पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने किया कनीना न्यायालय का निरीक्षण
-कनीना में रिकार्ड रूम का न्यायमूर्ति अशोक कुमार वर्मा ने किया शुभारंभ
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कनीना की आवाज। शुक्रवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश व जिला न्यायालय नारनौल के प्रशासनिक न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक कुमार वर्मा ने कनीना न्यायालय का निरीक्षण किया।
इस मौके पर न्यायमूर्ति अशोक वर्मा ने कनीना में रिकॉर्ड रूम का रिबन काटकर शुभारंभ किया।
सबसे पहले बार रूम में न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक कुमार वर्मा का बार एसोसिएशन की तरफ से पगड़ी पहनाकर सम्मान किया गया। न्यायाधीश अशोक कुमार वर्मा ने कहा कि आज से पहले अधिवक्ता रिकॉर्ड रूम के लिए महेंद्रगढ़ के चक्कर लगाते थे लेकिन आज से रिकार्ड रूम शुरू कर दिया गया है अब अधिवक्ताओं को कहीं भी चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि कनीना में बन रहे लघु सचिवालय भवन व कोर्ट परिसर का कार्य जल्द ही पूरा हो जाएगा। बार एसोसिएशन के प्रधान ओम प्रकाश रामबास ने न्यायमूर्ति अशोक कुमार वर्मा के सामने अधिवक्ताओं की समस्याएं रखी। जिस पर उन्होंने आश्वासन देते हुए बताया कि जल्द ही अधिवक्ताओं की समस्याओं का समाधान किया जाएगा उन्होंने कहा कि न्यायालय भवन तैयार होने के बाद वकीलों के चेंबर बनाने का भी कार्य किया जायेगा। इस अवसर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रजनीश बंसल, एसडीजेएम मेनका सिंह, जेएमआईसी वीरेन कादयान, एसडीएम सुरेंद्र सिंह, तहसीलदार नवजीत कौर, बार प्रधान ओपी रामबास, पूर्व प्रधान कुलदीप रामबास, कैलाश चंद गुप्ता, पूर्व प्रधान दीपक चौधरी, पूर्व प्रधान हरीश गाहडा, दिनेश जासावास, पूर्व प्रधान रमेश शर्मा, सोमबीर, राजेश, सतीश, सचिव अभिषेक यादव, उप प्रधान विक्रम यादव, विक्रम ककराला, सुभाष शर्मा, अनिल शर्मा, राजकुमार यादव, राम अवतार कनीनवाल, श्री कृष्ण यादव, संदीप, विचित्र शर्मा, राजकुमार तंवर, नवीन कौशिक, जितेंद्र गोमला, विजय ककराला, सुनील ककराला, दीपक शर्मा, रामनिवास शर्मा, देशबंधु यादव, मनजीत कोटिया, सहित कनीना कोर्ट से नाजिर नीरज कौशिक, रीडर शेर सिंह, रीडर पवन, एडीए ध्रुव गुप्ता, एडीए गजेंद्र मोर, अमित यादव, सन्नी सांगवान, धीरज यादव सहित अन्य मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 13: रिकार्ड रूम के उद्घाटन से पूर्व न्यायाधीश अशोक वर्मा को तिलक करते हुए।
खाटू की तीसरी निशान यात्रा निकाली
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कनीना की आवाज। कनीना से बाबा श्याम की तीसरी निशान यात्रा व बाबा श्याम की पालकी शुक्रवार को श्री श्याम मित्र मंडल के तत्वावधान में निकाली गई। जिसमें कस्बे के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर कस्बे के श्री श्याम मंदिर में बाबा का निशान चढ़ाकर अपनी मन्नत मांगी। बाबा श्याम की पालकी व निशान यात्रा सुबह करीब 9 बजे शुरू होकर कस्बे के बाजारों से होते हुए श्री श्याम मंदिर में पहुंची। जहां पर सभी श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हुए अपनी-अपनी मन्नत मांगी। श्री श्याम मंडल के प्रधान अनिल गर्ग ने बताया कि निशान यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए जलपान की व्यवस्था भी की गई थी। इस मौके पर संजय गर्ग, राधा कृष्ण मंदिर कमेटी के प्रधान पार्षद मुकेश राकी, समाजसेवी विक्की पंसारी, पूर्व पार्षद रोशन लाल, रोशनलाल, समाजसेवी वेद प्रकाश जैलदार, व्यापार मंडल के प्रधान लाला निरंजन लाल, उप प्रधान रविंद्र बंसल, प्रवक्ता सचिन शर्मा, अजित गोलू, मुकेश सिंगला, प्रधान बलवान सिंह, दादा ठाकुर मंदिर कमेटी के प्रधान विनोद गुड्डू चौधरी, हेडमास्टर कृष्ण यादव, नीटू ठेकेदार सहित काफी संख्या में श्याम प्रेमी उपस्थित रहे।
