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Friday, March 24, 2023

 


पहले कर्मियों को परेशान किया है परिवार पहचानपत्र ने
-अब अभिभावक रहेंगे परेशान, शिक्षा विभाग ने प्रवेश में किया अनिवार्य

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कनीना की आवाज। लंबे समय से परिवार पहचान पत्र जिसे पीपीपी के नाम से जानते हें, ने कर्मियों के लिए समस्या बढ़ाई है। स्कूल के शिक्षकों को पूरा करने का सख्त आदेश दिया गया और अभी भी पीपीपी  को पूरा करने का काम जारी है। कर्मी अपने कार्यालय के कार्यों के अलावा अनेक प्रकार की बातें परिवारों की सुनकर इस काम को भी पूरा कर रहे हैं। अब तो प्रवेश के समय में भी शिक्षा विभाग ने पीपीपी  को जरूरी कर दिया है। पीपीपी के विरोध में स्कूल भी आ गये हैं।
विपक्षी दलों के बाद अब निजी स्कूलों ने भी हरियाणा में परिवार पहचान पत्र  का विरोध किया है। स्कूलों की ओर से इसके पीछे की वजह टेक्निकल दिक्कत को बताया है।
 हरियाणा सरकार की ओर से शिक्षा विभाग के द्वारा नए प्रवेश के लिए प्रबंधन सूचना प्रणाली पोर्टल पर पीपीपी को अपलोड करना अनिवार्य किया है।
   उल्लेखनीय है कि हरियाणा के स्कूलों में अप्रैल में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होगा। इस दौरान स्कूलों में नए एडमिशन भी किए जाएंगे। स्कूल प्रबंधन इस बार नए एडमिशन में पीपीपी को लेकर चिंतित है। स्कूलों के अनुसार अब सरकार के एमआईएस पोर्टल पर नए छात्रों के पंजीकरण करने के लिए पारिवारिक आईडी का उपयोग करना होगा। पीपीपी में कई कमियां होने के कारण एडमिशन में परेशानी होने की बात कहने लगे हैं।
 अब तो स्कूलों की मांग उठने लगी है कि कि एडमिशन की नई प्रक्रिया में परिवार पहचान पत्र को विकल्प के रूप में कर दिया जाए। इसके विरोध में स्कूल न्यायालय की शरण भी ले सकते है।
शिक्षा विभाग के एमआईएस पोर्टल पर परिवार पहचान पत्र अपलोड करते समयओटीपी जनरेट होता है। चूंकि ये ओटीपी अभिभावकों के रजिस्टर्ड नंबर पर आता है, यह नंबर एडमिशन के लिए उन्हें साझा करना होता है, लेकिन अधिकांश अभिभावक साइबर धोखाधड़ी के कारण यह ओटीटी देने से इनकार करते हैं। इससे एडमिशन में काफी दिक्कतें आएंगी।


सावन की भांति बरस रहे हैं बादल
-दिनभर छाये रहे बादल, दो बार में हुई 6 एमएम बारिश
-आधा दर्जन गांवों में पड़े ओले
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कनीना की आवाज। बेमौसमी/ प्री-मानसून वर्षा ने तो किसानों के लिए समस्या पैदा कर दी है। लगातार सावन भी भांति वर्षा हो रही है। वर्षा के चलते जहां किसानों की फसल पूर्ण बर्बाद होने के कगार पर चली गई है। शुक्रवार को सुबह तथा शाम को दो बार में 6 एमएम वर्षा हुई। आधा दर्जन गांवों में ओले भी पड़े हैं।
  किसानों ने सोचा था कि मौसम खुल जाएगा और सरसों फसल की लावणी फिर से शुरू कर ली जाएगी किंतु वर्षा किसानों को न तो लावणी करने का मौका दे रही है और न काटकर डाली गई फसल से पैदावार लेने दे रही है। अब तो लगातार नमी एवं काटी गई फसल के नीचे पानी जमा होने से सरसों की फसल खराब होने की संभावना बढ़ गई है। किसान नरेंद्र, सुरेंद्र, रवि, सुरेश, सूबे सिंह आदि बताते हैं कि इस बार तो फसल पैदावार ले पानी अति कठिन कार्य बनता जा रहा है। किसान वर्षा के रुकने का इंतजार कर रहे है।
पड़े ओले-
कनीना उपमंडल के आधा दर्जन गांवों में ओलावृष्टि भी हुई। गजराज, कांता, दिनेश, महेंश आदि ने बताया कि मानपुरा, गोमला, गोमली, भोजावास, ढाणा, पड़तल आदि गांवों में कहीं कम तो कहीं अधिक ओले पड़े हैं।  किसान पहले ही परेशान हैं और उनकी समस्या अब ओर बढ़ गई है।
फोटो कैप्शन 11: मोड़ी में ओलावृष्टि के बाद जमा फर्श पर ओले।






