प्रधान पद के दावेदार सरिता बबलू के समर्थन में आया युवा वर्ग
-वार्डों में हो रहा है जमकर स्वागत, जीत के प्रति आश्वस्त
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कनीना की आवाज। कनीना नगर पालिका के भावी चुनावों के दृष्टिगत जहां सरिता बबलू प्रधान पद की प्रबल दावेदार है। विभिन्न वार्डों में युवा वर्ग उनके समर्थन में आ रहा है और उनकी इस बार भारी मतों से जीत दिलवाने का वादा कर रहा है।
सरिता यादव ने युवा वर्ग से कहा कि यदि वह चुनाव में जीत जाती है तो प्रत्येक वार्ड से 10-10 युवाओं को फैक्ट्री और कंपनी और नौकरी दिलवाएगी वहीं कनीना का विकास गुरुग्राम की भांति होगा। कनीना को अग्रणी कस्बा बना दिया जाएगा, किसी प्रकार की कोई विकास कार्यों में कसर नहीं छोड़ी जाएगी। कस्बा कनीना अभी तक पिछड़ा हुआ है उसे अग्रणी कस्बा बना दिया जाएगा। उनके साथ भाजपा के युवा नेता जसवंत सिंह बबलू भी थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने लंबे समय से लोगों का दर्द देखा है। अब वह वक्त आ गया है कि उस दर्द को दूर किया जा सकता है। महज अपना वोट देकर इन्हें सफल बनाया जा सकता है जिससे कनीना के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
फोटो कैप्शन 06: सरिता बबलू का स्वागत करते हुए युवा वर्ग
मेरा शिक्षा का सफर पुस्तक से साभार-93
1998 में कंप्यूटर का ज्ञान लिया जो आज भी कारगर है
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कनीना की आवाज। कनीना निवासी डा. होशियार सिंह यादव विज्ञान अध्यापक एवं शिक्षा के क्षेत्र में विश्व रिकार्डधारक ने बतौर लंबे अर्से तक शिक्षण कार्य किया है और 30 अप्रैल 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं किंतु आज के दिन वो कंप्यूटर के अच्छी जानकारी है। हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में टाइप कर लेते हैं। अभी तक उनकी 43 कृतियां आ चुकी है, सभी अपने हाथों से टाइप की गई है। उन्हें कंप्यूटर का ज्ञान 1998 में प्राप्त किया। आइये जानते हैं उनकी कहानी डा. होशियार सिंह की ही जुबानी --
1998 से पहले मुझे कंप्यूटर का ज्ञान नहीं था। कंप्यूटर जहां भी दिखाई देते मैं कंप्यूटर संचालकों से पूछता कि ये कैसे चलते हैं, वो मेरी तरफ देखकर चकित होते कि उनका शायद कंप्यूटर का ज्ञान नहीं होगा परंतु कहते हैं कि जिसके दिल में ज्ञान पाने की इच्छा हो, वो एक दिन सफल होता है। 1998 में वो दिन भी आ पहुंचा। उस वक्त में कनीना के राजकीय माडल संस्कृति स्कूल कनीना में कार्यरत था। उस समय कृष्ण सिंह डागर प्राचार्य होते थे। उस समय कनीना में कंप्यूटर लैब बनी थी, कंप्यूटर लैब में कंप्यूटर का टीचर नहीं था इसलिए मेरे पास ही कंप्यूटर का चार्ज था। वहीं से सोचा क्यों न कंप्यूटर का ज्ञान लिया जाए और वहीं से कंप्यूटर ज्ञान पाने की सभी इच्छाएं पूर्ण हो गई। मैं दिन रात कंप्यूटर सीखने में लगा रहता और बेसिक ज्ञान फिर उच्च स्तरीय ज्ञान प्राप्त किया। बाद में तो वो ही व्यक्ति जो मेरे से पहले कंप्यूटर का ज्ञान रखते थे, वो भी मेरे से कंप्यूटर की सलाह लेने लग गए। इस बात का मुझे गर्व नहीं है परंतु मुझे खुशी है कि मैं अपने स्तर पर कंप्यूटर का बेहतर ज्ञान लिया। विभिन्न समाचारपत्रों में समाचार भेजना,पत्रिकाओं में कविता लेख एवं विभिन्न विधाओं में लिखना, 43 कृतियों की रचना करना, लेख आदि तैयार करना सभी अपने हाथ से टाइप किए जाते थे और आज भी कर रहा हूं। क्योंकि हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषा में टाइप करना पड़ता है। जहां अंग्रेजी में टाइप करना बहुत आसान है किंतु हिंदी विशेषकर चाणक्य फोट में लिखना जो समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में काम आती हैं,थोड़ा कठिन है परंतु वह भी बखूबी से कर लेता हूं। यह ठीक है कि मुझे समाचार पत्रों में जाने का कई बार अवसर मिला किंतु समाचार पत्रों में सेवा नहीं करने का ही निर्णय लेे रखा था और मैं समाचार पत्रों में विशेष कर चंडीगढ़ एवं नोएडा आदि जाने से मना कर दिया था। बाद में जब मुझे ऐसा लगा कि कंप्यूटर का बेसिक ज्ञान तो है,कंप्यूटर में बड़ी डिग्री एमसीए होती है वह की जाए। क्योंकि पहले डिप्लोमा कंप्यूटर का किया फिर एमएससी कंप्यूटर की, फिर एमसीए कंप्यूटर किया और तत्पश्चात मुझे लगा कि कंप्यूटर ज्ञान बिना इंसान अधूरा है। चाहे इंसान आज के दिन लिख पढ़ लेता हो किंतु कंप्यूटर ज्ञान बहुत जरूरी हो गया ।है बाद में तो जहां वीडियो बनाने का भी ज्ञान लिया और आज के दिन कंप्यूटर से संबंधित विभिन्न ज्ञान अर्जित कर लिए है। इस ज्ञान को अब घटने नहीं दिया जाएगा। विंडो-98 में काम करना शुरू किया और अनेक विंडों में काम किया। यह भी सत्य है कि कंप्यूटर का ज्ञान लेने के लिए जहां 1998 में ही कंप्यूटर ले आया था और कंप्यूटर के बाद एक के बाद एक कंप्यूटर खरीदे। प्रारंभ में एक पुराना लैपटाप लिया जिसकी 9000 रुपये कीमत थी बाद में अपने स्तर पर अनेक लैपटाप लिए जो अपने परिवार वालों को दे दिए। इस समय भी मेरे पास तीन लैपटाप और दो कंप्यूटर घर पर है जिसे समय-समय पर काम ले रहा हूं तथा मेरा परिवार उन पर काम करता है। कंप्यूटर के बिना मुझे ऐसा लगता है कि मैं कोई काम नहीं कर सकता। यही कारण है कि आज के दिन कंप्यूटर अच्छी प्रकार चला लेता हूं, ज्ञान है और टाइप कर लेता हूं। यहां तक कि जब एमसीए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से किया और डिस्टिंक्शन लेकर कोर्स पास किया तो बड़ी खुशी हुई। अपने दो-तीन साथियों को भी एमसीए करवाने में उनकी मदद की।
कई बार लोग मेरे कपड़े एवं हावभाव को देखकर यह समझते हैं किसको कोई ज्ञान नहीं होगा मुझे बड़ी हंसी भी आती है, क्या आज का युग है। लोग चेहरा देखकर ही अनुमान लगाते हैं या फिर उसके कपड़े पहनावा, जूते आदि देखते हैं। इनके दृष्टिगत में बहुत पिछड़ा हुआ हूं क्योंकि कभी मुझे पहनने या दिखावे का कोई शौक नहीं था परंतु यह सत्य है कि लोग भूल कर रहे हैं इंसान को किसी के गुण परखे बगैर ही उसके बारे में आगे की बात सोच लेते हैं। अनेक लोग मैंने देखे हैं जो बड़ा दिखावा करते हैं और लोग उसे बड़ा समझते हैं किंतु ज्ञान के क्षेत्र में वो बहुत अल्प होते हैं। मुझे याद है कि कई ऐसी घटनाएं मेरे साथ घटित हुई जब लोगों ने मुझे समझा कुछ और बाद में हकीकत में कुछ और पाया और उन्हें शर्मिंदगी महसूस ही। यही कंप्यूटर है कंप्यूटर का ज्ञान जब तक नहीं होगा इंसान शर्मिंदगी महसूस कर सकता है। इसलिए कंप्यूटर का ज्ञान जरूर लेना चाहिए। युवा और बच्चे तो कंप्यूटर, लैपटाप, मोबाइल आदि का अच्छा ज्ञान रखते हैं किंतु बुजुर्ग लोग इससे कुछ दूर हैं।
कस्बे में करोड़ों खर्च होने के बाद भी कस्बावासी परेशान
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कनीना की आवाज। कस्बे में करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी कस्बे में चलने के लिए सड़कों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। यह कहना है समाजसेवी भगत सिंह, हरेंद्र शर्मा, नरेश कुमार ,संजीव कुमार ,विशाल यादव, हरीश यादव आदि का है।