आंवला एकादशी मनाई गई
-दिनभर आंवला पौधे का किया पूजन
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में शुक्रवार को आंवला एकादशी का पर्व मनाया गया। व्रत करके महिलाओं ने आंवला की पूजा की और आंवला एकादशी की कथा सुनाई। इसे आमलकी एकादशी नाम से भी जाना जाता है।
वयोवृद्ध महिला संतरा देवी ने बताया कि हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। एक वर्ष के अंतराल में 24 एकादशियां आती हैं। जब मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। आमलकी यानी आंवला को शास्त्रों में उसी प्रकार श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है जैसा नदियों में गंगा को प्राप्त है और देवों में भगवान् विष्णु को। विष्णु जी ने जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा को जन्म दिया उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को जन्म दिया। आंवले को भगवान विष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। आंवले के हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है। स्वयं भगवान विष्णु ने कहा है जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है उस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
कनीना के वार्ड एक की महिलाओं ने आशा यादव के भवन परिसर में लगे आंवलों की पूजा विधि विधान से की और आंवले को जल अर्पित किया। आशा यादव, सरला, कांता, गुड्डों आदि ने आंवला एकादशी का व्रत, तरीका, कथा आदि सुनाई।
फोटो कैप्शन 2.आंवला एकादशी पर महिलाएं आंवला की पूजा करते हुए।
आपसी मनमुटाव के चलते अब नहीं होते हँसी ठट्ठा कार्यक्रम
-बहुत से लोग होली खेलना भी पसंद नहीं करते
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कनीना की आवाज। होली जो भाईचारा और एकता का पर्व माना जाता किंतु पुराने वक्त के हंसी ठट्ठा कार्यक्रम, होली के खेल, होली के उत्सव धीरे धीरे बंद होते जा रहे हैं। फागुन माह में अनेक कार्यक्रम होते थे। देर रात तक नृत्य चलते थे।
कनीना उपमंडल के गांव ककराला एवं भडफ़ में ढफ बजाने की परंपरा थी जो दूर-दराज तक विख्यात थे। इंदिरा गांधी पूर्व प्रधानमंत्री से भी ककराला के लोग ढफ़ बजाने के नाम पर सम्मानित किये गये थे किंतु अब ढफ गायब हो गये आए। होली की टोली भी नहीं निकलती। होली के दिन भी होली उत्सव कार्यक्रम चलता था एक दूसरे को गुलाल लगाकर मनोरंजन किया करते थे किंतु इस मोबाइल ने सभी कार्यक्रमों को समाप्त कर दिया है। अब न तो किसी प्रकार का कोई रंग गुलाल मलता दिखाई देता है नहीं कोई होली के प्रति ज्यादा लगाव दिखाता है। होली के दिन कुछ लोग तो घरों में छुपे मिलते हैं क्योंकि होली में अब पहले वाला प्यार नहीं रहा। होली दहन से पहले भारी मात्रा में होली पर ढाल एवं बिड़कले डाले जाते थे। भारी मात्रा में होलिका दहन स्थल पर ईंधन डाला जाता था। अब होली स्थल पर आसपास की कंटीली झाडिय़ां काटकर काटकर कुछ लोग ही बेशक डाल दे वरना होली के प्रति लगाव नहीं रहा। ना होली के पहले वाली भावना, आपस में छोटी-छोटी बातों पर मनमुटाव के चलते यह हालात बन गई है। होली के दिन एक दूसरे को जौ के पौधे भेंट करते थे जिन्हें होलिका दहन पर भूनकर लाते थे। अब किसानों ने जौ उगाना भुला दिया है। ऐसे में किसान खुद जौ को ढूंढते फिरते हैं। होली पर्व पर यहां कई दिनों पहले से ढाल बिडकले बनाने शुरू हो जाते थे किंतु अब शायद ही किसी घर में ढाल बिड़कले बनाए जाते हो। महज दो-तीन ढ़ाल बिड़कले शगुन के नाम पर बना लेते हैं, पहले ये भारी मात्रा में बनाए जाते थे। वैसे भी क्षेत्र में पशुधन कम होते जा रहे हैं। गाय के गोबर से यह ढाल बिड़कले बनाए जाते थे जो अब बनाने का रिवाज लगभग समाप्त हो गया है। होली के प्रति जो लगाव पहले देखने को मिलता था अब नहीं दिखाई देता।
हस्तकला ही नहीं अपितु प्रहलाद भक्त के वक्त के अस्त्र शस्त्रों को बनाते हैं गोबर से
-होली दहन पर ढ़ाल बिड़कले के रूप में जाने जाते हैं