अब बेमौसमी वर्षा कुछ और सताने की बनी संभावना
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कनीना की आवाज। हरियाणा एनसीआर दिल्ली में वृहस्पतिवार को शाम बाद से ही मौसम प्रणाली पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव साफ और पर दिखाई दिया और जिसकी वजह से सम्पूर्ण इलाके पर बादल वाही और हल्की से मध्यम आकार की बारिश और तेज गति से हवाएं अंधड़ चलने गरज चमक के साथ एक दो स्थानों पर ओलावृष्टि की गतिविधियों को दर्ज किया गया है। राजकीय महाविद्यालय नारनौल के पर्यावरण क्लब के नोडल अधिकारी डॉ चंद्रमोहन ने बताया कि वर्तमान परिदृश्य में एक सशक्त पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने की वजह से राजस्थान पर एक प्रेरित चक्रवातीय सरकुलेशन बना हुआ है । जिसकी वजह से सम्पूर्ण मैदानी राज्यों राजस्थान पंजाब हरियाणा एनसीआर दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर बारिश की गतिविधियों को दर्ज किया गया है। आज सुबह जिला महेंद्रगढ़ चरखी दादरी झज्जर रोहतक भिवानी रेवाड़ी गुडग़ांव सोनीपत हांसी हिसार गुडगांव अनेकों स्थानों पर तेज़ गति से हवाएं अंधड़ चलने और हल्की से मध्यम बारिश की गतिविधियों को दर्ज किया गया है । साथ ही आज शाम से रात्रि के दौरान हरियाणा एनसीआर दिल्ली में भी बारिश और तेज गति की हवाएं अंधड़ चलने और एक दो स्थानों पर गरज चमक के साथ ओलावृष्टि की संभावना बन रही है क्योंकि लगातार गरज चमक के नये बादलों का निर्माण जारी है । वर्तमान शाम पांच बजे तक में जिला हांसी हिसार भिवानी चरखी दादरी महेंद्रगढ़ में सतनाली, महेंद्रगढ़ और नांगल सिरोही कनीना आदि स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश की गतिविधियां चल रही है और डेरोली जाट  नांगल सिरोही भांडोर गोमला भोजावास  ढाणी कोलाणा आदि स्थानों पर ओलावृष्टि की गतिविधियों को दर्ज किया गया है। इस मौसमी प्रणाली द्वारा पंजाब और हरियाणा में आज और कल बारिश और गरज के साथ छींटे पडऩे की संभावना है। बिजली गिरने और गरज के साथ एक दो स्थानों पर ओलावृष्टि और तेज हवाएं आग में घी का काम कर सकती हैं, जिससे रबी की फसलों को नुकसान हो सकता है। ओलावृष्टि और तेज हवाओं का संयोग खड़ी फसलों के लिए घातक माना जाता है। एक बार दर्ज हो जाने के बाद, मौसम में पर्याप्त सुधार होने के बाद भी तना पूरी तरह से सीधा नहीं हो सकता है। वर्तमान परिदृश्य में पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों पर सक्रिय  है और तेजी से आगे बढ़ रहा है। एक प्रेरित चक्रवातीय हवाओं का क्षेत्र उत्तरी राजस्थान और पश्चिमी हरियाणा पर बना हुआ है।  सुबह से बारिश की गतिविधियों के बाद दोपहर से हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर मौसम साफ और शुष्क बना हुआ है। परन्तु शाम को एक बार फिर से सम्पूर्ण इलाके पर बादल वाही देखने को मिल रही है  साथ ही इस दौरान 15-20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही है । ओलावृष्टि गतिविधियों के लिए एक और मौसम प्रणाली जेट धाराओं का रूख दक्षिणी होना भी प्रमुख भूमिका निभा रहा है । इन  मौसमी प्रणालीयों के संयुक्त प्रभाव से,  राजस्थान,पंजाब, हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अधिकांश स्थानों पर बारिश और गरज के साथ छींटे और कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि होने की संभावना है। 25-26 मार्च के दौरान हरियाणा एनसीआर दिल्ली के पूर्वी और उत्तरी जिलों पर अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा लगातार मौसम में बदलाव और तापमान में उतार चढाव जारी है। आज हरियाणा एनसीआर दिल्ली में अधिकतर स्थानों पर न्यूनतम तापमान 13.0 डिग्री सेल्सियस से 16.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है जबकि जिला महेंद्रगढ़ में नारनौल और महेंद्रगढ़ का रात्रि तापमान 16.0  डिग्री सेल्सियस और 15.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है । जबकि जिला महेंद्रगढ़ में नारनौल में 2.0 मिलीमीटर, सतनाली 8.0 मिलीमीटर और महेंद्रगढ़ में 5.0 मिलीमीटर और  कनीना 3.0 मिलीमीटर और पाली में 27.5,अकोदा में 20.0  मिलीमीटर बारिश की गतिविधियों को दर्ज किया गया है। जबकि अटेली में 3.0 मिलीमीटर और नांगल चौधरी में केवल हल्की बूंदाबांदी ही हुई है। पांच दिनों के ब्रेक के बाद एक नया ताजा पश्चिमी विक्षोभ 30 मार्च को सक्रिय होने से उत्तरी मैदानी राज्यों विशेषकर हरियाणा एनसीआर दिल्ली में 31 मार्च से 1अप्रैल के दौरान फिर से मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा।