कस्बावासियों ने एक लिखित शिकायत नगर पालिका के प्रशासक एसडीएम कनीना को देकर मामले से अवगत कराया है। कस्बा वासियों ने दी लिखित शिकायत में कहा है कि कस्बे में एक भी गली ऐसी नहीं है जो पूर्ण रूप से सही हो। गलियों में बने गड्ढे लोगों के जी का जंजाल बने हुए हैं। लेकिन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है जिसके कारण कस्बा वासियों का जीना दूभर हो गया है। कस्बावासियों ने कहा है कि जब से नगर पालिका भंग हुई है तब से लेकर आज तक कस्बे में करोड़ों रुपये खर्च हो फिर भी कस्बे की गलियां ठीक नहीं हो पाई है। गलियों में बने गड्ढे लोगों के जी का जंजाल बने हुए हैं। कस्बा वासियों का कहना है कि कस्बे की गलियां इस बात की गवाह है कि यहां एक भी पैसा अब तक खर्च नहीं हुआ है। लोगों ने कहा है कस्बे की गलियों में एक-एक फीट के बने गड्ढे लोगों की जान ले रहे हैं लेकिन प्रशासक ध्यान नहीं दे रहा है। कस्बा वासियों ने प्रशासक कनीना से मांग कर कस्बे का दौरा करने की मांग की है तथा कस्बे की गलियों में बने गड्ढे अविलंब ठीक कराने की गुहार लगाई है।
फोटो कैप्शन 05: गलियों में बने गड्ढे दिखाते लोग।
24 से कोटिया में बाबा बुर्जेश्वर क्रिकेट प्रतियोगिता का होगा आयोजन
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कनीना की आवाज। उप मंडल के गांव कोटिया में 24 जनवरी से चार दिवसीय बाबा बुर्जेश्वर क्रिकेट प्रतियोगिता का
आयोजन किया जाएगा। कमेटी के सदस्य रजत यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बाबा बुर्जेश्वर क्रिकेट का आयोजन किया जायेगा। पहले स्थान पर आने वाली टीम को 15000 रुपये का नगद इनाम दिया जाएगा वहीं दूसरे स्थान पर आने वाली टीम को 11000 रुपये का नगद इनाम दिया जाएगा। क्रिकेट प्रतियोगिता में प्रत्येक मैच 8-8 ओवर के होंगे वह समय के अनुसार बढ़ाएं एवं घटाएं जा सकते हैं। सभी मैच वुड्स गेंद से होंगे। गेंद कमेटी की तरफ से दी जाएगी। अंपायर का फैसला अंतिम व सर्वमान्य होगा। मैन आफ़ द मैच फाइनल एवं मैन आफ द टूर्नामेंट दिया जाएगा। हैट्रिक लगाने पर आकर्षक ईनाम दिया जाएगा। टीम एक ही पंचायत की होनी चाहिए। खिलाड़ी अपना आइडी प्रूफ साथ लेकर आए।
त्रिवेणी में डुबकी लगाने से होते हैं पाप और संताप दूर- लाल दास महाराज
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कनीना की आवाज। कनीना और आसपास क्षेत्र से भारी संख्या में लोग त्रिवेणी संगम प्रयागराज जा रहे हैं। संगम में डुबकी लगाकर अपने आप को धन्य समझते हैं। उनका कहना है कि सेकड़ों सालों बाद ऐसा संयोग बनता है। यही कारण है कि में लोग अपने निजी वाहनों से, सरकारी वाहनों तथा ट्रेन द्वारा प्रयागराज जा रहे हैं। जहां फरवरी माह तक यह महाकुंभ चलेगा जिसको लेकर संगम तक जाने वाले बहुत अधिक खुशी जाहिर कर रहे हैं।
भक्त रणधीर सिंह जैनाबाद का कहना है कि डुबकी लगाकर बहुत आनंद आता है और वह वहां बार-बार जाना चाहते हैं। अमीश कुमार डुबकी लगाकर आए हैं। उनका कहना है कि त्रिवेणी संगम में पहली बार उन्होंने गोता लगाने का निर्णय किया और उनकी इच्छा पूरी हो गई। अब 144 वर्षों के बाद ही संयोग बनेगा, तब तक कोई जीवित रहे या ना रहे परंतु उन्हें अपने जीवन में कम से कम महाकुंभ में जाकर डुबकी लगा ली। आशा गृहणी का कहना है कि वह भी डुबकी लगाकर आई है और उनके जीवन का यह अहोभाग्य है कि कम से कम प्रयाग में जाकर डुबकी लगाई है। अमीशा का कहना है कि वह ठंडे पानी में डुबकी लगाने से डरती रहती है किंतु वहां जाकर सारी थकान दूर हो गई। ठंड नहीं लगी और डुबकी लगाने में बहुत आनंद आया।
