनीता यादव, श्री श्याम मित्र मंडल के प्रधान अनिल गर्ग, व्यापार मंडल के प्रधान रविंद्र बंसल, गो-भक्त समाजसेवी  भगत सिंह सहित अनेक गणमान्य लोगों ने मौके पर पहुंचकर कार्यक्रम का आनंद उठाया। कार्यक्रम का शुभारंभ धर्मेश कौशिक ने धमाल गाकर किया। जिन्होंने कार्यक्रम के दौरान सभी लोगों को नाचने के लिए मजबूर कर दिया। कार्यक्रम के दौरान संगीत प्रेमी हेडमास्टर कृष्ण प्रकाश यादव, यादराम, शीवकुमार, मास्टर सत्यप्रकाश, विक्की जांगड़ा, प्राचार्य सुनील यादव, रोहित सिंह शेखावत, अजित बेदी,  अनिल झगड़ू, सुशील मित्तल, डायरेक्टर महेन्द्र शर्मा झाड़ली ने भी अपनी प्रस्तुति दी। इस अवसर पर दादा ठाकुर मंदिर कमेटी के प्रधान विनोद गुड्डू चौधरी, सेठ सुभाष चंद मित्तल, समाजसेवी सिब्बू पंसारी,  व्यापार मंडल के प्रधान लाला निरंजन लाल,प्रधान बलवान सिंह, ढीलू सरपंच, ईश्वर, सतीश रोहिल्ला, अशोक पैकन,  पार्षद कमल सिंह यादव, पवन जांगड़ा, महेंद्र सिकलीगर, संजय लखेरा, सोमदत्त लखेरा, बंटी लखेरा, राजू लखेरा, मोनी लखेरा, रामनिवास जांगड़ा, महेश मिस्त्री, अजीत मिस्त्री, रवी यादव, रूप शर्मा,  थानेदार नवीन शर्मा अधिवक्ता नरेश कनिनवाल, सोनू सेठ, दिनेश मिस्त्री, रमेश झाडली आदि उपस्थित  थे।
फोटो केप्शन 15: होली मिलन समारोह कनीना का नजारा।









अति जर्जर हालात में है छिथरोली मार्ग
- सैकड़ों किसान प्रतिदिन करते हैं आवागमन
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कनीना की आवाज। कनीना बस स्टैंड के पास से गुजरने वाले छीथरोली मार्ग की हालात अति जर्जर हो चली है। यह मार्ग आगे बाघोत होकर चरखी दादरी तक पहुंचता है और चरखी दादरी पहुंचने का सबसे छोटा मार्ग है। इसी मार्ग पर जहां सीएसडी कैंटीन स्थित है वहीं सैकड़ों किसान प्रतिदिन इस मार्ग से होकर गुजरते किंतु कदम कदम पर गड्ढों की भरमार है या सड़क ही गायब हो चुकी है। इस सड़क को पुन: निर्मित करने के लिए बार-बार लोग मांग कर रहे हैं किंतु उनकी मांग को नहीं सुना जा रहा है। सुना जा रहा है क्या कहते हैं लोग-
 विजेंद्र कुमार कहते हैं कि उनका तो मकान भी इस सड़क मार्ग पर बना हुआ है। बाइक चलाना तो कठिन पैदल भी नहीं चल पाते। कई बार गिरते-गिरते बचते हैं। मार्ग की सुध नहीं ली जा रही है जिससे उनका जीना मुहाल हो चुका है। वैसे भी संकीर्ण मार है किंतु इसकी सुध ले ली जाए तो चरखी दादरी पहुंचने का सबसे छोटा मार्ग होगा। कुलदीप बोहरा का कहना है कि किसानों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। सरसों कटाई का कार्य शुरू हो गया है। किसानों को आवागमन करने के लिए मार्ग से जाना पड़ता है। ऐसे में किसान बेहद परेशान रहेंगे और पहले भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मार्ग की सुध सबसे पहले ली जानी चाहिए थी।
 रविंद्र कुमार का कहना है कि सीएसडी कैंटीन तक हजारों सेवानिवृत्त फौजियों को इस मार्ग से होकर गुजरना पड़ता है किंतु कैंटीन तक पहुंचने के लिए अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बार-बार छोटी-छोटी दुर्घटनाएं घट रही हैं। सुनने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है।