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कनीना की आवाज। होली पर्व पर जहां गाय के गोबर से बने ढाल एवं बिड़कले बनाए जाते हैं जिनके बारे में ग्रामीण परिवेश के लोग भलीभांति परिचित है कि उस जमाने में जब प्रहलाद भक्त और होलिका के साथ बिठा कर उनके ऊपर ईंधन डालकर आग लगाई गई थी। तो कहीं प्रहलाद भक्त भागने न पाये इसके लिए पहरेदार के पास अनेकों प्रकार के अस्त्र-शस्त्र थे जो उस जमाने में प्रयोग किए गए थे। उनका आज भी ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं हाथों की अद्भुत कला कौशल दिखाते हुए बनाती है परंतु प्रहलाद भक्त बच गए थे इसलिए सारे अस्त्र-शस्त्र अग्नि के हवाले कर दिए गए थे। आज भी वह अस्त्र-शस्त्र बनाकर आग के हवाले करती हैं जिनमें ढाल, चूल्हा,तलवार तथा झुनझुना और अनेक प्रकार के अस्त्र शस्त्र बनाने का प्रयास करती है। यहां तक की लोग खुशियां मनाते हुए झुनझुना प्रयोग करते हैं, उनका भी निर्माण करती हैं। आजकल के महिलाएं बड़ी सुंदर कलाकृति बना लेती है। यही नहीं होलिका दहन के समय इन को आग के हवाले कर दिया जाता है। वर्तमान में चांद, सूरज, चकला, बेलन, पान, सीपी एवं पीढ़ा आदि गोबर से बनाती हैं।
धीरे धीरे धीरे-धीरे बदलाव आता गया और महिलाएं आधुनिक समय में चारपाई, तारा, छोटी चारपाई फोन आदि तथा अन्य यंत्र भी बनाती है। आप सभी को एक माला में पिरो कर होलिका दहन में डाल दिया जाता है। कुछ उन्हें तश्तरी तसले में ले जाती है और उन्हें आग के हवाले कर देती ह। यहां तक की महिलाओं की हाथों की कला भी मुख से बोलती नजर आती है। दिखाई देती है
बुजुर्ग महिला संतरा बताती है कि उनके हाथों की कलाकारी होती है। महिलाएं अपने हाथों से इस प्रकार की कलाकारी करती है कि दूर तक विख्यात हो जाती हैं। पुराने समय से ही सभी घरों में ये बनाये जाते रहे हैं किंतु वर्तमान में शगुन बतौर ही ढ़ाल बिड़कले बनाकर काम चला लिया जाता है । हर घर में कोई न कोई अस्त्र-शस्त्र गोबर का बनाया जाता है।
कैसे बनाती है इनको- महिलाएं ये विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र गाय या भैंस का गोबर, तूड़ी, घास फूस तथा तूली का सहारा लेकर बनाती है। इन्हें धूप में 10-15 दिनों तक सुखाया जाता है। जब भी सूख जाते हैं तो इन्हें धागे में पिरो लिया जाता है और होली की पूजा के समय डाल दिया जाता है। अगले दिन उनमें से बचे हुए कुछ पदार्थ जैसे दीपक उठाकर महिलाएं लाती हैं और उन्हें घर में प्रयोग करना शुभ मानती हैं।
फोटो कैप्शन 8, 9, 10: ढाल बिड़कले जिनमें अनेक अस्त्र शस्त्र बनाये गये हैं।
एसडी विद्यालय ककराला की छात्रा अनुष्का का इंस्पायर अवार्ड के लिए चयन
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कनीना की आवाज। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग को विकसित करने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रतिभावान बच्चों को खोज व उनको बढ़ावा देने के लिए इंस्पायर अवार्ड दिया जाता है। यह पूरे क्षेत्र के लिए गर्व की बात है कि महेन्द्रगढ़ जिले से एसडी विद्यालय की दसवीं कक्षा की छात्रा अनुष्का के मॉडल फैन ब्लेड क्लीनर डिवाइस का चयन राष्ट्रीय स्तर के लिए हुआ हैं। इंस्पायर अवार्ड योजना शिक्षा विभाग द्वारा चलाई गई योजना हैं जिसका उद्देश्य देशभर में कक्षा छठी से दसवीं तक के विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करके विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाना हैं। इसमें विद्यार्थी तकनीक से जुड़े प्रोजेक्ट के बारे में विचार सांझा करते हैं। इन प्रोजेक्ट पर निवेश करने के लिए अवार्ड मिलता है।
