Not sure how to add your code? Check our installation guidelines **KANINA KI AWAZ **कनीना की आवाज**

Sunday, March 26, 2023

 
152-डी राष्ट्रीय मार्ग पर कट के लिए 14वें दिन भी धरना रहा जारी
-अभिमन्यु राव प्रदेश उपाध्यक्ष जेजेपी, संतोष यादव पूर्व डिप्टी स्पीकर हरियाणा विधानसभा, पूनम जिला पार्षद बसई पहुंचे
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कनीना की आवाज। राष्ट्रीय राजमार्ग 152-डी पर सेहलंग-बाघोत के बीच कट के लिए चल रहे अनिश्चितकालीन धरना 14वें दिन भी जारी रहा। धरने को समर्थन देने के लिए अभिमन्यु राव प्रदेश उपाध्यक्ष जेजेपी, संतोष यादव पूर्व डिप्टी स्पीकर हरियाणा विधानसभा, पूनम जिला पार्षद बसई पहुंचे।  धरने की अध्यक्षता मांगेराम शर्मा पोता ने की।
 इस अवसर पर संतोष यादव ने कहा कि यहां कट की अति आवश्यकता है क्योंकि यहां एक और उत्तर भारत का प्रसिद्ध बाघेश्वर धाम, दूसरी ओर आईएमटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी हरियाणा, एनटीपीसी प्लांट और आसपास के 40 गांवों को इस कट के बन जाने से फायदा होगा। अत: उन्होंने सरकार से इस कट को अति शीघ्र बनाकर तैयार करने की मांग की। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जब सुधा यादव भारतीय जनता पार्टी की नीति निर्धारक संस्था, संसदीय बोर्ड की सदस्या उनके आवास पर आई तो उनसे भी इस बारे में मांग की गई कि क्षेत्र की इस जायज मांग को अति शीघ्र पूरा कराया जाए।
हरियाणा प्रदेश उपाध्यक्ष जेजेपी अभिमन्यु राव ने भी धरने को समर्थन देते हुए कहा कि यह कट क्षेत्र के लिए अति आवश्यक है। अत: इसे तुरंत बनाया जाना चाहिए। आज के धरने को इनके अतिरिक्त पूनम जिला पार्षद बसई, संदीप यादव मालडा, दीपक , राकेश ,अमित नौसवा,  नवदीप यादव पोता, मंजीत सेहलंग,अजीत बाघोत मनोज पोता, नवीन पाल पोता,  देवेंद्र सेहलंग, कृष्ण सेहलंग, महावीर पहलवान बाघोत, डॉक्टर अमरजीत नोताना, पवन डीपी, रणबीर बसई, जितेंद्र गुर्जर आदि लोग भी उपस्थित रहे।
फोटो कैप्शन 14: कट की मांग को लेकर धरना स्थल पर बैइे लोग।
             15: धरने को संबोधित करती संतोष यादव पूर्व विधायक अटेली।








बाबा हेमा दास गौशाला भोजावास में गो-रक्षा हिंदू महापंचायत का हुआ आयोजन
-महापंचायत में रखी गई कुछ मांगें, न माने जाने पर होगा आत्मदाह
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव भोजावास बाबा हेमादास गौशाला में गौरक्षा  हिंदू महापंचायत तथा भंडारे का आयोजन किया गया। गोरक्षा हिंदू महा पंचायत का मुख्य उद्देश्य गौ हत्या, गौ तस्करी तथा गौ रक्षकों पर हो रहे झूठे मुकदमे एवं अत्याचारों पर संपूर्णता रोक लगाना है। महापंचायत के मुख्य अतिथि गौ रक्षा दल हरियाणा अध्यक्ष आचार्य योगेंद्र आर्य  तथा उपाध्यक्ष आचार्य आजाद आर्य रहे।
 इस मौके पर अगली महापंचायत 9 अप्रैल को नूह में आयोजित करने का निर्णय लिया। जिसमें एमएलए, एमपी तथा करीब दो लाख गौभक्त पहुंचने की संभावना है।
 इस मौके पर मुख्य अतिथि योगेंद्र आर्य ने  मांग रखी कि सभी गौ भक्तों पर दर्ज मुकदमे वापस हो, श्रीकांत के गौ भक्त पुत्र के हत्यारे एवं राजस्थान पुलिस के 40 कर्मियों को गिरफ्तार किया जाए, मेवात से गौ हत्या बंद हो, श्रीकांत पंडित के परिवार को 50 लाख रुपये तथा नौकरी दी जाए। यह भी निर्णय लिया गया कि अगर सरकार इन मांगों को नहीं मानती तो आत्मदाह करने को मजबूर हो जाएंगे।
 इस मौके पर विभिन्न संगठन गौ रक्षा दल हरियाणा, गौ रक्षा दल हिंदू वाहिनी रेवाड़ी, श्रीराधा कृष्ण मित्र मंडली कमेटी कनीना, गौ रक्षा बजरंग दल अटेली गढ़ी महासर, हिंदू संगठन वीरभूमि खेड़ी तलवाना, बजरंग दल कनीना दौंगडा, हिंदू वाहिनी मंच भारत महेंद्रगढ़ तथा अन्य संगठनों द्वारा भगवा यात्रा के माध्यम से गौ रक्षा हिंदू महापंचायत में सम्मिलित हुये।
इस मौके पर गिरवर कौशिक खेड़ी, सरपंच पंकज हिंदू खेड़ी, सोनू तंवर पोता, शिवकुमार  खेड़ी तलवाना, राकेश यादव, पवन राठौड़ मोड़ी, धर्मवीर बेरी, अशोक नाऊदी, संदीप बाघोत, राजू बुहाणा, कृष्ण गहली, संजय सरपंच सुरजनवास, मास्टर ओमप्रकाश पूर्व सरपंच छापड़ा, अजय हिंदू, दीपक आर्य पानीपत, प्रदीप डागर रेवाड़ी, हंसराज लांबा, दिनेश धनौंदा, बिट्टू यादव, महेंद्र भोजावास, रामअवतार पुरुषार्थी बिहाली, अरुण कौशिक महेंद्रगढ़, दयाराम आर्य, श्रद्धानंद भोजावास, यतेंद्र राव, प्रवीण कुमार,कर्मवीर फौजी, सोमवीर आदि सहित भारी संख्या में लोग मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 11, 12 एवं 13: संबोधित करते हुए आचार्य योगेंद्र आर्य एवं अन्य।