सेहलंग में कट की मांग को लेकर धरना के 12 वें दिन जारी
-संघर्ष समिति को अटेली विधायक सीताराम यादव व अनिता यादव ने दिया समर्थन
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कनीना की आवाज। नेशनल हाइवे 152-डी पर सेहलंग-बाघोत के बीच कट छोडऩे की मांग को लेकर, अनिश्चितकालीन धरना गुरुवार को 12 वें दिन भी जारी रहा। कार्यक्रम की अध्यक्षता जगदीश प्रसाद ने की। उन्होंने बताया कि गांव सेहलंग से गुजर रहे नेशनल हाइवे 152-डी पर सेहलंग व बाघोत के बीच दोनों तरफ कट छोडऩे की मांग को लेकर 40 गांवों का अनिश्चितकालीन धरना जारी। धरना संघर्ष समिति के प्रधान विजय सिंह चेयरमैन नौताना  ने बताया कि सभी 40 गांव की पंचायत , गणमान्य व्यक्तियों  व संघर्ष समिति ने यह फैसला लिया है कि जब तक  इस कट  का कार्य प्रारंभ नहीं हो जाता तब तक यह धरना इसी प्रकार से जारी रहेगा। 12वें दिन अटेली विधायक सीताराम यादव एवं अनीता ने धरने को समर्थन दिया। अटेली विधायक सीताराम यादव ने कहा कि क्षेत्र के लोगों की मांग जायज है,उन्होंने कहा कि इस बारे में वो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिलकर चर्चा कर चुके हैं। वह माननीय मुख्यमंत्री ने इस बारे में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भी लिख दिया है तथा आशा है कि शीघ्र ही इस कट का कार्य प्रारंभ हो जाएगा । अनिता यादव ने कहा कि यहां पर नजदीक ही बाघोत गांव में बाघेश्वर धाम है जहां पर हजारों लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। यही नहीं यहां से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर केंद्रीय विश्वविद्यालय और लगभग 10 से 12 किलोमीटर दूरी झाड़ली में स्थित एक पावर प्लांट भी है। इस कट से यहां आने-जाने वाले लोगों को काफी फायदा मिलेगा व उनका समय भी बचेगा। अटेली विधायक सीताराम यादव ने कहा कि क्षेत्र के लोगों की मांग जायज है। इस दौरान पूर्व सीपीएस अनीता यादव, बलवान सरपंच छितरौली, सुरेश सरपंच झाड़ली, राजेंद्र सरपंच बाघोत, वीरपाल सरपंच स्याना, हरिओम सरपंच पोता, विनीत सरपंच सेहलंग, दीपक तलवाना, साहिल खेड़ी, अमरजीत नौताना, मनोज करीरा, राधेश्याम सेहलंग, बिल्लू पोता, शक्ति पोता, राकेश पीटीआई नौताना, धरमवीर पंच सेहलंग, दिनेश कुमार नौताना, सत्यवीर सिंह यादव सेहलंग, मोनू यादव ,रत्न सिंह यादव, राजेन्द्र गुर्जर  हरिओम आर्य, विनीत उर्फ वीनता, बलवान सिंह, सोनू तंवर पोता, शक्ति यादव पोता, सत्यपाल सिंह यादव चेयरमैन पोता, प्रकाश यादव शास्त्री,  विजय सिंह यादव चेयरमैन नौताना,  राज सिंह नौताना पूर्व पार्षद अनेक गांवों के लोग उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 9 व 10: सेहलंग-बाघोत के बीच कट की मांग को लेकर धरना स्थल पर पहुंचे सीताराम विधायक।







कनीना में निशुल्क निसंतान जागरूकता शिविर का आयोजन 26 मार्च को
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कनीना की आवाज। 26 मार्च रविवार को नीलकंठ आईवीएफ फर्टिलिटी एवं टेस्ट ट्यूब बेबी अस्पताल जयपुर के सौजन्य से  लाला शिवलाल धर्मशाला अनाज मंडी कनीना में निशुल्क निसंतान जागरूकता शिविर का आयोजन किया जाएगा । यह आयोजन सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक किया जाएगा। नीलकंठ अस्पताल के मार्केटिंग हेड  संजीव मारवाह  ने जानकारी देते हुए बताया कि इस शिविर में निशुल्क परामर्श दिया जाएगा। विभिन्न प्रकार की जांच रियायती दरों पर की जाएंगी। इस जागरूकता शिविर में ट्यूब ब्लॉक, आईवीएफ की बार-बार विफलता, ओवुलेशन की समस्या , पीसीओडी, अनियमित मासिक धर्म तथा शुक्राणुओं की कमी  जैसे रोगों से सम्बंधित मरीजों को देख जाएगा। उन्होंने कहा कि इन सभी बीमारियों से संबंधित मरीज इस जागरूकता शिविर का लाभ उठा सकते हैं।





फल सब्जियों हुई महंगी
-बिगाड़ा व्रत करने वालों का स्वाद
-एक सप्ताह में बढ़ गये हैं भाव
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में नवरात्रों पर फल एवं सब्जी रिकार्ड महंगाई पर पहुंच गई है। नवरात्रे आते ही भाव बढ़ा दिये हैं वहीं सब्जी एवं फल विके्रेता मनमर्जी भाव ले रहे हैं। किसी भी सब्जी एवं फल विक्रेता ने कोई रेट लिस्ट नहीं लगा रखी है। ऐसे में व्रत करने वाले बेहद परेशान हो गये हैं। ऐसे में व्रत करना भी अब महंगा हो चला है।
फल और सब्जियों पर नजर डालें तो पता चलता है कि-
वर्तमान भाव    नवरात्र पूर्व भाव  
            रुपये किलो
      