प्राचार्य ओम प्रकाश यादव ने बताया कि छात्रा अनुष्का प्रारम्भ से ही विज्ञान में विशेष रूचि रखती है। उसके द्वारा सस्ता फैन ब्लेड क्लीन करने का यंत्र बनाया गया है। उसने इस प्रतियोगिता में अपना आइडिया फैन ब्लेड क्लीनर डिवाइस का नामांकन करवाया था जिसका चयन राज्य स्तर के लिए हुआ था और इस आइडिया से मॉडल बनाने के लिए 10 हजार रुपए की राशि प्रदान की गई थी। अनुष्का ने इस राशि की सहायता से एक वर्किंग मॉडल बनाया था तथा राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया था और राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित हुई। फैन ब्लेड क्लीनर एक ऐसा यंत्र है जिसकी सहायता से फैन की ब्लेड्स को आसानी से साफ किया जा सकता है। इस यंत्र में विद्युत कुचालक हैंडल का प्रयोग किया गया है जिसमें बिजली का झटका या करंट लगने का डर नहीं होता और फैन की ऊंचाई के अनुसार घटाया या बढ़ाया जा सकता है। इस यंत्र में रोलर तकनीक का प्रयोग किया गया है जो कि ब्लेड के दोनों तरफ रोल करता हुआ आसानी से साफ कर देता है। इस यंत्र में दो डी सी मोटर्स तथा एक एससी बैटरी का प्रयोग किया गया है।
विद्वालय निदेशक जगदेव यादव ने विद्यालय की छात्रा का राष्ट्रीय स्तर पर चयन होने पर सभी विद्यार्थियों व स्टाफ सदस्यों को बधाई दी तथा छात्रा अनुष्का के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए बताया कि इंस्पायर अवार्ड प्रदर्शनी प्रतियोगिता के लिए विद्यार्थियों का चयन होना विद्यालय व पूरे जिले के लिए गौरव का विषय है । इस छात्रा ने अपने माता - पिता व क्षेत्र का नाम रोशन किया व एसडी विद्यालय के विद्यार्थी हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परिचय दे रहे हैं।
फोटो कैप्शन 5: इंस्पायर अवार्ड से सम्मानित अनुष्का को पुरस्कृत करता एसडी स्कूल।
सेहलंग में लगी एक्सरे मशीन
-विधायक का जताया आभार
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कनीना की आवाज। सेहलंग सीएचसी में एक्स-रे मशीन लगवाने पर अटेली विधायक सीताराम यादव जी का क्षेत्र के गणमान्य लोगों और भाजपा पदाधिकारी ने धन्यवाद किया है।
सीएचसी सेहलंग में अब नई डिजीटल एपसलान कंपनी की 300 एमवे फ्रीक्वेंसी की एक्स-रे मशीन लगाई गई है इसके लिए क्षेत्र के गणमान्य लोगों और भाजपा पदाधिकारी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज एवं अटेली विधायक सीताराम यादव आभार प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि अटेली हलके के विधायक ने अपनी मेहनत से भाग दौड़ करके सेहलंग सीएचसी में जो एक्स रे मशीन डिजिटल लगवाई है वह इलाके के लिए भविष्य में बहुत ही लाभदायक साबित होगी। इसका गरीब अमीर सभी लोगों को बहुत फायदा होगा। अब एक्स रे मशीन से यहीं पर एक्स-रे हो जाएंगे, लोगों को बाहर शहर में दूरदराज नहीं जाना पड़ेगा समय ओर रुपयों की बचत होगी।
आभार प्रकट करने वाले में भाजपा के नेता श्री सत्यवीर सिंह यादव सेहलंग, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जिला महेंद्रगढ़ अतर सिंह तंवर, भाजपा मंडल अध्यक्ष कनीना विनोद यादव करीरा, पूर्व विस्तारक रेवाड़ी विधानसभा भाजपा हनुमान शर्मा अगिहार, राजेन्द्र प्रसाद भारद्वाज पोता पूर्व महामंत्री भाजपा कनीना मंडल, शक्ति यादव पूर्व यूवा अध्यक्ष भाजपा कनीना मंडल, विनीत कुमार संरपंच सेहलंग, ओमप्रकाश शर्मा धनौंदा, कुलदीप सिंह यादव सेहलंग पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष युवा मोर्चा जिला महेंद्रगढ़, राजेन्द्र जांगड़ा उर्फ थान सिंह भोजावास निगरानी समिति सदस्य कनीना, प्रवीण अत्री बाघोत भाजपा, डिम्पल जांगड़ा संरपंच कैमला, अरुणा कौशिक पार्षद नगरपालिका कनीना हनुमान उर्फ नथन यादव पोता, अतर सिंह यादव सयाणा, दिनेश कुमार यादव नौताना, राजीव शर्मा नौताना, कप्तान सिंह रोहिल्ला पोता, मा हिम्मत सिंह तंवर पोता, देवदत्त जांगड़ा बीसी सैल अध्यक्ष भाजपा कनीना मंडल आदि क्षेत्र के गणमान्य लोग उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 06: सेहलंग में एक्सरे मशीन लगने पर विधायक का आभार एवं खुशी जताते हुए।
आरक्षण की मांग को लेकर किया सम्मेलन