विश्व थियेटर दिवस 27 मार्च
प्रतिभा का असली प्रदर्शन होता था थियेटर में
-चंद्रप्रकाश पहुंचे हैं थियेटर से फिल्मों तक
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कनीना की आवाज। अपनी प्रतिभा का असली परिचय थियेटर के माध्यम से ही कलाकार दे पाते थे, वर्तमान में तो प्रतिभा की बजाए कैमरे की करामात तथा टुकड़ों के रूप में फिल्में बनाकर प्रतिभा का परिचय दिया जाता है। यह बात थिएटर से फिल्म तक के सफर कर चुके बसई निवासी चंद्रप्रकाश के हैं। चंद्र प्रकाश ने न केवल नाटकों में काम किया अपितु अपने समय में थिएटर में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद हरियाणवी और हिंदी दोनों फिल्मों में भी अब काम कर रहे हैं। यंू तो थिएटर के रंगकर्मी के रूप में सबसे अधिक नाम प्रताप सिंह विश्वासी है जो अब काम से दूरी बना रहे हैं। वहीं महेंद्र शर्मा झाड़ली वाले भी क्षेत्र से संबंध रखते हैं।
थिएटर में प्रदर्शन थिएटर में रंगमंच कर्मी बतौर काम कर चुके चंद्रप्रकाश का कहना है कि क्या जमाना था जब वे अपनी कला का प्रदर्शन दर्शकों और श्रोताओं के समक्ष रूबरू होकर प्रदर्शित करते थे। अपने पूरे जोश से व शुद्ध उच्चारण कर उपस्थित भीड़ के अंतिम दर्शकों और श्रोताओं तक अपनी आवाज बेहतर ढंग से पहुंचाने का प्रयास करते थे। उनकी हर कला को दर्शक बखूबी नजर रखते थे और कभी-कभी तो कई कई दिनों तक मेहनत करनी पड़ती थी ताकि वह एक बेहतर रंगकर्मी के रूप में उपस्थित हो सके। उन्होंने बताया कि दिल्ली में उन्होंने कई सालों तक काम किया है। यहां तक कि उनका प्रदर्शन स्कूल स्तर से शुरू हुआ तत्पश्चात बड़े मंच से होते हुए दिल्ली के थिएटर में प्रदर्शन किया और आज भी हिंदी एवं हरियाणवीं फिल्मों में नाम कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी आवाज, उनका चेहरा, उनका प्रदर्शन, उनकी कला तथा उनकी आवाज के उतार-चढ़ाव तथा बोलने की अदा को विशेष रूप से देखा जाता था। कोई कितनी भी प्रतिभा लिए हुई हो किंतु थिएटर में तो उनका काम तभी नजर आएगा जब अपना प्रदर्शन बहुत बेहतर ढंग से कर पाता है। कई बार तो कलाकार दर्शकों के दिल में उतर जाते हैं तभी वे बेहतर कलाकार माने जाते हैं। चंद्रप्रकाश ने टीवी सीरियल में काम किया है और वे अपनी फिल्मों में अपनी प्रतिभा का परिचय करवाने लगे, तब से उनका नाम लोग जानते हैं। वर्तमान में फिल्मों में भूमिका निभा रहे हैं और एक गरीब परिवार से संबंध रखते हैं।
 कैसे पहुंचे थिएटर से फिल्मों तक-
चंद्रप्रकाश बताते हैं कि अतीत का जमाना अपने आप में अति मार्मिक और सुंदर होता था जिसके लिए कई कई दिन तक मंच पर आने से पहले अभ्यास करना पड़ता था। तब जाकर मंच पर प्रदर्शित अपनी कला के जरिये लोगों के दिलों में उतारना पड़ता था। वे बताते हैं कि उनकी सौतेली मां के कारण वह थिएटर, टीवी सीरियल और फिल्मों तक पहुंचे। वे अपनी प्रतिभा की बुलंदियों को छू रहे हैं। थिएटर में भी थानेदार की भूमिका निभाते थे, फिल्मों में भी थानेदार की भूमिका निभा रहे हैं किंतु उनकी इच्छा थानेदार बनने की थी वो पूरी न हो सकी। उनकी सौतेली मां ने उनकी जिंदगी को बदला। जब वे एक दिन अपनी सौतेली मां के सामने आए तो उनकी मां ने मजाक करते हुए कहा कि बड़ा आया हीरो बनकर। बस यहीं से उनके दिल में कुछ कर दिखाने की सूझी  और वे थियेटर तक पहुंच गये। थिएटर के बाद टीवी सीरियल में पहुंचे, टीवी सीरियल के जरिए उनकी पहचान बढ़ गई और एक दिन उनकी मुलाकात आरके खन्ना से हुई जिन्होंने उन्हें फिल्मी दुनिया में हीरो का रोल दे दिया। तब से फिल्म पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने हरियाणवी, हिंदी टेली फिल्म ,टीवी सीरियल में अपना प्रदर्शन किया है। आज भी चंद्रप्रकाश अविवाहित हैं और उन दिनों को याद करते हैं।
थिएटर को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं जबकि फिल्मों को ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं मानते। फिल्मों में तो आजकल कला को बढ़ाने के लिए अनेक तरीके अपनाए जाते हैं। अगर संवाद में गलती हो जाए तो फिर से रिटेक किया जाता है जबकि थिएटर में ऐसा संभव नहीं था। आजकल तो कैमरे की के सामने आना पड़ता है, कैमरे के सामने संवाद की अदायगी उन को महान बनाती है किंतु अनेक तकनीकों के जरिए कला में निखार दिखाया जाता है। यहां तक की साज सज्जा के जरिए भी उन्हें अलग तरीके से दिखा दिया जाता है किंतु थिएटर में ऐसा कुछ भी नहीं था।
कैसे पहुंचे हरियाणवी फिल्मों में -
आवश्यकता आविष्कार की जननी है। चंद्र प्रकाश ने चौथी कक्षा पा रहे तभी उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली। चंद्रप्रकाश ने जैसे तैसे ग्रेजुएशन पाईऔर सभी चार बड़े भाई बहनों में बड़ा होने के कारण उन पर सारी जिम्मेदारियां आ पड़ी। तब से उन्होंने थिएटर फिर  टीवी सीरियल, फिल्मों में काम करना शुरू किया। हरियाणवी फिल्मों के विषय में बताते हैं कि एक बार हरियाणवी फिल्म छोरी नंबर वन के लिए रोहतक में चल रहे आडिशन में चले गए, तो खरे उतरे और 1998 से हरियाणवी फिल्मों में पदार्पण किया। चंद्रप्रकाश बताते कि उनके कि उन्होंने नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों रोल अदा किया। खलनायक की भूमिका अधिक कर रहे हैं, डबल रोल भी किया है। चंद्रप्रकाश बताते 100 से अधिक नाटक, 17 टेली फिल्म, हिंदी एवं हरियाणवी फिल्मों में काम किया है। टीवी सीरियल साथ निभाना साथिया, पृथ्वी वल्लभ, चंद्रशेखर, जय हनुमान, सावधान इंडिया में काम किया है। वही हिंदी फिल्मों में एनसीआर अपना है कौन, प्रयास, प्यार में ऐसा होता है, लव फिर कभी। उनकी आने वाली फिल्मों में मर्डर कनेक्शन, एक रुपैया ,युद्धवीर हैं यही नहीं उन्होंने 50 से अधिक हरियाणवी डीजे सोंग निकाले हैं। और आज अपनी कला के रूप में जाना जाता है। किंतु वे पुरानी यादों में थिएटर को नहीं भूल पाते हैं। और उन दिनों को बहुत बेहतर समझते हैं। वो आज भी अपने माता-पिता और गुरु के प्रति गहन लगाव रखते हैं। चंद्रप्रकाश बताते उनके पिता होशियार सिंह तथा मां सरती देवी से बेहद प्यार है उनके चरणों में बैठकर घंटों बातें करते हैं किंतु गुरु के प्रति बेहद लगाव रखते हैं। माता पिता और गुरु ही सच्चे ज्ञान देते हैं। उनके प्रति आदरभाव होना चाहिए।
फोटो फोटो कैप्शन 6 चंद्रप्रकाश रोल निभाते हुए साथियों के
7: चंद्रप्रकाश का एक खलनायक रोल तथा चंद्र प्रकाश की फोटो