हरी मिर्च    120           80
शिमला मिर्च  100         60
टिंडा          60           40
बैंगन          60            15
अदरक       160            80
आलू         20             10
खीरा          80            30
तोरई        140             100
भिंडी        160            100
नारियल पानी 60 रुपये पीस  40
लहसुन      200             120
पालक     20 की गुत्थी     10
सेब        200              120                      
केला       90 रुपये दर्जन    60
लौकी      40                20
गोभी       80                30
टमाटर      40               20
पपीता       60             40 
संतरा       120            80
अमरूद     200            80   
बेर          120           60
फूलों की माला 30         20 एक
क्या कहती व्रत करने वाली गृहणियां .....
गृहणी शकुंतला, नीलम, आशा आदि ने बताया कि व्रत न होने पर सब्जियां खाना कठिन हो गया है। व्रत के समय फल एवं सब्जियों के अलावा कुट्टू का आटा अधिक प्रयोग किया जा रहा है। फल खरीदने वाले सूबे सिंह, इंद्रजीत, महेश कुमार, कुलदीप सिंह आदि ने बताया कि फलों के भाव आसमान छू रहे। इसलिए अधिक नहीं, बहुत कम फल खाकर कर गुजारा कर रहे हैं या फिर फल नहीं भी खरीदते। जब भी फल सब्जियां सस्ते होंगे फिर से खरीदने लग जाएंगे।
क्या कहते दुकानदार....
 दुकानदार रमेश, दिनेश, मुकेश आदि ने बताया कि उन्हें थोक में महंगे दामों पर सब्जियां मिल रही हैं। यही कारण है कि वह मजबूरन वे महंगे दामों पर सब्जियां बेच रहे हैं। उधर फल विक्रेता शिव कुमार ने बताया कि फल महंगे मिल रहे हैं।  नवरात्रे आते ही अचानक उछाल आ गया है।
क्या कहते हैं जिला बागवानी अधिकारी-
 पूर्व जिला बागवानी अधिकारी डा मनदीप यादव ने बताया कि इन दिनों व्रतों में मांग अधिक हो जाती है जिसके चलते भाव बढ़ जाते हैं वहीं बारिश के कारण भी फल एवं सब्जियों पर कुप्रभाव पड़ा है।
 फोटो कैप्शन 4 एवं 5: फल एवं सब्जियां बेचते हुए दुकानदार।








कनीना में प्री -मानूसून वर्षा हुई 35 एमएम, शुक्रवार को भी हुई 3 एमएम वर्षा
-सरसों के दाने खराब होने के लिए बिछाई पालीथिन कर रही सरसों को खराब
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कनीना की आवाज। इस वर्ष प्री-मानसून की वर्षा ने किसानों को बेहद परेशान कर दिया है। विगत कुछ अर्से में ही 35 एमएम बारिश हो चुकी है। लगातार बारिश, ओलावृष्टि एवं अंधड़ ने किसानों की फसल को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जहां सर्दियों के मौसम में रबी फसल में पाला और ठंड ने नुकसान पहुंचाया था और अब तक दो बार फसलों में नुकसान पहुंचा है। मौसम ने दो बार में फसलों में नुकसान पहुंचाया है। कुछ नुकसान पालीथिन ने भी पहुंचाया है जो फसल पैदावार को खराब होने से बचाने के लिए प्रयोग की गई थी किंतु अब वहीं पालीथिन फसल को नुकसान पहुंचा रही है।  वही किसान भी दूसरी बार मुआवजे की मांग कर रहे हैं। चारों ओर खेतों में पानी भरा है। रास्ते एवं सड़कों से निकल पाना कठिन हो गया है। फसल एक बार फिर से पानी में भीग गई है। ऐसे में अभी किसान फसल पैदावार लेने में अक्षम नजर आ रहे हैं।
 क्या कहते किसान-
 किसान राजेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह ,सूबे सिंह, कृष्ण कुमार, योगेश कुमार, अजीत कुमार आदि ने बताया कि इस बार बड़ी आशा के साथ रबी फसल उगाई थी। रबी फसल में लगातार मौसम की मार पड़ रही है। दो बार फसलों में नुकसान हो चुका है। अब तो हालात यह है कि किसानों को नहीं पता कि पैदावार ले पाएंगे या नहीं।
खुद के जाल में खुद फंसे किसान-
किसानों ने सरसों कटाई करते वक्त पालीथिन बिछाई थी जो अब काट कर डाली गई सरसों फसल के लिए समस्या बन गई है। किसानों ने बताया कि विगत 3 वर्षों से किसान एक नई तकनीक अपना रहे हैं। सरसों की लावणी करने से पहले पालीथिन बिछा देते हैं जिस पर फसल काटकर डालते हैं। पालीथिन इसलिए डाली जाती है ताकि सरसों की फलियां फटने पर दाने मिट्टी में न मिले किंतु इस बार उन्हें क्या पता था कि बारिश का पानी ही पालीथिन पर जमा हो जाएगा। जिसके चलते अब हालत यह है कि सरसों की काट कर डाली गई फसल में पानी खड़ा हो गया है। पॉलीथिन के कारण पानी जमीन में नहीं जा पा रहा है। किसान बेहद परेशान है और वे पूर्णरूप से मुआवजे पर निर्भर है। किसान निरंतर मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
मुआवजे की सरकार ने कही बात-
एक और जहां सरकार ने विशेष गिरदावरी करने की बात कही है वही किसान बेसब्री से गिरदावरी किए जाने और मुआवजा देने की आस में बैठे हैं।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी-
कनीना के खंड कृषि अधिकारी डा. मनोज कुमार ने बताया कि सरसों के दानों को मिट्टी में मिलने से बचाने के लिए पालीथिन पर काटकर डाली गई सरसों में वर्षा का जल जमा होने से सरसों को नुकसान होगा। सरसों के दाने खराब हो जाएंगे। पानी को निकालना जरूरी है। वैसे भी पालीथिन प्रयोग प्रकृति के विरुद्ध है। उन्होंने बताया कि गेहूं में 30 से 40 फ़ीसदी नुकसान हो चुका है वहीं खड़ी हुई सरसों की फसल में 50 फ़ीसदी नुकसान हुआ है। काट कर डाली गई सरसों की फसल में 15 फ़ीसदी तक नुकसान हुआ है। उधर पूर्व विषय विशेषज्ञ डा देवराज का कहना है कि हर प्रकार से बारिश नुकसानदायक है। बारिश का इस समय कोई लाभ नहीं है। ओलावृष्टि का तो भारी नुकसान पहुंचा है।
फोटो कैप्शन 07 रास्तों में खड़ा हुआ पानी।
             08: काटकर डाली गई सरसों के नीचे पालीथिन बिछाने से भरा पानी
खंड कृषि अधिकारी डा मनोज कुमार यादव।