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कनीना की आवाज। शहरी स्थानीय निकाय के चुनावों में पिछड़ा वर्ग-ए को आरक्षण देने की मांग को लेकर कनीना मंडी स्थित विश्वकर्मा धर्मशाला में पिछड़ा वर्ग-ए के तत्वावधान में सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता पदमेंद्र जांगड़ा भडफ़ ने की तथा अतरलाल नेता ने मुख्य अतिथि बतौर शिरकत की।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण न होने के कारण पिछड़ा वर्ग के लोगों में भारी रोष व्याप्त है। प्रधान पदमेंद्र जांगड़ा, दान सिंह प्रजापत, रमेश जांगड़ा, अशोक पैकन, राकेश कुमार ने कहा कि शहरों और कस्बों में पिछड़ा वर्ग ए की नफरी 25 प्रतिशत से ज्यादा है। इसलिए पंचायत चुनावों की तरह शहरी निकाय चुनावों में भी पिछड़ा वर्ग ए को उचित आरक्षण दिया जाना चाहिए। बाद में सम्मेलन में सर्वसम्मति से हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग तथा मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने का फैसला किया गया। कार्यकर्ताओं ने उपमंडल अधिकारी कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन जस्टिस दर्शन सिंह तथा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नाम दो अलग-अलग ज्ञापन उपमंडल अधिकारी नागरिक सुरेंद्र सिंह को सौंपे। उप मंडल अधिकारी ने ज्ञापन को तत्काल पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन तथा मुख्यमंत्री को भेजने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर शांतिलाल नंबरदार, सीताराम, रमेश चोयल, नरेश कुमार, राकेश कुमार, परमिंदर, शिव कुमार, सतीश दान सिंह प्रजापत, ओमप्रकाश आर्य, भाग सिंह चेयरमैन, कैलाश सेठ, नवीन जांगड़ा सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 7:.मुख्य अतिथि अतरलाल के नेतृत्व में उपमंडल अधिकारी को ज्ञापन देने जाते हुए कार्यकर्ता।
सात दिवसीय सिलाई कार्यशाला संपन्न
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कनीना की आवाज। उन्हानी महाविद्यालय में सात दिवसीय सिलाई कार्यशाला संपन्न राजकीय कन्या महाविद्यालय उन्हाणी में महिला अध्ययन एवं विकास प्रकोष्ठ के तत्वधान में सात दिवसीय सिलाई कार्यशाला का समापन प्राचार्य डॉ विक्रम यादव की अध्यक्षता में किया गया। महिला अध्ययन एवं विकास प्रकोष्ठ प्रभारी सीमा ने बताया कि इसका उद्देश्य छात्राओं को पैंट, ब्लाउज, सूट-सलवार, गाउन इत्यादि की कटाई एवं सिलाई का प्रशिक्षण देना है। छात्राओं के कौशल का विकास करना है ताकि जरूरत पडऩे पर वह अपनी कला को उचित स्थान पर प्रदर्शित कर सके, एवं छात्राओं को सक्षम बनाना है। सिलाई प्रशिक्षण सुनीता देवी द्वारा दिया गया। इस कार्यशाला में महाविद्यालय की अनेक छात्राओं ने भाग लिया और विशेष रुचि के साथ यह कार्य सीखा। कार्यशाला में भाग लेने वाली छात्राओं ने बताया कि महाविद्यालय द्वारा इस प्रकार का प्रशिक्षण दिलाकर बहुत अच्छा कार्य किया है इससे हम आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बन सकते हैं। इस अवसर पर डा सीमा, नीतू, डा सुधीर कुमार एवं समस्त स्टाफ हाजिर रहे।
फोटो कैप्शन 09: उन्हाणी कालेज में सिलाई कढ़ाई सिखाते हुए।
आम आदमी पार्टी ने निकाला जलूस
-सरपंचों के ई-टेंडर का मसला
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कनीना की आवाज। आज आम आदमी पार्टी के कार्य कर्ता विधान सभा क्षेत्र अटेली ने सत्यनारायण यादव एडवोकेट पूर्व प्रवक्ता के नेतृत्व में एक जलूस निकला और सीएम मनोहर लाल खट्टर व दुष्यंत चौटाला का का पुतला जलाया। जलूस अंबेडर चौराहे से शुरू होकर मंडी टी-प्वांइट तक चला। कनीना मंडी टी-प्वाइंट सरकार का पुतला फूंका।
हरियाणा सरकार ने हाल ही सरपंचों द्वारा 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के काम को ई-टेंडर द्वारा किए जाने का विरोध कर रहे थे, पर लाठी चार्ज किया। उनका कहना है कि सीएम को चुने हुए प्रतिनिधियों से बातचीत करके हाल निकालना चाहिए था। आम आदमी पार्टी इसकी निंदा करती है। यदि उनकी सरकार आयी तो पंचायतों को और अधिक अधिकार देगी।