उधर लालदास महाराज अनेक भक्तों सहित प्रयाग पहुंचे औैर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर आये हैं। महाराल ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जयंत को अमृत कलश लेकर स्वर्ग पहुंचने में 12 दिन लगे थे।
देवताओं का एक दिन पृथ्वी के एक साल के बराबर होता है इसलिए कुंभ मेला 12 साल के अंतराल पर मनाया जाता है, पर इस बार महत्वपूर्ण बात यह है कि पुष्य नक्षत्र भी चार ग्रहों के साथ संरेखित होगा। इस प्रकार पिछले 144 वर्षों में सभी महाकुंभ में से सबसे शुभ महाकुंभ-2025 का है। लालदास महाराज ने कहा कि हर इंसान को प्रयाग में जाना चाहिए और डुबकी लगानी चाहिए। वहां जाकर सारे संताप दूर हो जाते हैं।
फोटो कैप्शन 04: लालदास महाराज प्रयाग में डुबकी लगाते हुए।
अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस-24 जनवरी
इंसान की शिक्षा के कारण होती है पूजा-डा मुंशीराम
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कनीना की आवाज। 2018 से राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जा रहा है। शिक्षा दिवस मनाने का उद्देश्य शिक्षकों को अपनी जिम्मेदारी और अहमियत के प्रति जागरूक करना है। उनकी मेहनत के लिए उन्हें सम्मानित करने के लिए विश्व शिक्षक दिवस का आयोजन किया जाता है। जिस प्रकार शिक्षा हमारे जीवन को स्वर देती है उसी प्रकार शिक्षक, शिष्य के जीवन को स्वर देता है। सदा ही शिक्षकों का आदर रहा है और रहेगा। विश्व शिक्षा दिवस की पूर्व संध्या पर कुछ सम्मानित शिक्षकों से बात हुई
** शिक्षा वहीं जो इंसान को संस्कारवान बनाये। हमारे प्रथम गुरु माता-पिता ही होते हैं जो इस दुनिया में लाते हैं। माता-पिता की छांव में बच्चे सीखते हैं, संस्कार ग्रहण करते हैं। बच्चा जब बड़ा होता है तो उसका सामना समाज जीवन की वास्तविकता से होता है। तब शिक्षक अपने ज्ञान और मार्गदर्शन के रूप में आगे बढ़ाने में सही राह दिखाता है। इसकी मेहनत पर एवं शिक्षा के बल पर शिष्य अपनी ऊंचाइयों की और अग्रसर होता है। शिक्षक को शिष्य कभी नहीं भुला सकता। शिक्षक सम्मान की दृष्टि से देखा जाता रहा है और देखा जाता रहेगा। शिक्षक ही है जो हर विद्यार्थी में गुण भर देता है जिसके बल पर विद्यार्थी ऊंचाइयों को छू जाता है। शिक्षा के बल पर ही इंसान नाम कमाता है।
---डा मुंशीराम यादव
समस्त विश्व में जिस भी युग में बदलाव आये वो शिक्षकों की भागीदारी का गवाह है। सह सब शिक्षा के कारण संभव हो पाया। गुरू वशिष्ठ , विश्वामित्र, द्रोणाचार्य, संदीपनी सबने अपने साथ शिष्यों को लेकर बदलाव व मूल्यों की स्थापना की। चाणक्य, माक्र्स, अरस्तु, ने राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक सभी क्षेत्रों में नये आयाम दिए तथा मानव जीवन को सुंदर बनाने का प्रयास किया। चिकित्सा, विज्ञान , खगोल जैसे विषयों पर आज भी विश्व के वैज्ञानिक जो रिसर्च कर रहे हैं वह भी ऋषि मुनियों ने संसार को दी हैं। शिक्षकों के द्वारा ही विद्यार्थी आगे के जीवन को सार्थक बनाता है । आज के युग में शिक्षक की महता ओर अधिक है क्योंकि ये आर्थिक स्पर्धा का युग है और इसमें विद्यार्थी सही मूल्यों को अपनाकर मानव कल्याण की भावना के साथ विश्व के विकास में योगदान दे सके। शिक्षा ने इस दिशा में सबसे अहं भूमिका निभाई है।