माता कुष्मांडा मां की पूजा विधि विधान से करे-ऋषिराज शर्मा
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कनीना की आवाज। नवरात्रि के चतुर्थ दिन मां कुमांडा की पूजा और अर्चना विधि विधान से की जाती है। विस्तृत जानकारी देते हुये ज्योतिषाचार्य ऋषिराज शर्मा कनीना  ने बताया कि पूजा से उपासक का मन अनाहत चक्र में उपस्थित रहता है। इसलिए इस दिन बेहद साफ और पवित्र मन से मां कुष्मांडा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा और आराधना करनी चाहिए। मां कुष्मांडा को लेकर यह प्रबल मान्यता है कि इनकी पूजा से भक्तों के सभी रोग नष्ट होते हैं। आइए जानते हैं मां का स्वरूप, महिमा, पूजाविधि, भोग और मंत्र।
नवरात्र के चौथे दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं मां कुष्मांडा। मान्यता है कि जो मनुष्य सच्चे मन से और संपूर्ण विधिविधान से मां की पूजा करते हैं, उन्हें आसानी से अपने जीवन में परम पद की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि मां की पूजा से भक्तों के समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं। मां कुष्मांडा को अष्टभुजाओं वाली देवी भी कहा जाता है। उनकी भुजाओं में बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल सजे हैं। वहीं दूसरी भुजा में वह सिद्धियों और निधियों से युक्त माला धारण किए हुए हैं। मां कुष्मांडा की सवारी सिंह है। प्रात: स्नान से निवृत्त होने के बाद मां दुर्गा के कुष्मांडा रूप की पूजा करें। पूजा में मां को लाल रंग का पुष्प, गुड़हल, या फिर गुलाब अर्पित करें। इसके साथ ही सिंदूर, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं। मां की पूजा आप हरे रंग के वस्त्र पहनकर करें तो अधिक शुभ माना जाता है। इससे आपके समस्त दुख दूर होते हैं कुष्मांडा देवी को सफेद कुम्हड़े यानी समूचे पेठे के फल की बलि दें। इसके बाद देवी को दही और हलवे का भोग लगाएं। ब्रह्मांड को कुम्हड़े के समान माना जाता है, जो कि बीच में खाली होता है। देवी ब्रह़मांड के मध्य में निवास करती हैं और पूरे संसार की रक्षा करती हैं। अगर आपको साबुत कुम्हड़ा न मिल पाए तो आप मां को पेठे का भी भोग लगा सकते हैं। और भक्ति भावना से माता रानी की आराधना करें।
रोग होते हैं नष्ट-
मां की पूजा से  समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं। माता कुष्मांडा की पूजा करने के बाद इस दिन उनको मालपुओं का भोग लगाया जाता है। यह प्रसाद मंदिरों में बांटना भी इस दिन शुभ रहता है। इस दिन माता को मालपुये का भोग लगाने से माता प्रसन्न होकर उपवासक की बुद्धि का विकास करती हैं और साथ-साथ निर्णय करने की शक्ति भी बढ़ाती है।
फोटो कैप्शन: ऋषिराज