 मनोज शर्मा का कहना है कि इस मार्ग पर बाघोत स्थित प्राचीन प्राकृतिक शिवलिंग वाला शिवालय है। अगर इस मार्ग की सुध ले ली जाए तो बाघोत तक पहुंचने वाले भक्तों के लिए सुविधा हो जाए और भक्त आसानी से शिवालय में जाकर शिव भोले के दर्शन कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि इस मार्ग की सुध लेना बहुत जरूरी बन गया है क्योंकि कई छोटे उद्योग भी इसी मार्ग पर खुल गए हैं वहीं उच्च अधिकारी भी रह रहे हैं।
फोटो कैप्शन 13: जर्जर छीथरोली मार्ग।
फोटो कैप्शन: कुलदीप बोहरा, मनोज शर्मा, रविंद्र कुमार,विजेंद्र कुमार।







पानी के सदुपयोग के बारे में लोगों को किया जागरूक
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कनीना की आवाज। उपमंडल कनीना के गांव भोजावास के अंबेडकर भवन में अटल भूजल योजना के तहत जल बचाने के बारे में लोगों को एकत्रित करके उनको जल का सदुपयोग करने के बारे में जागरूक किया गया जिसमें हरियाणा सरकार की तरफ से भू जल संरक्षण योजना की तरफ से टीम के ट्रेनर विकास यादव व असिस्टेंट पूजा मैडम ने आकर लोगों को पानी बचाने के बारे में ढेर सारी जानकारी दी और बताया कि जल है तो कल है जल नहीं तो कुछ नहीं सभी पंप ऑपरेटर को शामिल किया गया और जल बचाने के बारे में जागरूक किया गया लोगों ने जल बचाने का संकल्प लिया
ओमलता सरपंच ग्राम पंचायत भोजावास की तरफ से इस मीटिंग का आयोजन किया गया.
संदीप कुमार युवा समाज सेवी, मुकेश लंबरदार ,नरेंद्र, हैप्पी मनोज,रजनीश वाल्मीकि आदि लोग शामिल हुये।
फोटो कैप्शन 14: भूजल बचाने के लिए भोजावास में चलाया अभियान।








कभी नहीं भुलाए जाएंगे सतीश कौशिक
-धनौंदा गांव के कण कण में बसे हैं
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कनीना की आवाज। फिल्म निदेशक एवं एक्टर सतीश कौशिक का बेशक निधन हो गया है किंतु वे कभी नहीं भुलाये जा सकते। धनौंदा गांव के कण कण में उनका नाम बसा है। यह बात धनौंदा के लोग कह रहे हैं, जहां सतीश कौशिक के निधन पर पूरा गांव शोकाकुल है। उनकी बस इच्छा रह गई कि कम से कम अंतिम समय में उनके दर्शन हो जाते परंतु दुर्भाग्यवश वे धनौंदा में करीब एक वर्ष से नहीं आए थे। धनौंदामें जहां उनका पैतृक आवास एवं जमीन भी है किंतु उसके  माता-पिता पहले ही धनौंदा को छोड़कर दिल्ली जा चुके थे। उनकी पैदाइश की दिल्ली की ही है।
 सतीश कौशिक का जन्म भी दिल्ली में हुआ था परंतु वे अपने पूर्वजों के गांव तथा घर में जरूर आया जाया करते थे। जब कभी उन्हें याद करते तो हाजिर होते थे। उन्होंने बड़े-बड़े सपने धनौंदा के विकास कार्यों के लिए, लिए हुए थे परंतु उनकी मौत के कारण पूरे नहीं हो सके।  इस संबंध में धनौंदा के जसवंत सिंह बताते हैं कि यहां उनकी इच्छा लड़कियों का कालेज स्थापित करने की थी तथा वे और इस काम को पूरा करना चाहते हैं किंतुु पूरा नहीं कर पाए।