---डा. रामानंद यादव ,पूर्व शिक्षा अधिकारी
अन्तर्राष्ट्रीय दिवस का संबंध शिक्षक एवं शिक्षा से है। दुनिया को राह दिखाने वाला शिक्षक खुद किंकर्तव्यविमूढ़ हो रहा है। आज प्रगति के नाम पर शिक्षा का बाजारीकरण चिंता का विषय है अभिभावक अपने बच्चों की भावनाओं को ताक पर रखकर अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं, वही बच्चों की हालत एक निरीह प्राणी की हो गई है। देश के सबसे ज्यादा डाक्टर बनने की होड़ कोटा से चलती है। जहां आए दिन होनहारों का जीवन त्याग करना, हमारी शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगता है। मेरी शिक्षा के कर्ताधर्ताओं से अपील है कि वे शिक्षक की वही गरिमा बहाल करें। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो जीवन में अमूल चूल परिवर्तन कर दे।
--लक्ष्मी देवी, शिक्षाविद
**शिक्षा से परिपूर्ण शिक्षक अपने आप में बड़ा ही गौरवशाली एवं प्रतिष्ठित पद है। शिक्षक को राष्ट्र का निर्माता कहा गया है जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देता है। चाणक्य ने शिक्षक को परिभाषित करते हुए कहा है कि एक विद्यार्थी के सम्पूर्ण जीवन का निर्माण और प्रलय उसकी गोद में पलते हैं। दुनिया में शिक्षक ही गौरवमयी पद है जो हमेशा अपने विद्यार्थी को अपने से ऊपर देखना चाहता है। चिंतनशील विचारधारा और महान् व्यक्तित्व तो वास्तव में शिक्षक ही होता है जो अपने आदर्शवादी विचारों से विद्यार्थी और समाज की दिशा और दशा बदलने में कारगर सिद्ध हो सकता है। आधुनिक युग में भी शिक्षक का बहुत बड़ा सम्मान है।
*** नरेश कुमार, शिक्षाविद
फोटो कैप्शन: डा. मुंशीराम, डा. रामानंद, लक्ष्मी देवी, नरेश कुमार
स्कूल संचालक से 50 लाख रुपये की फिरौती मामले में दूसरे आरोपी प्रेमसिंह के वाइस सैंपल के आदेश हुए पारित
-मुख्य आरोपी प्रदीप कुमार वासी ने मांगी थी 50 लाख की फिरौती
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कनीना की आवाज। महेंद्रगढ़ जिले के बीआर स्कूल सेहलंग के संचालक से 50 लाख रुपये की फिरौती मांगने के मामले में दूसरे आरोपी प्रेम सिंह भडफ़ के वाइस सैंपल के आदेश न्यायालय कनीना जेमआईसी विशेष गर्ग ने जारी किये हैं। इससे पहले अदालत ने प्रदीप कुमार के आदेश पारित किये थे।
स्कूल संचालक हरीश शर्मा ने बताया कि इस केस के मुख्य आरोपी प्रदीप कुमार , संचालक जनता जनसेवा ट्रस्ट कनीना ने बीआर स्कूल सेहलंग के संचालक हरीश शर्मा से 50 लाख की रुपये की फिरौती मांगी थी तथा फिरौती ना देने पर उसके द्वारा संचालित शिक्षण संस्थान को बंद करवाने तथा जान से मारने की धमकी दी थी जिसकी आडियो रिकार्डिंग की सबूतों सहित शिकायत सदर थाना कनीना में की थी। तत्पश्चात पुलिस प्रशासन ने 16 जनवरी 2024 को मुकदमा नंबर 12 दजऱ् । पीडि़त हरीश शर्मा ने बताया कि ऐसे ही प्रदीप कुमार पुत्र प्रेम सिंह ने आरटीआई लगा ब्लैकमेल कर उनसे 50 लाख की रुपये की फिरौती मांगी थी वना देने पर मेरे द्वारा संचालित शिक्षण संस्थान को बंद करवाने तथा मुझे जान से मारने की धमकी दी थी जिसके एवज में पुलिस द्वारा प्रदीप कुमार पुत्र प्रेम सिंह तथा इसके पिता प्रेम सिंह पुत्र निहाल सिंह, वासी भडफ़ के खिलाफ आइपीसी की धारा 384 / 506 / 511 / 34 के तहत सदर थाना कनीना में 16 जनवरी 2024 को मुकदमा नंबर 12 दजऱ् किया गया । पीडि़त के वकील सुभाष चंद्र ने बताया कि उच्च न्यायालय पंजाब एवं हाई कोर्ट चंडीगढ़ में