हनुमान जयंती पर होगा भंडारण एवं जागरण
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव कोटिया में हनुमान जयंती 6 अप्रैल को छठा विशाल जागरण एवं भंडारा आयोजित किया जाएगा।
 विस्तृत जानकारी देते हुए हवा सिंह प्रधान कोटिया ने बताया कि हनुमान जयंती के अवसर पर 6 अप्रैल को सुबह हवन किया जाएगा तथा प्रसाद वितरित होगा। इसी समय बाबा बुर्जेश्वर का गुणगान किया जाएगा। बाबा के गुणगान करने के लिए सुरेश गोला, बाबी बघेल, मन्नू तंवर, अन्नू चौधरी, दिनेशा, प्रदीप सांगवान पहुंच रहे हैं। वही मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर रामेश्वर दास महाराज होंगे।








तीन अलग-अलग मामलों में पुलिस ने पकड़ी शराब
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कनीना की आवाज। कनीना पुलिस ने मुखबिरी के आधार पर महेंद्र सीहोर निवासी से एक गत्ता पेटी में 44 पव्वा देसी शराब बरामद किए वही दूसरे मामले में देवेंद्र उर्फ जोशी से 5 बोतल देसी तथा 24 पव्वा बरामद किये। उनके विरुद्ध भी मामला दर्ज कर लिया है। तीसरे मामले में पुलिस ने राजेंद्र उर्फ पप्पू बवाना से दो-दो लीटर की 2 बोतलों में अवैध शराब तथा कीकर की छाल बरामद की है। कनीना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।






न्यायालय में गवाही देने के मसले में मिली जान से मारने की धमकी, मामला दर्ज
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कनीना की आवाज। कनीना उपमंडल के गांव भडफ़ स्थित गैस एजेंसी पर 1.75 लाख रुपये की लूट के मामले में गवाही दिए जाने पर फोन पर जान से मारने की धमकी मिली है। जिसके चलते कनीना पुलिस ने मामला दर्ज करवाया है।  मामला नरेंद्र कुमार भडफ़ निवासी तथा जय गुरुदेव गैस एजेंसी भडफ़ की ओर से दर्ज करवाया है। उन्होंने पुलिस में कहा है कि मेरी पत्नी रजनी के नाम से जय गुरुदेव गैस एजेंसी भडफ़ में चल रही है। 23 जुलाई 2022 को गैस एजेंसी पर हथियारों के बल पर 1.75 लाख रुपये की डकैती हुई थी। इस वारदात में गैस एजेंसी का एक कर्मचारी यशपाल उर्फ धोलिया भी शामिल था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लूटी गई रकम में से उसके हिस्से में आई राशि बरामद कर ली थी। प्रदीप कुमार शर्मा की शिकायत पर मामला दर्ज हो गया था जिसकी कोर्ट की गवाही 24 मार्च 2023 को होनी थी जिस पर आरोपित यशपाल उर्फ धोलिया ने अपने फोन से गैस एजेंसी के कर्मचारी प्रदीप को धमकी दी कि किसी के खिलाफ कोर्ट में गवाही दी तो गोली मार दी जाएगी। जिसके बाद इस घटना की रिकॉर्डिंग भी गैस एजेंसी के मालिक को भेजी। उन्होंने उसे तथा उसके परिवार को खतरा बताया है जिसके चलते नरेंद्र कुमार की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है।