कनीना में प्री -मानूसून वर्षा हुई 35 एमएम, शुक्रवार को भी हुई 3 एमएम वर्षा
-सरसों के दाने खराब होने के लिए बिछाई पालीथिन कर रही सरसों को खराब
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कनीना की आवाज। इस वर्ष प्री-मानसून की वर्षा ने किसानों को बेहद परेशान कर दिया है। विगत कुछ अर्से में ही 35 एमएम बारिश हो चुकी है। लगातार बारिश, ओलावृष्टि एवं अंधड़ ने किसानों की फसल को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जहां सर्दियों के मौसम में रबी फसल में पाला और ठंड ने नुकसान पहुंचाया था और अब तक दो बार फसलों में नुकसान पहुंचा है। मौसम ने दो बार में फसलों में नुकसान पहुंचाया है। कुछ नुकसान पालीथिन ने भी पहुंचाया है जो फसल पैदावार को खराब होने से बचाने के लिए प्रयोग की गई थी किंतु अब वहीं पालीथिन फसल को नुकसान पहुंचा रही है।  वही किसान भी दूसरी बार मुआवजे की मांग कर रहे हैं। चारों ओर खेतों में पानी भरा है। रास्ते एवं सड़कों से निकल पाना कठिन हो गया है। फसल एक बार फिर से पानी में भीग गई है। ऐसे में अभी किसान फसल पैदावार लेने में अक्षम नजर आ रहे हैं।
 क्या कहते किसान-
 किसान राजेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह ,सूबे सिंह, कृष्ण कुमार, योगेश कुमार, अजीत कुमार आदि ने बताया कि इस बार बड़ी आशा के साथ रबी फसल उगाई थी। रबी फसल में लगातार मौसम की मार पड़ रही है। दो बार फसलों में नुकसान हो चुका है। अब तो हालात यह है कि किसानों को नहीं पता कि पैदावार ले पाएंगे या नहीं।
खुद के जाल में खुद फंसे किसान-
किसानों ने सरसों कटाई करते वक्त पालीथिन बिछाई थी जो अब काट कर डाली गई सरसों फसल के लिए समस्या बन गई है। किसानों ने बताया कि विगत 3 वर्षों से किसान एक नई तकनीक अपना रहे हैं। सरसों की लावणी करने से पहले पालीथिन बिछा देते हैं जिस पर फसल काटकर डालते हैं। पालीथिन इसलिए डाली जाती है ताकि सरसों की फलियां फटने पर दाने मिट्टी में न मिले किंतु इस बार उन्हें क्या पता था कि बारिश का पानी ही पालीथिन पर जमा हो जाएगा। जिसके चलते अब हालत यह है कि सरसों की काट कर डाली गई फसल में पानी खड़ा हो गया है। पॉलीथिन के कारण पानी जमीन में नहीं जा पा रहा है। किसान बेहद परेशान है और वे पूर्णरूप से मुआवजे पर निर्भर है। किसान निरंतर मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
मुआवजे की सरकार ने कही बात-
एक और जहां सरकार ने विशेष गिरदावरी करने की बात कही है वही किसान बेसब्री से गिरदावरी किए जाने और मुआवजा देने की आस में बैठे हैं।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी-
कनीना के खंड कृषि अधिकारी डा. मनोज कुमार ने बताया कि सरसों के दानों को मिट्टी में मिलने से बचाने के लिए पालीथिन पर काटकर डाली गई सरसों में वर्षा का जल जमा होने से सरसों को नुकसान होगा। सरसों के दाने खराब हो जाएंगे। पानी को निकालना जरूरी है। वैसे भी पालीथिन प्रयोग प्रकृति के विरुद्ध है। उन्होंने बताया कि गेहूं में 30 से 40 फ़ीसदी नुकसान हो चुका है वहीं खड़ी हुई सरसों की फसल में 50 फ़ीसदी नुकसान हुआ है। काट कर डाली गई सरसों की फसल में 15 फ़ीसदी तक नुकसान हुआ है। उधर पूर्व विषय विशेषज्ञ डा देवराज का कहना है कि हर प्रकार से बारिश नुकसानदायक है। बारिश का इस समय कोई लाभ नहीं है। ओलावृष्टि का तो भारी नुकसान पहुंचा है।
फोटो कैप्शन 07 रास्तों में खड़ा हुआ पानी।
             08: काटकर डाली गई सरसों के नीचे पालीथिन बिछाने से भरा पानी
खंड कृषि अधिकारी डा मनोज कुमार यादव।





माता कुष्मांडा मां की पूजा विधि विधान से करे-ऋषिराज

कनीना। नवरात्रि के चतुर्थ दिन मां कुमांडा की पूजा और अर्चना विधि विधान से की जाती है। विस्तृत जानकारी देते हुये ज्योतिषाचार्य ऋषिराज उन्हाणी ने बताया कि पूजा से उपासक का मन अनाहत चक्र में उपस्थित रहता है। इसलिए इस दिन बेहद साफ और पवित्र मन से मां कुष्मांडा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा और आराधना करनी चाहिए। मां कुष्मांडा को लेकर यह प्रबल मान्यता है कि इनकी पूजा से भक्तों के सभी रोग नष्ट होते हैं। आइए जानते हैं मां का स्वरूप, महिमा, पूजाविधि, भोग और मंत्र।
नवरात्र के चौथे दिन की अधिष्ठात्री देवी हैं मां कुष्मांडा। मान्यता है कि जो मनुष्य सच्चे मन से और संपूर्ण विधिविधान से मां की पूजा करते हैं, उन्हें आसानी से अपने जीवन में परम पद की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि मां की पूजा से भक्तों के समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं। मां कुष्मांडा को अष्टभुजाओं वाली देवी भी कहा जाता है। उनकी भुजाओं में बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल सजे हैं। वहीं दूसरी भुजा में वह सिद्धियों और निधियों से युक्त माला धारण किए हुए हैं। मां कुष्मांडा की सवारी सिंह है। प्रात: स्नान से निवृत्त होने के बाद मां दुर्गा के कुष्मांडा रूप की पूजा करें। पूजा में मां को लाल रंग का पुष्प, गुड़हल, या फिर गुलाब अर्पित करें। इसके साथ ही सिंदूर, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं। मां की पूजा आप हरे रंग के वस्त्र पहनकर करें तो अधिक शुभ माना जाता है। इससे आपके समस्त दुख दूर होते हैं कुष्मांडा देवी को सफेद कुम्हड़े यानी समूचे पेठे के फल की बलि दें। इसके बाद देवी को दही और हलवे का भोग लगाएं। ब्रह्मांड को कुम्हड़े के समान माना जाता है, जो कि बीच में खाली होता है। देवी ब्रह़मांड के मध्य में निवास करती हैं और पूरे संसार की रक्षा करती हैं। अगर आपको साबुत कुम्हड़ा न मिल पाए तो आप मां को पेठे का भी भोग लगा सकते हैं। और भक्ति भावना से माता रानी की आराधना करें।
रोग होते हैं नष्ट-
मां की पूजा से  समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं। माता कुष्मांडा की पूजा करने के बाद इस दिन उनको मालपुओं का भोग लगाया जाता है। यह प्रसाद मंदिरों में बांटना भी इस दिन शुभ रहता है। इस दिन माता को मालपुये का भोग लगाने से माता प्रसन्न होकर उपवासक की बुद्धि का विकास करती हैं और साथ-साथ निर्णय करने की शक्ति भी बढ़ाती है।
फोटो कैप्शन: ऋषिराज