आरोपी प्रदीप कुमार की अग्रिम जमानत रद्द होने के पश्चात प्रदीप कुमार ने 20 अप्रैल 2024 को कनीना न्यायालय में आत्म समर्पण किया। न्यायालय कनीना ने आरोपी को 4 दिन की रिमांड पर भेजा । उसके बाद अदालत ने प्रदीप कुमार की वाइस सैंपल के आदेश कर दिए थे । केस के दूसरे आरोपी प्रेम सिंह ने 08 मई 2024 को अदालत योगेश चौधरी एएसजे नारनौल में अग्रिम जमानत लगायी थी जो अदालत द्वारा खारिज होने के डर से आरोपी ने अपनी याचिका वापिस ले ली थी । तत्पश्चात प्रेम सिंह भडफ़ को 21 मई 2024 को गिरफ्तार कर कनीना कोर्ट में पेश किया गया। जिसकी वाइस सैंपल के आदेश न्यायालय कनीना ने पारित कर दिए हैं।
पालिका प्रधान चुनाव बने प्रतिष्ठा का सवाल
--जमकर जनसंपर्क जारी
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कनीना की आवाज। कनीना नगर पालिका के भविष्य में चुनाव होंगे जिसको लेकर अभी से प्रधान पद के सभी दावेदार जी जान एक करके गली-गली, डोर टू डोर वोट मांग रहे हैं। ऐसा नहीं लगता कि चुनाव अभी नहीं होंगे अपितु ऐसा लगता है जैसे चुनाव महज 1 या 2 दिन बाद ही होंगे क्योंकि जिस प्रकार से प्रधान पद के दावेदार गली-गली वोट मांग रहे हैं उससे साफ जाहिर है कि इस बार प्रधान पद के चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गए हैं।
विगत योजना की बजाय इस बार प्रधान पद में अनेक बदलाव हो गए हैं क्योंकि विगत योजनाओं में प्रधान का चुनाव पार्षद करते आए हैं किंतु इस बार सीधे ईवीएम मशीनों से प्रधान पद का चुनाव होगा। सबसे बड़ी बात है कि प्रधान बनने के लिए पूरे ही कस्बा कनीना में जिसको अधिक वोट आएंगे वह प्रधान होगा। यही कारण है कि इस बार प्रधान बनने वाला प्रत्याशी पार्षदों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। सबसे बड़ी बात है कि विगत योजना में प्रधान चुनना बहुत कठिन विषय बना रहा है क्योंकि जिस गुट के अधिक पार्षद होते थे वहीं प्रधान बनता था। एक दूसरे के पार्षदों को तोडऩे का प्रयास चलता था और कई-कई महीने बाद ही प्रधान का नाम तय हो पाता था। पार्षद का नाम तय होते-होते कई बार तिथि निर्धारित की जाती थी और स्थगित करनी पड़ती थी। अबकी बार ऐसा नहीं है। जो भी प्रत्याशी अधिक वोट लेगा उसे तुरंत प्रभाव से प्रधान माना जाएगा और उसे शपथ दिलवानी ही पड़ेगी। शपथ लेने में कुछ समय लग सकता है वरना प्रधान कुर्सी तक पहुंच जाएगा।
प्रधान पद के लिए कनीना में इस बार अनेक दावेदार हैं किंतु सरिता बबलू के प्रधान पद की दावेदारी जताने के बाद सभी के समीकरण डगमगा गए हैं। सभी मन ही मन सोचने को मजबूर हो गए हैं कि इस बार नैया को कैसे पार उतारा जाए। वैसे भी कनीना वासियों के लिए एक सशक्त व्यक्तित्व मिलने के कारण तीसरा नया युवा गुट बनकर सामने आने की उम्मीद बन गई है। लंबे अर्से से कनीना में महज दो गुटों का वर्चस्व रहा है और यह तीसरा गुट आ जाने से सभी संशय की स्थिति में पहुंच गए हैं। आने वाला वक्त बताएगा कौन क्या करिश्मा कर दिखाएगा।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस को किया याद
-नेताजी मेमोरियल क्लब में किये पुष्प अर्पित
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कनीना की आवाज। महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जन्म जयंती के अवसर पर नेताजी मेमोरियल क्लब एवं शहीद स्मारक कनीना में युवा भाजपा नेता जसवंत सिंह बबलू एवं उनकी पत्नी सरिता बबलू सहित कई लोगों ने उन्हेंयाद किया, पुष्प अर्पित किये।