पशुओं के इलाज में लापरवाही बन रही है एएमआर का कारण -डा पवन कांगड़ा
-अंडर डोज या हाई डोज दे रहे हें अप्रशिक्षित
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कनीना की आवाज। कनीना के पशु चिकित्सक पवन कांगड़ा वीएस का कहना है कि अप्रशिक्षित लोगों से पशुओं का इलाज करवाने के चलते एएमआर(एंटीमाइक्रोबॉयल रेजिस्टेंस) बढ़ रही है। ये अप्रशिक्षित लोग या तो अंडर डोज दे देते हैं या फिर हाई डोज दे देते हैं जिसके कारण शरीर में सूक्ष्म जीवों की रेजिस्टेंस पावर बढ़ जाती है। थनेला जैसा घातक रोग इसी का परिणाम है। उन्होंने बताया डाक्टरों की बजाय कुछ कम प्रशिक्षित लोग भी पशुओं का इलाज करते हैं जिनको इलाज करने की अनुमति तक नहीं है किंतु ग्रामीण क्षेत्र के लोग उन्हें डाक्टर समझते और अपने पशुओं का उनसे इलाज करवा लेते हैं। इसका परिणाम भविष्य में और भी बुरा हो सकता है।
उन्होंने बताया कि दूध देने वाले पशुओं में जब  कोई टीका लगाया जाता है तो 7 से 28 दिन की विड्राल पीरियड माना जाता है। इसमें उसका दूध पीना घातक साबित हो सकता है। पशु पालकों को हिदायत देनी पड़ती है किंतु यह दूध डेरियों के मार्फत इंसान के शरीर में चला जाता है वहीं कुछ लोग डाक्टरों की चेतावनी के बाद भी उस दूध का प्रयोग कर बैठते हैं जिसके कारण शरीर में दवाओं की आदत पड़ जाती है परिणामस्वरूप एंटीबायोटिक्स(प्रतिजैविक औषधियां) काम करना बंद कर देती हैं।
डा. कांगड़ा बताया कि विदेशों में पशु को टीका लगाया जाता है तो दूध तक नहीं पीते। यहां तक कि टीका लगाने के बाद एक निश्चित अवधि तक जीव का मांस भी नहीं खाया जा सकता क्योंकि फिर शरीर में दवाई काम नहीं करेंगी। जब इंसान में में दवा काम करना छोड़ जाती है तो एंटीबायोटिक सेंसटिविटी टेस्ट(एबीएसटी) करवाना पड़ता है जिसकी 72 घंटे के बाद रिपोर्ट आती है। ऐसे में कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षित लोगों की बजाय अप्रशिक्षित लोगों से इलाज करवा लिया जाता है। परिणाम घातक साबित होता है। पशु एवं इंसान दोनों को खतरे में डाला जाता है। उन्होंने बताया कि आजकल बड़ी-बड़ी डेरियों में तो एसएनएफ सालिड नोट फेट जिसमें खनिज लवण चैक किए जाते हैं। इसके अलावा फेट, सूक्ष्म जीव, ई-कोलाई आदि की जांच की जाती है और दूध की गुणवत्ता के बाद ही उसे पिया जाता है। उन्होंने बताया डॉक्टरों के मार्गदर्शन में ही कुछ कर्मियों को टीके लगाने तथा पशुओं का इलाज करने की शक्तियां होती है किंतु वे फिर पशुओं का इलाज ग्रामीण क्षेत्रों में करने लग जाते हैं परिणाम अच्छा नहीं आता। ऐसे में उन्होंने कहा की प्रशिक्षित डाक्टरों से पशुओं का इलाज करवाना चाहिए।
फोटो कैप्शन: डा पवन कांगड़ा।