 उधर राजेंद्र सिंह उनके बहुत करीबी साथी रहे हैं। जब वे इधर आते तो राजेंद्र सिंह नंबरदार के आवास पर रुकते थे, उनकी पुरानी यादों में खो जाते थे। उन्होंने बताया कि वह दिल्ली में ही रहते थे। करीब एक साल पहले यहां आए थे। उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में यहां स्टेडियम का निर्माण भी करवाया,  ठाकुर मंदिर में मूर्ति स्थापना करवाई, वहीं साकेत कुमार पूर्व जिला उपायुक्त नारनौल भी यहां आए थे। जब भी वे आते तो उनके गले से मिलते थे। उन्होंने अपनी एक तस्वीर दर्शाई कि किस प्रकार वे उनसे गले से मिलते थे।
उनके पूर्वजों के घर में जहां उनकी तस्वीरें भी टंगी हुई है तथा क्षेत्र के विभिन्न लोग भी उनके साथ खिंचवाई हुई फोटो एल्बम के रूप में लिए हुए हैं और अपने जेहन में उनकी यादें बसाई हुई है। सबसे प्रमुख धनौंदा के निवासी ठाकुर राजेंद्र सिंह नंबरदार रहे हैं। ठाकुर राजेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी पत्नी रााजवंती सरपंच बनी तो वे गांव में विशेष रूप से पहुंचे थे और उनसे गले से मिलकर खुलकर पुरानी बातें की। उन्होंने कहा कि वे धनौंदा में जब भी आते थे तो सबसे पहले उन्हीं से मिलते थे। यद्यपि उनके पैतृक घर पुराना है साधारण रूप में दिखाई दे रहा है। वे बताते हैं कि करीब 1950 के आसपास उनके पूर्वज दिल्ली में जा बसे थे परंतु उनका एक ही सपना था कि धनौंदा ऊंचाइयों को छूये। उनकी प्रकृति बहुत धार्मिक थी। जब एकता कभी आते तो धार्मिक स्थानों पर जरूर जाते थे। यही कारण है कि उन्होंने बाबा दयाल का भंडारा, राधा कृष्ण मंदिर में मूर्ति स्थापना करवाई। घड़ी महासर के माता मंदिर में भी अक्सर जाया करते थे। 2 साल पहले नवरात्रों पर आए थे तो सीधे घड़ी महासर के माता मंदिर में जाकर धोक लगाई थी। ग्राम पंचायत के विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए सरकार से लोगों से बात करके डेढ़ करोड़ रुपये का की ग्रांट भी उपलब्ध करवाई थी। उनकी 20 दिनों पहले की बात हुई थी। बस यादें जहन  में बसी हुई है।
धनौंदा कनीना-चरखी दादरी मार्ग पर 8 किलोमीटर दूर छोटा सा गांव है जिसमें पंचायत बनती है। वैसे तो गांव राजपूत बाहुल्य है किंतु यहीं पर उनके पूर्वज बसते थे तथा परिवार से संबंधित कुछ लोग अब भी बसे हुए हैं।
बेशक सतीश कौशिक अब नहीं आएंगे किंतु उनकी यादें लोगों के जहन में बसी रहेंगे तथा यह गांव उनकी याद दिलाता रहेगा।
 पूर्व सरपंच रहे रूपेंद्र बताते हैं कि सतीश कौशिक धनौंदा का विकास चाहते थे। शहीद महेशपाल का मुद्दा हो या बाबा दयाल का वे बढ़चढ़कर भाग लेते थे। वे अति मिलनसार थे। बार बार धनौंदा आते थे। ठाकुर रतन सिंह पूर्व चेयरमैन का कहना है कि जब मैं 2000 से 2005 तेक सरपंच रहे तो सतीश कौशिक उनसके मिललने आये थे। पूर्व चेयरमैंन ठाकुर रतन सिंह ने उनका एवं उनकी बहन का सम्मान भी किया था। वे धनौंदा का विकास चाहने वालों में सर्वोपरि थे।
फोटो कैप्शन 7: धनौंदा का स्टेडियम जो उनके श्री कौशिक के प्रयासों से निर्मित हुआ
फोटो कैप्शन 8: सतीश कौशिक से जुड़ी यादें एल्बम के रूप में
फोटो कैप्शन 9: वह मकान जहां उनके पूर्वज रहे है
फोटो कैप्शन 10: सतीश कौशिक के बहुत नजदीकी रहे ठाकुर राजेंद्र सिंह नंबरदार से गले मिलते हुए फोटो फाइल