इस मौके पर जसवंत सिंह बबलू ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस सनातन धर्म के विचारों से प्रभावित थे। अगर आजाद देश की बागडोर नेताजी के हाथ में होती तो देश आजादी के बाद ही सनातनी हिंदू देश होता। इस मौके पर मेजर अधिराज सिंह ने कहा कि नेता जी को एक महान देश भक्त थे, उन्होंने ही हमें ये नारा दिया था कि तुम हमें खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। हम सब को अपने वीर शहीदों से प्रेरणा लेकर अपने देश कि सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज मुझे खुशी है कि ऐसे महापुरुष को सलामी दे रहा हूं। आज सैकड़ों शहीदों की वजह से ही हम खुली सांस लें रहे हैं।
उधर महेश बोहरा युवा नेता ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक गांव में हुआ, उनके पिताजी का नाम जानकी नाथ बोस,वे वकील थे उनके माता का नाम प्रभावती था। वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लडऩे के लिए जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया था नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिया गया जय हिंद का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा है। श्री बोहरा ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस के मन में देश प्रेम स्वाभिमान और साहस की भावना बचपन से ही बड़ी प्रबल थी। वे अंग्रेज शासन का विरोध करने के लिए अपने भारतीय सहपाठियों का भी मनोबल बढ़ाते थे। अपनी छोटी आयु में ही नेता जी ने जान लिया था। कि जब तक सभी भारतवासी एकजुट होकर अंग्रेजों का विरोध नहीं करेंगे, तब तक हमारे देश को उनकी गुलामी से मुक्ति नहीं मिल सकेगी। जहां नेताजी के मन में अंग्रेजों के प्रति तीव्र घृणा थी, वही अपने देशवासियों के प्रति उनके मन में बड़ा प्रेम था। जीवन वृत्तांत पर विस्तार से बताया। वे सच्चे एक सेनानी थे अदम्य साहस, संघर्ष के प्रतीक, देशभक्ति के ओत-प्रोत , युवाओं की प्रेरणा जिन्होंने आजाद भारत का सपना देखा था। उनके त्याग, देशसेवा के प्रति समर्पण कि बदौलत आज हम स्वतंत्र सांस ले रहे हैं उन्हीं क्रांतिकारियों की देन है वे अपना बलिदान देकर भी अमर हो गये हम सब आज उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन करते हैं और अपनी श्रद्धाभाव के पुष्प अर्पित कर कोटि-कोटि नमन करते हैं।
उधर सरिता बबलू युवा नेत्री ने कहा कि महापुरुष किसी जाति-धर्म या संप्रदाय के नही बल्कि राष्ट्र की अनमोल धरोहर होते हैं । महापुरुषों को जाति धर्म में बांटना उनके व्यक्तित्व एवं विचारों को संकीर्णता में आबद्ध करना है । इसलिए हमें महापुरुषों का समादर भाव से सम्मान करना चाहिए। इस मौके पर अनेक जन मौजूद रहे।
फोटो कैप्शन 01: नेताजी सुभाषचंद्र बोस को याद करते हुए जसवंत बबलू एवं अन्य
राष्ट्रीय बालिका दिवस -24 जनवरी
-आज के दिन लड़के लड़कियों में भेदभाव कम
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कनीना की आवाज। 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाती है। आज के दिन बालिकाओं के अधिकारों, लैंगिक समानता जैसे विषयों के प्रति लोगों को जागरूक करके मुहिम चलाई जाती है। आज के दिन बालिकाएं किसी प्रकार किसी से काम नहीं है चाहे धरती या समुद्र की गहराई का मसला हो या चांद पर पहुंचने का मसला हो। हर जगह बालिकाओं का बहुत बड़ा योगदान होता है। एक वक्त था जब लड़कियों को कम चाहते थे और लड़के को अधिक चाहते थे किंतु आज के दिन लड़के और लड़कियों को बराबर समझा जाता है। प्रदेश सरकार ने जैसे मुहिम बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा दिया और मुहिम चलाई तब से बालिकाओं का नाम अग्रणी है। क्षेत्र में विभिन्न बच्चियों नाम कमा रही है, इस बात को इंगित करता है लड़कियां आज हर क्षेत्र में आसमान छू रही है। इस संबंध में लोगों से प्रबुद्ध जनों से चर्चा की गई जिनके विचार निम्न हैं-