कनीना का मां शेरावाली मंदिर
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कनीना की आवाज। मंदिर की स्थापना करीब 14 वर्ष पूर्व हुई है। इसका निर्माण कार्य संजीत यादव कनीना के निवासी की देखरेख में संपन्न हुआ है। इस मंदिर के चारों ओर द्वार एवं विशाल सीढिय़़ां हैं। दूर से ही आकर्षित करता हुआ माता मंदिर वर्तमान में विख्यात है।
मंदिर का इतिहास-
मंदिर की भव्य मूर्ति 51 हजार रुपये में जयपुर के प्रसिद्ध कारीगरों द्वारा निर्मित करवाकर विधि विधान से इस मंदिर में स्थापित करवाई गई थी। प्रत्येक नवरात्रों के समय मां के मंदिर को सजाया जाता है। भारी संख्या में भक्तजन यहां आते हैं। इस मंदिर की भव्यता ही इसका आकर्षण है। नवरात्रों पर समीपी गांवों के भक्तजन आते हैं और अपने साथ नारियल, मां की चुनरी, प्रसाद, मां की ध्वजा लेकर आते हैं और विधि विधान से पूजा करके ध्वजा को अर्पित कर देते हैं। करीब 61 फुट ऊंचे इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते हैं। शहर का यह एकमात्र मां शेरावाली का मंदिर है। संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम परिसर में बने इस मंदिर में भक्तजन अधिक आने के पीछे मंदिरों  का एक समूह विकसित होना है। पास में विभिन्न देवी देवताओं के एक दर्जन मंदिर बने हैं। आकर्षण का कारण शहीद प्रतिमाओं के पास होना भी है। पार्कों से सुसज्जित दस मंदिर को दूर दराज से भी देखा जा सकता है।नवरात्रों के दिनों में यहां सेकड़ों भक्तजन आते हैं और मां के दर्शन करते हैं। इस मंदिर की देखरेख का काम भी कनीना के संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ आश्रम पर रहने वाले संत ही करते हैं। प्राचीन बाबा मोलडऩाथ आश्रम जोहड़ के किनारे पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचना आसान है क्योंकि पास में सामान्य बस स्टैंड स्थित है। वर्ष में दो बार आने वाले नवरात्रों पर भीड़ एक मेले का रूप ले लेती है।
 ऐसे पहुंचे मंदिर-
महेंद्रगढ़ के कनीना कस्बे तक रेल सेवा या बस सेवा से पहुंचा जा सकता है। रेलवे स्टेशन से महज दो किमी बस स्टैंड के पास ही यह भव्य मंदिर दिखाई पड़ता है। बाबा मोलडऩाथ आश्रम के पास मंदिर स्थित है। यहां पर कोई भी पुजारी नहीं रहता है। भक्तजन स्वयं यहां आकर धोक लगाकर अपने घरों को चले जाते हैं। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष संजीत कुमार का कहना है कि कनीना क्षेत्र में यह विशाल मंदिर है जहां नवरात्रों में सुबह-शाम जोत जलती है और पूजा चलती है। भक्तजन भी यहां आकर जोत जलाते हैं। इस मंदिर में भक्तों का पूरे नवरात्रों में तांता लगा रहता है। दूर दराज से भक्त आते हें और पूजा करते हैं। वहीं भक्त सुरेंद्र वशिष्ठ का कहना है कि वर्ष में दो बार आने वाले इन नवरात्रों में वे मां के मदिर जाते हें और पूजा अर्चना करके विशेष आनंद मिलता है। मां के नवरात्रों में वे व्रत रखते हैं और मां की पूजा अर्चना करने के लिए प्रसाद, नारियल एवं चुनरी ले जाते हैं। मां के चरणों में जोत जलाते हैं।
फोटो कैप्शन मां मंदिर दो फोटो