पूरे परीक्षा केंद्र पर केवल एक विद्यार्थी ने दी परीक्षा
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कनीना की आवाज। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पोता में बारहवीं कक्षा के होम साइंस के पेपर में केवल एक विद्यार्थी ने परीक्षा दी। मिली जानकारी अनुसार पोता के स्कूल में 12वीं कक्षा का परीक्षा केंद्र बनाया गया है जिसमें होम साइंस का पेपर गुरुवार को संपन्न हुआ जिसमें एक लड़के ने परीक्षा दी। जिस पर केंद्र अधीक्षक,  केंद्र उप- अधीक्षक तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मी हाजिर रहे साथ में फ्लाइंग भी दौरा करती रही। जिले का ऐसा परीक्षा केंद्र पोता ही रहा जहां एक ही विद्यार्थी परीक्षा दे रहा था। क्षेत्र में परीक्षाएं शांतिपूर्वक चल रही हैं।








फिल्म निदेशक सतीश कौशिक के निधन पर शोकाकुल है धनौंदा गांव
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव धनौंदा में लोग सकते में है तथा अचानक उनके गांव के सुप्रसिद्ध फिल्म एक्टर एवं निदेशक सतीश कौशिक के निधन पर दुखी है। कभी उनके पूर्वज धनौंदा गांव के बीच में बने एक घर में रहते थे। तत्पश्चात उन्होंने घर को छोड़कर दिल्ली में अपना आवास बनाया था वहीं से उनका संपर्क फिल्मी नगरी से हुआ और फिल्मी नगरी में जाकर पूरा परिवार ही गुजर बसर करने लगा। गत दिवस जहां महिमा चौधरी के एक कार्यक्रम में सतीश कौशिक गुरुग्राम में आना पड़ा जहां उनके दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया लेकिन उनका पार्थिव शरीर वापस मुंबई ले जाया गया।  सतीश कौशिक अक्सर धनौंदा में आते थे और धनौंदा के अनेक विकास कार्यों में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। उनसे जुड़ी आने को यादगार आज भी धनौंदाा में स्थित है जहां धनौंदा का स्टेडियम, ठाकुर ठाकुर मंदिर की मूर्ति स्थापना उनकी मदद से हुई है वही विकास कार्यों के लिए भारी राशि उन्होंने उनके प्रयासों से उपलब्ध करवाई।
क्या कहते हैं उनके नजदीकी और चाहने वाले- सतीश कौशिक के साथ खेलने कूदने वाले ठाकुर राजेंद्र सिंह नंबरदार ठाकुर राजेंद्र सिंह नंबरदार का कहना है कि जब वे 8- 10 साल के थे तब से साथ खेलते आये हैं। उनकी यादें उनके जेहन में आज भी बची हुई है किंतु उनकी बुद्धिमता स्पष्ट दिखाई देती थी और जिससे लगता था कि वह एक दिन कुछ ना कुछ बनकर दिखाएंगे और आखिर वहीं उन्होंने करके दिखलाया। आज फिल्मी दुनिया में उनका अहम नाम रह गया है। यद्यपि उनके मां-बाप 30 साल पहले ही स्वर्ग सिधार चुके हैं किंतु उनके परिवार में उनका ताऊ एवं उनके बच्चे आज भी उन्हें याद करते हैं।
सतीश कौशिक के परिवार के सुनील कौशिक उन्हें याद करते हैं और उनका कहना है कि जब भी वो आते थे तो हर इंसान से मिलते थे। उनका स्वभाव सरल और मिलनसार रहा है।   उनकी यादें आज भी उनके जहन में बसी हुई है। उन्होंने बताया कि कुछ वर्ष पहले भी धनौंदा में आए थे। 20 दिनों पहले भी उनसे बात हुई थी। उनको कभी नहीं भुला पाएंगे।