**विभिन्न स्कूलों में जहां लड़कियों के लोगों लगे हुए हैं। बेटी बचाओ बेटी बचाओ तथा बच्चियों के साथ होने वाले किसी प्रकार की अन्य को रोकने के लिए सरकार कटिबद्ध है। विभिन्न स्कूलों में जहां बालिका मंच कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनके जरिए स्कूली बच्चियों को जागरूक किया जाता है। बाल श्रमिक रोकने भ्रूण हत्या रोकने, समाज की विकृत मानसिकता को रोकने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा कानूनी जागरूकता कार्यक्रम लगाए जाते हैं। लड़कियों के लिए दहेज प्रथा, बाल विवाह पर पूर्ण रोक लगाई हुई है बच्चियों का हर प्रकार से आगे लाने का प्रयास किया जा रहा है।।
-----अजीत कुमार, समाजसवी
बेटियां हर घर की शान होती हैं, बेटियां ईश्वर का वरदान होती हैं। बेटियां सबके नसीब में कहां होती हैं, भगवान को जो घर पसंद हो वहां होती हैं। आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नहीं है। बात चाहे चंद्रयान-3 की स्वर्णिम सफलता की हो या सिविल सर्विस की परीक्षा में टापर आने की ,ओलंपिक में मैडल लाने की बात हो या फिर सरहदों पर पहरा देने की व फाइटर प्लेन उड़ाने की। बेटियां आज हर क्षेत्र में बेटों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम बेटियों के प्रति अपनी सोच बदलें तथा उन्हें समाज में बराबरी का दर्जा देने की पहल करें उनके जन्म पर उत्सव मनाए तथा उनकी कल्पना की उड़ान को मूर्त रूप देने में उनकी मदद करें। ये निश्चित ही एक दिन आकाश छू लेंगी तथा माता-पिता व देश का नाम रोशन करेंगी।
----आशा यादव,समाजसेविका
बालिका शिक्षा के बढ़ावे से ही समाज का विकास संभव है। सामाजिक संस्थाओं को आगे आकर बालिका सशक्तिकरण, बालिका जागृति, बालिका स्वावलंबन, बाल विवाह, दहेज प्रथा के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। बालिकाओं को शिक्षा के साथ-साथ आत्म रक्षा स्वावलंबन भी बनने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए। राज्य में लिंगानुपात पिछले वर्षों में लगातार सुधार हुआ है वहीं बाल विवाह में भी कमी आई है। प्रदेश की बेटियां विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर नित नये कीर्तिमान रच रही है। हमें बेटियों के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की आवश्यकता हैं।
----लक्की सिगड़ा, समाजसेवी
अगर हमारी बालिकाएं स्वस्थ और सशक्त होगी तो आने वाला देश का कल भी सशक्त होगा। बालिकाओं के विकास के लिए व उनके लिए सहयोगी वातावरण बनाने के लिए और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए अनेक प्रयासों की आवश्यकता है और इसके लिए हमें प्रतिबद्ध भी रहना चाहिए। बालिकाओं का घटता लिंगानुपात भी चिंता का विषय है। माता-पिता को बेटे बेटी में फर्क नहीं समझना चाहिए। सरकार की योजनाएं भी बालिका के जन्म को बढ़ावा देने उनके विकास के लिए प्रेरणादायक हो सकती हैं।
----सरिता यादव,समाज सेविका
फोटो कैप्शन: सरिता यादव, लक्की सिगड़ा, आशा यादव, अजीत कुमार
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