इस प्रदर्शन में महेंद्र सिंह राता, कै. विनोद छीथरोली, सुभाष यादव, हरिंदर शर्मा, बहादुर सिलारपुर, भंवर सिंह खेड़ी, मदन राजपूत धनौंदा, सुनील राव मुडिया खेड़ा, ओम प्रकाश आर्य, नीरज राव राता, राजपाल सिंह , सुरेंद्र यादव, प्रवीण कुमार, राजकुमार सोनी, अनिल कुमार, मामराज सिलारपुर एवं कंवर सिंह बेगपुर आदि उपस्थित थे।
फोटो कैप्शन 10: आम आदमी पार्टी जलूस निकालते हुए।
बाघोत के श्याम बाबा मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई धोक
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कनीना की आवाज। उपमंडल के गांव बाघोत स्थित बाबा श्याम मंदिर में एकादशी के दिन हजारों श्रद्धालुओं ने माथा टेककर मन्नतें मांगी। बागेश्वर धाम मंदिर कमेटी प्रमुख व पंचायत समिति सदस्य महीपाल नम्बरदार बाघोत ने बताया की बाघेश्वर धाम के मठाधीश महंत रोशन पुरी महाराज के आदेश अनुसार हर वर्ष की तरह श्याम बाबा मेला बाघेश्वर धाम में हजारों श्रद्धालु झंडा लेकर पहुंचते हैं। मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं के विशेष प्रकार की व्यवस्था की गई। इस अवसर पर बिक्रम ठेकेदार ,कलाश, जोगेंद्र सांगवान, मास्टर विनोद, राजेंद्र फौजी, सतते मिस्री, सुशील, सुनील शर्मा, आशिष मितल, बिक्रम गुर्जर, मांगेराम सुबेदार पालडी, राधे गुर्जर सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 11: खाटू श्याम मंदिर में निशान अर्पित करने जाते हुए महिला भक्त।
बनवारी लाल के निवास बावल में पहुंचकर पीठ में नवनियुक्त पदाधिकारियों ने लिया आशीर्वाद
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कनीना की आवाज। गुरु रविदास विश्व महापीठ के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट हितेंद्र चौधरी ने सचिन रंगा भडफ़ को पीठ में प्रदेश मीडिया प्रभारी नियुक्त किया और पन्नीलाल को पीठ में जिला महेंद्रगढ़ का जिला महासचिव नियुक्त किया है।
दोनों पदाधिकारियों ने हरियाणा के सहकारिता एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री एवं गुरु रविदास विश्व महापीठ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनवारी लाल के निवास पर पहुंचकर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर गुरु रविदास विश्व महापीठ के प्रदेश सचिव एवं भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रामनिवास खेड़ी भी हाजिर रहे।
फोटो कैप्शन 12: सचिन भडफ़ बनवारीलाल बावल का आभार जताते हुए।
बाबा मोलडऩाथ मेले में अपार श्रद्धा भक्ति तथा मनोरंजन देखने को मिला
-घोडिय़ों, बकरियों एवं ऊंटों के नृत्य ने मन मोह लिया
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कनीना की आवाज। कनीना में आयोजित बाबा मोलडऩाथ मेले ने सभी का मन मोह लिया। मेले में जहां अपार शक्ति देखने को मिली। वहीं पर ऊंटों तथा घोडिय़ों के नृत्य ने लोगों समा बांधे रखा। मेले में जहां कुश्ती, घोड़ों की दौड़, घोडिय़ों की चाल, घोड़ी और ऊंट का नृत्य आदि अनेक मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित किए गए। स्कूल के खेल के मैदान में ऊंट एवं घोडिय़ों की चाल एवं नृत्य चलते रहे। उनके करतबों ने सभी का मन मोह लिया। करीब एक दर्जन ऊंटों ने करतब दिखाकर मन मोह लिया। चारपाई पर, दो चारपाइयों पर, चार चारपाइयों पर खड़े होकर ऊंटों ने नृत्य किया।