सुभाष कौशिक का कहना है कि वो उनके भाई की तरह थे। 20 दिनों पहले भी उनसे फोन पर बात हुई थी। उन्होंने धनौंदा पंचायत को डेढ़ करोड़ रुपये की ग्रांट दिलवाने में अहम भूमिका निभाई वहीं स्टेडियम ,बाबा दयाल पर भंडारा लगाने, जोहड़ की सफाई करने, राधा कृष्ण मंदिर में मूर्ति स्थापना में उनका अहम योगदान रहा है। वो साफ छवि के इंसान थे।
 उधर संतोष देवी का कहना है कि उन जैसा नेक इंसान शायद ही कभी कोई पैदाा हो। वो जब कभी इधर आते तो धनौंदा में जरूर आते थे और धनौंदा  में अपने साथियों से मिलकर के जरूर जाते थे। उनके कारण ही धनौंदा का नाम दूर-दराज तक विख्यात है। उन्होंने कहा कि यह लगता ही नहीं कि उनकी मौत हो चुकी है। वे तीन भाई और तीन बहनों में सबसे छोटे थे। उनकी धार्मिक आस्था और धार्मिक प्रवृति सदा ही रही है।
फोटो कैप्शन: सुभाष कौशिक, सुनील कौशिक, संतोष देवी ,ठाकुर राजेंद्र सिंह नंबरदार









फिल्म अभिनेता की मृत्यु पर बसपा ने जताया शोक
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव धनौन्दा गांव निवासी मशहूर अभिनेता, सफल निर्देशक तथा फिल्म निर्माता सतीश कौशिक के आकस्मिक निधन पर पैतृक गांव धनौन्दा में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके निधन का समाचार सुनकर पूरा गांव गमगीन तथा शोकाकुल है। प्रमुख समाजसेवी बसपा नेता ठाकुर अतरलाल उनके चचेरे भाई सुभाष कौशिक, सूबेदार सुरत सिंह, पूर्व सरपंच राजवंती देवी, सरपंच बीना देवी, राजेन्द्र नम्बरदार, डॉ मुकेश, मीर सिंह वैद्य, किशनपाल सिंह, घनश्याम पंच आदि गणमान्य लोगों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे पूरे वालीवुड के लिए अपूर्णीय क्षति बताते हुए गांव के लिए भी अपूर्णीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि वालीवुड में रहते हुए भी उनका गांव की जड़ों से सतत वास्ता रहा। वे 6 महीने साल में गांव में आकर गांव के विकास की चर्चा करते थे तथा गांव के विकास के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। आगामी 12 मार्च को गांव के बाबा दयाल प्रांगण में उनके लिए श्रद्धाजंलि सभा आयोजित की जाएगी।
फोटो कैप्शन 12:  फाइल फोटो अभिनेता सतीश कौशिक धनौंदा के लोगों से बात करते हुए।







 बालीबाल में पड़तल की टीम रही प्रथम
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कनीना की आवाज। जिला के गांव भोजावास में बाबा ठाकुर जी मंदिर के मंहत सीताराम की अगुवाई में एक दिवसीय खेल प्रतियोगिता तथा भंडारा आयोजित किया गया।
बालीबाल प्रतियोगिता में पड़तल की टीम प्रथम तथा ककराला की टीम द्वितीय रही। कबड्डी डू एंड डाई में खैराणी की टीम प्रथम तथा राहुल भोजावास की टीम उपविजेता रही। मुख्य अतिथि ने विजेता टीमों को नकद पारितोषिक वितरण करते हुए कहा कि खेल जीवन का आधार हैं। युवाओं का खेलों से भविष्य बनता है तथा रोजगार मिलता है। उन्होंने शानदार ग्रामीण प्रतियोगिता आयोजित करने के लिए भोजावास गांव तथा महंत सीताराम का आभार प्रकट किया। उन्होंने शॉल ओढ़ाकर मंहत सीताराम तथा अच्छी रेफरशिप के लिए बुधराम को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। विशिष्ट अतिथि भाग सिंह चेयरमैन