भारत विकास परिषद के अध्यक्ष बने  लखनलाल जांगड़ा कैमला
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कनीना की आवाज। भारत विकास परिषद् शाखा कनीना की मीटिंग मोहन सिंह शाखा अध्यक्ष की अध्यक्षता में हुई जिसमें वर्ष 2023-24 के लिए चुनाव पर्यवेक्षक भरत खुराना व रामगोपाल ने शाखा कनीना के चुनाव करवाए। इससे पहले उनका यहां पहुंचने पर फूल मालामाल पहनाकर स्वागत किया गया उसके बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू कि गयी। जिसमें अध्यक्ष लखनलाल जांगड़ा कैमला और सचिव सूबेदार मेजर राजेश आर्य वार्ड नंबर 3 कनीना, कोषाध्यक्ष डाक्टर नरेंद्र बोहरा गाहडा रोड़ कनीना महिला प्रमुख सरिता भारद्वाज को सर्व सम्मति से चुनाव किया गया। इस मौके पर शाखा अध्यक्ष मोहन सिंह ने अपने कार्यकाल का लेखा जोखा प्रस्तुत किया और अपने संबोधन में कहा कि शाखा कनीना के समस्त पदाधिकारियों व सदस्यों ने मिलजुलकर समाज हित में अनेकों अनेक कार्य किए। जिसमें करोना काल में मास्क वितरण, रसोई, जानवरों को भोजन, सर्दी के मौसम में गरीबों को कंबल वितरित, गर्मियों में ठंडे कूलर पानी के लिए लगवाना आदि कार्य किया।
प्रांतीय गौ सेवा प्रमुख कंवरसेन वशिष्ठ ने कहा कि शाखा कनीना के अध्यक्ष मोहन सिंह व पदाधिकारियों ने 2021 से 2023 तक बड़ा मन लगाकर कार्य किया। अब शाखा के नियमों के अनुसार नयी कार्यकारिणी का गठन अनिवार्य था। शाखा ने दिव्यांगों की सहायता के लिए कैम्प लगाकर उनको अंग वितरण किये गये। सर्वसम्मति से चुनाव सम्पन्न होने के बाद चुनाव पर्यवेक्षक भरत खुराना ने कहा नयी कार्यकारणी भविष्य में एक जुट होकर कार्य करेंगी और शाखा के सदस्यों की संख्या बढ़ाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि जैसे पूर्व की कार्य कारणी ने शाखा अध्यक्ष मोहन सिंह के साथ मिलकर समाज हित में जो बढिय़ा कार्य किया उसी तरह आप सभी भी उससे बढ़चढ़ कार्य करेंगे। इस मौके पर सतराज यादव, शक्ति सिंह पोता, महेश बोहरा, सुरेश शर्मा,धनपत साहब, हनुमान,अतर सिंह कैमला, हैड मास्टर कृष्ण सिंह, राजेन्द्र पार्षद, देशराज, सूबेदार सुरेन्द्र सिंह,प्रेम कुमार सिंगला, सरिता भारद्वाज, सुशीला यादव आदि काफी समाजसेवी मौजूद थे।
फोटो कैप्शन 8: भाविप के चुने गये पदाधिकारियों को सम्मानित करते हुए।








राष्ट्रीय सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है -प्रो. ककरालिया
-मुख्य अतिथि के तौर पर सम-कुलपति डा. सुषमा यादव रहीं उपस्थित
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कनीना की आवाज। राजकीय महाविद्यालय कनीना में राष्ट्रीय सेवा योजना में सात दिवसीय विशेष शिविर का शुभारम्भ किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर सम-कुलपति डा. सुषमा यादव उपस्थित रहीं। डा. सुषमा यादव ने बताया राष्ट्रीय सेवा योजना का मुख्य ध्येय है। मैं नहीं आप भी- इससे निस्वार्थ सेवा तथा व्यक्ति की सोच की समझ तथा चिंता व्यक्त करने की आवश्कता पर बल दिया जाता है। इससे यह स्पष्ट होता है किसी व्यक्ति का कल्याण समस्त रूप से समाज के कल्याण पर निर्भर है। अत: दिन प्रतिदिन के कार्यक्रम में इस ध्येय  को प्रदर्शित करना राष्ट्रीय सेवा योजना का लक्ष्य होना चाहिए ।  डा. सुषमा ने बताया की भारतीय सेना ही विश्व की अकेली सेना है जिसमें सेवा भाव की भावना होती है। उन्होंने ये भी बताया की सात दिवसीय कैम्प में चल रहे साफ सफ़ाई अभियान, पौधारोपण , सामाजिक जागरूकता अभियान जैसे कार्यक्रमों से कैंप तक ही सीमित ना मान कर जीवन के अभिन्न हिस्से के रूप में शामिल करना चाहिये।  उन्होंने बच्चों के साथ संवाद स्थापित किया। बच्चों से अनेक प्रश्न पूछे जैसे पिछले कैम्प में आपने क्या सीखा , राष्ट्रीय सेवा योजना का क्या महत्व है इत्यादि ।
प्रोफेसर  सुषमा यादव ने बताया राष्ट्रीय सेवा योजना में सामुदायिक भागीदारी,नेतृत्व के गुण, व्यक्तिगत एवं समुदाय की समस्याओ का  व्यवहारिक समाधान, राष्ट्रीय अखंडता एवं सामाजिक एकता की भावना, आपातकालीन स्थितियों में प्राकृतिक आपदाओं से निरन्तर क्षमता आदि गुणों का विकास होता है ।
कार्यक्रम अधिकारी प्रो. संदीप ककरालिया ने डा. सुषमा यादव का परिचय स्वयंसेवकों, स्टाफ सदस्यों और कोटिया के ग्रामीणों से करवाया । उन्होंने बताया प्रोफेसर सुषमा यादव एक बहुमुखी प्रतिभा की धनी व्यक्तित्व है। वे दिल्ली विश्वविद्याालय में चार दशक तक प्रोफ़ेसर रही।  इग्नू में प्रो वाइस चांसलर रही। आईर्आपीए में अंबेडकर चेयर की चेयरपर्सन रही है। लंबे समय तक शिक्षा एवं उसमें होने वाले बदलावों में अपना सहयोग देती रही है ख़ास कर ग्रामीण क्षेत्रों  की बालिकाओं को आगे पढ़ाने में । डा. सुषमा यादव ने राजनीतिक एवं व्यक्ति हितों से ऊपर उठ कर समाजिक न्याय के लिए काम किया। उन्होंने संमाजिक न्याय के सवालों पर कभी समझौता नहीं किया । अपने रा्रीय मंचों पर दलित व पिछड़े वर्गों की आवाज़ को उठाया है । आपने दर्जन से अधिक पुस्तकें राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के लेख लिखें हैं । आपने भगत फूलसिंह महिला विश्वविधालय सोनीपत (2018 से 2021)  में बतोर वाइस चांसलर के रूप में अपनी सेवाएँ दी है । आप वर्तमान में यूजीसी मेम्बर तथा हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय , जाट पाली में सम कुलपति की भूमिका निभा रहीं हैं । कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य डा. कांता यादव ने मुख्यअतिथि का धन्यवाद किया एवं बताया की डा. सुषमा यादव एक राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शख्सियत हैं । मंच संचालन डा. मनीषा द्वारा किया गया उन्होंने बहुत ही  अपनी मधुर आवाज़ से कार्यक्रम को खुशनुमा बना दिया इस अवसर पर प्रोफ़ेसर महेश , प्रोफ़ेसर यतींद्र राव , बलराज , रवींद्र , मंजु , अजय , नीनू , ज्योति , जयभारती , निशा , मंजु हिन्दी , निशा बव्वा , आशा , माया ,कंवर पाल आदि स्टाफ़ सदस्यों तथा गांव  कोटिया के सरपंच धर्मवीर यादव , पूर्व सरपंच रामकिशन , कमेटी प्रधान ईश्वरसिंह , कैलाश लाइनमेन , महाराज विजयवीर जी इत्यादि उपस्थित रहे ।
फोटो कैप्शन 7: एनएसएस कैंप में उपस्थित अधिकारी एवं एनएसएस स्वयंसेवक