ऊंटों को चौकी पर बिठाया गया। चौकी पर बिठाकर उनके नृत्य करवाए गए, उनके द्वारा हवा में करतब दिखाने, उनके द्वारा बाल्टी द्वारा पानी पिलाने, केतली द्वारा पानी पिलाने जैसे कितने ही करतब दिखाए गए। उन्होंने लोगों का मन मोह लिया। इसी कड़ी में नेकीराम बगड़ का ऊंट नाच प्रतियोगिता में प्रथम रहा वहीं नेकी राम का द्वितीय स्थान पर रहा। इसी क्रम में घोडिय़ों का नृत्य देखने लायक था। यहां अगले पैरों पर खड़े होकर घोडिय़ों ने नृत्य किया वही घोडिय़ों द्वारा चार पाई पर नृत्य करके दिखाया गया। इस मौके पर घोडिय़ों की चाल में बाबा राजूदास बेरला की घोड़ी प्रथम, बलजीत दोहरका की घोड़ी द्वितीय, मदन कासण की घोड़ी तृतीय स्थान पर रही वहीं प्रमोद जहांगीरपुर की घोड़ी चौथे स्थान पर रही। इस मौके पर बकरियों नृत्य में सिकंदर, सोमबीर, रामपत की बकरियों ने सुदर सुंदर नृत्य किया जो सभी बराबरी पर रही। घोडिय़ों के नृत्य गुलाब झुंझुनु, सोमबीर लाड दूसरे स्थान तथा सुभाष करणावत तीसरे स्थान पर रहे। ऊंटो के नृत्य में प्रथम सुभाष करणावत, दूसरे स्थान पर रामफल लाड तथा तीसरे स्थान पर गुलाब झुंझुनु का ऊंट रहा। ऊंटों की दौड़ में शारू बबेड़ी प्रथम, चेतराम उर्फ जगदीश डागीवास दूसरे स्थान पर तथा तीसरे स्थान पर सुरेश इसालपुर रहे वहीं चौथे स्थान पर चेतराम डागीवास रहे, पांचवे स्थान पर सुबन सीगड़ी रहे। घोडिय़ों की दौड़ में राजकुमार महिपालवास प्रथम, आशीश माधोगढ़ दूसरे स्थान पर रहे, बाबा बालकनाथ तीसरे स्थान पर, भूप सिंह पाथेड़ा चौथे स्थान पर रहे तथा पांचवे स्थान पर धर्मवीर धनौंदा रहे।
ऊंटों की दौड़ में 51 हजार प्रथम,41 हजार द्वितीय पुरस्कार, 31 हजार तृतीय, 21 हजार का चतुर्थ पुरस्कार और पंचम पुरस्कार 11 हजार रुपये का होगा। इसी प्रकार देसी घोडिय़ों की दौड़ में 51 हजार प्रथम,41 हजार द्वितीय पुरस्कार, 31 हजार तृतीय, 21 हजार का चतुर्थ पुरस्कार और पंचम पुरस्कार 11हजार रुपये का होगा। बड़ी कुश्ती 31 हजार रुपये की होगी। घोडिय़ों की चाल में प्रथम पुरस्कार 21 हजार, द्वितीय पुरस्कार 15 हजार रुपये और तृतीय पुरस्कार 7100 रुपये का रखा गया है। ऊंट डांस में सुभाष करणावत प्रथम, रामफल लाड द्वितीय, गुलाब झुंझुनु तृतीय स्थान पर रहे।
बाबा आश्रम पर अपार श्रद्धा भक्ति देखने को मिली। विक्रमी संवत 2006 में वे ब्रह्मलीन हुए थे तब से लेकर आज तक का मेला भरता रहा है। एकादशी को मेला लगता है किंतु फागुन की एकादशी का यह मेला अपार भक्ति और श्रद्धा से भरा होता है जिसमें भारी संख्या में पूरे ही प्रदेश से भक्त आते हैं। इस मेले की विशेषता है कि हर घर से शक्कर चढ़ाई जाती है।
पूरे कस्बा से शक्कर का प्रसाद चढ़ाया जाता है। बाबा मोलडऩाथ लंबे समय तक यहां तप किया। पूरा कनीना कस्बा ही नहीं मांदी, रोड़वाल तथा ढाणी बाठोठा तक के लोग भारी संख्या में पहुंचे। क्षेत्र में भारी मान्यता बाबा मोलडऩाथ की है। इस मौके पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताएं गुरुवार देर शाम तक चलती रही। भक्त पेट के बल बाबा आश्रम तक आए।
संत शिरोमणि बाबा मोलडऩाथ एक विख्यात संत थे जिन्होंने अपने समूचे जीवन में भगवान की भक्ति कर नर-नारियों का भला करने का कार्य किया था। यही कारण है कि भक्त उन्हें पूजते हैं। इस धाम पर आने वाले भक्त बाबा के शक्कर,बतासे, बून्दी के अलावा अन्य विभिन्न प्रकार के प्रसाद चढ़ाते है और मन्नत मांगते है। इस धाम पर 36 बिरादरियों के लोगों ने आकर माथा टेका। इस मेले की सबसे बड़ी बात यह भी है की इस मेले में हिन्दु और मुस्लिम सभी एक साथ प्रसाद चढ़ाते है।
कनीना के इस मेले में बाबा आश्रम को फूल मालाओं से सजाया हुआ था। बाबा की प्रतिमा को भी फूल मालाओं से सजाकर आकर्षक बनाया हुआ था। मेले में धूने के स्थान पर सेवक भक्तों की सेवा में लगे हुए थे। महिलाएं एवं पुरुष धूने पर प्रसाद चढ़कर बाबा का आशीर्वाद पा रहे थे। बाबा आश्रम के पास ही माता मंदिर, शिरड़ी मंदिर,खाटू श्याम मंदिर, हनुमान मंदिर, 21 फुट ऊंची प्रतिमा वाले शिवालय, सती स्थल, राधा कृष्ण मंदिर, सीताराम मंदिर में भी भीड़ रही।
इस मेले में भंडारों का विशेष प्रावधान किया गया। कई भक्तजनों ने भंडारा लगाया। शक्कर का प्रसाद चढ़ाया, संतों को भोजन कराया, बीती शाम को मोलडऩाथ सत्संग मंडल सहित कई मंडलों ने सत्संग एवं भजन किए।
फोटो कैप्शन 01 से 20: ऊंट, घोड़ी, बकरी नृत्य एवं दौड़ की हैं।
आंवला एकादशी मनाई गई
-दिनभर आंवला पौधे का किया पूजन