ने इस तरह की खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करने पर बल देते हुए कहा कि इससे छुपी हुई प्रतिभाएं निखरकर आगे आती हैं। उन्होंने हरियाणा सरकार से ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे स्टेडियम तथा कोचों की नियुक्ति करने की मांग की। इस अवसर पर सैकड़ों ग्रामीण खिलाड़ी तथा खेल प्रेमी दर्शक व मौजीजान उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 11: विजेता टीम को पुरस्कृत करते हुए संत एवं अन्य।







जिला महेंद्रगढ़ में नाम कमा रहा है पिंकी यादव का मत्स्य पालन केंद्र
-चार गांवों में चल रहे हैं मछली पालन केंद्र
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कनीना की आवाज। कनीना की पिंकी यादव का कम जमीन तथा कम पानी में मछली पालने का केंद्र आरएसी(रिसर्कुलेटरी अक्वा कल्चर) जिले भर में नाम कमा रहा है। जिले भर में इस प्रकार का यह चौथा केंद्र है। भारत सरकार एवं हरियाणा सरकार की मिली जुली योजना है। करीब 50 लाख रुपये की लागत से प्रोजेक्ट तैयार है जिस पर सरकार सामान्य व्यक्ति को 40 फीसदी वही एससी के लिए तथा सभी वर्ग की महिलाओं को 60 फीसदी अनुदान देती है।
कनीना में गाहड़ा रोड पर पंकी यादव ने आधुनिक पद्धति का फार्म स्थापित किया है। कम पानी कम जगह में अधिक उत्पादन लेने के लिए संस्थान जाना जाता है। पिंकी यादव के पति बलदीप यादव ने बताया कि उनका यह संस्थान दैो सालों से पैदावार दे रहा है। बच्चा मछली 6 से 8 महीने बाद पैदावार देने लग जाती हैं। दिल्ली में गाजीपुर मार्केट इसके लिए प्रसिद्ध है। करीब एक एकड़ एरिया में उनका यह प्रोजेक्ट 50 लाख रुपये की लागत से शुरू हुआ है।  इस प्रोजेक्ट में 35 फ़ीसदी तक लाभ होता है। छोटी सी जगह में जहां पानी को बार-बार साफ करके प्रयोग में लाया जाता है। 8 टैंकों में छोटी-छोटी मछलियां पाली गई हैं। प्रत्येक टैंक में करीब एक लाख लीटर तक पानी भरा है जो एक साल तक प्रयोग किया जा सकता है।
क्या कहते हैं जिला मत्स्य अधिकारी-
 उधर जिला मत्स्य अधिकारी सोमदत्त ने बताया कि इस संयंत्र पर 36 लाख रुपये लागत तथा 14 लाख रुपये छोटी मछलियां रखने के लिए रखे जाते हैं। ये मछलियां पानी में ऊंचाई तक सांस ले सकती हैं। उन्होंने बताया कि दिल्ली और फरीदाबाद में इनकी मार्केट चलती है। जिला में महेंद्रगढ़ में गादड़वास तथा दूसरा कनीना, तीसरा सुरेहती तथा चौथा छीथरोली मेंफार्म स्थापित है। जिसमें पानी पूरे साल तक प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि 12 से 16 लाख रुपये तक प्रत्येक छह माह में किसान कमा सकते हैं।  क्योंकि हाई तकनीक के जरिए इस पानी को साफ किया जाता है और फिर से मछलियों के लिए उपलब्ध हो जाता है।  