सरकारी स्कूलों ने प्रवेश के लिए छेड़ा अभियान
-राजकीय माडल स्कूल में प्रवेश दिलवाने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित
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कनीना की आवाज। राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कनीना का समस्त स्टाफ प्रधानाचार्य रमन शास्त्री के नेतृत्व में गांव भडफ़ में पहुंचा और ग्रामवासियंो को  कनीना खंड का एक मात्र सीबीएसई से मान्यता प्राप्त सरकारी विद्यालय में दाखिले की अपील की। इस मौके पर विद्यालय में दी जाने वाली सुविधाएं  व पढ़ाई की रूपरेखा विस्तार से बताई  जिससे ग्रामवासी प्रभावित हुए और उन्होंने ज्यादा से ज्यादा बच्चों का दाखिला कनीना के माडल स्कूल में करवाने का आश्वासन दिया।  इस अवसर पर सरपंच पूनम शास्त्री ,नरेश प्रवक्ता, नीतीन, उमेद सिंह, अमरजीत सहित भारी संख्या में ग्रामवासी मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 5: माडल स्कूल कनीना में प्रवेश दिलाने की हिमायत करता स्टाफ।







डाक्टरी की पढ़ाई पूरी करके दिव्या कमा रही है मेट्रो अस्पताल में नाम
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कनीना की आवाज। कनीना की लड़की ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों से पढ़कर एमबीबीएस करके आज मेट्रो अस्पताल जयपुर जैसे अस्पताल में भी नाम कमा रही है।
कनीना के राव सतवीर सिंह बोहरा की पोती एवं कुलदीप की पुत्री दिव्या 2022 में एमबीबीएस करके आज मेट्रो अस्पताल में नाम कमा रही है। 26 वर्षीय दिव्या ने कनीना के सदासुख स्कूल से दसवीं तथा यहीं से 12वीं की परीक्षा पास की। न केवल अपने घर परिवार में अपितु खेत क्यार एवं घर का काम आदि में सेवा की अपितु नीमस अस्पताल  से उन्होंने एमबीबीएस किया है।। इससे पहले उन्होंने एक साल की कोचिंग लेकर एमबीबीएस की तैयारी की। एमबीबीएस पूरी होने के बाद आज मेट्रो अस्पताल जयपुर में सेवा दे रही है और मरीजों की देखभाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
 आज भी जब वह घर आती है तो अपने घर के काम में व्यस्त हो जाती है। माता पिता की 5 एकड़ जमीन होने की वजह से खेत क्यारका काम भी उन्होंने बखूबी से करना आता है। प्रतिभा के बल पर आज इस मुकाम तक पहुंची है।
 पढ़ाई के क्षेत्र में भी सदा अग्रणी रही है। ग्रामीण क्षेत्र से निकली हुई, इस प्रकार की प्रतिभाएं देश-विदेश तक नाम कमाती हैं। उनके पिता कुलदीप एक बीज की दुकान चलाते हैं।
कुलदीप ने बताया के प्रारंभ से ही दिव्या,डाक्टर बनने की इच्छा रखती थी जिसके चलते उन्हें 10 + 2 की पढ़ाई जीव विज्ञान से पास करने के बाद नेट की परीक्षा पास की। तत्पश्चात उनका प्रवेश निम्स अस्पताल जयपुर में हुआ। वहीं से अपनी पढ़ाई पूरी करके मरीजों की सेवा में लग गई है। उनके दिल में गरीब एवं ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों के प्रति आस्था और भाव देखने को मिलता है। महेश बोहरा बताते हैं कि जब दिव्या घर पर आती है तो बच्चों में ऐसे घुल मिल जाती है जैसे आज भी वह बच्ची हो और रंगोली आदि सजाने में अहम भूमिका निभाती है। उनकी इन अदाओं के चलते बच्चे भी उनसे प्रभावित है। उनके घर आने पर वह अपने मां-बाप की सेवा में तल्लीन हो जाती है किंतु खेत एवं घर के काम को आज भी नहीं भूलती। अपने माता पिता के साथ खेत कार में मदद करती है वहीं घर के काम में भी हाथ बंटाती है। उसे देखकर ऐसा नहीं लगता कि वह आज डॉक्टर है।
फोटो कैप्शन: दिव्या