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कनीना की आवाज। कनीना क्षेत्र में शुक्रवार को आंवला एकादशी का पर्व मनाया गया। व्रत करके महिलाओं ने आंवला की पूजा की और आंवला एकादशी की कथा सुनाई। इसे आमलकी एकादशी नाम से भी जाना जाता है।
वयोवृद्ध महिला संतरा देवी ने बताया कि हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। एक वर्ष के अंतराल में 24 एकादशियां आती हैं। जब मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। आमलकी यानी आंवला को शास्त्रों में उसी प्रकार श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है जैसा नदियों में गंगा को प्राप्त है और देवों में भगवान् विष्णु को। विष्णु जी ने जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा को जन्म दिया उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को जन्म दिया। आंवले को भगवान विष्णु ने आदि वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया है। आंवले के हर अंग में ईश्वर का स्थान माना गया है। स्वयं भगवान विष्णु ने कहा है जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है उस एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है।
कनीना के वार्ड एक की महिलाओं ने आशा यादव के भवन परिसर में लगे आंवलों की पूजा विधि विधान से की और आंवले को जल अर्पित किया। आशा यादव, सरला, कांता, गुड्डों आदि ने आंवला एकादशी का व्रत, तरीका, कथा आदि सुनाई।
फोटो कैप्शन 2.आंवला एकादशी पर महिलाएं आंवला की पूजा करते हुए।
आपसी मनमुटाव के चलते अब नहीं होते हँसी ठट्ठा कार्यक्रम
-बहुत से लोग होली खेलना भी पसंद नहीं करते
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कनीना की आवाज। होली जो भाईचारा और एकता का पर्व माना जाता किंतु पुराने वक्त के हंसी ठट्ठा कार्यक्रम, होली के खेल, होली के उत्सव धीरे धीरे बंद होते जा रहे हैं। फागुन माह में अनेक कार्यक्रम होते थे। देर रात तक नृत्य चलते थे।
कनीना उपमंडल के गांव ककराला एवं भडफ़ में ढफ बजाने की परंपरा थी जो दूर-दराज तक विख्यात थे। इंदिरा गांधी पूर्व प्रधानमंत्री से भी ककराला के लोग ढफ़ बजाने के नाम पर सम्मानित किये गये थे किंतु अब ढफ गायब हो गये आए। होली की टोली भी नहीं निकलती। होली के दिन भी होली उत्सव कार्यक्रम चलता था एक दूसरे को गुलाल लगाकर मनोरंजन किया करते थे किंतु इस मोबाइल ने सभी कार्यक्रमों को समाप्त कर दिया है। अब न तो किसी प्रकार का कोई रंग गुलाल मलता दिखाई देता है नहीं कोई होली के प्रति ज्यादा लगाव दिखाता है। होली के दिन कुछ लोग तो घरों में छुपे मिलते हैं क्योंकि होली में अब पहले वाला प्यार नहीं रहा। होली दहन से पहले भारी मात्रा में होली पर ढाल एवं बिड़कले डाले जाते थे। भारी मात्रा में होलिका दहन स्थल पर ईंधन डाला जाता था। अब होली स्थल पर आसपास की कंटीली झाडिय़ां काटकर काटकर कुछ लोग ही बेशक डाल दे वरना होली के प्रति लगाव नहीं रहा। ना होली के पहले वाली भावना, आपस में छोटी-छोटी बातों पर मनमुटाव के चलते यह हालात बन गई है। होली के दिन एक दूसरे को जौ के पौधे भेंट करते थे जिन्हें होलिका दहन पर भूनकर लाते थे। अब किसानों ने जौ उगाना भुला दिया है। ऐसे में किसान खुद जौ को ढूंढते फिरते हैं। होली पर्व पर यहां कई दिनों पहले से ढाल बिडकले बनाने शुरू हो जाते थे किंतु अब शायद ही किसी घर में ढाल बिड़कले बनाए जाते हो। महज दो-तीन ढ़ाल बिड़कले शगुन के नाम पर बना लेते हैं, पहले ये भारी मात्रा में बनाए जाते थे। वैसे भी क्षेत्र में पशुधन कम होते जा रहे हैं। गाय के गोबर से यह ढाल बिड़कले बनाए जाते थे जो अब बनाने का रिवाज लगभग समाप्त हो गया है। होली के प्रति जो लगाव पहले देखने को मिलता था अब नहीं दिखाई देता।
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Friday, March 3, 2023
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