 इस प्रोजेक्ट के बारे में पिंकी यादव तथा बलदीप ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में कम पानी की सहायता से अधिक मछली उत्पादन कर सकते हैं। इसमें पानी को ड्रम फिल्टर,बायो फिल्टर, आरओ और अल्ट्रावाइलेट किरणों  की सहायता से साफ करके उसी पानी को बार बार प्रयोग में लाया जा रहा है।  इस प्रोजेक्ट में 8 टैंकों की लंबाई चौड़ाई 25 फुट बाई 25 फुट व उनकी गहराई 5 फुट के लगभग होनी चाहिए। एक टैंक में 6 हजार बच्चा मछली डाली जाती हैं जो छह माह में 500 ग्राम की बन जाती है। जिसमें  उच्च घनत्व के अंदर अधिक से अधिक मछली पालन कर सकते हैं।  6 से 8 महीने के अंदर मछली 500 ग्राम वजन से ऊपर हो जाती है। टेंकों में फंगसियस, वियतनाम कोई, पापदा किस्में कल्चर की जाती हैं। मत्स्य पालन केंद्र के साथ मुर्गी पालन केंद्र भी बना दिया है। मुर्गियों की बीट भी मछली खा लेती हैं जिनमें कुछ प्रोटीन पाया जाता है।
फोटो कैप्शन 5: पिंका यादव का मत्स्य पालन केंद्र
                    मत्स्य अधिकारी सोमदत







बासौड़ा का पर्व 15 से
-शीतला अष्टमी नाम से जानते हैं कुछ लोग
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कनीना की आवाज। करीब 3 सप्ताह लगातार चलने वाला बासौड़ा का पर्व 15 मार्च से शुरू हो रहा है। समीपी गांव बव्वा में शीतला माता का मेला भी लगता है। वास्तव में शीतला अष्टमी नाम से प्रसिद्ध इस पर्व पर पर सभी लोग बासी खाना खाते हैं। यह परंपरा पुराने वक्त से चली आ रही है माता/चेचक का रोग प्रमुख रूप से फैलता था। उस जमाने में माना जाता था कि बासी खाने से रोग नहीं लगता। उस वक्त से पूरा परिवार बासी भोजन खाता है। वही शीतला माता मंदिर बव्वा पर बाल उतरवाने की प्रथा पूर्ण की जाती है। लगातार 3 सप्ताह तक यह पर्व चलता है। कनीना में माता मंदिर में भारी मात्रा में अन्न का चढ़ावा आता है। यही नहीं चौराहों और जीवों के लिए भी भारी मात्रा में चावल आदि पका कर दिये जाते हैं।














































नाम कमा रही अजीत कुमार की बेरी
-पेड़ छोटा किंतु फलों से लदा, पाइपों से रोका गया है
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कनीना की आवाज। कनीना के किसान अजीत कुमार के खेत में खड़ी बेरी आकर्षण का विषय बन गई है। चर वर्ष पुरानी इस बेरी पर इतने अधिक फल लगते हैं कि अपने ही वजन से वह टूट जाती है। अति नर्म एवं रसीले बेर न केवल देखने में अपितु खाने में भी स्वादिष्ट लगते हैं।
   किसान अजीत कुमार ने बताया कि उनके खेत में यह बेरी तीन वर्ष पूर्व लगाई थी जिस पर पहले ही वर्ष से बेर लगने लग गए थे। हर वर्ष इसके बेरों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। किसान ने इसकी टहनियों को पाइपों के सहारे टूटने से बचा रखा है। उन्होंने कहा कि इसकी टहनियां वजन के कारण टूट जाती हैं। उनकी बेरी को देखने के लिए लोग आते हैं।
  यूं तो कितने ही किसानों के यहां बेरी के पौधे लगे हैं और मधुर फल दे रहे हैं किंतु अजीत कुमार के खेत की बेरी के फल बहुत अधिक रसीले एवं मधुर हैं। बेरों का वजन अधिक होने के अलावा मधुरता एवं अति नर्म होने के कारण लोग फल खाकर उनका दीवाना हो जाता है। कृषि कार्यालय के डा देवराज का कहना है कि यह उत्तम दर्जे की बेरी है और उन्हें इनाम दिलवाने के प्रयास किए जाएंगे।
फोटो कैप्शन 4: कनीना के अजीत कुमार की बेरी के लदे बेर।

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