मां का छठा रूप-
माता कात्यायनी विधि विधान से पूजा करके, करे प्रसन्न--ऋषिराज शर्मा
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कनीना की आवाज।  नवरात्रि का छठा दिन माता कात्यायनी के स्वरूप में आराधना होती है सभी भक्तों विधि विधान से माता की पूजा करने से उन्हें सफलता और प्रसिद्धि प्राप्त होती है। ये विचार कनीना के ऋषिराज शर्मा ने व्यक्त किये
उन्होंने कहा कि माता कात्यायनी सभी मनोरथ को सिद्ध करने वाली हैं माता कात्यायनी को लाल रंग अति प्रसन्न है। माता को लाल पुष्प चढ़ाएं लाल गुलाब बहुत प्रिय है। माता की पूजा के समय लाल गुलाब अर्पित करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए और आरती करें।
माता पार्वती का सबसे ज्वलंत स्वरूप जो कात्यायनी देवी हैं। माता कात्यायनी योद्धाओं की देवी है।असुरों के अंत और अत्याचार को देखते हुए देवताओं तथा ऋषियों की रक्षा के लिए माता पार्वती ने कात्यायन ऋषि के आश्रम में अपने स्वरूप में प्रगट हुई। कात्यायन ऋषि के आश्रम में प्रगट होने के कारण माता का नाम कात्यायनी पड़ा। कात्यायन ऋषि उनको अपनी कन्या स्वीकार किया
माता कात्यायनी शेर पर सवारी करती हैं और माता कात्यायनी के चार भुजाएं होती हैं। वह अपने एक हाथ में कमल का पुष्प दूसरे हाथ में तलवार। एक हाथ में माता का अभय मुद्रा में आशीर्वाद देती हैं। दाएं हाथ में वरद मुद्रा का आशीर्वाद देती हैं। माता कात्यायनी की पूजा सभी भक्तजनों को मनोरथ सफल करने वाली हैं। इसलिए
जिन कन्याओं का विवाह में विलंब होता है उन्हें माता कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए जिससे अति शीघ्र उनकी मनोरथ सफल होती है। और माता रानी खुशहाल जीवन की आशीर्वाद देती हैं। अगर माता कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए किसी भी कामना को लेकर माता की 21 दिन तक आराधना एवं जाप करें तो मनोरथ सफल होता है।
माता कात्यायनी को लगाया जाने वाला भोग- माता कात्यायनी माता दुर्गा का छठा रूप है। आश्विन मास की षष्ठी तिथि को माता के इस रूप की पूजा की जाती है। माता कात्यायनी ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं। माता को अपनी तपस्या से प्रसन्न करने के बाद उनके यहां माता ने पुत्री रूप में जन्म लिया, इसी कारण वे कात्यायनी कहलाईं। नवरात्र के छठे दिन इनकी पूजा-आराधना की जाती है। इस दिन माता को भोग में शहद दिया जाता है। माता कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से उपवासक की आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है।
फोटो कैप्शन: पंडित ऋषिराज शर्मा







कनीना क्षेत्र में 8 पशु चिकित्सालय तथा 15 पशु औषधालय
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में 8 पशु चिकित्सालय तथा 15 पशु औषधालय हैं। सभी पशु चिकित्सालय में चार वीएस डाक्टर कार्यरत है जबकि 15 औषधालयों में 15 वीएलडीए काम कर रहे हैं। यूं तो पशु चिकित्सालय में डाक्टरों की देखरेख में ये वीएलडीए काम करते हैं किंतु टीकाकरण करते समय केवल डाक्टर ही आगे आते हैं।
 मिली जानकारी अनुसार गाय और भेड़ों में टीकाकरण तथा सुअरों में टीकाकरण का कार्य केवल प्रशिक्षित डाक्टर ही करते हैं। ब्रीडिंग/कृत्रिम गर्भाधान बंध्याकरण आदि सभी कार्य पशु चिकित्सक द्वारा किए जाते हैं। जहां कनीना के सरकारी राजकीय पशु चिकित्सालय में सभी सुविधाएं उपलब्ध है वहीं डा पवन कांगड़ा बताते हैं कि उच्च दर्जे का सिमन भी नारनौल से उनके पास आता है। नारनौल एक ऐसा जिला है जहां रेवाड़ी और नारनौल दोनों जिलों के लिए सिमन स्टोर किया जाता है और पशु चिकित्सालयों में उपलब्ध करवाया जाता है।
 पशु चिकित्सालय में कोई बजट नहीं आता बल्कि यह बजट किसी संस्था के मार्फत आता है। वर्तमान में जहां बाघोत में पशु चिकित्सालय का भवन का कार्य चल रहा है वही रामबास पशु औषधालय में भी काम चल रहा है। करीरा के नए भवन में शिफ्टिंग का काम पूरा कर दिया गया है। यहां तक कि 6 महीने पहले पीडब्ल्यूडी के माध्यम से कनीना पशु चिकित्सालय की चारदीवारी भी निर्मित की गई थी।
कनीना नगरपालिका के पास पशु चिकित्सालय के 3.5 लाख रुपये आये हुए हैं जिनको प्रयोग करना है। कनीना के पशु चिकित्सालय में जहां दवाई और सभी सुविधाएं उपलब्ध है वही कृत्रिम गर्भाधान का बेहतर प्रबंध है। कुत्तों की सेवा की जाती है, वही उन्हें कृमि नाशक नदवा भी उपलब्ध करवाई जाती है। कुत्ते पालने वाले जहां दूर दराज तक जाते थे अब उनको यह सुविधा कनीना में उपलब्ध हो गई है जिससे रविवार को भी चिकित्सक काम करते हैं।
यह सत्य है कि आज भी कम से कम विभिन्न वीएलडीए ग्रामीण क्षेत्रों में पशु बालकों के पास बीमारी के समय डॉक्टर की बजाए वे ही पहुंचते हैं और विभिन्न प्रकार के टीके आदि भी लगा लेते हैं। परंतु कनीना के पावन कांगड़ा पशु चिकित्सक बताते हैं कि जहां पूरे विश्व में ग्लोबल वार्मिंग की समस्या है वैसे ही दूसरे नंबर पर एएमआर की समस्या है। इसे एंटीमाइक्रोबियल्स रजिस्टेंस कहते हैं। वे बताते हैं कि झोलाछाप डाक्टर नियमित रूप से किसी दवा का प्रयोग पशुओं पर नहीं प्रयोग करते या तो ओवरडोज दे दे जाते हैं या दवा कम मात्रा में देते हैं जिसके कारण उनके शरीर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और उसे खत्म नहीं किया जा सकता। जिसके कारण थनैला जैसे रोग में बहुत दिक्कत आ आती है। ऐसे में केवल प्रशिक्षित डाक्टर ही इलाज कर सकते हैं वरना पशु पालकों को हानि उठानी पड़ सकती है।
फोटो कैप्शन 5: कनीना का पशु चिकित्सालय।