16 वर्षों से खेती में विविध आयाम कायम करके नाम कमाया है कांता ने
-पशुधन भी रखती है, अग्रणी किसानों की सूची में है नाम
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कनीना की आवाज।  अगर दिल में कुछ करने की क्षमता हो तो किसी काम में भी महारत हासिल की जा सकती है। महिला भी खेती में नाम कमा सकती हैं। ऐसा ही एक सशक्त उदाहरण कनीना उपमंडल के गांव मोड़ी की कांता का है। कनीना उपमंडल के गांव मोड़ी की कांता ने कृषि क्षेत्र में विविध आयाम कायम करके नाम कमाया हुआ है। कई बार सरकार एवं प्रशासन से सम्मानित होने के साथ-साथ अटल विश्वास के साथ कृषि में जुटी हुई है।
 हरियाणा सरकार ने उनकी लगन एवं कृषि के प्रति जुड़ाव देखते हुए प्रगतिशील किसान घोषित किया हुआ है तथा 5000 रुपये के सम्मान सहित  विभिन्न स्तरों पर कई सम्मान मिले हुये हैं। महिला होते हुए भी जहां कृषि क्षेत्र में नाम कमाया है। 32 वर्षीय कांता की वर्ष 2006 में मोड़ी के अजय कुमार के साथ शादी हुई थी। ग्रामीण पृष्ठभूमि से संबंध रखने के कारण आते ही अपने खेत क्यार में लग गई और उन्होंने खेती में वह कार्य कर दिखलाया जो बड़े-बड़े किसान नहीं कर पाते। ट्रैक्टर चलाकर खेतों की जुताई स्वयं कर लेती है। वर्मी कंपोस्टिंग
विगत 10 सालों से कांता वर्मी कंपोस्टिंग का काम कर रही है और एक माह में डेढ़ से दो क्विंटल वर्मी कंपोस्ट तैयार कर लेती है जिनका उपयोग  फलों एवं सब्जियों वाले पौधों में करती है। साथ में बचे हुए अधिक मात्रा में वर्मी कंपोस्ट को खेती-बाड़ी में डाल देती है। वैसे भी एनजीओ से जुड़ी होने के कारण इस क्षेत्र में नाम कमा रही है। जीवामृत तैयार करना-
कांता अपने स्तर पर जीवामृत तैयार करती है। गोमूत्र, गाय का गोबर, बेशन, गुड़ एवं पीपल के पौधे के जड़ के पास की मिट्टी आदि ड्रम में घोलकर एक माह में सैकड़ों लीटर जीवामृत तैयार कर लेती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जीवामृत पौधों की वृद्धि के लिए बेहतर पोषक का काम करता है। अपने द्वारा तैयार किए गए जीवामृत को ही खेती में डालकर बेहतर पैदावार लेती है।
 मल्चिंग एवं ड्रिप सिंचाई-
कांता 10 सालों से मल्चिंग द्वारा खेती का कार्य करती आ रही है। मल्चिंग से जहां पानी की बचत होती है वही खरपतवार नष्ट हो जाते है। खेतों में पालीथिन लगाकर जगह जगह छेद किये जाते हैं। जिनके जरिए ही सिंचाई की जाती है तथा पौधों की जड़ों में सीधे पानी टपक टपक कर मिल जाता हे। इससे सब्जी और फल अच्छी पैदावार देती हैं।
बागवानी-
कांता विगत 12 वर्षों से बागवानी से जुड़ी हुई है। अपने 2 एकड़ में किन्नू, नींबू ,मौसमी, संतरा उगाकर प्रति वर्ष शुद्ध आय 50 हजार तक प्राप्त कर लेती है। अब उन्होंने नए रूप में बागवानी की है। जिनकी पैदावार अगले वर्ष तक मिलने की संभावना है।
 वर्षा जल संरक्षण -
कांता विगत 10 सालों से खेतों में वर्षा जल संरक्षण कर रही है। कनीना क्षेत्र की पहली महिला है जो लंबे समय से वर्षा जल संरक्षण करके उसका उपयोग फल एवं सब्जियों पैदावार में कर रही है। उन्होंने 3 हर्ष पावर की सौर ऊर्जा ले रखी है जिससे वर्षा का जमा जल खेतों में पहुंचाया जाता है। पूरी ढाणी का वर्षा जल एक कूप में जमा होता है जहां से उस जल का उपयोग किया जाता है ।
आर्गेनिक खेती-
 विगत 5 सालों से 1 एकड़ में और आर्गेनिक खेती करती आ रही है जिसके लिए उन्हें सरकार द्वारा सर्टिफिकेट भी प्राप्त है। भिंडी, टिंडा,टमाटर, घिया, बैंगन आदि की सब्जी उगाकर परिवार की सेहत का ध्यान रखती है वहीं अधिक मात्रा में तैयार की गई सब्जियों एवं फल को बाजार तक बेचकर 70 हजार रुपये तक प्रतिवर्ष कमा लेती है।
पशुधन-
कांता को देसी गाय और मुर्रा भैंस पालने का भी शौक है। उन्होंने दो मुर्रा भैंस और दो देसी गाय पाल रखी है। यद्यपि गाय और भैंसों का दूध बेचने के लिए नहीं अपितु घर परिवार और पूरी ढाणी के लिए उपलब्ध करवाती है। समस्त घर के लोग सेहतमंद है और पूरा परिवार खुश है।
सूक्ष्म सिंचाई-
 5 एकड़ में पानी बचत के लिए सूक्ष्म सिंचाई परियोजना लगा रखी है। हर वर्ष फसल तैयार करती है। इस विधि से पानी की बचत होती है।
विभिन्न घास उगाना-
 विभिन्न प्रकार की घास कांता ने उगा रखी है। क्योंकि पशुधन रखती है इसलिए कांता ने अपने खेत में अजोला एवं नेपियर घास उगाई है। वही विगत वर्षों से पशुओं के लिए हरा चारा उपलब्ध करवा रही है। उनके पद चिन्हों पर एक दर्जन किसान चल रहे हैं। प्रतिदिन किसान उनके खेत पर आकर उनके द्वारा खेती को देखने के लिए जाते हैं और उनके पदचिह्नों पर चलकर खुद भी इस प्रकार की गतिविधियां अपने खेतों में चला रहे हैं। कांता अपने परिवार का नाम कमा रखा है।
 कांता की पासपोर्ट साइज फोटो तथा फोटो कैप्शन एक से लेकर 8 तक खेती करती कांता।
























































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