मां भगवती मंदिर खुडाना का इतिहास


























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कनीना की आवाज। खुडाना मां मंदिर की स्थापना सैकड़ों वर्षों पूर्व खुडाना की पहाड़ी पर की गई है।  करीब दो किमी ऊंची पहाड़ी पर इस मंदिर का निर्माण राजस्थान के जिल्लो जिले से लाए गए पत्थरों से किया गया है। पहाड़ी की चोटी पर बनी गुफा में प्रारंभ में मां की पिंडियां रखी थी। क्योंकि गुफा में घुसना कठिन था ऐसे में मां का मंदिर पहाड़ी पर बनवाया गया। नवरात्रों में भारी संख्या में भक्तजन यहां पहुंचते हैं। वे अपने साथ प्रसाद, नारियल लेकर आते हैं। मां को अर्पित करके मन्नत मांगते हैं। इस मंदिर के गर्भगृह में शिव मंदिर एवं अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं भी लगी हुई हैं किंतु मुख्य मूर्ति मां भगवती की है। वर्तमान में पुजारी की भूमिका अशोक कुमार निभा रहे हैं। उनके अनुसार वर्ष में तीन हजार के करीब भक्तजन आते हैं जिनमें नवरात्रों में भीड़ कुछ अधिक होती है। यूं तो गांव में अन्य मंदिर भी हैं किंतु गांव की कुलदेवी यही मां है। मां से भक्तों का बहुत अधिक लगाव है। पहले मंदिर के स्थान पर गुफा थी जहां मां की पिंडी रखी हुई थी जो बाद में मंदिर में बदलकर मां की प्रतिमा के रूप में स्थापित कर दी गई हैं। नवरात्रों पर वर्ष में दो बार मेले लगते हैं।
 स्थापना का इतिहास-
इस मंदिर की स्थापना हजारों वर्ष पूर्व हुई। राजस्थान के जिलो(पाटन) में एक राजा की संतान जटमल हुई है जिसे सुदूर क्षेत्र में गाड़ दिया गया था किंतु एक चील ने उसकी रक्षा की। जब सैनिकों को पता चला तो राजा को घटना के बारे में बताया। तभी से जिलो में चिल्ला देवी की पूजा शुरू हुई। बाद में जटमल खुडाना पहुंचा और वर्तमान पहाड़ी पर प्रारंभ चिल्लो देवी मंदिर से पत्थर लाकर पिंड के रूप में यहां पूजा शुरू करवाई। बाद में यहां मंदिर का निर्माण करवाया जो आज मां भगवती के नाम से प्रसिद्ध है। यूं तो माता मंदिर में प्रतिदिन भक्तों का तांता लगा रहता है किंतु वर्ष में दो बार आने वाले नवरात्रों में यहां अपार भीड़ जुटती है और विशाल मेला लगता है। अश्विन सप्तमी तथा चैत्र नवरात्रों के दिन मेला लगता है। पूरे नौ नवरात्रों में मेला चलता है और भक्तजन यहां आकर माता की धोक लगाते हैं। भक्तजन चने और हलवा का प्रसाद चढ़ाते हैं और बांटते हैं वहीं जाटू गौत्र के लोग हलवा एवं पूरी का प्रसाद चढ़ाते हैं और बांटते हैं। मंदिर में अखंड ज्योति सदा जलती रहती है।
   इस मेले से पूर्व भंडारा आयोजित किया जाता है। भजन एवं सत्संग भी चलते हैं। गठजोड़े की जात लगाई जाती है वहीं बच्चे के जडूले उतरवाए जाने का रिवाज भी यहां चला आ रहा है। सुबह शाम आरती का आयोजन किया जाता है वहीं हवन आदि का भी आयोजन किया जाता है।
माता का ध्वज व जोत घर से ले जाते हैं-
माता मंदिर में जाने वाले भक्त अपने साथ माता का ध्वज, चुनरी तथा जोत घर से ले जाते हैं। मां को प्रसाद आदि चढ़ाने के लिए मंदिर में ही उपलब्ध हो जाता है। सुबह शाम जोत जलती रहती है।
कैसे पहुंचे मंदिर-
जिला महेंद्रगढ़ के महेंद्रगढ़ से चरखी दादरी मार्ग पर करीब 20 किमी दूर आकोदा आता है। आकोदा गांव से करीब पांच किमी दूर खुडाना गांव है। इस गांंव की पहाड़ी अति रमणीक है। पहाड़ी पर चढऩे के बाद चोटी पर बना मंदिर अति मनमोहक है। इस मंदिर में अखंड ज्योति सदा जलती रहती है। सुबह शाम आरती एवं पूजा होती है। पहाड़ी की चोटी पर बने इस मंदिर में पहुंचकर मां के दर्शन करने के बाद नारियल, चुनरी एवं प्रसाद चढ़ाते हैं। नवरात्रों में मेले लगते हैं। नवरात्रों के प्रारंभ में विशेष उत्सव मनाया जाता है और फिर सभी नवरात्रों में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। 200 सीढिय़ां चढ़कर मां के दर्शन होते हैं।
यहां पर पहुंचना थोड़ा मुश्किल है।

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